19 नवंबर 2012
दिसंबर तक और बढ़ेगी चांदी की चमक
बढ़ती निवेश मांग से चांदी की कीमतें दिसंबर के अंत 12 फीसदी उछलकर 36 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच सकती हैं। वहीं, 2013 के अंत तक इसकी कीमतें 50 डॉलर का आंकड़ा छू सकती हैं। यह अनुमान लंदन की कीमती धातुओं की वैश्विक सलाहकार कंपनी थॉमसन रॉयटर्स जीएफएमस की अंतरिम रिपोर्ट 'चांदी बाजार की समीक्षा' में लगाया गया है।
इसका मतलब है कि चांदी की कीमतें भारत में चालू वित्त वर्ष के अंत तक 70,000 रुपये और अगले साल 90,000 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास पहुंच जाएंगी। इस साल की शुरुआत में सफेद धातु ने रिकॉर्ड बढ़त दर्ज की थी। शुक्रवार को यह 32.22 डॉलर प्रति औंस पर बंद हुई। इस समय मुंबई में चांदी का कारोबार करीब 61,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर हो रहा है। आने वाले समय में चांदी की दिशा तय करने में निवेश मांग की प्रमुख भूमिका होगी। इस साल बीते फरवरी महीने में चांदी उछलकर 37 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गई थी, लेकिन मार्च से मई के दौरान गिरकर 30 डॉलर प्रति औंस से नीचे आ गई। इस औद्योगिक धातु की कीमतों में गिरावट की वजह अमेरिका में कमजोर आर्थिक आंकड़े, यूरोजोन संकट और चीन में कर्ज शर्तों को कठोर करने से संबंधित चिताएं रहीं।
रिपोर्ट में इस बात के लिए सचेत किया गया है कि लघु अवधि में कीमतों में गिरावट भी देखने को मिल सकती है, क्योंकि विकसित देशों में कमजोर आर्थिक माहौल के चलते जोखिम परिसंपत्ति कही जाने वाली इस धातु से निवेशक दूरी बना सकते हैं।
थॉमसन रॉयटर्स जीएफएमएस के वैश्विक प्रमुख (धातु विश्लेषण) फिलिप क्लापविज्क के अनुसार, 'बीते मई महीने में कीमतों में गिरावट के दौरान कुछ निवेशकों ने बुरी तरह हाथ जलाए थे और इनमें से बहुत से फिर से चांदी की खरीद के अनिच्छुक हैं।' इसके बावजूद रिपोर्ट में कहा गया है कि कीमती धातुओं में बढ़ती रुचि के चलते चांदी की निवेश मांग मध्य अगस्त से फिर से बढऩे लगी है। हालांकि सलाहकार कंपनी का मानना है कि निवेश की नई लहर 2011 की शुरुआत की तुलना में छोटी है। वर्ष 2012 में लगातार 10वें साल इसके खनन उत्पादन में मामूली बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इससे चांदी के औद्योगिक उपयोग में 6 फीसदी कमी आने की संभावना है। इसकी वजह औद्योगिक विश्व में आर्थिक गतिविधियां कमजोर होना है। मितव्ययता और प्रतिस्थापन धातुओं से भी चांदी पर दबाव बना है। इस धातु के इस्तेमाल को घटाने के कार्यक्रमों से भी इसकी मांग कम हो रही है। चांदी के बर्तन और फोटोग्राफी में लगातार इसकी मांग घट रही है। (BS Hindi)
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