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03 जून 2025

क्रूड एवं रिफाइंड खाद्य तेल के बीच शुल्क अंतर बढ़ाना केंद्र का सराहनीय कदम - एसईए

नई दिल्ली। आयातित क्रूड एवं रिफाइंड तेलों के बीच शुल्क अंतर को 8.25 फीसदी से बढ़ाकर 19.25 फीसदी करने का केंद्र सरकार ने एक साहसिक और समयानुकूल कदम उठाया है। इससे रिफाइंड पामोलिन के आयात में कमी आएगी और मांग पुनः क्रूड पाम तेल की ओर बढ़ेगी, जिससे घरेलू रिफाइनिंग उद्योग को फायदा होगा। क्रूड तेल पर आयात शुल्क में कमी करने से घरेलू बाजार में खाद्वय तेलों की कीमतों को कम करने में मदद मिलेगी, जिससे उपभोक्ताओं को भी फायदा होगा।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार क्रूड पाम तेल, क्रूड सोयाबीन तेल और क्रूड सूरजमुखी तेल पर आयात शुल्क पहले के 20 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया गया है। इन तीनों उत्पादों पर प्रभावी आयात शुल्क (मूल सीमा शुल्क और अन्य शुल्क सहित) अब 16.5 फीसदी होगा, जबकि पहले यह 27.5 फीसदी था। वहीं, रिफाइंड तेल पर मूल सीमा शुल्क 32.5 फीसदी पर अपरिवर्तित बना हुआ है। वर्तमान में रिफाइंड तेलों पर प्रभावी शुल्क 35.75 फीसदी है।

एसईए के अनुसार भारत मुख्य रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया से पाम तेल का आयात करता है। ऐतिहासिक रूप से, भारतीय रिफाइनर क्रूड पाम तेल (सीपीओ) का आयात करते रहे हैं, और पाम तेल की बढ़ती घरेलू मांग को पूरा करने के लिए बंदरगाह आधारित पाम तेल रिफाइनिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में पर्याप्त निवेश किया गया है। सीपीओ का आयात देश के भीतर मूल्य संवर्धन को सक्षम बनाता है और रिफाइनिंग क्षेत्र में रोजगार सृजन का समर्थन करता है।

हालांकि, सीपीओ और रिफाइंड पाम तेल के बीच 8.25 फीसदी के पिछले आयात शुल्क अंतर ने अनजाने में क्रूड की तुलना में तैयार उत्पाद के आयात को प्रोत्साहित किया था। परिणामस्वरूप, तेल वर्ष 2023-24 (नवंबर-अक्टूबर) के दौरान, रिफाइंड पामोलीन का कुल पाम ऑयल आयात में 20 फीसदी से अधिक हिस्सा था, और तेल वर्ष 2024-25 (नवंबर 2024 से अप्रैल 2025) की पहली छमाही में, इसका हिस्सा 2019-20 में 6 फीसदी हिस्सेदारी के मुकाबले लगभग 27 फीसदी हो गया। वर्तमान में, आरबीडी पामोलीन का सीएंडएफ मूल्य सीपीओ की तुलना में लगभग 45 से 50 अमेरिकी डॉलर प्रति टन कम है, जिससे घरेलू मूल्य संवर्धन की कीमत पर रिफाइंड आयात को बढ़ावा मिल रहा है।

यह प्रवृत्ति आपूर्तिकर्ता देशों की निर्यात नीतियों से और बढ़ गई है, जो सीपीओ (क्रूड तेल) पर उच्च निर्यात शुल्क और रिफाइंड पामोलीन (तैयार माल) पर कम शुल्क लगाते हैं, जिससे रिफाइंड तेल के निर्यात को प्रोत्साहन मिलता है। पहले का 8.25 फीसदी आयात शुल्क अंतर इन उपायों का मुकाबला करने और हमारे घरेलू उद्योग की रक्षा करने के लिए अपर्याप्त था, जो कम क्षमता पर काम कर रहा था और केवल पैकेजिंग संचालन तक सीमित हो गया था, इस प्रकार इस क्षेत्र में किए गए महत्वपूर्ण निवेश को कमजोर कर रहा था।

अत: केंद्र सरकार द्वारा शुल्क अंतर को 8.25 फीसदी से बढ़ाकर 19.25 फीसदी करने का निर्णय एक साहसिक और समय पर उठाया गया कदम है। यह रिफाइंड पाम तेल के आयात को हतोत्साहित करेगा और क्रूड पाम तेल की मांग को बढ़ायेगा, जिससे घरेलू रिफाइनिंग क्षेत्र में नई जान आएगी। इस कदम से खाद्य तेल के आयात की कुल मात्रा पर कोई असर नहीं पड़ेगा और इससे खाद्य तेल की कीमतों पर कोई दबाव पड़ने की संभावना नहीं है। इसके विपरीत, क्रूड तेल पर शुल्क में कमी से घरेलू कीमतों को कम करने में मदद मिलेगी, जिससे उपभोक्ताओं को लाभ होगा।

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