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30 सितंबर 2024

स्पिनिंग मिलों की खरीद घटने से लगातार चौथे सत्र में कॉटन के भाव कमजोर

नई दिल्ली। स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर बनी रहने के कारण गुरुवार को लगातार चौथे दिन गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में मंदा आया।


गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव गुरुवार को 50 रुपये कमजोर होकर दाम 58,800 से 59,200 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो रह गए। पिछले चार दिनों में कॉटन की कीमतों में 800 रुपये प्रति कैंडी का मंदा आ चुका है।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव कमजोर होकर 5,820 से 5825 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव नरम होकर 5710 से 5730 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव घटकर 5425 से 5900 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव घटकर 57,400 से 57,600 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आवक 16,100 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स के साथ ही एनसीडीएक्स पर आज शाम को कॉटन की कीमतों में में तेजी का रुख रहा। इस दौरान आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में भी कॉटन की कीमतों में भी तेजी दर्ज की आई।

स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर बनी रहने से गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में लगातार चौथे दिन मंदा आया है। व्यापारियों के अनुसार कई राज्यों में नई कपास की आवक शुरू हो गई है, अत: नई फसल को देखते हुए स्पिनिंग मिलें कॉटन की खरीद सीमित मात्रा में ही कर रही है, इसलिए कीमतों पर दबाव बना है। जानकारों के अनुसार पिछले दो सीजन में व्यापारियों के साथ ही स्टॉकिस्ट एवं मिलर्स को नुकसान हुआ है इसलिए नए सीजन में मिलें कॉटन की खरीद में जल्दबाजी नहीं कर रही।

हालांकि चालू सीजन में कपास की बुआई में कमी आई, जिस कारण उत्पादन अनुमान तो घटने की आशंका है, लेकिन अगले महीने आवकों में बढ़ोतरी होगी तथा आगामी महीनों के सौदे नीचे दाम के हो रहे हैं। इसलिए कॉटन की कीमतों में और भी नरमी आने का अनुमान है।

हरियाणा एवं राजस्थान के साथ ही मध्य प्रदेश की मंडियों में नई कपास की आवक शुरू हो गई है तथा मौसम अनुकूल रहा तो पंजाब की मंडियों में नई फसल की आवक आगामी दिनों में बनेगी।

कृषि मंत्रालय के अनुसार 13 सितंबर तक कपास की बुआई 9.06 फीसदी घटकर 112.48 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 123.69 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

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