15 नवंबर 2012
काली मिर्च के निर्यात बाजार में भारत गंवा रहा है अपना आधार
काली मिर्च के वैश्विक निर्यात बाजार में भारत की स्थिति कमजोर हुई है और यह वियतनाम, इंडोनेशिया, ब्राजील और मलयेशिया के बाद पांचवें स्थान पर आ गया है। मौजूदा वर्ष के लिए इंटरनैशनल पेपर कम्युनिटी (आईपीसी) के अनुमान में ये बातें कही गई हैं। दो दशक पहले तक भारत विश्व में अग्रणी निर्यातक देश था और अब वस्तुत: यह देश वैश्विक बाजार से बाहर हो गया है क्योंकि साल 2012 में यहां से महज 17,500 टन काली मिर्च के निर्यात का अनुमान है जबकि वियतनाम से 1,08,000 टन, इंडोनेशिया से 53,000 टन, ब्राजील से 27,500 टन और मलयेशिया से 20,000 टन काली मिर्च का निर्यात हो सकता है। अब आईपीसी का एकमात्र सदस्य श्रीलंका ही भारत से पीछे है। इंडोनेशिया और ब्राजील ने निर्यात बाजार में जिस तरह से जोश दिखाया है, वह काबिलेतारीफ है क्योंकि 3 साल पहले ये देश भारत से काफी पीछे थे। आईपीसी के आंकड़ों के मुताबिक, दिलचस्प रूप से साल 2011 में भारत चौथे पायदान पर था।
पिछले 2-3 सालों में भारत की तरफ से पेश काली मिर्च के ऊंचे भाव के चलते यह देश वैश्विक कारोबार से बाहर हो गया है। इन तीन सालों के ज्यादातर सीजन में भारतीय काली मिर्च की कीमतें बाकी उत्पादक देशों के मुकाबले 1,000 डॉलर प्रति टन ज्यादा थीं। सैकड़ों वर्षों से भारतीय काली मिर्च अपनी गुणवत्ता के लिए मशहूर थीं, लेकिन अब यह श्रीलंका समेत दूसरे देशों की तरफ से पेश उत्पाद की गुणवत्ता का मुकाबला नहीं कर पा रहा है।
श्रीलंका भी भारत के मुकाबले बेहतर काली मिर्च पेश कर रहा है। वियतनाम एएसटीए किस्म की काली मिर्च भरपूर मात्रा में भारत के मुकाबले कम कीमत पर पेश कर रहा है, जो भारतीय मालाबार गारबल्ड किस्म के समान है। ऐसे में भारत ने ईयू व अमेरिका में अपना पारंपरिक बाजार गंवा दिया है। मौजूदा वर्ष में जनवरी-अक्टूबर के दौरान देश से काली मिर्च का निर्यात वियतनाम के निर्यात के मुकाबले महज 16 फीसदी रहा। वियतनाम विश्व का सबसे बड़ा उत्पादक व निर्यातक देश है। वियतनाम ने कुल 1,02,759 टन काली मिर्च (काली व सफेद दोनों) का निर्यात किया जबकि भारत से महज 16,000 टन का निर्यात हुआ। साल 2011 में जनवरी-अक्टूबर के दौरान भारत से 20,000 टन का निर्यात हुआ था और अब यह करीब 4,000 टन कम है, जो वैश्विक बाजार में भारत की स्थिति के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहा है।
वियतनाम ने 88,435 टन काली मिर्च व 14,324 टन सफेद मिर्च का निर्यात किया। निर्यात की यह मात्रा पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले करीब 7.4 फीसदी कम है। हालांकि निर्यात की कीमत 9.5 फीसदी बढ़कर 67.90 करोड़ डॉलर हो गई। सफेद मिर्च के निर्यात के मामले में भारत की हिस्सेदारी महज 1300 टन रही।
पिछले 10 महीनों में काली मिर्च की औसत निर्यात कीमत 6382 डॉलर प्रति टन रही जबकि सफेद मिर्च की 9229 डॉलर प्रति टन। साल 2011 की समान अवधि के मुकाबले काली मिर्च की कीमतें 1016 डॉलर प्रति टन ज्यादा और सफेद मिर्च की कीमतें 1427 डॉलर प्रति टन ज्यादा रहीं।
वियतनाम से सबसे ज्यादा आयात अमेरिका में हुआ और यह 14,226 टन था (13.8 फीसदी)। जीसीसी, जर्मनी, हॉलैंड, सिंगापुर, भारत और मिस्र भी वियतनाम से काली मिर्च के बड़े आयातक हैं। सफेद मिर्च के मामले में सबसे बड़ा आयातक जर्मनी रहा। उसके बाद हॉलैंड का स्थान था और इस मामले में अमेरिका तीसरे स्थान पर रहा।
आईपीसी के ताजा अनुमान के मुताबिक, अगले सीजन (2013) में काली मिर्च का वैश्विक उत्पादन 3,16,832 टन रहने का अनुमान है। यह पिछले साल के मुकाबले थोड़ा कम है। साल 2011 में कुल उत्पादन 3,17,750 टन रहा था। हालांकि निर्यातकों का मानना है कि अगले सीजन में उत्पादन बढ़ेगा। उनके मुताबिक कुल उत्पादन 3,59,832 टन रह सकता है। आईपीसी के अनुमान के मुताबिक, अगले साल कुल निर्यात 2,14,541 टन रहेगा, जिसमें 29,341 टन सफेद मिर्च शामिल है। निर्यात के मामले में वियतनाम पहले स्थान पर रहेगा और यहां से 85,000 टन काली मिर्च व 10,000 टन सफेद मिर्च का निर्यात होगा। भारत से 25,000 टन का निर्यात हो सकता है, जिसमें 23,200 टन काली मिर्च व 1800 टन सफेद मिर्च शामिल है। (BS Hindi)
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