नई दिल्ली। चालू रबी सीजन 2023-24 में देश में सरसों के रिकॉर्ड 120.90 लाख टन का उत्पादन होने का अनुमान है। खाद्य तेल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के विशेष प्रयासों, उन्नत बीज और अनुकूल मौसम के कारण ही उल्लेखनीय वृद्धि संभव हुई है। घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए देश को खाद्य तेलों के आयात पर ही ज्यादा निर्भर रहना पड़ता है। अत: इस चुनौती से निपटने के लिए ही एसईए ने अपनी दूरदर्शी पहल "मॉडल मस्टर्ड फार्म प्रोजेक्ट" की शुरुआत वर्ष 2020-21 में की थी। इस परियोजना का लक्ष्य 2029-30 तक देश में सरसों का उत्पादन बढ़ाकर 200 लाख टन के लक्ष्य रखा गया है।
इस परियोजना के प्रभाव और अनुकूल जलवायु परिस्थितियों के कारण सरसों का उत्पादन निरंतर बढ़ रहा है। वर्ष 2020-21 में देश में लगभग 86 लाख टन सरसों का उत्पादन हुआ है जबकि वर्ष 2022-23 में बढ़कर 113.5 लाख टन के स्तर पर पहुंच गया। चालू सीजन में 100 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में हुई बुआई के साथ, उत्पादन अभी तक के रिकार्ड स्तर पर पहुंचने का अनुमान है जो कि घरेलू खाद्य तेलों की आपूर्ति को मजबूत करेगा।
स्टीक आंकड़ों के संकलन के लिए, एसईए की साझेदारी क्रॉपलिटिक्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ रही है। अत: फसल सर्वेक्षण में अत्याधुनिक रिमोट सेंसिंग तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। साथ ही, आठ प्रमुख सरसों उत्पादक राज्यों असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए गहन जमीनी सर्वेक्षण किए गए हैं।
चालू रबी में हालांकि फरवरी में फसल को आंशिक नुकसान हुआ था लेकिन इसके बावजूद भी चालू रबी सीजन में 2023-24 के लिए औसत उपज 1201 किलोग्राम/हेक्टेयर होने का अनुमान है। यह अनुमान एसईए द्वारा पूर्व में लगाए गए 115 लाख टन के आंकड़े से अधिक है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय का दूसरा अग्रिम अनुमान, जो कि 126.96 लाख टन का है, इस उत्पादन आंकड़े की पुष्टि करता है।
उत्पादकता और उत्पादन अनुमानों की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए एसईए द्वारा अप्रैल-मई में एक अंतिम सर्वेक्षण किया जायेगा।
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