काली मिर्च पर विशेष
रिपोर्ट
सूखे की वजह से भारत और वियतनाम में काली मिर्च का उत्पादन प्रभावित हुआ है जिसकी वजह से बाजार को बेहतर समर्थन मिलने की संभावना है। इन दोनों देशों में काली मिर्च की तुड़ाई अंतिम चरण में चल रही है एवं अगले सीजन के समय इसका स्टॉक नगण्य रहने के आसार हैं। बता दें कि भारत काली मिर्च के उत्तपादन में वियतनाम के बाद दूसरे स्थान पर आता है जबकि उपभोग में पहले स्थान पर है।
इंडियन पेपर एंड स्पीकेस ट्रेड एसोसिएशन (आईपीएसटीए) के अनुसार भारत में काली मिर्च की उपलब्धता कम है और सूखे मौसम की वजह से अगले सीजन में इसके उत्पादन पर असर पड़ सकता है।
वियतनाम में 63 क्षेत्रों में से 39 में सूखे का प्रभाव है। 11 क्षेत्रों में इमरजेंसी लागू की गई है। जिया लाई, डाकनोंग और डाकलाक ये तीन क्षेत्र तकरीबन एक लाख टन काली मिर्च पैदा करते हैं, पानी के संकट से जूझ रहे हैं। वियतनाम में किसानों ने काली मिर्च का स्टॉक कर रखा है और जिसके चलते बाजार में उपलब्धता काफी कम है।
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने काली मिर्च बाजार में रिलीज की है जिससे इसके भाव नीचे आ सकते हैं। तकरीबन तीन हजार टन काली मिर्च बाजार में आ चुकी है जबकि यह कुल स्टॉक 6800 टन था। देश में काली मिर्च का उत्तपादन 40 हजार टन होने का अनुमान है।
वियतनाम मार्च तक 50 हजार टन काली मिर्च की बिक्री कर चुका है जबकि वहां नई फसल आने तक एक लाख टन का स्टॉक है। लेकिन वे मौजूदा मौसम स्थिति को देखते हुए ऊंचे भाव पाने के लिए सौदेबाजी करेंगे।
इंटरनेशनल पीपर कम्युनिटी (आईपीसी) की भारत में हुई 43वीं सालाना बैठक में फसल वर्ष 2016 में काली मिर्च का वैश्विक उत्पादन छह हजार टन बढ़ने का अनुमान जताया गया था। इस बैठक में का गया था कि वियतनाम में अधिक उत्पादन होने से यह बढ़ोतरी हुई है।
वर्ष 2016 में काली मिर्च का उत्पादन 326063 टन रहेगा जो वर्ष 2015 में 325033 टन था। जबकि, काली एवं सफेद मिर्च का कुल उत्पादन 413713 टन के आसपास रहने के आसार हैं जो वर्ष 2015 में 407158 टन था। भारत में काली मिर्च का उत्पादन 65 हजार टन की तुलना में 53 हजार टन रहने की संभावना है।
सूखे की वजह से भारत और वियतनाम में काली मिर्च का उत्पादन प्रभावित हुआ है जिसकी वजह से बाजार को बेहतर समर्थन मिलने की संभावना है। इन दोनों देशों में काली मिर्च की तुड़ाई अंतिम चरण में चल रही है एवं अगले सीजन के समय इसका स्टॉक नगण्य रहने के आसार हैं। बता दें कि भारत काली मिर्च के उत्तपादन में वियतनाम के बाद दूसरे स्थान पर आता है जबकि उपभोग में पहले स्थान पर है।
इंडियन पेपर एंड स्पीकेस ट्रेड एसोसिएशन (आईपीएसटीए) के अनुसार भारत में काली मिर्च की उपलब्धता कम है और सूखे मौसम की वजह से अगले सीजन में इसके उत्पादन पर असर पड़ सकता है।
वियतनाम में 63 क्षेत्रों में से 39 में सूखे का प्रभाव है। 11 क्षेत्रों में इमरजेंसी लागू की गई है। जिया लाई, डाकनोंग और डाकलाक ये तीन क्षेत्र तकरीबन एक लाख टन काली मिर्च पैदा करते हैं, पानी के संकट से जूझ रहे हैं। वियतनाम में किसानों ने काली मिर्च का स्टॉक कर रखा है और जिसके चलते बाजार में उपलब्धता काफी कम है।
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने काली मिर्च बाजार में रिलीज की है जिससे इसके भाव नीचे आ सकते हैं। तकरीबन तीन हजार टन काली मिर्च बाजार में आ चुकी है जबकि यह कुल स्टॉक 6800 टन था। देश में काली मिर्च का उत्तपादन 40 हजार टन होने का अनुमान है।
वियतनाम मार्च तक 50 हजार टन काली मिर्च की बिक्री कर चुका है जबकि वहां नई फसल आने तक एक लाख टन का स्टॉक है। लेकिन वे मौजूदा मौसम स्थिति को देखते हुए ऊंचे भाव पाने के लिए सौदेबाजी करेंगे।
इंटरनेशनल पीपर कम्युनिटी (आईपीसी) की भारत में हुई 43वीं सालाना बैठक में फसल वर्ष 2016 में काली मिर्च का वैश्विक उत्पादन छह हजार टन बढ़ने का अनुमान जताया गया था। इस बैठक में का गया था कि वियतनाम में अधिक उत्पादन होने से यह बढ़ोतरी हुई है।
वर्ष 2016 में काली मिर्च का उत्पादन 326063 टन रहेगा जो वर्ष 2015 में 325033 टन था। जबकि, काली एवं सफेद मिर्च का कुल उत्पादन 413713 टन के आसपास रहने के आसार हैं जो वर्ष 2015 में 407158 टन था। भारत में काली मिर्च का उत्पादन 65 हजार टन की तुलना में 53 हजार टन रहने की संभावना है।
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