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10 मार्च 2019

खेती की सुरक्षा के लिए देश में फॉल आर्मीवार्म के खिलाफ एसएबीसी ने किया प्रोजेक्ट सफल लांच

आर एस राणा
नई दिल्ली देश में कृषि कीट फॉल आर्मीवार्म से खेती की रक्षा के लिए प्रोजेक्ट सफल लांच किया गया है। दक्षिण एशिया बायोटेक्नोलॉजी सेंटर (एसएबीसी) जोकि एक गैर-लाभकारी कृषि वैज्ञानिक संगठन है ने खेती और किसानों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण और बहु-वर्षीय परियोजना की शुरूआत की है।
इस परियोजना को एफएमसी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई का समर्थन प्राप्त है, जो स्थायी फसल सुरक्षा में विश्व स्तर पर अग्रणी मानी जाती है। यह कृषि मूल्य श्रृंखलाओं के प्रमुख हितधारकों के साथ मिलकर काम करेगी, जो संभवतः भारत में फॉल आर्मीवॉर्म की रोक के लिए प्रभावी हो सकते हैं। परियोजना सफल का लक्ष्य तकनीकों, अच्छी कृषि पद्धतियों और नियंत्रण उपायों के साथ-साथ विभिन्न हितधारकों के लिए शैक्षिक सामग्री के साथ नियंत्रण उपायों को विकसित करना है ताकि किसानों की तैयारियों को बढ़ाया जा सके।
फाल आर्मीवॉर्म (स्पोडोप्टेरा फ्रूगीपेर्डा) मूल रूप से अमेरिकन कीड़ा है जो दुनिया भर में आक्रामक रूप से फैल रहा है। वर्ष 2016 में अफ्रीकी कृषि में इसको पहली बार पाया गया था और उसके बाद अगस्त 2018 में भारत के कर्नाटक में मक्का की फसल में इसकी पहली उपस्थिति देखी गई। पिछले दो सत्रों, खरीफ और रबी 2018 में फॉल आर्मीवॉर्म किसानों और भारतीय खेती के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है, क्योंकि इसकी उपस्थिति से विशेष रूप से मक्का की फसल को भारी नुकसान होता है।
यह कीड़ा फसल के शुरू में ही करता है हमला
यह फसल पर शुरूआती चरणों में ही हमला कर देता है और बड़े पैमाने पर आक्रामक व्यवहार तथा उच्च प्रजन्न क्षमता के कारण फसल पर ज्यादा प्रभाव डालता है। विशेष रूप से, फॉल आर्मीवॉर्म कई स्थानीए फसलों पर हमला करता है जैसे स्वीट कॉर्न, बेबी कॉर्न, मक्का, गन्ना और ज्वार के साथ ही कई अन्य महत्वपूर्ण खाद्यान्न फसलों को प्रभावित कर सकता है। कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, बिहार, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में इस कीट के मिलने की सूचना मिली है।
छोटे किसानों की आमदनी होती है प्रभावित
फॉल आर्मीवॉर्म के प्रभाव के कारण छोटे किसानों की फसल की उत्पादन लागत बढ़ जाती है, जबकि उत्पादकता में कमी आती है जिस कारण किसानों की आमदनी प्रभावित होती है। इसलिए यह कीड़ा भारतीय खेती के लिए एक बड़ा खतरा है। एसएबीसी के अध्यक्ष डॉ. सीडी माई ने कहा कि छोटे किसानों की भागीदारी के माध्यम से कपास में पिंक बॉलवर्म से निपटने के व्यावहारिक अनुभवों का पता लगाया जाएगा और फॉल आर्मीवॉर्म के खतरे को दूर करने के लिए उपाए ढूंडे जाएगें। हाल के दिनों में, मुख्य हितधारकों के सहयोग से एसएबीसी ने महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में पिंक बॉलवर्म पर अभियान को सफलतापूर्वक लागू किया।
एफएमसी फॉल आर्मीवॉर्म के खिलाफ लड़ाई में करेगा सहयोग
भारत में फसल सुरक्षा उद्योग में अग्रणी एफएमसी इंडिया स्थायी कृषि और आईपीएम को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता के तहत फॉल आर्मीवॉर्म के खिलाफ लड़ाई को समर्थन देने और प्रायोजित करने के लिए आगे आया है। एफएमसी इंडिया के अध्यक्ष प्रमोद थोटा ने कहा कि हम एफएमसी पर सही मायने में भारतीय किसानों को कृषि को टिकाऊ बनाने में मदद करने के लिए सही उपकरण और प्रौद्योगिकियों के साथ समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सहायक परियोजना सफल किसानों की आजीविका के लिए महत्वपूर्ण है, जो कि एफएमसी का सबसे महत्वपूर्ण काम है।..........  आर एस राणा

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