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18 दिसंबर 2024

कपास की सरकारी खरीद 31 लाख गांठ के पार, तेलंगाना एवं महाराष्ट्र की हिस्सेदारी ज्यादा

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2024-25 में कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर 31 लाख गांठ, एक गांठ 170 किलो कपास की खरीद कर चुकी है।


सीसीआई के अनुसार फसल सीजन 2023-24 की समान अवधि में 33 लाख गांठ कपास की खरीद हुई थी।

सूत्रों के अनुसार चालू फसल सीजन में 14 दिसंबर तक कपास की कुल खरीद में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी तेलंगाना की 19.94 लाख गांठ एवं महाराष्ट्र की 5.42 लाख गांठ है। अन्य राज्यों में आंध्र प्रदेश से 1.8 लाख गांठ तथा कर्नाटक से 1.66 लाख गांठ कपास की खरीद हुई है।

गुजरात से समर्थन मूल्य पर 88,506 गांठ तथा मध्य प्रदेश से 86,882 गांठ और ओडिशा से 21,148 गांठ के साथ ही राजस्थान से 13,507 गांठ कपास की खरीद हुई है। चालू सीजन में हरियाणा से 5,576 गांठ तथा पंजाब से 279 गांठ और पश्चिम बंगाल 234 गांठ कपास की सरकारी खरीद हुई है।

केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2024-25 के लिए मध्य रेशे की कपास का समर्थन मूल्य 7,121 रुपये और लंबे रेशे की कपास का 7,521 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।

स्पिनिंग मिलों की मांग बढ़ने के कारण मंगलवार को गुजरात में कॉटन की कीमतों में तेजी आई जबकि उत्तर भारत के राज्यों में इसके दाम स्थिर हो गए।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव में मंगलवार को 200 रुपये तेज होकर 53,400 से 53,600 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो हो गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 5560 से 5570 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5550 से 5560 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5550 से 5600 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव 53,500 से 53,800 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए। देशभर की मंडियों में कपास की आव 1,88,500 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

स्पिनिंग मिलों की मांग सुधरने के कारण गुजरात में कॉटन की कीमतों में तेजी दर्ज की गई जबकि उत्तर भारत के राज्यों में इसके दाम स्थिर बने रहे। व्यापारियों के अनुसार कॉटन की कीमतों में अभी बड़ी तेजी के आसार कम है। आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन के दाम आज कमजोर हुए है, जिस कारण घरेलू बाजार में इसकी कीमत स्थिर हो सकती है।

व्यापारियों के अनुसार खपत का सीजन होने के बावजूद भी सूती धागे की स्थानीय मांग सामान्य की तुलना में कमजोर बनी हुई है। कॉटन के निर्यात में भी पड़ते नहीं लग रहे। हालांकि चालू सीजन में बुआई में आई कमी के साथ ही कई राज्यों में अक्टूबर में हुई बारिश से कॉटन के उत्पादन और क्वालिटी पर पड़ने की आशंका है। इसलिए कॉटन की कीमतों में सीमित तेजी, मंदी बनी रहने का अनुमान है। हालांकि विश्व बाजार में दाम कम होने के कारण चालू सीजन में अभी तक आयात सौदे ज्यादा मात्रा में हुए हैं।

कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू खरीफ सीजन में कपास का उत्पादन 299.26 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो होने का अनुमान है, जो क‍ि पिछले खरीफ 2023-24 के 325.22 लाख गांठ के मुकाबले कम है।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई के आरंभिक अनुसार के अनुसार पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2024-25 में देश में 302.25 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन के उत्पादन का अनुमान है, जोकि इसके पिछले फसल सीजन 2023-24 के 325.29 लाख गांठ से कम है।

चालू पेराई सीजन में मध्य दिसंबर तक चीनी का उत्पादन 18 फीसदी कम - एनएफसीएसएफ

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन (अक्टूबर-24 से सितंबर-25) के पहले ढाई महीनों पहली अक्टूबर एवं 15 दिसंबर के दौरान चीनी के उत्पादन में 17.99 फीसदी की गिरावट आकर कुल उत्पादन 60.85 लाख टन का ही हुआ है, जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में इसका उत्पादन 74.20 लाख टन का हो चुका था।


नेशनल फेडरेशन ऑफ को ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्री लिमिटेड (एनएफसीएसएफ) के अनुसार गन्ने की पेराई ने पहल की तुलना में गति पकड़ी है। मध्य दिसंबर तक देशभर में 472 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है, हालांकि यह आंकड़ा पिछले पेराई सीजन की 501 चीनी मिलों के मुकाबले कम है।

चालू पेराई सीजन 2024-25 के देशभर की चीनी मिलें 15 दिसंबर 2024 तक 719.24 लाख टन गन्ने की पेराई कर चुकी है, जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में 850.92 लाख टन गन्ने की पेराई हो चुकी थी।  

देश में चीनी की रिकवरी दर पिछले सीजन की तुलना में कम आ रही है। 15 दिसंबर 2024 तक औसत चीनी की रिकवरी की दर 8.46 फीसदी की रही है, जबकि पिछले सीजन की समान अवधि के दौरान यह 8.72 फीसदी की थी।

चालू पेराई सीजन 2024-25 में 15 दिसंबर 24 तक महाराष्ट्र की 183 चीनी मिलों ने 207.41 लाख टन गन्ने की पेराई की है, तथा इस दौरान राज्य में 16.80 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है।

उत्तर प्रदेश में सभी 120 चीनी मिलों ने पेराई कार्य शुरू कर दिया है तथा दिसंबर मध्य तक राज्य की चीनी मिलों ने 257.87 लाख टन गन्ने की पेराई की है, जिससे 22.95 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है।

तीसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य कर्नाटक में 76 चीनी मिलों में पेराई चल रही हैं, जिन्होंने मध्य दिसंबर तक 162.65 लाख टन गन्ने की पेराई करके 13.50 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है।

एनएफसीएसएफ के अनुसार, चालू पेराई सीजन 2024-25 के दौरान देश में चीनी का उत्पादन 280 लाख टन होने का अनुमान है।

नेफेड चालू खरीफ में समर्थन मूल्य पर 7,26,206 टन दलहन एवं तिलहन कर चुकी है खरीद

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन 2024 में नेफेड न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर उत्पादक राज्यों से 7,26,206.30 टन दलहन एवं तिलहनी फसलों की खरीद कर चुकी है, जबकि केंद्र सरकार ने पीएसएस स्कीम के तहत 72,18,326 टन फसलों की खरीद को मंजूरी दी हुई है।


सूत्रों के अनुसार चालू खरीफ में केंद्र सरकार ने किसानों से समर्थन मूल्य 8,682 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 3,34,416 टन मूंग की खरीद को मंजूरी दी हुई है, जिसमें से निगम ने 12 दिसंबर तक 1,11,436.70 टन मूंग की खरीद की है। अभी तक खरीद में राजस्थान से 80,200 टन, कर्नाटक से 26,205 टन तथा तेलंगाना से 990 टन और महाराष्ट्र से 40 टन की खरीद हुई है।

इसी तरह से केंद्र सरकार ने चालू खरीफ में किसानों से समर्थन मूल्य 7,400 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 9,39,720 टन उड़द की खरीद को मंजूरी दी हुई है, जिसमें से निगम ने 12 दिसंबर तक केवल 19.05 टन उड़द की खरीद राजस्थान से की है। अन्य राज्यों कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात और उत्तर प्रदेश तथा आंध्र प्रदेश और हरियाणा से खरीद शुरू नहीं हुई है।

केंद्र सरकार ने चालू खरीफ सीजन में किसानों से समर्थन मूल्य 7,550 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 4,91,285 टन अरहर की खरीद को मंजूरी दी हुई है। अरहर की एमएसपी पर खरीद उत्तर प्रदेश से 3,95,170 एवं आंध्र प्रदेश से 95,620 टन के अलावा हरियाणा से 495 टन की मंजूरी केंद्र सरकार ने दी हुई है जोकि अभी शुरू नहीं हुई है।

खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की किसानों से समर्थन मूल्य 4,892 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 33,60,628 टन की खरीद को मंजूरी दी हुई है, जिसमें से निगम ने 12 दिसंबर तक केवल 4,15,015 टन सोयाबीन की खरीद की है। सोयाबीन की खरीद कर्नाटक, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र तथा राजस्थान के किसानों से की जा रही है।

चालू खरीफ सीजन में मूंगफली की खरीद समर्थन मूल्य 6,783 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 20,47,471 टन की खरीद को केंद्र सरकार ने मंजूरी दी हुई है, जिसमें से निगम ने 12 दिसंबर तक 1,96,670 टन की खरीद की है। मूंगफली की खरीद गुजरात, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश तथा कर्नाटक के अलावा हरियाणा और आंध्र प्रदेश के किसानों से की जा रही है।

अन्य तिलहनी फसलों में सनफ्लावर की समर्थन मूल्य 7,280 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 13,210 टन की खरीद को केंद्र सरकार ने मंजूरी दी हुई है, जोकि कर्नाटक के किसानों से की जानी है।

शीशम सीड की न्यूनतम समर्थन मूल्य 9,267 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 31,596 टन की खरीद को केंद्र सरकार ने मंजूरी दी हुई है, जोकि उत्तर प्रदेश और हरियाणा की मंडियों से की जानी है। 

14 दिसंबर 2024

राजस्थान में रबी फसलों की बुआई 87 फीसदी पूरी, गेहूं तथा जौ एवं चना की ज्यादा

नई दिल्ली। राजस्थान में चालू रबी सीजन में फसलों की बुआई 87 फीसदी क्षेत्रफल में हो चुकी है तथा गेहूं एवं जौ के साथ ही दालों की बुआई में बढ़ोतरी हुई है वहीं तिलहनी की बुआई पिछले साल की तुलना में घटी है।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 9 दिसंबर तक राज्य में फसलों की बुआई बढ़कर 103.98 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 98.88 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

गेहूं की बुआई चालू रबी सीजन में बढ़कर 28.04 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 23.98 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। जौ की बुआई चालू रबी में राज्य में 4 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 3.93 लाख हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है।

रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई चालू रबी में बढ़कर 19.66 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 18.26 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। चना की बुआई का लक्ष्य राज्य सरकार ने 22.50 लाख हेक्टेयर का तय किया है। रबी दलहन की अन्य फसलों की बुआई राज्य में 40 हजार हेक्टेयर में ही हुई है। ऐसे में चालू रबी में दलहन की कुल बुआई अभी तक बढ़कर 20.07 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 18.65 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

राज्य में सरसों की बुआई चालू रबी सीजन में 32.67 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 35.50 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। राज्य में सरसों की बुआई का लक्ष्य 40.50 लाख हेक्टेयर का तय किया गया है। अन्य तिलहनी फसलों में तामीरा की बुआई 82 हजार हेक्टेयर में और अलसी की करीब 11 हजार हेक्टेयर में ही हुई है। अत: तिलहनी फसलों की कुल बुआई चालू रबी में घटकर 33.61 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 36.96 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

नवंबर में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात 12 फीसदी बढ़ा - एसईए

नई दिल्ली। चालू तेल वर्ष 2024-25 (नवंबर से अक्टूबर) के पहले महीने नवंबर में देश में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात 12 फीसदी बढ़कर 1,627,642 टन का हुआ है, जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 1,459,814 टन का ही हुआ था।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार अक्टूबर से भारत में अर्जेंटीना से सोया तेल का आयात तेजी से बढ़ा है। अत: सोया तेल के आयात में हुई बढ़ोतरी से घरेलू बाजार में सोयाबीन की कीमतों पर दबाव पड़ रहा है। घरेलू मंडियों में सोयाबीन के दाम 4,892 रुपये प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी के मुकाबले घटकर 4,250 से 4,300 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं। इसका असर घरेलू बाजार में सोयाबीन प्रोसेसर पर पड़ा है, तथा उनकी स्थिति पहले ही खराब है, क्योंकि विश्व बाजार में सोया डीओसी की कीमत नीचे बनी हुई है। अत: किसानों के साथ ही बाजार को समर्थन देने के लिए, एसोसिएशन ने केंद्र सरकार से सीपीओ, एसबीओ, सरसों, सोयाबीन के वायदा कारोबार के निलंबन को हटाने और 20 दिसंबर, 2024 से आगे नहीं बढ़ाने का आग्रह किया है।

नवंबर 2024 के दौरान आयात में हुई बढ़ोतरी के कारण 1 दिसंबर, 2024 तक विभिन्न बंदरगाहों पर खाद्य तेलों का स्टॉक बढ़ गया है। माना जा रहा है कि करीब 998,000 टन (सीपीओ 322,000 टन, आरबीडी पामोलिन 212,000 टन, डिगम्ड सोयाबीन तेल 173,000 टन और क्रूड सूरजमुखी तेल 291,000 टन) स्टॉक होने का अनुमान है। अतः: 1 दिसंबर, 2024 तक कुल खाद्य तेलों का स्टॉक 2,569,000 टन का बचा हुआ है, जबकि 1 नवंबर, 2024 के 2,408,000 टन की तुलना में 161,000 टन ज्यादा है।

नवंबर 2024 के दौरान 171,069 टन की तुलना में 284,537 टन रिफाइंड तेल (आरबीडी पामोलिन) का आयात हुआ है। रिफाइंड तेल के आयात का अनुपात 15 फीसदी से बढ़कर 18 फीसदी हो गया है, जबकि आयात की मात्रा में वृद्धि के बावजूद क्रूड पाम तेल का अनुपात 85 फीसदी से घटकर 82 फीसदी का रह गया है।

अक्टूबर के मुकाबले नवंबर में आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में तेजी का रुख रहा। नवंबर में भारतीय बंदरगाह पर आरबीडी पामोलिन का भाव बढ़कर 1,233 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि अक्टूबर में इसका दाम 1,135 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रूड पाम तेल का दाम नवंबर में बढ़कर 1,269 डॉलर प्रति टन का हो गया, जबकि अक्टूबर में इसका भाव 1,170 डॉलर प्रति टन था। क्रूड सोयाबीन तेल का भाव नवंबर में बढ़कर भारतीय बंदरगाह पर 1,219 डॉलर प्रति टन का हो गया, जबकि अक्टूबर में इसका भाव 1,154 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रूड सनफ्लावर तेल का भाव भारतीय बंदरगाह पर अक्टूबर के 1,168 डॉलर से बढ़कर नवंबर में 1,265 डॉलर प्रति टन हो गया।

अक्टूबर से नवंबर के दौरान सोया डीओसी का निर्यात 34 फीसदी घटा - सोपा

नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2024-25 के पहले दो महीनों अक्टूबर से नवंबर के दौरान सोया डीओसी का निर्यात 34.40 फीसदी 2.41 लाख टन का ही हुआ है, जबकि पिछले फसल सीजन की समान अवधि में इसका निर्यात 3.85 लाख टन का हुआ था।


सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन के अक्टूबर एवं नवंबर में 15.39 लाख टन सोया डीओसी का उत्पादन हुआ है, जबकि नई सीजन के आरंभ में 1.33 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था। इस दौरान 2.41 लाख टन सोया डीओसी का निर्यात हुआ है जबकि 1.50 लाख टन की खपत फूड में एवं 11.50 लाख टन की फीड में हुई है। अत: पहली दिसंबर को मिलों के पास 1.31 लाख टन सोया डीओसी का बकाया स्टॉक बचा हुआ है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.40 लाख टन से कम है।

सोपा के अनुसार फसल सीजन 2024-25 के पहले दो महीनों में देशभर की उत्पादक मंडियों में 34 लाख टन सोयाबीन की आवक हुई है, जिसमें से नवंबर अंत तक 19.50 लाख टन की पेराई हुई है। इस दौरान 95 हजार टन सोयाबीन की खपत डारेक्ट हुई है जबकि 0.02 लाख टन का निर्यात हुआ है। अत: प्लांटों एवं व्यापारियों तथा किसानों के पास पहली दिसंबर को 101.29 लाख टन सोयाबीन का बकाया स्टॉक बचा हुआ है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 105.68 लाख टन की तुलना में कम है।

सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन 2024-25 में देश में सोयाबीन का उत्पादन 125.82 लाख टन का हुआ है, जबकि 8.94 लाख टन का बकाया स्टॉक नई फसल की आवक के समय बचा हुआ था। अत: कुल उपलब्धता 134.76 लाख टन की बैठी है, जबकि चालू सीजन में करीब 3 लाख टन सोयाबीन के आयात का अनुमान है। पिछले फसल सीजन में 118.74 लाख टन सोयाबीन का उत्पादन हुआ था, जबकि नई फसल की आवक के समय 24.07 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था। अत: पिछले साल कुल उपलब्धता 142.81 लाख टन की बैठी थी, जबकि 6.25 लाख टन का आयात हुआ था। 

स्पिनिंग मिलों की मांग घटने से गुजरात में कॉटन मंदी, उत्तर भारत में तेज

नई दिल्ली। स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने के कारण मंगलवार को गुजरात में लगातार दूसरे दिन कॉटन की कीमतों में गिरावट आई, जबकि इस दौरान उत्तर भारत के राज्यों में इसके भाव में सुधार आया।


गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव में मंगलवार को 100 रुपये की गिरावट आकर दाम 53,600 से 53,800 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो रह गए। राज्य में सोमवार को भी इसके दाम 150 रुपये प्रति कैंडी तक कमजोर हुए थे।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 10 रुपये तेज होकर 5600 से 5610 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 10 रुपये बढ़कर 5590 से 5600 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 10 रुपये तेज होकर 5590 से 5640 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव घटकर 53,800 से 54,000 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए। देशभर की मंडियों में कपास की आव 1,84,500 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स के साथ ही एनसीडीएक्स पर आज शाम को कॉटन की कीमतों में में गिरावट का रुख रहा। इस दौरान आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतों में मंदा आया।

स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने के कारण गुजरात में कॉटन की कीमतों में गिरावट आई, जबकि नीचे दाम पर बिकवाली कम आने से उत्तर भारत के राज्यों में सुधार आया। जानकारों के अनुसार हाल ही आईसीई कॉटन वायदा के दाम कमजोर हुए हैं, जिस कारण घरेलू बाजार में भी स्पिनिंग मिलों की खरीद पहले की तुलना में कम हो गई।

व्यापारियों के अनुसार खपत का सीजन होने के बावजूद भी सूती धागे की स्थानीय मांग सामान्य की तुलना में कमजोर बनी हुई है। कॉटन के निर्यात में भी पड़ते नहीं लग रहे। हालांकि चालू सीजन में बुआई में आई कमी के साथ ही कई राज्यों में अक्टूबर में हुई बारिश से कॉटन के उत्पादन और क्वालिटी पर पड़ने की आशंका है। इसलिए कॉटन की कीमतों में सीमित तेजी, मंदी बनी रहने का अनुमान है। हालांकि विश्व बाजार में दाम कम होने के कारण चालू सीजन में अभी तक आयात सौदे ज्यादा मात्रा में हुए हैं।

चालू फसल सीजन में कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई करीब 22 लाख गांठ कपास की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर कर चुकी है।

कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू खरीफ सीजन में कपास का उत्पादन 299.26 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो होने का अनुमान है, जो क‍ि पिछले खरीफ 2023-24 के 325.22 लाख गांठ के मुकाबले कम है।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई के आरंभिक अनुसार के अनुसार पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2024-25 में देश में 302.25 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन के उत्पादन का अनुमान है, जोकि इसके पिछले फसल सीजन 2023-24 के 325.29 लाख गांठ से कम है।

10 दिसंबर 2024

राजस्थान में गेहूं एवं दलहन की बुआई बढ़ी, तिलहन एवं जौ की घटी

नई दिल्ली। राजस्थान में चालू रबी सीजन में गेहूं एवं दालों की बुआई में बढ़ोतरी हुई है वहीं तिलहनी एवं जौ की बुआई पिछले साल की तुलना में घटी है।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 6 दिसंबर तक राज्य में फसलों की बुआई बढ़कर 101.28 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 96.71 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

राज्य में सरसों की बुआई चालू रबी सीजन में 32.69 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 34.95 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। राज्य में सरसों की बुआई का लक्ष्य 40.50 लाख हेक्टेयर का तय किया गया है। अन्य तिलहनी फसलों में तामीरा की बुआई 81 हजार हेक्टेयर में और अलसी की करीब 11 हजार हेक्टेयर में ही हुई है। अत: तिलहनी फसलों की कुल बुआई चालू रबी में घटकर 33.60 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 36.30 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई चालू रबी में बढ़कर 19.68 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 17.79 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। चना की बुआई का लक्ष्य राज्य सरकार ने 22.50 लाख हेक्टेयर का तय किया है। रबी दलहन की अन्य फसलों की बुआई राज्य में 40 हजार हेक्टेयर में ही हुई है। ऐसे में चालू रबी में दलहन की कुल बुआई अभी तक बढ़कर 20.08 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 18.193 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

गेहूं की बुआई चालू रबी सीजन में बढ़कर 26.17 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 22.60 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। जौ की बुआई चालू रबी में राज्य में 3.63 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 3.69 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है।

सीसीआई ने 22 लाख गांठ से ज्यादा कॉटन खरीदी, घरेलू बाजार में दाम कमजोर

नई दिल्ली। कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई चालू खरीफ विपणन सीजन 2024-25 में न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर करीब 22 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन की खरीद कर चुकी है। घरेलू बाजार में स्पिनिंग मिलों की खरीद कमजोर होने से शनिवार को गुजरात के साथ उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में गिरावट का रुख रहा।


सूत्रों के अनुसार देशभर की मंडियों में कपास की दैनिक आवक करीब दो लाख गांठ की हो रही है, जिसमें से सीसीआई आधे से भी कम की खरीद समर्थन मूल्य पर कर रही है। निगम घरेलू बाजार में फसल सीजन 2023-24 की खरीदी हुई कॉटन की लगातार बिकवाली भी कर रही है। अत: घरेलू बाजार में स्पिनिंग मिलें इस समय केवल जरुरत के हिसाब से ही कॉटन की खरीद कर रही है जिस कारण कीमतों पर दबाव है।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव शनिवार को 100 रुपये कमजोर होकर दाम 53,800 से 54,100 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो रह गए।

पंजाब में शनिवार को रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 25 रुपये कमजोर होकर 5590 से 5610 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 30 रुपये घटकर 5580 से 5590 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 35 रुपये कमजोर होकर 5590 से 5630 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव घटकर 54,000 से 54,200 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

व्यापारियों के अनुसार स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने के कारण गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में मंदा आया है, क्योंकि हाल ही में विश्व बाजार में कॉटन के दाम कमजोर हुए हैं, जिस कारण मिलें इन्वेंट्री नहीं बढ़ा रही है।

जानकारों के अनुसार खपत का सीजन होने के बावजूद भी सूती धागे की स्थानीय मांग सामान्य की तुलना में कमजोर बनी हुई है। विश्व बाजार में दाम नीचे हैं, जिस कारण घरेलू बाजार से कॉटन के निर्यात में भी पड़ते नहीं लग रहे। हालांकि चालू सीजन में बुआई में आई कमी के साथ ही कई राज्यों में अक्टूबर में हुई बारिश से कॉटन के उत्पादन और क्वालिटी पर पड़ने की आशंका है। इसलिए कॉटन की कीमतों में सीमित तेजी, मंदी बनी रहने का अनुमान है। हालांकि विश्व बाजार में दाम कम होने के कारण चालू सीजन में अभी तक आयात सौदे ज्यादा मात्रा में हुए हैं।

कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू खरीफ सीजन में कपास का उत्पादन 299.26 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो होने का अनुमान है, जो क‍ि पिछले खरीफ 2023-24 के 325.22 लाख गांठ के मुकाबले कम है।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई के आरंभिक अनुसार के अनुसार पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2024-25 में देश में 302.25 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन के उत्पादन का अनुमान है, जोकि इसके पिछले फसल सीजन 2023-24 के 325.29 लाख गांठ से कम है।

चालू खरीफ विपणन सीजन में धान की एमएसपी पर खरीद 323.29 लाख टन के पार

नई दिल्ली। चालू खरीफ विपणन सीजन 2024-25 में धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद बढ़कर 323.29 लाख टन की हो गई है तथा अभी तक कुल खरीद में सबसे ज्यादा पंजाब एवं हरियाणा से 226.17 लाख टन धान की खरीद हुई है।


सूत्रों के अनुसार हरियाणा एवं पंजाब की मंडियों से परम धान की आवक पहले की तुलना में कम हुई है, जबकि दक्षिण भारत के राज्यों में धान की आवक पहले की तुलना में बढ़ी है।

सेंट्रल फूड ग्रेन प्रोक्योरमेंट पोर्टल के अनुसार पंजाब की मंडियों में 6 दिसंबर तक कुल 172.26 लाख टन धान की खरीद एजेंसियों और एफसीआई द्वारा की जा चुकी है। इस दौरान हरियाणा की मंडियों से 53.91 लाख टन धान की खरीद हो चुकी है।

अन्य राज्यों में हिमाचल से 34,307 टन, जम्मू कश्मीर से 27,982 टन, बिहार से 87,895 टन तथा आंध्र प्रदेश से 11.03 लाख टन धान की एमएसपी पर खरीद हो चुकी है। इस दौरान केरल से 51,367 टन, तमिलनाडु से 5,17,305 टन तथा तेलंगाना से 28,78,510 टन के अलावा उत्तराखंड से 5,09,991 टन तथा उत्तर प्रदेश से 15,72,164 टन धान की खरीद समर्थन मूल्य पर हुई है। गुजरात से 15,395 टन धान की सरकारी खरीद हुई है।

केंद्र सरकार के अनुसार खरीफ विपणन सीजन 2024-25 के दौरान पंजाब से करीब 185 लाख टन और हरियाणा से 60 लाख टन धान की खरीद की खरीद का लक्ष्य तय किया है।

केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के अनुसार खरीफ विपणन सीजन 2024-25 के लिए धान की खरीद 1 अक्टूबर 2024 से शुरू करने का निर्णय लिया था, लेकिन नमी ज्यादा होने के कारण खरीद में तेजी मध्य अक्टूबर के बाद आई।

केंद्र सरकार ने चालू खरीफ विपणन सीजन 2024-25 के लिए कॉमन धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य,एमएसपी 2,300 रुपये और ग्रेड-ए धान का समर्थन मूल्य 2,320 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।

06 दिसंबर 2024

राजस्थान में रबी फसलों की बुआई 83 फीसदी के करीब, गेहूं एवं चना की बढ़ी

नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में राजस्थान में फसलों की बुआई 82.89 फीसदी पूरी हो चुकी है तथा इस दौरान यहां गेहूं एवं दालों की बुआई में बढ़ोतरी हुई है वहीं तिलहनी फसलों की बुआई पीछे चल रही है।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 2 दिसंबर तक राज्य में फसलों की बुआई बढ़कर 99.42 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 90.32 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

राज्य में सरसों की बुआई चालू रबी सीजन में 32.80 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 34.76 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। राज्य में सरसों की बुआई का लक्ष्य 40.50 लाख हेक्टेयर का तय किया गया है। अन्य तिलहनी फसलों में तामीरा की बुआई 80 हजार हेक्टेयर में और अलसी की करीब 11 हजार हेक्टेयर में ही हुई है। अत: तिलहनी फसलों की कुल बुआई चालू रबी में घटकर 33.71 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 35.92 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई चालू रबी में बढ़कर 19.85 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 17.54 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। चना की बुआई का लक्ष्य राज्य सरकार ने 22.50 लाख हेक्टेयर का तय किया है। रबी दलहन की अन्य फसलों की बुआई राज्य में 39 हजार हेक्टेयर में ही हुई है। ऐसे में चालू रबी में दलहन की कुल बुआई अभी तक बढ़कर 20.25 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 17.93 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

गेहूं की बुआई चालू रबी सीजन में बढ़कर 24.69 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 19.97 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। जौ की बुआई चालू रबी में राज्य में 3.54 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 3.22 लाख हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है।

चालू वित्त वर्ष के सात महीनों में बासमती चावल का निर्यात 24 फीसदी बढ़ा - एपिडा

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2024-25 की पहले सात महीनों अप्रैल से अक्टूबर के दौरान देश से बासमती चावल के निर्यात में 24.34 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, वहीं इस दौरान गैर बासमती चावल के निर्यात में 21.16 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।


वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2024-25 के अप्रैल से अक्टूबर के दौरान बासमती चावल का निर्यात 24.34 फीसदी बढ़कर 32.43 लाख टन का हो चुका है, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2023-24 की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 26.08 लाख टन का ही हुआ था।

गैर बासमती चावल के निर्यात में चालू वित्त वर्ष 2024-25 की पहले सात महीनों अप्रैल से अक्टूबर के दौरान 21.16 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 57.68 लाख टन का ही हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के दौरान इसका निर्यात 73.17 लाख टन का हुआ था।

केंद्र सरकार ने पिछले दिनों गैर-बासमती चावल पर 10 फीसदी के निर्यात शुल्क पूरी तरह से हटा दिया था, जबकि इससे पहले सितंबर में सरकार ने गैर-बासमती उबले चावल, भूरे चावल और धान पर निर्यात शुल्क 20 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया था। पिछले दिनों बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य, एमईपी 950 डॉलर प्रति टन को समाप्त किया था। अत: निर्यात शुल्क हटाने के बाद से गैर बासमती चावल के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है, साथ ही इस दौरान बासमती चावल का निर्यात भी बढ़ा है।

पंजाब एवं हरियाणा के साथ ही राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश की मंडियों में परमल धान की आवक पहले की तुलना में कम हुई है, जबकि बारीक धान की आवक अभी बराबर बनी हुई है। हालांकि निर्यातकों की मांग सीमित होने के कारण राइस मिलें सीमित मात्रा में ही धान की खरीद कर रही है, क्योंकि अधिकांश छोटी मिलों की खरीद 80 से 90 फीसदी हो चुकी है। जानकारों के अनुसार बाजार में नकदी की किल्लत है। हालांकि जानकारों का मानना है कि इन भाव में राइस मिलों को बारीक चावल में पड़ते नहीं लग रहे। अत: जैसे ही निर्यातकों की मांग का समर्थन मिलेगा भाव में बढ़ोतरी की उम्मीद है।

हरियाणा की सफीदों मंडी में बुधवार को पूसा 1,121 किस्म के धान के भाव 4,365 रुपये, 1,718 किस्म के 3,825 रुपये तथा 1,885 किस्म के 3,971 रुपये तथा डीपी 1,401 किस्म के 3,300 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

पंजाब की मानसा मंडी में 1,509 किस्म के धान के भाव 2,800 से 3,000 रुपये, 1,718 किस्म के 3,200 से 3,380 रुपये तथा 1,847 किस्म के धान के दाम 2,700 से 2,855 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

उत्तर प्रदेश की अलीगढ़ मंडी में 1,509 किस्म के धान के भाव 2,780 रुपये, सुगंधा किस्म के धान के दाम 2,560 रुपये और शरबती किस्म के 2,400 तथा 1,718 किस्म के 3,515 रुपये और 1,847 किस्म के 2,800 रुपये प्रति क्विंटल रहे।

दिल्ली के नया बाजार में पूसा 1,401 किस्म के स्टीम चावल का व्यापार 6,300 से 6,350 रुपये और पंजाब एवं हरियाणा से 6,200 से 6,250 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हुआ। इस दौरान राजस्थान लाइन से 1,718 किस्म के सेला चावल के व्यापार 6,300 से 6,325 रुपये और 1,509 किस्म के सेला चावल का 5,675 से 5,700 रुपये और 1,847 किस्म के सेला का व्यापार 5,450 ससे 5,475 रुपये तथा सुगंधा सेला का 5,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हुआ।

चालू पेराई सीजन के पहले दो महीनों में चीनी का उत्पादन 35 फीसदी घटा

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन (अक्टूबर-24 से सितंबर-25) के पहले दो महीनों अक्टूबर एवं नवंबर में चीनी के उत्पादन में 35.4 फीसदी की गिरावट आकर कुल उत्पादन 27.90 लाख टन का ही हुआ है, जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में इसका उत्पादन 43.20 लाख टन का हो चुका था।


नेशनल फेडरेशन ऑफ को ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्री लिमिटेड (एनएफसीएसएफ) के अनुसार महाराष्ट्र और कर्नाटक में चीनी मिलों में पेराई देर से आरंभ होने के कारण उत्पादन में गिरावट आई है।

एनएफसीएसएफ के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे के अनुसार महाराष्ट्र और कर्नाटक में पेराई कार्यों में देरी हुई थी, लेकिन जल्द ही इसमें तेजी आने की उम्मीद है। धीमी शुरुआत के कारण चालू पेराई सीजन मिलें भी कम चल रही है। नवंबर के अंत तक कुल 381 चीनी मिलों ने ही पेराई शुरू की है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 433 मिलें पेराई शुरू कर चुकी थी।

एनएफसीएसएफ के अनुसार, 15 नवंबर, 2024 तक महाराष्ट्र में 144 चीनी मिलों ने पेराई शुरू की है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 264 मिलों ने पेराई आरंभ कर दी थी।

जानकारों के अनुसार शुरुआती सीजन में उत्पादन में आई गिरावट के कारण दुनिया के दूसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक को निर्यात कोटा वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है, जिससे विश्व बाजार में चीनी कीमतों को बढ़ावा मिल सकता है।

राज्यवार चीनी उत्पादन के मामले में, महाराष्ट्र में मिलों ने 64.79 लाख टन गन्ने की पेराई करके 4.60 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है। उत्तर प्रदेश में 118 चीनी मिलों ने 148.28 लाख टन गन्ने की पेराई करके 12.90 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है। तीसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य कर्नाटक में 78.65 लाख टन गन्ने की पेराई करके चीनी का उत्पादन 7.00 लाख टन तक पहुँच गया।

एनएफसीएसएफ के अनुसार 2024-25 पेराई सीजन के दौरान देश में चीनी का उत्पादन 280 लाख टन ही होने का अनुमान है जो कि पिछले साल के 319 लाख टन की तुलना में कम है। 

नवंबर के अंत में 28 लाख टन सरसों का बकाया स्टॉक - उद्योग

नई दिल्ली। चालू फसल सीजन में नवंबर 24 के अंत में देश में 28 लाख टन सरसों का बकाया स्टॉक बचा हुआ है, तथा इसमें सबसे ज्यादा केंद्रीय एजेंसियों नेफेड एवं हैफेड के पास पुरानी एवं नई सरसों का 14.50 लाख टन तथा किसानों के पास 9.50 लाख टन है। तेल मिलों एवं स्टॉकिस्टों के पास इस दौरान करीब 4 लाख टन सरसों का बकाया स्टॉक है।


मरुधर ट्रेडिंग एजेंसी, जयपुर के अनुसार नवंबर में उत्पादक मंडियों में 3.50 लाख टन सरसों की आवक हुई तथा चालू फसल सीजन में पहली मार्च 24 से 30 नवंबर 24 तक करीब 98.50 लाख टन सरसों की आवक मंडियों एवं मिलों में हुई है। इस दौरान करीब 92 लाख टन सरसों की क्रॉसिंग हो चुकी है तथा नवंबर में 8 लाख टन की क्रेसिंग हुई है।

फसल सीजन 2024-25 के आरंभ में पहली मार्च को तेल मिलों के पास 4.50 लाख टन सरसों का बकाया स्टॉक था, जबकि नवंबर 2024 के अंत तक 98.50 लाख टन सरसों की आवक हुई है। चालू फसल सीजन में नेफेड एवं हैफेड ने 20 लाख टन सरसों की खरीद समर्थन मूल्य पर की थी जिसमें से केंद्रीय एजेंसियां अभी तक 13 लाख टन सरसों मार्केट में बेच चुकी है। नवंबर अंत तक 92 लाख टन सरसों की पेराई तेल मिलें कर चुकी है अत: तेल मिलों एवं स्टॉकिस्टों के पास नवंबर के अंत में 4 लाख टन सरसों का ही बकाया स्टॉक है।

उद्योग द्वारा अप्रैल में जारी दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2024-25 में देश में सरसों का उत्पादन 108 लाख टन का हुआ था, जबकि नई फसल की आवक के समय 12 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था। अत: अप्रैल 2024 में देशभर में सरसों की कुल उपलब्धता 120 लाख टन की बैठी थी।