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02 जून 2022

विदेशी बाजार में आई गिरावट से कॉटन मंदी, मिलों की कमजोर मांग से और घटेंगे भाव

नई दिल्ली। स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने से कॉटन की कीमतों में बुधवार को भी गिरावट जारी रही। देशभर की अधिकांश छोटी मिलों ने जहां उत्पादन बंद कर दिया है, वहीं बड़ी मिलें भी उत्पादन में कटौती कर रही हैं, इसलिए आगे मौजूदा कीमतों में और भी मंदा आयेगा। देशभर की उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवक घटकर 11,000 से 12,000 गांठ, एक गांठ-170 किलो की ही रह गई। गुजरात में शंकर 6 किस्म की 29 एमएम कॉटन की कीमतों में 500 रुपये की गिरावट आकर भाव 98,500 से 1,00,500 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो रह गए।


उधर विदेशी बाजार में कॉटन की कीमतों में नरमी बनी हुई है। विदेशी बाजार में मंगलवार को कॉटन की कीमतों में लगातार तीसरे कार्यदिवस में गिरावट दर्ज की गई। आईसीई कॉटन के जुलाई वायदा अनुबंध में 44 प्वांइट की गिरावट आकर भाव 138.98 सेंट पर बंद हुए, जबकि दिसंबर वायदा अनुबंध में 50 प्वांइट की गिरावट आकर भाव 122.45 सेंट रह गए। मार्च-2023 वायदा अनुबंध में 56 प्वांइट की नरमी आकर भाव 118.17 सेंट रह गए। बुधवार को आईसीई के इलेक्ट्रानिक ट्रेडिंग में भी कॉटन वायदा की कीमतों में गिरावट देखी गई।

सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार ने शून्य शुल्क पर कपास के आयात की अवधि को 31 दिसंबर 2022 तक बढ़ाने का फैसला किया है, इससे नए आयात सौदे होने की संभावना बढ़ गई है। पहले शून्य शुल्क पर कपास के आयात की अवधि 30 सितंबर 2022 तक ही थी, जिस कारण आयातक ज्यादा मात्रा में आयात सौदे नहीं कर रहे थे, क्योंकि आयात सौदें होने के बाद शिपमेंट भारतीय बंदरगाह पर आने में करीब तीन से चार महीने का समय लग जाता है। वैसे भी पिछले दिनों जिस अनुपात में कॉटन की कीमतों में तेजी थी, उसके हिसाब से धागे की कीमतें नहीं बढ़ पाई, जिस कारण मिलों को पड़ते भी नहीं लग रहे हैं। इसलिए मिलों की खरीद अभी कमजोर ही बनी रहने की उम्मीद है।

व्यापारियों के अनुसार घरेलू बाजार में आगे कॉटन की कीमतों में मंदा तो आयेगा, लेकिन एकदम से बड़ी गिरावट के आसार भी नहीं है। चालू सीजन में देशभर में कपास के उत्पादन अनुमान में आई कमी के कारण जहां स्पिनिंग मिलों के पास औसतन महीने से सवा महीने की खपत की ही कॉटन का बकाया स्टॉक बचा हुआ है, वहीं सीसीआई, महाराष्ट्र फैडरेशन और अन्य एमएनसी कपंनियों के पास भी कॉटन का बकाया स्टॉक सीमित मात्रा में ही है। कपास की नई फसल की आवक सितंबर, अक्टूबर में बनेगी, लेकिन बकाया स्टॉक नहीं होने के कारण मिलों की मांग भी बढ़ेगी।

देशभर की उत्पादक मंडियों में कॉटन की दैनिक आवक घटकर 11 से 12 हजार गांठ की रह गई है, जबकि जिनर्स भी दाम घटाकर गांठों की बिकवाली नहीं कर रहे हैं। वैसे भी इस समय जो कपास मंडियों में आ रही है, उसकी क्वालिटी भी काफी हल्की है, जिस कारण मिलों को डिस्पैरिटी का सामना करना पड़ रहा है।

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