कुल पेज दृश्य

30 अप्रैल 2024

गेहूं की सरकारी खरीद 144.62 लाख टन के पार, पंजाब एवं हरियाणा की हिस्सेदारी ज्यादा

नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2024-25 में प्रमुख उत्पादक राज्यों से 144.62 लाख टन से ज्यादा गेहूं की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर हो चुकी है। चालू सप्ताह में पंजाब और हरियाणा से गेहूं की खरीद में तेजी आई है तथा अभी तक हुई कुल खरीद में इन राज्यों का योगदान ही ज्यादा है।


केंद्रीय खाद्वय एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय के अनुसार पंजाब से चालू रबी में 57.64 लाख टन, हरियाणा से 49.34 लाख टन, उत्तर प्रदेश से 4.84 लाख टन और मध्य प्रदेश से 29.61 लाख टन गेहूं की खरीद समर्थन मूल्य पर हुई है।

राजस्थान से चालू रबी में 3.11 लाख टन, हिमाचल से 817 टन, उत्तराखंड से 101 टन तथा बिहार से 5,010 टन गेहूं की खरीद एमएसपी पर हुई है।

पंजाब से चालू रबी में गेहूं की खरीद का लक्ष्य 130 लाख टन तथा हरियाणा और मध्य प्रदेश से क्रमश: 80-80 लाख टन का तय किया हुआ है।

केंद्र सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन 2024-25 के लिए गेहूं का एमएसपी 2,275 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। राजस्थान एवं मध्य प्रदेश की राज्य सरकार गेहूं की खरीद पर 125 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस किसानों को दें रही। अत: राजस्थान एवं मध्य प्रदेश से गेहूं की खरीद 2,400 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हो रही है।

जानकारों के अनुसार चालू रबी में गेहूं का उत्पादन अनुमान ज्यादा है, लेकिन उत्पादक राज्यों में कई बार खराब मौसम के कारण दैनिक आवकों में अपेक्षानुसार बढ़ोतरी नहीं हुई। गेहूं का दाम पिछले साल तेज रहा था, इसलिए चालू सीजन में स्टॉकिस्टों की खरीद भी बराबर बनी हुई है।

चालू रबी में भारतीय खाद्वय निगम, एफसीआई ने 372.9 लाख टन गेहूं की एमएसपी पर खरीद का लक्ष्य तय किया है। रबी विपणन सीजन 2023-24 में गेहूं की सरकारी खरीद 260.71 लाख टन की हुई थी।

कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में देश में गेहूं का उत्पादन 11.20 करोड़ टन होने का अनुमान है।

गेहूं के दाम लारेंस रोड पर शनिवार को 2,450 से 2,470 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बन रहे।

चालू समर में धान एवं दलहन के साथ ही तिलहन तथा मोटे अनाजों की बुआई बढ़ी

नई दिल्ली। चालू समर सीजन में धान के साथ ही दलहन एवं तिलहन तथा मोटे अनाज की बुआई 5.88 फीसदी बढ़कर 68.17 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले समर सीजन में इनकी बुआई केवल 64.38 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।


कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू समर सीजन में 26 अप्रैल 24 तक देशभर के राज्यों में धान की रोपाई 8.89 फीसदी बढ़कर 29.87 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी रोपाई केवल 27.43 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

दलहनी फसलों की बुआई चालू समर में बढ़कर 16.38 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि  पिछले साल की समान अवधि के 16.18 लाख हेक्टेयर में तुलना में बढ़ी है। इस दौरान मूंग की बुआई 13.30 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 2.85 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 12.88 लाख हेक्टेयर और 3.01 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

मोटे अनाजों की बुआई बढ़कर चालू समर सीजन में 11.91 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 11.05 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। मोटे अनाजों में मक्का की 6.75 लाख हेक्टेयर में तथा बाजरा की 4.64 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 6.21 और 4.45 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। ज्वार की बुआई 38 हजार हेक्टेयर में तथा रागी की 13 हजार हेक्टेयर में हुई है।

चालू समर सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई बढ़कर 10.01 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 9.71 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। तिलहनी फसलों में मूंगफली की बुआई 4.61 लाख हेक्टेयर में, शीशम की 4.82 लाख हेक्टेयर में तथा सनफ्लावर की 33,000 हेक्टेयर में हुई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 4.57 लाख हेक्टेयर में, 4.58 लाख हेक्टेयर में तथा 30,000 हेक्टेयर में ही हुई थी। अन्य तिलहनी फसलों की बुआई 24 हजार हेक्टेयर में हो चुकी है।

मार्च अंत तक 263 लाख गांठ से ज्यादा कॉटन की हुई आवक, उत्पादन अनुमान स्थिर - उद्योग

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2023 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2023-24 में मार्च 2024 अंत तक देशभर की मंडियों में 263.13 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन की आवक हो चुकी है तथा उद्योग ने इसके उत्पादन अनुमान को 309.70 लाख गांठ के पूर्व स्तर पर स्थिर रखा है।


कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई के अनुमान के अनुसार मार्च 2024 अंत तक देशभर की मंडियों में 263.13 लाख गांठ कॉटन की हो चुकी है। कुल आवक में उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में 42.26 लाख गांठ, गुजरात में 68.02 लाख गांठ, महाराष्ट्र की मंडियों में 68.74 लाख गांठ तथा मध्य प्रदेश में 16.25 लाख गांठ की आवक हुई है।

उधर तेलंगाना में मार्च अंत तक 33.56 लाख गांठ, आंध्रप्रदेश में 10.26 लाख गांठ तथा कर्नाटक में 18.20 लाख गांठ तथा तेलंगाना में 90 हजार गांठ कॉटन की आवक हुई है। ओडिशा में 3.30 लाख गांठ और अन्य राज्यों में 1.65 लाख गांठ कॉटन की आवक हुई है।  

सीएआई के अनुसार पहली अक्टूबर 2023 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2023-24 में कॉटन का उत्पादन 309.70 लाख गांठ होने का अनुमान है, जोकि फरवरी के उत्पादन अनुमान के बराबर है। हालांकि उससे पहले उद्योग ने 294.10 लाख गांठ कॉटन का उत्पादन होने का अनुमान लगाया था।

फसल सीजन 2022-23 में देशभर में 318.90 लाख गांठ कॉटन का उत्पादन हुआ था।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई के अनुमान के अनुसार उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन का उत्पादन फसल सीजन 2023-24 में पंजाब में 3.50 लाख गांठ, हरियाणा में 13.50 लाख गांठ, अपर राजस्थान में 15 लाख गांठ एवं लोअर राजस्थान के 14 लाख गांठ को मिलाकर कुल 46 लाख गांठ होने का अनुमान है।

सीएआई के अनुसार मध्य भारत के राज्यों गुजरात में चालू फसल सीजन में 87 लाख गांठ, महाराष्ट्र में 80 लाख गांठ तथा मध्य प्रदेश के 18 लाख गांठ को मिलाकर कुल 185 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है।

दक्षिण भारत के राज्यों में तेलंगाना में चालू फसल सीजन में 34 लाख गांठ, आंध्र प्रदेश में 12.50 लाख गांठ एवं कर्नाटक में 20 लाख गांठ तथा तमिलनाडु के 6.50 लाख गांठ को मिलाकर कुल 73 लाख गांठ के कॉटन के उत्पादन का अनुमान है।

ओडिशा में चालू खरीफ में 3.70 लाख गांठ एवं अन्य राज्यों में 2 लाख गांठ कॉटन के उत्पादन का अनुमान है।

सीएआई के अनुसार पहली अक्टूबर 2023 को कॉटन का बकाया स्टॉक 28.90 लाख गांठ का बचा हुआ था, जबकि 309.70 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है। चालू सीजन में करीब 20.40 लाख गांठ कॉटन का आयात होने की उम्मीद है। ऐसे में कुल उपलब्धता 359 लाख गांठ की बैठेगी।

चालू फसल सीजन में कॉटन की कुल घरेलू खपत 317 लाख गांठ होने का अनुमान है, जबकि इस दौरान 22 लाख गांठ का निर्यात होने की उम्मीद है।

देशभर की मंडियों में पहली अक्टूबर 2023 से 31 मार्च 2024 तक 263.13 लाख गांठ कॉटन की आवक हो चुकी है, जबकि इस दौरान पांच लाख गांठ का आयात हो चुका है। चालू सीजन में कॉटन का कुल निर्यात करीब 22 लाख गांठ का होने का अनुमान है जोकि पिछले फसल सीजन की तुलना में 6.50 लाख गांठ ज्यादा है। पिछले फसल सीजन में 15.50 लाख गांठ कॉटन निर्यात हुआ था।

चालू फसल सीजन के अंत में 30 सितंबर 2024 को देश में 20 लाख गांठ कॉटन का बकाया स्टॉक बचने का अनुमान है, जोकि इसके पिछले सीजन के 28.90 लाख गांठ से कम है।

सीसीआई ने छह लाख गांठ कॉटन की बिक्री की, हाजिर बाजार में ग्राहकी कमजोर

नई दिल्ली। कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई ने पहली अक्टूबर से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2023-24 में अभी तक 33 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन की खरीद की है, जिसमें से निगम ने अभी तक 6 लाख गांठ की बिक्री भी कर दी है।


सूत्रों के अनुसार सीसीआई कॉटन की बिक्री खरीद भाव से ज्यादा दाम पर कर रही है, तथा निगम के पास करीब 27 लाख गांठ कॉटन का स्टॉक बचा हुआ है।

घरेलू बाजार में स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने के कारण बुधवार को दोपहर बाद उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में नरमी आई, जबकि गुजरात में इसके दाम स्थिर हो गए।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव 57,800 से 58,300 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो पर स्थिर हो गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव नरम होकर 5800 से 5825 रुपये प्रति मन बोले गए।हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव घटकर 5725 से 5750 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5500 से 5925 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के दाम नरम होकर 57,800 से 58,000 रुपये कैंडी रह गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आवक 37,000 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स के साथ ही एनसीडीएक्स पर आज शाम को कॉटन की कीमतों में शाम को तेजी का रुख रहा। हालांकि आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतों में शाम के सत्र में नरमी आई।

स्पिनिंग मिलों की सीमित मांग कमजोर होने से उत्तर भारत के राज्यों कॉटन के दाम नरम हुए जबकि गुजरात इसके दाम स्थिर हो गए। व्यापारियों के अनुसार आईसीई कॉटन वायदा की कीमतों में नरमी आई है, जिस कारण घरेलू बाजार में स्पिनिंग मिल केवल जरुरत के हिसाब से ही कॉटन की खरीद कर रही हैं। हालांकि कपास की आवकों में कमी आने के कारण जिनर्स नीचे दाम पर कॉटन बेचने से हिचक रहे हैं।

जानकारों के अनुसार देशभर की अधिकांश छोटी स्पिनिंग मिलों के पास कॉटन का बकाया स्टॉक कम है, जबकि खपत का सीजन होने के कारण आगामी दिनों में सूती धागे में मांग बढ़ने की उम्मीद है। इसलिए आगामी दिनों में मिलों को कॉटन की खरीद करनी होगी। उधर सीसीआई कॉटन की बिक्री हाजिर बाजार के भाव की तुलना में ऊंचे दाम पर कर रही है। उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवकों में आगामी दिनों में कमी आने का अनुमान है। इसके बावजूद भी घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में तेजी, मंदी विश्व बाजार के दाम पर ही निर्भर करेगी।

स्पिनिंग मिलों की मांग बढ़ने से गुजरात एवं उत्तर भारत में कॉटन की कीमतें तेज

नई दिल्ली। स्पिनिंग मिलों की मांग सुधरने के कारण सोमवार को गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में सुधार आया।


गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव 150 रुपये तेज होकर दाम 57,800 से 58,200 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो हो गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव तेज होकर 5825 से 5850 रुपये प्रति मन बोले गए।
हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव बढ़कर 5750 से 5775 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव बढ़कर 5525 से 5950 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के दाम 57,500 से 57,800 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आवक 44,600 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स के साथ ही एनसीडीएक्स पर आज शाम को कॉटन की कीमतों में शाम को तेजी का रुख रहा। आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतें शाम के सत्र में बढ़ गई।

स्पिनिंग मिलों की सीमित मांग सुधरने से गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन के दाम तेज हुए। व्यापारियों के अनुसार आईसीई कॉटन वायदा की कीमतों में सुधार आया है, जिससे घरेलू बाजार में भाव बढ़ गए। जानकारों के अनुसार देशभर की अधिकांश छोटी स्पिनिंग मिलों के पास कॉटन का बकाया स्टॉक कम है, जबकि खपत का सीजन होने के कारण आगामी दिनों में सूती धागे में मांग बढ़ने की उम्मीद है। इसलिए आगामी दिनों में मिलों को कॉटन की खरीद करनी होगी। उधर सीसीआई कॉटन की बिक्री हाजिर बाजार के भाव की तुलना में ऊंचे दाम पर कर रही है। उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवकों में आगामी दिनों में कमी आने का अनुमान है। इसके बावजूद भी घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में तेजी, मंदी विश्व बाजार के दाम पर ही निर्भर करेगी।

सूत्रों के अनुसार कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई ने पहली अक्टूबर से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2023-24 में 11 अप्रैल तक 32.84 लाख गांठ कॉटन की खरीद की है, जिसमें से निगम अभी तक 5.13 लाख गांठ की बिक्री कर चुकी है। अत: निगम के पास 11 अप्रैल 2024 को 27.71 लाख गांठ कॉटन का स्टॉक बचा हुआ है।

सीसीआई के अनुसार 1 अप्रैल 2024 तक देशभर की मंडियों में कॉटन की आवक 261.06 लाख गांठ की हो चुकी है।

उद्योग ने पहली अक्टूबर 2023 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2023-24 में कॉटन के उत्पादन अनुमान में 15.60 लाख गांठ की बढ़ोतरी कर कुल 309.70 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान जारी किया है। इससे पहले के अनुमान में 294.10 लाख गांठ कॉटन का उत्पादन होने का अनुमान था। फसल सीजन 2022-23 में देशभर में 318.90 लाख गांठ कॉटन का उत्पादन हुआ था।

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2023-24 के दौरान देश में कपास का उत्पादन 323.11 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो होने का अनुमान है।

22 अप्रैल 2024

समर सीजन में फसलों की कुल बुआई 8.18 फीसदी बढ़ी - कृषि मंत्रालय

नई दिल्ली। चालू समर सीजन में धान के साथ ही दलहन एवं तिलहन तथा मोटे अनाज की बुआई 8.18 फीसदी बढ़कर 64.47 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले समर सीजन में इनकी बुआई केवल 59.59 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।


कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू समर सीजन में 19 अप्रैल 24 तक देशभर के राज्यों में धान की रोपाई 8.71 फीसदी बढ़कर 29.80 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी रोपाई केवल 27.41 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

दलहनी फसलों की बुआई चालू समर में बढ़कर 13.35 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि  पिछले साल की समान अवधि के 12.24 लाख हेक्टेयर में तुलना में बढ़ी है। इस दौरान मूंग की बुआई 10.36 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 2.76 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 9.42 लाख हेक्टेयर और 2.54 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

मोटे अनाजों की बुआई बढ़कर चालू समर सीजन में 11.44 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 10.52 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। मोटे अनाजों में मक्का की 6.33 लाख हेक्टेयर में तथा बाजरा की 4.61 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 5.82 और 4.36 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।  

चालू समर सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई बढ़कर 9.88 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 9.42 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। तिलहनी फसलों में मूंगफली की बुआई 4.58 लाख हेक्टेयर में, शीशम की 4.74 लाख हेक्टेयर में तथा सनफ्लावर की 33,000 हेक्टेयर में हुई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 4.43 लाख हेक्टेयर में, 4.46 लाख हेक्टेयर में तथा 29,000 हेक्टेयर में ही हुई थी।

भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार चालू समर सीजन में पहली मार्च 24 से 18 अप्रैल 2024 के दौरान देशभर में बारिश सामान्य की तुलना में 9 फीसदी कम हुई है। 

वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान देश से डीओसी का रिकॉर्ड निर्यात - एसईए

नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2023-24 के अप्रैल से मार्च के दौरान डीओसी का रिकार्ड 48.85 लाख टन का निर्यात हुआ है, जबकि इससे पहले वित्त वर्ष 2013-14 के दौरान 43.81 लाख का निर्यात हुआ था।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 के अप्रैल से मार्च के दौरान डीओसी का मात्रा के हिसाब से 4,885,437 टन का एवं मूल्य के हिसाब से 15,370 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान देश से मात्रा के हिसाब से 4,336,287 टन एवं मूल्य के हिसाब से 11,400 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ था। अत: वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान मात्रा के हिसाब से डीओसी के निर्यात में 13 फीसदी एवं मूल्य के हिसाब से 35 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

एसईए के अनुसार मार्च 2024 में डीओसी का निर्यात 13 फीसदी घटकर 395,382 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले साल मार्च में इनका निर्यात 575,958 टन का हुआ था।

एसईए के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान सोया डीओसी का कुल निर्यात बढ़कर 21.33 लाख टन का हुआ है, जोकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के 10.22 लाख टन से ज्यादा है। क्योंकि भारतीय सोया डीओसी अंतरराष्ट्रीय बाजार में सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी थी। हालांकि, वर्तमान में 15 अप्रैल, 2024 तक भारतीय सोया डीओसी का एक्स कांडला भाव 490 डॉलर प्रति टन पर है, जबकि अर्जेंटीना की सोया डीओसी का दाम सीआईएफ रॉटरडैम 417 डॉलर प्रति टन है। अत: भारतीय सोया डीओसी को अर्जेंटीना से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है जिसका असर आने वाले महीनों में इसकी निर्यात मात्रा पर पड़ने की आशंका है।

वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान देश से सरसों डीओसी का निर्यात 22.13 लाख टन का हुआ है जोकि वित्त वित्त वर्ष 2022-23 के 22.97 लाख टन के मुकाबले थोड़ा कम है। देश में पिछले तीन साल से सरसों डीओसी का उत्पादन लगातार बढ़ा है। हालांकि सरसों डीओसी के उत्पादन में आने वाले महीनों में पेराई में असमानता के कारण कमी आने की संभावना है। वैसे भी विश्व बाजार में सोया डीओसी से बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण सरसों डीओसी के निर्यात सौदों में हाल ही में कमी दर्ज की गई।

भारतीय बंदरगाह पर सोया डीओसी का भाव मार्च में औसतन 491 डॉलर प्रति टन है, जबकि फरवरी में इसका औसत दाम 506 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से सरसों डीओसी का दाम घटकर मार्च में भारतीय बंदरगाह पर 285 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि फरवरी में इसका भाव 311 डॉलर प्रति टन था। कैस्टर डीओसी का दाम भारतीय बंदरगाह पर मार्च में बढ़कर 80 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि फरवरी में इसके दाम 78 डॉलर प्रति टन थे।

गुजरात में चालू समर सीजन में फसलों की कुल बुआई में आई कमी

नई दिल्ली। गुजरात में चालू समर सीजन में फसलों की कुल बुआई 0.03 फीसदी पिछड़कर 15 अप्रैल 2024 तक केवल 11.36 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 11.37 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार राज्य में धान की रोपाई चालू समर सीजन में 15 अप्रैल तक 95,043 हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 79,235 हेक्टेयर की तुलना में बढ़ी है।

राज्य में बाजरा की बुआई बढ़कर चालू समर में अभी तक 3.15 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 3.13 लाख हेक्टेयर में इसकी बुआई हुई थी। मक्का की बुआई राज्य में घटकर 7,082 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 7,257 हेक्टेयर में हो चुकी थी।

दलहनी फसलों में मूंग की बुआई चालू समर सीजन में 45,592 हेक्टेयर में एवं उड़द की 21,485 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 46,435 हेक्टेयर में और 20,086 हेक्टेयर में हो चुकी थी।

राज्य में तिलहन फसलों में मूंगफली की बुआई 59,887 हेक्टेयर में तथा शीशम की 1.14 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले समर सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 53,725 हेक्टेयर में और 1.23 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

ग्वार सीड की बुआई राज्य में 1,576 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 2,884 हेक्टेयर में हो चुकी थी।

चालू सीजन में सीसीआई 5.13 लाख गांठ कॉटन की कर चुकी है बिक्री, भाव में मंदा

नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2023-24 में सीसीआई अभी तक उत्पादक राज्यों में 5.13 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन की बिक्री कर चुकी है तथा निगम ने 11 अप्रैल को 1,000 गांठ कॉटन की बिक्री की थी। स्पिनिंग मिलों की खरीद कमजोर होने से शुक्रवार को घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में मंदा आया।


सूत्रों के अनुसार कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई ने पहली अक्टूबर से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2023-24 में अभी तक 32.84 लाख गांठ कॉटन की खरीद की है, जिसमें से निगम अभी तक 5.13 लाख गांठ की बिक्री कर चुकी है। अत: निगम के पास 11 अप्रैल 2024 को 27.71 लाख गांठ कॉटन का स्टॉक बचा हुआ है।

स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने के कारण शुक्रवार को गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में मंदा आया।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव 600 रुपये घटकर 59,300 से 59,600 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो पर रह गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव नरम होकर 5850 से 5875 रुपये प्रति मन बोले गए।
हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव घटकर 5750 से 5850 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव नरम होकर 5450 से 6050 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के दाम 58,300 से 58,500 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आवक 47,400 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स के साथ ही एनसीडीएक्स पर आज शाम को कॉटन की कीमतों में शाम को गिरावट का रुख रहा। आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतों में शाम के सत्र में मंदा आया।

स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने से गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतें नरम हुई। व्यापारियों के अनुसार हाल ही में आईसीई में कॉटन की कीमतों में मंदा आया है जिस कारण घरेलू बाजार में इसकी कीमतों पर दबाव बना हुआ है। देशभर की अधिकांश छोटी स्पिनिंग मिलों के पास कॉटन का बकाया स्टॉक कम है, जबकि खपत का सीजन होने के कारण आगामी दिनों में सूती धागे में मांग बढ़ने की उम्मीद है। इसलिए मिलों को चालू महीने में कॉटन की खरीद करनी होगी। उधर सीसीआई कॉटन की बिक्री हाजिर बाजार के भाव की तुलना में ऊंचे दाम पर कर रही है। उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवकों में आगामी दिनों में कमी आने का अनुमान है। अत: घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में तेजी, मंदी विश्व बाजार के दाम पर ही निर्भर करेगी।

सीसीआई के अनुसार 1 अप्रैल 2024 तक देशभर की मंडियों में कॉटन की आवक 261.06 लाख गांठ की हो चुकी है।

इस साल मानसूनी बारिश सामान्य से ज्यादा होने की संभावना - आईएमडी

नई दिल्ली। पहली जून 2024 से शुरू होने वाले मानसूनी सीजन में पूरे देश में सामान्य से ज्यादा बारिश होने की संभावना है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने अपने पूर्वानुमान में सोमवार को बताया कि बारिश सामान्य से अधिक दीर्घकालिक औसत (एलपीए) का 106 फीसदी होने की अनुमान है।


आईएमडी के अनुसार उत्तर-पश्चिम, पूर्व और पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश होने की उम्मीद है। आईएमडी के प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पूरे देश में 2024 दक्षिण-पश्चिम मानसून के तहत पहली जून 2024 से 30 सितंबर 2024 के बीच मानसून सीजनल रेनफॉल लॉन्ग टर्म एवरेज (एलपीए) का 106 फीसदी होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि अगर सीजनल रेनफॉल के दीर्घावधि औसत की 96 फीसदी से 104 फीसदी के बीच बारिश होती है तो वो सामान्य होती है।

उन्होंने बताया कि 106 फीसदी बारिश सामान्य से अधिक की श्रेणी में आती है और अगर दीर्घावधि औसत की 105 फीसदी से 110 फीसदी के बीच बारिश होती है तो इसे सामान्य से अधिक माना जाता है। उन्होंने बताया कि अच्छे मानसून से संबंधित ला नीना की स्थिति अगस्त-सितंबर तक सक्रिय होने की संभावना है।

मृत्युंजय महापात्र ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 1951-2023 के बीच के आंकड़ों के आधार पर, भारत में मानसून के मौसम में नौ मौकों पर सामान्य से अधिक बारिश हुई, जब ला नीना के बाद अल नीनो की घटना हुई है। मौसम विभाग की मानें तो इस बार अल नीनो के कमजोर पड़ने के बाद मानसून सीजन में ला-नीना का प्रभाव बढ़ेगा। इसका असर ये होगा कि देश में सामान्य से अधिक बारिश होगी।

आईएमडी के अनुसार इस बार अधिकांश इलाकों में सामान्य बारिश होगी, लेकिन उत्तर पश्चिमी राज्यों में इससे उलट हो सकता है। मौसम विभाग ने कहा कि गुजरात, राजस्थान, पंजाब, ओडिशा, बंगाल और जम्मू-कश्मीर के साथ पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में सामान्य से कम बारिश दर्ज की जा सकती है।

वित्त वर्ष 2023-24 के पहले 11 महीनों में बासमती चावल का निर्यात 14 फीसदी से ज्यादा बढ़ा

नई दिल्ली। केंद्र सरकार की सख्ती के बावजूद भी वित्त वर्ष 2023-24 के पहले 11 महीनों अप्रैल से फरवरी के दौरान बासमती चावल के निर्यात में 14.12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जबकि इस दौरान गैर बासमती चावल के निर्यात में 37.36 फीसदी की भारी गिरावट आई है।


केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 के पहले 11 महीनों अप्रैल से फरवरी के दौरान बासमती चावल का निर्यात 14.11 फीसदी बढ़कर 46.79 लाख टन का हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के दौरान इसका निर्यात केवल 41 लाख टन का ही हुआ था।

गैर बासमती चावल के निर्यात में वित्त वर्ष के पहले 11 महीनों अप्रैल से फरवरी के दौरान 37.36 फीसदी की भारी गिरावट आकर कुल निर्यात 100.81 लाख टन का ही हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 160.96 लाख टन का हुआ था।

फरवरी 2024 में बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 5.75 लाख टन का हुआ है, जबकि पिछले साल फरवरी 2023 में इसका निर्यात केवल 4.45 लाख टन का ही हुआ था। गैर बासमती चावल का निर्यात फरवरी 2024 में घटकर केवल 9.55 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल फरवरी 2023 में इसका निर्यात 15.31 लाख टन का हुआ था।

केंद्र सरकार ने 25 अगस्त 2023 को आदेश दिया था कि केवल 1,200 डॉलर प्रति टन या उससे अधिक मूल्य वाले बासमती चावल के निर्यात अनुबंधों को ही पंजीकृत किया जायेगा। इसके विरोध में उत्तर भारत के निर्यातकों के साथ ही चावल मिलों ने हड़ताल कर दी थी, साथ ही मंडियों में किसानों से धान की खरीद भी बंद कर दी थी। अत: 28 अक्टूबर 23 को एक्सपोर्ट प्रमोशन संस्था एपिडा को भेजे एक पत्र में केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि बासमती चावल के निर्यात के लिए कॉन्ट्रैक्ट के रजिस्ट्रेशन के लिए मूल्य सीमा को 1,200 डॉलर प्रति टन से संशोधित कर 950 डॉलर प्रति टन करने का निर्णय लिया था।

केंद्र सरकार ने 20 जुलाई 23 को गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर रोक लगा दी थी, इसके अलावा साल सितंबर 2022 में ब्रोकन चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगाया था। हालांकि गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र सरकार के फैसले के बाद कई देशों ने भारत सरकार से इस पर पुनर्विचार करने और निर्यात पर प्रतिबंध न लगाने की मांग की थी। अत: सरकार ने समय, समय पर कई देशों के अनुरोध को मानते हुए गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात की मंजूरी दी है। इसके बावजूद भी गैर बासमती चावल के निर्यात में भारी कमी आई है।

जानकारों के अनुसार लाल सागर के संकट का असर चावल के निर्यात पर भी पड़ा है तथा इससे घरेलू बाजार से चावल की निर्यात शिपमेंट में आई कमी के कारण बासमती चावल के साथ ही धान की कीमतों में पिछले डेढ़ से दो महीनों में मंदा आया है।

गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद शुरू होने के कारण हरियाणा की मंडियों में धान की आवक नहीं हो रही जबकि पंजाब की अमृतसर मंडी में शनिवार को पूसा 1,121 किस्म के धान के भाव 4,400 से 4,525 रुपये और 1,718 किस्म के धान के भाव 4,300 से 4,400 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

दिल्ली के नया बाजार में शनिवार को पूसा 1,121 स्टीम चावल का भाव नरम होकर 8,800 से 9,000 रुपये और इसका सेला चावल का 7,800 से 8,000 रुपये प्रति क्विंटल रह गया। इस दौरान पूसा 1,509 किस्म के स्टीम चावल का दाम 7,700 से 7,900 रुपये और इसके सेला चावल का 6,800 से 7,000 रुपये प्रति क्विंटल रहा। व्यापारियों के अनुसार मौजूदा कीमतों राइस मिलों को पड़ते नहीं लग रहे, ऐसे में बासमती चावल की कीमतों में ज्यादा मंदे के आसार नहीं है।

12 अप्रैल 2024

पहली छमाही में सोया डीओसी का निर्यात 14 फीसदी से ज्यादा बढ़ा - सोपा

नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2023-24 की पहली छमाही अक्टूबर से फरवरी के दौरान सोया डीओसी के निर्यात में 14.24 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 13.47 लाख टन का हुआ है जबकि इसके पिछले फसल सीजन की समान अवधि में इसका निर्यात 11.79 लाख टन का ही हुआ था।


सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन 2023-24 के पहले छह महीनों अक्टूबर से मार्च के दौरान 53.26 लाख टन सोया डीओसी का उत्पादन हुआ है, जोकि पिछले फसल सीजन की समान अवधि के 52.28 लाख टन की तुलना में बढ़ा है। नए सीजन के आरंभ में 1.17 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था, जबकि 0.17 लाख टन का आयात हुआ है। इस दौरान 4.35 लाख टन सोया डीओसी की खपत फूड में एवं 35 लाख टन की फीड हुई है। अत: मिलों के पास पहली अप्रैल 2024 को 1.80 लाख टन सोया डीओसी का स्टॉक बचा हुआ था, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 2.01 लाख टन की तुलना में कम है।

सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन 2023-24 के पहले छह महीनों अक्टूबर से मार्च के दौरान देशभर की मंडियों में 77 लाख टन सोयाबीन की आवक हुई है, जोकि पिछले फसल सीजन की समान अवधि के बराबर है। इस दौरान 67.50 लाख टन सोयाबीन की क्रॉसिंग हो चुकी है जबकि 2.50 लाख टन की सीधी खपत एवं 0.04 लाख टन का निर्यात हुआ है। अत: प्लांटों, स्टॉकिस्टों तथा किसानों के पास पहली अप्रैल 2024 को 64.83 लाख टन सोयाबीन का स्टॉक बचा हुआ था, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 70.22 लाख टन की तुलना में कम है।

सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन 2023-24 के दौरान देश में 118.74 लाख टन सोयाबीन के उत्पादन का अनुमान है, जबकि नई फसल की आवकों के समय 24.07 लाख टन का बकाया स्टॉक था। अत: चालू फसल सीजन में सोयाबीन की कुल उपलब्धता 142.81 लाख टन की बैठेगी, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 149.26 लाख टन की तुलना में कम है। 

मार्च में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात एक फीसदी बढ़ा - एसईए

नई दिल्ली। मार्च में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात एक फीसदी बढ़कर 1,182,152 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल मार्च में इनका आयात 1,172,293 टन का हुआ था। मार्च 2024 के दौरान खाद्वय तेलों का आयात 1,149,681 टन का एवं अखाद्य तेलों का आयात 32,471 टन का हुआ है।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू तेल वर्ष 2023-24 के पहले पांच महीनों नवंबर 23 से मार्च 24 के दौरान देश में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 17 फीसदी घटकर 5,830,115 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 7,060,193 टन का हुआ था।

अन्य खाद्वय तेलों की तुलना में पाम तेल की कीमतें तेज हैं। इंडोनेशिया और मलेशिया में पाम तेल के उत्पादन में कमी आने के साथ ही स्टॉक कम होने के कारण आपूर्ति में कमी आई है। तीसरे महीने में बीएमडी पर वायदा कीमतें 4,400 रिंगिट प्रति टन को पार कर गई थी। 5 अप्रैल को, सीपीओ की कीमत 1045 डॉलर प्रति टन, सीएंडएफ थी, जबकि इस दौरान क्रूड सूरजमुखी तेल का भाव 975 डॉलर प्रति टन और क्रूड सोयाबीन तेल का 1025 अमेरिकी डॉलर प्रति टन पर था। अत: पाम तेल की तुलना में अन्य खाद्वय तेलों के दाम सस्ते होने के कारण आयातकों ने अन्य खाद्वय तेलों का आयात ज्यादा मात्रा में किया। भारत ने पिछले दो महीनों में रिकॉर्ड मात्रा में सूरजमुखी तेल का आयात किया। फरवरी में 297,000 टन और मार्च में 446,000 टन सूरजमुखी तेल का आयात हुआ।

मार्च 2024 के दौरान पाम तेल और सॉफ्ट तेलों के बीच का अनुपात 42 फीसदी पाम तेल की तुलना में लगभग 58 फीसदी सॉफ्ट तेल हो गया। मार्च में रिफाइंड पाम तेल भी पिछले महीने के 125,000 टन से घटकर 94,000 टन ही रह गया। 23 नवंबर से 24 मार्च के दौरान रिफाइंड पाम तेल का कुल आयात पिछले साल की समान अवधि के 989,000 टन की तुलना में थोड़ा कम होकर 887,000 टन रहा।

फरवरी के मुकाबले मार्च में आयातित खाद्वय तेलों की कीमतों में तेजी का रुख रहा। मार्च में भारतीय बंदरगाह पर आरबीडी पामोलिन का भाव बढ़कर 988 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि फरवरी में इसका दाम 903 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रूड पाम तेल का दाम बढ़कर मार्च में 1,018 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि फरवरी में इसका भाव 933 डॉलर प्रति टन था। क्रूड सोयाबीन तेल का भाव मार्च में बढ़कर भारतीय बंदरगाह पर 995 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि फरवरी में इसका भाव 924 डॉलर प्रति टन था। क्रूड सनफ्लावर तेल का भाव भारतीय बंदरगाह पर फरवरी के 920 डॉलर से बढ़कर मार्च में 964 डॉलर प्रति टन हो गया।

वित्त वर्ष के पहले 11 महीनों में कैस्टर तेल का निर्यात 3.84 फीसदी बढ़ा - उद्योग

नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2023-24 के पहले 11 महीनों अप्रैल से फरवरी के दौरान कैस्टर तेल का निर्यात 3.84 फीसदी बढ़कर 559,179 टन का हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 538,484 टन का ही हुआ था।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार फरवरी में कैस्टर तेल का निर्यात बढ़कर 56,561 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल फरवरी में इसका निर्यात केवल 47,340 टन का ही हुआ था।

एसईए के अनुसार मूल्य के हिसाब से वित्त वर्ष 2023-24 के पहले 11 महीनों में कैस्टर तेल का निर्यात 6,976.66 करोड़ रुपये का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2022-23 के अप्रैल से मार्च के दौरान मूल्य के हिसाब से निर्यात 9,027.64 करोड़ रुपये का हुआ था।

कैस्टर सीड के दाम बुधवार को गुजरात की मंडियों में लगातार पांचवें कार्यदिवस में कमजोर हुए। उत्पादक मंडियों में इसके भाव पांच रुपये कमजोर होकर 1,130 से 1,160 रुपये प्रति 20 किलो रह गए। व्यापारियों के अनुसार राज्य की मंडियों में कैस्टर सीड की कुल आवक 1,60,000 बोरियों की हुई।

राजकोट में कैस्टर तेल कमर्शियल के दाम एक रुपये कमजोर होकर भाव 1,182 रुपये तथा एफएसजी के एक रुपये घटकर 1,192 रुपये प्रति 10 किलो रह गए।

09 अप्रैल 2024

उत्तर भारत के राज्यों में मार्च अंत तक 47.59 लाख गांठ कॉटन की आवक हुई - उद्योग

नई दिल्ली। उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा एवं अपर राजस्थान के साथ ही लोअर राजस्थान की मंडियों में चालू फसल सीजन 2023-24 में मार्च अंत तक 47.59 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन की आवक हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 35.56 लाख गांठ से ज्यादा है।


इंडियन कॉटन एसोसिएशन लिमिटेड, आईसीएएल के अनुसार चालू फसल सीजन 2023-24 में पहली सितंबर 2023 से 31 मार्च 2024 के दौरान पंजाब की मंडियों में 3,73,962 गांठ कॉटन की आवक हुई है, जबकि इस दौरान हरियाणा की मंडियों में 14,00,753 गांठ कॉटन की आवक हुई। अपर राजस्थान की मंडियों में इस दौरान 15,75,715 गांठ और लोअर राजस्थान की मंडियों में 14,03,510 गांठ कॉटन की आवक हो चुकी है।

आईसीएएल के अनुसार उत्तर भारत के राज्यों में फसल सीजन 2023-24 में 49.52 लाख गांठ कॉटन के उत्पादन का अनुमान है, जोकि इसके पिछले फसल सीजन 2022-23 के 42.22 लाख गांठ से ज्यादा है। अत: मार्च अंत तक कॉटन की आवक 47.59 लाख गांठ की इन राज्यों की मंडियों में हो चुकी है तथा इसमें से 46.77 लाख गांठ की जिनिंग हो चुकी है।

आईसीएएल के अनुसार इन राज्यों से कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई ने चालू फसल सीजन में 1,32,882 गांठ कॉटन की खरीद की है। पंजाब से 38,441 गांठ, हरियाणा से 42,900 गांठ एवं अपर राजस्थान से 22,541 गांठ के अलावा लोअर राजस्थान की मंडियों से 29 हजार गांठ का खरीद हुई है।

केंद्र सरकार ने पीली मटर के आयात की समय सीमा को 30 जून तक बढ़ाया

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने पीली मटर के आयात के समय सीमा की अवधि को 30.04.2024 से बढ़ाकर 30.06.2024 तक कर दिया है। केंद्र सरकार द्वारा शुक्रवार को जारी अधिसूचना के अनुसार पीली मटर के आयात का आयात 30 जून 2024 तक किया जा सकेगा।


सूत्रों के अनुसार मार्च अंत तक देश में 7.80 लाख टन पीली मटर का आयात हो चुका है।

मुंबई में कनाडा की पीली मटर के दाम 25 रुपये तेज होकर 4,350 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान हजिरा बंदरगाह पर रसिया की पीली मटर के दाम 25 रुपये बढ़कर 4,150 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। मुंद्रा बंदरगाह पर रसिया की पीली मटर के भाव 25 रुपये तेज होकर दाम 4,150 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

कानपुर में देसी मटर के भाव 50 रुपये कमजोर होकर 4,450 से 4,500 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

चालू समर सीजन में धान की रोपाई 11 फीसदी से ज्यादा बढ़ी, दलहन एवं की भी ज्यादा

नई दिल्ली। चालू समर सीजन में धान की रोपाई में 11.13 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान दलहन एवं तिलहनी फसलों का बुआई क्षेत्रफल भी पिछले साल की तुलना में बढ़ा है। देशभर में पहली मार्च से 5 अप्रैल के दौरान में बारिश सामान्य की तुलना में 10 फीसदी कम हुई है


कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू समर सीजन में 5 अप्रैल 24 तक देशभर के राज्यों में धान की रोपाई 11.13 फीसदी बढ़कर 29.44 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी रोपाई केवल 26.49 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

दलहनी फसलों की बुआई चालू समर में बढ़कर 8.97 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि  पिछले साल की समान अवधि के 8.70 लाख हेक्टेयर में तुलना में बढ़ी है। इस दौरान मूंग की बुआई 6.52 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 2.23 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 6.33 लाख हेक्टेयर और 2.11 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

चालू समर सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई बढ़कर 8.48 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 8.26 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। तिलहनी फसलों में मूंगफली की बुआई 3.89 लाख हेक्टेयर में, शीशम की 4.00 लाख हेक्टेयर में तथा सनफ्लावर की 29,000 हेक्टेयर में हुई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 3.77 लाख हेक्टेयर में, 4 लाख हेक्टेयर में तथा 28,000 हेक्टेयर में ही हुई थी।

भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार चालू समर सीजन में 1 मार्च पांच अप्रैल के दौरान देशभर में बारिश सामान्य की तुलना में 10 फीसदी कम हुई है। इस दौरान 31.9 मिलीमीटर बारिश ही हुई है जबकि औसत 35.5 मिलीमीटर होती है।

केंद्र सरकार ने मालदीव को 64,494 टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मालदीव को 64,494 टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी है।


केंद्र सरकार द्वारा 5 अप्रैल को जारी एक अधिसूचना में के अनुसार दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते के तहत 2024 के दौरान मालदीव को चीनी के साथ ही अन्य आवश्यक वस्तुओं जैसे अंडे, आलू, प्याज, चावल, गेहूं का आटा और दाल के निर्यात की अनुमति दी गई है।

अधिसूचना के अनुसार, सरकार ने मालदीव को 64,494 टन चीनी की अनुमति दी है।

अधिसूचना के अनुसार मालदीव को उपरोक्त वस्तुओं के निर्यात को 2024-25 के दौरान किसी भी मौजूदा या भविष्य के प्रतिबंध/निषेध से छूट दी जाएगी।

मालूम हो कि केंद्र सरकार ने चीनी उत्पादन में कमी आने के कारण चालू पेराई सीजन में दूसरे देशों को चीनी के निर्यात पर अंकुश लगा रखा है।

हालांकि चालू सप्ताह में ही इंडियन शुगर एंड बायो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (इंडिया इस्मा)  ने चालू पेराई सीजन 2023-24 के अपने चीनी के आरंभिक अनुमान को बढ़ाकर 320 लाख टन कर दिया है। देशभर में चीनी की सालाना खपत 285 लाख टन होने का अनुमान है, ऐसे में सीजन के अंत में 91 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक बचने का अनुमान है।

अत: उत्पादन में बढ़ोतरी को देखते हुए इस्मा ने केंद्र सरकार से चालू सीजन में 10 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति देने की मांग की थी।

चालू रबी सीजन में सरसों का रिकॉर्ड 120.90 लाख टन उत्पादन होने का अनुमान - एसईए

नई दिल्ली। चालू रबी सीजन 2023-24 में देश में सरसों के रिकॉर्ड 120.90 लाख टन का उत्पादन होने का अनुमान है। खाद्य तेल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के विशेष प्रयासों, उन्नत बीज और अनुकूल मौसम के कारण ही उल्लेखनीय वृद्धि संभव हुई है। घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए देश को खाद्य तेलों के आयात पर ही ज्यादा निर्भर रहना पड़ता है। अत: इस चुनौती से निपटने के लिए ही एसईए ने अपनी दूरदर्शी पहल "मॉडल मस्टर्ड फार्म प्रोजेक्ट" की शुरुआत वर्ष 2020-21 में की थी। इस परियोजना का लक्ष्य 2029-30 तक देश में सरसों का उत्पादन बढ़ाकर 200 लाख टन के लक्ष्य रखा गया है।

इस परियोजना के प्रभाव और अनुकूल जलवायु परिस्थितियों के कारण सरसों का उत्पादन निरंतर बढ़ रहा है। वर्ष 2020-21 में देश में लगभग 86 लाख टन सरसों का उत्पादन हुआ है जबकि वर्ष 2022-23 में बढ़कर 113.5 लाख टन के स्तर पर पहुंच गया। चालू सीजन में 100 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में हुई बुआई के साथ, उत्पादन अभी तक के रिकार्ड स्तर पर पहुंचने का अनुमान है जो कि घरेलू खाद्य तेलों की आपूर्ति को मजबूत करेगा।

स्टीक आंकड़ों के संकलन के लिए, एसईए की साझेदारी क्रॉपलिटिक्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ रही है। अत: फसल सर्वेक्षण में अत्याधुनिक रिमोट सेंसिंग तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। साथ ही, आठ प्रमुख सरसों उत्पादक राज्यों असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए गहन जमीनी सर्वेक्षण किए गए हैं।

चालू रबी में हालांकि फरवरी में फसल को आंशिक नुकसान हुआ था लेकिन इसके बावजूद भी चालू रबी सीजन में 2023-24 के लिए औसत उपज 1201 किलोग्राम/हेक्टेयर होने का अनुमान है। यह अनुमान एसईए द्वारा पूर्व में लगाए गए 115 लाख टन के आंकड़े से अधिक है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय का दूसरा अग्रिम अनुमान, जो कि 126.96 लाख टन का है, इस उत्पादन आंकड़े की पुष्टि करता है।

उत्पादकता और उत्पादन अनुमानों की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए एसईए द्वारा अप्रैल-मई में एक अंतिम सर्वेक्षण किया जायेगा।

चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन बढ़कर 302 लाख टन से ज्यादा - इस्मा

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2023 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2023-24 में मार्च अंत तक चीनी का उत्पादन 0.41 फीसदी बढ़कर 302.02 लाख टन का हो चुका है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसका उत्पादन 300.77 लाख टन का ही हुआ था।


इंडियन शुगर एंड बायो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार (इंडिया इस्मा) के अनुसार 31 मार्च, 2024 तक महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन 107.32 लाख टन एवं उत्तर प्रदेश में 97.20 लाख टन का हुआ है, जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में इन राज्यों में क्रमश: 104.96 लाख टन एवं 88.98 लाख टन का उत्पादन हुआ था।

चालू पेराई सीजन में 31 मार्च तक कर्नाटक में चीनी का उत्पादन घटकर 49.50 लाख टन का ही हुआ है, जोकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि के 54.90 लाख टन से कम है। गुजरात में चालू पेराई सीजन में 31 मार्च तक 9.17 लाख टन, तमिलनाडु में 7.87 लाख टन एवं अन्य राज्यों में 30.96 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है। पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में क्रमश: 9.64 लाख टन, 9.16 लाख टन एवं 33.13 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।

इस्मा के आंकड़ों के अनुसार, देश भर में इस समय 210 चीनी मिलों में पेराई चल रही है, जबकि पिछले पेराई सीजन में केवल 187 चीनी मिलों में ही पेराई चल रही थी।

इस्मा ने चालू पेराई सीजन 2023-24 के अपने चीनी के आरंभिक अनुमान को बढ़ाकर 320 लाख टन कर दिया है। देशभर में चीनी की सालाना खपत 285 लाख टन होने का अनुमान है, ऐसे में सीजन के अंत में 91 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक बचने का अनुमान है।

अत: उत्पादन में बढ़ोतरी को देखते हुए इस्मा ने केंद्र सरकार से चालू सीजन में 10 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति देने की मांग की है।

फरवरी में कैस्टर तेल का निर्यात बढ़ा, तेल मिलों की मांग कमजोर होने से सीड नरम

नई दिल्ली। फरवरी में कैस्टर तेल का निर्यात बढ़कर 56,561 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल फरवरी में इसका निर्यात केवल 47,340 टन का ही हुआ था। तेल मिलों की मांग कमजोर होने से सीड की कीमतों में नरमी आई है।


साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार चालू वर्ष 2024 के पहले दो महीनों जनवरी एवं फरवरी में कैस्टर तेल का निर्यात बढ़कर 107,508 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसका निर्यात 98,861 टन का ही हुआ था।

हालांकि मूल्य के हिसाब से वर्ष 2024 के पहले दो महीनों जनवरी से फरवरी के दौरान कैस्टर तेल का निर्यात घटकर केवल 1,321.71 करोड़ रुपये का ही हुआ है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसका निर्यात 1,458.66 करोड़ रुपये का हुआ था।

व्यापारियों के अनुसार गुजरात की मंडियों में बुधवार को कैस्टर सीड की आवक एक लाख बोरी (1 बोरी-35 किलो) की हुई। गुजरात की मंडियों में कैस्टर सीड के दाम पांच रुपये नरम होकर 1150-1175 रुपये प्रति 20 किलो रह गए। कैस्टर तेल के दाम कमर्शियल के राजकोट में पांच रुपये कमजोर होकर 1,195 रुपये प्रति 10 किलो रह गए। इस दौरान एफएसजी के भाव 5 रुपये घटकर 1,205 रुपये प्रति 10 किलो रह गए।

सीसीआई के पास 28.59 लाख गांठ कॉटन का स्टॉक, कुल आवक 261 लाख गांठ से ज्यादा

नई दिल्ली। कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई के पास पहली अप्रैल 2024 को कॉटन का 28.59 लाख गांठ, एक गांठ 170 किलो का स्टॉक बचा हुआ है, तथा देशभर की मंडियों में इस दौरान 261.06 लाख गांठ कॉटन की आवक हो चुकी है।


सूत्रों के अनुसार सीसीआई ने पहली अक्टूबर से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2023-24 में 32.81 लाख गांठ कॉटन की खरीद की थी, जिसमें से निगम अभी तक 4.22 लाख गांठ की बिक्री कर चुकी है। अत: निगम के पास पहली अप्रैल 2024 को 28.59 लाख गांठ कॉटन का स्टॉक बचा हुआ है। 31 मार्च को निगम ने 25,500 गांठ कॉटन की बिक्री की थी।

सीसीआई के अनुसार 1 अप्रैल 2024 तक देशभर की मंडियों में कॉटन की आवक 261.06 लाख गांठ की हो चुकी है। फसल सीजन 2023-24 में देश में कॉटन का कुल उत्पादन 316.6 लाख गांठ होने का अनुमान है।

हालांकि केंद्रीय कृषि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2023-24 के दौरान देश में कपास का उत्पादन 323.11 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो होने का अनुमान है।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव 250 रुपये तेज होकर दाम 60,800 से 61,200 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो हो गए।

देशभर की मंडियों में मंगलवार को कपास की आवक 60,900 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स के साथ ही एनसीडीएक्स पर आज शाम को कॉटन की कीमतों में शाम को नरमी का रुख रहा। आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतों में शाम के सत्र में गिरावट दर्ज की गई।

स्पिनिंग मिलों की मांग सुधरने से गुजरात के में कॉटन की कीमतों में लगातार दूसरे दिन तेजी आई। व्यापारियों के अनुसार मार्च क्लोजिंग के कारण पिछले सप्ताह स्पिनिंग मिलों ने कॉटन की खरीद सीमित मात्रा में ही की थी, जबकि अधिकांश छोटी स्पिनिंग मिलों के पास कॉटन का बकाया स्टॉक कम है इसलिए मिलों को चालू महीने में कॉटन की खरीद करनी होगी। ऐसे में कॉटन की कीमतों में बड़ी गिरावट के आसार नहीं है। वैसे भी उधर उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवकों में आगामी दिनों में कमी आने का अनुमान है। 

01 अप्रैल 2024

समर सीजन में धान एवं दलहन के साथ ही तिलहन के बुआई बढ़ी

नई दिल्ली। चालू समर सीजन में धान के साथ ही दलहन एवं तिलहनी फसलों की बुआई में बढ़ोतरी हुई है। देशभर में पहली से 29 मार्च के दौरान में बारिश सामान्य की तुलना में 10 फीसदी कम हुई है


कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू समर सीजन में 29 मार्च 24 तक देशभर के राज्यों में धान की रोपाई 9.81 फीसदी बढ़कर 28.42 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी रोपाई केवल 25.88 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

दलहनी फसलों की बुआई चालू समर में बढ़कर 7.72 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि  पिछले साल की समान अवधि के 6.25 लाख हेक्टेयर में तुलना में बढ़ी है। इस दौरान मूंग की बुआई 5.47 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 2.08 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 4.43 लाख हेक्टेयर और 1.65 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

चालू समर सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई बढ़कर 7.67 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 7.36 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। तिलहनी फसलों में मूंगफली की बुआई 3.67 लाख हेक्टेयर में, शीशम की 3.50 लाख हेक्टेयर में तथा सनफ्लावर की 29,000 हेक्टेयर में हुई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 3.58 लाख हेक्टेयर में, 3.31 लाख हेक्टेयर में तथा 26,000 हेक्टेयर में ही हुई थी।

भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार चालू समर सीजन में 1-29 मार्च के दौरान देशभर में बारिश सामान्य की तुलना में 10 फीसदी कम हुई है।

नई फसल की आवक शुरू होते ही केंद्र ने गेहूं के स्टॉक की जानकारी देना अनिवार्य किया

नई दिल्ली। नई फसल की आवक शुरू होते ही केंद्र सरकार ने हर सप्ताह गेहूं के स्टॉक की जानकारी देना अनिवार्य कर दिया है। व्यापारियों को पहली अप्रैल 2024 से हर सप्ताह केंद्रीय पोर्टल पर स्टॉक की जानकारी देनी होगी। 


केंद्रीय खाद्वय एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय द्वारा गुरुवार को जारी आदेश के अनुसार व्यापारियों, ट्रेडर्स, मिलर्स एवं बड़ी चेन रिटेलरों को हर सप्ताह गेहूं के स्टॉक की जानकारी केंद्रीय पोर्टल https://evegoils.nic.in/wheat/login पर अपलोड करनी होगी।

मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार सभी राज्यों और संघ शासित राज्यों के कारोबारी/ थोक कारोबारी/खुदरा विक्रेता, बड़ी श्रृंखला वाले खुदरा विक्रेता और प्रोसेसर्स को एक अप्रैल 2024 से गेहूं के स्टॉक की घोषणा करनी होगी। आदेश के अनुसार सभी संबंधित वैधानिक संस्थाएं यह सुनिश्चित करें कि पोर्टल पर स्टॉक की नियमित और उचित रूप से जानकारी प्रदान की जाए।

केंद्र सरकार ने पिछले साल गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए स्टॉक लिमिट लगाई थी, जिसकी अवधि 31 मार्च, 2024 को खत्म हो रही है। गेहूं का स्टॉक करने वाली जो संस्था पोर्टल पर पंजीकृत नहीं है, वह खुद को पंजीकृत करा सकती है और प्रत्येक शुक्रवार को गेहूं के स्टॉक की जानकारी देना शुरू कर सकती है। खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग देश में कीमतों को नियंत्रित करने और सहज उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए गेहूं के स्टॉक की स्थिति पर कड़ी निगरानी रख रहा है।

केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक सात साल के निचले स्तर पर आ गया है। पहली मार्च 2024 को केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक 116.7 लाख टन था, जोकि सात साल में सबसे कम है। सात साल पहले एक मार्च, 2017 को केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक घटकर 94.20 लाख टन रह गया था। तय नियम बफर स्टॉक के हिसाब से पहली अप्रैल को केंद्रीय पूल में 75 लाख टन गेहूं का स्टॉक होना चाहिए।

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार रबी सीजन 2023-24 में गेहूं का उत्पादन 11.20 करोड़ टन होने का अनुमान है, तथा खाद्वय मंत्रालय ने पहली अप्रैल 2024 से शुरू होने रबी विपणन सीजन 2024-25 के दौरान 372.90 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य तय किया है। चालू रबी में पंजाब से 130 लाख टन, हरियाणा और मध्य प्रदेश से चालू रबी में 80-80 लाख टन गेहूं की खरीद समर्थन मूल्य पर होने का अनुमान है। पिछले रबी सीजन में पंजाब से एमएसपी पर 121.10 लाख टन, हरियाणा से 63.20 लाख टन और मध्य प्रदेश से 7.10 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी।