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20 सितंबर 2024

चालू खरीफ फसलों की कुल बुआई 2.21 फीसदी बढ़कर 1,096 लाख हेक्टेयर के पार

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में फसलों की कुल बुआई 2.21 फीसदी बढ़कर 1,096.65 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 1,072.94 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।


कृषि मंत्रालय के अनुसार 13 सितंबर 2024 तक धान एवं दलहन के साथ ही तिलहन तथा मोटे अनाजों के बुआई के क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हुई है, वहीं इस दौरान कपास एवं कैस्टर सीड की बुआई में कमी आई है।

चालू खरीफ सीजन में दलहनी फसलों की बुआई 7.89 फीसदी बढ़कर 127.77 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 118.43 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में 46.50 लाख हेक्टेयर में, उड़द की 30.44 लाख हेक्टेयर में और मूंग की 35.28 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 40.74 लाख हेक्टेयर में, 32.25 लाख हेक्टेयर में तथा 31.31 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

मोठ की बुवाई चालू खरीफ में 10.53 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 9.42 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

धान की रोपाई चालू खरीफ में बढ़कर 410 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई 393.57 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

तिलहनी फसलों की बुआई बढ़कर चालू खरीफ सीजन में 193.32 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 190.37 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। तिलहनी फसलों में सोयाबीन की बुआई चालू खरीफ में 125.11 लाख हेक्टेयर में, मूंगफली की 47.85 लाख हेक्टेयर में और सनफ्लावर की 0.75 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 123.85 लाख हेक्टेयर में, 43.75 लाख हेक्टेयर में तथा 0.73 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

अन्य तिलहनी फसलों में शीशम की बुआई 11.19 लाख हेक्टेयर में, कैस्टर सीड की 7.67 लाख हेक्टेयर में तथा नाइजर की 0.67 लाख हेक्टेयर में हुई है।

मोटे अनाजों की बुवाई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 189.67 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 183.11 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मोटे अनाजों में मक्का की 87.50 लाख हेक्टेयर में बाजरा 69.88 लाख हेक्टेयर तथा ज्वार 15.54 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में मक्का की बुआई 83.67 लाख हेक्टेयर में, बाजरा की 70.89 लाख हेक्टेयर में तथा ज्वार की 14.22 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

कपास की बुआई खरीफ सीजन में 9.06 फीसदी घटकर 112.48 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 123.69 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

गन्ने की बुआई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 57.68 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 57.11 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

गुजरात में खरीफ फसलों की बुआई 2.54 फीसदी पिछड़ी, दलहन की ज्यादा

नई दिल्ली। गुजरात में चालू खरीफ सीजन में फसलों की बुआई में 2.54 फीसदी की कमी आकर 17 सितंबर 2024 तक 83.32 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 85.49 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार दलहनी फसलों की बुआई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है, लेकिन कपास की बुआई में कमी आई है।

दलहन की बुआई बढ़कर राज्य में 39.06 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 37.36 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। दलहनी फसलों में अरहर की बुआई चालू खरीफ में 2.28 लाख हेक्टेयर में, मूंग की बुआई 55,159 हेक्टेयर में एवं उड़द की 83,671 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 2.11 लाख हेक्टेयर में, 64,616 हेक्टेयर में और 79,274 हेक्टेयर में हो चुकी थी।
 
कपास की बुआई राज्य में चालू खरीफ में 11.76 फीसदी घटकर 23.66 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 26.82 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल मूंगफली की बुआई बढ़कर 19.10 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 16.35 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

अन्य तिलहन की फसलों में सोयाबीन की बुआई चालू खरीफ में 3 लाख हेक्टेयर में, कैस्टर सीड की 5.79 लाख हेक्टेयर तथा शीशम की 49,651 हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 2.65 लाख हेक्टेयर में और 7.11 लाख हेक्टेयर तथा 58,205 हेक्टेयर में हो चुकी थी।

राज्य में धान की रोपाई चालू खरीफ सीजन में 17 सितंबर तक 8.86 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 8.71 लाख हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है।

राज्य में बाजरा की बुआई घटकर चालू खरीफ में अभी तक 1.68 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 1.97 लाख हेक्टेयर में इसकी बुआई हो चुकी थी। मक्का की बुआई राज्य में बढ़कर 2.85 हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 2.82 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

ग्वार सीड की बुआई राज्य में 84,215 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 1.03 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

18 सितंबर 2024

चालू वित्त वर्ष के पांच महीनों के दौरान डीओसी का निर्यात 4 फीसदी घटा - एसईए

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान डीओसी के निर्यात में 4 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 1,868,789 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 1,945,553 टन का ही हुआ था।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार अगस्त में देश से डीओसी के निर्यात में 11 फीसदी की कमी आकर कुल निर्यात 314,363 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले साल अगस्त में इनका निर्यात 354,206 टन का हुआ था।

एसईए के अनुसार चालू वर्ष के पहले पांच महीनों (अप्रैल से अगस्त 2024) के दौरान सोया डीओसी का निर्यात बढ़कर 8.48 लाख टन का हुआ है, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि के दौरान केवल 4.81 लाख टन का ही हुआ था। अत: सोया डीओसी के निर्यात में बढ़ोतरी ईरान और फ्रांस द्वारा अधिक मात्रा में आयात को जाता है।

बांग्लादेश और दक्षिण कोरिया सरसों डीओसी के प्रमुख आयातक हैं। बांग्लादेश में मौजूदा संकट के कारण सरसों डीओसी के निर्यात पर कम से कम अस्थायी रूप से रोक लग सकती है, क्योंकि इसका निर्यात मुख्य रूप से सड़क या रेल रैक द्वारा किया जाता है।

भारतीय बंदरगाह पर अगस्त में सोया डीओसी का भाव घटकर 473 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि जुलाई में इसका दाम 489 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान सरसों डीओसी का मूल्य अगस्त में भारतीय बंदरगाह पर घटकर 273 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि जुलाई में इसका भाव 286 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान कैस्टर डीओसी का दाम जुलाई के 84 डॉलर प्रति टन से बढ़कर अगस्त में 86 डॉलर प्रति टन हो गया।

बासमती चावल पर एमईपी हटाने से धान तेज, मंडी से धान की खरीद सरकारी एजेंट करें

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा बासमती चावल पर न्यूनतम निर्यात मूल्य, एमईपी 950 डॉलर समाप्त कर देने से घरेलू बाजार में शनिवार को धान की कीमतों में 50 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई। राइस मिलों की मांग बढ़ने से आगामी दिनों में इसके भाव में और भी सुधार आयेगा।


पंजाब की तरतनारन मंडी में शनिवार को पूसा 1,509 किस्म के धान के भाव 50 रुपये तेज होकर भाव 2,350 से 3,019 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, जबकि इसकी दैनिक आवक 6,000 बोरियों की हुई। अमृतसर मंडी में पूसा 1,509 किस्म के धान के दाम तेज होकर 2,400 से 3,050 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, जबकि दैनिक आवक 30,000 बोरियों की हुई।

हरियाणा की टोहाना मंडी में पूसा 1,509 किस्म के धान के दाम 100 रुपये तेज होकर 2,600 से 3,165 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। लाडवा मंडी में इसके दाम 75 रुपये बढ़कर 2,600 से 3,050 रुपये तथा टोहाना मंडी में अच्छी क्वालिटी के भाव 100 रुपये बढत्रकर 3,191 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

केंद्र सरकार ने बासमती चावल पर 950 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को शुक्रवार को हटा दिया। एपीडा (कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण) से इस निर्णय को लागू करने के लिए तत्काल कदम उठाने का अनुरोध किया गया है। हालांकि, इसमें यह भी कहा गया है कि एपीडा बासमती चावल के निर्यात के लिए किसी भी अवास्वतिक मूल्य पर निर्यात अनुबंध पर करीब से नजर रखेगा।

केन्द्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद हरियाणा सरकार ने परमल धान की सरकारी खरीद 23 नवंबर 2024 से करने का निर्णय लिया है। व्यापारियों के अनुसार गत वर्ष राइस मिलों ने मंडी से हाईब्रिड व नमी युक्त धान का उठाव किया था, जिस कारण स्टॉक में रखा धान खराब हो गया। इससे चावल की क्वालिटी प्रभावित हुई, जिस कारण राइस मिलर को नुक्सान हुआ।

राइस मिलर एसोसिएशन तरावड़ी ने इस स्थिति को देखते हुए निर्णय किया है कि मंडी से सरकारी कर्मचारी खुद धान की खरीद करके राइस मिल में भेजेगा और राइस मिलर्स अपनी मिल में धान की गुणवत्ता चेक करेगी तथा सरकारी मानकों अनुसार खरा होने पर ही उसे अपनी राइस मिल में उतरवायेगा, नहीं नहीं तो वापस भेज देगा। जैसा कि गेहूं में होता है। केंद्र सरकार किसी भी तरह की राहत राइस मिलर को देने को तैयार नहीं है उल्टे चावल लेने कि प्रक्रिया को और अधिक सख्त कर दिया है।

राइस मिलर एसोसिएशन तरावड़ी ने अपने जमीदारो को हिदायत दी है कि वह अपने धान को सुखा व साफ सुथरा करके सरकारी मानकों अनुसार ही मंडी में लेकर आए ताकि सरकारी कर्मचारी उसको आसानी से खरीद लें और किसान को किसी परेशानी का सामना न करना पड़े राइस मिलर मंडी से सरकारी धान की खरीद नहीं करेगा। 

13 सितंबर 2024

चालू तेल वर्ष के 10 महीनों में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 3 फीसदी घटा- एसईए

नई दिल्ली। चालू तेल वर्ष 2023-24 के पहले 10 महीनों नवंबर 23 से अगस्त 24 के दौरान देश में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 3 फीसदी घटकर 13,687,511 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 14,121,076 टन का हुआ था।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार अगस्त 2024 में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 16 फीसदी घटकर 1,563,3296 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल अगस्त में इनका आयात 1,866,123 टन का ही हुआ था। अगस्त 2024 के दौरान खाद्वय तेलों का आयात 1,536,229 टन का एवं अखाद्य तेलों का आयात 27,100 टन का हुआ है।

व्यापारियों का अनुमान है कि आगामी दो महीनों सितंबर एवं अक्टूबर के दौरान खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात लगभग 27 से 28 लाख टन होने का अनुमान है। अत: तेल वर्ष 2023-24 (नवंबर-अक्टूबर) के दौरान कुल आयात पिछले वर्ष के लगभग बराबर 160-165 लाख टन के बीच ही होने की संभावना है।

एसईए के अनुसार पिछले दो महीनों में उत्पादक मंडियों में सोयाबीन की कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी जोकि 4,892 रुपये प्रति क्विंटल है इससे 550 से 600 रुपये प्रति क्विंटल नीचे आ गई थी। इस कारण उत्पादक राज्यों में किसानों में काफी असंतोष था क्योंकि नई फसल आने में अब केवल 4 से 5 सप्ताह ही बचे है। अत: नई फसल आने पर कीमतों पर और दबाव बढ़ता। केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक से सोयाबीन की खरीद एमएसपी 4,892 रुपये प्रति क्विंटल की दर से करने की मंजूरी दे दी है, जिसका एसईए स्वागत करता है। अत: सरकार के फैसले से पिछले दो, तीन दिनों में सोयाबीन के दाम बढ़कर मंडियों में 4,600 से 4,700 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

इसका सबसे अच्छा समाधान यह होना चाहिए कि क्रूड खाद्य तेलों और रिफाइंड तेलों पर आयात शुल्क में 20 से 25 फीसदी की बढ़ोतरी की जाए, जिस कारण आयात शुल्क में अंतर न्यूनतम 15 फीसदी का हो। इससे किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य मिलेगा और मिलें किसानों को एमएसपी से अधिक कीमत दे पाएंगी। साथ ही सरकार को एमएसपी पर खरीद नहीं करनी पड़ेगी। यह किसानों के साथ ही उद्योग और सरकार के लिए अच्छा रहेगा। एसईए लगातार केंद्र सरकार से आयात शुल्क के अंतर को बढ़ाने का आग्रह कर रहा है और उम्मीद है कि सरकार द्वारा जल्द ही कोई सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा।

तेल वर्ष 2023-24 के पहले 10 महीनों में, देश में 1,610,801 टन रिफाइंड तेल (आरबीडी पामोलिन) का आयात किया, जोकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि के दौरान आयात किए गए 1,924,194 टन की तुलना में 16 फीसदी कम है। इस दौरान 11,860,655 टन क्रूड तेल का आयात किया गया, जोकि नवंबर 2022 एवं अगस्त 2023 के दौरान किए गए 12,050,632 टन की तुलना में 2 फीसदी कम है।

जुलाई के मुकाबले अगस्त में आयातित खाद्वय तेलों की कीमतों में मिलाजुला रुख रहा। अगस्त में भारतीय बंदरगाह पर आरबीडी पामोलिन का भाव बढ़कर 980 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि जुलाई में इसका दाम 949 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रूड पाम तेल का दाम अगस्त में बढ़कर 1,011 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि जुलाई में इसका भाव 979 डॉलर प्रति टन था। हालांकि क्रूड सोयाबीन तेल का भाव अगस्त में घटकर भारतीय बंदरगाह पर 1,015 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि जुलाई में इसका भाव 1,054 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रूड सनफ्लावर तेल का भाव भारतीय बंदरगाह पर जुलाई के 1,043 डॉलर से घटकर अगस्त में 1,019 डॉलर प्रति टन रह गया।

अक्टूबर से अगस्त के दौरान सोया डीओसी का निर्यात 20 फीसदी बढ़ा - सोपा

नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2023-24 के पहले 11 महीनों अक्टूबर से अगस्त के दौरान सोया डीओसी के निर्यात में 20.05 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 20.77 लाख टन का हुआ है जबकि इसके पिछले फसल सीजन की समान अवधि में इसका निर्यात 17.30 लाख टन का ही हुआ था।


सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन 2023-24 के पहले 11 महीनों अक्टूबर से अगस्त के दौरान 89.17 लाख टन सोया डीओसी का उत्पादन हुआ है, जोकि पिछले फसल सीजन की समान अवधि के 85.80 लाख टन की तुलना में ज्यादा है। नए सीजन के आरंभ में 1.17 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था, जबकि 0.24 लाख टन का आयात हुआ है। इस दौरान 7.40 लाख टन सोया डीओसी की खपत फूड में एवं 61 लाख टन की फीड में हुई है। अत: मिलों के पास पहली सितंबर 2024 को 1.41 लाख टन सोया डीओसी का स्टॉक बचा हुआ था, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.67 लाख टन से कम है।

सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन 2023-24 के पहले 11 महीनों अक्टूबर से अगस्त के दौरान उत्पादक राज्यों की मंडियों में 112.50 लाख टन सोयाबीन की आवक हुई है, जोकि पिछले फसल सीजन की समान अवधि के 112 लाख टन से थोड़ी ज्यादा है। इस दौरान 113 लाख टन सोयाबीन की क्रॉसिंग हो चुकी है जबकि 4.35 लाख टन की सीधी खपत एवं 0.09 लाख टन का निर्यात हुआ है। अत: प्लांटों, स्टॉकिस्टों तथा किसानों के पास पहली सितंबर 2024 को 18.40 लाख टन सोयाबीन का स्टॉक ही बचा हुआ था, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 31.29 लाख टन की तुलना में कम है।

सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन 2023-24 के दौरान देश में 118.74 लाख टन सोयाबीन के उत्पादन का अनुमान है, जबकि नई फसल की आवकों के समय 24.07 लाख टन का बकाया स्टॉक था। अत: चालू फसल सीजन में सोयाबीन की कुल उपलब्धता 142.81 लाख टन की बैठेगी, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 149.26 लाख टन की तुलना में कम है।

सोयाबीन की एमएसपी पर खरीद की मंजूरी से कीमतों में हल्का सुधार

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा सोयाबीन की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद को मंजूरी देने से हाजिर बाजार में बुधवार को भाव में तेजी आई। मध्य प्रदेश में सोयाबीन के प्लांट डिलीवरी दाम बढ़कर 4,665 से 4,775 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। महाराष्ट्र में सोयाबीन के प्लांट भाव तेज होकर 4,725 से 4,760 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।


केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक से सोयाबीन की एमएसपी पर खरीद को मंजूरी दे दी है। खरीफ विपणन सीजन 2024-25 के लिए सरकार ने सोयाबीन का एमएसपी 4,892 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह के अनुसार मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों से एमएसपी पर सोयाबीन की खरीद के लिए अनुरोध मिला था, जिसे केंद्र सरकार ने सहमति दे दी है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार मध्य प्रदेश सरकार के संपर्क में जहां किसान सोयाबीन की कीमतों गिरावट के कारण विरोध कर रहे हैं। मालूम हो कि मध्य प्रदेश के किसान 6,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सोयाबीन की खरीद की मांग कर रहे हैं।

कृषि मंत्री के अनुसार सोयाबीन की कीमतों में आई गिरावट के कारण मध्य प्रदेश के किसानों को नुकसान हो रहा है, अत: केंद्र सरकार किसानों की मदद के लिए हर संभव कदम उठायेगी।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार सोयाबीन की एमएसपी पर खरीद के लिए दो योजनाएं हैं, तथा मध्य प्रदेश के किसान किसी भी योजना के तहत सोयाबीन बेच सकते हैं। हालांकि उन्होंने बताया कि नई फसल की आवक बनने में अभी समय है।

मध्य प्रदेश के साथ ही महाराष्ट्र की मंडियों में सोयाबीन के भाव एमएसपी से नीचे बने हुए हैं तथा पिछले दिनों उत्पादक मंडियों में इसके दाम घटकर 3,500 से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल रह गए थे।

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ सीजन में सोयाबीन की बुआई बढ़कर 125.11 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इसकी बुआई केवल 123.85 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

गुजरात में खरीफ फसलों की बुआई 2.57 फीसदी घटी, कपास की कम तथा मूंगफली की बढ़ी

नई दिल्ली। गुजरात में चालू खरीफ सीजन में फसलों की बुआई में 2.57 फीसदी की कमी आकर 9 सितंबर 2024 तक 82.67 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 84.86 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार इस दौरान जहां कपास की बुआई में कमी आई है, वहीं मूंगफली की बुआई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है।

कपास की बुआई राज्य में चालू खरीफ में घटकर 23.62 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 26.79 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल मूंगफली की बुआई बढ़कर 19.10 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 16.35 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

अन्य तिलहन की फसलों में सोयाबीन की बुआई चालू खरीफ में 2.99 लाख हेक्टेयर में, कैस्टर सीड की 5.47 लाख हेक्टेयर तथा शीशम की 49,366 हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 2.65 लाख हेक्टेयर में और 6.86 लाख हेक्टेयर तथा 58,044 हेक्टेयर में हो चुकी थी।

राज्य में धान की रोपाई चालू खरीफ सीजन में 9 सितंबर तक 8.85 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 8.71 लाख हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है।

राज्य में बाजरा की बुआई घटकर चालू खरीफ में अभी तक 1.67 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 1.81 लाख हेक्टेयर में इसकी बुआई हो चुकी थी। मक्का की बुआई राज्य में बढ़कर 2.85 हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 2.82 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

दलहनी फसलों में अरहर की बुआई चालू खरीफ में 2.27 लाख हेक्टेयर में, मूंग की बुआई 54,954 हेक्टेयर में एवं उड़द की 83,651 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 2.09 लाख हेक्टेयर में, 64,614 हेक्टेयर में और 79,265 हेक्टेयर में हो चुकी थी।

ग्वार सीड की बुआई राज्य में 81,695 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 1.03 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

10 सितंबर 2024

चालू खरीफ फसलों की बुआई बढ़कर 1,092 लाख हेक्टेयर के पार, पिछले साल से बढ़ी

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में फसलों की कुल बुआई 2.15 फीसदी बढ़कर 1,092.33 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 1,069.29 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।


कृषि मंत्रालय के अनुसार 6 सितंबर 2024 तक धान एवं दलहन के साथ ही तिलहन तथा मोटे अनाजों के बुआई के क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हुई है, वहीं इस दौरान कपास एवं कैस्टर सीड की बुआई में कमी आई है।

चालू खरीफ सीजन में दलहनी फसलों की बुआई 7.50 फीसदी बढ़कर 126.20 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 117.19 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में 45.78 लाख हेक्टेयर में, उड़द की 30.02 लाख हेक्टेयर में और मूंग की 35.06 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 40.74 लाख हेक्टेयर में, 31.71 लाख हेक्टेयर में तथा 31.05 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

मोठ की बुवाई चालू खरीफ में 10.53 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 9.42 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

धान की रोपाई चालू खरीफ में बढ़कर 409.50 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई 393.57 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

तिलहनी फसलों की बुआई बढ़कर चालू खरीफ सीजन में 192.40 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 189.44 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। तिलहनी फसलों में सोयाबीन की बुआई चालू खरीफ में 125.11 लाख हेक्टेयर में, मूंगफली की 47.49 लाख हेक्टेयर में और सनफ्लावर की 0.74 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 123.85 लाख हेक्टेयर में, 43.39 लाख हेक्टेयर में तथा 0.72 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

अन्य तिलहनी फसलों में शीशम की बुआई 10.95 लाख हेक्टेयर में, कैस्टर सीड की 7.47 लाख हेक्टेयर में तथा नाइजर की 0.56 लाख हेक्टेयर में हुई है।

मोटे अनाजों की बुवाई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 188.72 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 181.74 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मोटे अनाजों में मक्का की 87.27 लाख हेक्टेयर में बाजरा 69.81 लाख हेक्टेयर तथा ज्वार 15.18 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में मक्का की बुआई 82.86 लाख हेक्टेयर में, बाजरा की 70.84 लाख हेक्टेयर में तथा ज्वार की 14.08 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

कपास की बुआई खरीफ सीजन में 9.13 फीसदी घटकर 112.13 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 123.39 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

गन्ने की बुआई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 57.68 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 57.11 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। 

राजस्थान में दलहन की बुआई बढ़ी, मोटे अनाज एवं तिलहन की घटी

नई दिल्ली। राजस्थान में चालू खरीफ सीजन में दलहन की बुआई में बढ़ोतरी हुई है, जबकि मोटे अनाजों के साथ ही तिलहन की घटी है। राज्य में फसलों की कुल बुआई 97 फीसदी पूरी हो चुकी है, हालांकि पिछले साल की तुलना में 1.96 फीसदी कम हुई है।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 4 सितंबर 2024 तक राज्य में 159.80 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 163 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। राज्य सरकार ने चालू खरीफ में 164.75 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई का लक्ष्य तय किया है।

राज्य में मक्का, बाजरा एवं धान के साथ ही ज्वार की बुआई 62.57 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 63.66 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों में बाजरा की बुआई चालू खरीफ में 43.24 लाख हेक्टेयर में, मक्का की 9.71 लाख हेक्टेयर में तथा ज्वार की 6.60 लाख हेक्टेयर में ही हुई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 45.43 लाख हेक्टेयर में, 9.42 लाख हेक्टेयर में और 6.29 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

धान की रोपाई राज्य में बढ़कर 2.97 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 2.43 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

दलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 37.08 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ में इस समय तक केवल 35.20 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल मूंग की बुआई चालू खरीफ में 23.15 लाख हेक्टेयर में, उड़द की 2.98 लाख हेक्टेयर में तथा मोठ की 10.39 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 22.11 लाख हेक्टेयर में, 3.18 लाख हेक्टेयर एवं 9.26 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

राज्य में चालू खरीफ सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई 23.64 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 24.36 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुआई राज्य में 11.23 लाख हेक्टेयर में तथा मूंगफली की 8.54 लाख हेक्टेयर में और शीशम की 2.16 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 11.44 लाख हेक्टेयर में और 8.69 लाख हेक्टेयर में और 2.38 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

कपास की बुआई राज्य में चालू खरीफ में घटकर केवल 5.19 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 7.90 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है।

इसी तरह से ग्वार सीड की बुआई राज्य में चालू खरीफ में घटकर केवल 27.20 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 27.64 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है।

कुईट और मोपा के बाद अब मरुधर ट्रेडिंग ने भी सरसों के उत्पादन अनुमान में की कटौती

नई दिल्ली। कुईट और मोपा के बाद अब मरुधर ट्रेडिंग ने भी सरसों के उत्पादन अनुमान में कटौती की है। मरुधर ट्रेडिंग कंपनी के अनुसार फसल सीजन 2023-24 में देश में सरसों का उत्पादन 108 लाख टन ही होने का अनुमान है, जबकि कंपनी ने इससे पहले 116 लाख टन के उत्पादन का अनुमान जारी किया था।


कुईट एवं मोपा ने फसल सीजन 2023-24 ने सरसों के आरंभिक उत्पादन अनुमान 123 लाख टन को घटाकर 115 लाख टन कर दिया। जानकारों के अनुसार उत्पादन अनुमान में कटौती से घरेलू बाजार में सरसों की कीमतों में हल्की तेजी बनने का अनुमान।

मरुधर ट्रेडिंग कंपनी के अनुसार राजस्थान में सरसों का उत्पादन 53 लाख टन, पंजाब एवं हरियाणा में 12 लाख टन तथा मध्य प्रदेश में 13 लाख टन और पश्चिम बंगाल तथा अन्य राज्यों में 19 लाख टन, उत्तर प्रदेश में 13 लाख टन तथा गुजरात में 5 लाख टन ही होने का अनुमान है। अत: चालू सीजन में 108 लाख टन का उत्पादन तथा नई फसल की आवक के समय 12 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था। अत: कुल उपलब्धता 120 लाख टन की बैठेगी।

पहली मार्च से 31 अगस्त तक देशभर की मंडियों में 85 लाख टन सरसों की आवक हो चुकी है, जिसमें से 64.50 लाख टन की क्रेसिंग हुई है। अत: तेल मिलर्स एवं स्टॉकिस्ट के पास केवल 7 लाख टन का ही बकाया स्टॉक बचा हुआ है।

मरुधर ट्रेडिंग कंपनी के अनुसार 31 अगस्त को देशभर में सरसों का कुल बकाया स्टॉक 55.50 लाख टन का बचा हुआ है, जिसमें से 23 लाख टन किसानों के पास है। इसके अलावा नेफेड एवं हेफैड के पास नया एवं पुराना मिलाकर कुल 25.50 लाख टन का स्टॉक है, जबकि मिलर्स एवं स्टॉकिस्टों के पास केवल 7 लाख टन का ही स्टॉक है। 

04 सितंबर 2024

चालू फसल सीजन में अगस्त अंत तक देश से 26 लाख गांठ कॉटन का निर्यात

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2023 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2023-24 में 31 अगस्त 2024 तक देश से जहां 26 लाख गांठ कॉटन का निर्यात हुआ है, वहीं इस दौरान 8 लाख गांठ का आयात हुआ है।


कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई के अनुसार कॉटन का उत्पादन 317.70 लाख गांठ एक गांठ 170 किलोग्राम होने का अनुमान है जबकि पिछले साल देश में कॉटन का उत्पादन 318.90 लाख गांठ का हुआ था।

सीएआई के अनुसार चालू फसल सीजन में अगस्त अंत तक 26 लाख गांठ कॉटन का निर्यात हो चुका है जबकि पिछले फसल सीजन के दौरान केवल 15.50 लाख गांठ कॉटन का ही निर्यात हुआ था।

व्यापारियों के अनुसार विश्व बाजार में भारतीय रुई सस्ती होने के कारण मार्च 24 तक निर्यात सौदों में बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन उसके बाद से आईसीई कॉटन वायदा की कीमतों में भारी गिरावट आई, जिस कारण निर्यात सौदों में पहले की तुलना में कमी आई थी।

चालू फसल सीजन में कॉटन का आयात 16.40 लाख गांठ ही होने का अनुमान है। सीएआई के अनुसार 31-07-2024 तक 8 लाख गांठ कॉटन भारतीय बंदरगाह पर पहुंच चुकी है। पिछले फसल सीजन के दौरान 12.50 लाख गांठ कॉटन का आयात ही हुआ था।

उद्योग के अनुसार चालू फसल सीजन में 31 अगस्त 2024 तक देशभर की मंडियों में कॉटन की आवक 313.63 लाख गांठ की हो चुकी है।
 
सीएआई के अनुसार 31 अगस्त 2024 को 11.05 लाख गांठ कॉटन का स्टॉक एमएनसी और जिनर्स के पास है। इसके अलावा 18 लाख गांठ कॉटन का स्टॉक कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई के पास है तथा 0.15 लाख गांठ का एमसीएक्स के पास है।

सीएआई के अनुसार पहली अक्टूबर 2023 को कॉटन का बकाया स्टॉक 28.90 लाख गांठ का बचा हुआ था, जबकि अगस्त अंत तक 313.63 लाख गांठ की आवक हो चुकी है। अगस्त तक अंत तक 8 लाख गांठ कॉटन का आयात हो चुका है। ऐसे में कुल उपलब्धता 350.53 लाख गांठ की हुई है। चालू फसल सीजन में कॉटन की खपत 266.60 लाख गांठ की हो चुकी है, जबकि 26 लाख गांठ का निर्यात हुआ है। अत: मिलों के पास 28.83 लाख गांठ का बकाया स्टॉक है, जबकि सीसीआई, महाराष्ट्र फेडरेशन, एमएनसी एवं जिनर्स तथा व्यापारी एवं निर्यातकों के पास 29.20 लाख गांठ कॉटन का स्टॉक है।  

चालू फसल सीजन के अंत में 30 सितंबर 2024 को कॉटन का बकाया स्टॉक 20 लाख गांठ बचने का अनुमान है, जोकि इसके पिछले साल की समान अवधि के 28.90 लाख गांठ की तुलना में कम है।

चालू खरीफ में धान, दलहन एवं मोटे अनाज के साथ तिलहन की बुआई बढ़ी

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में धान एवं दलहन के साथ ही तिलहन तथा मोटे अनाजों के बुआई के क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हुई है, वहीं इस दौरान कपास एवं कैस्टर सीड की बुआई में कमी आई है।


कृषि मंत्रालय के अनुसार 30 अगस्त 2024 तक फसलों की कुल बुआई 1.92 फीसदी बढ़कर 1,087.33 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 1,066.89 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

चालू खरीफ सीजन में दलहनी फसलों की बुआई 7.26 फीसदी बढ़कर 125.13 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 116.66 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में 45.78 लाख हेक्टेयर में, उड़द की 29.62 लाख हेक्टेयर में और मूंग की 34.76 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 40.74 लाख हेक्टेयर में, 31.42 लाख हेक्टेयर में तथा 30.88 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

मोठ की बुवाई चालू खरीफ में 10.53 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 9.40 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

धान की रोपाई चालू खरीफ में बढ़कर 408.72 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई 399.57 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

तिलहनी फसलों की बुआई बढ़कर चालू खरीफ सीजन में 190.63 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 188.83 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। तिलहनी फसलों में सोयाबीन की बुआई चालू खरीफ में 125.11 लाख हेक्टेयर में, मूंगफली की 47.49 लाख हेक्टेयर में और सनफ्लावर की 0.71 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 123.85 लाख हेक्टेयर में, 43.39 लाख हेक्टेयर में तथा 0.69 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

अन्य तिलहनी फसलों में शीशम की बुआई 10.77 लाख हेक्टेयर में, कैस्टर सीड की 6.10 लाख हेक्टेयर में तथा नाइजर की 0.37 लाख हेक्टेयर में हुई है।

मोटे अनाजों की बुवाई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 187.74 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 181.06 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मोटे अनाजों में मक्का की 87.27 लाख हेक्टेयर में बाजरा 69.55 लाख हेक्टेयर तथा ज्वार 15.16 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में मक्का की बुआई 82.86 लाख हेक्टेयर में, बाजरा की 70.81 लाख हेक्टेयर में तथा ज्वार की 14.06 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

कपास की बुआई खरीफ सीजन में 9.23 फीसदी घटकर 111.74 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 123.11 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

गन्ने की बुआई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 57.68 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 57.11 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। 

कॉटन वॉश के साथ ही बिनौला के भाव तेज, कपास खली की कीमतें स्थिर

नई दिल्ली। आयातित खाद्वय तेलों की कीमतों में आई तेजी से घरेलू बाजार में चालू सप्ताह में कॉटन वॉश के साथ ही बिनौला की कीमतों में तेजी आई, जबकि सप्ताहांत में कपास खली के दाम स्थिर हो गए।


व्यापारियों के अनुसार विश्व बाजार में खाद्वय तेलों के दाम अभी तेज बने रह सकते हैं, इसलिए घरेलू बाजार में मिलों की खरीद बिनौला में बनी रहेगी। बुआई में आई कमी से चालू सीजन में कपास के उत्पादन अनुमान घटने की आशंका है, जिस कारण बिनौला की उपलब्धता कम बैठेगी। खपत का सीजन होने के कारण कॉटन वॉश की मांग भी अभी बनी रहेगी।  

विदेशी बाजार में चालू सप्ताह के अंत में खाद्वय तेलों की कीमतों में तेजी दर्ज की गई थी, अत: घरेलू बाजार में भी कॉटन वॉश की कीमत तेज हुई। धुले में कॉटन वॉश के भाव 10 रुपये तेज होकर 975 रुपये प्रति 10 किलो हो गए। गुजरात डिलीवरी कॉटन वॉश की कीमत 10 रुपये बढ़कर तेज होकर 980 से 985 रुपये प्रति दस किलो हो गई। राजकोट में कॉटन वॉश के दाम 10 रुपये तेज होकर 980 रुपये प्रति 10 किलो हो गए।

तेल मिलों की मांग बढ़ने से बिनौले की कीमत उत्तर भारत के राज्यों में चालू सप्ताह में तेज हुई। हरियाणा में बिनौले के भाव 100 रुपये बढ़कर 3300 से 3600 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान श्रीगंगानगर लाइन में बिनौला के भाव 150 रुपये बढ़कर 3300 से 3700 रुपये प्रति क्विंटल बोले हो गए। बिनौला के दाम पंजाब में 100 रुपये तेज 3300 से 3600 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

पशु आहार वालों की मांग सीमित होने से कपास खली की कीमतें चालू सप्ताह के अंत में स्थिर हो गई। बीड में रेगुलर क्वालिटी की कपास खली की कीमतें 3,750 से 3,850 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गई। इस दौरान पिंपलगांव में कपास खली के दाम 3,750 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। बालानगर में रेगुलर क्वालिटी की कपास खली के भाव 3,750 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

स्पिनिंग मिलों की खरीद से गुजरात एवं उत्तर भारत में कॉटन तेज, सीसीआई ने बिक्री भाव बढ़ाये


नई दिल्ली। स्पिनिंग मिलों की मांग बढ़ने के कारण शुक्रवार को गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमत तेज हुई। इस दौरान कारपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने भी बिक्री भाव में बढ़ोतरी की।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव शुक्रवार को 350 रुपये तेज होकर 58,300 से 58,700 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो हो गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव तेज होकर 5725 से 5750 रुपये प्रति मन बोले गए।हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव तेज होकर 5625 से 5630 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव बढ़कर 5450 से 5,850 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव 56,500 से 56,700 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आवक 9,000 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

कारपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने कॉटन आज के बिक्री भव में 300 रुपये प्रति कैंडी की बढ़ोतरी की।

घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स के साथ ही एनसीडीएक्स पर आज शाम को कॉटन की कीमतों में मिलाजुला रुख रहा। उधर आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन वायदा की कीमतें शाम के सत्र में तेजी आई।

स्पिनिंग मिलों की मांग बढ़ने से गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमत तेज हुई। व्यापारियों के अनुसार घरेलू बाजार में जिनर्स नीचे दाम पर कॉटन की बिकवाली नहीं करना चाहते, जबकि खपत का सीजन होने के कारण आगामी दिनों में यार्न की स्थानीय मांग बढ़ने की उम्मीद है। गुजरात में हाल ही में हुई भारी बारिश से नई फसल की आवकों में देरी की आशंका है। इसलिए मांग बनी रहने से कॉटन की कीमतों में और भी तेजी आने का अनुमान है। हालांकि उत्तर भारत के राज्यों में मौसम अनुकूल रहा तो नई फसल की आवक अगले महीने शुरू हो जायेगी।

जानकारों के अनुसार उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवक सीमित मात्रा में हो रही तथा अधिकांश जिनिंग मिलें उत्पादन बंद कर चुकी। हालांकि घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में तेजी, मंदी आईसीई कॉटन वायदा के भाव के आधार पर ही तय होंगी। कॉटन की मौजूदा कीमतों में जिनर्स को पड़ते नहीं लग रहे, इसलिए बिकवाली भी सीमित बनी हुई है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार 23 अगस्त तक कपास की बुआई चालू खरीफ सीजन में 9.24 फीसदी घटकर 111.39 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 122.74 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

तेलंगाना में चालू खरीफ सीजन में फसलों की कुल बुआई 5.64 फीसदी पिछड़ी

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में तेलंगाना में फसलों की कुल बुआई में 5.64 फीसदी पीछे चल रही है। राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 28 अगस्त 2024 तक राज्य में खरीफ फसलों की बुआई घटकर 109,57,557 एकड़ में ही ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 116,21,909 एकड़ में बुवाई हो चुकी थी।


इस दौरान राज्य में मोटे अनाजों की बुआई 5,25,233 एकड़ में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 5,24,510 एकड़ में ही बुवाई हुई थी। धान की रोपाई 47,81,185 एकड़ में तथा मक्का की 4,88,047 एकड़ में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 50,31,246 एकड़ में और 5,02,303 एकड़ में हुई थी।

दलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में 5,48,046 एकड़ में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 5,27,327 एकड़ की तुलना में थोड़ी अधिक है। अरहर की बुआई चालू खरीफ में 4,60,592 एकड़ में मूंग की 66,592 एकड़ में तथा उड़द की 20,238 एकड़ में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 4,55,636 एकड़ में, 49,522 एकड़ में तथा 19,095 एकड़ में हो चुकी थी।

तिलहनी फसलों की बुआई राज्य में चालू खरीफ सीजन में घटकर 4,01,522 एकड़ में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 4,52,248 एकड़ में हो चुकी थी। सोयाबीन की बुआई राज्य में अभी तक 3,84,988 एकड़ में तथा मूंगफली की 13,206 एकड़ में हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 4,43,449 एकड़ में तथा 6,027 एकड़ में ही हुई थी। कैस्टर सीड की बुआई चालू सीजन में 2,475 एकड़ में हुई है।

कपास की बुआई चालू खरीफ में घटकर 42,66,041 एकड़ में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 44,52,411 एकड़ में हो चुकी थी।