22 फ़रवरी 2014
रुपये में स्थिरता से कपास के निर्यात में सुधार
भारतीय रुपये में लौटी स्थिरता की वजह से कपास निर्यात में तेजी लौटती दिख रही है। पिछले कुछ महीनों के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में स्थिरता आई है। पहले से ही कपास का बड़ा भंडार जुटाकर बैठे चीन ने भारत से कपास के आयात में बढ़ोतरी शुरू कर दी है। इसके अलावा पाकिस्तान, बांग्लादेश, इंडोनेशिया और वियतनाम से भी मांग में इजाफो हो रहा है। इसलिए चालू कपास वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान 60 लाख कपास गांठों (एक गांठ में 170 किग्रा कपास होता है) का निर्यात किया जा चुका है और आने वाले एक महीने में 10 लाख गांठों का निर्यात होने की संभावना है। इस कपास ंवर्ष में कुल निर्यात 100 लाख गांठ तक रहने की उम्मीद है। कपास सलाहकार बोर्ड (सीएबी) ने हाल ही में कपास वर्ष 2013-14 के लिए 90 लाख गांठों के निर्यात का अनुमान पेश किया था। पिछले साल कपास का कुल निर्यात 101.4 लाख गांठ था जबकि वर्ष 2011-12 में निर्यात 129.6 लाख गांठ था।
हालांकि कुछ समय पहले चीन ने कपास के बजाय कपास के धागों के आयात को बढ़ावा देने का फैसला किया था, लेकिन इसके बावजूद चीन ने कुछ हद तक कपास की खरीद जारी रखी है। भारत से कपास निर्यात की स्थिति तय करने में रुपये की कीमत की भूमिका भी अब काफी अहम हो चुकी है। कुछ महीनों पहले तक रुपये की बढ़ती कीमत की वजह से कपास की कीमत चढ़ जाने के कारण कई आयातक भारतीय निर्यातकों से किए गए करार रद्द करने की फिराक में थे, लेकिन एक बार फिर से इन आयातकों ने करार को जारी रखने में रुचि दिखाई है। पिछले एक महीने के दौरान रुपये की कीमत 62 रुपये के इर्दगिर्द स्थिर है, जबकि पिछले एक महीने के दौरान शंकर 6 प्रकार के कपास की कीमत 43,000 रुपये प्रति कैंडी के उच्च स्तर पर स्थिर बनी हुई है।
मुंबई के एक कपास निर्यातक एम बी लाल ने कहा, 'हालांकि कुछ महीनों पहले चीन ने भारत से कपास आयात में कमी करना शुरू कर दिया था लेकिन रुपये में स्थिरता की वजह से उन्होंने भारत से खरीदारी फिर से बढ़ा दी। पाकिस्तान और बांग्लादेश ने भी आयात की शुरुआत कर दी है। निर्यात में रुपये की भूमिका अहम होती जा रही है। (BS Hindi)
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