नई दिल्ली। केंद्र सरकार चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी के साथ ही तेल विपणन कंपनियों द्वारा इथेनॉल के खरीद मूल्य को बढ़ाने संबंधी उद्योग की मांग पर विचार करेगी।
केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग तथा उपभोक्ता मामले मंत्री प्रहलाद जोशी ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखाना संघ (एनएफसीएसएफ) द्वारा आयोजित सहकारी चीनी उद्योग सम्मेलन 2025 और राष्ट्रीय दक्षता पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि इन मुद्दों पर आने वाले समय में मंत्रियों के समूह (जीओएम) द्वारा विचार किया जाएगा।
उन्होने सहकारी चीनी मिलों द्वारा अपनी एथेनॉल उत्पादन क्षमता का विस्तार करने में किए गए महत्वपूर्ण निवेश को स्वीकार करते हुए इस बात पर जोर दिया कि, सरकार ऑफ-सीजन के दौरान इथेनॉल और बायो-सीएनजी उत्पादन को बढ़ावा देकर चीनी मिलों के साल भर के संचालन का समर्थन करने के लिए काम कर रही है। उन्होंने प्रधानमंत्री के नेतृत्व में शुरू किए गए कई प्रमुख नीतिगत सुधारों का भी उल्लेख किया, जिसमें प्रमुख रूप से इथेनॉल मिश्रण, अतिरिक्त चीनी के निर्यात की अनुमति और गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में बढ़ोतरी करना शामिल है।
उन्होंने कहा कि गन्ना पेराई सीजन 2024-25 के लिए गन्ने का 83 फीसदी भुगतान किसानों को पहले ही किया जा चुका है। इसके अलावा 10 लाख टन चीनी के निर्यात ने घरेलू कीमतों को स्थिर करने में मदद की है। चीनी के निर्यात की अनुमति से इसके दाम 3 रुपये प्रति किलो तक तेज हुए, जिसका फायदा उद्योग को मिला।
उन्होंने कहा कि भारत के विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य के लिए सहकारी संस्थाए महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। उन्होंने नीतिगत उपायों, कर प्रोत्साहन और निवेश सुविधा के माध्यम से सरकार के निरंतर समर्थन की पुष्टि की।
एनएफसीएसएफ के अध्यक्ष हर्षवर्धन पाटिल ने केंद्र सरकार से चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य, एमएसपी बढ़ाकर 40 रुपये प्रति किलो करने और इस क्षेत्र में दीर्घकालिक स्थिरता प्रदान करने तथा निवेश आकर्षित करने के लिए 10 वर्षीय नीति तैयार करने का आग्रह किया।
केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग तथा उपभोक्ता मामले मंत्री प्रहलाद जोशी ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखाना संघ (एनएफसीएसएफ) द्वारा आयोजित सहकारी चीनी उद्योग सम्मेलन 2025 और राष्ट्रीय दक्षता पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि इन मुद्दों पर आने वाले समय में मंत्रियों के समूह (जीओएम) द्वारा विचार किया जाएगा।
उन्होने सहकारी चीनी मिलों द्वारा अपनी एथेनॉल उत्पादन क्षमता का विस्तार करने में किए गए महत्वपूर्ण निवेश को स्वीकार करते हुए इस बात पर जोर दिया कि, सरकार ऑफ-सीजन के दौरान इथेनॉल और बायो-सीएनजी उत्पादन को बढ़ावा देकर चीनी मिलों के साल भर के संचालन का समर्थन करने के लिए काम कर रही है। उन्होंने प्रधानमंत्री के नेतृत्व में शुरू किए गए कई प्रमुख नीतिगत सुधारों का भी उल्लेख किया, जिसमें प्रमुख रूप से इथेनॉल मिश्रण, अतिरिक्त चीनी के निर्यात की अनुमति और गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में बढ़ोतरी करना शामिल है।
उन्होंने कहा कि गन्ना पेराई सीजन 2024-25 के लिए गन्ने का 83 फीसदी भुगतान किसानों को पहले ही किया जा चुका है। इसके अलावा 10 लाख टन चीनी के निर्यात ने घरेलू कीमतों को स्थिर करने में मदद की है। चीनी के निर्यात की अनुमति से इसके दाम 3 रुपये प्रति किलो तक तेज हुए, जिसका फायदा उद्योग को मिला।
उन्होंने कहा कि भारत के विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य के लिए सहकारी संस्थाए महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। उन्होंने नीतिगत उपायों, कर प्रोत्साहन और निवेश सुविधा के माध्यम से सरकार के निरंतर समर्थन की पुष्टि की।
एनएफसीएसएफ के अध्यक्ष हर्षवर्धन पाटिल ने केंद्र सरकार से चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य, एमएसपी बढ़ाकर 40 रुपये प्रति किलो करने और इस क्षेत्र में दीर्घकालिक स्थिरता प्रदान करने तथा निवेश आकर्षित करने के लिए 10 वर्षीय नीति तैयार करने का आग्रह किया।

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