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11 जून 2022

मिलों की कमजोर मांग से दालों में गिरावट, मानसून के आगे बढ़ने की स्थितियां अनुकूल

नई दिल्ली। मानसून के आगे बढ़ने के लिए स्थितियां अनुकूल होने के कारण दलहन में मिलों की खरीद दूसरे दिन भी कमजोर बनी रही, जिससे घरेलू बाजार में आयातित के साथ ही देसी दालों की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। व्यापारियों के अनुसार हाजिर बाजार में नकदी की किल्लत होने के कारण दालों में थोक के साथ ही खुदरा में मांग सामान्य की तुलना में कमजोर है, जिस कारण इनकी कीमतोें में अभी बड़ी तेजी के आसार नहीं है।

जानकारों के अनुसार केंद्र सरकार हर सप्ताह दालों की कीमतों की समीक्षा कर रही है, जिस कारण मिलर्स केवल जरुरत के हिसाब से ही खरीद करे रहे हैं। वैसे भी पिछले दिनों दालों की कीमतों में आई गिरावट से आयातकों को भी नुकसान उठाना पड़ा था। यही कारण है कि इस समय आयातक नए आयात सौदे भी सीमित मात्रा में ही कर रहे हैं। डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार कमजोर हो रहा है, जिससे अरहर और उड़द के साथ ही मसूर के आयात पड़ते महंगे हो रहे हैं। डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होकर 77.82 के स्तर पर आ गया।

हाल ही में साबुत दालों की कीमतें तो तेज हुई थी, लेकिन इसके मुकाबले प्रसंस्कृत दालों के दारम नहीं बढ़ पाये। सरकारी नीतियों के कारण पिछले कई सालों से स्टॉकिस्टों एवं दाल मिलों को नुकसान उठाना पड़ा है, इसलिए भी मिलर्स दालों की खरीद में सावधानी बरत रहे हैं।

व्यापारियों के अनुसार घरेलू बाजार में आयातित के साथ ही देसी अरहर और उड़द का बकाया स्टॉक अच्छा है, जबकि अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर के दाम अभी नीचे बने हुए हैं, तथा आगे इन देशों से आयात भी बढ़ेगा। हालांकि बर्मा से आयात महंगा है, इसलिए इनके भाव में हल्का सुधार तो बन सकता है लेकिन अभी बड़ी तेजी के आसार नहीं है।

भारतयी मौसम विभाग के अनुसार पूर्व-मध्य अरब सागर के ऊपर एक साइक्लोनिक सर्कुलेशन पहले ही बन चुका है तथा यह मॉनसून को आगे बढ़ाने में मदद करेगा। मॉनसून फेज में चलता है। कभी गति धीमी होती है तो कभी यह बहुत तेजी से आगे बढ़ता है। यदि मॉनसून धीमी गति से आगे बढ़ रहा है तो इसका मतलब यह नहीं है कि यह कमजोर हो गया। अगले दो दिनों के दौरान महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और पश्चिम-मध्य और उत्तर-पश्चिम बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों में मॉनसून के आगे बढ़ने के लिए स्थितियां अनुकूल है।

दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर के भाव 100 रुपये कमजोर होकर 6,500 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दिल्ली डिलीवरी के लिए महाराष्ट्र की नांदेड़ लाईन की पुराने और नई अरहर के भाव में 100-100 रुपये की गिरावट आकर दाम क्रमशः 6,300 रुपये और 6,400 से 6,500 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

चेन्नई में, बर्मा की लेमन अरहर के भाव में 75 रुपये की गिरावट आकर दाम 6,100 से 6,125 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मिलों की सीमित मांग से मुंबई में बर्मा की लेमन अरहर के भाव 6,150 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

इस दौरान मुंबई में अफ्रीकी लाईन की अरहर के भाव नरम हो गए। तंजानिया की अरुषा अरहर और मलावी अरहर के भाव में 50-50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 5,500 रुपये और 5,000 से 5,050 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। हालांकि इस दौरान मटवारा अरहर के दाम 5,400 रुपये और मोजाम्बिक लाईन की गजरी अरहर की कीमतें 5,450 से 5,500 रुपये प्रति क्विंटल के पूर्व स्तर पर स्थिर बनी रही।

चेन्नई में दाम कमजोर होने से दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू और एफएक्यू के भाव में 75-75 रुपये की गिरावट आकर दाम क्रमश: 7,800 से 7,825 रुपये और 7,200 से 7,225 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।  

आंध्र प्रदेश लाईन की नई उड़द का दिल्ली के लिए व्यापार 7,300 रुपये प्रति क्विंटल की पूर्व दर पर हुआ।

मुंबई में बर्मा उड़द एफएक्यू की कीमतों में 50 रुपये की गिरावट आकर भाव 6,950 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से दिल्ली में कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर के भाव में 50-50 रुपये की गिरावट आकर भाव 7,075-7,075 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

कनाडा एवं आस्ट्रलियाई मसूर के भाव कंटेनर में स्थिर बने रहे। कनाडा की मसूर के भाव कंटेनर में 7,250 रुपये और आस्ट्रेलियाई मसूर के भाव 7,300 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

इंदौर में मसूर के बिल्टी भाव में 25 रुपये की नरमी आकर दाम 6,800 से 6,825 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मूंग के भाव इंदौर मंडी में बिल्टी के 200 रुपये घटकर 6,300 से 6,400 रुपये और एवरेज मालों के भाव 200 रुपये कम होकर 5,400 से 5,800 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर आ गए।

दिल्ली में राजस्थान चना की कीमतों में 75 रुपये का मंदा आकर भाव 4,850 से 4,875 रुपये और मध्य प्रदेश के चना के दाम 50 रुपये कमजोर होकर 4,800 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

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