आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2016-17 में देश में खाद्यान्न की रिकार्ड पैदावार 27.19 करोड़ टन होने के आरंभिक अनुमान से जहां केंद्र सरकार की बांछे खिली हुई हैं, वहीं किसानों को फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) भी नहीं मिलने से कर्जे का बोझ और बढ़ रहा है। उत्पादक मंडियों में खरीफ दलहन अरहर और मूंग के साथ ही तिलहनी फसलों सोयाबीन और मूंगफली के भाव एमएसपी से नीचे बने हुए हैं जबकि रबी दलहन की आवक बनने से पहले ही मसूर के भाव घट गए हैं। रबी तिलहन में सरसों के भाव एमएसपी से नीचे आ गए हैं। गेहूं की फसल की आवक अभी ठीक ठंग से चालू भी नहीं हुई है कि इसके भाव भी एमएसपी से नीचे आ गए हैं। प्याज और आलू की हालत यह कि किसानों को सड़कों पर आलू फैंकना पड़ रहा है जबकि प्याज के किसानों को लागत भी वसूल नहीं हो रही है।
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में चालू सीजन में देश में रिकार्ड खाद्यान्न उत्पादन के लिए किसानों को खुब सराहा था, लेकिन रेडियों पर किसानों का गुणगान करने से किसानों की माली हालत में सुधार नहीं आयेगा, कम से कम फसलों का एमएसपी तो किसान को मिलें, यह सुनिश्चित करना केंद्र और राज्य सरकारों की जिम्मेदारी होनी चाहिए। केंद्र सरकार उंचे भाव में दलहन, तिलहन और गेहूं का आयात विदेशों से तो कर सकती है, लेकिन अपने किसानों को एमएसपी भी नहीं दे सकती।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू फसल सीजन 2016-17 में देश में गेहूं का रिकार्ड उत्पादन 966.4 लाख टन होने का अनुमान है, तो फिर गेहूं के आयात को अभी तक बंद क्यों नहीं किया गया है? गेहूं की नई फसल की आवक गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में ही चालू हुई है, तथा इन राज्यों की मंडियों में भाव घटकर 1,550 से 1,600 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं, जबकि केंद्र सरकार ने अप्रैल से शुरु होने वाले रबी विपणन सीजन के लिए एमएसपी 1,625 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। चालू सीजन में अभी तक करीब 41 लाख टन गेहूं का आयात हो चुका है, तथा चालू महीने में और एक से डेढ़ लाख टन गेहूं का आयात होने का अनुमान है।
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष अमित शाह एक चुनावी रैली में उत्तर प्रदेश में सरकार बनने पर किसानों को फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का वादा तो करते हैं, लेकिन महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान जहां बीजेपी की ही सरकारें है वहां के किसानों को अरहर, मूंग, मसूर, सरसों, गेहूं और मूंगफली का बिक्री एमएसपी से नीचे करनी पड़ रही है। हालांकि केंद्र सरकार अरहर, मूंग और मूंगफली की एमएसपी पर खरीद नेफैड, भारतीय खाद्य निगम और एसएफएसी के माध्यम से कर रही है लेकिन खरीद नामामात्र की ही हो रही है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू फसल सीजन 2016-17 में रिकार्ड 221.4 लाख टन दलहन की पैदावार होने का अनुमान है जबकि अभी सरकारी एजेंसियों ने एमएसपी पर केवल 7 लाख टन दलहन की खरीद ही की है, इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उत्पादन के मुकाबले खरीद की स्थिति क्या है।
खरीफ विपणन सीजन 2016-17 के लिए केंद्र सरकार ने मूंग का एमएसपी (5,225 रुपये प्रति क्विंटल बोनस सहित) तय किया हुआ है जबकि उत्पादक राज्यों की मंडियों में मूंग 4,100 से 4,600 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है। इसी तरह से अरहर का एमएसपी (5,050 रुपये प्रति क्विंटल बोनस सहित) तय किया हुआ है लेकिन उत्पादक मंडियों में अरहर 3,700 से 4,400 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है।..........आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2016-17 में देश में खाद्यान्न की रिकार्ड पैदावार 27.19 करोड़ टन होने के आरंभिक अनुमान से जहां केंद्र सरकार की बांछे खिली हुई हैं, वहीं किसानों को फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) भी नहीं मिलने से कर्जे का बोझ और बढ़ रहा है। उत्पादक मंडियों में खरीफ दलहन अरहर और मूंग के साथ ही तिलहनी फसलों सोयाबीन और मूंगफली के भाव एमएसपी से नीचे बने हुए हैं जबकि रबी दलहन की आवक बनने से पहले ही मसूर के भाव घट गए हैं। रबी तिलहन में सरसों के भाव एमएसपी से नीचे आ गए हैं। गेहूं की फसल की आवक अभी ठीक ठंग से चालू भी नहीं हुई है कि इसके भाव भी एमएसपी से नीचे आ गए हैं। प्याज और आलू की हालत यह कि किसानों को सड़कों पर आलू फैंकना पड़ रहा है जबकि प्याज के किसानों को लागत भी वसूल नहीं हो रही है।
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में चालू सीजन में देश में रिकार्ड खाद्यान्न उत्पादन के लिए किसानों को खुब सराहा था, लेकिन रेडियों पर किसानों का गुणगान करने से किसानों की माली हालत में सुधार नहीं आयेगा, कम से कम फसलों का एमएसपी तो किसान को मिलें, यह सुनिश्चित करना केंद्र और राज्य सरकारों की जिम्मेदारी होनी चाहिए। केंद्र सरकार उंचे भाव में दलहन, तिलहन और गेहूं का आयात विदेशों से तो कर सकती है, लेकिन अपने किसानों को एमएसपी भी नहीं दे सकती।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू फसल सीजन 2016-17 में देश में गेहूं का रिकार्ड उत्पादन 966.4 लाख टन होने का अनुमान है, तो फिर गेहूं के आयात को अभी तक बंद क्यों नहीं किया गया है? गेहूं की नई फसल की आवक गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में ही चालू हुई है, तथा इन राज्यों की मंडियों में भाव घटकर 1,550 से 1,600 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं, जबकि केंद्र सरकार ने अप्रैल से शुरु होने वाले रबी विपणन सीजन के लिए एमएसपी 1,625 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। चालू सीजन में अभी तक करीब 41 लाख टन गेहूं का आयात हो चुका है, तथा चालू महीने में और एक से डेढ़ लाख टन गेहूं का आयात होने का अनुमान है।
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष अमित शाह एक चुनावी रैली में उत्तर प्रदेश में सरकार बनने पर किसानों को फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का वादा तो करते हैं, लेकिन महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान जहां बीजेपी की ही सरकारें है वहां के किसानों को अरहर, मूंग, मसूर, सरसों, गेहूं और मूंगफली का बिक्री एमएसपी से नीचे करनी पड़ रही है। हालांकि केंद्र सरकार अरहर, मूंग और मूंगफली की एमएसपी पर खरीद नेफैड, भारतीय खाद्य निगम और एसएफएसी के माध्यम से कर रही है लेकिन खरीद नामामात्र की ही हो रही है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू फसल सीजन 2016-17 में रिकार्ड 221.4 लाख टन दलहन की पैदावार होने का अनुमान है जबकि अभी सरकारी एजेंसियों ने एमएसपी पर केवल 7 लाख टन दलहन की खरीद ही की है, इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उत्पादन के मुकाबले खरीद की स्थिति क्या है।
खरीफ विपणन सीजन 2016-17 के लिए केंद्र सरकार ने मूंग का एमएसपी (5,225 रुपये प्रति क्विंटल बोनस सहित) तय किया हुआ है जबकि उत्पादक राज्यों की मंडियों में मूंग 4,100 से 4,600 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है। इसी तरह से अरहर का एमएसपी (5,050 रुपये प्रति क्विंटल बोनस सहित) तय किया हुआ है लेकिन उत्पादक मंडियों में अरहर 3,700 से 4,400 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है।..........आर एस राणा
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