20 नवंबर 2012
तंबाकू की कीमतों में तेजी
इस साल तंबाकू किसानों को भारी मुनाफा मिल रहा है। फ्लू क्योर्ड वर्जीनिया टोबैको (एफसीवी) की कीमत कर्नाटक नीलामी में बढ़कर 145 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई है जबकि पिछले साल राज्य में पंजीकृत 42,000 तंबाकू किसानों को अधिकतम कीमत 125 रुपये प्रति किलोग्राम मिली थी।
तंबाकू बोर्ड के चेयरमैन जी कमल वर्धन राव के अनुसार आने वाले दिनों में कीमतें और बढ़ सकती है। इसकी वजह भारतीय तंबाकू की मांग अचानक बढऩा है। प्रमुख उत्पादक देशों जैसे ब्राजील और तंजानिया में तंबाकू उत्पादन घटने से भारतीय तंबाकू की मांग बढ़ी है। ब्राजीलिया एफसीवी फसल का उत्पादन इस बार करीब 58.7 करोड़ किलोग्राम रहने की संभावना है, जो 2011 के 70.8 करोड़ किलोग्राम से 20 फीसदी कम है। इसी तरह तंजानिया में 2012 में इसका उत्पादन करीब 9 करोड़ किलोग्राम रहने की संभावना है, जो पिछले साल के 12.2 करोड़ किलोग्राम उत्पादन से 3.2 करोड़ किलोग्राम कम है। कम बारिश और ऊंचे तापमान की वजह से इन दो देशों में फसल की गुणवत्ता और उत्पादन प्रभावित हुआ है। भारत में भी उत्पादन घटने की संभावना है। हाल में आए नीलम तूफान के कारण हुई लगातार बारिश का फसल पर असर पड़ा है। इसके चलते आंध्र प्रदेश में केवल उत्तरी
हल्की मिट्टी (एनएलएस) को छोड़कर ज्यादातर निम्न गुणवत्ता वाली तंबाकू का उत्पादन होगा। एनएलएस में गुणवत्ता अच्छी बताई जा रही है। राव ने कहा कि आंध्र प्रदेश में उत्पादन 50 लाख किलोग्राम से ज्यादा नहीं गिरेगा। तंबाकू उत्पादन का नियमन करने वाले बोर्ड ने चालू वित्त वर्ष में आंध्र प्रदेश में 17 करोड़ किलोग्राम तंबाकू उत्पादन निर्धारित किया है। आंध्र प्रदेश का उत्तरी हल्की मिट्टी वाला क्षेत्र देश में सबसे बेहतर गुणवत्ता वाली एफसीवी तंबाकू के लिए जाना जाता है। पिछले साल इस तंबाकू की अधिकतम कीमत 150 रुपये प्रति किलोग्राम रही थी।
कर्नाटक के लिए तंबाकू उत्पादन 10 करोड़ किलोग्राम तय किया गया है। राज्य में तंबाकू की नीलामी शुरू हो चुकी है जो ïफरवरी तक चलेगी, क्योंकि एक दिन में 1,000 गांठ ( करीब एक लाख किलोग्राम) से ज्यादा तंबाकू की बिक्री नहीं की जा सकती। कर्नाटक में वर्ष 2011 की नीलामी 10 अप्रैल, 2012 को समाप्त हुई थी। ïïवहीं, जून 2012 के अंत में कथित रूप से करीब 1.5 करोड़ किलोग्राम तंबाकू का स्टॉक इन दो राज्यों के कारोबारियों के पास था। तंबाकू विशेषज्ञों के मुताबिक कम उत्पादन और मजबूत कीमतों से स्टॉक चालू वर्ष में खप जाने की संभावना है। (BS Hindi)
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