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31 जुलाई 2023

सरसों के दाम उत्पादक मंडियों में 31 जुलाई को इस प्रकार रहे

 सरसों (MUSTARD) 

कोलकाता (KOLKATA)

यूपी लाइन (UP)-5700/5925+0

एमपी लाइन (MP)-5700/5925+0

अलवर (ALWAR)5600+0

आवक (ARRIVAL) 8000

खैरथल (KHAIRTHAL)

नई सरसों (NEW MUSTARD)-5600+50

आवक (ARRIVAL) 5000

कोटा (KOTA)5000/5500+50

आवक (ARRIVAL)-700/800

सुमेरपुर (SUMERPUR)5500/5600+0

आवक (ARRIVAL) 1000

मेड़ता सिटी (MERTA CITY)5400+0

आवक (ARRIVAL) 1000

श्योपुर (SHEOPUR)5200/5250+0

आवक (ARRIVAL) 1000

हिंडौन (HINDAUN)5560+60

रायसिंग नगर (RAISING NAGAR)4800/5250+0

आवक (ARRIVAL)-1600

भरतपुर (BHARATPUR)

सरसों तेल कच्ची घानी

(MUSTARD OIL KACHCHI GHANI)-1120-10

 सरसों तेल एक्सपेलर (MUSTARD OIL EXP)-1100+0

खल (KHAL)-2720/2725-10

गंगापुर सिटी (GANGAPUR CITY)

 सरसों ( MUSTARD-5551+0

सरसों तेल कच्ची घानी

(MUSTARD OIL KACHCHI GHAN)-1120/1125+0

सरसों तेल एक्सपेलर (MUSTARD OIL EXP)-1100/1105+0

खल (KHAL)-2520/2530+30

सोंख (SONKH)

सरसों (MUSTARD)-5501+1

42%  कंडीसन-5600+10

आवक (ARRIVAL) 500

सरसों तेल एक्सपेलर (MUSTARD OIL EXP)-1120+30

खल (KHAL)-2770/2780+55

गंगानगर (GANGANAGAR)

सरसों ( MUSTARD)-5000/5393+93

आवक (ARRIVAL)-800

सरसों तेल कच्ची घानी (MUSTARD OIL KACHCHI GHANI)-1130-20

सरसों तेल एक्सपेलर (MUSTARD OIL EXP)-1090-20

खल (KHAL)-2630-20

आगरा (AGRA)

सरसों (MUSTARD)

कच्चीघानी (MUSTARD OIL KACHCHI GHANI)-1170+10

कानपुर (KANPUR)

पाम तेल (PALM OIL)-910-10

अलवर (ALWAR)

कंडीशन (CONDITION)-5550-100

मण्डी (MANDi)-5100/5500-50

आवक (ARRIVAL)-8000 कट्टे (KATTE)

कच्ची-घानी (KACHCHi-GHANi)-11350-50

एक्सपिलर (EXPILOR)-11100/11150-50

खल (KHAL)-2680/2690+50


आगरा (AGRA)

सरसों खल (SARSON KHAL)

बीपी (BP)

(60KG.पैकिंग PACKING)-2965+0

(70KG.पैकिंग PACKING)-2955+0

शारदा (SHARDA)-2901+0


सरसों खल (SARSON KHAL)

दिल्ली लोकल (DELHI LOCAL)-NA

भारत मोदीनगर (BHARAT MODINAGAR)-3051+0

इंजन मथुरा (ENGINE MATHURA)-2871+0

शारदा आगरा (SHARDA AGRA)-2891+0

अमृत कुम्हेर (AMRIT KUMHER)-2951+0

बीरबालक जयपुर (BEERBALAK JAIPUR)-2701+0

शताब्दीअलवर (SHATABDIALWAR)-2825+0

चौधरी गाज़ियाबाद (CHAUDHRI GHAZIABAD)-2901+0

इंजन भरतपुर ( ENGINE BHARATPUR)-2901+0

मिलों की खरीद से लेमन अरहर एवं उड़द तथा मसूर के दाम तेज, चना एवं मूंग स्थिर

नई दिल्ली। दाल मिलों की सीमित मांग से घरेलू बाजार में शनिवार को लेमन अरहर एवं उड़द के साथ ही मसूर की कीमतों में सुधार आया, जबकि अन्य दालों के दाम इस दौरान स्थिर बने रहे।


बर्मा में लेमन अरहर के साथ ही उड़द एसक्यू और एफएक्यू की कीमतें दूसरे दिन भी स्थिर बनी रही। लेमन अरहर के जुलाई शिपमेंट की फसल सीजन 2023 के भाव 1,220 डॉलर प्रति टन सीएडंएफ पर स्थिर बने रहे। इस दौरान उड़द एसक्यू और एफएक्यू के दाम क्रमश: 1,050 डॉलर और 950 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ पर स्थिर बने रहे।

बर्मा में उड़द की कीमतें स्थिर बनी हुई है, जबकि घरेलू बाजार में इसकी कीमतों में तीसरे दिन हल्का सुधार आया। व्यापारियों के अनुसार त्योहारी सीजन के कारण आगामी दिनों में उड़द दाल में दक्षिण भारत की मांग बढ़ने की उम्मीद है। इसलिए दाल मिलों की खरीद तो बढ़ी है, लेकिन एक तो बर्मा में उड़द का बकाया स्टॉक ज्यादा है, जबकि आगामी दिनों में बर्मा के स्थानीय बाजार में नई फसल की आवक बनेगी। इसलिए आगामी दिनों में बर्मा से बिकवाली बढ़ेगी। , इसलिए इसकी कीमतों में बड़ी तेजी के आसार तो नहीं है, लेकिन आयातक दाम घटाना नहीं चाहते, इसलिए हल्का सुधार और भी आ सकता है। घरेलू बाजार में उड़द की नई फसल की आवक अक्टूबर में बनेगी।

बर्मा में लेमन अरहर की कीमतें स्थिर बनी हुई, जबकि घरेलू बाजार में लेमन के साथ ही देसी अरहर के भाव में सुधार आया है, लेकिन अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर की कीमतें स्थिर हो गई। अरहर दाल की मांग में अगले महीने सुधार आने का अनुमान है, जबकि मिलों के पास तय मात्रा में ही स्टॉक बचा हुआ है। उधर घरेलू मंडियों में देसी अरहर की आवक पहले की तुलना में कम हो गई है, साथ ही चालू खरीफ में इसकी बुआई भी पिछड़ रही है। इसलिए स्टॉकिस्ट इसके दाम तेज कर रहे हैं। हालांकि अगले महीने अफ्रीकी देशों से अरहर के आयात में बढ़ोतरी होगी, साथ ही केंद्रीय पूल से अरहर की बिकवाली बनी हुई है। इसलिए अरहर की कीमतों में बड़ी तेजी टिक नहीं पायेगी।

दिल्ली में देसी मसूर की कीमतों में सुधार आया है जबकि मुंबई बंदरगाह पर आयातित मसूर के दाम स्थिर बने रहे। व्यापारियों के अनुसार मसूर दाल की मांग अगले महीने बढ़ने की उम्मीद है, जबकि उत्पादक मंडियों में देसी मसूर की आवकों में आगामी दिनों में और कमी आयेगी। उधर ऑस्ट्रेलिया और कनाडा से मसूर का आयात बराबर हो रहा है, साथ ही आयातित मसूर सस्ती है। वैसे भी ऑस्ट्रेलिया से आयातित मसूर का बकाया स्टॉक बंदरगाह पर ज्यादा है तथा इसकी क्वालिटी भी हल्की है। इसलिए इसके भाव में हल्की तेजी, मंदी बनी रहने के आसार हैं।

बढ़े दाम पर दाल मिलों की खरीद कम होने से दिल्ली में चना के भाव स्थिर हो गए। जानकारों के अनुसार स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली चना की कीमतों में हल्की नरमी तो बन सकती है, लेकिन व्यापारी बड़ी गिरावट के पक्ष में नहीं है। वैसे भी त्योहारी सीजन के कारण चना दाल एवं बेसन की मांग में अगले महीने सुधार आयेगा। उधर नेफेड केंद्रीय पूल से चना नीचे दाम पर नहीं बेच रही है, इसलिए स्टॉकिस्टों की बिकवाली भी कमजोर है। दाल मिलों के पास चना का बकाया स्टॉक तय मात्रा में ही बचा हुआ है।

दिल्ली के साथ ही उत्पादक मंडियों में मूंग की कीमतें तीसरे दिन भी स्थिर बनी रही। जानकारों के अनुसार दाल मिलें मूंग की खरीद जरुरत के हिसाब से ही कर रही हैं। उत्पादक राज्यों में अभी समर मूंग की आवक बनी रहेगी, तथा चालू समर सीजन में इसका उत्पादन अनुमान भी ज्यादा है, साथ ही सितंबर के अंत में खरीफ की नई मूंग की आवक शुरू हो जायेगी। इसलिए इसकी कीमतों में आगामी दिनों में नरमी आने का अनुमान है। जानकारों के अनुसार त्योहारी सीजन होने के कारण मूंग दाल की मांग में आगामी दिनों सुधार आयेगा।

दिल्ली में उड़द एसक्यू के दाम 8825 से 8850 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान एफएक्यू उड़द की कीमतें 25 रुपये तेज होकर भाव 8275 से 8300 रुपये प्रति क्विंटल हो गई।

मुंबई में उड़द एफएक्यू के भाव 50 रुपये बढ़कर दाम 8050 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

चेन्नई में लेमन अरहर के भाव 50 रुपये तेज होकर भाव 9900 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

मुंबई में लेमन अरहर के दाम 50 रुपये बढ़कर भाव 9,900 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

मुंबई में अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर के दाम स्थिर हो गए। सूडान से आयातित अरहर के दाम 10,150 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। मोजाम्बिक की सफेद अरहर के भाव 8400 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। मोजाम्बिक लाइन की गजरी अरहर की कीमतें 8300 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गई। मलावी से आयातित अरहर के भाव 8000 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

दाल मिलों की सीमित मांग से मध्य प्रदेश की मसूर के दाम दिल्ली में 50 रुपये तेज होकर दाम 6125 से 6150 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

मुंद्रा बंदरगाह पर कनाडा की मसूर के दाम 5450 से 5475 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। कनाडा की मसूर की कीमतें वैसल में 5600 से 5625 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। कनाडा की मसूर की कीमतें कंटेनर में 5800 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गई। ऑस्ट्रेलिया की मसूर की कीमतें कंटेनर में 5850 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही। इस दौरान हजिरा बंदरगाह पर कनाडा की मसूर के भाव 5600 से 5625 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

दिल्ली में राजस्थान के चना के भाव 5425 से 5450 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान मध्य प्रदेश के चना के भाव 5425 से 5450 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

राजस्थान लाईन की मूंग की कीमतें दिल्ली में 7700 से 7900 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गई। इस दौरान इंदौर में बेस्ट क्वालिटी मूंग के भाव 7500 से 7700 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। जलगांव में चमकी मूंग के भाव 8000 से 8400 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

चीनी का मासिक कोटा 23.5 लाख टन का जारी

नई दिल्ली। केंद्रीय खाद्वय मंत्रालय ने अगस्त 2023 के लिए चीनी का मासिक कोटा 23.5 लाख टन का जारी किया है, साथ ही जुलाई 2023 के कोटे की बची हुई चीनी बेचने के लिए मिलों को 15 दिनों का समय दिया है।

कपास की बुआई पिछले साल की तुलना में एक फीसदी पीछे, हाल में बुआई में आया सुधार

नई दिल्ली। अगस्त में देश के कई राज्यों में मानसूनी बारिश में हुए सुधार से कपास की बुआई में तेजी तो आई है, लेकिन बुआई अभी भी पिछले साल की तुलना में 0.98 फीसदी पीछे चल रही है।


कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में 28 जुलाई तक कपास की बुआई 116.75 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 117.91 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार पहली जून से 28 जुलाई तक देशभर में सामान्य से सात फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। इस दौरान 437.2 मिलीमीटर बारिश हुई है, जोकि सामान्य 408.9 मिलीमीटर से ज्यादा है।

उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में चालू खरीफ में कपास की बुआई 16.17 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 15.44 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

आईएमडी के अनुसार पहली जून से 28 जुलाई तक पंजाब में सामान्य से 44 फीसदी, हरियाणा में भी 55 फीसदी और राजस्थान में 78 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है।

गुजरात में चालू खरीफ में कपास की बुआई 26.24 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 24.49 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

आईएमडी के अनुसार पहली जून से 28 जुलाई तक गुजरात में सामान्य से 87 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है।

मध्य प्रदेश में चालू खरीफ में कपास की बुआई 6.30 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 5.86 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

आईएमडी के अनुसार पहली जून से 28 जुलाई तक मध्य प्रदेश में सामान्य से 6 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है।

महाराष्ट्र में चालू खरीफ में कपास की बुआई 40.58 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 40.91 लाख हेक्टेयर से कम है।

आईएमडी के अनुसार पहली जून से 28 जुलाई तक महाराष्ट्र में सामान्य से 13 फीसदी कम बारिश हुई है।

आंध्रप्रदेश में चालू खरीफ में कपास की बुआई 3.69 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 3.79 लाख हेक्टेयर से कम है। तेलंगाना में चालू खरीफ में कपास की बुआई 16.48 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि के दौरान 17.69 लाख हेक्टेयर हो चुकी थी।

आईएमडी के अनुसार पहली जून से 28 जुलाई तक आंध्र प्रदेश में सामान्य से 12 फीसदी कम बारिश हुई है। हालांकि पहली जून से 28 जुलाई तक तेलंगाना में सामान्य से 60 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है।

कर्नाटक में चालू खरीफ में कपास की बुआई 5.06 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 7.39 लाख हेक्टेयर से कम है।

आईएमडी के अनुसार पहली जून से 28 जुलाई तक कर्नाटक में सामान्य से 8 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है।

ओडिशा में चालू खरीफ में कपास की बुआई 1.94 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.98 लाख हेक्टेयर से कम है।

आईएमडी के अनुसार पहली जून से 28 जुलाई तक ओडिशा में सामान्य से 12 फीसदी कम बारिश हुई है।

25 जुलाई 2023

तेल मिलों की सीमित से सरसों की कीमतें स्थिर, दैनिक आवकों में बढ़ोतरी

नई दिल्ली। तेल मिलों की सीमित मांग बनी रहने से सोमवार को घरेलू बाजार में लगातार दूसरे कार्यदिवस में सरसों की कीमतें स्थिर बनी रही। जयपुर में कंडीशन की सरसों के भाव 5725 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। इस दौरान सरसों की दैनिक आवक बढ़कर 5.25 लाख बोरियों की हुई।


व्यापारियों के अनुसार मलेशिया में पाम तेल के भाव सुबह तेज खुले थे, लेकिन शाम के सत्र में इसकी कीमतें 3 फीसदी से ज्यादा तेज हुई। उधर शिकागो में भी सोया तेल की कीमतों में तेजी दर्ज की गई। इस दौरान घरेलू बाजार में सरसों तेल की कीमतों में हल्का सुधार आया, जबकि सरसों खल के भाव लगभग स्थिर बने रहे।

उत्पादक राज्यों की मंडियों में सरसों की दैनिक आवकों में बढ़ोतरी दर्ज की गई। सरसों का बकाया स्टॉक किसानों के साथ ही स्टॉकिस्टों के पास पिछले साल की तुलना में ज्यादा है, इसलिए उत्पादक मंडियों में इसकी दैनिक आवक अभी बनी रहेगी। हालांकि त्योहारी सीजन के कारण आगामी दिनों में सरसों तेल की मांग में सुधार आने का अनुमान है।

रूस द्वारा यूक्रेन बंदरगाह पर हमले की खबर से सोमवार को मलेशियाई पाम तेल के वायदा भाव बढ़कर चार महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच कर बंद हुए।

बर्सा मलेशिया डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (बीएमडी) पर अक्टूबर के पाम तेल वायदा अनुबंध में 133 रिंगिट यानी 3.30 डॉलर की तेजी आकर भाव 4,168 रिंगिट प्रति टन हो गए। इस दौरान शिकागो में सोया तेल की कीमतें 2.55 फीसदी तक तेज हुई। हालांकि, डालियान का सबसे सक्रिय सोया तेल वायदा अनुबंध 2.24 फीसदी तक कमजोर हो गया, जबकि इसका पाम तेल वायदा अनुबंध 2.71 फीसदी तक घट गया।

जानकारों के अनुसार यूक्रेन बंदरगाह पर रूस द्वारा हमला किए जाने की खबर है तथा रूस, यूक्रेन से अनाज एवं अन्य तेलों का निर्यात रोकना चाहता है। इसी के परिणामस्वरूप सोया तेल करीब 2 फीसदी और मक्का की कीमतें करीब 3 फीसदी से अधिक तेज हो गई। रूस ने सोमवार को एक ड्रोन हमले में डेन्यूब के यूक्रेनी अनाज के गोदामों को नष्ट कर दिया, जिससे अनाज निर्यात के लिए संभावित खतरे बढ़ गए हैं।

जानकारों के अनुसार मलेशिया और इंडोनेशिया में जुलाई में हुई बारिश से पाम उत्पादों का उत्पादन बढ़ने का अनुमान है। जून की तुलना में इन देशों में जुलाई में पाम उत्पादों के उत्पादन में लगभग 10 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है। साथ ही अनुकूल मौसम के कारण, अगस्त और सितंबर में इन देशों में उत्पादन में 5 फीसदी से अधिक की मासिक बढ़ोतरी का अनुमान है।

जयपुर में सरसों तेल कच्ची घानी एवं एक्सपेलर की कीमतें सोमवार को एक-एक रुपये तेज होकर दाम क्रमशः 1,096 रुपये और 1,086 रुपये प्रति 10 किलो हो गए। इस दौरान सरसों खल के दाम पांच रुपये कमजोर होकर भाव 2650 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर आ गए।

देशभर की मंडियों में सरसों की दैनिक आवक बढ़कर सोमवार को 5.25 लाख बोरियों हो गई, जबकि इसके पिछले कारोबारी दिवस में आवक 4.50 लाख बोरियों की ही हुई थी। कुल आवकों में से प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान की मंडियों में 2.50 लाख बोरी, मध्य प्रदेश की मंडियों में 85 हजार बोरी, उत्तर प्रदेश की मंडियों में 60 हजार बोरी, पंजाब एवं हरियाणा की मंडियों में 25 हजार बोरी तथा गुजरात में 15 हजार बोरी, एवं अन्य राज्यों की मंडियों में 90 हजार बोरियों की आवक हुई।

धान के साथ ही मोटे अनाज एवं तिलहनी फसलों की बुआई आगे, दलहन की पीछे

नई दिल्ली। चालू खरीफ में धान के साथ ही मोटे अनाज एवं तिलहन की बुआई में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन दलहन के साथ ही कपास की बुआई पिछले साल की तुलना में पीछे चल रही है।


कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ सीजन में 24 जुलाई तक फसलों की कुल बुआई बढ़कर 733.42 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 724.99 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू खरीफ में बढ़कर 180.20 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 175.47 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।  

मंत्रालय के अनुसार दालों की बुआई 9.84 फीसदी पिछड़कर 85.85 लाख हेक्टेयर ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 95.22 लाख हेक्टेयर हो चुकी थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में घटकर 27.20 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 33.33 लाख हेक्टेयर से कम है। इसी तरह से उड़द की बुआई घटकर चालू सीजन में 22.91 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 25.36 लाख हेक्टेयर से कम है।

इस दौरान मूंग की बुआई 26.12 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 26.67 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। अन्य दालों की बुआई चालू खरीफ में 9.44 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इनकी बुआई इस समय तक 9.72 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

मंत्रालय के अनुसार मोटे अनाजों की बुवाई चालू खरीफ में बढ़कर 134.91 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 128.75 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। ज्वार की बुआई चालू खरीफ में 10.07 लाख हेक्टेयर में, बाजरा की 57.99 लाख हेक्टेयर में तथा मक्का की 63 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 9.72 लाख हेक्टेयर में, तथा 52.11 लाख हेक्टेयर में एवं 62.89 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

तिलहन की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 160.41 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 155.29 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। तिलहनी फसलों में मूंगफली की बुआई चालू खरीफ में 34.94 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की 114.48 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 34.56 लाख हेक्टेयर में और 111.32 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

अन्य तिलहन में शीशम की बुआई 8.73 लाख हेक्टेयर में और कैस्टर सीड की 1.66 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 7.20 लाख हेक्टेयर में और 0.53 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

कपास की बुआई चालू खरीफ में घटकर 109.69 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 109.99 लाख हेक्टेयर से कम है।

गन्ने की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 56 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 53.34 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

21 जुलाई 2023

ग्राहकी कमजोर होने से अरहर एवं उड़द के दाम घटे, मूंग की कीमतें स्थिर

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर बनी रहने से घरेलू बाजार में गुरुवार को अरहर एवं उड़द की कीमतों में गिरावट आई, जबकि इस दौरान चना के भाव में हल्का सुधार आया। मसूर के भाव में मिलाजुला रुख रहा, जबकि मूंग की कीमतें स्थिर हो गई।


बर्मा में लेमन अरहर के भाव में हल्का सुधार आया, लेकिन उड़द एसक्यू और एफएक्यू के दाम स्थिर हो गए। लेमन अरहर के जुलाई शिपमेंट की फसल सीजन 2023 के भाव 5 डॉलर तेज होकर दाम 1,240 डॉलर प्रति टन सीएडंएफ हो गए। इस दौरान उड़द एसक्यू और एफएक्यू के दाम क्रमश: 1,045 डॉलर और 940 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ पर स्थिर बने रहे।

बर्मा में उड़द के दाम स्थिर बने रहे, लेकिन घरेलू बाजार में इसकी कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। व्यापारियों के अनुसार उड़द की मौजूदा कीमतों में दाल मिलों की मांग कमजोर बनी हुई है, हालांकि अगले महीने उड़द दाल मांग में सुधार आयेगा। जानकारों के अनुसार घरेलू मंडियों में समर उड़द की आवक बराबर बनी हुई है साथ ही बर्मा के स्थानीय बाजार में उड़द का बकाया स्टॉक पिछले साल की तुलना में ज्यादा है। नई फसल की आवक बनने से पहले बर्मा के स्थानीय व्यापारियों की बिकवाली बढ़ने से इसकी कीमतों पर दबाव रह सकता है।

बर्मा में लेमन अरहर के भाव में हल्का सुधार आया, लेकिन घरेलू बाजार में दाल मिलों की मांग कमजोर बनी रहने से दाम घट गए। उधर अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर के दाम भी दूसरे दिन कमजोर हुए हैं। जानकारों के अनुसार अरहर दाल में अगले महीने खपत बढ़ने का अनुमान है, जबकि मिलों के पास तय मात्रा में ही स्टॉक है। इसलिए अरहर की कीमतों में अभी बड़ी गिरावट के आसार तो नहीं है लेकिन अगले महीने अफ्रीकी देशों से अरहर के आयात में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। जिससे कीमतों पर दबाव बनेगा। वैसे भी केंद्रीय पूल से अरहर की बिकवाली कर रही है।

दिल्ली में देसी मसूर के दाम स्थिर हो गए, जबकि मुंबई में कनाडा से आयातित मसूर की कीमतें नरम हुई। व्यापारियों के अनुसार ऑस्ट्रेलिया और कनाडा से मसूर का आयात बराबर हो रहा है, साथ ही आयातित मसूर सस्ती है। वैसे भी ऑस्ट्रेलिया से आयातित मसूर का बकाया स्टॉक बंदरगाह पर ज्यादा है तथा इसकी क्वालिटी भी हल्की है। जानकारों के अनुसार मसूर दाल में खपत राज्यों की मांग अगले महीने बढ़ने की उम्मीद है, तथा उत्पादक मंडियों में देसी मसूर की आवक आगे और कम हो जायेगी। इसलिए मसूर के भाव में अब ज्यादा मंदे के आसार नहीं है।

नीचे दाम पर बिकवाली कम आने से दिल्ली में चना के भाव में हल्का सुधार आया। व्यापारियों के अनुसार अगस्त से त्योहारी सीजन शुरू होगा, जिस कारण आगामी दिनों में चना दाल एवं बेसन की मांग में सुधार आयेगा। ऐसे में आगे मिलर्स की मांग बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि नेफेड केंद्रीय पूल से चना नीचे दाम पर नहीं बेच रही है लेकिन नेफेड दाम घटाकर बिकवाली नहीं कर रही, इसलिए चना की कीमतों में हल्का सुधार और भी बन सकता है।

नीचे दाम पर बिकवाली कम आने से मूंग की कीमतें स्थिर हो गई। व्यापारियों के अनुसार उत्पादक राज्यों में अभी समर मूंग की आवक बनी रहेगी, तथा चालू समर सीजन में इसका उत्पादन अनुमान भी ज्यादा है, साथ ही खरीफ में भी इसकी बुआई में बढ़ोतरी हुई है। इसलिए इसकी कीमतों में बड़ी तेजी के आसार नहीं है। हालांकि अगस्त में मूंग दाल की मांग में सुधार आने का अनुमान है।

दिल्ली में उड़द एसक्यू के दाम 50 रुपये घटकर भाव 8800 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान एफएक्यू उड़द की कीमतें 75 रुपये कमजोर होकर दाम 8250 रुपये प्रति क्विंटल बोली गई।

चेन्नई में उड़द एसक्यू के गोडाउन के दाम 75 रुपये कमजोर होकर भाव 8425 से 8450 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान एफएक्यू उड़द की कीमतें 50 रुपये घटकर 7900 से 7950 रुपये प्रति क्विंटल बोली गई।

मुंबई में उड़द एफएक्यू के भाव 50 रुपये कमजोर होकर दाम 7,950 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मुंबई में लेमन अरहर के दाम 100 रुपये घटकर भाव 9,500 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मुंबई में अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर के दाम कमजोर हुए। मलावी से आयातित अरहर के भाव 100 रुपये कमजोर होकर दाम 8000 से 8100 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। सूडान से आयातित अरहर के दाम 100 रुपये नरम होकर भाव 10,000 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। मोजाम्बिक की सफेद अरहर के भाव 8400 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। मोजाम्बिक लाइन की गजरी अरहर की कीमतें 8350 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गई।

दाल मिलों की सीमित मांग से मध्य प्रदेश की मसूर के दाम दिल्ली में 6100 से 6125 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

कनाडा की मसूर की कीमतें वैसल में 25 रुपये कमजोर होकर दाम 5600 से 5625 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। कनाडा की मसूर की कीमतें कंटेनर में 5750 से 5800 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही। ऑस्ट्रेलिया की मसूर की कीमतें कंटेनर में 5800 से 5850 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। हजिरा बंदरगाह पर कनाडा की मसूर के भाव 5575 से 5600 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। इस दौरान मुंद्रा बंदरगाह पर कनाडा की मसूर के दाम 5475 से 5500 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

दिल्ली में राजस्थान के चना के भाव 10 रुपये तेज होकर दाम 5260 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान मध्य प्रदेश के चना के भाव 10 रुपये बढ़कर 5260 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

राजस्थान लाईन की मूंग की कीमतें दिल्ली में 7900 से 7925 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गई। इस दौरान इंदौर में बोल्ड मूंग के भाव 7800 से 8300 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। जलगांव में चमकी मूंग के भाव 8000 से 8400 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। 

सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर रोक लगाई

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर रोक लगा दी है, इससे घरेलू बाजार में गैर बासमती चावल की कीमतों में मंदा आने के आसार हैं।


विदेश व्यापार महानिदेशालय, डीजीएफटी द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर रोक लगा दी है। हालांकि कुछ शर्तों के साथ चावल के निर्यात को अनुमति दी जाएगी। अगर अधिसूचना से पहले जहाजों में चावल की लोडिंग शुरू हो गई है तो उसके निर्यात की अनुमति होगी। साथ ही उन मामलों में भी चावल के निर्यात की अनुमति होगी जहां सरकार ने दूसरे देशों को इसकी इजाजत दे रखी है। सरकार ने इन देशों के फूड सिक्योरिटी की जरूरतों को देखते हुए इस तरह की अनुमति दी है।

सरकार ने सितंबर 2022 में टूटे हुए चावल के विदेशी शिपमेंट पर प्रतिबंध लगा दिया था। वहीं, अलग-अलग ग्रेडों के निर्यात पर 20 फीसदी निर्यात शुल्क लगाया हुआ है।

20 जुलाई 2023

अप्रैल से जून के दौरान डीओसी का निर्यात 19 फीसदी बढ़ा - एसईए

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही अप्रैल से जून के दौरान डीओसी का निर्यात 19 फीसदी बढ़कर 1,210,045 टन का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2022-23 की समान अवधि में इनका निर्यात केवल 1,016,031 टन का ही हुआ था।


साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2023-24 के पहले तीन महीनों अप्रैल से जून में सोया डीओसी का निर्यात बढ़कर 364,611 टन का हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 75,454 टन का हुआ था। हालांकि सरसों डीओसी का निर्यात अप्रैल से जून के दौरान घटकर 620,738 टन का ही हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 706,905 टन का हुआ था।

चालू वित्त वर्ष 2023-24 के पहले तीन महीनों अप्रैल से जून में राइस ब्रान डीओसी का निर्यात  125,582 टन का और कैस्टर डीओसी का निर्यात 90,750 टन का हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात क्रमश: 149,008 टन का और 83,281 टन का हुआ था।

भारतीय बंदरगाह पर सोया डीओसी का भाव जून 23 में घटकर औसतन 594 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि जून 2022 में इसका दाम 694 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान सरसों डीओसी का भाव जून 23 में भारतीय बंदरगाह पर 271 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि पिछले साल जून 22 में इसका भाव 294 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से कैस्टर डीओसी का दाम जून 23 में घटकर भारतीय बंदरगाह पर 116 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि जून 22 में इसका दाम 152 डॉलर प्रति टन था।  

एसईए के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही अप्रैल से जून में के दौरान दक्षिण  कोरिया का डीओसी के निर्यात में 27 फीसदी की कमी आई है जबकि इस दौरान वियतनाम, थाईलैंड और बांग्लादेश तथा ताइवान को निर्यात में बढ़ोतरी हुई है।

19 जुलाई 2023

आयात पड़ते महंगे होने से उड़द तेज, अरहर की कीमतों में मिलाजुला रुख

नई दिल्ली। बर्मा में दाम तेज होने से घरेलू बाजार में मंगलवार को उड़द की कीमतों में तेजी दर्ज की गई, जबकि इस दौरान अरहर की कीमतों में मिलाजुला रुख रहा। बढ़े दाम पर मिलों की खरीद घटने से चना के साथ ही मूंग की कीमतों में मंदा आया।


बर्मा में लेमन अरहर की कीमतों में नरमी आई, जबकि उड़द एसक्यू और एफएक्यू के दाम तेज हुए। लेमन अरहर के जुलाई शिपमेंट की फसल सीजन 2023 के भाव 10 डॉलर कमजोर होकर दाम 1,240 डॉलर प्रति टन सीएडंएफ रह गए। इस दौरान उड़द एफएक्यू और एसक्यू के दाम 10-10 डॉलर तेज होकर भाव क्रमश: 955 डॉलर और 1,050 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ हो गए।

बर्मा में उड़द के दाम तेज होने से घरेलू बाजार में आयातकों की बिकवाली घट गई, जिससे इसकी कीमतों में तेजी दर्ज की गई। हालांकि बढ़ी हुई कीमतों में दाल मिलों की मांग कमजोर देखी गई। जानकारों के अनुसार उड़द दाल में अगस्त में मांग बढ़ने की उम्मीद है, जबकि आयातकों को इन भाव में पड़ते नहीं लग रहे हैं इसलिए आयातकों की बिकवाली कमजोर है। हालांकि घरेलू मंडियों में समर उड़द की आवक अभी बनी हुई है साथ ही बर्मा के स्थानीय बाजार में उड़द का बकाया स्टॉक पिछले साल की तुलना में ज्यादा है। ऐसे में उड़द की कीमतों में हल्की तेजी तो बन सकती है, लेकिन बड़ी तेजी के आसार कम है।

बर्मा में लेमन अरहर के दाम कमजोर हुए हैं, जबकि घरेलू बाजार में इसकी कीमतों में मिलाजुला रुख देखा गया। अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर के दाम सोमवार को कमजोर हुए थे, लेकिन घटे भाव में बिकवाली कम आने से दाम स्थिर होगए। जानकारों के अनुसार अरहर दाल में अगले महीने खपत बढ़ने का अनुमान है, जबकि मिलों के पास तय मात्रा में स्टॉक है। इसलिए अरहर की कीमतों में बड़ी गिरावट के आसार तो नहीं है लेकिन अगले महीने अफ्रीकी देशों से अरहर के आयात में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। जिससे कीमतों पर दबाव बना रहेगा।

दिल्ली में देसी मसूर के दाम तेज हुए हैं, लेकिन मुंबई में आयातित की कीमतें स्थिर ही बनी हुई हैं। ऑस्ट्रेलिया और कनाडा से मसूर का आयात बराबर हो रहा है, साथ ही आयातित मसूर सस्ती है। वैसे भी ऑस्ट्रेलिया से आयातित मसूर का बकाया स्टॉक बंदरगाह पर ज्यादा है तथा इसकी क्वालिटी भी हल्की है। जानकारों के अनुसार मसूर दाल में खपत राज्यों मांग अगले महीने बढ़ने की उम्मीद है, तथा उत्पादक मंडियों में देसी मसूर की आवक आगे और कम हो जायेगी। इसलिए मसूर के भाव में आगे हल्का सुधार और भी बन सकता है।

बढ़े दाम पर दाल मिलों की मांग कमजोर होने से दिल्ली में चना के दाम कमजोर हो गए। वैसे भी केंद्रीय पूल से चना दाल की बिक्री की जायेगी, इसलिए मिलर्स केवल जरुरत के हिसाब से ही चना की खरीद कर रहे हैं। हालांकि नेफेड केंद्रीय पूल से चना नीचे दाम पर नहीं बेच रही है साथ ही अगस्त से त्योहारी सीजन शुरू होगा, जिस कारण आगामी दिनों में चना दाल एवं बेसन की मांग में सुधार आयेगा। इसलिए चना की कीमतों में बड़ी गिरावट के आसार नहीं है। स्टॉकिस्ट एवं मिलर्स के पास चना का स्टॉक तय मात्रा में ही है।

बढ़ी हुई कीमतों में दाल मिलों की खरीद कमजोर होने से मूंग की कीमतों में मंदा आया है।  व्यापारियों के अनुसार उत्पादक राज्यों में खराब मौसम एवं मध्य प्रदेश तथा हरियाणा में मूंग की एमएसपी पर खरीद के कारण स्टॉकिस्टों ने इसके दाम तेज किए थे। हालांकि उत्पादक मंडियों अभी समर मूंग की आवक बनी रहेगी, तथा चालू समर सीजन में इसका उत्पादन अनुमान भी ज्यादा है, साथ ही खरीफ में भी इसकी बुआई में बढ़ोतरी हुई है। इसलिए इसकी कीमतों में बड़ी तेजी के आसार नहीं है।

दिल्ली में उड़द एसक्यू के दाम 50 रुपये तेज होकर भाव 8850 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान एफएक्यू उड़द की कीमतें बढ़कर 8275 से 8300 रुपये प्रति क्विंटल बोली गई।

चेन्नई में उड़द एसक्यू के गोडाउन के दाम 8450 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान एफएक्यू उड़द की कीमतें 7950 रुपये प्रति क्विंटल बोली गई।

मुंबई में उड़द एफएक्यू के भाव 125 रुपये तेज होकर दाम 8,050 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

मुंबई में लेमन अरहर के दाम 50 रुपये घटकर भाव 9,800 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मुंबई में अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर के दाम स्थिर हो गए। मोजाम्बिक की सफेद अरहर के भाव 8500 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान मोजाम्बिक लाइन की गजरी अरहर की कीमतें 8400 रुपये प्रति क्विंटल के पूर्व स्तर पर स्थिर हो गई। मलावी से आयातित अरहर के भाव 8250 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। सूडान से आयातित अरहर के दाम 10,150 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

दाल मिलों की मांग बढ़ने से मध्य प्रदेश की मसूर के दाम दिल्ली में तेज होकर 6150 से 6175 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

कनाडा की मसूर की कीमतें कंटेनर में 5800 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। ऑस्ट्रेलिया की मसूर की कीमतें कंटेनर में 5850 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। ऑस्ट्रेलिया की मसूर की कीमतें वैसल में 5625 से 5650 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही। हजिरा बंदरगाह पर कनाडा की मसूर के भाव 5600 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। इस दौरान मुंद्रा बंदरगाह पर कनाडा की मसूर के दाम 5500 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

दिल्ली में राजस्थान के चना के भाव 50 रुपये कमजोर होकर दाम 5275 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान मध्य प्रदेश के चना के भाव 50 रुपये घटकर 5275 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

राजस्थान लाईन की मूंग की कीमतें दिल्ली में 75 रुपये कमजोर होकर दाम 7975 से 8000 रुपये प्रति क्विंटल रह गई। इस दौरान जयपुर मूंग के बिल्टी दाम 6800 से 8200 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इंदौर में बोल्ड मूंग के भाव 7800 से 8500 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

मानसूनी बारिश अच्छी होने राजस्थान में कपास एवं मूंगफली की बुआई लक्ष्य से ज्यादा

नई दिल्ली। मानसूनी बारिश सामान्य से ज्यादा होने के कारण चालू खरीफ सीजन में राजस्थान में कपास के साथ ही मूंगफली की बुआई तय लक्ष्य से ज्यादा क्षेत्रफल में हो चुकी है।


भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार चालू मानसूनी सीजन में पहली जून से 18 जुलाई तक राज्य में सामान्य से 102 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। सामान्यतः: इस दौरान राज्य में 137.7 मिलीमीटर बारिश होती है, जबकि सीजन में 277.6 मिलीमीटर बारिश हुई है।

राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार चालू खरीफ में राज्य कपास की बुआई 15 जुलाई तक बढ़कर 7.74 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि बुआई का लक्ष्य 7.70 लाख हेक्टेयर तय किया गया था। पिछले साल इस समय तक राज्य में इसकी बुआई केवल 6.21 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

इसी तरह से चालू खरीफ में राज्य मूंगफली की बुआई 15 जुलाई तक बढ़कर 7.66 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि बुआई का लक्ष्य 7.50 लाख हेक्टेयर तय किया गया था। पिछले साल इस समय तक राज्य में इसकी बुआई केवल 6.53 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

राज्य में सोयाबीन की बुआई बढ़कर 19.68 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई केवल 14.65 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

राज्य की खरीफ दलहन की प्रमुख फसल मूंग की बुआई बढ़कर 19.18 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई केवल 12.86 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। अन्य दालों में मोठ की बुआई 6.55 लाख हेक्टेयर में, उड़द की 3.06 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 5.90 और 2.69 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

राज्य में धान की रोपाई चालू खरीफ में 1.86 लाख हेक्टेयर में, ज्वार की बुआई 5.98 लाख हेक्टेयर में और बाजरा की बुआई 42.92 लाख हेक्टेयर में और मक्का की 9.06 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 1.23 लाख हेक्टेयर में, 4.58 लाख हेक्टेयर में, 26.46 लाख हेक्टेयर में और 6.20 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

ग्वार सीड की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 19.69 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में इसकी बुआई केवल 14.65 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

18 जुलाई 2023

तेल मिलों की खरीद घटने से सरसों की कीमतों में नरमी, दैनिक आवकों में कमी

नई दिल्ली। बढ़े दाम पर तेल मिलों की खरीद कमजोर होने से सोमवार को घरेलू बाजार में सरसों की कीमतों में नरमी दर्ज की गई। जयपुर में कंडीशन की सरसों के भाव 25 रुपये कमजोर होकर दाम 5625 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान सरसों की दैनिक आवक घटकर 4.25 लाख बोरियों की रह गई।

व्यापारियों के अनुसार मलेशिया में जहां पाम तेल के दाम तेज हुए हैं, वहीं शिकागो में सोया तेल की कीमतें भी बढ़ी है। हालांकि घरेलू बाजार में बढ़ी हुई कीमतों तेल मिलों की मांग कमजोर होने से नरमी आई, लेकिन व्यापारी ज्यादा मंदे में नहीं है। स्टॉकिस्ट दाम घटाकर सरसों की बिकवाली नहीं कर रहे हैं। इस दौरान सरसों तेल के भाव में हल्का सुधार आया, जबकि खल की कीमतों में तेजी दर्ज की गई।

जानकारों के अनुसार सरसों खल में आगामी महीने के सौदों का व्यापार हो रहा है, वैसे भी इसके दाम पहले ही काफी नीचे आ चुके थे इसलिए मांग बढ़ने की उम्मीद है। त्योहारी सीजन के कारण आगामी दिनों में सरसों तेल की मांग में भी सुधार आयेगा। हालांकि उत्पादक मंडियों में सरसों की दैनिक आवक अभी बनी रहेगी, लेकिन मौजूदा कीमतों में ज्यादा मंदे के आसार नहीं है।

जुलाई में अब तक पाम उत्पादों के निर्यात में हुई बढ़ोतरी से सोमवार को सुबह सीमित दायरे में कारोबार करने के बाद शाम को मलेशियाई पाम तेल वायदा तेजी के साथ बंद हुआ।

बर्सा मलेशिया डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (बीएमडी) पर अक्टूबर महीने के वायदा अनुबंध में पाम तेल की कीमतें 34 रिंगिट यानी 0.87 फीसदी तेज होकर 3,933 रिंगिट प्रति टन हो गई। इस दौरान डालियान का सबसे सक्रिय सोया तेल वायदा अनुबंध 1.04 फीसदी कमजोर हुआ, जबकि इसका पाम तेल वायदा अनुबंध 0.2 फीसदी बढ़ गया। शिकागो में सोया तेल की कीमतें इस दौरान 1.4 फीसदी तेज हुई।

स्वतंत्र निरीक्षण कंपनी एमस्पेक एग्री मलेशिया ने शनिवार को कहा था कि 1-15 जुलाई के दौरान मलेशियाई पाम तेल उत्पादों का निर्यात जून की समान अवधि के मुकाबले 16.7 फीसदी बढ़ गया। एक अन्य कार्गो सर्वेक्षक इंटरटेक टेस्टिंग सर्विसेज ने कहा कि इस दौरान निर्यात में 19.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को कहा कि इंडोनेशिया के पास पाम तेल निर्यातकों को अपने उत्पादन का एक हिस्सा घरेलू बाजार में बेचने के नियमों को बदलने की कोई योजना नहीं है, क्योंकि देश अपने बी35 कार्यक्रम के पूर्ण राष्ट्रव्यापी कार्यान्वयन के लिए तैयारी कर रहा है।

जयपुर में सरसों तेल कच्ची घानी एवं एक्सपेलर की कीमतें सोमवार को एक-एक रुपये तेज होकर दाम क्रमशः 1,079 रुपये और 1,069 रुपये प्रति 10 किलो हो गए। इस दौरान सरसों खल के दाम लगातार 25 रुपये तेज होकर भाव 2605 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंच गए।

देशभर की मंडियों में सरसों की दैनिक आवक घटकर सोमवार को 4.25 लाख बोरियों की ही हुई, जबकि इसके पिछले कारोबारी दिवस में आवक पांच लाख बोरियों की ही हुई थी। कुल आवकों में से प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान की मंडियों में दो लाख बोरी, मध्य प्रदेश की मंडियों में 65 हजार बोरी, उत्तर प्रदेश की मंडियों में 50 हजार बोरी, पंजाब एवं हरियाणा की मंडियों में 25 हजार बोरी तथा गुजरात में 15 हजार बोरी, एवं अन्य राज्यों की मंडियों में 70 हजार बोरियों की आवक हुई। 

17 जुलाई 2023

जून में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात 49 फीसदी बढ़ा - उद्योग

नई दिल्ली। जून में देश में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 49 फीसदी बढ़कर 1,314,476 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले साल जून-22 में इनका आयात 991,650 टन का हुआ था। जून के दौरान खाद्वय तेलों का आयात 1,311,576 टन का एवं अखाद्य तेलों का आयात 2,900 टन का हुआ है।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार चालू तेल वर्ष 2022-23 (नवंबर-22 से अक्टूबर-23) की पहले आठ महीनों नवंबर-22 एवं जून-23 में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात इसके पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 20 फीसदी बढ़कर 10,483,120 टन का हुआ है। जबकि पिछले साल नवंबर से मई के दौरान इनका आयात 8,760,640 टन का हुआ था।

एसईए के अनुसार घरेलू बाजार में खाद्वय तेलों की कीमतों में आई गिरावट से क्रूड पाम तेल का आयात जून में बढ़कर 4.66 लाख टन का हुआ है, जबकि इसके पिछले महीने इसका आयात 3.48 लाख टन का हुआ था। इसी तरह से जून में आरबीडी पामोलीन तेल का आयात पिछले महीने के 85,000 टन से बढ़कर जून में 2.17 लाख टन का हो गया।

सोयाबीन तेल का आयात पिछले महीने के 3.19 लाख टन और जून 2022 के 2.3 लाख टन की तुलना में बढ़कर जून 23 में 4.37 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। हालांकि इस दौरान सूरजमुखी तेल का आयात पिछले महीने के 2.95 लाख की तुलना में जून में घटकर 1.90 लाख टन का रह गया।

मई के मुकाबले जून में क्रूड सोयाबीन तेज को छोड़ अन्य आयातित खाद्वय तेलों की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। जून में भारतीय बंदरगाह पर आरबीडी पामोलिन का भाव कमजोर होकर 849 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि मई में इसका भाव 915 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रूड पाम तेल का भाव जून में घटकर 875 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि मई में इसका भाव 938 डॉलर प्रति टन था। हालांकि इस दौरान क्रूड सोयाबीन तेल का भाव मई के 999 डॉलर से बढ़कर जून में भारतीय बंदरगाह पर 1036 डॉलर प्रति टन हो गया। क्रूड सनफ्लावर तेल का भाव मई के 957 डॉलर प्रति टन से घटकर जून में 914 डॉलर प्रति टन रह गया।  

खरीफ फसलों की बुआई 536 लाख हेक्टेयर के पार, पिछले साल की तुलना में चार फीसदी पिछड़ी

नई दिल्ली। देशभर में मानसूनी बारिश में सुधार आने के बावजूद भी चालू खरीफ सीजन में फसलों की बुआई 4.28 फीसदी पीछे चल रही है। कृषि मंत्रालय के अनुसार 14 जुलाई तक देशभर में खरीफ फसलों की कुल बुआई घटकर 536.09 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 560.05 लाख हेक्टेयर से कम है।


भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार चालू मानसूनी सीजन में पहली जून से 14 जुलाई के दौरान देशभर में सामान्य से एक फीसदी ज्यादा बारिश हुई है।

खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू सीजन में घटकर 103.22 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 114.42 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

दालों की बुआई 16.15 फीसदी पिछड़कर 56.67 लाख हेक्टेयर ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 67.59 लाख हेक्टेयर हो चुकी थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में घटकर 14.11 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 24.55 लाख हेक्टेयर से कम है। इसी तरह से उड़द की बुआई घटकर चालू सीजन में 13.42 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 15.80 लाख हेक्टेयर से कम है।

हालांकि इस दौरान मूंग की बुआई बढ़कर 21.23 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई केवल 20.06 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। अन्य दालों की बुआई चालू खरीफ में 7.76 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इनकी बुआई इस समय तक 7.04 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में 14 जुलाई तक देशभर में तिलहनी फसलों की बुआई केवल 113.75 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 126.91 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। तिलहनी फसलों में मूंगफली की बुआई 28.72 लाख हेक्टेयर में, सोयाबीन की 70.71 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक मूंगफली की बुआई 28.33 लाख हेक्टेयर में और सोयाबीन की 93.61 लाख हेक्टेयर में हुई थी। चालू खरीफ में सनफ्लावर की बुआई 40 हजार हेक्टेयर और शीशम की 4.12 लाख हेक्टेयर में हुई है।

मोटे अनाजों की बुवाई चालू खरीफ में बढ़कर 104.99 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 90.57 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। ज्वार की बुआई चालू खरीफ में 8.64 लाख हेक्टेयर में, बाजरा की 50.09 लाख हेक्टेयर में तथा मक्का की 43.84 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 6.82 लाख हेक्टेयर में, तथा 34.36 लाख हेक्टेयर में एवं 46.45 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

कपास की बुआई चालू खरीफ में घटकर 95.30 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 100.36 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

गन्ने की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 55.81 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 53.31 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। 

14 जुलाई 2023

मिलों की खरीद से उड़द, चना के साथ मूंग महंगी, अरहर एवं मसूर में मिलाजुला रुख

नई दिल्ली। दाल मिलों की खरीद बढ़ने से घरेलू बाजार में गुरुवार को उड़द के साथ ही चना मूंग की कीमतों में तेजी दर्ज की गई, जबकि अरहर के भाव में मिलाजुला रुख रहा। इस दौरान देसी मसूर की कीमतें स्थिर बनी रही, लेकिन आयातित के दाम नरम हुए।


बर्मा में लेमन अरहर की कीमतें स्थिर बनी रही, जबकि उड़द एसक्यू एवं एफएक्यू के भाव में तेजी आई। लेमन अरहर के जुलाई शिपमेंट की फसल सीजन 2023 के भाव 1,270 डॉलर प्रति टन सीएडंएफ पर स्थिर हो गए। इस दौरान उड़द एफएक्यू और एसक्यू के भाव जुलाई शिपमेंट की फसल सीजन 2023 के 15-15 डॉलर तेज होकर दाम क्रमशः 975 डॉलर तथा 1,075 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ हो गए।

मोजाम्बिक और मलावी से जुलाई, अगस्त शिपमेंट की अरहर के भाव मुंबई में रेड लकोटा के 825 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ एवं सफेद गजरी के दाम 930 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ बोले गए।

तंजानिया से आयातित चना के दाम 565 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ है।

मुंबई बंदरगाह पर जुलाई, अगस्त के कनाडा की मसूर के भाव वैसल में 700 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ और ऑस्ट्रेलिया मसूर के भाव कंटेनर में 655 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ हैं।

बर्मा में उड़द की कीमतें तेज हुई हैं, जिस कारण घरेलू बाजार में आयातकों की बिकवाली कमजोर बनी रहने से इसके दाम तेज हुए हैं। व्यापारियों के अनुसार स्टॉकिस्ट उड़द के दाम तेज करके स्टॉक हल्का कर रहे हैं, जबकि बढ़ी हुई कीमतों में दाल मिलों की खरीद सीमित बनी हुई है। वैसे भी उड़द दाल में दक्षिण भारत की मांग चालू महीने में कमजोर ही रहेगी। हालांकि अगले महीने से दाल की मांग में सुधार आयेगा। बर्मा के स्थानीय बाजार में उड़द का बकाया स्टॉक ज्यादा है जबकि घरेलू मंडियों में समर उड़द की आवक अभी बनी रहेगी। ऐसे में बढ़े दाम पर स्टॉक हल्का करना चाहिए।

बर्मा में लेमन अरहर के दाम स्थिर बने हुए, जबकि घरेलू बाजार में जहां लेमन अरहर के दाम तेज हुए हैं, वहीं अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर की कीमतें कमजोर हुई। जानकारों के अनुसार अरहर दाल में ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजोर है, जिस कारण दाल मिलें केवल जरुरत के हिसाब से खरीद कर रही हैं। अगले महीने अफ्रीकी देशों से अरहर के आयात में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। ऐसे में अरहर की कीमतों में बड़ी तेजी के आसार अभी नहीं है। हालांकि उत्पादक मंडियों में देसी अरहर की आवक पहले की तुलना में काफी कम हो गई है। अत: स्टॉकिस्ट घरेलू बाजार में आयातित अरहर का बकाया स्टॉक कम बता रहे हैं, इसलिए दाम तेज करना चाहते हैं।

दिल्ली में देसी मसूर के दाम स्थिर हो गए, जबकि मुंबई में आयातित में नरमी आई। जानकारों के अनुसार ऑस्ट्रेलिया और कनाडा से आयातित मसूर ज्यादा आ रही है, तथा इसके दाम नीचे बने हुए हैं। आयातित मसूर का बकाया स्टॉक बंदरगाह पर ज्यादा है तथा इसकी क्वालिटी भी हल्की है। हालांकि मसूर दाल में खपत राज्यों मांग अगले महीने बढ़ने की उम्मीद है। इसलिए आगामी दिनों में मसूर के भाव में हल्का सुधार बन सकता है, लेकिन अभी बड़ी तेजी के आसार कम है।

दाल मिलों की मांग बढ़ने से दिल्ली में चना के दाम तेज हुए हैं। जानकारों के अनुसार नेफेड केंद्रीय पूल से चना उंचे दाम पर बेच रही है साथ ही अगस्त से त्योहारी सीजन शुरू होगा, जिस कारण आगामी दिनों में चना दाल एवं बेसन की मांग में सुधार आयेगा। इसलिए चना की कीमतों में हल्का सुधार और भी बन सकता है, हालांकि बड़ी तेजी के आसार नहीं है। वैसे भी स्टॉकिस्ट दाम घटाकर चना की बिकवाली नहीं कर रहे हैं।

मूंग की कीमतें तेज हुई है। व्यापारियों के अनुसार पंजाब और हरियाणा में बाढ़ से मूंग की फसल को भारी नुकसान हुआ है, तथा मूंग के उत्पादक राज्यों में मौसम अभी भी खराब बना है। इसलिए इसके भाव में हल्का सुधार और भी बन सकता है। हालांकि चालू समर सीजन में मूंग का उत्पादन अनुमान ज्यादा है। इसलिए इसकी कीमतों में अभी बड़ी तेजी मानकर व्यापार नहीं करना चाहिए। वैसे मूंग दाल में मांग कमजोर है।

दिल्ली में उड़द एसक्यू के दाम 75 रुपये तेज होकर भाव 8850 से 8900 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान एफएक्यू उड़द की कीमतें तेज होकर दाम 8300 से 8325 रुपये प्रति क्विंटल हो गई।

चेन्नई में उड़द एसक्यू के गोडाउन के दाम 75 रुपये तेज होकर भाव 8475 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान एफएक्यू उड़द की कीमतें 75 रुपये बढ़कर 7925 रुपये प्रति क्विंटल बोली गई।

मुंबई में उड़द एफएक्यू के दाम 50 रुपये तेज होकर भाव 7950 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

चेन्नई में लेमन अरहर के दाम 50 रुपये तेज होकर भाव 9,850 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

मुंबई में लेमन अरहर के दाम 75 रुपये बढ़कर 9,925 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

मुंबई में अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर के दाम कमजोर हुए। मोजाम्बिक की सफेद अरहर के भाव 50 रुपये घटकर दाम 8650 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान मोजाम्बिक लाइन की गजरी अरहर की कीमतें 50 रुपये नरम होकर 8550 रुपये प्रति क्विंटल रह गई। मलावी से आयातित अरहर के भाव 8500 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। सूडान से आयातित अरहर के दाम 10,150 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

दाल मिलों की सीमित मांग से मध्य प्रदेश की मसूर के दाम दिल्ली में 6050 से 6075 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

कनाडा की मसूर की कीमतें कंटेनर में 25 रुपये नरम हो दाम 5825 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। ऑस्ट्रेलिया की मसूर की कीमतें कंटेनर में 25 रुपये घटकर 5875 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर आ गई। ऑस्ट्रेलिया की मसूर की कीमतें वैसल में 5625 से 5650 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही। हजिरा बंदरगाह पर कनाडा की मसूर के भाव 5600 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। इस दौरान मुंद्रा बंदरगाह पर कनाडा की मसूर के दाम 5500 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

दिल्ली में राजस्थान के चना के भाव 35 रुपये तेज होकर दाम 5225 से 5235 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान मध्य प्रदेश के चना के भाव भी 35 रुपये बढ़कर 5225 से 5235 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

राजस्थान लाईन की मूंग की कीमतें दिल्ली में तेज होकर 7800 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। इस दौरान जयपुर मूंग के बिल्टी दाम 6800 से 7800 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इंदौर में बोल्ड मूंग के भाव 100 रुपये बढ़कर 7800 से 8500 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।