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29 जुलाई 2025

खाद्वय मंत्रालय ने अगस्त के लिए 22.5 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया

नई दिल्ली। केंद्रीय खाद्वय एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने अगस्त 2025 के लिए 22.5 लाख टन चीनी का मासिक कोटा जारी किया है, जो कि अगस्त 2024 के दौरान जारी किए गए कोटे की तुलना में कम है।


केंद्रीय खाद्य मंत्रालय द्वारा 28 जुलाई को जारी की गई घोषणा के अनुसार अगस्त 2025 के लिए 22.5 लाख टन का कोटा जारी किया है। अगस्त 2024 में, सरकार ने घरेलू बिक्री के लिए 22 लाख टन का मासिक चीनी कोटा आवंटित किया था। जुलाई 2025 के लिए भी चीनी का कोटा 22 लाख टन का आवंटित किया गया था।

जानकारों के अनुसार, मांग बनी रहने के कारण जुलाई में चीनी की कीमतों में 100 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि देखी गई। रक्षा बंधन, कृष्ण जन्माष्टमी आदि त्योहारों के कारण अगस्त का कोटा अपेक्षित मांग से कम है, इसलिए, बाजार में चीनी की कीमतों में 100 से 150 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि होने की संभावना है। पिछले साल अगस्त में चीनी की खपत 25.20 लाख टन की हुई थी।

खरीफ फसलों की बुआई 929 लाख हेक्टेयर के पार, पिछले साल की तुलना में 4 फीसदी बढ़ी

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में फसलों की बुआई की 3.98 फीसदी बढ़कर 829.44 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 797.69 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। इस दौरान जहां कपास की बुआई में 2.25 फीसदी की कमी आई है, वहीं धान, दलहन एवं मोटे अनाजों की बुआई बढ़ी है। तिलहनी फसलों की बुआई भी पीछे चल रही है।


कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में 25 जुलाई तक देशभर के राज्यों में धान की रोपाई बढ़कर 245.13 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी रोपाई केवल 216.16 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

दलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 93.05 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 89.94 लाख हेक्टेयर में तुलना में बढ़ी है। इस दौरान अरहर की बुआई 34.90 लाख हेक्टेयर में, मूंग की बुआई 30.60 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 16.59 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले खरीफ सीजन में इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 37.99 लाख हेक्टेयर में, 26.36 लाख हेक्टेयर और 17.79 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

मोठ की बुवाई चालू खरीफ में बढ़कर 8.14 लाख हेक्टेयर में तथा अन्य दलहन की 2.67 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 5.06 और 2.60 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

चालू खरीफ सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई थोड़ी घटकर 166.89 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय 170.73 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। तिलहनी फसलों में मूंगफली की बुआई 41.17 लाख हेक्टेयर में, सोयाबीन की 116.71 लाख हेक्टेयर में तथा सनफ्लावर की 56,000 हेक्टेयर में हुई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 40.77 लाख हेक्टेयर में, 121.38 लाख हेक्टेयर में तथा 59,000 हेक्टेयर में ही हुई थी।

शीशम सीड की बुआई चालू खरीफ में 7.44 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 7.14 लाख हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है। कैस्टर सीड की बुआई 94 हजार हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 57 हजार हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।

मोटे अनाजों की बुआई बढ़कर चालू खरीफ सीजन में 160.72 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 154.97 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी। मोटे अनाजों में मक्का की 85.58 लाख हेक्टेयर में तथा बाजरा की 58.02 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 78.92 और 57.99 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। ज्वार की बुआई 12.45 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 12.34 लाख हेक्टेयर की तुलना में बढ़ी है।

चालू खरीफ में गन्ने की बुआई 55.16 लाख हेक्टेयर में और कपास की 103.15 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 54.88 लाख हेक्टेयर और 105.52 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

देश का सब्जी बीज बाजार वर्ष 2030 तक 970 मिलियन डॉलर पर पहुंचने का अनुमान

नई दिल्ली। नवाचार, अनुसंधान एवं विकास पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही नीतिगत सुधारों के बल पर देश को 2030 तक 970 मिलियन डॉलर के सब्जी बीज केंद्र में बदला जा सकता है।


वर्ष 2024 में 8.45 बिलियन डॉलर के मूल्य वाला वैश्विक सब्जी बीज बाजार तेजी से विस्तार कर रहा है और विशेषज्ञों का मानना है कि भारत इसका अगला प्रमुख केंद्र बनने की अच्छी स्थिति में है, बशर्ते सही नीतियां बनाई जाएं और प्रभावी ढंग से उन्हें लागू किया जाएं।

सरकार द्वारा सब्जियों और फलों के लिए अपने व्यापक कार्यक्रम के माध्यम से बागवानी क्षेत्र पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। एक राष्ट्रीय सम्मेलन में विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर देकर कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) को मजबूत करने और जैव प्रौद्योगिकी के उपयोग के साथ-साथ नीतिगत समर्थन प्रदान करने से भारतीय सब्जी बीज बाजार 2023-24 के 740 मिलियन डॉलर से बढ़कर 2030 तक 970 मिलियन डॉलर का हो सकता है, जो कि 4.6 फीसदी की वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ रहा है।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के कृषि आयुक्त डॉ. पी के सिंह ने कहा कि बागवानी, विशेष रूप से सब्जी उत्पादन में भारत की वृद्धि, समृद्ध जर्मप्लाज्म, विविध उत्पादन परिस्थितियों, अनुसंधान एवं विकास नवाचारों और निजी एवं सार्वजनिक संस्थानों द्वारा किए गए रणनीतिक निवेश से जुड़ी है। उन्होंने आगे कहा कि बीज क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास, संकर बीजों को अपनाने और विज्ञान-आधारित बीज उद्योग की ओर रुझानों के कारण बागवानी हाशिये से मुख्यधारा में आ गई है। फिर भी हमारी वैश्विक क्षमता का अभी भी काफी हद तक दोहन नहीं हुआ है।

भारतीय बीज उद्योग महासंघ (एफएसआईआई) द्वारा शुक्रवार को राजधानी में आयोजित 'भारत को वैश्विक बीज केंद्र बनाने में सब्जी बीज क्षेत्र की भूमिका' नामक राष्ट्रीय सम्मेलन में वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों, कृषि वैज्ञानिकों, बीज उद्योग के नेताओं और नीति निर्माताओं ने नियामक बाधाओं और देश की निर्यात क्षमता को उजागर करने के तरीकों पर विचार-विमर्श किया।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव (बीज) अजीत कुमार साहू ने कहा कि भारत का बीज क्षेत्र एक निर्णायक मोड़ पर है। समृद्ध कृषि-जलवायु विविधता, प्रतिस्पर्धी उत्पादन प्रणालियों, एक गतिशील निजी क्षेत्र और मजबूत सार्वजनिक अनुसंधान संस्थानों के साथ, हमारे पास वैश्विक बीज उत्पादन केंद्र बनने के लिए सभी आवश्यक तत्व मौजूद हैं।

उन्होंने कहा कि मंत्रालय लाइसेंसिंग को सुव्यवस्थित कर रहा है, साथ ही विज्ञान-आधारित नियामक सुधार लागू कर रहा है, एसएटीएचआई प्लेटफॉर्म के माध्यम से डिजिटल ट्रेसेबिलिटी को सक्षम बना रहा है, और प्रसंस्करण संयंत्रों, भंडारण और परीक्षण प्रयोगशालाओं सहित आधुनिक बीज अवसंरचना में निवेश कर रहा है। ये कदम यह सुनिश्चित करेंगे कि किसानों को पूर्ण क्यूआर-कोड-आधारित ट्रेसेबिलिटी वाले प्रमाणित, उच्च-गुणवत्ता वाले बीज समय पर प्राप्त हों, जिससे फसल के नुकसान को कम करने, उत्पादकता में सुधार करने और उन्हें नकली इनपुट से बचाने में मदद मिलेगी।

जहा सरकारी अधिकारियों ने भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को उत्प्रेरित करने के लिए बनाए जा रहे सक्षम नीतिगत पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रकाश डाला, वहीं कृषि वैज्ञानिकों ने उत्पादकता बढ़ाने, जैव प्रौद्योगिकी और सार्वजनिक-निजी सहयोग की परिवर्तनकारी भूमिका पर ज़ोर दिया।

भारत वर्तमान में सालाना लगभग 12 करोड़ डॉलर मूल्य के सब्जियों के बीजों का निर्यात करता है। भारत से मुख्यतः दक्षिण पूर्व एशिया और मध्य पूर्व को इनका निर्यात होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर लंबे समय से चली आ रही नीतिगत बाधाओं को दूर कर दिया जाए, तो यह आसानी से दोगुना या तिगुना हो सकता है, जिनमें से प्रमुख है 2016 से लंबित 100 से ज़्यादा कीट जोखिम विश्लेषण (पीआरए) का लंबित होना, जिससे अनुमानित 5.5 करोड़ डॉलर का व्यापार ठप पड़ हुआ है।

एफएसआईआई के उपाध्यक्ष, कृषि मामले एवं नीति निदेशक - आईबीएसएल और बायर क्रॉपसाइंस लिमिटेड में ट्रेट्स लाइसेंसिंग के प्रमुख श्री राजवीर राठी ने कहा कि हम एकीकृत विनियामक दृष्टिकोण और घरेलू बीज पंजीकरण के लिए "एक राष्ट्र, एक लाइसेंस" मॉडल तथा एकल-खिड़की निर्यात मंजूरी प्रणाली की शुरुआत का आह्वान करते हैं। डिजिटल अनुमोदन और लंबी अवधि की लाइसेंस वैधता के साथ, ये भारत में बीजों के व्यापार को आसान बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

गन्ने का बुआई क्षेत्रफल पिछले दस साल में करीब 18 फीसदी बढ़ा - प्रह्लाद जोशी

नई दिल्ली। देश में गन्ने के बुआई क्षेत्रफल में पिछले दस साल में करीब 18 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि इस दौरान गन्ने का उत्पादन जहां 40 फीसदी बढ़ा है, वहीं उत्पादकता में भी 19 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।


भारतीय चीनी प्रौद्योगिकी संघ (एसटीएआई) के 83वें शताब्दी वार्षिक सम्मेलन के अनुसार केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने देश के चीनी उद्योग में आए महत्वपूर्ण परिवर्तन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सरकार ने भारत के किसानों को अन्नदाता को ऊर्जादाता बना दिया।

उन्होंने कहा कि पिछले दस वर्षों में देश में चीनी का उत्पादन 58 फीसदी बढ़ा है। सरकार ने गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 2013-14 के 210 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2025-26 के चीनी सत्र के लिए 355 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया। पेराई सीजन 2023-24 का गन्ना किसानों को लगभग 99.9 फीसदी बकाया राशि का भुगतान किया जा चुका है। इसी तरह से पेराई सीजन 2024-25 का भी किसानों को 90 फीसदी से अधिक बकाया राशि का भुगतान किया जा चुका है। चीनी की खुदरा कीमत लगभग स्थिर बनी हुई है जिस कारण हमारी सरकार किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के हितों का ध्यान रख रही है।

जोशी ने कहा कि एक स्थायी चीनी उद्योग के लिए हमारी सरकार ने कई पहल की हैं, जिनमें राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति 2018 भी शामिल है, जिसे 2022 में संशोधित किया गया है, ताकि इथेनॉल उत्पादन के लिए विभिन्न फीडस्टॉक जैसे गेहूं के अवशेष, कृषि अपशिष्ट और औद्योगिक अपशिष्ट को अनुमति दी जा सके। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने इथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ने के रस, गन्ने के सिरप, बी-हैवी और सी-हैवी गुड़ के उपयोग की भी अनुमति दी है।

खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने इथेनॉल उत्पादन की क्षमता बढ़ाने के लिए चीनी मिलों के लिए एक ब्याज अनुदान योजना शुरू की हुई है। इसके अतिरिक्त, मौजूदा गन्ना आधारित इथेनॉल संयंत्रों को बहु फीडस्टॉक आधारित संयंत्रों में परिवर्तित करने हेतु सहकारी चीनी मिलों (सीएमएस) के लिए एक वित्तीय सहायता योजना बनाई गई है ताकि इथेनॉल उत्पादन क्षमता को और बढ़ाया जा सके। इन पहलों ने अतिरिक्त चीनी भंडार को कम करने और जैव ईंधन अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद की है। इन सभी विकासों ने देश के चीनी क्षेत्र को एक सुस्त कमोडिटी बाजार से एक जीवंत ऊर्जा क्षेत्र में बदल दिया है।

उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है, जो कि वैश्विक उत्पादन का लगभग 20 फीसदी है, और दुनिया का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है, जहाँ वैश्विक चीनी खपत का लगभग 15 फीसदी हिस्सा है। वैज्ञानिकों और अनुसंधान संस्थानों के निरंतर प्रयासों से यह क्षेत्र प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 5.5 करोड़ से ज्यादा किसानों और 5 लाख से अधिक श्रमिकों को रोजगार प्रदान करता है। पिछले एक दशक में, गन्ने की नई किस्में विकसित की गई है, जिसके परिणामस्वरूप उत्पादकता में बढ़ोतरी हुई है और गन्ने का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है।

भारत के इथेनॉल क्षेत्र में भी परिवर्तन हुआ है, जिसमें मिश्रण दर 2013 के दौरान लगभग 1.5 फीसदी से बढ़कर 2025 तक लगभग 20 फीसदी हो गई है, जिसे महत्वपूर्ण क्षमता विस्तार, फीडस्टॉक विविधीकरण और इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम के तहत प्रगतिशील नीतिगत उपायों का समर्थन प्राप्त है।

उन्होंने उद्योग से सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए शून्य द्रव उत्सर्जन, जल दक्षता और हरित ऊर्जा को प्राथमिकता देने का आग्रह किया। अनुसंधान एवं विकास तथा डिजिटल तकनीकों के साथ, गन्ना मिलें बहु-उत्पादक, ऊर्जा-कुशल जैव-शोधन संयंत्रों के रूप में विकसित होंगी। हम सब मिलकर 2047 तक विकसित भारत के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक लचीला, विविध और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी भारतीय चीनी क्षेत्र का निर्माण करेंगे।

25 जुलाई 2025

राजस्थान में खरीफ की बुआई 87 फीसदी पूरी, दलहन एवं तिलहन के साथ कपास की बढ़ी

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन राजस्थान में फसलों की बुवाई 87 फीसदी क्षेत्रफल में पूरी हो चुकी है। दलहन एवं तिलहन के साथ ही मोटे अनाज तथा कपास की बुआई में बढ़ोतरी हुई है।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 23 जुलाई तक राज्य में खरीफ फसलों की बुआई 144.39 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में केवल 133.80 लाख हेक्टेयर में ही बुआई थी। चालू खरीफ सीजन में राज्य में 165.39 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई का लक्ष्य तय किया है।

चालू खरीफ सीजन में मोटे अनाजों की बुआई बढ़कर 60.18 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 56.19 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मोटे अनाजों में बाजरा की 41.37 लाख हेक्टेयर में तथा मक्का की 9.48 लाख हेक्टेयर में हुई है। इसके अलावा धान की रोपाई 2.90 लाख हेक्टेयर और ज्वार की बुआई 6.39 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में बाजरा और मक्का की बुआई क्रमश: 38.43 लाख हेक्टेयर में तथा 9.36 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

दलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 34.09 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 29.27 लाख हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है। खरीफ दलहन में मूंग की बुआई 22.19 लाख हेक्टेयर में और मोठ की 8.26 लाख हेक्टेयर तथा उड़द की 2.91 लाख हेक्टेयर तथा छौला की 57 हजार हेक्टेयर में हो चुकी है ।

चालू खरीफ सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई राज्य में बढ़कर 20.83 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 20.67 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। तिलहनी फसलों में मूंगफली की बुआई 9.23 लाख हेक्टेयर में, सोयाबीन की 9.91 लाख हेक्टेयर में तथा शीशम की 1.75 लाख हेक्टेयर में और कैस्टर सीड की 22 हजार हेक्टेयर में हुई है।

चालू खरीफ में कपास की बुआई राज्य में 6.26 लाख हेक्टेयर में तथा ग्वार सीड की बुआई 19.98 लाख हेक्टेयर में और गन्ने की बुआई 3 हजार हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 5.02 लाख हेक्टेयर में, 19.55 लाख हेक्टेयर और गन्ने की 5 हजार हेक्टेयर में हुई थी।

महाराष्ट्र में कपास के साथ ही मूंगफली एवं सोयाबीन तथा अरहर की बुआई पिछड़ी

नई दिल्ली। महाराष्ट्र में चालू खरीफ सीजन में कपास के साथ ही मूंगफली एवं सोयाबीन तथा अरहर की बुआई बीते साल की तुलना में पीछे चल रही है।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 21 जुलाई तक राज्य में खरीफ फसलों की बुआई 1.20 फीसदी कम होकर 12,739,258 हेक्टेयर में हुई ही है, जबकि पिछले साल की समान अवधि के दौरान राज्य में 12,894,445 हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

चालू खरीफ सीजन में तिलहन की प्रमुख फसल मूंगफली की बुआई 108,233 हेक्टेयर में ही हुई है , जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 134,893 हेक्टेयर में हो चुकी थी। इस दौरान राज्य में सोयाबीन की बुआई 4,673,040 हेक्टेयर में ही हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 4,805,997 हेक्टेयर की तुलना में कम है। तिलहन की कुल बुआई राज्य में घटकर 3,744,463 हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 3,960,219 हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। अन्य तिलहनी फसलों में शीशम की बुआई 2,990 हेक्टेयर में हुई है।

चालू खरीफ में कपास की बुआई राज्य में घटकर 3,744,463 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 3,984,127 हेक्टेयर में हो चुकी थी।

दलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ सीजन में घटकर 1,733,737 हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1,787,658 हेक्टेयर की तुलना में कम है। खरीफ दलहन में अरहर की बुआई 1,144,029 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 1,160,035 हेक्टेयर में हो चुकी थी। मूंग की बुआई 201,690 हेक्टेयर में तथा उड़द की 342,504 हेक्टेयर में तथा अन्य दलहन की 45,514 हेक्टेयर में हो चुकी है।

चालू खरीफ सीजन में मोटे अनाजों की बुआई बढ़कर 2,470,645 हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 2,162,441 हेक्टेयर में ही हुई थी। मोटे अनाजों में बाजरा की 300,013 हेक्टेयर में तथा मक्का की 1,335,744 हेक्टेयर में हुई है। इसके अलावा धान की रोपाई 719,143 हेक्टेयर और खरीफ ज्वार की बुआई 76,552 हेक्टेयर में हो चुकी है।

कपास की बुआई 3.42 फीसदी कम, धान एवं दलहन के मोटे अनाजों की बुआई ज्यादा

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में फसलों की बुआई की 4.10 फीसदी बढ़कर 708.31 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 680.38 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। इस दौरान जहां कपास की बुआई में 3.42 फीसदी की कमी आई है, वहीं धान, दलहन एवं मोटे अनाजों की बुआई बढ़ी है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में 18 जुलाई तक देशभर के राज्यों में धान की रोपाई बढ़कर 176.68 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी रोपाई केवल 157.21 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

दलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 81.98 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 80.13 लाख हेक्टेयर में तुलना में बढ़ी है। इस दौरान अरहर की बुआई 30.09 लाख हेक्टेयर में, मूंग की बुआई 27.31 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 14.45 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले खरीफ में इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 31.70 लाख हेक्टेयर में, 24.52 लाख हेक्टेयर और 16.51 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

चालू खरीफ सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई थोड़ी घटकर 156.76 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय 162.80 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। तिलहनी फसलों में मूंगफली की बुआई 38.01 लाख हेक्टेयर में, सोयाबीन की 111.67 लाख हेक्टेयर में तथा सनफ्लावर की 54,000 हेक्टेयर में हुई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 37.16 लाख हेक्टेयर में, 118.96 लाख हेक्टेयर में तथा 55,000 हेक्टेयर में ही हुई थी।

शीशम सीड की बुआई चालू खरीफ में 6.04 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 5.58 लाख हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है। कैस्टर सीड की बुआई 43 हजार हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 28 हजार हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।

मोटे अनाजों की बुआई बढ़कर चालू खरीफ सीजन में 133.65 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 117.66 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी। मोटे अनाजों में मक्का की 71.21 लाख हेक्टेयर में तथा बाजरा की 48.94 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 61.73 और 42.09 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। ज्वार की बुआई 9.99 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 9.81 लाख हेक्टेयर की तुलना में बढ़ी है।

चालू खरीफ में गन्ने की बुआई 55.16 लाख हेक्टेयर में और कपास की 98.55 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 54.88 लाख हेक्टेयर और 102.05 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

गुजरात में खरीफ फसलों की बुआई 7.74 फीसदी पिछड़ी, मूंगफली की बढ़ी तो कपास की घटी

नई दिल्ली। गुजरात में चालू सीजन में खरीफ फसलों की बुआई 7.74 फीसदी पीछे चल रही है। राज्य में जहां खरीफ की प्रमुख फसल मूंगफली की बुआई में बढ़ोतरी हुई है, वहीं कपास की बुआई पीछे चल रही है।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 21 जुलाई तक राज्य में खरीफ फसलों की बुआई 5,838,630 हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि के दौरान राज्य में 6,328,269 हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। सामान्यतः: खरीफ सीजन में राज्य में 8,557,510 हेक्टेयर में फसलों की बुआई होती है।

चालू खरीफ सीजन में तिलहन की प्रमुख फसल मूंगफली की बुआई 1,942,143 हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 1,828,144 हेक्टेयर में ही हुई थी। तिलहन की कुल बुआई राज्य में बढ़कर 2,248,416 हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 2,162,488 हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। अन्य तिलहनी फसलों में सोयाबीन की 224,964 हेक्टेयर में तथा शीशम की 25,980 हेक्टेयर और कैस्टर सीड की 55,179 हेक्टेयर में हुई है।

चालू खरीफ में कपास की बुआई राज्य में 1,962,033 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 2,234,194 हेक्टेयर में हो चुकी थी। राज्य में ग्वार सीड की बुआई 41,479 हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल के 31,340 हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है।

चालू खरीफ सीजन में मोटे अनाजों की बुआई घटकर 687,767 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 834,550 हेक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों में बाजरा की 123,522 हेक्टेयर में तथा मक्का की 219,016 हेक्टेयर में हुई है। इसके अलावा धान की रोपाई 341,785 हेक्टेयर और ज्वार की बुआई 2,88 हेक्टेयर में हो चुकी है।

दलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ सीजन में 194,211 हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 253,697 हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है। खरीफ दलहन में अरहर की बुआई 16,901 हेक्टेयर में और मूंग की 32,990 हेक्टेयर में तथा उड़द की 39,031 हेक्टेयर तथा मोठ की 4,338 हेक्टेयर में हो चुकी है।

सीसीआई 70 फीसदी कॉटन की कर चुकी है बिक्री

नई दिल्ली। कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई चालू फसल सीजन 2024-25 की खरीद हुई 69,96,100 गांठ, एक गांठ -170 किलो कॉटन की बिक्री कर चुकी है जोकि कुल खरीद का करीब 70 फीसदी है।


सूत्रों के अनुसार सीसीआई ने चालू सप्ताह में घरेलू बाजार में फसल सीजन 2024-25 की खरीद हुई 327,700 गांठ, एक गांठ - 170 किलो कॉटन की बिक्री की। इसके अलावा निगम ने फसल सीजन 2023-24 की खरीद हुई करीब 200 गांठ कॉटन बेची। पिछले सप्ताह की तुलना में सीसीआई की बिक्री में कमी आई है।

व्यापारियों के अनुसार देशभर की स्पिनिंग मिलों ने पिछले दिनों सीसीआई से भारी मात्रा में कॉटन की खरीद की थी, इसलिए मिलों के पास स्टॉक अच्छा है। इस दौरान व्यापारियों ने भी बड़ी मात्रा में सीसीआई से कॉटन खरीदी है। उधर यार्न में निर्यात मांग सामान्य की तुलना में कमजोर है, जिस कारण मिलों को घरेलू बाजार में यार्न की बिकवाली ज्यादा करनी पड़ रही है। अत: हाल ही में जिस अनुपात में कॉटन के दाम तेज हुए, उसके अनुरूप यार्न की कीमत नहीं बढ़ पाई। इसलिए कॉटन की कीमतों में अभी सीमित तेजी, मंदी बनी रहने का अनुमान है।

स्पिनिंग मिलों की मांग सीमित होने के कारण शनिवार को गुजरात में कॉटन की कीमत स्थिर हो गई, जबकि इस दौरान उत्तर भारत के राज्यों में इसके दाम स्थिर से तेज हुए।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव 57,500 से 57,800 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो पर स्थिर हो गए।

पंजाब में रुई हाजिर डिलीवरी के भाव 5,970 से 5,980 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव बढ़कर 5,670 से 5,800 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के दाम 5,800 से 6,000 रुपये प्रति मन बोले गए। लोअर राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के दाम 57,300 से 57,400 रुपये कैंडी बोले गए। देशभर की मंडियों में कपास की आवक 7,100 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

19 जुलाई 2025

राजस्थान में खरीफ की बुआई 80 फीसदी पूरी, दलहन एवं तिलहन के साथ कपास की बढ़ी

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन राजस्थान में फसलों की बुवाई 80 फीसदी क्षेत्रफल में पूरी हो चुकी है। दलहन एवं तिलहन के साथ ही मोटे अनाज तथा कपास की बुआई में बढ़ोतरी हुई है।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 17 जुलाई तक राज्य में खरीफ फसलों की बुआई 132.86 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में केवल 114.94 लाख हेक्टेयर में ही बुआई थी। चालू खरीफ सीजन में राज्य में 165.39 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई का लक्ष्य तय किया है।

चालू खरीफ सीजन में मोटे अनाजों की बुआई बढ़कर 57.08 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 46.85 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मोटे अनाजों में बाजरा की 39.29 लाख हेक्टेयर में तथा मक्का की 9.29 लाख हेक्टेयर में हुई है। इसके अलावा धान की रोपाई 2.45 लाख हेक्टेयर और ज्वार की बुआई 6.01 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में बाजरा और मक्का की बुआई क्रमश: 30.57 लाख हेक्टेयर में तथा 8.71 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

दलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 30.87 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 24.91 लाख हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है। खरीफ दलहन में मूंग की बुआई 19.75 लाख हेक्टेयर में और मोठ की 7.63 लाख हेक्टेयर तथा उड़द की 2.78 लाख हेक्टेयर तथा छौला की 57 हजार हेक्टेयर में हो चुकी है ।

चालू खरीफ सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई राज्य में बढ़कर 20.15 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 19.35 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। तिलहनी फसलों में मूंगफली की बुआई 9.02 लाख हेक्टेयर में, सोयाबीन की 9.49 लाख हेक्टेयर में तथा शीशम की 1.49 लाख हेक्टेयर में और कैस्टर सीड की 14 हजार हेक्टेयर में हुई है।

चालू खरीफ में कपास की बुआई राज्य में 6.25 लाख हेक्टेयर में तथा ग्वार सीड की बुआई 15.77 लाख हेक्टेयर में और गन्ने की बुआई 3 हजार हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 4.94 लाख हेक्टेयर में, 16.20 लाख हेक्टेयर और गन्ने की 4 हजार हेक्टेयर में हुई थी।

चालू वित्त वर्ष के पहली तिमाही में डीओसी का निर्यात एक फीसदी घटा - एसईए

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2025-26 की पहली अप्रैल से जून के दौरान डीओसी के निर्यात में एक फीसदी की मामूली कमी आकर कुल निर्यात 1,094,593 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 1,102,632 टन का हुआ था।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार जून में डीओसी के निर्यात में 7 फीसदी की कमी आकर कुल निर्यात 313,404 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले साल जून में इसका निर्यात 335,196 टन का हुआ था।

चालू मानसून सीजन में 9 जुलाई 2025 तक, देशभर के राज्यों में बारिश सामान्य की तुलना में 15 फीसदी अधिक हुई है, जोकि खरीफ फसलों की बुवाई के लिए अनुकूल है। गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे प्रमुख तिलहन उत्पादक क्षेत्रों में बुआई जल्द शुरू होने एवं बारिश अनुकूल होने से मूंगफली और सोयाबीन जैसी फसलों की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है। कपास की बुआई भी अच्छी चल रही है। हालांकि, अच्छे मानसून के बावजूद, 11 जुलाई 2025 तक खरीफ तिलहनों की बुआई 137.27 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 139.82 लाख हेक्टेयर से थोड़ा कम है।

फसलवार आंकड़ों से पता चलता है कि मूंगफली की बुआई में अच्छी बढ़ोतरी हुई है। इसकी बुआई पिछले साल की समान अवधि 28.04 लाख हेक्टेयर की तुलना में बढ़कर 32.99 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। हालांकि सोयाबीन का रकबा 107.78 लाख हेक्टेयर की तुलना में घटकर 99.03 लाख हेक्टेयर रह गया। इसका प्रमुख कारण कीमतों में उतार-चढ़ाव और अन्य लाभकारी फसलों से प्रतिस्पर्धा के कारण हुआ है। कपास की बुवाई 92.83 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले वर्ष के 95.22 लाख हेक्टेयर से थोड़ा कम है। कुल मिलाकर, अच्छे मानसून ने खरीफ उत्पादन के लिए एक मजबूत नींव रखी है। हालांकि उत्पादन का सही अनुमान आगे मानसून कैसा रहता है, ही बुआई के कुल आंकड़ों पर निर्भर करेगा।

सरसों के तेल, विशेष रूप से पारंपरिक 'कच्ची घानी' किस्म की अच्छी घरेलू मांग के कारण, देशभर के उत्पाद राज्यों में इसकी पेराई में तेजी आई हैं, जिससे सरसों डीओसी का उत्पादन बढ़ा है। अत: सरसों डीओसी के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। तेल वर्ष 2025-26 (अप्रैल से जून) की पहली तिमाही के दौरान, चीन ने लगभग 180,000 टन भारतीय सरसों डीओसी का आयात किया, जो पिछले साल की समान अवधि के दौरान केवल 7,000 टन की तुलना में बड़ी वृद्धि है। इस तेज वृद्धि का श्रेय काफी हद तक वैश्विक बाजारों में भारत के प्रतिस्पर्धी मूल्य को भी जाता है। मई 2025 में, भारतीय सरसों डीओसी की कीमत 201 डॉलर प्रति टन थी, जो हैम्बर्ग एक्स-मिल कीमत 313 डॉलर प्रति टन से काफी कम थी। 14 जुलाई 2025 तक भी, भारतीय सरसों डीओसी की कीमत में बढ़त बनी हुई है, जो हैम्बर्ग के 246 डॉलर प्रति टन के मुकाबले 198 डॉलर प्रति टन है। इस मूल्य अंतर के साथ-साथ खपत वाले देशों के नजदीक होने के कारण लॉजिस्टिक लाभ ने वैश्विक डीओसी व्यापार में, विशेष रूप से चीन के लिए, जो अपने प्रोटीन फीड आयात में तेजी ला रहा है, एक विश्वसनीय और लागत प्रभावी आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत किया है।

भारतीय बंदरगाह पर जून में सोया डीओसी का भाव तेज होकर 389 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि मई में इसका दाम 382 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान सरसों डीओसी का मूल्य जून में भारतीय बंदरगाह पर घटकर 198 डॉलर प्रति टन का रह गया, जबकि मई में इसका भाव 201 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान कैस्टर डीओसी का दाम मई के 77 डॉलर प्रति टन से तेज होकर जून में 79 डॉलर प्रति टन का हो गया।

सीसीआई ने कॉटन के बिक्री भाव 200 रुपये बढ़ाए, 8.32 लाख गांठ बेची

नई दिल्ली। कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने बुधवार देशभर में कॉटन की बिक्री कीमतों में 200 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी 356 किलो की बढ़ोतरी की। अत: घरेलू बाजार में भी कॉटन की कीमतों में तेजी दर्ज की गई।


सीसीआई ने बुधवार को ई-नीलामी के के माध्यम से देशभर के राज्यों में लगभग 8,32,200 गांठ, एक गांठ 170 किलो कॉटन की बिक्री। निगम चालू सीजन में खरीदी हुई करीब 65 फीसदी से ज्यादा कॉटन की बिक्री घरेलू बाजार में कर चुकी है। प्राइवेट बाजार में कॉटन का बकाया स्टॉक सीमित मात्रा में ही बचा हुआ है इसलिए नई फसल तक मिलो को सीसीआई से ही ज्यादा कॉटन की खरीद करनी होगी। ऐसे में घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में तेजी, मंदी काफी हद तक सीसीआई के बिक्री दाम पर निर्भर करेगी।

स्पिनिंग मिलों की मांग बनी रहने के कारण बुधवार को शाम के सत्र में गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में तेजी जारी रही।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव बुधवार को 350 रुपये तेज होकर दाम 57,600 से 58,000 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो हो गए। पंजाब में रुई हाजिर डिलीवरी के भाव बढ़कर 5,960 से 5,970 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव तेज होकर 5,660 से 5,770 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के दाम 5,800 से 6,000 रुपये प्रति मन बोले गए।
लोअर राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के दाम बढ़कर 57,200 से 57,300 रुपये कैंडी बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आवक 8,300 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा कारोबार में कॉटन की कीमतों में तेजी का रुख रहा। एमसीएक्स पर जुलाई 25 महीने के वायदा अनुबंध में कपास के दाम 460 रुपये तेज होकर 55,900 रुपये प्रति कैंडी हो गए। आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतों में नरमी दर्ज की गई।

स्पिनिंग मिलों की मांग बनी रहने के कारण गुजरात में कॉटन की कीमतों में तेजी आई। व्यापारियों के अनुसार प्राइवेट बाजार में जिनर्स के पास कॉटन का बकाया स्टॉक कम है। इसलिए मिलों को कॉटन की ज्यादा खरीद सीसीआई से करनी पड़ रही है। ऐसे में हाजिर बाजार में कॉटन की कीमतों में तेजी, मंदी काफी हद तक सीसीआई के बिक्री भाव पर ही निर्भर करेगी।

कृषि मंत्रालय के अनुसार 11 जुलाई तक चालू खरीफ सीजन देशभर में कपास की बुआई 2.51 फीसदी कम होकर 92.83 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 95.22 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

16 जुलाई 2025

चालू फसल सीजन के 9 महीनों में सोया डीओसी का निर्यात 12 फीसदी से ज्यादा घटा - सोपा

नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2024-25 के पहले 9 महीनों अक्टूबर 24 से जून 25 के दौरान सोया डीओसी का निर्यात 12.21 फीसदी घटकर केवल 15.60 लाख टन का ही हुआ है, जबकि पिछले फसल सीजन की समान अवधि में इसका निर्यात 17.77 लाख टन का हुआ था।


सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन के अक्टूबर से जून के दौरान 68.65 लाख टन सोया डीओसी का उत्पादन हुआ है, जबकि नई सीजन के आरंभ में 1.33 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था। इस दौरान 15.60 लाख टन सोया डीओसी का निर्यात हुआ है जबकि 6.15 लाख टन की खपत फूड में एवं 46.50 लाख टन की फीड में हुई है। अत: पहली जुलाई को मिलों के पास 1.75 लाख टन सोया डीओसी का बकाया स्टॉक बचा हुआ है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 2.45 लाख टन से कम है।

सोपा के अनुसार फसल सीजन 2024-25 के पहले 9 महीनों में देशभर की उत्पादक मंडियों में 89 लाख टन सोयाबीन की आवक हुई है, जिसमें से जून अंत तक 87 लाख टन की पेराई हुई है। इस दौरान 4.25 लाख टन सोयाबीन की खपत डारेक्ट हुई है जबकि 0.10 लाख टन का निर्यात हुआ है। अत: प्लांटों एवं व्यापारियों तथा किसानों के पास पहली जुलाई को 30.43 लाख टन सोयाबीन का बकाया स्टॉक बचा हुआ है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 36.32 लाख टन की तुलना में कम है।

सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन 2024-25 में देश में सोयाबीन का उत्पादन 125.82 लाख टन का हुआ है, जबकि 8.94 लाख टन का बकाया स्टॉक नई फसल की आवक के समय बचा हुआ था। अत: कुल उपलब्धता 134.76 लाख टन की बैठी है, जबकि चालू सीजन में करीब 25 हजार टन सोयाबीन के आयात का अनुमान है। पिछले फसल सीजन में 118.74 लाख टन सोयाबीन का उत्पादन हुआ था, जबकि नई फसल की आवक के समय 24.07 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था। अत: पिछले साल कुल उपलब्धता 142.81 लाख टन की बैठी थी, जबकि 6.25 लाख टन का आयात हुआ था।

चालू तेल वर्ष के पहले 8 महीनों में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 8 फीसदी कम - एसईए

नई दिल्ली। चालू तेल वर्ष के पहले आठ महीनों नवंबर-24 से जून-25 के दौरान देश में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 8 फीसदी कम होकर 9,434,593 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 10,229,106 टन का हुआ था। हालांकि खाद्य तेलों के आयात के आंकड़ों में नेपाल से आयात हुई मात्रा शामिल नहीं है।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू तेल वर्ष 2024-25 के जून 2025 में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात थोड़ा कम होकर 1,549,825 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले साल जून में इनका आयात 1,550,659 टन का हुआ था। इस दौरान खाद्वय तेलों का आयात 1,531,328 टन का एवं अखाद्य तेलों का आयात 18,497 टन का हुआ है। हालांकि मई के मुकाबले जून में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों के आयात में 31 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

चालू तेल वर्ष 2025 की पहली छमाही (जनवरी से जून) के दौरान खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 6,575,525 टन का हुआ है, जबकि पिछले तेल वर्ष 2024 की समान अवधि के दौरान यह 7,756,830 टन था, यानी कि इसमें 15 फीसदी की गिरावट आई है।

चालू खरीफ सीजन में 9 जुलाई 2025 तक, अखिल भारतीय स्तर पर मानसूनी बारिश सामान्य से 15 फीसदी अधिक हुई है। प्रमुख तिलहन उत्पादक क्षेत्रों में मानसून के जल्दी आने से खरीफ फसलों की बुवाई विशेष रूप से मूंगफली और सोयाबीन में बढ़ोतरी हुई है। 4 जुलाई 2025 तक कुल खरीफ तिलहन रकबा 108.21 लाख हेक्टेयर था, जोकि पिछले वर्ष की समान अवधि के 94.90 लाख हेक्टेयर की तुलना में 12.3 फीसदी अधिक है।

चालू तेल वर्ष 2024-25 की पहले आठ महीनों नवंबर 24 से जून 25 के दौरान 1,381,818 टन की तुलना में 982,711 टन रिफाइंड तेल (आरबीडी पामोलीन) का आयात किया गया और नवंबर 23 से जून 24 के दौरान 8,713,347 टन की तुलना में 8,225,880 टन क्रूड तेल का आयात किया गया। आरबीडी पामोलीन और सीपीओ के कम आयात के कारण रिफाइंड तेल का अनुपात 14 फीसदी से घटकर 11 फीसदी रह गया, जबकि सोया तेल के आयात में वृद्धि के कारण क्रूड पाम तेल का अनुपात 86 फीसदी से बढ़कर 89 फीसदी हो गया।

एसईए के अनुसार नवंबर 2024 से जून 2025 के दौरान, पाम तेल का आयात नवंबर 2023 से जून 2024 के 5,763,367 टन से घटकर 4,285,573 टन का ही रह गया, जबकि सॉफ्ट ऑयल का आयात पिछले वर्ष की इसी अवधि के 4,331,799 टन से बढ़कर 4,923,018 टन हो गया। अत: पाम तेल की हिस्सेदारी 57 फीसदी से घटकर 47 फीसदी रह गई, जबकि सॉफ्ट तेलों की हिस्सेदारी 43 फीसदी से बढ़कर 53 फीसदी हो गई।

मई के मुकाबले जून में आयातित खाद्वय तेलों के दाम भारतीय बदंरगाह पर तेज हुए हुए हैं। जून में आरबीडी पामोलिन का भाव भारतीय बंदरगाह पर बढ़कर 1,006 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि मई में इसका भाव 1,004 डॉलर प्रति था। इसी तरह से क्रूड पाम तेल का भाव भारतीय बंदरगाह पर जून में बढ़कर 1,055 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि मई में इसका भाव 1,039 डॉलर प्रति टन था। क्रूड सोया तेल का भाव मई में भारतीय बंदरगाह पर 1,106 डॉलर प्रति टन था, जोकि जून में बढ़कर 1,122 डॉलर प्रति टन हो गया। 

चालू खरीफ सीजन में फसलों की बुआई की बुआई 6.23 फीसदी बढ़ी

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में फसलों की बुआई की 6.23 फीसदी बढ़कर 597.86 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 560.59 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।


कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में देशभर के राज्यों में धान की रोपाई बढ़कर 123.680 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी रोपाई केवल 111.85 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

दलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 67.09 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 53.39 लाख हेक्टेयर में तुलना में बढ़ी है। इस दौरान अरहर की बुआई 25.42 लाख हेक्टेयर में, मूंग की बुआई 23.16 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 11.46 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 27.18 लाख हेक्टेयर में, 12.19 लाख हेक्टेयर और 11.54 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

चालू खरीफ सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई थोड़ी घटकर 137.27 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय 139.82 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। तिलहनी फसलों में मूंगफली की बुआई 32.99 लाख हेक्टेयर में, सोयाबीन की 99.03 लाख हेक्टेयर में तथा सनफ्लावर की 49,000 हेक्टेयर में हुई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 28.04 लाख हेक्टेयर में, 107.78 लाख हेक्टेयर में तथा 48,000 हेक्टेयर में ही हुई थी।

शीशम सीड की बुआई चालू खरीफ में 4.48 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 3.12 लाख हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है। कैस्टर सीड की बुआई 23 हजार हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 15 हजार हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।

मोटे अनाजों की बुआई बढ़कर चालू खरीफ सीजन में 116.30 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 99.78 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी। मोटे अनाजों में मक्का की 61.88 लाख हेक्टेयर में तथा बाजरा की 44.01 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 59.73 और 29.59 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। ज्वार की बुआई 8 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 7.39 लाख हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है।

चालू खरीफ में गन्ने की बुआई 55.16 लाख हेक्टेयर में और कपास की 92.83 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 54.88 लाख हेक्टेयर और 95.22 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

राजस्थान में खरीफ फसलों की बुआई 74 फीसदी पूरी, दलहन एवं तिलहन तथा कपास की बढ़ी

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन राजस्थान में फसलों की बुवाई 74 फीसदी क्षेत्रफल में पूरी हो चुकी है। दलहन एवं तिलहन के साथ ही मोटे अनाज तथा कपास की बुआई में बढ़ोतरी हुई है।

राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 11 जुलाई तक राज्य में खरीफ फसलों की बुआई 121.95 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में केवल 82.12 लाख हेक्टेयर में ही बुआई थी। चालू खरीफ सीजन में राज्य में 165.39 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई का लक्ष्य तय किया है।

चालू खरीफ सीजन में मोटे अनाजों की बुआई बढ़कर 53.82 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 34.30 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मोटे अनाजों में बाजरा की 37.47 लाख हेक्टेयर में तथा मक्का की 8.83 लाख हेक्टेयर में हुई है। इसके अलावा धान की रोपाई 1.97 लाख हेक्टेयर और ज्वार की बुआई 5.52 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है।

दलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 27.78 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 13.30 लाख हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है। खरीफ दलहन में मूंग की बुआई 17.88 लाख हेक्टेयर में और मोठ की 6.61 लाख हेक्टेयर तथा उड़द की 47 हजार हेक्टेयर तथा छौला की 2.65 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है ।

चालू खरीफ सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई राज्य में बढ़कर 18.40 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 17.41 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। तिलहनी फसलों में मूंगफली की बुआई 8.05 लाख हेक्टेयर में, सोयाबीन की 9.05 लाख हेक्टेयर में तथा शीशम की 1.22 लाख हेक्टेयर में और कैस्टर सीड की 9 हजार हेक्टेयर में हुई है।

चालू खरीफ में कपास की बुआई राज्य में 6.13 लाख हेक्टेयर में तथा ग्वार सीड की बुआई 13.35 लाख हेक्टेयर में और गन्ने की बुआई 3 हजार हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 4.79 लाख हेक्टेयर में, 10.15 लाख हेक्टेयर और गन्ने की 4 हजार हेक्टेयर में हुई थी।


12 जुलाई 2025

उद्योग ने कॉटन के उत्पादन बढ़ाया, 311.40 लाख गांठ का होने का अनुमान

नई दिल्ली। उद्योग ने कॉटन के उत्पादन अनुमान में 10.25 लाख गांठ की बढ़ोतरी की है।  पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2024-25 में देश में कॉटन का उत्पादन बढ़कर 311.40 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो होने का अनुमान है जबकि इससे पहले 301.15 लाख गांठ का अनुमान जारी किया था।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई के अनुसार महाराष्ट्र में कॉटन के उत्पादन अनुमान में 5 लाख गांठ की बढ़ोतरी का अनुमान है, जबकि गुजरात और तेलंगाना में क्रमश: 1.50-1.50 लाख गांठ उत्पादन बढ़ा है। कर्नाटक में 1 लाख गांठ, आंध्र प्रदेश में 0.50 लाख गांठ और हरियाणा तथा राजस्थान अपर और लोअर क्षेत्रों में क्रमश: 0.25 लाख गांठ, 0.25 लाख गांठ तथा 0.25 लाख गांठ का उत्पादन ज्यादा होने का अनुमान है।

सीएआई के अनुमान के अनुसार पंजाब में कॉटन का उत्पादन फसल सीजन 2024-25 में 1.50 लाख गांठ, हरियाणा में 8.05 लाख गांठ, अपर राजस्थान में 10.35 लाख गांठ एवं लोअर राजस्थान के 9.65 लाख गांठ को मिलाकर कुल 29.55 लाख गांठ होने का अनुमान है।

सीएआई के अनुसार मध्य भारत के राज्यों गुजरात में चालू फसल सीजन में 77.50 लाख गांठ, महाराष्ट्र में 90 लाख गांठ तथा मध्य प्रदेश के 19 लाख गांठ को मिलाकर कुल 18.50 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है।

दक्षिण भारत के राज्यों में तेलंगाना में चालू फसल सीजन में 49.50 लाख गांठ, आंध्र प्रदेश में 12 लाख गांठ एवं कर्नाटक में 24 लाख गांठ तथा तमिलनाडु के 4 लाख गांठ को मिलाकर कुल 89.50 लाख गांठ के कॉटन के उत्पादन का अनुमान है।

ओडिशा में चालू खरीफ में 3.85 लाख गांठ एवं अन्य राज्यों में 2 लाख गांठ कॉटन के उत्पादन का अनुमान है।

सीएआई के अनुसार जून 2025 अंत तक कॉटन का आयात बढ़कर 30 लाख गांठ का हो चुका है, वहीं इस दौरान निर्यात 15.25 लाख गांठ का ही हुआ है। कूल आयात चालू सीजन में 39 लाख गांठ होने का अनुमान है। फसल सीजन 2023-24 के दौरान 15.20 लाख गांठ कॉटन का आयात हुआ था। मालूम हो कि फसल सीजन 2024-25 के दौरान देश से कॉटन का निर्यात 17 लाख गांठ होने का अनुमान है।

सीएआई के अनुसार पहली अक्टूबर 2024 को कॉटन का बकाया स्टॉक 30.19 लाख गांठ का बचा हुआ था, जबकि 311.40 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है। चालू सीजन में करीब 39 लाख गांठ कुल कॉटन का आयात होने की उम्मीद है। ऐसे में कुल उपलब्धता 380.59 लाख गांठ की बैठेगी।

चालू फसल सीजन में कॉटन की कुल घरेलू खपत 308 लाख गांठ होने का अनुमान है, जबकि इस दौरान 17 लाख गांठ के निर्यात की उम्मीद है।

सीएआई के अनुसार उत्पादक मंडियों में जून अंत तक 296.57 लाख गांठ कॉटन की आवक हो चुकी है, जिसमें से 233.50 लाख गांठ की खपत हो चुकी है। अत: पहली जुलाई को मिलों के पास 32 लाख गांठ एवं सीसीआई, महाराष्ट्र फेडरेशन, एमएनसी, जिनर्स एवं निर्यातकों के साथ ही व्यापारियों के पास 76.01 लाख गांठ कॉटन का बकाया स्टॉक है।

केंद्र सरकार ओएमएसएस के तहत 2,550 रुपये में परिवहन लागत जोड़कर बेचेगी गेहूं

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने खुले बाजार बिक्री योजना, ओएमएसएस के तहत फसल सीजन 2025-26 के लिए गेहूं का बिक्री मूल्य 2,550 रुपये प्रति क्विंटल रिजर्व किया है तथा इसमें परिवहन लागत अलग से जोड़कर गेहूं की बिक्री की जायेगी।


केंद्रीय खाद्वय एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय द्वारा गुरुवार को जारी अधिसूचना के अनुसार ओएमएसएस के तहत गेहूं की बिक्री का रिजर्व भाव 2,550 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है इसमें  परिवहन लागत अगल से जोड़ी जायेगी। ओएमएसएस के तहत गेहूं की बिक्री की यह दर 30 जून 2026 तक प्रभावी होगी।

केंद्र सरकार नैफेड, एनसीसीएफ और केंद्रीय भंडार जैसी केंद्रीय सहकारी संस्थाओं को भी खुदरा बिक्री हेतु भारत ब्रांड के तहत स्टोर, मोबाइल वैन या ई कॉमर्स के माध्यम से भी 2,550 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं उपलब्ध करायेगी। सामुदायिक रसोई घरों के लिए भी इसी दर पर गेहूं दिया जायेगा।

केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, भारतीय खाद्वय निगम एफसीआई अपनी कुल स्टॉक पोजिशन को देखते हुए सार्वजनिक वितरण प्रणाली, पीडीएस तथा बफर स्टॉक के तय मानकों के साथ ही किसी आकस्मिक स्थिति के लिए 20 लाख टन गेहूं स्टॉक में रखने के बाद अन्य गेहूं की नीलामी करेगी।

दिल्ली के लॉरेंस रोड पर गुरुवार को गेहूं का भाव 2,740 से 2,745 प्रति क्विंटल पर स्थिर रहे। जानकारों के अनुसार दिल्ली की रोलर फ्लोर मिल रिजर्व भाव 2,550 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं की खरीद करती है, तो इसमें परिवहन लागत एवं अन्य खर्च जोड़ने के बाद मिल पहुंच गेहूं की कीमतों में ज्यादा अंतर नहीं आयेगा। इसलिए हाजिर बाजार में गेहूं की कीमतों में बड़ी तेजी, मंदी के आसार नहीं है।

केंद्रीय पूल में गेहूं का बंपर भंडार होने के बावजूद कीमतों में तेजी को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने 31 मार्च 2026 तक स्टॉक लिमिट लगा रखी है।

सूत्रों के अनुसार केंद्रीय पूल में पहली मई 2025 को 356.72 लाख टन गेहूं का स्टॉक मौजूद है।

रबी विपणन सीजन 2025-26 में देशभर में गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद 299.24 लाख टन की हुई थी, हालांकि गेहूं की खरीद का लक्ष्य 322.7 लाख टन का था। इसके पिछले रबी सीजन में गेहूं की कुल खरीद 266 लाख टन की ही हुई थी।

10 जुलाई 2025

चालू खरीफ सीजन में फसलों की बुआई बढ़कर 437 लाख हेक्टेयर के पार

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में 43.66 फीसदी क्षेत्रफल में फसलों की बुआई का कार्य पूरा हो चुका है। इस दौरान धान के साथ ही दलहन एवं तिलहन तथा मोटे अनाज एवं कपास की बुआई आगे चल रही है।


कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में 4 जुलाई तक देशभर के राज्यों में खरीफ फसलों की बुआई 11.08 फीसदी बढ़कर 437.47 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में केवल 393.81 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी।

देशभर के राज्यों में धान की रोपाई बढ़कर 69.30 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी रोपाई केवल 64.52 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

दलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 42.57 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 31.48 लाख हेक्टेयर में तुलना में बढ़ी है। इस दौरान अरहर की बुआई 16.47 लाख हेक्टेयर में, मूंग की बुआई 16.58 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 5.27 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 18.52 लाख हेक्टेयर में, 6.73 लाख हेक्टेयर और 5.02 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

चालू खरीफ सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई बढ़कर 108.25 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय केवल 94.94 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। तिलहनी फसलों में मूंगफली की बुआई 26.74 लाख हेक्टेयर में, सोयाबीन की 79.04 लाख हेक्टेयर में तथा सनफ्लावर की 46,000 हेक्टेयर में हुई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 17.73 लाख हेक्टेयर में, 75.46 लाख हेक्टेयर में तथा 45,000 हेक्टेयर में ही हुई थी।

मोटे अनाजों की बुआई बढ़कर चालू खरीफ सीजन में 77.18 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 63.79 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी। मोटे अनाजों में मक्का की 39.35 लाख हेक्टेयर में तथा बाजरा की 30.82 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 40.21 और 16.78 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। ज्वार की बुआई 5.54 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 4.64 लाख हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है।

चालू खरीफ में गन्ने की बुआई 55.16 लाख हेक्टेयर में और कपास की 79.54 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 54.88 लाख हेक्टेयर और 78.58 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।