भले ही आस्ट्रेलियाई मौसम ब्यूरो (एडब्ल्यूबी) ने 2017 के
लिए अल नीनो पर अपने नजरिये में बदलाव किया है लेकिन भारतीय मौसम विभाग
(आईएमडी) ने कहा है कि कम बारिश के लिए चर्चित इस आपदा से भारत के
दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की रफ्तार प्रभावित नहीं होगी। आईएमडी के महानिदेशक
के जे रमेश ने बताया, 'दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की
शुरुआत मार्च से ही हो जाती है और इस समय के दौरान और उसके बाद मई तक भी
अल नीनो का प्रभाव नहीं दिखेगा। इसलिए, दक्षिण पश्चिम मॉनसून की चाल पर
इसका कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं दिखेगा।'
रमेश ने कहा कि भले ही वैश्विक मॉडल और विदेशी मौसम एजेंसियां यह भविष्यवाणी कर रही हैं कि अल नीनो जून के आसपास (जब भारतीय मॉनसून सीजन शुरू होता है) दिख सकता है, लेकिन अल नीनो के अलावा कई अन्य समस्याएं भी हैं जो दक्षिण पश्चिम मॉनसून को प्रभावित करती हैं। उन्होंने कहा, 'कई ऐसे कारक हैं जो मॉनसून के दौरान बारिश को प्रभावित करते हैं जिनमें इंडियन ओशन डाईपोल (आईओडी), मैडन जूलियन ऑसिलेशन, पश्चिमी विक्षोभ आदि शामिल हैं और अल नीनो इनमें से एक है। इसलिए निश्चित तौर पर यह नहीं कहा जा सकता कि इसका मॉनसून पर कोई प्रभाव पड़ेगा।'
अल नीनो का भारतीय बारिश पर बड़ा प्रभाव पड़ता है और देश में अल नीनो वाले 80 प्रतिशत वर्षों के दौरान बारिश सामान्य से कम दर्ज की गई जबकि 60 प्रतिशत मौकों को सूखे वाले वर्ष के तौर पर घोषित किया गया। कुछ सप्ताह पहले तक, कई मौसम विशेषज्ञों ने अल नीनो के 50 प्रतिशत से कम पर रहने की भविष्यवाणी जताई जबकि वल्र्ड मेटियोरोलॉजिकल ऑर्गेनाइजेशन ने यह अनुमान 40 फीसदी बताया, लेकिन हरेक गुजरते सप्ताह के साथ अल नीनो की आशंका अधिक चिंताजनक होती जा रही है।
आस्ट्रेलियाई मौसम ब्यूरो ने अपनी नियमित जानकारी में कहा है, 'इसके परिणामस्वरूप, ब्यूरो के ईएनएसओ आउटलुक स्टेटस को अपग्रेड कर अल नीनो वॉच कर दिया गया है जिसका मतलब है कि 2017 में अल नीनो बनने की आशंका लगभग 50 प्रतिशत है।' ब्यूरो द्वारा किए गए सर्वे में आठ अंतर्राष्ट्रीय मॉडलों में से सात अगले 6 महीनों के दौरान मध्य उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में तेज गर्मी का संकेत दे रहे हैं। 6 मॉडलों से यह संकेत मिलता है कि अल नीनो जुलाई 2017 तक दस्तक दे सकता है। आईएमडी ने कहा है कि अप्रैल के आसपास की जाने वाली उसकी पहली भविष्यवाणी में स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो जाएगी। (BS Hindi)
रमेश ने कहा कि भले ही वैश्विक मॉडल और विदेशी मौसम एजेंसियां यह भविष्यवाणी कर रही हैं कि अल नीनो जून के आसपास (जब भारतीय मॉनसून सीजन शुरू होता है) दिख सकता है, लेकिन अल नीनो के अलावा कई अन्य समस्याएं भी हैं जो दक्षिण पश्चिम मॉनसून को प्रभावित करती हैं। उन्होंने कहा, 'कई ऐसे कारक हैं जो मॉनसून के दौरान बारिश को प्रभावित करते हैं जिनमें इंडियन ओशन डाईपोल (आईओडी), मैडन जूलियन ऑसिलेशन, पश्चिमी विक्षोभ आदि शामिल हैं और अल नीनो इनमें से एक है। इसलिए निश्चित तौर पर यह नहीं कहा जा सकता कि इसका मॉनसून पर कोई प्रभाव पड़ेगा।'
अल नीनो का भारतीय बारिश पर बड़ा प्रभाव पड़ता है और देश में अल नीनो वाले 80 प्रतिशत वर्षों के दौरान बारिश सामान्य से कम दर्ज की गई जबकि 60 प्रतिशत मौकों को सूखे वाले वर्ष के तौर पर घोषित किया गया। कुछ सप्ताह पहले तक, कई मौसम विशेषज्ञों ने अल नीनो के 50 प्रतिशत से कम पर रहने की भविष्यवाणी जताई जबकि वल्र्ड मेटियोरोलॉजिकल ऑर्गेनाइजेशन ने यह अनुमान 40 फीसदी बताया, लेकिन हरेक गुजरते सप्ताह के साथ अल नीनो की आशंका अधिक चिंताजनक होती जा रही है।
आस्ट्रेलियाई मौसम ब्यूरो ने अपनी नियमित जानकारी में कहा है, 'इसके परिणामस्वरूप, ब्यूरो के ईएनएसओ आउटलुक स्टेटस को अपग्रेड कर अल नीनो वॉच कर दिया गया है जिसका मतलब है कि 2017 में अल नीनो बनने की आशंका लगभग 50 प्रतिशत है।' ब्यूरो द्वारा किए गए सर्वे में आठ अंतर्राष्ट्रीय मॉडलों में से सात अगले 6 महीनों के दौरान मध्य उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में तेज गर्मी का संकेत दे रहे हैं। 6 मॉडलों से यह संकेत मिलता है कि अल नीनो जुलाई 2017 तक दस्तक दे सकता है। आईएमडी ने कहा है कि अप्रैल के आसपास की जाने वाली उसकी पहली भविष्यवाणी में स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो जाएगी। (BS Hindi)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें