नई दिल्ली। उत्तर भारत के हरियाणा और राजस्थान की मंडियों में सोमवार को नई कपास की आवक बढ़कर 1,400 गांठ, एक गांठ-170 किलो की आवक हुई। नई फसल को देखते हुए जिनर्स सीमित मात्रा में कपास की खरीद कर रहे हैं, इसलिए कीमतों पर दबाव देखा गया।
जानकारों के अनुसार इस वर्ष उत्तर भारत के राज्यों हरियाणा, राजस्थान एवं पंजाब में कपास की फसल बहुत अच्छी स्थिति में है, तथा मंडियों में जो नए माल आ रहे हैं उनकी गुणवत्ता और ग्रेड शानदार है। यदि मौसम अनुकूल रहा तो पैदावार बढ़ने की उम्मीद है। इन राज्यों में कपास की पहली पिकिंग शुरू हो गई। हालांकि चालू सीजन में उत्तर भारत के राज्यों में कपास की बुआई पिछले साल की तुलना में कम हुई है।
पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव नरम होकर 5,875 से 5900 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव नरम होकर 5800 से 5825 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5525 से 5975 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव 58,600 से 58,800 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।
पंजाब में नई के अक्टूबर के सौदे 5,875 रुपये, हरियाणा में 5,860 रुपये और राजस्थान में 5,870 से 5,900 रुपये प्रति मन की दर से हो रहे हैं।
हरियाणा की मंडियों में नई कपास की आवक बढ़कर सोमवार को 900 गांठ एवं राजस्थान की मंडियों में 500 गांठ, एक गांठ-170 किलो को मिलाकर कुल आवक 1,400 गांठ की हुई। जानकारों के अनुसार चालू सप्ताह के अंत तक पंजाब की मंडियों में भी नई कपास की आवक शुरू हो जायेगी।
व्यापारियों के अनुसार स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने के कारण उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में मंदा आया है। नई फसल को देखते हुए स्पिनिंग मिलें कॉटन की खरीद सीमित मात्रा में ही कर रही है, तथा अक्टूबर के सौदे नीचे दाम के हो रहे है, इसलिए मौजूदा कीमतों और भी नरमी आने का अनुमान है। हालांकि चालू सीजन में कपास की बुआई में कमी आई, जिस कारण उत्पादन अनुमान घटने की आशंका है। अक्टूबर में इन राज्यों में नई कपास की आवकों में बढ़ोतरी होगी।
कृषि मंत्रालय के अनुसार 13 सितंबर तक हरियाणा में कपास की बुआई 4.76 लाख हेक्टेयर में, पंजाब में एक लाख हेक्टेयर में तथा राजस्थान में 5.19 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इन राज्यों में कपास की बुआई क्रमश: 6.65 लाख हेक्टेयर में, 2.10 लाख हेक्टेयर और 7.90 लाख हेक्टेयर में हुई थी।
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