21 फ़रवरी 2014
दलहन ज्यादा, नई नीति से होगा फायदा
देश में दलहन फसलों की रिकॉर्ड पैदावार होने का अनुमान है, लेकिन इसका फायदा किसानों को मिलेगा, इस पर शक है। किसानों को उनकी फसल का सही दाम मिलने के लिए जरूरी है कि सरकार बाजार के सभी दरवाजे खोल दे। दलहनी फसलों की कीमतों में लगातार गिरावट पर दाल कारोबारियों का कहना है कि सरकार को आयात और निर्यात दोनों से बंदिश हटानी होगी और चने की तरह दूसरी प्रमुख दलहन फसलों का वायदा कारोबार शुरू करना होगा। इंडियन पल्सेस ऐंड ग्रेन एसोसिएशन के चेयरमैन प्रवीण डोगरे का कहना है कि भारत दुनिया में दलहन का सबसे बड़ा उत्पादक और साथ में आयातक भी है लेकिन किसानों को फायदा नहीं हो रहा है। पिछले पांच सालों से दलहन की कीमतें जहां की तहां हैं जबकि महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है। चने जैसी प्रमुख दलहन फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के नीचे बिक रही है। सरकारी नीति के कारण बहुत ज्यादा निर्यात नहीं किया जा सकता है। निर्यात पर करों के बोझ के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में हम टिक नहीं पाते। इसलिए दलहन का निर्यात भी करना होगा और जरूरत पडऩे पर आयात भी। पिछले एक साल में चने की कीमतों में करीब 25 फीसदी गिरावट आ चुकी है। इस बार भी रिकॉर्ड उत्पादन है। लिहाजा, कीमतों में बढ़ोतरी मुश्किल है। इसलिए कारोबारी चाहते हैं कि सरकार निर्यात पर लगी बंदिशें हटाने के साथ ही अरहर सहित सभी दलहन फसलों का वायदा कारोबार शुरू करने की अनुमति दे।
दलहन कारोबारियों का मानना है कि पिछले कुछ दिनों से केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने संकेत दिए हैं कि सरकार दलहन नीति में बदलाव कर सकती है। अनुकूल मौसम और बुआई में बढ़ोतरी से चालू फसल वर्ष के दौरान देश में चावल, गेहूं और दलहन की रिकॉर्ड पैदावार होने का अनुमान है। केंद्र सरकार के दूसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक वर्ष 2013-14 में खाद्यान्न उत्पादन 2.3 फीसदी बढ़कर 26.32 करोड़ टन के रिकॉर्ड पर पहुंच सकता है। वर्ष 2013-14 में दलहन की पैदावार बढ़कर 197.7 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले वर्ष 2012-13 में 183.4 लाख टन दलहन फसलों की पैदावार हुई थी। चने की रिकॉर्ड 97.9 लाख टन पैदावार होने का अनुमान है जबकि पिछले साल चने का उत्पादन 88.3 लाख टन हुआ था। अरहर की भी रिकॉर्ड 33.4 लाख टन पैदावार होने जा रही है।
चने की कीमतों में लगातार गिरावट के बावजूद इस साल चने की बुआई पिछले 53 साल का रिकॉर्ड तोडऩे के करीब पहुंच चुकी है। खेतों में नमी और रबी सीजन के दौरान हल्की बारिश से चने का रकबा नये रिकॉर्ड की ओर बढ़ रहा है। चालू रबी सीजन में दलहन फसलों की बुआई 161.9 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हो चुकी है जबकि पिछले साल दलहन फसलों का रकबा 152.65 लाख हेक्टेयर ही था। चने का रकबा 103 लाख हेक्टेयर के पार पहुंच चुका है। देश में चने की बुआई 1959-60 में रिकॉर्ड 103.30 लाख टन हुई थी।
कनाडा से दलहन आयात में आ सकती है दिक्कत
भारत को दलहन जैसी कुछ प्रमुख कृषि जिंसों का निर्यात करने वाले कनाडा के सस्कैचेवन राज्य ने लॉजिस्टिक्स की समस्या के कारण भारत को किए जाने वाले कृषि निर्यात में गिरावट की आशंका जताई है। सस्कैचेवन के कृषि मंत्री लाइल स्टीवर्ट ने कहा, 'अगला वित्त वर्ष मजबूत दिखाई दे रहा है लेकिन हमें लॉजिस्टिक्स की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।' (BS Hindi)
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