27 फ़रवरी 2014
सप्लाई पर किसानों की लगाम से बढऩे लगे प्याज के दाम
किसानों के प्याज की आपूर्ति कम करने से पिछले दो सप्ताह के दौरान इसकी कीमतें रिकॉर्ड 50 फीसदी बढ़ गई हैं। हालांकि पहले कीमत उत्पादन लागत तक गिर गई थी। एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव (महाराष्ट्र) में इसका भाव बुधवार को 8-10 रुपये प्रति किलोग्राम था। दो सप्ताह पहले भाव 5.50 रुपये प्रति किलोग्राम था और इसमें लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
नासिक स्थित राष्ट्रीय बागवानी शोध एवं विकास संस्थान (एनएचआरडीएफ) द्वारा घोषित मॉडल कीमत से पता चलता है कि 15 फरवरी के बाद प्याज की कीमत 50 फीसदी बढ़ी है। मंगलवार को इसका भाव 9.15 रुपये प्रति किलोग्राम था, जबकि दो सप्ताह पहले भाव 6 रुपये प्रति किलोग्राम था। हाजिर बाजार में प्याज की कीमतें दो सप्ताह पहले 3.50 रुपये प्रति किलोग्राम थीं। किसान मंडियों में बेचने के बजाय सड़कों पर प्याज फेंकने की योजना बना रहे थे। लेकिन किसानों के आपूर्ति सीमित करने से हाजिर मंडियों में दाम सुधरे हैं।
एनएचआरडीएफ के निदेशक आर पी गुप्ता ने कहा, 'जब 15 फरवरी को प्याज की कीमत गिरकर 6 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई थी, तब कुल आवक घटकर 322.5 टन रह गई थी। मंगलवार को भाव 9.15 रुपये प्रति किलोग्राम होने से आवक 1,640 टन दर्ज की गई। इसका मतलब है कि आपूर्ति पर किसानों का पूर्ण नियंत्रण है।' प्याज के ज्यादा समय तक ठीक न रहने की वजह से निर्यात मांग नहीं आ रही है। देरी वाली खरीफ सीजन की फसल की गुणवत्ता रबी जितनी अच्छी नहीं है।
रबी सीजन वाला प्याज 12 महीने तक खराब नहीं होता है। इसलिए निर्यातक बड़ी मात्रा में खरीद के सौदे नहीं कर रहे हैं। देश के सबसे बड़े प्याज निर्यात हाउस में से एक के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हालिया कीमत बढ़ोतरी किसानों के सीमित आपूर्ति करने की वजह से हुई है, क्योंकि माल रोकने की उनकी क्षमता बढ़ी है। निर्यातक और बड़े खरीदार बाजार में नहीं आ रहे हैं।' चालू वित्त वर्ष के पहले 8 महीनों (अप्रैल से नवंबर तक) में देश से प्याज का निर्यात 33 फीसदी गिरकर 8.53 लाख टन रहा है। भारत मध्य पूर्व, श्रीलंका और कई दक्षिण-पूर्वी एशियाई और पड़ोसी देशों जैसे मलेशिया, सिंगापुर, माॉरिशस, बांग्लादेश और नेपाल को प्याज का निर्यात करता है। (Bs Hindi)
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