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04 सितंबर 2024

स्पिनिंग मिलों की खरीद से गुजरात एवं उत्तर भारत में कॉटन तेज, सीसीआई ने बिक्री भाव बढ़ाये


नई दिल्ली। स्पिनिंग मिलों की मांग बढ़ने के कारण शुक्रवार को गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमत तेज हुई। इस दौरान कारपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने भी बिक्री भाव में बढ़ोतरी की।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव शुक्रवार को 350 रुपये तेज होकर 58,300 से 58,700 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो हो गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव तेज होकर 5725 से 5750 रुपये प्रति मन बोले गए।हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव तेज होकर 5625 से 5630 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव बढ़कर 5450 से 5,850 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव 56,500 से 56,700 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आवक 9,000 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

कारपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने कॉटन आज के बिक्री भव में 300 रुपये प्रति कैंडी की बढ़ोतरी की।

घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स के साथ ही एनसीडीएक्स पर आज शाम को कॉटन की कीमतों में मिलाजुला रुख रहा। उधर आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन वायदा की कीमतें शाम के सत्र में तेजी आई।

स्पिनिंग मिलों की मांग बढ़ने से गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमत तेज हुई। व्यापारियों के अनुसार घरेलू बाजार में जिनर्स नीचे दाम पर कॉटन की बिकवाली नहीं करना चाहते, जबकि खपत का सीजन होने के कारण आगामी दिनों में यार्न की स्थानीय मांग बढ़ने की उम्मीद है। गुजरात में हाल ही में हुई भारी बारिश से नई फसल की आवकों में देरी की आशंका है। इसलिए मांग बनी रहने से कॉटन की कीमतों में और भी तेजी आने का अनुमान है। हालांकि उत्तर भारत के राज्यों में मौसम अनुकूल रहा तो नई फसल की आवक अगले महीने शुरू हो जायेगी।

जानकारों के अनुसार उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवक सीमित मात्रा में हो रही तथा अधिकांश जिनिंग मिलें उत्पादन बंद कर चुकी। हालांकि घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में तेजी, मंदी आईसीई कॉटन वायदा के भाव के आधार पर ही तय होंगी। कॉटन की मौजूदा कीमतों में जिनर्स को पड़ते नहीं लग रहे, इसलिए बिकवाली भी सीमित बनी हुई है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार 23 अगस्त तक कपास की बुआई चालू खरीफ सीजन में 9.24 फीसदी घटकर 111.39 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 122.74 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

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