कुल पेज दृश्य

22 नवंबर 2024

तेल मिलों की मांग कमजोर बनी रहने से सरसों दूसरे दिन मंदी, दैनिक आवक बढ़ी

नई दिल्ली। तेल मिलों की मांग कमजोर बनी रहने के कारण घरेलू बाजार में गुरुवार को लगातार दूसरे दिन सरसों की कीमतों में मंदा आया। जयपुर में कंडीशन की सरसों के भाव 50 रुपये कमजोर होकर दाम 6,675 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान सरसों की दैनिक आवक बढ़कर 2 लाख बोरियों की हुई।

विदेशी बाजार में खाद्वय तेलों की कीमतों में मिलाजुला रुख रहा। मलेशियाई पाम तेल के दाम एक फीसदी के करीब कमजोर हुए। हालांकि इस दौरान शिकागो में सोया तेल की कीमतों में शाम से सत्र में तेजी आई। उधर डालियान में खाद्वय तेलों में गिरावट दर्ज की गई। जानकारों के अनुसार बाजार में इस बात की अटकलें लगाई जा रही हैं कि आने वाला ट्रम्प प्रशासन चीनी वस्तुओं के आयात पर 40 फीसदी टैरिफ लगा सकता है। बुधवार को घरेलू बाजार में सरसों तेल की कीमतों में दूसरे दिन गिरावट आई, जबकि इस दौरान सरसों खल की कीमतों में बड़ी गिरावट आई।

उत्पादक राज्यों की मंडियों में सरसों की दैनिक आवकों में बढ़ोतरी दर्ज की गई। घरेलू बाजार में तेल मिलों के मुकाबले, किसान एवं स्टॉकिस्ट के पास सरसों का बकाया स्टॉक ज्यादा मात्रा में बचा हुआ है। हालांकि खपत का सीजन होने के कारण घरेलू बाजार में सरसों तेल में मांग अभी बनी रहेगी, लेकिन इसकी कीमतों में तेजी, मंदी काफी हद तक आयातित खाद्वय तेलों के दाम पर ही निर्भर करेगी।

चीन से आयात पर अमेरिकी टैरिफ की आशंका और खाद्वय तेल बाजार में सुस्त मांग के कारण मलेशियाई क्रूड पाम तेल (सीपीओ) वायदा गुरुवार को लगातार दूसरे सत्र में गिरावट के साथ बंद हुआ।

बुर्सा मलेशिया डेरिवेटिव एक्सचेंज, बीएमडी पर फरवरी डिलीवरी के पाम तेल वायदा अनुबंध में 46 रिंगिट यानी की 0.96 फीसदी की गिरावट आकर भाव 4,769 रिंगिट प्रति टन पर बंद हुए। इस दौरान डालियान के सबसे सक्रिय सोया तेल वायदा अनुबंध में 1.41 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि इसके पाम ऑयल वायदा अनुबंध में 3.94 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। हालांकि शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड में, सोया तेल की कीमतों में 0.85 फीसदी की तेजी आई।

विश्व स्तर पर कमजोर मांग की आशंका ने पाम तेल की कीमतों पर दबाव डाला। वैसे भी नवंबर और दिसंबर में पर्याप्त आपूर्ति की उम्मीद है क्योंकि प्रमुख खरीदार भारत ने पहले ही खाद्वय तेलों का पर्याप्त स्टॉक जमा कर लिया है।

पाम तेल के व्यापार की मुद्रा रिंगिट डॉलर के मुकाबले 0.2 फीसदी मजबूत हुआ, जिससे मलेशियाई पाम तेल विदेशी खरीदारों के लिए महंगा हो गया।

जयपुर में सरसों तेल कच्ची घानी और एक्सपेलर की कीमतों में गुरूवार को भी गिरावट आई। कच्ची घानी सरसों तेल के भाव 20 रुपये कमजोर होकर 1,365 रुपये प्रति 10 किलो रह गए, जबकि सरसों एक्सपेलर तेल के दाम भी 20 रुपये घटकर 1,355 रुपये प्रति 10 किलो रह गए। इस दौरान जयपुर में सरसों खल के भाव 70 रुपये कमजोर होकर 2,355 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

देशभर की मंडियों में सरसों की दैनिक आवक बढ़कर 2 लाख बोरियों की हुई, जबकि इसके पिछले कार्यदिवस में आवक केवल 1.95 लाख बोरियों की ही हुई थी। कुल आवकों में से प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान की मंडियों में सरसों की एक लाख बोरी, जबकि मध्य प्रदेश की मंडियों में 20 हजार बोरी, उत्तर प्रदेश की मंडियों में 25 हजार बोरी, पंजाब एवं हरियाणा की मंडियों में 5 हजार बोरी तथा गुजरात में 10 हजार बोरी, एवं अन्य राज्यों की मंडियों में 40 हजार बोरियों की आवक हुई।

स्पिनिंग मिलों की खरीद से गुजरात एवं उत्तर भारत में कॉटन तेज

नई दिल्ली। नीचे दाम पर स्पिनिंग मिलों की मांग बढ़ने के कारण गुरुवार को दोपहर बाद गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में तेजी आई। गुजरात की मंडियों में पिछले सात कार्य दिवसों से इसके भाव में लगातार गिरावट बनी हुई थी।


गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव में गुरुवार को 250 रुपये की तेजी आकर दाम 53,800 से 54,100 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो हो गए। इसकी कीमतों में 12 नवंबर से 20 नवंबर तक 1,350 रुपये प्रति कैंडी का मंदा आया था।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव तेज होकर 5640 से 5650 रुपये प्रति मन बोले गए।
हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव बढ़कर 5625 से 5635 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव तेज होकर 5610 से 5660 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव तेज होकर 54,200 से 54,300 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए। देशभर की मंडियों में कपास की आव 1,46,900 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स के साथ ही एनसीडीएक्स पर आज शाम को कॉटन की कीमतों में में मिलाजुला रुख रहा। इस दौरान आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतों में तेजी आई।

नीचे दाम पर स्पिनिंग मिलों की मांग बढ़ने के कारण गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में तेजी आई है। व्यापारियों के अनुसार विदेशी बाजार में कॉटन की कीमतों में सुधार तो आया है, लेकिन अभी एकतरफा बड़ी तेजी के आसार नहीं है। खपत का सीजन होने के बावजूद भी सूती धागे की स्थानीय मांग सामान्य की तुलना में कमजोर बनी हुई है साथ ही कॉटन के निर्यात में भी पड़ते नहीं लग रहे, क्योंकि विश्व बाजार में कॉटन की कीमत अभी भी भारत की तुलना में पांच से छह फीसदी कम हैं। हालांकि चालू सीजन में बुआई में आई कमी के साथ ही कई राज्यों में अक्टूबर में हुई बारिश से कॉटन के उत्पादन और क्वालिटी पर पड़ने की आशंका है। इसलिए कॉटन की कीमतों में सीमित तेजी, मंदी बनी रहने का अनुमान है। हालांकि विश्व बाजार में दाम कम होने के कारण चालू सीजन में अभी तक आयात सौदे ज्यादा मात्रा में हुए हैं।

सीसीआई ने 15 नवंबर को तेलंगाना, पंजाब और हरियाणा में फसल सीजन 2023-24 की 28,800 गांठ कॉटन की बिक्री की थी।

कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू खरीफ सीजन में कपास का उत्पादन 299.26 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो होने का अनुमान है, जो क‍ि पिछले खरीफ 2023-24 के 325.22 लाख गांठ के मुकाबले कम है।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई के आरंभिक अनुसार के अनुसार पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2024-25 में देश में 302.25 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन के उत्पादन का अनुमान है, जोकि इसके पिछले फसल सीजन 2023-24 के 325.29 लाख गांठ से कम है।

जनवरी से अक्टूबर के दौरान कैस्टर तेल का निर्यात 12.75 फीसदी बढ़ा - एसईए

नई दिल्ली। चालू वर्ष के जनवरी से अक्टूबर के दौरान कैस्टर तेल के निर्यात में 12.75 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 4,21,018 टन का हुआ है, जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 3,73,406 टन का ही हुआ था।


साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार अक्टूबर में कैस्टर तेल का निर्यात बढ़कर 48,209 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल अक्टूबर में इसका निर्यात केवल 47,473 टन का ही हुआ था। मूल्य के हिसाब से अक्टूबर में कैस्टर तेल का निर्यात 601.65 करोड़ रुपये का हुआ है, जबकि पिछले साल अक्टूबर में इसका निर्यात 604.50 करोड़ रुपये का ही हुआ था।

व्यापारियों के अनुसार चालू सीजन में बुआई में आई कमी से कैस्टर सीड का उत्पादन कम होने का अनुमान है, जिस कारण इसके भाव में हाल ही में तेजी आई है।

गुजरात की मंडियों में बुधवार को कैस्टर सीड के भाव पांच रुपये कमजोर होकर 1,280 से 1,300 रुपये प्रति 20 किलो रह गए। राजकोट में कमर्शियल तेल के भाव इस दौरान 10 रुपये घटकर 1,320 रुपये और एफएसजी के 10 रुपये कमजोर होकर 1,330 रुपये प्रति 10 किलो रह गए।

देशभर की मंडियों में कैस्टर सीड की दैनिक आवक सोमवार को 29 से 30 हजार बोरी, एक बोरी 35 किलो की हुई, जिसमें से गुजरात की मंडियों में 22 से 24 हजार बोरी तथा राजस्थान की मंडियों में चार से पांच हजार बोरियों की हो रही है। इसके अलावा करीब 2,000 से 2,500 बोरी सीधे मिल पहुंच का व्यापार हो रहा है।

कृषि मंत्रालय के आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2024-25 के दौरान कैस्टर सीड का उत्पादन घटकर 15.53 लाख टन ही होने का अनुमान है, जबकि इसके पिछले फसल सीजन में 19.59 लाख टन का उत्पादन हुआ था।

कृषि मंत्रालय के अनुसार खरीफ सीजन में कैस्टर सीड की बुआई घटकर केवल 8.20 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 9.50 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम थी। 

राजस्थान में रबी फसलों की बुआई 3.25 फीसदी बढ़ी, गेहूं के साथ जौ की ज्यादा

नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में राजस्थान में रबी फसलों की बुआई 3.25 फीसदी बढ़कर 18 नवंबर तक 68.22 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 66.07 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।


चालू रबी में गेहूं के साथ ही जौ की बुआई में बढ़ोतरी हुई है, जबकि सरसों एवं चना की बुआई पिछले साल की तुलना में पीछे चल रही है।

राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार सरसों की बुआई चालू रबी सीजन में 30.18 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 32.22 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। राज्य में सरसों की बुआई का लक्ष्य 40.50 लाख हेक्टेयर का तय किया गया है।

अन्य तिलहनी फसलों में तामीरा की बुआई 67 हजार हेक्टेयर में और अलसी की 8 हजार हेक्टेयर में ही हुई है।  

रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई चालू रबी में घटकर 14.58 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 15.17 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। चना की बुआई का लक्ष्य राज्य सरकार ने 22.50 लाख हेक्टेयर का तय किया है।

रबी दलहन की अन्य फसलों की बुआई राज्य में 37 हजार हेक्टेयर में ही हुई है।

गेहूं की बुआई चालू रबी सीजन में बढ़कर 11.77 लाख हेक्टेयर में और जौ की 2.12 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 7.91 लाख हेक्टेयर और 1.43 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

19 नवंबर 2024

सीसीआई ने पुरानी कॉटन की बिक्री कीमतों में कटौती की, नई की खरीद सीमित

नई दिल्ली। घरेलू बाजार में सोमवार को कॉटन की कीमतों पर दबाव देखा गया, क्योंकि कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई ने जहां पुरानी कपास की बिक्री कीमतों में कटौती की, वहीं नई कपास की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद सीमित मात्रा में हो रही है।


गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव में सोमवार को 150 रुपये की गिरावट आकर दाम 53,800 से 54,200 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो रह गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव कमजोर होकर 5580 से 5590 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव घटकर 5570 से 5580 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव कमजोर होकर 5560 से 5610 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव 53,600 से 53,900 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए। देशभर की मंडियों में कपास की आव 1,34,650 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स के साथ ही एनसीडीएक्स पर आज शाम को कॉटन की कीमतों में में गिरावट का रुख रहा। हालांकि इस दौरान आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतों में सुधार आया।

स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने के कारण गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में गिरावट आई है। जानकारों के अनुसार घरेलू बाजार में सीसीआई लगातार कॉटन बेच रही है, तथा कॉटन की बिक्री कीमतों में कटौती से भाव पर दबाव है। उधर विदेशी बाजार में कॉटन की कीमतों में हाल ही में मंदा आया है, जिस कारण घरेलू बाजार में इसकी कीमतों पर दबाव है।

व्यापारियों के अनुसार खपत का सीजन होने के बावजूद भी सूती धागे की मांग सामान्य की तुलना में कमजोर हुई है साथ ही कॉटन के निर्यात में भी पड़ते नहीं लग रहे। हालांकि चालू सीजन में बुआई में आई कमी के साथ ही कई राज्यों में अक्टूबर में हुई बारिश से कॉटन के उत्पादन और क्वालिटी पर पड़ने की आशंका है। इसलिए कॉटन की कीमतों में सीमित तेजी, मंदी बनी रहने का अनुमान है। हालांकि विश्व बाजार में दाम कम होने के कारण आयात सौदे ज्यादा मात्रा में हुए हैं।

कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू खरीफ सीजन में कपास का उत्पादन 299.26 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो होने का अनुमान है, जो क‍ि पिछले खरीफ 2023-24 के 325.22 लाख गांठ के मुकाबले कम है।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई के आरंभिक अनुसार के अनुसार पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2024-25 में देश में 302.25 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन के उत्पादन का अनुमान है, जोकि इसके पिछले फसल सीजन 2023-24 के 325.29 लाख गांठ से कम है।

चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों के दौरान डीओसी का 7 फीसदी घटा - एसईए

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2024-25 की पहले सात महीनों अप्रैल से अक्टूबर के दौरान डीओसी के निर्यात में 7 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 2,388,327 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 2,566,051 टन का ही हुआ था। इस दौरान सरसों डीओसी के साथ ही कैस्टर डीओसी के निर्यात में कमी आई है।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार अक्टूबर में देश से डीओसी के निर्यात में 5 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 305,793 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल अक्टूबर में इनका निर्यात 289,931 टन का ही हुआ था।

एसईए के अनुसार चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों अप्रैल से अक्टूबर 2024 के दौरान सोयाबीन डीओसी का निर्यात बढ़कर 10.23 लाख टन का हो गया, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 6.74 लाख टन का ही हुआ था। इस दौरान यूएई, ईरान और फ्रांस द्वारा अधिक मात्रा में आयात किया गया।

भारत लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक आवश्यक पशु आहार घटक के रूप में रेपसीड डीओसी का प्रमुख निर्यातक रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) में, भारत ने लगभग 2.2 मिलियन टन सरसों डीओसी का निर्यात किया था, जिससे किसानों को उनकी उपज के लिए बेहतर मूल्य प्राप्त करने में महत्वपूर्ण सहायता मिली थी। लेकिन, इस वर्ष कई चुनौतियां सामने आई हैं जिस कारण अप्रैल से अक्टूबर 2024 तक, सरसों डीओसी के निर्यात में लगभग 25 फीसदी की गिरावट आई है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के 1.51 मिलियन टन की तुलना में चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में केवल 1.18 मिलियन टन सरसों डीओसी का ही निर्यात हुआ। निर्यात में आई गिरावट का प्रमुख कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय सरसों डीओसी के ऊंचे दाम होना है।

वैश्विक स्तर पर सोयाबीन डीओसी की उपलब्धता ज्यादा है। वैश्विक सोयाबीन उत्पादन में लगभग 28 मिलियन टन की वृद्धि होकर कुल उत्पादन 422 मिलियन टन तक पहुँच गया। खाद्य और ऊर्जा के लिए सोयाबीन तेल की बढ़ती माँग ने पेराई गतिविधियों को बढ़ावा दिया है, जिसके परिणामस्वरूप सोयाबीन डीओसी की अधिक आपूर्ति हुई है। अत: सरसों डीओसी सहित अन्य सभी डीओसी की कीमतों पर दबाव बना है। एसोसिएशन ने सरकार से अपील की है कि वह अंतर्राष्ट्रीय बाजार में डीओसी के निर्यात को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए परिवहन सब्सिडी, ब्याज छूट आदि के माध्यम से 15 फीसदी प्रोत्साहन देने पर विचार करे।

भारतीय बंदरगाह पर अक्टूबर में सोया डीओसी का भाव कमजोर होकर 429 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि सितंबर में इसका दाम 490 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान सरसों डीओसी का मूल्य अक्टूबर में भारतीय बंदरगाह पर घटकर 271 डॉलर प्रति टन का रह गया, जबकि सितंबर में इसका भाव 283 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान कैस्टर डीओसी का दाम सितंबर के 89 डॉलर प्रति टन से घटकर अक्टूबर में 88 डॉलर प्रति टन रह गया।

बारह फीसदी तक नमी वाली कपास को किसान एमएसपी से नीचे दाम नहीं बेचे - सीसीआई

नई दिल्ली। कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई ने देशभर के कपास किसानों से अपील की है कि वे 12 फीसदी तक नमी वाली कपास को एमएसपी दरों से नीचे दाम पर न बेचें। किसानों की सुविधा के लिए सीसीआई ने देश भर में कपास की समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए लगभग 500 खरीद केंद्र खोले हुए हैं।


सीसीआई के अनुसार किसान अधिक जानकारी के लिए कृपया Cott-Ally mobile app डाउनलोड करें। सीसीआई पांच राज्यों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कपास की खरीद कर रही है क्योंकि बाजार में कपास की कीमत एमएसपी से कम हैं।

पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू खरीफ विपणन सीजन में निगम अभी तक 2.25 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कपास की खरीद कर चुकी है। जानकारों के अनुसार भारतीय कपास अभी भी अंतरराष्ट्रीय कीमतों की तुलना में लगभग 5 फीसदी महंगी है। साथ ही धागे की स्थानीय एवं निर्यात कमजोर है, इसलिए कपास की कीमत कमजोर बनी हुई हैं।

केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2024-25 के लिए कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी में 501 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है। अत: मीडियम स्टेपल कैटेगरी की कपास का एमएसपी 7,121 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि लॉन्ग स्टेपल कैटेगरी की कपास का एमएसपी 7,521 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है।

स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर के कारण गुरुवार को गुजरात में कॉटन के दाम कमजोर हुए, जबकि इस दौरान उत्तर भारत के राज्यों में इसके भाव में तेजी आई।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव में गुरुवार को 150 रुपये की गिरावट आकर दाम 54,400 से 54,700 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो रह गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव तेज होकर 5620 से 5630 रुपये प्रति मन बोले गए।हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव बढ़कर 5610 से 5620 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव बढ़कर 5610 से 5650 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव 54,000 से 54,100 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आव 1,31,000 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स के साथ ही एनसीडीएक्स पर आज शाम को कॉटन की कीमतों में में गिरावट का रुख रहा। इस दौरान आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतों में सुधार आया।

स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने के कारण गुजरात में लगातार तीसरे दिन कॉटन की कीमतों में गिरावट आई, लेकिन उत्तर भारत के राज्यों में इसके भाव में सुधार आया। विदेशी बाजार में कॉटन की कीमतों में हाल ही में मंदा आया है, जिस कारण घरेलू बाजार में इसकी कीमतों पर दबाव है। व्यापारियों के अनुसार खपत का सीजन होने के बावजूद भी सूती धागे की मांग सामान्य की तुलना में कमजोर हुई है साथ ही कॉटन के निर्यात में भी पड़ते नहीं लग रहे। हालांकि चालू सीजन में बुआई में आई कमी के साथ ही कई राज्यों में अक्टूबर में हुई बारिश से कॉटन के उत्पादन और क्वालिटी पर पड़ने की आशंका है। इसलिए कॉटन की कीमतों में सीमित तेजी, मंदी बनी रहने का अनुमान है। हालांकि विश्व बाजार में दाम कम होने के कारण आयात सौदे ज्यादा मात्रा में हुए हैं।

तेल वर्ष 2023-24 के दौरान खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 3 फीसदी घटा - एसईए

नई दिल्ली। तेल वर्ष 2023-24 (नवंबर से अक्टूबर) के दौरान देश में खाद्वय तेलों का आयात घटकर 159.6 लाख टन का ही हुआ है, जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इसका आयात 164.7 लाख टन का हुआ था।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार तेल वर्ष 2023-24 के दौरान देश में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 162.3 लाख टन का ही हुआ है, जो कि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि के 167.1 लाख टन की तुलना में 3 फीसदी कम है। तेल वर्ष 2023-24 के दौरान हुए आयात में खाद्वय तेलों की हिस्सेदारी 159.6 लाख टन एवं अखाद्य तेलों की 2.7 लाख टन की है।

एसईए के अनुसार आपूर्ति और मांग के बीच के अंतर को पाटने के लिए भारत ने 1990 के दशक से खाद्वय तेलों के आयात का सहारा लिया। शुरुआती दौर में आयात की मात्रा बहुत कम थी। हालांकि, पिछले 20 वर्षों (2003-04 से 2023-24) में आयात की मात्रा में 2.2 गुना वृद्धि हुई है, जबकि आयात की लागत लगभग 13 गुना बढ़ गई है। 2023-24 में देश को 160 लाख टन खाद्य तेलों के आयात के लिए लगभग 1.31 लाख करोड़ रुपये खर्च करने पड़े।

1 नवंबर, 2024 को विभिन्न बंदरगाहों पर खाद्य तेलों का घरेलू स्टॉक करीब 657,000 टन होने का अनुमान है, जिसमें 259,000 टन सीपीओ, 101,000 टन आरबीडी पामोलिन, 133,000 टन डिगम्ड सोयाबीन तेल और 164,000 टन क्रूड सूरजमुखी तेल शामिल है। इसके अतिरिक्त, कारखानों, थोक विक्रेताओं, वितरकों और खुदरा विक्रेताओं के पास खाद्वय तेलों का स्टॉक 1,751,000 टन होने का अनुमान है। 1 नवंबर, 2024 को कुल स्टॉक 2,408,000 टन का है, जो कि 1 अक्टूबर, 2024 के 2,454,000 टन की तुलना में 46,000 टन कम है।

आरबीडी पामोलिन और क्रूड पाम ऑयल (सीपीओ) का आयात देश में प्रमुख रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया से होता है। नवंबर 2023 से अक्टूबर 2024 की अवधि के दौरान प्रमुख इंडोनेशिया से 3,192,490 टन सीपीओ और 1,633,197 टन आरबीडी पामोलिन का आयात हुआ है। इस दौरान मलेशिया से 2,869,567 टन सीपीओ और 293,057 टन आरबीडी पामोलिन तथा 85,453 टन सीपीकेओ का आयात किया गया।  

सितंबर के मुकाबले अक्टूबर में आयातित खाद्वय तेलों की कीमतों में तेजी का रुख रहा। अक्टूबर में भारतीय बंदरगाह पर आरबीडी पामोलिन का भाव बढ़कर 1,135 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि सितंबर में इसका दाम 1,038 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रूड पाम तेल का दाम अक्टूबर में बढ़कर 1,170 डॉलर प्रति टन का हो गया, जबकि सितंबर में इसका भाव 1,071 डॉलर प्रति टन था। क्रूड सोयाबीन तेल का भाव अक्टूबर में बढ़कर भारतीय बंदरगाह पर 1,154 डॉलर प्रति टन का हो गया, जबकि सितंबर में इसका भाव 1,045 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रूड सनफ्लावर तेल का भाव भारतीय बंदरगाह पर सितंबर के 1,070 डॉलर से बढ़कर अक्टूबर में 1,168 डॉलर प्रति टन हो गया।

स्पिनिंग मिलों की मांग घटने से गुजरात के साथ ही उत्तर भारत में कॉटन कमजोर

नई दिल्ली। स्पिनिंग मिलों की मांग घटने के कारण मंगलवार को गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन के दाम कमजोर हुए।


गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव में मंगलवार को 300 रुपये की गिरावट आकर दाम 54,800 से 55,000 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो रह गए।

पंजाब में नई रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव नरम होकर 5660 से 5670 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में नई रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव घटकर 5630 से 5640 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में नई रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव घटकर 5635 से 5675 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव 54,300 से 54,500 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आव 1,26,000 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स के साथ ही एनसीडीएक्स पर आज शाम को कॉटन की कीमतों में में गिरावट का रुख रहा। इस दौरान आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में भी कॉटन की कीमतों में मिलाजुला रुख रहा।

स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने के कारण गुजरात में कॉटन की कीमतों में गिरावट आई, लेकिन उत्तर भारत के राज्यों में इसकी कीमत नरम हुई। विदेशी बाजार में कॉटन के भाव में हाल ही में मंदा आया है, जिस कारण घरेलू बाजार में इसकी कीमतों पर दबाव है। व्यापारियों के अनुसार दीपावली के बाद सूती धागे की मांग सामान्य की तुलना में कमजोर हुई है साथ ही कॉटन के निर्यात में भी पड़ते नहीं लग रहे। हालांकि चालू सीजन में बुआई में आई कमी के साथ ही कई राज्यों में अक्टूबर में हुई बारिश से कॉटन के उत्पादन और क्वालिटी पर पड़ने की आशंका है। इसलिए कॉटन की कीमत रुक सकती है। हालांकि विश्व बाजार में दाम कम होने के कारण आयात सौदे ज्यादा मात्रा में हुए हैं।

जानकारों के अनुसार कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई कई राज्यों की मंडियों से न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर कपास की खरीद कर रही है, लेकिन नए मालों में नमी की मात्रा ज्यादा होने के कारण समर्थन मूल्य पर खरीद सीमित मात्रा में ही हो रही है। हालांकि आगामी दिनों में सूखे मालों की आवक बढ़ने पर खरीद में तेजी आने का अनुमान है।

कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू खरीफ सीजन में कपास का उत्पादन 299.26 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो होने का अनुमान है, जो क‍ि पिछले खरीफ 2023-24 के 325.22 लाख गांठ के मुकाबले कम है।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई के आरंभिक अनुसार के अनुसार पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2024-25 में देश में 302.25 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन के उत्पादन का अनुमान है, जोकि इसके पिछले फसल सीजन 2023-24 के 325.29 लाख गांठ से कम है।

12 नवंबर 2024

मिलों की खरीद घटने से अरहर एवं मूंग तथा देसी मसूर कमजोर, उड़द में सुधार

नई दिल्ली। दाल मिलों की मांग कमजोर बनी रहने से सोमवार को घरेलू बाजार में अरहर एवं मूंग तथा देसी मसूर की कीमतों में गिरावट आई, जबकि इस दौरान उड़द के भाव में तेजी दर्ज की गई। चना के भाव इस दौरान स्थिर हो गए।


बर्मा से आयातित उड़द एसक्यू और एफएक्यू की कीमत चेन्नई में कमजोर हो गई। उड़द एफएक्यू के भाव नवंबर एवं दिसंबर शिपमेंट के पांच डॉलर कमजोर होकर 985 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ रह गए, जबकि इस दौरान एसक्यू उड़द के भाव 10 डॉलर कमजोर होकर 1,080 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ रह गए। इस दौरान लेमन अरहर के भाव चेन्नई में 1,105 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ पर स्थिर हो गए।

दाल मिलों की मांग बढ़ने के कारण उड़द की कीमतों में हल्की तेजी दर्ज की गई। हालांकि बर्मा से आयातित उड़द की कीमत चेन्नई में डॉलर में दूसरे कार्यदिवस में कमजोर हुई। इसलिए घरेलू बाजार में इसके भाव में बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है। व्यापारियों के अनुसार आगामी दिनों में घरेलू मंडियों में भी उड़द की आवक बढ़ेगी। हालांकि खपत का सीजन होने के कारण उड़द दाल में दक्षिण भारत की मांग बनी रहेगी। दक्षिण भारत के मिलर्स की नजर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की उड़द की फसल पर भी है। केंद्र सरकार लगातार दलहन की कीमतों की समीक्षा कर रही है। दीपावली के बाद उड़द दाल में अपेक्षित मांग नहीं बढ़ पा रही है।

दाल मिलों की खरीद कमजोर होने से लेमन अरहर के भाव स्थिर हो गए, जबकि देसी एवं अफ्रीकी देशों से आयातित के भाव स्थिर हो गए। आयातित लेमन अरहर के भाव चेन्नई में स्थिर बने रहे। घरेलू बाजार में अरहर के भाव में अभी बड़ी तेजी के आसार नहीं है। नई फसल को देखते हुए दाल मिलें जरुरत के हिसाब से ही अरहर की खरीद कर रही हैं। चेन्नई और मुंबई में आयातित अरहर का स्टॉक ज्यादा है साथ ही चालू सीजन में महाराष्ट्र और कर्नाटक में अरहर की प्रति हेक्टेयर पैदावार बढ़ने की उम्मीद है तथा महाराष्ट्र की मंडियों में नई अरहर की आवक दिसंबर में बनेगी, जबकि कर्नाटक की मंडियों में चालू महीने के अंत तक कटाई शुरू हो जायेगी। वैसे भी केंद्र सरकार लगातार अरहर की कीमतों की समीक्षा कर रही है। खपत का सीजन होने के कारण अरहर दाल में उठाव बना रहने की उम्मीद है।

दाल मिलों की खरीद सीमित होने से चना की कीमत स्थिर हो गई। हालांकि पिछले सप्ताह इसके भाव में मंदा आया था, लेकिन नीचे दाम पर स्टॉकिस्टों की बिकवाली कमजोर हुई है इसलिए आगे इसके भाव में फिर सुधार आने का अनुमान है। व्यापारियों के अनुसार उत्पादक मंडियों में अच्छी क्वालिटी के देसी चना का बकाया स्टॉक सीमित मात्रा में ही बचा हुआ है, जबकि खपत का सीजन होने के कारण चना दाल और बेसन में मांग बनी रहेगी। ऐसे में दाल मिलों की मांग चना में बनी रहने की उम्मीद है, क्योंकि मिलों के पास बकाया स्टॉक सीमित मात्रा में ही बचा हुआ है।

मुंबई में कनाडा की पीली मटर के दाम 3,350 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान मुंबई में रसिया की पीली मटर के भाव 3,400 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। मुंद्रा बंदरगाह पर रसिया की पीली मटर के दाम 3,300 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए, जबकि कनाडा की पीली मटर के दाम 100 रुपये तेज होकर 3,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। उत्तर प्रदेश की कानपुर मंडी में देसी मटर के भाव 50 रुपये तेज होकर 3,700 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

दिल्ली में देसी मसूर के दाम कमजोर हुए है, लेकिन आयातित के भाव बंदरगाह पर स्थिर ही बने रहे। व्यापारी मसूर के मौजूदा भाव में ज्यादा मंदे में नहीं है क्योंकि खपत का सीजन होने के कारण मसूर दाल में प्रमुख राज्यों बिहार, बंगाल एवं असम की मांग अभी बनी रहेगी, इसलिए मिलों को मसूर की खरीद करनी होगी। मध्य प्रदेश के साथ ही उत्तर प्रदेश की मंडियों में मसूर की दैनिक आवक सीमित मात्रा में ही हो रही हैं। हालांकि रबी सीजन में मसूर का घरेलू उत्पादन ज्यादा हुआ था, जिस कारण उत्पादक राज्यों में बकाया स्टॉक अभी भी अच्छी मात्रा में बचा हुआ है। सूत्रों के अनुसार केंद्रीय पूल में मसूर का करीब 8 लाख टन का स्टॉक है।

सूत्रों के अनुसार अप्रैल से सितंबर के दौरान देश में ऑस्ट्रेलिया से मसूर का आयात 2,53,800 टन के करीब हुआ है।

दिल्ली में मूंग की कीमतों में लगातार तीसरे कार्यदिवस में गिरावट आई, लेकिन उत्पादक मंडियों में इसके दाम स्थिर ही बने रहे। व्यापारियों के अनुसार उत्पादक राज्यों की मंडियों में आगामी दिनों में नई मूंग की आवक बढ़ेगी। चालू खरीफ में मूंग की कुल बुआई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है, जिस कारण उत्पादन अनुमान भी ज्यादा है। दिल्ली में राजस्थान के माल आने से उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश से पड़ते नहीं लग रहे। उधर कर्नाटक के साथ ही राजस्थान से मूंग की एमएसपी पर खरीद तो हो रही है, लेकिन कुल आवक की तुलना में खरीद सीमित मात्रा में हो रही। जानकारों के अनुसार मूंग के दाम उत्पादक मंडियों में समर्थन मूल्य से काफी नीचे हैं अत: समर्थन मूल्य पर खरीद में बढ़ोतरी होने पर इसके भाव में तेजी बन सकती है।

चेन्नई में एसक्यू उड़द के दाम 9,200 से 9,250 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए, इस दौरान एफएक्यू के दाम 8,450 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

दिल्ली में एसक्यू उड़द के दाम 125 रुपये तेज होकर 9,625 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, इस दौरान एफएक्यू के दाम 8,650 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

मुंबई में उड़द एफएक्यू की कीमत 25 रुपये तेज होकर 8,625 से 8,650 रुपये प्रति क्विंटल हो गई।

कोलकाता मंडी में उड़द एफएक्यू की कीमत 8,650 से 8,700 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

गुंटूर मंडी में पोलिस उड़द के दाम 9,000 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए, इस दौरान विजयवाड़ा में उड़द पोलिस के दाम 9,000 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

चेन्नई में लेमन अरहर के भाव शाम के सत्र में 50 रुपये कमजोर होकर 9,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

देसी अरहर के दाम उत्पादक मंडियों में लगभग स्थिर बने रहे।

दिल्ली में लेमन अरहर के भाव शाम के सत्र में 10,250 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

मुंबई में लेमन अरहर के भाव शाम के सत्र में 50 रुपये कमजोर होकर 9,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मुंबई में अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर की कीमत स्थिर हो गई। सूडान से आयातित अरहर के दाम 10,400 से 10,450 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान गजरी अरहर के भाव 7,100 से 7,150 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। मतवारा की अरहर के भाव 6,900 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। सफेद अरहर की कीमत 7,200 से 7,250 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गई।

दिल्ली में देसी मसूर के दाम 50 रुपये कमजोर होकर 6,650 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

कनाडा की मसूर के भाव कंटेनर में 6,175 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। ऑस्ट्रेलिया की मसूर की कीमत कंटेनर में 6,175 रुपये प्रति क्विंटल बोली गई। मुंद्रा बंदरगाह पर मसूर के भाव 5,950 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए, जबकि हजीरा बंदरगाह पर इसके दाम 6,000 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। कानपुर मंडी में देसी मसूर के भाव 6,550 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

दिल्ली में राजस्थान लाइन के चना के दाम शाम के सत्र में 7,050 से 7,075 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान मध्य प्रदेश लाइन के चना के भाव 6,950 से 6,975 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

दिल्ली में राजस्थान लाइन की मूंग के दाम 25 रुपये घटकर 6,525 से 7,525 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। जलगांव में चमकी मूंग के भाव तेज होकर 8,200 से 9,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इंदौर में बोल्ड मूंग के दाम 8,000 से 8,100 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। गुलबर्गा मंडी में मूंग के भाव 7,000 से 8,000 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

गुजरात में मूंगफली की एमएसपी पर खरीद शुरू, भाव में हल्का सुधार

नई दिल्ली। प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात की मंडियों में सोमवार को मूंगफली की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद शुरू हो गई है, जिससे उत्पादक मंडियों में इसके भाव में पांच से दस रुपये प्रति 20 किलो की तेजी दर्ज की गई।


गुजरात के कृषि मंत्री राघवजी पटेल ने कहा कि राज्य में मूंगफली की समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए 160 खरीद केंद्र बनाए गए हैं। उन्होंने बताया कि मूंगफली को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए 3,33,000 किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। किसानों से सरकार 1356.60 रुपये प्रति 20 किलो के भाव से मूंगफली की खरीद करेगी।

सौराष्ट्र की मंडियों में मूंगफली की आवक सोमवार को 70,000-80,000 बोरियों की हुई, जबकि जसदण में 50,000 बोरियों की आवक हुई। राज्य की राजकोट मंडी में मूंगफली की आवक 20,000 बोरियों (1 बोरी-35 किलो) की हुई थी। मंडियों में एवरेज क्वालिटी की मूंगफली के भाव 980-1,215 रुपये प्रति 20 किलो के रहे। इस दौरान बेस्ट क्वालिटी की मूंगफली का भाव 930-1,260 रुपये प्रति 20 किलो रहा। गोंडल मंडी में मूंगफली की आवक 28,000 बोरियों की हुई तथा एवरेज क्वालिटी की मूंगफली का भाव 1090-1,185 रुपये प्रति 20 किलो तथा बेस्ट क्वालिटी की मूंगफली का भाव 1085-1,235 रुपये प्रति 20 किलो था।

उत्तर गुजरात की डीसा मंडी में मूंगफली की आवक 95,000 बोरी के करीब हुई, जबकि भाव 950-1,570 रुपये प्रति 20 किलो रहे। पालनपुर मंडी में 41484 बोरी मूंगफली की आवक हुई तथा भाव 1050-1,380 रुपये प्रति 20 किलो रहे। राज्य की हिम्मतनगर में मूंगफली की आवक 22000 बोरी तथा गुंदरी में आवक 20,000 बोरी की हुई।

स्पिनिंग मिलों की मांग बनी रहने से गुजरात में लगातार तीसरे दिन कॉटन तेज

नई दिल्ली। स्पिनिंग मिलों की मांग बनी रहने के कारण शनिवार को गुजरात में लगातार तीसरे दिन कॉटन के दाम तेज हुए।


गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव में शनिवार को 100 रुपये की तेजी आकर दाम 54,900 से 55,300 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो हो गए। पिछले तीन कार्यदिवस में राज्य में कॉटन की कीमत 300 रुपये प्रति कैंडी तक तेज हुई हैं।

देशभर की मंडियों में कपास की आव 98,300 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

स्पिनिंग मिलों की मांग बढ़ने से गुजरात में कॉटन की कीमत तेज हुई है। व्यापारियों के अनुसार कॉटन की कीमतों में तेजी, सूती धागे की स्थानीय एवं निर्यात मांग पर निर्भर करेगी तथा खपत का सीजन होने के कारण आगामी दिनों में सूती धागे की स्थानीय मांग तो बढ़ेगी, जिस कारण इसके भाव में हल्का सुधार तो आयेगा, लेकिन मौजूदा कीमतों में एकतरफा बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है। वैसे भी मिलर्स जरुरत के हिसाब से ही कॉटन की खरीद कर रहे हैं।

दीपावली के बाद सूती धागे की मांग सामान्य की तुलना में कमजोर हुई है साथ ही कॉटन के निर्यात में भी पड़ते नहीं लग रहे। हालांकि चालू सीजन में बुआई में आई कमी के साथ ही कई राज्यों में अक्टूबर में हुई बारिश से कॉटन के उत्पादन और क्वालिटी पर पड़ने की आशंका है। इसलिए कॉटन की कीमतों में अब बड़ी गिरावट के आसार नहीं है। विदेश में दाम कम होने के कारण चालू सीजन में अभी तक आयात सौदे ज्यादा मात्रा में हुए हैं।

कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू खरीफ सीजन में कपास का उत्पादन 299.26 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो होने का अनुमान है, जो क‍ि पिछले खरीफ 2023-24 के 325.22 लाख गांठ के मुकाबले कम है।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई के आरंभिक अनुसार के अनुसार पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2024-25 में देश में 302.25 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन के उत्पादन का अनुमान है, जोकि इसके पिछले फसल सीजन 2023-24 के 325.29 लाख गांठ से कम है।

धान की सरकारी खरीद 166.90 लाख टन के पार, लिफ्टिंग के अभाव में जाम की स्थिति

नई दिल्ली। चालू खरीफ विपणन सीजन 2024-25 में धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद बढ़कर 166.90 लाख टन के पार पहुंच गई है। धान की लिफ्टिंग नहीं होने से हरियाणा की कई मंडियों में जाम की स्थिति पैदा हो गई है, जिस कारण अगले दो दिनों तक खरीद बंद करनी पड़ी है।


सेंट्रल फूड ग्रेन प्रोक्योरमेंट पोर्टल के अनुसार पंजाब की मंडियों में 8 नवंबर तक कुल 109.74 लाख टन धान की खरीद एजेंसियों और एफसीआई द्वारा की जा चुकी है। इस दौरान हरियाणा की मंडियों से 48.19 लाख टन धान की खरीद हो चुकी है।

अन्य राज्यों में हिमाचल से 21,352 टन, जम्मू कश्मीर से 15,283 टन, बिहार से 1,452 टन तथा आंध्र प्रदेश से 17,789 टन धान की एमएसपी पर खरीद हो चुकी है। इस दौरान केरल से 4,104 टन, तमिलनाडु से 4,59,918 टन तथा तेलंगाना से 4,077 टन के अलावा उत्तराखंड से 1,83,067 टन तथा उत्तर प्रदेश से 1,16,567 टन धान की खरीद समर्थन मूल्य पर हुई है। महाराष्ट्र से 72,560 टन धान की सरकारी खरीद हुई है।

हरियाणा की फतेहाबाद और सिरसा मंडी में अगले दो दिनों 9 और 10 नवंबर को धान की आवक बंद कर दी गई है, तथा इस दौरान केवल लिफ्टिंग का कार्य किया जायेगा। उधर रतिया मंडी में जाम लगने से लोडिंग वाली लेबर द्वारा खिंलाई, सिलाई बंद कर दी गई है तथा लेबर का कहना है कि नया माल मंडी में आना रोककर सिर्फ लोडिंग चलाई जाए।

केंद्रीय खाद्वय मंत्रालय के अनुसार खरीफ विपणन सीजन 2024-25 के लिए धान की खरीद पंजाब से 1 अक्टूबर 2024 से शुरू की गई थी तथा राज्य के किसानों से सुचारू खरीद के लिए पूरे राज्य में 2,927 मंडियों के अलावा अस्थायी खरीद केंद्र खोले गए हैं। केंद्र सरकार ने चालू खरीफ विपणन सीजन 2024-25 के लिए पंजाब से धान की खरीद का अनुमानित लक्ष्य 185 लाख टन तय किया है, तथा राज्य में 30.11.2024 तक खरीद जारी रहेगी।

केंद्र सरकार ने चालू खरीफ विपणन सीजन 2024-25 के लिए कॉमन धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य,एमएसपी 2,300 रुपये और ग्रेड-ए धान का समर्थन मूल्य 2,320 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।

08 नवंबर 2024

राजस्थान में सरसों एवं चना के साथ ही गेहूं की बुआई पिछड़ी

नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में राजस्थान में सरसों के साथ ही चना एवं गेहूं की बुआई पिछले साल की तुलना में पीछे चल रही है। राज्य में रबी फसलों की कुल बुआई 6 नवंबर तक 42.17 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 49.44 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार सरसों की बुआई चालू रबी सीजन में 25.73 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 28.43 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। राज्य में सरसों की बुआई का लक्ष्य 40.50 लाख हेक्टेयर का तय किया गया है।

अन्य तिलहनी फसलों में तामीरा की बुआई 50 हजार हेक्टेयर में और अलसी की 3 हजार हेक्टेयर में ही हुई है।  

रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई चालू रबी में 10.75 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 12.53 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। चना की बुआई का लक्ष्य राज्य सरकार ने 22.50 लाख हेक्टेयर का तय किया है।

रबी दलहन की अन्य फसलों की बुआई राज्य में 9 हजार हेक्टेयर में ही हुई है।

गेहूं की बुआई चालू रबी सीजन में 1.59 लाख हेक्टेयर में और जौ की 61,000 हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 2.06 लाख हेक्टेयर और 58 हजार हेक्टेयर में ही हुई थी।

चालू पेराई सीजन में 333 लाख टन चीनी का आरंभिक उत्पादन अनुमान - इस्मा

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2024-25 (अक्टूबर से सितंबर) के दौरान देश में 333 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान है जोकि पिछले पेराई सीजन 2023-24 के 340.64 लाख टन की तुलना में थोड़ा कम है।


इंडियन शुगर और जैव-ऊर्जा निर्माता एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन में चीनी के उत्पादन अनुमान में कमी आने के बावजूद भी देश में चल रहे इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम (ईबीपी) का समर्थन करने और निर्यात के अवसरों को बढ़ाने के लिए देश में पर्याप्त चीनी की उलब्धता रहेगी।

इस्मा के अनुसार प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों में फसल की स्थिति अनुकूल दिखती है, और फील्ड रिपोर्ट भी सैटेलाइट मैपिंग रिपोर्ट के निष्कर्षों के अनुरूप हैं। इस्मा के अनुसार, चीनी की पर्याप्त उपलब्धता से न केवल घरेलू खपत के लिए पर्याप्त स्टॉक सुनिश्चित होगा, साथ ही इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम को बनाए रखा जा सकेगा। इसके साथ निर्यात के लिए भी गुंजाइश बनी रहेगी। अत: चालू पेराई सीजन में चीनी मिलों की वित्तीय तरलता बनाए रखने में भी मदद मिलेगी और किसानों को समय पर भुगतान संभव हो सकेगा।

इस्मा के चालू पेराई सीजन के आरंभिक अनुमान के अनुसार महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन 111.02 लाख टन और उत्तर प्रदेश में 110.10 लाख टन तथा कर्नाटक में 58.07 लाख टन होने का अनुमान है। अन्य राज्यों में इस दौरान 53.81 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान है।

पेराई सीजन 2023-24 के दौरान महाराष्ट्र में 118.48 लाख टन, उत्तर प्रदेश में 110 लाख टन और कर्नाटक में 58.08 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। अन्य राज्यों में इस दौरान 54.08 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।

इस्मा के अनुसार पेराई सीजन 2023-24 के दौरान 19 लाख टन चीनी इथेनॉल ब्लेंडिंग में खपत हुई थी, अत: कुल उत्पादन 319.64 लाख टन का बैठा था।

चालू पेराई सीजन में पहली अक्टूबर 2024 को 84.79 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक बचा हुआ था, जबकि 333 लाख टन के उत्पादन का अनुमान है। अत: कल उपलब्धता 417.79 लाख टन की बैठेगी। देश में चीनी की सालाना खपत 290 लाख टन होने का अनुमान है जबकि करीब 40 लाख टन चीनी का उपयोग इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम (ईबीपी) में हो सकता है।

चालू खरीफ में खाद्यान्न का रिकॉर्ड 1647.05 लाख टन उत्पादन का अनुमान - कृषि मंत्रालय

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन 2024-25 के दौरान देश में खाद्यान्न का रिकॉर्ड 1647.05 लाख टन उत्पादन होने का अनुमान है। चावल के साथ ही मक्का के उत्पादन में बढ़ोतरी होने का अनुमान है।


कृषि मंत्रालय ने मंगलवार को फसल सीजन 2024-25 के लिए खरीफ सीजन की मुख्य फसलों के उत्पादन का पहला अग्रिम अनुमान जारी किया है। देश में खरीफ का खाद्यान्न उत्पादन 1647.05 लाख टन अनुमानित है, जोकि पिछले खरीफ की तुलना में 89.37 लाख टन अधिक एवं औसत उत्पादन के मुकाबले 124.59 लाख टन ज्यादा है।

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा क‍ि किसानों, वैज्ञानिकों की मेहनत और सरकार की सही नीति की वजह से खाद्यान्न उत्पादन में बढ़ोतरी का अनुमान है। चालू खरीफ सीजन में मक्का का उत्पादन 245.41 लाख टन होने का अनुमान है, जो क‍ि पिछले साल यानी 2023-24 में हुए 222.45 टन की तुलना में ज्यादा है। फसल सीजन 2024-25 के दौरान देश में 1199.34 लाख टन चावल पैदा होने का अनुमान है, जो कि पिछले साल के 1132.59 लाख टन से ज्यादा है।

मोटे अनाजों का उत्पादन चालू खरीफ सीजन में 378.18 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि 2024-25 खरीफ सीजन के दौरान दलहन का कुल उत्पादन 69.54 लाख टन होने का अनुमान है। खरीफ में तिलहनी फसलों का उत्पादन 257.45 लाख टन होने का अनुमान लगाया गया है, जो क‍ि पिछले साल की तुलना में 15.83 लाख टन अधिक है।

मोटे अनाज में बाजरा का उत्पादन का उत्पादन चालू खरीफ में 93.75 लाख टन होने का अनुमान है, जो 2023-24 के 96.63 लाख टन की तुलना में कम है।

दलहनी फसलों में अरहर का उत्पादन 35.02 लाख टन, उड़द का 12.09 लाख टन और मूंग का 13.83 लाख टन होने का अनुमान है।

पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू खरीफ सीजन में तिलहनी फसलों में सोयाबीन का उत्पादन 133.60 लाख टन, मूंगफली का 103.60 लाख टन होने का अनुमान है।

गन्ने का उत्पादन चालू खरीफ सीजन में 4,399.30 लाख टन होने का अनुमान है।

चालू खरीफ सीजन में कपास का उत्पादन 299.26 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो होने का अनुमान है, जो क‍ि पिछले खरीफ 2023-24 के 325.22 लाख गांठ के मुकाबले कम है। इस दौरान पटसन एवं मेस्ता का उत्पादन 84.56 लाख गांठ, एक गांठ-180 किलो होने का अनुमान है।

05 नवंबर 2024

चालू खरीफ सीजन में धान की सरकारी खरीद 135 लाख टन के पार

नई दिल्ली। चालू खरीफ विपणन सीजन 2024-25 में धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद बढ़कर 135 लाख टन के पार पहुंच गई है। अभी हुई खरीद में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी पंजाब एवं हरियाणा की है।


केंद्रीय खाद्वय मंत्रालय के अनुसार पंजाब की मंडियों में 2 नवंबर तक कुल 90.69 लाख टन धान की आवक हो चुकी है, जिसमें से 85.41 लाख टन राज्य एजेंसियों और एफसीआई द्वारा खरीदा जा चुका है।

सेंट्रल फूड ग्रेन प्रोक्योरमेंट पोर्टल के अनुसार हरियाणा की मंडियों से चालू खरीफ विपणन सीजन में 44.06 लाख टन धान की खरीद हो चुकी है। अन्य राज्यों में हिमाचल से 17,610 टन, जम्मू कश्मीर से 12,086 टन, बिहार से 1,366 टन तथा आंध्र प्रदेश से 6,857 टन धान की एमएसपी पर खरीद हो चुकी है।

चालू खरीफ में केरल से 1,186 टन, तमिलनाडु से 4,45,837 टन तथा तेलंगाना से 3,995 टन के अलावा उत्तराखंड से 99,919 टन तथा उत्तर प्रदेश से 58,637 टन धान की खरीद समर्थन मूल्य पर हुई है।

केंद्रीय खाद्वय मंत्रालय के अनुसार खरीफ विपणन सीजन 2024-25 के लिए धान की खरीद पंजाब से 1 अक्टूबर 2024 से शुरू की गई थी तथा राज्य के किसानों से सुचारू खरीद के लिए पूरे राज्य में 2,927 मंडियों के अलावा अस्थायी खरीद केंद्र खोले गए हैं। केंद्र सरकार ने चालू खरीफ विपणन सीजन 2024-25 के लिए पंजाब से धान की खरीद का अनुमानित लक्ष्य 185 लाख टन तय किया है, तथा राज्य में 30.11.2024 तक खरीद जारी रहेगी।

हालांकि सितंबर में भारी बारिश और धान में नमी की मात्रा अधिक होने के कारण खरीद थोड़ी देर से शुरू हुई थी, लेकिन अब सरकारी खरीद में पूरे जोरों पर है।

केंद्र सरकार ने चालू खरीफ विपणन सीजन 2024-25 के लिए कॉमन धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य,एमएसपी 2,300 रुपये और ग्रेड-ए धान का समर्थन मूल्य 2,320 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।

चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में ग्वार गम का निर्यात 5.09 फीसदी बढ़ा

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान देश से ग्वार गम उत्पादों के निर्यात में 5.09 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में ग्वार सीड की आवकों में दीपावली के अवकश के बाद बढ़ोतरी होगी। इसलिए ग्वार गम एवं ग्वार सीड की कीमतों में बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है।


वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2024-25 के अप्रैल से सितंबर के दौरान ग्वार गम उत्पादों का निर्यात बढ़कर 2.27 लाख टन का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2023-24 की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 2.16 लाख टन का ही हुआ था।

मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले छह महीनों के दौरान ग्वार गम उत्पादों का निर्यात 2,343.16 करोड़ रुपये का हुआ है।

उत्पादक मंडियों में ग्वार सीड की दैनिक आवक बढ़कर 46 से 48 हजार बोरियों की हो रही है। इसमें नए ग्वार सीड की हिस्सेदारी 42 से 44 हजार बोरियों की तथा पुरानी की चार से पांच हजार बोरियों की हो रही है। जानकारों के अनुसार दीपावली की छुट्टियों के बाद ग्वार सीड की आवक बढ़ने की उम्मीद है।

जानकारों के अनुसार चालू सीजन में ग्वार सीड की बुआई में आई कमी से उत्पादन अनुमान कम है, लेकिन ग्वार गम उत्पादों में निर्यात मांग भी सीमित ही बनी हुई है।

उत्पादक मंडियों में ग्वार सीड के भाव 4,500 से 5,300 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं, जबकि ग्वार गम के दाम जोधपुर में 10,600 से 10,700 रुपये प्रति क्विंटल रहे।

अप्रैल से सितंबर के दौरान बासमती चावल का निर्यात बढ़ा, गैर बासमती का घटा - एपिडा

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही अप्रैल से सितंबर के दौरान देश से बासमती चावल के निर्यात में 17.90 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, वहीं इस दौरान गैर बासमती चावल के निर्यात में 32.39 फीसदी की भारी गिरावट दर्ज की गई।


वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2024-25 के अप्रैल से सितंबर के दौरान बासमती चावल का निर्यात 17.90 फीसदी बढ़कर 27.20 लाख टन का हो चुका है, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2023-24 की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 23.07 लाख टन का ही हुआ था।

गैर बासमती चावल के निर्यात में चालू वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही अप्रैल से सितंबर के दौरान 32.39 फीसदी की भारी गिरावट आकर कुल निर्यात 46.52 लाख टन का ही हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के दौरान इसका निर्यात 68.81 लाख टन का हुआ था।

केंद्र सरकार ने गैर-बासमती चावल पर 10 फीसदी के निर्यात शुल्क पूरी तरह से हटा दिया है, जबकि सितंबर में सरकार ने गैर-बासमती उबले चावल, भूरे चावल और धान पर निर्यात शुल्क 20 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया था। पिछले दिनों बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य, एमईपी 950 डॉलर प्रति टन को समाप्त किया था।

पंजाब एवं हरियाणा के साथ ही राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश की मंडियों में सप्ताह में जहां धान की कीमतों में 100 से 150 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई है, वहीं इस दौरान बारिक चावल के दाम भी 100 रुपये प्रति क्विंटल तक तेज हुए हैं। व्यापारियों के अनुसार आगे धान की आवकों में कमी आयेगी, जबकि मिलों की खरीद बनी रहने का अनुमान है। इसलिए धान के साथ ही चावल की कीमतों में सुधार आने की उम्मीद है।

हरियाणा की खरखौदा मंडी में मंगलवार को पूसा 1,121 किस्म के धान के भाव 4,271 रुपये, 1,718 किस्म के 3,751 रुपये तथा 1,509 किस्म के 2,900 से 3,221 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। पंजाब की नाभा मंडी में डीपी धान के भाव 2,400 से 3,350 रुपये, 1,718 किस्म के 3,200 से 3,405 रुपये तथा 1,847 किस्म के धान के दाम 2,650 से 2,955 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। राजस्थान की बारा मंडी में 1,509 किस्म के धान के भाव 2,700 से 2,800 रुपये, सुगंधा किस्म के धान के दाम 2,000 से 2,501 रुपये और 1,718 किस्म के 3,051 से 3,351 रुपये प्रति क्विंटल रहे।

दिल्ली के नया बाजार में पूसा 1,509 किस्म के स्टीम चावल का व्यापार 6,200 से 6,400 रुपये और इसके सेला चावल का 5,500 से 5,700 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हुआ। इस दौरान पूसा 1,121 किस्म के सेला चावल के भाव 7,500 से 7,700 रुपये और स्टीम चावल के 8,500 से 8,700 रुपये प्रति क्विंटल रहे।