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28 दिसंबर 2024

सीसीआई ने कॉटन की बिक्री कीमतों में 500 रुपये प्रति कैंडी की कटौती की

नई दिल्ली। कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने शुक्रवार को कॉटन की बिक्री कीमतों में 500 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो की कटौती की। निगम ने अहमदाबाद में 28 एमएम की कॉटन के भाव घटाकर 51,600 रुपये एवं अकोला में 30 एमएम की कॉटन के दाम घटाकर 53,400 रुपये प्रति कैंडी कर दिए।


सूत्रों के अनुसार कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने 26 दिसंबर को लगभग 4,900 गांठ कॉटन की बिक्री की थी, तथा कुल बिक्री में से 3,100 गांठ स्पिनिंग मिलों को बेची गई थी, जबकि व्यापारियों ने 1,800 गांठों की खरीदी की थी।

निगम के पास फसल सीजन 2023-24 की खरीदी हुई कॉटन का बकाया स्टॉक तो है ही, साथ ही चालू फसल सीजन में भी निगम करीब 32 लाख गांठ से ज्यादा कॉटन की खरीद कर चुकी है। व्यापारियों के अनुसार सीसीआई के पास कॉटन का स्टॉक ज्यादा होने के कारण घरेलू बाजार में इसकी कीमतों में तेजी, मंदी सीसीआई के बिक्री भाव पर निर्भर करेगी।

स्पिनिंग मिलों की मांग बढ़ने के कारण शुक्रवार को गुजरात में कॉटन की कीमतों में हल्का सुधार आया, जबकि इस दौरान उत्तर भारत के राज्यों में भाव स्थिर से नरम हुए।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव में शुक्रवार को 50 रुपये तेज होकर दाम 53,300 से 53,700 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो हो गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 5510 से 5520 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5500 से 5520 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 10 रुपये नरम होकर 5520 से 5580 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव 100 रुपये घटकर 53,400 से 53,500 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए। देशभर की मंडियों में कपास की आवक 2,02,200 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स के साथ ही एनसीडीएक्स पर आज शाम को कॉटन की कीमतों में में गिरावट का रुख रहा। आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतों में नरमी आई।

व्यापारियों के अनुसार कॉटन की कीमतों में अभी बड़ी तेजी के आसार नहीं है। खपत का सीजन होने के बावजूद भी सूती धागे की स्थानीय मांग सामान्य की तुलना में कमजोर बनी हुई है। कॉटन के निर्यात में भी पड़ते नहीं लग रहे। हालांकि चालू सीजन में बुआई में आई कमी के साथ ही कई राज्यों में अक्टूबर में हुई बारिश से कॉटन के उत्पादन और क्वालिटी प्रभावित हुई थी। विश्व बाजार में हाल ही में कॉटन की कीमत सीमित दायरे में बनी रहने की उम्मीद है।

कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू खरीफ सीजन में कपास का उत्पादन 299.26 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो होने का अनुमान है, जो क‍ि पिछले खरीफ 2023-24 के 325.22 लाख गांठ के मुकाबले कम है।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई के दूसरे आरंभिक अनुसार के अनुसार पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2024-25 में देश में 302.25 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन के उत्पादन का अनुमान है, जोकि इसके पिछले फसल सीजन 2023-24 के 325.29 लाख गांठ से कम है।

खरीफ में धान की समर्थन मूल्य पर खरीद 431.81 लाख टन के पार

नई दिल्ली। चालू खरीफ विपणन सीजन 2024-25 में धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद बढ़कर 431.81 लाख टन की हो गई है। अभी तक हुई कुल खरीद में पंजाब एवं हरियाणा से 227.48 लाख टन धान खरीदा गया है।


सूत्रों के अनुसार हरियाणा एवं पंजाब की मंडियों से परमल धान की आवक काफी कम हो रही है। हालांकि इस समय दक्षिण भारत के राज्यों में मोटे धान की आवक बराबर बनी हुई है।

सेंट्रल फूड ग्रेन प्रोक्योरमेंट पोर्टल के अनुसार पंजाब की मंडियों में 26 दिसंबर तक कुल 173.55 लाख टन धान की खरीद एजेंसियों और एफसीआई ने की है। इस दौरान हरियाणा की मंडियों से 53.93 लाख टन धान की खरीद हुई है।

अन्य राज्यों में हिमाचल से 36,725 टन, जम्मू कश्मीर से 31,901 टन, बिहार से 6,07,943 टन तथा आंध्र प्रदेश से 23.36 लाख टन धान की एमएसपी पर खरीद हो चुकी है। इस दौरान केरल से 1,00,042 टन, तमिलनाडु से 5,30,711 टन तथा तेलंगाना से 42,16,258 टन के अलावा उत्तराखंड से 5,94,425 टन तथा उत्तर प्रदेश से 31,21,550 टन धान की खरीद समर्थन मूल्य पर हुई है।

चालू खरीफ सीजन में छत्तीसगढ़ से 71,14,980 टन धान समर्थन मूल्य पर खरीदा गया है। गुजरात से 30,434 टन एवं असम से 47,370 टन के अलावा चंडीगढ़ से 25,796 टन धान की सरकारी खरीद हुई है।

केंद्र सरकार के अनुसार खरीफ विपणन सीजन 2024-25 के दौरान पंजाब से करीब 185 लाख टन और हरियाणा से 60 लाख टन धान की खरीद की खरीद का लक्ष्य तय किया गया था।

केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के अनुसार खरीफ विपणन सीजन 2024-25 के लिए धान की खरीद 1 अक्टूबर 2024 से शुरू करने का निर्णय लिया था, लेकिन नमी ज्यादा होने के कारण खरीद में तेजी मध्य अक्टूबर के बाद आई।

केंद्र सरकार ने चालू खरीफ विपणन सीजन 2024-25 के लिए कॉमन धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य,एमएसपी 2,300 रुपये और ग्रेड-ए धान का समर्थन मूल्य 2,320 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।

चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में कैस्टर तेल का निर्यात 11.61 फीसदी बढ़ा - एसईए

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान कैस्टर तेल के निर्यात में 11.61 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 459,214 टन का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 411,438 टन का ही हुआ था।


साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार नवंबर में कैस्टर तेल का निर्यात बढ़कर 38,196 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल नवंबर में इसका निर्यात केवल 38,032 टन का ही हुआ था। मूल्य के हिसाब से नवंबर में कैस्टर तेल का निर्यात 522.04 करोड़ रुपये का हुआ है, जबकि पिछले साल नवंबर में इसका निर्यात 474.05 करोड़ रुपये का ही हुआ था।

व्यापारियों के अनुसार चालू सीजन में बुआई में आई कमी से कैस्टर सीड का उत्पादन कम होने का अनुमान है, जिस कारण इसके भाव में बड़ी गिरावट के आसार नहीं है।

गुजरात की मंडियों में मंगलवार को कैस्टर सीड के भाव 1,240 से 1,260 रुपये प्रति 20 किलो पर स्थिर बने रहे। इस दौरान राजकोट में कमर्शियल तेल के भाव 6 रुपये बढ़कर 1,294 रुपये और एफएसजी के 10 रुपये कमजोर होकर 1,305 रुपये प्रति 10 किलो हो गए।

देशभर की मंडियों में कैस्टर सीड की दैनिक आवक मंगलवार को 18 से 19 हजार बोरी, एक बोरी 35 किलो की हुई, जिसमें से गुजरात की मंडियों में 15 से 16 हजार बोरी तथा राजस्थान की मंडियों में 18 से 2 हजार बोरियों की हो रही है। इसके अलावा करीब 1,000 से 1,200 बोरी सीधे मिल पहुंच का व्यापार हो रहा है।

कृषि मंत्रालय के आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2024-25 के दौरान कैस्टर सीड का उत्पादन घटकर 15.53 लाख टन ही होने का अनुमान है, जबकि इसके पिछले फसल सीजन में 19.59 लाख टन का उत्पादन हुआ था।

कृषि मंत्रालय के अनुसार खरीफ सीजन में कैस्टर सीड की बुआई घटकर केवल 8.20 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 9.50 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम थी। 

चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में चना एवं काबुली के निर्यात में बढ़ोतरी

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले सात महीनों अप्रैल से अक्टूबर के दौरान चना के आयात में 102 की भारी बढ़ोतरी हुई है, जबकि इस दौरान काबुली चना का आयात 10 फीसदी बढ़ा है।


केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2024-25 के अप्रैल से अक्टूबर के दौरान चना का आयात 102 फीसदी बढ़कर 1,51,070 टन का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2023-24 की समान अवधि में इसका आयात केवल 74,958 टन का ही हुआ था।

इस दौरान काबुली चना का आयात 10 फीसदी बढ़कर 79,132 टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका आयात केवल 72,060 टन का ही हुआ था।

चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों अप्रैल से अक्टूबर के दौरान आस्ट्रेलिया से चना का
आयात 96,103 टन का तथा तंजानिया से 38,588 टन का हुआ है। इसके अलावा इथोपिया से 8,621 टन, बर्मा से 4,105 टन तथा अन्य देशों से 3,651 टन आयातित चना भारतीय बंदरगाह पर आया है।

काबुली चना का आयात चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में सूडान से 29,884 टन का तथा रुसिया से 18,636 टन का, यूएई से 16,733 टन का तथा बर्मा से 9,504 टन एवं तुर्की से 3,018 टन और अन्य देशों से 1,356 टन का हुआ है।

दाल मिलों की खरीद बढ़ने के कारण सोमवार को दिल्ली में सुबह के सत्र में चना की कीमत 25 रुपये तेज हुई। लारेंस रोड़ पर राजस्थान के चना के दाम 25 रुपये बढ़कर 6,850 से 6,875 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, इस दौरान मध्य प्रदेश के चना के दाम 25 रुपये तेज होकर 6,750 से 6,775 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। इन भाव में चना में स्टॉकिस्टों की बिकवाली कमजोर है साथ ही बेस्ट माल नहीं आ रहे। खपत का सीजन होने के कारण चना में दाल मिलों की मांग बनी रहने की उम्मीद है। हालांकि ऑस्ट्रेलिया से चना का आयात बढ़ रहा है।

आस्ट्रेलियाई चना के दाम दिसंबर शिपमेंट के कंटेनर में नवा सेवा, मुंद्रा और कांडला बंदरगाह पर 720 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ हैं, जबकि दिसंबर एवं जनवरी शिपमेंट के नवा सेवा पर 710 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ हैं। दिसंबर एवं जनवरी शिपमेंट के कोलकाता में 717 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ हैं।

सरकार केंद्रीय पूल से साबुत चना 58 रुपये प्रति किलो और चना दाल 70 रुपये प्रति किलो की दर बेच रही है।

केंद्र सरकार ने रबी विपणन सीजन 2025-26 के लिए चना का एमएसपी 210 रुपये बढ़ाकर 5,650 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है, जबकि पिछले रबी सीजन के दौरान इसका एमएसपी 5,440 रुपये प्रति क्विंटल था।

कृषि मंत्रालय के अनुसार फसल सीजन 2023-24 के दौरान चना का घरेलू उत्पादन घटकर 110.39 लाख टन का हुआ था, जबकि इसके पिछले साल 122.67 लाख टन का उत्पादन हुआ था। 

23 दिसंबर 2024

महाराष्ट्र में 100 से 102 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान - उद्योग

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2024-25 (अक्टूबर से सितंबर)  के दौरान महाराष्ट्र में 100 से 102 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान है। प्रतिकूल मौसम से चालू पेराई सीजन में राज्य में गन्ने की उत्पादकता में कमी आई है, जिस कारण रिकवरी भी कम बैठ रही है।


वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (डब्ल्यूआईएसएमए) की कार्यकारी बोर्ड की 20 दिसंबर को हुई बैठक के अनुसार अप्रैल से जून दौरान राज्य में शुष्क मौसम और उसके बाद नवंबर तक भारी बारिश के कारण गन्ने के जल्दी पकने, विकास में कमी और वृद्धि में कमी के कारण प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में कमी आई है। इसलिए राज्य में चीनी की रिकवरी पिछले वर्ष की तुलना में थोड़ी कम बैठ रही है। अत: चालू पेराई सीजन 2024-25 में राज्य में 100 से 102 लाख टन चीनी का उत्पादन होने का अनुमान है। माना जा रहा है कि 12 लाख टन चीनी की खपत एथेनॉल के लिए डायवर्ट में होगी। अत: अनुमान लगाया गया कि राज्य में कुल चीनी का उत्पादन 90 लाख टन का ही होगा।

डब्ल्यूआईएसएमए के अनुसार चालू पेराई सीजन में 18 दिसंबर, 2024 तक राज्य की 94 सहकारी एवं 92 निजी चीनी मिलों सहित कुल 186 चीनी मिलों ने 233.67 लाख टन गन्ने की पेराई कर 19.26 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है। औसत चीनी रिकवरी 8.24 फीसदी की बैठ रही है।

राज्य के स्थानीय बाजार में चीनी की कीमत 3,300 से 3,400 रुपये प्रति क्विंटल है, जोकि औसत भाव 3,500 से 3,600 रुपये प्रति क्विंटल से काफी कम है। अत: मिलों को चीनी की बिक्री उत्पादन लागत से कम दाम पर करनी पड़ रहा है। अत: राज्य की चीनी मिलों को इन भाव में घाटा हो रहा है। इसलिए उद्योग ने केंद्र सरकार से मांग की गई कि, चीनी मिलों के हित में चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य, एमआरपी को बढ़ाकर 41 रुपये प्रति किलो किया जाए।

चालू पेराई सीजन 2024-25 के लिए गन्ने के न्यूनतम खरीद मूल्य (एफआरपी) में वृद्धि के कारण, चीनी के उत्पादन की लागत के साथ ही एथेनॉल के उत्पादन की लागत में भी वृद्धि हुई है। बैठक में केंद्र सरकार से चीनी, गन्ने के रस, बी हैवी, सी हैवी के भाव को 3 रुपये से 5 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ाने की मांग की गई है।

राजस्थान में रबी फसलों की बुआई 89 फीसदी पूरी, गेहूं एवं दलहन की ज्यादा

नई दिल्ली। राजस्थान में चालू रबी सीजन में फसलों की बुआई 89 फीसदी क्षेत्रफल में हो चुकी है तथा गेहूं के साथ ही दालों की बुआई में बढ़ोतरी हुई है वहीं तिलहनी की बुआई पिछले साल की तुलना में घटी है।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 16 दिसंबर तक राज्य में फसलों की बुआई बढ़कर 106.83 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 104.78 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

गेहूं की बुआई चालू रबी सीजन में बढ़कर 29.93 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 26.55 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। जौ की बुआई चालू रबी में राज्य में 06 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 4.30 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है।

रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई चालू रबी में बढ़कर 19.73 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 18.99 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। चना की बुआई का लक्ष्य राज्य सरकार ने 22.50 लाख हेक्टेयर का तय किया है। रबी दलहन की अन्य फसलों की बुआई राज्य में 41 हजार हेक्टेयर में ही हुई है। ऐसे में चालू रबी में दलहन की कुल बुआई अभी तक बढ़कर 20.14 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 19.38 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

राज्य में सरसों की बुआई चालू रबी सीजन में 32.90 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 35.89 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। राज्य में सरसों की बुआई का लक्ष्य 40.50 लाख हेक्टेयर का तय किया गया है। अन्य तिलहनी फसलों में तारामीरा की बुआई 84 हजार हेक्टेयर में और अलसी की करीब 11 हजार हेक्टेयर में ही हुई है। अत: तिलहनी फसलों की कुल बुआई चालू रबी में घटकर 33.86 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 37.42 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में अरहर का आयात 85 फीसदी बढ़ा

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले सात महीनों अप्रैल से अक्टूबर के दौरान अरहर का आयात 85 फीसदी बढ़कर 8,14,068 टन का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका आयात केवल 4,39,999 टन का हुआ था।


केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2024-25 के अक्टूबर में अरहर का आयात 57 फीसदी बढ़कर 2,60,373 टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष के अक्टूबर में इसका आयात केवल 1,65,917 टन का ही हुआ था।

चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों अप्रैल से अक्टूबर के दौरान म्यांमार से लेमन अरहर का
आयात 1,80,669 टन का तथा मोजाम्बिक से 2,27,730 टन का और तंजानिया से 1,70,880 टन का हुआ है। इसके अलावा सूडान से 1,22,830 टन तथा अन्य देशों से 1,11,956 टन आयातित अरहर भारतीय बंदरगाह पर आई है।

कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू खरीफ सीजन 2024 में देश में अरहर का उत्पादन बढ़कर 35.02 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि पिछले साल इसका उत्पादन केवल 34.17 लाख टन का हुआ था।

व्यापारियों के अनुसार प्रमुख उत्पादक राज्य कर्नाटक और महाराष्ट्र की मंडियों में नई अरहर की आवकों में बढ़ोतरी हुई है, जिस कारण हाल ही में इसकी कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई है। इस दौरान म्यांमार से आयातित लेमन अरहर के भाव में भी मंदा आया है।

केंद्र सरकार ने चालू खरीफ सीजन में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी 7,550 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 4,91,285 टन अरहर की खरीद को मंजूरी दी हुई है। अरहर की एमएसपी पर खरीद उत्तर प्रदेश से 3,95,170 टन एवं आंध्र प्रदेश से 95,620 टन के अलावा हरियाणा से 495 टन की मंजूरी केंद्र सरकार ने दी हुई है लेकिन अभी इसकी एमएसपी पर खरीद शुरू नहीं हुई है।

चालू फसल सीजन के पहले दो महीनों में कॉटन का आयात बढ़ा, निर्यात में आई कमी - उद्योग

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2024-25 के पहले दो महीनों अक्टूबर एवं नवंबर में कॉटन का आयात बढ़कर 9 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो का हुआ है जबकि इस दौरान निर्यात केवल 4 लाख गांठ का ही हुआ है।


कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार देश में 302.25 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन के उत्पादन का अनुमान है। जबकि पिछले फसल सीजन 2023-24 के दौरान 325.29 लाख गांठ का उत्पादन हुआ था।

सीएआई के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार उत्तर भारत के राज्यों पंजाब में कॉटन का उत्पादन फसल सीजन 2024-25 में 2.15 लाख गांठ, हरियाणा में 10.85 लाख गांठ, अपर राजस्थान में 11.30 लाख गांठ एवं लोअर राजस्थान के 9.70 लाख गांठ को मिलाकर कुल 34 लाख गांठ होने का अनुमान है।

सीएआई के अनुसार मध्य भारत के राज्यों गुजरात में चालू फसल सीजन में 80 लाख गांठ, महाराष्ट्र में 90 लाख गांठ तथा मध्य प्रदेश के 19 लाख गांठ को मिलाकर कुल 189 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है।

दक्षिण भारत के राज्यों में तेलंगाना में चालू फसल सीजन में 34 लाख गांठ, आंध्र प्रदेश में 11 लाख गांठ एवं कर्नाटक में 23 लाख गांठ तथा तमिलनाडु के 4 लाख गांठ को मिलाकर कुल 74 लाख गांठ के कॉटन के उत्पादन का अनुमान है।

ओडिशा में चालू खरीफ में 3.25 लाख गांठ एवं अन्य राज्यों में 2 लाख गांठ कॉटन के उत्पादन का अनुमान है।

सीएआई के अनुसार पहली अक्टूबर 2024 को कॉटन का बकाया स्टॉक 30.19 लाख गांठ का बचा हुआ था, जबकि 302.25 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है। चालू सीजन में करीब 25 लाख गांठ कॉटन का आयात होने की उम्मीद है। ऐसे में कुल उपलब्धता 357.44 लाख गांठ की बैठेगी।

चालू फसल सीजन में कॉटन की कुल घरेलू खपत 313 लाख गांठ होने का अनुमान है, जबकि इस दौरान 18 लाख गांठ के निर्यात की उम्मीद है।

चालू फसल सीजन के पहले दो महीनों अक्टूबर से नवंबर अंत तक 69.22 लाख गांठ कॉटन की प्रेसिंग हुई है, जबकि 30.19 लाख गांठ के आरंभिक स्टॉक और 9 लाख गांठ आयात को मिलाकर कुल उपलब्धता 108.41 लाख गांठ की बैठी है। नवंबर अंत तक इसमें से 54 लाख गांठ की खपत हुई है, जबकि 4 लाख गांठ निर्यात के बाद मिलों के पास 28.41 लाख गांठ का बकाया स्टॉक है।

सीसीआई, महाराष्ट्र फेडरेशन, एमएनसी एवं जिनर्स तथा व्यापारियों एवं निर्यातकों के पास कॉटन का कुल 22 लाख गांठ का स्टॉक है।

बुआई में कमी के साथ ही मध्य एवं दक्षिण भारत के राज्यों में हुई बेमौसम बारिश का असर चालू सीजन में कपास की फसल पर पड़ा है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार खरीफ सीजन में कपास की बुआई 14 लाख हेक्टेयर घटकर 112.90 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी, जबकि इसके पिछले साल इसकी बुआई 126.90 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों के दौरान डीओसी का 7 फीसदी घटा - एसईए

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2024-25 की पहले आठ महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान डीओसी के निर्यात में 7 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 2,751,947 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 2,964,042 टन का ही हुआ था। इस दौरान सरसों डीओसी के साथ ही कैस्टर डीओसी के निर्यात में कमी आई है।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार नवंबर में देश से डीओसी के निर्यात में 9 फीसदी की कमी आकर कुल निर्यात 363,620 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले साल नवंबर में इनका निर्यात 397,991 टन का ही हुआ था।

चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों (अप्रैल से नवंबर, 2024) के दौरान सोया डीओसी का निर्यात बढ़कर 12.06 लाख टन का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 9.37 लाख टन का ही हुआ था। इस दौरान यूएई, ईरान और फ्रांस द्वारा अधिक मात्रा में आयात किया गया।

हालांकि, हाल के महीनों में विश्व बाजार में सोया डीओसी की आपूर्ति में वृद्धि के साथ, भारतीय सोया डीओसी को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है और आने वाले महीनों में निर्यात में कमी आने की संभावना है। सरसों डीओसी के मामले में, बांग्लादेश प्रमुख बाजार है, तथा हाल के महीनों में वहां अनिश्चितता बनी हुई है, जिस कारण इसके निर्यात में कमी आई है।

एसईए तेल रहित चावल की भूसी के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने के लिए केंद्र सरकार से मांग कर रही है और उम्मीद है कि सरकार तेल रहित चावल की भूसी के निर्यात की अनुमति देने के लिए कुछ सकारात्मक कदम उठाएगी।

भारतीय बंदरगाह पर नवंबर में सोया डीओसी का भाव कमजोर होकर 372 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि अक्टूबर में इसका दाम 429 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान सरसों डीओसी का मूल्य नवंबर में भारतीय बंदरगाह पर घटकर 270 डॉलर प्रति टन का रह गया, जबकि अक्टूबर में इसका भाव 271 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान कैस्टर डीओसी का दाम अक्टूबर के 88 डॉलर प्रति टन से घटकर नवंबर में 85 डॉलर प्रति टन रह गया।

18 दिसंबर 2024

कपास की सरकारी खरीद 31 लाख गांठ के पार, तेलंगाना एवं महाराष्ट्र की हिस्सेदारी ज्यादा

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2024-25 में कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर 31 लाख गांठ, एक गांठ 170 किलो कपास की खरीद कर चुकी है।


सीसीआई के अनुसार फसल सीजन 2023-24 की समान अवधि में 33 लाख गांठ कपास की खरीद हुई थी।

सूत्रों के अनुसार चालू फसल सीजन में 14 दिसंबर तक कपास की कुल खरीद में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी तेलंगाना की 19.94 लाख गांठ एवं महाराष्ट्र की 5.42 लाख गांठ है। अन्य राज्यों में आंध्र प्रदेश से 1.8 लाख गांठ तथा कर्नाटक से 1.66 लाख गांठ कपास की खरीद हुई है।

गुजरात से समर्थन मूल्य पर 88,506 गांठ तथा मध्य प्रदेश से 86,882 गांठ और ओडिशा से 21,148 गांठ के साथ ही राजस्थान से 13,507 गांठ कपास की खरीद हुई है। चालू सीजन में हरियाणा से 5,576 गांठ तथा पंजाब से 279 गांठ और पश्चिम बंगाल 234 गांठ कपास की सरकारी खरीद हुई है।

केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2024-25 के लिए मध्य रेशे की कपास का समर्थन मूल्य 7,121 रुपये और लंबे रेशे की कपास का 7,521 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।

स्पिनिंग मिलों की मांग बढ़ने के कारण मंगलवार को गुजरात में कॉटन की कीमतों में तेजी आई जबकि उत्तर भारत के राज्यों में इसके दाम स्थिर हो गए।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव में मंगलवार को 200 रुपये तेज होकर 53,400 से 53,600 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो हो गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 5560 से 5570 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5550 से 5560 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5550 से 5600 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव 53,500 से 53,800 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए। देशभर की मंडियों में कपास की आव 1,88,500 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

स्पिनिंग मिलों की मांग सुधरने के कारण गुजरात में कॉटन की कीमतों में तेजी दर्ज की गई जबकि उत्तर भारत के राज्यों में इसके दाम स्थिर बने रहे। व्यापारियों के अनुसार कॉटन की कीमतों में अभी बड़ी तेजी के आसार कम है। आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन के दाम आज कमजोर हुए है, जिस कारण घरेलू बाजार में इसकी कीमत स्थिर हो सकती है।

व्यापारियों के अनुसार खपत का सीजन होने के बावजूद भी सूती धागे की स्थानीय मांग सामान्य की तुलना में कमजोर बनी हुई है। कॉटन के निर्यात में भी पड़ते नहीं लग रहे। हालांकि चालू सीजन में बुआई में आई कमी के साथ ही कई राज्यों में अक्टूबर में हुई बारिश से कॉटन के उत्पादन और क्वालिटी पर पड़ने की आशंका है। इसलिए कॉटन की कीमतों में सीमित तेजी, मंदी बनी रहने का अनुमान है। हालांकि विश्व बाजार में दाम कम होने के कारण चालू सीजन में अभी तक आयात सौदे ज्यादा मात्रा में हुए हैं।

कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू खरीफ सीजन में कपास का उत्पादन 299.26 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो होने का अनुमान है, जो क‍ि पिछले खरीफ 2023-24 के 325.22 लाख गांठ के मुकाबले कम है।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई के आरंभिक अनुसार के अनुसार पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2024-25 में देश में 302.25 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन के उत्पादन का अनुमान है, जोकि इसके पिछले फसल सीजन 2023-24 के 325.29 लाख गांठ से कम है।

चालू पेराई सीजन में मध्य दिसंबर तक चीनी का उत्पादन 18 फीसदी कम - एनएफसीएसएफ

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन (अक्टूबर-24 से सितंबर-25) के पहले ढाई महीनों पहली अक्टूबर एवं 15 दिसंबर के दौरान चीनी के उत्पादन में 17.99 फीसदी की गिरावट आकर कुल उत्पादन 60.85 लाख टन का ही हुआ है, जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में इसका उत्पादन 74.20 लाख टन का हो चुका था।


नेशनल फेडरेशन ऑफ को ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्री लिमिटेड (एनएफसीएसएफ) के अनुसार गन्ने की पेराई ने पहल की तुलना में गति पकड़ी है। मध्य दिसंबर तक देशभर में 472 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है, हालांकि यह आंकड़ा पिछले पेराई सीजन की 501 चीनी मिलों के मुकाबले कम है।

चालू पेराई सीजन 2024-25 के देशभर की चीनी मिलें 15 दिसंबर 2024 तक 719.24 लाख टन गन्ने की पेराई कर चुकी है, जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में 850.92 लाख टन गन्ने की पेराई हो चुकी थी।  

देश में चीनी की रिकवरी दर पिछले सीजन की तुलना में कम आ रही है। 15 दिसंबर 2024 तक औसत चीनी की रिकवरी की दर 8.46 फीसदी की रही है, जबकि पिछले सीजन की समान अवधि के दौरान यह 8.72 फीसदी की थी।

चालू पेराई सीजन 2024-25 में 15 दिसंबर 24 तक महाराष्ट्र की 183 चीनी मिलों ने 207.41 लाख टन गन्ने की पेराई की है, तथा इस दौरान राज्य में 16.80 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है।

उत्तर प्रदेश में सभी 120 चीनी मिलों ने पेराई कार्य शुरू कर दिया है तथा दिसंबर मध्य तक राज्य की चीनी मिलों ने 257.87 लाख टन गन्ने की पेराई की है, जिससे 22.95 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है।

तीसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य कर्नाटक में 76 चीनी मिलों में पेराई चल रही हैं, जिन्होंने मध्य दिसंबर तक 162.65 लाख टन गन्ने की पेराई करके 13.50 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है।

एनएफसीएसएफ के अनुसार, चालू पेराई सीजन 2024-25 के दौरान देश में चीनी का उत्पादन 280 लाख टन होने का अनुमान है।

नेफेड चालू खरीफ में समर्थन मूल्य पर 7,26,206 टन दलहन एवं तिलहन कर चुकी है खरीद

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन 2024 में नेफेड न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर उत्पादक राज्यों से 7,26,206.30 टन दलहन एवं तिलहनी फसलों की खरीद कर चुकी है, जबकि केंद्र सरकार ने पीएसएस स्कीम के तहत 72,18,326 टन फसलों की खरीद को मंजूरी दी हुई है।


सूत्रों के अनुसार चालू खरीफ में केंद्र सरकार ने किसानों से समर्थन मूल्य 8,682 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 3,34,416 टन मूंग की खरीद को मंजूरी दी हुई है, जिसमें से निगम ने 12 दिसंबर तक 1,11,436.70 टन मूंग की खरीद की है। अभी तक खरीद में राजस्थान से 80,200 टन, कर्नाटक से 26,205 टन तथा तेलंगाना से 990 टन और महाराष्ट्र से 40 टन की खरीद हुई है।

इसी तरह से केंद्र सरकार ने चालू खरीफ में किसानों से समर्थन मूल्य 7,400 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 9,39,720 टन उड़द की खरीद को मंजूरी दी हुई है, जिसमें से निगम ने 12 दिसंबर तक केवल 19.05 टन उड़द की खरीद राजस्थान से की है। अन्य राज्यों कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात और उत्तर प्रदेश तथा आंध्र प्रदेश और हरियाणा से खरीद शुरू नहीं हुई है।

केंद्र सरकार ने चालू खरीफ सीजन में किसानों से समर्थन मूल्य 7,550 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 4,91,285 टन अरहर की खरीद को मंजूरी दी हुई है। अरहर की एमएसपी पर खरीद उत्तर प्रदेश से 3,95,170 एवं आंध्र प्रदेश से 95,620 टन के अलावा हरियाणा से 495 टन की मंजूरी केंद्र सरकार ने दी हुई है जोकि अभी शुरू नहीं हुई है।

खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की किसानों से समर्थन मूल्य 4,892 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 33,60,628 टन की खरीद को मंजूरी दी हुई है, जिसमें से निगम ने 12 दिसंबर तक केवल 4,15,015 टन सोयाबीन की खरीद की है। सोयाबीन की खरीद कर्नाटक, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र तथा राजस्थान के किसानों से की जा रही है।

चालू खरीफ सीजन में मूंगफली की खरीद समर्थन मूल्य 6,783 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 20,47,471 टन की खरीद को केंद्र सरकार ने मंजूरी दी हुई है, जिसमें से निगम ने 12 दिसंबर तक 1,96,670 टन की खरीद की है। मूंगफली की खरीद गुजरात, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश तथा कर्नाटक के अलावा हरियाणा और आंध्र प्रदेश के किसानों से की जा रही है।

अन्य तिलहनी फसलों में सनफ्लावर की समर्थन मूल्य 7,280 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 13,210 टन की खरीद को केंद्र सरकार ने मंजूरी दी हुई है, जोकि कर्नाटक के किसानों से की जानी है।

शीशम सीड की न्यूनतम समर्थन मूल्य 9,267 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 31,596 टन की खरीद को केंद्र सरकार ने मंजूरी दी हुई है, जोकि उत्तर प्रदेश और हरियाणा की मंडियों से की जानी है। 

14 दिसंबर 2024

राजस्थान में रबी फसलों की बुआई 87 फीसदी पूरी, गेहूं तथा जौ एवं चना की ज्यादा

नई दिल्ली। राजस्थान में चालू रबी सीजन में फसलों की बुआई 87 फीसदी क्षेत्रफल में हो चुकी है तथा गेहूं एवं जौ के साथ ही दालों की बुआई में बढ़ोतरी हुई है वहीं तिलहनी की बुआई पिछले साल की तुलना में घटी है।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 9 दिसंबर तक राज्य में फसलों की बुआई बढ़कर 103.98 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 98.88 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

गेहूं की बुआई चालू रबी सीजन में बढ़कर 28.04 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 23.98 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। जौ की बुआई चालू रबी में राज्य में 4 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 3.93 लाख हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है।

रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई चालू रबी में बढ़कर 19.66 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 18.26 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। चना की बुआई का लक्ष्य राज्य सरकार ने 22.50 लाख हेक्टेयर का तय किया है। रबी दलहन की अन्य फसलों की बुआई राज्य में 40 हजार हेक्टेयर में ही हुई है। ऐसे में चालू रबी में दलहन की कुल बुआई अभी तक बढ़कर 20.07 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 18.65 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

राज्य में सरसों की बुआई चालू रबी सीजन में 32.67 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 35.50 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। राज्य में सरसों की बुआई का लक्ष्य 40.50 लाख हेक्टेयर का तय किया गया है। अन्य तिलहनी फसलों में तामीरा की बुआई 82 हजार हेक्टेयर में और अलसी की करीब 11 हजार हेक्टेयर में ही हुई है। अत: तिलहनी फसलों की कुल बुआई चालू रबी में घटकर 33.61 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 36.96 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

नवंबर में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात 12 फीसदी बढ़ा - एसईए

नई दिल्ली। चालू तेल वर्ष 2024-25 (नवंबर से अक्टूबर) के पहले महीने नवंबर में देश में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात 12 फीसदी बढ़कर 1,627,642 टन का हुआ है, जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 1,459,814 टन का ही हुआ था।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार अक्टूबर से भारत में अर्जेंटीना से सोया तेल का आयात तेजी से बढ़ा है। अत: सोया तेल के आयात में हुई बढ़ोतरी से घरेलू बाजार में सोयाबीन की कीमतों पर दबाव पड़ रहा है। घरेलू मंडियों में सोयाबीन के दाम 4,892 रुपये प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी के मुकाबले घटकर 4,250 से 4,300 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं। इसका असर घरेलू बाजार में सोयाबीन प्रोसेसर पर पड़ा है, तथा उनकी स्थिति पहले ही खराब है, क्योंकि विश्व बाजार में सोया डीओसी की कीमत नीचे बनी हुई है। अत: किसानों के साथ ही बाजार को समर्थन देने के लिए, एसोसिएशन ने केंद्र सरकार से सीपीओ, एसबीओ, सरसों, सोयाबीन के वायदा कारोबार के निलंबन को हटाने और 20 दिसंबर, 2024 से आगे नहीं बढ़ाने का आग्रह किया है।

नवंबर 2024 के दौरान आयात में हुई बढ़ोतरी के कारण 1 दिसंबर, 2024 तक विभिन्न बंदरगाहों पर खाद्य तेलों का स्टॉक बढ़ गया है। माना जा रहा है कि करीब 998,000 टन (सीपीओ 322,000 टन, आरबीडी पामोलिन 212,000 टन, डिगम्ड सोयाबीन तेल 173,000 टन और क्रूड सूरजमुखी तेल 291,000 टन) स्टॉक होने का अनुमान है। अतः: 1 दिसंबर, 2024 तक कुल खाद्य तेलों का स्टॉक 2,569,000 टन का बचा हुआ है, जबकि 1 नवंबर, 2024 के 2,408,000 टन की तुलना में 161,000 टन ज्यादा है।

नवंबर 2024 के दौरान 171,069 टन की तुलना में 284,537 टन रिफाइंड तेल (आरबीडी पामोलिन) का आयात हुआ है। रिफाइंड तेल के आयात का अनुपात 15 फीसदी से बढ़कर 18 फीसदी हो गया है, जबकि आयात की मात्रा में वृद्धि के बावजूद क्रूड पाम तेल का अनुपात 85 फीसदी से घटकर 82 फीसदी का रह गया है।

अक्टूबर के मुकाबले नवंबर में आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में तेजी का रुख रहा। नवंबर में भारतीय बंदरगाह पर आरबीडी पामोलिन का भाव बढ़कर 1,233 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि अक्टूबर में इसका दाम 1,135 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रूड पाम तेल का दाम नवंबर में बढ़कर 1,269 डॉलर प्रति टन का हो गया, जबकि अक्टूबर में इसका भाव 1,170 डॉलर प्रति टन था। क्रूड सोयाबीन तेल का भाव नवंबर में बढ़कर भारतीय बंदरगाह पर 1,219 डॉलर प्रति टन का हो गया, जबकि अक्टूबर में इसका भाव 1,154 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रूड सनफ्लावर तेल का भाव भारतीय बंदरगाह पर अक्टूबर के 1,168 डॉलर से बढ़कर नवंबर में 1,265 डॉलर प्रति टन हो गया।

अक्टूबर से नवंबर के दौरान सोया डीओसी का निर्यात 34 फीसदी घटा - सोपा

नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2024-25 के पहले दो महीनों अक्टूबर से नवंबर के दौरान सोया डीओसी का निर्यात 34.40 फीसदी 2.41 लाख टन का ही हुआ है, जबकि पिछले फसल सीजन की समान अवधि में इसका निर्यात 3.85 लाख टन का हुआ था।


सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन के अक्टूबर एवं नवंबर में 15.39 लाख टन सोया डीओसी का उत्पादन हुआ है, जबकि नई सीजन के आरंभ में 1.33 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था। इस दौरान 2.41 लाख टन सोया डीओसी का निर्यात हुआ है जबकि 1.50 लाख टन की खपत फूड में एवं 11.50 लाख टन की फीड में हुई है। अत: पहली दिसंबर को मिलों के पास 1.31 लाख टन सोया डीओसी का बकाया स्टॉक बचा हुआ है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.40 लाख टन से कम है।

सोपा के अनुसार फसल सीजन 2024-25 के पहले दो महीनों में देशभर की उत्पादक मंडियों में 34 लाख टन सोयाबीन की आवक हुई है, जिसमें से नवंबर अंत तक 19.50 लाख टन की पेराई हुई है। इस दौरान 95 हजार टन सोयाबीन की खपत डारेक्ट हुई है जबकि 0.02 लाख टन का निर्यात हुआ है। अत: प्लांटों एवं व्यापारियों तथा किसानों के पास पहली दिसंबर को 101.29 लाख टन सोयाबीन का बकाया स्टॉक बचा हुआ है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 105.68 लाख टन की तुलना में कम है।

सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन 2024-25 में देश में सोयाबीन का उत्पादन 125.82 लाख टन का हुआ है, जबकि 8.94 लाख टन का बकाया स्टॉक नई फसल की आवक के समय बचा हुआ था। अत: कुल उपलब्धता 134.76 लाख टन की बैठी है, जबकि चालू सीजन में करीब 3 लाख टन सोयाबीन के आयात का अनुमान है। पिछले फसल सीजन में 118.74 लाख टन सोयाबीन का उत्पादन हुआ था, जबकि नई फसल की आवक के समय 24.07 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था। अत: पिछले साल कुल उपलब्धता 142.81 लाख टन की बैठी थी, जबकि 6.25 लाख टन का आयात हुआ था। 

स्पिनिंग मिलों की मांग घटने से गुजरात में कॉटन मंदी, उत्तर भारत में तेज

नई दिल्ली। स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने के कारण मंगलवार को गुजरात में लगातार दूसरे दिन कॉटन की कीमतों में गिरावट आई, जबकि इस दौरान उत्तर भारत के राज्यों में इसके भाव में सुधार आया।


गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव में मंगलवार को 100 रुपये की गिरावट आकर दाम 53,600 से 53,800 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो रह गए। राज्य में सोमवार को भी इसके दाम 150 रुपये प्रति कैंडी तक कमजोर हुए थे।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 10 रुपये तेज होकर 5600 से 5610 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 10 रुपये बढ़कर 5590 से 5600 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 10 रुपये तेज होकर 5590 से 5640 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव घटकर 53,800 से 54,000 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए। देशभर की मंडियों में कपास की आव 1,84,500 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स के साथ ही एनसीडीएक्स पर आज शाम को कॉटन की कीमतों में में गिरावट का रुख रहा। इस दौरान आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतों में मंदा आया।

स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने के कारण गुजरात में कॉटन की कीमतों में गिरावट आई, जबकि नीचे दाम पर बिकवाली कम आने से उत्तर भारत के राज्यों में सुधार आया। जानकारों के अनुसार हाल ही आईसीई कॉटन वायदा के दाम कमजोर हुए हैं, जिस कारण घरेलू बाजार में भी स्पिनिंग मिलों की खरीद पहले की तुलना में कम हो गई।

व्यापारियों के अनुसार खपत का सीजन होने के बावजूद भी सूती धागे की स्थानीय मांग सामान्य की तुलना में कमजोर बनी हुई है। कॉटन के निर्यात में भी पड़ते नहीं लग रहे। हालांकि चालू सीजन में बुआई में आई कमी के साथ ही कई राज्यों में अक्टूबर में हुई बारिश से कॉटन के उत्पादन और क्वालिटी पर पड़ने की आशंका है। इसलिए कॉटन की कीमतों में सीमित तेजी, मंदी बनी रहने का अनुमान है। हालांकि विश्व बाजार में दाम कम होने के कारण चालू सीजन में अभी तक आयात सौदे ज्यादा मात्रा में हुए हैं।

चालू फसल सीजन में कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई करीब 22 लाख गांठ कपास की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर कर चुकी है।

कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू खरीफ सीजन में कपास का उत्पादन 299.26 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो होने का अनुमान है, जो क‍ि पिछले खरीफ 2023-24 के 325.22 लाख गांठ के मुकाबले कम है।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई के आरंभिक अनुसार के अनुसार पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2024-25 में देश में 302.25 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन के उत्पादन का अनुमान है, जोकि इसके पिछले फसल सीजन 2023-24 के 325.29 लाख गांठ से कम है।

10 दिसंबर 2024

राजस्थान में गेहूं एवं दलहन की बुआई बढ़ी, तिलहन एवं जौ की घटी

नई दिल्ली। राजस्थान में चालू रबी सीजन में गेहूं एवं दालों की बुआई में बढ़ोतरी हुई है वहीं तिलहनी एवं जौ की बुआई पिछले साल की तुलना में घटी है।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 6 दिसंबर तक राज्य में फसलों की बुआई बढ़कर 101.28 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 96.71 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

राज्य में सरसों की बुआई चालू रबी सीजन में 32.69 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 34.95 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। राज्य में सरसों की बुआई का लक्ष्य 40.50 लाख हेक्टेयर का तय किया गया है। अन्य तिलहनी फसलों में तामीरा की बुआई 81 हजार हेक्टेयर में और अलसी की करीब 11 हजार हेक्टेयर में ही हुई है। अत: तिलहनी फसलों की कुल बुआई चालू रबी में घटकर 33.60 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 36.30 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई चालू रबी में बढ़कर 19.68 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 17.79 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। चना की बुआई का लक्ष्य राज्य सरकार ने 22.50 लाख हेक्टेयर का तय किया है। रबी दलहन की अन्य फसलों की बुआई राज्य में 40 हजार हेक्टेयर में ही हुई है। ऐसे में चालू रबी में दलहन की कुल बुआई अभी तक बढ़कर 20.08 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 18.193 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

गेहूं की बुआई चालू रबी सीजन में बढ़कर 26.17 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 22.60 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। जौ की बुआई चालू रबी में राज्य में 3.63 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 3.69 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है।

सीसीआई ने 22 लाख गांठ से ज्यादा कॉटन खरीदी, घरेलू बाजार में दाम कमजोर

नई दिल्ली। कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई चालू खरीफ विपणन सीजन 2024-25 में न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर करीब 22 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन की खरीद कर चुकी है। घरेलू बाजार में स्पिनिंग मिलों की खरीद कमजोर होने से शनिवार को गुजरात के साथ उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में गिरावट का रुख रहा।


सूत्रों के अनुसार देशभर की मंडियों में कपास की दैनिक आवक करीब दो लाख गांठ की हो रही है, जिसमें से सीसीआई आधे से भी कम की खरीद समर्थन मूल्य पर कर रही है। निगम घरेलू बाजार में फसल सीजन 2023-24 की खरीदी हुई कॉटन की लगातार बिकवाली भी कर रही है। अत: घरेलू बाजार में स्पिनिंग मिलें इस समय केवल जरुरत के हिसाब से ही कॉटन की खरीद कर रही है जिस कारण कीमतों पर दबाव है।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव शनिवार को 100 रुपये कमजोर होकर दाम 53,800 से 54,100 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो रह गए।

पंजाब में शनिवार को रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 25 रुपये कमजोर होकर 5590 से 5610 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 30 रुपये घटकर 5580 से 5590 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 35 रुपये कमजोर होकर 5590 से 5630 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव घटकर 54,000 से 54,200 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

व्यापारियों के अनुसार स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने के कारण गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में मंदा आया है, क्योंकि हाल ही में विश्व बाजार में कॉटन के दाम कमजोर हुए हैं, जिस कारण मिलें इन्वेंट्री नहीं बढ़ा रही है।

जानकारों के अनुसार खपत का सीजन होने के बावजूद भी सूती धागे की स्थानीय मांग सामान्य की तुलना में कमजोर बनी हुई है। विश्व बाजार में दाम नीचे हैं, जिस कारण घरेलू बाजार से कॉटन के निर्यात में भी पड़ते नहीं लग रहे। हालांकि चालू सीजन में बुआई में आई कमी के साथ ही कई राज्यों में अक्टूबर में हुई बारिश से कॉटन के उत्पादन और क्वालिटी पर पड़ने की आशंका है। इसलिए कॉटन की कीमतों में सीमित तेजी, मंदी बनी रहने का अनुमान है। हालांकि विश्व बाजार में दाम कम होने के कारण चालू सीजन में अभी तक आयात सौदे ज्यादा मात्रा में हुए हैं।

कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू खरीफ सीजन में कपास का उत्पादन 299.26 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो होने का अनुमान है, जो क‍ि पिछले खरीफ 2023-24 के 325.22 लाख गांठ के मुकाबले कम है।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई के आरंभिक अनुसार के अनुसार पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2024-25 में देश में 302.25 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन के उत्पादन का अनुमान है, जोकि इसके पिछले फसल सीजन 2023-24 के 325.29 लाख गांठ से कम है।

चालू खरीफ विपणन सीजन में धान की एमएसपी पर खरीद 323.29 लाख टन के पार

नई दिल्ली। चालू खरीफ विपणन सीजन 2024-25 में धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद बढ़कर 323.29 लाख टन की हो गई है तथा अभी तक कुल खरीद में सबसे ज्यादा पंजाब एवं हरियाणा से 226.17 लाख टन धान की खरीद हुई है।


सूत्रों के अनुसार हरियाणा एवं पंजाब की मंडियों से परम धान की आवक पहले की तुलना में कम हुई है, जबकि दक्षिण भारत के राज्यों में धान की आवक पहले की तुलना में बढ़ी है।

सेंट्रल फूड ग्रेन प्रोक्योरमेंट पोर्टल के अनुसार पंजाब की मंडियों में 6 दिसंबर तक कुल 172.26 लाख टन धान की खरीद एजेंसियों और एफसीआई द्वारा की जा चुकी है। इस दौरान हरियाणा की मंडियों से 53.91 लाख टन धान की खरीद हो चुकी है।

अन्य राज्यों में हिमाचल से 34,307 टन, जम्मू कश्मीर से 27,982 टन, बिहार से 87,895 टन तथा आंध्र प्रदेश से 11.03 लाख टन धान की एमएसपी पर खरीद हो चुकी है। इस दौरान केरल से 51,367 टन, तमिलनाडु से 5,17,305 टन तथा तेलंगाना से 28,78,510 टन के अलावा उत्तराखंड से 5,09,991 टन तथा उत्तर प्रदेश से 15,72,164 टन धान की खरीद समर्थन मूल्य पर हुई है। गुजरात से 15,395 टन धान की सरकारी खरीद हुई है।

केंद्र सरकार के अनुसार खरीफ विपणन सीजन 2024-25 के दौरान पंजाब से करीब 185 लाख टन और हरियाणा से 60 लाख टन धान की खरीद की खरीद का लक्ष्य तय किया है।

केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के अनुसार खरीफ विपणन सीजन 2024-25 के लिए धान की खरीद 1 अक्टूबर 2024 से शुरू करने का निर्णय लिया था, लेकिन नमी ज्यादा होने के कारण खरीद में तेजी मध्य अक्टूबर के बाद आई।

केंद्र सरकार ने चालू खरीफ विपणन सीजन 2024-25 के लिए कॉमन धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य,एमएसपी 2,300 रुपये और ग्रेड-ए धान का समर्थन मूल्य 2,320 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।