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26 जून 2024

सीसीआई ने लगातार दूसरे दिन कॉटन के बिक्री भाव में बढ़ोतरी की, हाजिर बाजार भी तेज

नई दिल्ली। कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई ने मंगलवार को लगातार दूसरे दिन कॉटन के बिक्री भाव में 200 से 600 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो की बढ़ोतरी की जिस कारण घरेलू बाजार में भी इसकी कीमतों में तेजी आई।


व्यापारियों के अनुसार सीसीआई ने सोमवार को भी कॉटन के बिक्री भाव में 300 रुपये कैंडी की बढ़ोतरी की थी। सीसीआई द्वारा भाव बढ़ाने से स्पिनिंग मिलों की मांग बनी कॉटन में तेज हुई जिस कारण गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में इसकी कीमतों में तेजी दर्ज की गई

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव 250 रुपये तेज होकर दाम 56,500 से 57,000 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो हो गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव बढ़कर 5725 से 5750 रुपये प्रति मन बोले गए।हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव तेज होकर 5650 से 5675 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव बढ़कर 5450 से 5850 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव 56,300 से 56,500 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए। देशभर की मंडियों में कपास की आवक 20,300 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स के साथ ही एनसीडीएक्स पर आज शाम को कॉटन की कीमतों में तेजी का रुख रहा। उधर आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतों में शाम के सत्र में तेजी आई।

स्पिनिंग मिलों की मांग बनी रहने से गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतें लगातार दूसरे दिन तेज हुई है। जानकारों के अनुसार सीसीआई ने मंगलवार को लगातार दूसरे दिन कॉटन के बिक्री मूल्य में बढ़ोतरी की है तथा घरेलू बाजार में कपास की बिक्री में तेजी आई है। सीसीआई ने मंगलवार को एक ही दिन में 13000 टन से अधिक कॉटन की बिक्री की।

जानकारों के अनुसार उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवकों में कमी आई है तथा अधिकांश जिनिंग मिलों ने उत्पादन भी बंद कर दिया है। इस सब के बावजूद भी घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में तेजी, मंदी विश्व बाजार के दाम पर ही निर्भर करेगी। कॉटन की मौजूदा कीमतों में जिनर्स को डिस्पैरिटी का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए बिकवाली भी सीमित बनी हुई है।

कपास उत्पादन और उपभोग समिति (सीओसीपीसी) की सोमवार को हुई बैठक में 2023-24 के लिए कॉटन के उत्पादन अनुमान में 2 लाख गांठ बढ़ाकर 325.22 लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलो) होने का अनुमान जारी किया है।

सीओसीपीसी के अनुसार फसल सीजन 2023-24 के दौरान देश में कॉटन का आयात घटकर 12 लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलो) और निर्यात 28 लाख गांठ होने का अनुमान है। पिछले फसल सीजन में देश में कॉटन का आयात 14 लाख गांठ का और निर्यात 15.89 लाख गांठ का हुआ था।

दलहन के बाद अब केंद्र सरकार ने गेहूं पर तत्काल प्रभाव से स्टॉक लिमिट लगाई

नई दिल्ली। कीमतों को काबू में रखने के लिए केंद्र सरकार ने दलहन के बाद अब गेहूं पर भी तत्काल प्रभाव से स्टॉक लिमिट लागू कर दी है। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्वय एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी विज्ञप्ति के अनुसार गेहूं पर स्टॉक सीमा 31 मार्च, 2025 तक लागू रहेगी।


चालू रबी सीजन में देश में रिकार्ड 11.29 करोड़ टन के उत्पादन के बावजूद भी सरकार ने थोक और खुदरा दोनों ही विक्रेताओं के लिए गेहूं पर स्टॉक लिमिट तय कर दी है तथा स्टॉक सीमा का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

सरकार की ओर से तय की गई लिमिट के अनुसार थोक विक्रेताओं के लिए स्टॉक सीमा 3,000 टन की होगी, जबकि प्रोसेसिंग के लिए प्रसंस्करण क्षमता का 70 फीसदी होगी। बड़ी श्रृंखला वाले खुदरा विक्रेताओं के लिए स्टॉक सीमा 10 टन प्रति बिक्री केन्द्र की होगी, तथा कुल सीमा 3,000 टन से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इसी तरह से खुदरा विक्रेताओं के लिए गेहूं की स्टॉक सीमा 10 टन की होगी।

केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने सोमवार ने कहा कि सरकार ने खुदरा विक्रेताओं, थोक विक्रेताओं, प्रोसेसर और बड़ी श्रृंखलाओं के खुदरा विक्रेताओं के लिए गेहूं के भंडारण की सीमा तय कर दी है। उन्होंने बताया कि कीमतों में स्थिरता और जमाखोरी रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है। खुदरा विक्रेता, बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेता, प्रोसेसर और थोक विक्रेताओं को हर शुक्रवार को गेहूं के स्टॉक का खुलासा करना होगा।

उन्होंने कहा कि गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध जारी है तथा सरकार चाहती है कि गेहूं की कीमतें घरेलू बाजार में स्थिर रहें। देश में गेहूं की कीमत बढ़ने से खाद्य महंगाई पर असर पड़ता है। केंद्रीय पूल में पहली अप्रैल को गेहूं का स्टॉक 75.02 लाख टन का था, जोकि 16 साल में सबसे कम है। भारतीय खाद्वय निगम, एफसीआई के अनुसार पहली जून 2024 को केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक 299.05 लाख टन का है जोकि इसके पिछले साल की तुलना में कम है।

रबी विपणन सीजन 2024-25 में एफसीआई ने करीब 266 लाख टन गेहूं की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर है जोकि इसके पिछले रबी विपणन सीजन में खरीद गए 262 लाख टन की तुलना में तो ज्यादा है, लेकिन तय किए लक्ष्य 372.9 से काफी कम है। अत: केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक कम होने के कारण ही केंद्र सरकार ने जून में खुले बाजार बिक्री योजना, ओएमएसएस के तहत गेहूं की बिक्री शुरू नहीं की। 

उत्तर भारत के राज्यों में बिनौला तेज, कपास खली एवं कॉटन सीड की कीमतें स्थिर

नई दिल्ली। तेल मिलों की खरीद बढ़ने से शनिवार को उत्तर भारत के राज्यों में बिनौला के दाम तेज हुए, जबकि इस दौरान कपास खली एवं कॉटन सीड के भाव लगभग स्थिर बने रहे।


व्यापारियों के अनुसार देशभर की उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवक 22 से 23 हजार गांठ की ही हो रही है, जबकि कॉटन में स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर है इसलिए मिलें बिनौला में बिकवाली नीचे दाम पर नहीं कर रहीं है। इसलिए इसके भाव में सुधार आया है। हालांकि आगामी दिनों में इसकी कीमतों में तेजी, मंदी काफी हद तक आयातित खाद्वय तेलों के साथ ही उत्पादक राज्यों में मानसून कैसा रहता है इस पर भी निर्भर करेगी।

पहली अक्टूबर शुरू हुए चालू फसल सीजन में देशभर की मंडियों में कॉटन की आवक 302.53 लाख गांठ, एक गांठ 170 किलो की आवक हो चुकी है तथा चालू सीजन में 318 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है।  

तेल मिलों की मांग बढ़ने से बिनौले के भाव उत्तर भारत के राज्यों में तेज हो गए। हरियाणा में बिनौले के भाव 100 रुपये तेज होकर दाम 3000 से 3150 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान श्रीगंगानगर लाइन में बिनौला के भाव 100 रुपये बढ़कर 3000 से 3400 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। बिनौला के दाम पंजाब में 100 रुपये बढ़कर 2900 से 3150 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

विदेशी बाजार में चालू सप्ताह के अंत में खाद्वय तेलों की कीमतों में गिरावट का रुख रहा था, अत: घरेलू बाजार में कॉटन वॉश की कीमतें स्थिर से नरम हुई। धुले में कॉटन वॉश के दाम 905 रुपये प्रति 10 किलो पर स्थिर हो गए। इस दौरान अमरावती में कॉटन वॉश के भाव 915 रुपये प्रति 10 किलो पर स्थिर हो गए। अकोला में कॉटन वॉश की कीमतें पांच रुपये कमजोर होकर 905 रुपये प्रति दस किलो रह गई। गुजरात डिलीवरी कॉटन के भाव 935 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

तेल मिलों की बिक्री कमजोर होने चालू सप्ताह से कपास खली की कीमतों में 20 से 30 की तेजी आई थी, लेकिन शनिवार को इसके दाम स्थिर हो गए। सेलु में रेगुलर क्वालिटी की कपास खली की कीमतें 3,230 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गई। इस दौरान भोकर में रेगुलर क्वालिटी की कपास खली के दाम 3,210 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। शाहपुर में रेगुलर क्वालिटी की कपास खली के भाव 3,250 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए, जबकि गूंज में रेगुलर क्वालिटी की कपास की कीमतें 3,030 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही।

अरहर, उड़द और मसूर की 100 फीसदी फसल खरीदेगी करेगी सरकार - शिवराज सिंह चौहान

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने किसानों को अरहर, उड़द और मसूर की 100 फीसदी फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीदी का आश्वासन दिया है। राज्यों में दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाया है।


केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को दिल्ली में 8 राज्यों के मंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक की और देश में दालों को लेकर आत्मनिर्भरता पर चर्चा की तथा देश में दलहन उत्पादन को बढ़ावा के लिए अरहर, उड़द और मसूर उत्पादक किसानों की 100 फीसदी फसल खरीद करने का भरोसा दिया।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार फसल विविधीकरण सुनिश्चित करने तथा दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अरहर, उड़द और मसूर की खरीद करने के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा कि किसानों के पंजीकरण के लिए भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड) तथा भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) के माध्यम से ई-समृद्धि पोर्टल शुरू किया गया है और केंद्र सरकार इस पोर्टल पर पंजीकृत किसानों से एमएसपी पर इन दालों की खरीद करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने राज्य सरकारों से आग्रह किया कि वे अधिक से अधिक किसानों को इस पोर्टल पर पंजीकरण करने के लिए प्रोत्साहित करें, ताकि वे सुनिश्चित खरीद की केंद्र की सुविधा का लाभ उठा सकें।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इन 3 फसलों के उत्पादन में 2027 तक देश की आत्मनिर्भरता हासिल करने का लक्ष्य है। उन्होंने 2015-16 से दाल उत्पादन में 50 फीसदी की वृद्धि के लिए राज्यों के प्रयासों की सराहना की, साथ ही प्रति हेक्टेयर उपज बढ़ाने और किसानों को दालों की खेती के लिए प्रेरित करने के लिए और अधिक प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने इस बात की सराहना की कि देश ने मूंग व चना में आत्मनिर्भरता हासिल की है और पिछले 10 वर्षों के दौरान आयात पर निर्भरता 30 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दी है। उन्होंने राज्यों से केंद्र के साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया, ताकि भारत न केवल दलहन सहित खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनें बल्कि दुनिया का फूड बास्केट भी बने।

उन्होंने मौजूदा खरीफ सीजन से शुरू की जा रही आदर्श दलहन ग्राम योजना के बारे में जानकारी दी। उन्होंने राज्य सरकारों से अनुरोध किया कि वे चावल की फसल कटने के बाद दालों के लिए उपलब्ध परती भूमि का उपयोग करें। उन्होंने राज्य सरकारों से अरहर की अंतर-फसल को भी जोरदार तरीके से अपनाने पर बल देते हुए कहा कि राज्य सरकारों को एक-दूसरे का सहयोग करना चाहिए।

उन्होंने उत्पादकता बढ़ाने के लिए किसानों को समय पर तथा गुणवत्तापूर्ण इनपुट जैसे कि अच्छी गुणवत्ता वाले बीज की उपलब्धता पर जोर दिया तथा इस संबंध में केंद्र की ओर से हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। अच्छे बीजों की उपलब्धता के लिए केंद्र ने 150 दलहन बीज हब खोले हैं तथा कम उत्पादकता वाले जिलों में आईसीएआर द्वारा क्लस्टर फ्रंट लाइन प्रदर्शन (सीएफएलडी) दिए जा रहे हैं। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का मुकाबला करने के लिए जलवायु अनुकूल किस्मों तथा कम अवधि वाली किस्मों को विकसित करने की आवश्यकता का उल्लेख किया। उन्होंने राज्य सरकारों से अनुरोध किया कि वे राज्य बीज निगमों को मजबूत करके अपने बीज वितरण प्रणालियों को मजबूत करें। 

देश में दालों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता के मद्देनजर यह बैठक बुलाई गई, ताकि आयात में कमी करके, उत्पादन बढ़ाया जा सके। बैठक मे मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, बिहार, तेलंगाना जैसे प्रमुख दाल उत्पादक राज्यों के कृषि मंत्री शामिल हुए।

19 जून 2024

चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में डीओसी का निर्यात 17 फीसदी घटा - एसईए

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले दो महीनों अप्रैल तथा मई में डीओसी के निर्यात में 17 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 767,436 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 930,045 टन का ही हुआ था।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2024-25 के मई में डीओसी के निर्यात में 31 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 302,280 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले साल मई में इनका निर्यात 436,597 टन का ही हुआ था।

एसईए के अनुसार आमतौर पर लगभग 5 से 6 लाख टन राइस ब्रान डीओसी का निर्यात मुख्य रूप से वियतनाम, थाईलैंड और अन्य एशियाई देशों को भारत करता रहा है, जिस कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में देश एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में जाना जाता है। हालांकि केंद्र सरकार ने पिछले साल 28 जुलाई को कीमतों में आई तेजी की वजह से राइस ब्रान डीओसी के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसे 31 मार्च 2024 तक बढ़ा दिया गया और बाद में इसे 31 जुलाई, 2024 तक बढ़ाया गया। राइस ब्रान डीओसी की कीमतें अब निचले स्तर पर हैं तथा आगामी दिनों में घरेलू बाजार में इसकी कीमतों में और भी गिरावट आने की आशंका है। अत: राइस ब्रान डीओसी की कीमतों में गिरावट को देखते हुए, एसोसिएशन ने सरकार से प्रतिबंध को 31 जुलाई, 2024 से आगे नहीं बढ़ाने की अपील की है।

भारतीय बंदरगाह पर मई में सोया डीओसी का भाव बढ़कर 506 डॉलर प्रति टन हो गए, जबकि अप्रैल में इसका दाम 492 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान सरसों डीओसी का मूल्य मई में भारतीय बंदरगाह पर बढ़कर 284 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि अप्रैल में इसका भाव 278 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से केस्टर डीओसी का दाम अप्रैल के 76 डॉलर प्रति टन से बढ़कर मई में 77 डॉलर प्रति टन हो गया। 

कॉटन का उत्पादन अनुमान 2.81 फीसदी बढ़ने की उम्मीद, आयात में कमी की आशंका

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2023 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2023-24 में कॉटन का उत्पादन 317.77 लाख गांठ एक गांठ 170 किलोग्राम होने का अनुमान है, जोकि मई के अनुमान की तुलना में 2.81 फीसदी यानी 8.63 लाख गांठ ज्यादा है।


सीएआई ने मई में 309.07 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान जारी किया था। इसके पिछले साल देश में कॉटन का उत्पादन 318.90 लाख गांठ का हुआ था।

उद्योग ने चालू सीजन 2023-24 में कॉटन के निर्यात अनुमान में बढ़ोतरी की है, जबकि इसके आयात अनुमान में कटौती की है।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई के अनुसार चालू फसल सीजन में 26 लाख गांठ कॉटन का निर्यात होने का अनुमान है, जोकि पहले के अनुमान 22 लाख गांठ से ज्यादा है। चालू फसल सीजन 2023-24 में मई अंत तक देश से 23 लाख गांठ की निर्यात शिपमेंट हो चुकी है। पिछले फसल सीजन के दौरान केवल 15.50 लाख गांठ कॉटन का ही निर्यात हुआ था।

व्यापारियों के अनुसार विश्व बाजार में भारतीय रुई सस्ती होने के कारण मार्च 24 तक निर्यात सौदों में बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन पिछले दो महीनों से आईसीई कॉटन वायदा की कीमतों में गिरावट आई है, जिस कारण निर्यात सौदों में पहले की तुलना में कमी आई है।

चालू फसल सीजन में कॉटन का आयात 16.40 लाख गांठ ही होने का अनुमान है, जोकि इसके पहले के अनुमान 20.40 लाख गांठ से कम है। सीएआई के अनुसार 31-05-2024 तक 5.50 लाख गांठ कॉटन भारतीय बंदरगाह पर पहुंच चुकी है। पिछले फसल सीजन के दौरान 12.50 लाख गांठ कॉटन का आयात ही हुआ था।

उद्योग के अनुसार चालू फसल सीजन में 31 मई 2024 तक देशभर की मंडियों में कॉटन की आवक 296.53 लाख गांठ की हो चुकी है।

सीएआई के अनुसार 31 मई 2024 को 23.32 लाख गांठ कॉटन का स्टॉक एमएनसी और जिनर्स के पास है। इसके अलावा 25.21 लाख गांठ कॉटन का स्टॉक कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई के पास है तथा 0.40 लाख गांठ का एमसीएक्स के पास है।

सीएआई के अनुसार पहली अक्टूबर 2023 को कॉटन का बकाया स्टॉक 28.90 लाख गांठ का बचा हुआ था, जबकि 317.70 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है। चालू सीजन में करीब 16.40 लाख गांठ कॉटन का आयात होने की उम्मीद है। ऐसे में कुल उपलब्धता 363 लाख गांठ की बैठेगी। चालू फसल सीजन में कॉटन की कुल घरेलू खपत 317 लाख गांठ होने का अनुमान है।

चालू फसल सीजन के अंत में 30 सितंबर 2024 को कॉटन का बकाया स्टॉक 20 लाख गांठ बचने का अनुमान है, जोकि इसके पिछले साल की समान अवधि के 28.90 लाख गांठ की तुलना में कम है।

साठी धान की आवक बढ़ने के बावजूद भी बासमती चावल में मंदे के आसार नहीं

नई दिल्ली। उत्तर भारत के राज्यों में नए साठी धान की आवक बढ़ने के बावजूद भी बासमती चावल में निर्यातकों की मांग बराबर बनी हुई है, इसलिए बासमती चावल की मौजूदा कीमतों में मंदे के आसार नहीं है।


उत्तराखंड के साथ ही उत्तर प्रदेश की मंडियों में नए साठी धान की आवकों में बढ़ोतरी हुई है, तथा इसके भाव लगभग स्थिर से बने हुए हैं। दिल्ली की नरेला एवं नजफगढ़ मंडी में पूसा 1,121 किस्म के पुराने धान की कीमतों में सोमवार को तेजी दर्ज की गई। दिल्ली की नरेला मंडी में पूसा 1,121 किस्म के धान के दाम तेज होकर 4,792 रुपये और पूसा 1,509 किस्म के पुराने धान के भाव 3,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। नजफगढ़ मंडी में पुराने 1,121 किस्म के धान के दाम तेज होकर बोली पर 4,821 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। हरियाणा लाइन के 1,718 किस्म के धान का व्यापार 4,341 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हुआ।

उत्तराखंड की गदरपुर मंडी में सोमवार को करीब 25,000 बोरी साठी धान की आवक हुई तथा 1,509 किस्म के धान का व्यापार 2,600 से 2,700 रुपये और नूरी का 1,800 से 1,940 रुपये तथा पीआर 26 किस्म के धान का व्यापार 1,800 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हुआ।

बिलासपुर मंडी में नए साठी धान की आवक 3,000 बोरियों की हुई तथा पूसा 1,509 किस्म के धान का व्यापार 2,600 से 2,700 रुपये और नूरी किस्म के धान का 1,900 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हुआ। डिबाई मंडी में नए साठी धान की आवक 2,000 बोरियों की हुई तथा इसका व्यापार 2,800 से 2,850 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हुआ।

जानकारों के अनुसार बासमती चावल में निर्यातकों की पूछपरख बढ़ने से 50 रुपये की तेजी आई। उत्तर प्रदेश लाईन से 1,509 किस्म के पुराने सेला चावल का व्यापार 6,450 से 6,500 रुपये और इसके नए सेला चावल का 5,850 से 5,900 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हुआ। 1,718 किस्म के सेला चावल का व्यापार 7,200 से 7,250 रुपये और सुगंधा के सेला का व्यापार 4,900 से 4,950 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हुआ।

स्पिनिंग मिलों की मांग सुधरने से गुजरात में कॉटन में सुधार, उत्तर भारत में स्थिर से नरम

नई दिल्ली। स्पिनिंग मिलों की मांग सुधरने के कारण शनिवार को गुजरात में कॉटन की कीमतों में हल्का सुधार आया, जबकि उत्तर भारत के राज्यों में इसके दाम स्थिर से नरम हो गए।


गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव 50 रुपये तेज होकर दाम 55,700 से 56,000 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो हो गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 5675 से 5700 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5600 से 5625 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 75 रुपये घटकर 5400 से 5800 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव 56,300 से 56,500 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए। देशभर की मंडियों में कपास की आवक 24,000 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

स्पिनिंग मिलों की मांग सुधरने से गुजरात में जहां कॉटन की कीमतें तेज हुई, वहीं उत्तर भारत के राज्यों में इसके दाम स्थिर से कमजोर हो गए। व्यापारियों के अनुसार सूती धागे की स्थानीय मांग कमजोर है, साथ ही कॉटन के निर्यात में भी पड़ते नहीं लग रहे, इसलिए हाजिर बाजार में अभी इसकी कीमतों में अभी बड़ी तेजी के आसार नहीं है। जानकारों के अनुसार उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवकों में कमी आई है तथा अधिकांश जिनिंग मिलों ने उत्पादन भी बंद कर दिया है। इस सब के बावजूद भी घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में तेजी, मंदी विश्व बाजार के दाम पर ही निर्भर करेगी। कॉटन की मौजूदा कीमतों में जिनर्स को डिस्पैरिटी का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए बिकवाली भी सीमित बनी हुई है। हालांकि आगामी दिनों में कॉटन की कीमतों में तेजी, मंदी मानसून की बारिश पर भी निर्भर करेगी।

भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार मानसून कमजोर हुआ है तथा इसके आगे बढ़ने में 3-4 दिन का समय लग सकते हैं।

चालू खरीफ सीजन में उत्तर भारत के राज्यों में कपास की बुआई में कमी आई है। भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार उत्तर भारत के राज्यों में पहली जून से 14 जून के दौरान पंजाब में सामान्य से 84 फीसदी, हरियाणा में 88 फीसदी और राजस्थान में 60 फीसदी कम बारिश हुई है।

इस दौरान मध्य भारत के गुजरात और मध्य प्रदेश में भी पहली जून से 14 जून के दौरान बारिश क्रमश: 77 और 49 फीसदी कम हुई है, लेकिन महाराष्ट्र में सामान्य की तुलना में 20 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। उधर दक्षिण भारत के राज्यों कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में बारिश सामान्य की तुलना में ज्यादा हुई है। ऐसे में इन राज्यों में कपास की बुआई बढ़ने का अनुमान है।  

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2023-24 के दौरान देश में कपास का उत्पादन 325.22 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो होने का अनुमान है।

पशु आहार वालों की मांग बढ़ने से कपास खली तेज, बिनौला एवं कॉटन वॉश में मिलाजुला रुख

नई दिल्ली। तेल मिलों की बिक्री कमजोर होने के साथ ही पशु आहार निर्माताओं की मांग से घरेलू बाजार में शुक्रवार को कपास खली की कीमतें तेज हुई, जबकि इस दौरान बिनौला के साथ ही कॉटन वॉश की कीमतों में मिलाजुला रुख रहा।


व्यापारियों के अनुसार कपास खली में खपत राज्यों की मांग बनी रहने की उम्मीद है, जबकि तेल मिलों को मौजूदा भाव पर पड़ते नहीं लग रहे। इसलिए कपास खली की मौजूदा कीमतों में और भी सुधार आने का अनुमान है।

सेलु में रेगुलर क्वालिटी की कपास खली की कीमतें 40 रुपये तेज होकर 3,140 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। इस दौरान भोकर में रेगुलर क्वालिटी की कपास खली के दाम 20 रुपये बढ़कर 3,100 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। शाहपुर में रेगुलर क्वालिटी की कपास खली के भाव 50 रुपये तेज होकर 3,200 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। राजकोट में कपास खली के भाव तेज होकर 1,540 से 1,550 रुपये प्रति 50 किलो हो गए।

विदेशी बाजार में आज खाद्वय तेलों की कीमतों में मिलाजुला का रुख रहा, जबकि घरेलू बाजार में कॉटन वॉश की कीमतें स्थिर तेज हुई। धुले में कॉटन वॉश के दाम 915 रुपये प्रति 10 किलो  पर स्थिर हो गए। इस दौरान गुजरात डिलीवरी कॉटन वॉश के भाव 930 से 935 रुपये प्रति 10 किलो पर स्थिर हो गए। जालना में कॉटन वॉश की कीमतें 905 रुपये प्रति दस किलो के पूर्व स्तर पर स्थिर हो गई। गुजरात में कॉटन आरएफ के दाम तेज होकर 965 रुपये प्रति 10 किलो हो गए।

विश्व बाजार में खाद्वय तेलों की कीमतों में अभी सीमित तेजी, मंदी बनी रहने की उम्मीद है इसलिए घरेलू बाजार में भी इसके मौजूदा भाव में बड़ी तेजी के आसार नहीं है। गर्मी ज्यादा होने के कारण बिनौला तेल की घरेलू मांग सामान्य की तुलना में कमजोर हुई है।  

तेल मिलों की मांग कमजोर होने से बिनौले के भाव उत्तर भारत के राज्यों में स्थिर से नरम हुए। हरियाणा में बिनौले के भाव 2850 से 3050 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान श्रीगंगानगर लाइन में बिनौला के भाव 100 रुपये घटकर 2850 से 3300 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। बिनौला के दाम पंजाब में 2700 से 3000 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

मई में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 45 फीसदी बढ़ा - एसईए

नई दिल्ली। मई 2024 में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 45 फीसदी बढ़कर 1,529,804 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल मई में इनका आयात 1,058,263 टन का हुआ था। मई 2024 के दौरान खाद्वय तेलों का आयात 1,498,043 टन का एवं अखाद्य तेलों का आयात 31,761 टन का हुआ है।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू तेल वर्ष 2023-24 के पहले सात महीनों नवंबर 23 से मई 24 के दौरान देश में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 5 फीसदी घटकर 8,678,447 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 9,168,644 टन का हुआ था।

पिछले एक महीने में अर्जेंटीना और ब्राजील से सोयाबीन तेल की आपूर्ति बाधित होने से अंतरराष्ट्रीय और घरेलू बाजार में खाद्वय तेलों की कीमतों में तेजी देखने को मिली है, जिसमें सोया तेल की प्रमुख भूमिका रही है। अर्जेंटीना में मजदूरों की हड़ताल के कारण पेराई कम होने से सोया तेल की आपूर्ति प्रभावित हुई है, जबकि ब्राजील में हाल ही में आई बाढ़ के कारण सोयाबीन का उत्पादन प्रभावित हुआ है और 2.71 मिलियन टन का नुकसान हुआ है। इसके अलावा ऑफ सीजन होने के कारण रूस और यूक्रेन से सूरजमुखी तेल की आपूर्ति कम हो गई थी।

इन घटनाक्रमों से बाजार की धारणा बदली तथा पिछले एक महीने में सोया एवं सूरजमुखी तेल की कीमतों में तेजी आई है। हालांकि इस दौरान पाम तेल, जिसका आयात ज्यादा होता है की कीमतें अंतरराष्ट्रीय और घरेलू बाजार दोनों में कमोबेश स्थिर बनी रही हैं। अच्छी बात यह है कि सूरजमुखी तेल और सोया तेल की कीमतों में तेजी आने से सरसों की कीमतें बढ़ गई हैं। इसके दाम एमएसपी 5,650 रुपये से बढ़कर 6,200 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। जोकि आगामी खरीफ सीजन में तिलहन क्षेत्र बढ़ाने के लिए किसानों के लिए सकारात्मक संकेत है।

तेल वर्ष 2023-24 के पहले सात महीनों नवंबर 23 से मई 24 के दौरान 1,236,581 टन रिफाइंड तेल (आरबीडी पामोलिन) का आयात हुआ है, जबकि इसके पिछले तेल वर्ष की समान अवधि नवंबर 22-मई 23 के दौरान 1,186,552 टन का आयात हुआ था जोकि 4 फीसदी कम है। क्रूड तेल का आयात नवंबर 23 से मई 24 के दौरान 7,331,103 टन का हुआ है, जोकि नवंबर 22-मई 23 के दौरान हुए 7,868,749 टन की तुलना में 7 फीसदी कम है। इस दौरान आरबीडी पामोलिन का आयात पिछले साल के मुकाबले लगभग बराबर ही हुआ है।

मई में आयातित खाद्वय तेलों की कीमतों में मिलाजुला रुख रहा। मई में भारतीय बंदरगाह पर आरबीडी पामोलिन का भाव घटकर 911 डॉलर प्रति टन का रह गया, जबकि अप्रैल में इसका दाम 972 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रूड पाम तेल का दाम मई में घटकर 951 डॉलर प्रति टन का रह गया, जबकि अप्रैल में इसका भाव 999 डॉलर प्रति टन था। क्रूड सोयाबीन तेल का भाव मई में बढ़कर भारतीय बंदरगाह पर 1,000 डॉलर प्रति टन का हो गया, जबकि अप्रैल में इसका भाव 989 डॉलर प्रति टन था। क्रूड सनफ्लावर तेल का भाव भारतीय बंदरगाह पर अप्रैल के 970 डॉलर से बढ़कर मई में 987 डॉलर प्रति टन हो गया।

सरसों के आरंभिक अनुमान में पांच लाख टन की कटौती - एसईए

नई दिल्ली। उद्योग ने सरसों के आरंभिक अनुमान में पांच लाख टन की कटौती कर चालू रबी में 115.8 लाख टन उत्पादन होने का अनुमान जारी किया है, जबकि मार्च में इसके 120.9 लाख टन के उत्पादन का अनुमान जारी किया था।


सॉल्वेंट एक्स्ट्राएक्ट्रेस एसोसिएशन आफ इंडिया, एसईए के अनुसार मई 2024 के दौरान किए गए सर्वेक्षण के अंतिम दौर के आधार पर, रेपसीड-सरसों की फसल का अनुमान मार्च 2024 के 120.9 लाख टन के पिछले अनुमान से घटाकर 115.8 लाख टन कर दिया गया है। क्योंकि देश के कई राज्यों जैसे कि हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में अल-नीनो के कारण फसल को प्रतिकूल मौसम का सामना करना पड़ा था। अत: फसल की पकाई के समय मौसम गर्म होने के साथ ही मिट्टी में नमी की कमी का असर सरसों की फसल की उत्पादकता पर पड़ा है।

एसईए के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार हरियाणा में सरसों का उत्पादन 11,68,320 टन होने का अनुमान है, जबकि मार्च 2024 में 12,26,043 टन सरसों के उत्पादन का अनुमान जारी किया था। इसी तरह से मध्य प्रदेश में इसका उत्पादन घटकर 16,03,045 टन होने का अनुमान है, जबकि राज्य में मार्च 2024 में 17,58,966 टन सरसों के उत्पादन का अनुमान जारी किया था।

दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान में सरसों का उत्पादन 45,34,192 टन ही होने का अनुमान है, जबकि मार्च 2024 में 46,13,506 टन सरसों के उत्पादन का अनुमान जारी किया था। चालू रबी में उत्तर प्रदेश में सरसों का उत्पादन घटकर 17,88,206 टन होने का अनुमान है, जबकि राज्य में मार्च 2024 में 20,03,359 टन सरसों के उत्पादन का अनुमान जारी किया था।

अन्य राज्यों पश्चिमी बंगाल में चालू रबी में सरसों का उत्पादन 7,09,472 टन, असम में 2,06,307 टन, छत्तीसगढ़ में 1,11,192 टन तथा गुजरात में 4,57,313 टन होने का अनुमान है, जोकि मार्च 2024 के अनुमान के बराबर ही है।

रिमोट सेंसिंग आधारित अनुमान के अनुसार, चालू रबी में रेपसीड और सरसों का रकबा पिछले वर्ष के 95.8 लाख हेक्टेयर से 5 फीसदी बढ़कर 100.6 लाख हेक्टेयर था। अत: रेपसीड और सरसों का उत्पादन पिछले वर्ष के 111.80 लाख टन से 3.5 फीसदी बढ़कर 115.78 लाख टन तक होने की उम्मीद है।

उत्तर भारत के राज्यों में कपास की बुआई 32 फीसदी घटी, कई क्षेत्रों में गुलाबी सुंडी का प्रकोप

नई दिल्ली, उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान में चालू खरीफ सीजन में कपास की बुआई 31.69 फीसदी घटकर केवल 11.75 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इन राज्यों में 17.20 लाख हेक्टेयर में बुआई थी। राजस्थान के कई क्षेत्रों में नई फसल में गुलाबी सुंडी का प्रकोप देखा गया।


सूत्रों के अनुसार चालू सीजन में पंजाब में कपास की बुआई घटकर एक लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.85 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है। इसी तरह से हरियाणा में चालू खरीद में कपास की बुआई केवल 4.75 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 6.40 लाख हेक्टेयर की तुलना में 25.78 फीसदी कम है।

राजस्थान में चालू खरीफ सीजन में कपास की बुआई घटकर 6 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 8.95 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। अत: राज्य में कपास की बुआई में पिछले साल की तुलना में 32.96 फीसदी की गिरावट आई है।

सूत्रों के अनुसार राजस्थान के गुना गांव के किसान हनुमान ने बताया कि उन्होंने 8 एकड़ में नरमा कपास की बुआई की हुई है, तथा फसल पर गुलाबी सुंडी का बहुत ज्यादा असर हुआ है। इसी तरह से कई और भी क्षेत्रों में फसल में गुलाबी सुंडी का असर हुआ है।

10 जून 2024

कैस्टर सीड की दैनिक आवकों में कमी, तेल की निर्यात मांग से भाव में सुधार की उम्मीद

नई दिल्ली। गुजरात की मंडियों में कैस्टर सीड की दैनिक आवकों में पहले की तुलना में कमी आई है। साथ ही तेल की निर्यात मांग भी बराबर बनी हुई है, जिससे इसके भाव में आगे सुधार आने की उम्मीद है।


जानकारों के अनुसार चालू महीने में कैस्टर तेल का निर्यात बढ़कर 50 हजार टन होने का अनुमान है। अत: निर्यातकों की मांग बनी रहने से इसकी कीमतों में सुधार आयेगा। कांडला डिलीवरी कैस्टर तेल की कीमतें शनिवार को बढ़कर 1162-1166 रुपये प्रति 10 किलो हो गई।

गुजरात की मंडियों में कैस्टर सीड के दाम 5 रुपये तेज होकर 1,110 से 1,135 रुपये प्रति 20 किलो हो गए, जबकि इसकी दैनिक आवकों में कमी दर्ज की गई। गुजरात से कैस्टर सीड की आवक करीब 62,000 बोरियों की हुई, इसके अलावा राजस्थान की मंडियों में करीब 12,000 बोरियों की आवक हुई, अन्य राज्यों की 5,000 बोरियों को मिलाकर देशभर के राज्यों में कुल आवक लगभग 80,000 बोरियों की हुई।

व्यापारियों के अनुसार राजकोट में कैस्टर सीड के भाव 1,090 से 1,116 रुपये, जूनागढ़ में 1,080 से 1,115 रुपये तथा गोंडल में इसके भाव 1,090 से 1,116 रुपये प्रति 10 किलो बोले गए।

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार चालू साल के पहले चार महीनों में कैस्टर तेल का निर्यात 235,103 टन का हुआ है।

कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू फसल सीजन 2023-24 में देश में कैस्टर सीड का उत्पादन 19.13 लाख टन होने का अनुमान है।

हैफेड 52,114 टन सरसों की बिक्री ई नीलामी के माध्यम से करेगी

नई दिल्ली। हरियाणा की विभिन्न मंडियों में हैफेड 52,114 टन सरसों की बिक्री तीन ई नीलामी के माध्यम से करेगी। व्यापारियों के अनुसार हैफेड की बिक्री से घरेलू हाजिर बाजार में कीमतों पर दबाव बन सकता है।


सूत्रों के अनुसार हैफेड द्वारा पहली ई नीलामी 11 जून 2024 को 15,240.24 टन सरसों की भिवानी, हिसार, जींद, सोनीपत, रोहतक और सिरसा केंद्रों से की जायेगी। इसके अलावा दूसरी ई नीलामी 12 जून 2024 को 20,743.61 टन सरसों की फतेहाबाद एवं सिरसा जिलें में स्थिर हैफेड के केंद्रों से की जायेगी।

इसके अलावा निगम द्वारा तीसरी ई नीलामी 16,130.04 टन सरसों की 13 जून 2024 को की जायेगी।

उद्योग के अनुसार हैफेड और नेफेड के पास सरसों का कुल स्टॉक करीब 27 लाख टन का है। चालू रबी विपणन सीजन में हैफेड के साथ ही नेफेड ने न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर 19.50 लाख टन सरसों की खरीद की थी, जबकि इनके पास पुराना करीब 7.50 लाख टन सरसों का स्टॉक बचा हुआ था।

घरेलू बाजार में पिछले तीन दिनों से सरसों की कीमतों में तेजी बनी हुई है, जिसका प्रमुख कारण विश्व बाजार में खाद्वय तेलों के दाम तेज होना है। व्यापारियों के अनुसार हैफेड की बिकवाली से घरेलू बाजार में सरसों की कीमतों पर दबाव बनेगा, तथा मौजूदा कीमतों में नरमी आ सकती है।

अप्रैल में ग्वार गम उत्पादों के निर्यात में 31 फीसदी की बढ़ोतरी - एपीडा

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले महीने अप्रैल में ग्वार गम उत्पादों के निर्यात में 30.88 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 39,513 टन का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2023-24 की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 430,190 टन का ही हुआ था।


व्यापारियों के अनुसार ग्वार सीड की दैनिक आवक उत्पादक मंडियों में सीमित मात्रा में ही हो रही है, लेकिन ग्वार गम पाउडर में स्थानीय मांग सीमित होने के कारण इनकी कीमतों में सीमित तेजी, मंदी बनी हुई है। भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी ने चालू मानसूनी सीजन में देशभर के राज्यों में सामान्य बारिश होने की भविष्यवाणी की हुई है, जिस कारण मौजूदा कीमतों में अभी बड़ी तेजी के आसार नहीं है।

सप्ताह भर में ग्वार गम और सीड की कीमतों में नरमी आई है, क्योंकि अनुकूल मौसम के कारण जहां प्लांट वाले जरुरत के हिसाब से ही खरीद कर रहे हैं, वहीं स्टॉकिस्टों की बिकवाली भी पहले की तुलना में बढ़ी है। ग्वार गम पाउडर के दाम जोधपुर में 10,700 से 10,800 रुपये और ग्वार सीड के भाव 5,450 से 5,500 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। हालांकि पशु आहार वालों की मांग से इस दौरान ग्वार चूरी की कीमतों में 25 से 50 रुपये की तेजी आकर दाम 3,000 से 3,100 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

सिरसा मंडी में ग्वार सीड के दाम गुरुवार को 4,500 से 5,125 रुपये तथा गोलूवाला मंडी में इसके भाव 5,000 रुपये प्रति क्विंटल रहे। उधर संगरिया मंडी में ग्वार सीड के भाव 4,800 से 5,050 रुपये तथा आदमपुर मंडी में बोली पर इसके दाम 5,190 रुपये प्रति क्विंटल रहे।

तीसरे आरंभिक अनुमान में खाद्यान्न का उत्पादन 3,288.52 लाख टन अनुमानित - कृषि मंत्रालय

नई दिल्ली। तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2023-24 के दौरान देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन 3,288.52 लाख टन अनुमानित है, जो कि पिछले 5 वर्षों के औसत खाद्यान्न उत्पादन से 211.00 लाख टन अधिक है।

कृषि मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार देश में फसल सीजन 2023-24 में खाद्यान्न उत्पादन 3,288.52 लाख टन अनुमानित है, जो कि वर्ष 2022-23 के खाद्यान्न उत्पादन से थोड़ा कम है लेकिन पिछले 5 वर्षों (2018-19 से 2022-23) के 3,077.52 लाख टन के औसत खाद्यान्न उत्पादन से 211.00 लाख टन अधिक है।

इस दौरान देश में चावल का कुल उत्पादन फसल सीजन 2023-24 के दौरान 1,367 लाख टन अनुमानित है जोकि 2022-23 के 1,357.55 लाख टन की तुलना में 9.45 लाख टन ज्यादा है। इसी तरह से गेहूं का उत्पादन 1,129.25 लाख टन होने का अनुमान है, जोकि इसके पिछले वर्ष के उत्पादन की तुलना में 23.71 लाख टन ज्यादा है।

इस दौरान मोटे अनाजों का उत्पादन 547.34 लाख टन होने का अनुमान है जोकि औसत उत्पादन से 46.24 लाख टन अधिक है। मक्का का उत्पादन 356.73 लाख टन, बाजरा का 106.69 लाख टन होने का अनुमान है।

जौ का उत्पादन 16.53 लाख टन होने का अनुमान है।

तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार अरहर का उत्पादन 33.85 लाख टन होने का अनुमान है जोकि पिछले फसल सीजन के 33.12 लाख टन से 0.73 लाख टन अधिक है। मसूर का उत्पादन 17.54 लाख टन होने का अनुमान है जोकि पिछले वर्ष के 15.59 लाख टन की तुलना में 1.95 लाख टन ज्यादा है। फसल सीजन 2023-24 के दौरान देश में चना का उत्पादन 115.76 लाख टन एवं मूंग का उत्पादन 29.16 लाख टन होने का अनुमान है। इस दौरान उड़द का उत्पादन 23 लाख टन होने का अनुमान है।

सोयाबीन का उत्पादन 130.54 लाख टन होने का अनुमान है जबकि तोरिया और सरसों का उत्पादन 131.61 लाख टन होने की उम्मीद है। कपास का उत्पादन 325.22 लाख गांठ (एक गांठ 170 किलोग्राम) और गन्ने का उत्पादन 4,425.22 लाख टन होने का अनुमान है। मूंगफली का उत्पादन 102.89 लाख टन, कैस्टर सीड 19.13 लाख टन, शीशम का 8.11 लाख टन और सनफ्लावर का 1.69 लाख टन तथा असली का 1.19 लाख टन होने का अनुमान है।


चालू वित्त वर्ष के अप्रैल में बासमती चावल का निर्यात बढ़ा, गैर बासमती का घटा - एपीडा

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले महीने अप्रैल में देश से जहां बासमती चावल के निर्यात में 10.39 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, वहीं इस दौरान गैर बासमती चावल के निर्यात में 38.12 फीसदी की भारी गिरावट दर्ज की गई।


एपीडा के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2024-25 के अप्रैल में बासमती चावल का निर्यात 10.39 फीसदी बढ़कर 4.99 लाख टन का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2023-24 की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 4.25 लाख टन का ही हुआ था।

गैर बासमती चावल के निर्यात में चालू वित्त वर्ष 2024-25 के अप्रैल में 38.12 फीसदी की भारी गिरावट आकर कुल निर्यात 8.78 लाख टन का ही हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के दौरान इसका निर्यात 14.19 लाख टन का हुआ था।

व्यापारियों के अनुसार नीचे दाम पर राइस मिलों की बिक्री कमजोर होने से पिछले तीन, चार दिनों में बासमती चावल की कीमतों में 200 से 300 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई है। स्थानीय मांग बनी रहने से बासमती चावल की कीमतों में हल्का सुधार तो और भी सकता है लेकिन बड़ी तेजी के आसार कम है। आगामी दिनों में उत्पादक मंडियों में साठी धान की दैनिक आवकों में बढ़ोतरी होगी, जिसका असर बासमती चावल की कीमतों पर पड़ेगा।

दिल्ली के नया बाजार में सोमवार को पूसा 1,121 स्टीम चावल के भाव बढ़कर 8,700 से 8,800 रुपये और इसका सेला चावल का 7,500 से 7,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। इस दौरान पूसा 1,509 किस्म के स्टीम चावल का दाम बढ़कर 7,600 से 7,700 रुपये और इसके सेला चावल का 6,500 से 6,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। जानकारों के अनुसार उत्तर प्रदेश लाइन से साठी पूसा 1,509 स्टीम चावल का व्यापार 6,000 प्रति क्विंटल हुआ है। उधर मध्य प्रदेश की डबरा मंडी में नए साठी पूसा 1,509 धान किस्म के धान के भाव 2,400 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। हालांकि नए मालों में नमी की मात्रा ज्यादा है, साथ ही क्वालिटी काफी हल्की है। 

केंद्रीय पूल में 27 लाख टन सरसों का स्टॉक, मई अंत तक 57.50 लाख टन की हुई आवक

नई दिल्ली। केंद्रीय पूल में नेफेड एवं हैफड के पास करीब 27 लाख टन सरसों का स्टॉक है, जबकि चालू फसल सीजन के पहले तीन महीनों मार्च से मई अंत तक उत्पादक मंडियों में 57.50 लाख सरसों की आवक हो चुकी है, जिसमें से 32 लाख टन की पेराई हुई है।


उद्योग के अनुसार नेफेड एवं हैफेड के पास सरसों का पुराना करीब 7.50 लाख टन का स्टॉक बचा हुआ था, जबकि चालू सीजन में 19.50 लाख टन की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर की है। अत: केंद्रीय पूल में मई अंत में 27 लाख टन सरसों का बकाया स्टॉक है।

चालू फसल सीजन के पहले महीने मार्च में 15.50 लाख टन सरसों की आवक हुई थी, जबकि अप्रैल में उत्पादक मंडियों में 11.50 लाख टन और मई में 11 लाख टन सरसों की आवक हुई। उद्योग के अनुसार मार्च में 13 लाख टन सरसों की पेराई हुई, जबकि अप्रैल और मई में क्रमश: 9 और 10 लाख टन की पेराई हुई।

पहली मार्च को सरसों का बकाया स्टॉक 4.50 लाख टन का बचा हुआ था, जबकि मई अंत तक 57.50 लाख गांठ की आवक हुई है, जिसमें से 19.50 लाख टन की खरीद नेफेड और हैफेड ने की है। इस दौरान 32 लाख टन की पेराई हुई है अत: मिलों एवं स्टॉकिस्टों के पास 10.50 लाख टन सरसों का बकाया स्टॉक है।

चालू रबी सीजन में सरसों का उत्पादन 116 लाख टन का हुआ था, जिसमें से 57.50 लाख टन की आवक हुई है। अत: किसानों के पास 58.50 लाख टन सरसों का स्टॉक बचा हुआ है जबकि मिलर्स एवं स्टॉकिस्टों के पास 10.50 लाख टन तथा केंद्रीय पूल में 27 लाख टन को मिलाकर मई अंत में देशभर में सरसों का बकाया स्टॉक 96 लाख टन का है।