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30 सितंबर 2024

सरकारी सख्ती के बावजूद गेहूं में तेजी जारी, दिल्ली में भाव तीन हजार के पार

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा सख्ती करने के बावजूद भी गेहूं की कीमतों में तेजी जारी है। शनिवार को दिल्ली में गेहूं के दाम 60 रुपये तेज होकर भाव 3,010 से 3,015 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। दिल्ली में गेहूं की आवक 6,000 बोरियों की हुई।


केंद्र सरकार ने गेहूं पर तत्काल प्रभाव से स्टॉक लिमिट लगाई हुई है जोकि 31 मार्च, 2025 तक लागू रहेगी।

केंद्र सरकार ने हाल ही में गेहूं की स्टॉक लिमिट में कमी की थी, साथ ही खाद्वय सुरक्षा अधिनियम, एनएफएसए 2013 और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना, पीएमजीकेएवाई के तहत गेहूं का आवंटन बढ़ाने का फैसला लिया था।

केंद्र सरकार ने 13 सितंबर 2024 को व्यापारियों एवं होलसेलर पर गेहूं की स्टॉक लिमिट को घटाकर 2,000 टन कर दिया था, जबकि पहले यह 3,000 टन थी। मिलर्स भी अपनी मासिक क्षमता का 60 फीसदी गेहूं की रख सकता है, जबकि पहले यह लिमिट 70 फीसदी मासिक की थी।

केंद्रीय खाद्वय सचिव संजीव चोपड़ा ने 18 सितंबर को घोषणा की थी कि मंत्रियों की एक सीमित ने पीएमजीकेएवाई के तहत 35 लाख टन गेहूं का आवंटन बढ़ाने को मंजूरी दी है।

केंद्र सरकार के अनुसार रबी 2024 के दौरान देश में कुल 11.29 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन हुआ था, जोकि खपत के हिसाब से पर्याप्त उपलब्धता है।

सूत्रों के अनुसार केंद्रीय पूल में पहली सितंबर 2024 को 251.46 लाख टन गेहूं का स्टॉक मौजूद है।

चालू रबी विपणन सीजन 2024-25 में प्रमुख उत्पादक राज्यों से 266 लाख टन गेहूं की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी हुई थी, जोकि पिछले रबी विपणन सीजन 2023-24 में 262 लाख टन खरीद गए गेहूं से ज्यादा है। 

हरियाणा में शुक्रवार से शुरू हुई धान की सरकारी खरीद, केंद्र सरकार ने दी मंजूरी

नई दिल्ली। हरियाणा की मंडियों से शुक्रवार से धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद शुरू हो गई, हालांकि परमल धान की आवक नहीं के बराबर होने के साथ ही कई जिलों में बारिश होने से पहले दिन खरीद नाममात्र की ही हुई।


राज्य की अंबाला एवं पिहोवा के साथ ही कई अन्य मंडियों में शुक्रवार को बारिश हुई।

राज्य सरकार ने पहले चालू खरीफ विपणन सीजन 2024-25 के लिए 23 सितंबर से धान की खरीद करने का निर्णय लिया था, जिसे बाद में बढ़ाकर एक अक्टूबर 2024 कर दिया था।

राज्य की मंडियों से 27 सितंबर 2024 से 15 नवंबर 2024 तक धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद होगी। केंद्र सरकार को राज्य की ओर से जल्द खरीद शुरू करने का अनुरोध किया गया था, जिसे भारत सरकार ने मंजूरी दे दी।

केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2024-25 के लिए सामान्य धान का एमएसपी 2,300 रुपये और ग्रेड-ए धान का 2,320 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।

अधिकारियों ने किसानों से धान की फसल को सरकारी मापदंड के अनुसार अच्छे से सुखाकर तय नमी मात्रा में लेकर आने का आग्रह किया है, ताकि फसल की खरीद तुरंत सुनिश्चित की जा सके।

राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार चालू खरीफ सीजन में राज्य में धान की रोपाई 15.73 लाख हेक्टेयर में हुई है।

राज्य की गोहाना मंडी में पूसा 1,509 किस्म के धान की आवक शुक्रवार को 4,000 क्विंटल की हुई तथा भाव 2,500 से 2,686 रुपये प्रति क्विंटल रहे। सफीदों मंडी में पूसा 1,509 किस्म के धान की आवक 2,500 बोरियों की हुई तथा इसका व्यापार 2,550 से 2,730 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हुआ। व्यापारियों के अनुसार राज्य की मंडियों में अभी पूसा 1,509 किस्म के धान की आवक ज्यादा हो रही है तथा परमल धान की आवक अक्टूबर में बढ़ेगी।

कर्नाटक में खरीफ फसलों की बुआई 11 फीसदी के करीब बढ़ी

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में कर्नाटक में 20 सितंबर तक खरीफ फसलों की कुल बुआई 10.89 फीसदी बढ़कर 81.24 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में बुआई केवल 73.26 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार चालू खरीफ में मोटे अनाजों के साथ ही दलहन एवं तिलहनी फसलों की बुआई में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन कपास एवं गन्ने की बुआई पिछले साल की तुलना में घटी है।

राज्य में दलहनी फसलों की बुआई बढ़कर 22.45 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि के इनकी बुआई केवल 17.27 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 15.94 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई केवल 13.63 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मूंग की बुआई राज्य में चालू खरीफ में 0.42 लाख हेक्टेयर में तथा उड़द की 0.93 लाख हेक्टेयर में ही हुई है।

तिलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में राज्य में बढ़कर 8.34 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 7.97 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुआई चालू खरीफ में राज्य में 4.22 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 4.11 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी। मूंगफली की बुआई चालू खरीफ में 3.32 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 3.08 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। सनफ्लावर की बुआई चालू खरीफ में 0.58 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है।

धान, ज्वार, बाजरा एवं मक्का तथा रागी की बुआई चालू खरीफ में 35.88 हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 32.99 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। धान की रोपाई चालू सीजन में 10.14 हेक्टेयर में और मक्का की 15.90 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ सीजन में इस समय तक इनकी बुआई क्रमशः 8.83 लाख हेक्टेयर और 16.09 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। रागी की बुआई चालू खरीफ में 7.39 लाख हेक्टेयर में तथा बाजरा की 1.41 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 6.05 लाख हेक्टेयर में तथा 1.29 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

गन्ने की बुआई चालू खरीफ सीजन में घटकर 6.91 लाख हेक्टेयर ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 7.21 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

कपास की बुआई चालू खरीफ में राज्य में 1.87 फीसदी घटकर 6.84 लाख हेक्टेयर ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 6.97 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

स्पिनिंग मिलों की खरीद घटने से लगातार चौथे सत्र में कॉटन के भाव कमजोर

नई दिल्ली। स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर बनी रहने के कारण गुरुवार को लगातार चौथे दिन गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में मंदा आया।


गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव गुरुवार को 50 रुपये कमजोर होकर दाम 58,800 से 59,200 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो रह गए। पिछले चार दिनों में कॉटन की कीमतों में 800 रुपये प्रति कैंडी का मंदा आ चुका है।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव कमजोर होकर 5,820 से 5825 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव नरम होकर 5710 से 5730 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव घटकर 5425 से 5900 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव घटकर 57,400 से 57,600 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आवक 16,100 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स के साथ ही एनसीडीएक्स पर आज शाम को कॉटन की कीमतों में में तेजी का रुख रहा। इस दौरान आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में भी कॉटन की कीमतों में भी तेजी दर्ज की आई।

स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर बनी रहने से गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में लगातार चौथे दिन मंदा आया है। व्यापारियों के अनुसार कई राज्यों में नई कपास की आवक शुरू हो गई है, अत: नई फसल को देखते हुए स्पिनिंग मिलें कॉटन की खरीद सीमित मात्रा में ही कर रही है, इसलिए कीमतों पर दबाव बना है। जानकारों के अनुसार पिछले दो सीजन में व्यापारियों के साथ ही स्टॉकिस्ट एवं मिलर्स को नुकसान हुआ है इसलिए नए सीजन में मिलें कॉटन की खरीद में जल्दबाजी नहीं कर रही।

हालांकि चालू सीजन में कपास की बुआई में कमी आई, जिस कारण उत्पादन अनुमान तो घटने की आशंका है, लेकिन अगले महीने आवकों में बढ़ोतरी होगी तथा आगामी महीनों के सौदे नीचे दाम के हो रहे हैं। इसलिए कॉटन की कीमतों में और भी नरमी आने का अनुमान है।

हरियाणा एवं राजस्थान के साथ ही मध्य प्रदेश की मंडियों में नई कपास की आवक शुरू हो गई है तथा मौसम अनुकूल रहा तो पंजाब की मंडियों में नई फसल की आवक आगामी दिनों में बनेगी।

कृषि मंत्रालय के अनुसार 13 सितंबर तक कपास की बुआई 9.06 फीसदी घटकर 112.48 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 123.69 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में बासमती चावल का निर्यात 19.14 फीसदी बढ़ा - एपिडा

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले चार महीनों अप्रैल से जुलाई के दौरान देश से बासमती चावल के निर्यात में 19.14 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, वहीं इस दौरान गैर बासमती चावल के निर्यात में 37.64 फीसदी की भारी गिरावट दर्ज की गई।


वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2024-25 के अप्रैल से जुलाई के दौरान बासमती चावल का निर्यात 19.14 फीसदी बढ़कर 19.17 लाख टन का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2023-24 की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 16.09 लाख टन का ही हुआ था।

गैर बासमती चावल के निर्यात में चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले चार महीनों अप्रैल एवं जुलाई के दौरान 37.64 फीसदी की भारी गिरावट आकर कुल निर्यात 33.41 लाख टन का ही हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के दौरान इसका निर्यात 53.58 लाख टन का हुआ था।

मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले चार महीनों के दौरान बासमती चावल का निर्यात 16,997.77 करोड़ रुपये का और गैर बासमती चावल का 13,370.58 करोड़ रुपये का हुआ है।

केंद्र सरकार ने हाल ही में बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य, एमईपी 950 डॉलर प्रति टन को समाप्त किया था। 

व्यापारियों के अनुसार उत्पादक मंडियों में पूसा 1,509 किस्म के धान की आवक बढ़ने से कीमतों पर दबाव बना हुआ है। चालू महीने में इसके भाव में 100 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ चुकी है।

हरियाणा की पानीपत मंडी में धान की आवक मंगलवार को 7,000 बोरियों की हुई तथा इसके भाव 2,500 से 2,731 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इसी तरह से राज्य की करनाल मंडी में पूसा 1,509 किस्म के धान की आवक मंगलवार को बढ़कर 22,000 बोरियों की हुई तथा इसके दाम कमजोर होकर 2,200 से 2,670 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। उत्तर प्रदेश की हापुड़ मंडी में पूसा 1,509 किस्म के धान के 2,300 से 2,751 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। पंजाब की संगरूर मंडी में 1,509 किस्म के धान की आवक 8,000 बोरियों की हुई तथा इसके भाव 2,550 से 2,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दिल्ली के नया बाजार में पूसा 1,509 किस्म के नए सेला चावल का भाव मंगलवार को 5,300 से 5,400 रुपये और इसके नए स्टीम चावल का भाव 5,800 से 6,000 रुपये प्रति क्विंटल रह गया। हाल ही में इसकी कीमतों में भी मंदा आया है। 

25 सितंबर 2024

गुजरात में खरीफ फसलों की बुआई 2.32 फीसदी घटकर 83.70 लाख हेक्टेयर में ही हुई

नई दिल्ली। गुजरात में चालू खरीफ सीजन में फसलों की कुल बुआई में 2.32 फीसदी की कमी आकर 23 सितंबर 2024 तक 83.70 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 85.68 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार दलहनी फसलों की बुआई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है, लेकिन कपास एवं कैस्टर सीड की बुआई में कमी आई है।

दलहन की बुआई बढ़कर राज्य में 39.33 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 37.43 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। दलहनी फसलों में अरहर की बुआई चालू खरीफ में 2.31 लाख हेक्टेयर में, मूंग की बुआई 55,161 हेक्टेयर में एवं उड़द की 83,753 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 2.11 लाख हेक्टेयर में, 64,616 हेक्टेयर में और 79,275 हेक्टेयर में हो चुकी थी।
 
कपास की बुआई राज्य में चालू खरीफ में 11.77 फीसदी घटकर 23.66 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 26.82 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

तिलहनी फसलों की कुल बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 28.60 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 26.75 लाख हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल मूंगफली की बुआई बढ़कर 19.10 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 16.35 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

अन्य तिलहन की फसलों में सोयाबीन की बुआई चालू खरीफ में 3 लाख हेक्टेयर में, कैस्टर सीड की 5.99 लाख हेक्टेयर तथा शीशम की 49,426 हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 2.65 लाख हेक्टेयर में और 7.14 लाख हेक्टेयर तथा 58,205 हेक्टेयर में हो चुकी थी।

राज्य में धान की रोपाई चालू खरीफ सीजन में 23 सितंबर तक 8.86 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 8.72 लाख हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है।

राज्य में बाजरा की बुआई घटकर चालू खरीफ में अभी तक 1.68 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 1.97 लाख हेक्टेयर में इसकी बुआई हो चुकी थी। मक्का की बुआई राज्य में बढ़कर 2.85 हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 2.82 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

ग्वार सीड की बुआई राज्य में 84,627 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 1.03 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

उत्तर भारत के राज्यों में नई कपास की आवक बढ़ी, कीमतों पर दबाव

नई दिल्ली। उत्तर भारत के हरियाणा और राजस्थान की मंडियों में सोमवार को नई कपास की आवक बढ़कर 1,400 गांठ, एक गांठ-170 किलो की आवक हुई। नई फसल को देखते हुए जिनर्स सीमित मात्रा में कपास की खरीद कर रहे हैं, इसलिए कीमतों पर दबाव देखा गया।


जानकारों के अनुसार इस वर्ष उत्तर भारत के राज्यों हरियाणा, राजस्थान एवं पंजाब में कपास की फसल बहुत अच्छी स्थिति में है, तथा मंडियों में जो नए माल आ रहे हैं उनकी गुणवत्ता और ग्रेड शानदार है। यदि मौसम अनुकूल रहा तो पैदावार बढ़ने की उम्मीद है। इन राज्यों में कपास की पहली पिकिंग शुरू हो गई। हालांकि चालू सीजन में उत्तर भारत के राज्यों में कपास की बुआई पिछले साल की तुलना में कम हुई है।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव नरम होकर 5,875 से 5900 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव नरम होकर 5800 से 5825 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5525 से 5975 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव 58,600 से 58,800 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

पंजाब में नई के अक्टूबर के सौदे 5,875 रुपये, हरियाणा में 5,860 रुपये और राजस्थान में 5,870 से 5,900 रुपये प्रति मन की दर से हो रहे हैं।

हरियाणा की मंडियों में नई कपास की आवक बढ़कर सोमवार को 900 गांठ एवं राजस्थान की मंडियों में 500 गांठ, एक गांठ-170 किलो को मिलाकर कुल आवक 1,400 गांठ की हुई। जानकारों के अनुसार चालू सप्ताह के अंत तक पंजाब की मंडियों में भी नई कपास की आवक शुरू हो जायेगी।

व्यापारियों के अनुसार स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने के कारण उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में मंदा आया है। नई फसल को देखते हुए स्पिनिंग मिलें कॉटन की खरीद सीमित मात्रा में ही कर रही है, तथा अक्टूबर के सौदे नीचे दाम के हो रहे है, इसलिए मौजूदा कीमतों और भी नरमी आने का अनुमान है। हालांकि चालू सीजन में कपास की बुआई में कमी आई, जिस कारण उत्पादन अनुमान घटने की आशंका है। अक्टूबर में इन राज्यों में नई कपास की आवकों में बढ़ोतरी होगी।

कृषि मंत्रालय के अनुसार 13 सितंबर तक हरियाणा में कपास की बुआई 4.76 लाख हेक्टेयर में, पंजाब में एक लाख हेक्टेयर में तथा राजस्थान में 5.19 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इन राज्यों में कपास की बुआई क्रमश: 6.65 लाख हेक्टेयर में, 2.10 लाख हेक्टेयर और 7.90 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

उत्पादक राज्यों में पूसा 1,509 किस्म के धान की आवक बढ़ी, कीमतों पर दबाव

नई दिल्ली। पंजाब एवं हरियाणा के साथ ही उत्तराखंड तथा उत्तर प्रदेश की मंडियों में पूसा 1,509 किस्म के धान की आवकों में चालू सप्ताह में बढ़ोतरी हुई है, जबकि मिलों की मांग कमजोर रही। अत: चालू सप्ताह में इसके भाव में 75 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई।


पंजाब की कोटकपूरा मंडी में धान की आवक शनिवार को 4,000 बोरियों की हुई तथा इसके भाव 2,500 से 3,040 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि सप्ताह के आरंभ में भाव 3,100 रुपये प्रति क्विंटल हो गए थे। इसी तरह से राज्य की अमृतसर मंडी में पूसा 1,509 किस्म के धान की आवक शनिवार को बढ़कर 1,30,000 कट्टों की हुई तथा इसके दाम कमजोर होकर 2,500 से 2,875 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। चालू सप्ताह के आरंभ में इसके भाव 3,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए थे।

हरियाणा की सोनीपत मंडी में शनिवार को पूसा 1,509 किस्म के धान की आवक 5,000 बोरियों की हुई तथा इसका व्यापार 2,901 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हुआ। चालू सप्ताह के आरंभ में भाव 3,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए थे। राज्य की चीका मंडी में शनिवार को 1,509 किस्म के धान के भाव घटकर 2,600 से 2,925 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि आवक 20,000 बोरियों की हुई। इसके भाव में चालू सप्ताह में 100 रुपये प्रति क्विंटल का मंदा आया है।

उत्तर प्रदेश की खैर मंडी में पूसा 1,509 किस्म के धान के 2,701 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि आवक 3,000 बोरियों की हुई। राज्य की बुलंदशहर मंडी में पूसा 1,509 किस्म की आवक 4,000 बोरियों की हुई तथा इसका व्यापार 2,701 से 2,801 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हुआ।

दिल्ली के नया बाजार में पूसा 1,509 किस्म के नए सेला चावल का भाव शनिवार को 5,400 से 5,500 रुपये और इसके नए स्टीम चावल का भाव 5,900 से 6,000 रुपये प्रति क्विंटल रह गया। चालू सप्ताह में इसके भाव 100 रुपये प्रति क्विंटल कमजोर हुए हैं। पूसा 1,509 किस्म के पुराने सेला चावल का व्यापार 6,500 से 6,600 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हुआ।

व्यापारियों के अनुसार उत्पादक मंडियों में अभी पूसा 1,509 किस्म के धान की आवक और बढ़ेगी, जबकि मिलर्स जरुरत के हिसाब से खरीद कर रहे हैं, इसलिए मौजूदा भाव में और भी नरमी आ सकती है। उत्पादक मंडियों में अक्टूबर से परमल धान की आवक शुरू होगी। सूत्रों के अनुसार परमल धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद अक्टूबर से पहले सप्ताह से पंजाब एवं हरियाणा में शुरू होने की उम्मीद है।

20 सितंबर 2024

चालू खरीफ फसलों की कुल बुआई 2.21 फीसदी बढ़कर 1,096 लाख हेक्टेयर के पार

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में फसलों की कुल बुआई 2.21 फीसदी बढ़कर 1,096.65 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 1,072.94 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।


कृषि मंत्रालय के अनुसार 13 सितंबर 2024 तक धान एवं दलहन के साथ ही तिलहन तथा मोटे अनाजों के बुआई के क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हुई है, वहीं इस दौरान कपास एवं कैस्टर सीड की बुआई में कमी आई है।

चालू खरीफ सीजन में दलहनी फसलों की बुआई 7.89 फीसदी बढ़कर 127.77 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 118.43 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में 46.50 लाख हेक्टेयर में, उड़द की 30.44 लाख हेक्टेयर में और मूंग की 35.28 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 40.74 लाख हेक्टेयर में, 32.25 लाख हेक्टेयर में तथा 31.31 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

मोठ की बुवाई चालू खरीफ में 10.53 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 9.42 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

धान की रोपाई चालू खरीफ में बढ़कर 410 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई 393.57 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

तिलहनी फसलों की बुआई बढ़कर चालू खरीफ सीजन में 193.32 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 190.37 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। तिलहनी फसलों में सोयाबीन की बुआई चालू खरीफ में 125.11 लाख हेक्टेयर में, मूंगफली की 47.85 लाख हेक्टेयर में और सनफ्लावर की 0.75 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 123.85 लाख हेक्टेयर में, 43.75 लाख हेक्टेयर में तथा 0.73 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

अन्य तिलहनी फसलों में शीशम की बुआई 11.19 लाख हेक्टेयर में, कैस्टर सीड की 7.67 लाख हेक्टेयर में तथा नाइजर की 0.67 लाख हेक्टेयर में हुई है।

मोटे अनाजों की बुवाई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 189.67 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 183.11 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मोटे अनाजों में मक्का की 87.50 लाख हेक्टेयर में बाजरा 69.88 लाख हेक्टेयर तथा ज्वार 15.54 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में मक्का की बुआई 83.67 लाख हेक्टेयर में, बाजरा की 70.89 लाख हेक्टेयर में तथा ज्वार की 14.22 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

कपास की बुआई खरीफ सीजन में 9.06 फीसदी घटकर 112.48 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 123.69 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

गन्ने की बुआई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 57.68 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 57.11 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

गुजरात में खरीफ फसलों की बुआई 2.54 फीसदी पिछड़ी, दलहन की ज्यादा

नई दिल्ली। गुजरात में चालू खरीफ सीजन में फसलों की बुआई में 2.54 फीसदी की कमी आकर 17 सितंबर 2024 तक 83.32 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 85.49 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार दलहनी फसलों की बुआई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है, लेकिन कपास की बुआई में कमी आई है।

दलहन की बुआई बढ़कर राज्य में 39.06 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 37.36 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। दलहनी फसलों में अरहर की बुआई चालू खरीफ में 2.28 लाख हेक्टेयर में, मूंग की बुआई 55,159 हेक्टेयर में एवं उड़द की 83,671 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 2.11 लाख हेक्टेयर में, 64,616 हेक्टेयर में और 79,274 हेक्टेयर में हो चुकी थी।
 
कपास की बुआई राज्य में चालू खरीफ में 11.76 फीसदी घटकर 23.66 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 26.82 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल मूंगफली की बुआई बढ़कर 19.10 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 16.35 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

अन्य तिलहन की फसलों में सोयाबीन की बुआई चालू खरीफ में 3 लाख हेक्टेयर में, कैस्टर सीड की 5.79 लाख हेक्टेयर तथा शीशम की 49,651 हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 2.65 लाख हेक्टेयर में और 7.11 लाख हेक्टेयर तथा 58,205 हेक्टेयर में हो चुकी थी।

राज्य में धान की रोपाई चालू खरीफ सीजन में 17 सितंबर तक 8.86 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 8.71 लाख हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है।

राज्य में बाजरा की बुआई घटकर चालू खरीफ में अभी तक 1.68 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 1.97 लाख हेक्टेयर में इसकी बुआई हो चुकी थी। मक्का की बुआई राज्य में बढ़कर 2.85 हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 2.82 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

ग्वार सीड की बुआई राज्य में 84,215 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 1.03 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

18 सितंबर 2024

चालू वित्त वर्ष के पांच महीनों के दौरान डीओसी का निर्यात 4 फीसदी घटा - एसईए

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान डीओसी के निर्यात में 4 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 1,868,789 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 1,945,553 टन का ही हुआ था।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार अगस्त में देश से डीओसी के निर्यात में 11 फीसदी की कमी आकर कुल निर्यात 314,363 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले साल अगस्त में इनका निर्यात 354,206 टन का हुआ था।

एसईए के अनुसार चालू वर्ष के पहले पांच महीनों (अप्रैल से अगस्त 2024) के दौरान सोया डीओसी का निर्यात बढ़कर 8.48 लाख टन का हुआ है, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि के दौरान केवल 4.81 लाख टन का ही हुआ था। अत: सोया डीओसी के निर्यात में बढ़ोतरी ईरान और फ्रांस द्वारा अधिक मात्रा में आयात को जाता है।

बांग्लादेश और दक्षिण कोरिया सरसों डीओसी के प्रमुख आयातक हैं। बांग्लादेश में मौजूदा संकट के कारण सरसों डीओसी के निर्यात पर कम से कम अस्थायी रूप से रोक लग सकती है, क्योंकि इसका निर्यात मुख्य रूप से सड़क या रेल रैक द्वारा किया जाता है।

भारतीय बंदरगाह पर अगस्त में सोया डीओसी का भाव घटकर 473 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि जुलाई में इसका दाम 489 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान सरसों डीओसी का मूल्य अगस्त में भारतीय बंदरगाह पर घटकर 273 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि जुलाई में इसका भाव 286 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान कैस्टर डीओसी का दाम जुलाई के 84 डॉलर प्रति टन से बढ़कर अगस्त में 86 डॉलर प्रति टन हो गया।

बासमती चावल पर एमईपी हटाने से धान तेज, मंडी से धान की खरीद सरकारी एजेंट करें

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा बासमती चावल पर न्यूनतम निर्यात मूल्य, एमईपी 950 डॉलर समाप्त कर देने से घरेलू बाजार में शनिवार को धान की कीमतों में 50 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई। राइस मिलों की मांग बढ़ने से आगामी दिनों में इसके भाव में और भी सुधार आयेगा।


पंजाब की तरतनारन मंडी में शनिवार को पूसा 1,509 किस्म के धान के भाव 50 रुपये तेज होकर भाव 2,350 से 3,019 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, जबकि इसकी दैनिक आवक 6,000 बोरियों की हुई। अमृतसर मंडी में पूसा 1,509 किस्म के धान के दाम तेज होकर 2,400 से 3,050 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, जबकि दैनिक आवक 30,000 बोरियों की हुई।

हरियाणा की टोहाना मंडी में पूसा 1,509 किस्म के धान के दाम 100 रुपये तेज होकर 2,600 से 3,165 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। लाडवा मंडी में इसके दाम 75 रुपये बढ़कर 2,600 से 3,050 रुपये तथा टोहाना मंडी में अच्छी क्वालिटी के भाव 100 रुपये बढत्रकर 3,191 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

केंद्र सरकार ने बासमती चावल पर 950 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को शुक्रवार को हटा दिया। एपीडा (कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण) से इस निर्णय को लागू करने के लिए तत्काल कदम उठाने का अनुरोध किया गया है। हालांकि, इसमें यह भी कहा गया है कि एपीडा बासमती चावल के निर्यात के लिए किसी भी अवास्वतिक मूल्य पर निर्यात अनुबंध पर करीब से नजर रखेगा।

केन्द्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद हरियाणा सरकार ने परमल धान की सरकारी खरीद 23 नवंबर 2024 से करने का निर्णय लिया है। व्यापारियों के अनुसार गत वर्ष राइस मिलों ने मंडी से हाईब्रिड व नमी युक्त धान का उठाव किया था, जिस कारण स्टॉक में रखा धान खराब हो गया। इससे चावल की क्वालिटी प्रभावित हुई, जिस कारण राइस मिलर को नुक्सान हुआ।

राइस मिलर एसोसिएशन तरावड़ी ने इस स्थिति को देखते हुए निर्णय किया है कि मंडी से सरकारी कर्मचारी खुद धान की खरीद करके राइस मिल में भेजेगा और राइस मिलर्स अपनी मिल में धान की गुणवत्ता चेक करेगी तथा सरकारी मानकों अनुसार खरा होने पर ही उसे अपनी राइस मिल में उतरवायेगा, नहीं नहीं तो वापस भेज देगा। जैसा कि गेहूं में होता है। केंद्र सरकार किसी भी तरह की राहत राइस मिलर को देने को तैयार नहीं है उल्टे चावल लेने कि प्रक्रिया को और अधिक सख्त कर दिया है।

राइस मिलर एसोसिएशन तरावड़ी ने अपने जमीदारो को हिदायत दी है कि वह अपने धान को सुखा व साफ सुथरा करके सरकारी मानकों अनुसार ही मंडी में लेकर आए ताकि सरकारी कर्मचारी उसको आसानी से खरीद लें और किसान को किसी परेशानी का सामना न करना पड़े राइस मिलर मंडी से सरकारी धान की खरीद नहीं करेगा। 

13 सितंबर 2024

चालू तेल वर्ष के 10 महीनों में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 3 फीसदी घटा- एसईए

नई दिल्ली। चालू तेल वर्ष 2023-24 के पहले 10 महीनों नवंबर 23 से अगस्त 24 के दौरान देश में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 3 फीसदी घटकर 13,687,511 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 14,121,076 टन का हुआ था।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार अगस्त 2024 में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 16 फीसदी घटकर 1,563,3296 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल अगस्त में इनका आयात 1,866,123 टन का ही हुआ था। अगस्त 2024 के दौरान खाद्वय तेलों का आयात 1,536,229 टन का एवं अखाद्य तेलों का आयात 27,100 टन का हुआ है।

व्यापारियों का अनुमान है कि आगामी दो महीनों सितंबर एवं अक्टूबर के दौरान खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात लगभग 27 से 28 लाख टन होने का अनुमान है। अत: तेल वर्ष 2023-24 (नवंबर-अक्टूबर) के दौरान कुल आयात पिछले वर्ष के लगभग बराबर 160-165 लाख टन के बीच ही होने की संभावना है।

एसईए के अनुसार पिछले दो महीनों में उत्पादक मंडियों में सोयाबीन की कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी जोकि 4,892 रुपये प्रति क्विंटल है इससे 550 से 600 रुपये प्रति क्विंटल नीचे आ गई थी। इस कारण उत्पादक राज्यों में किसानों में काफी असंतोष था क्योंकि नई फसल आने में अब केवल 4 से 5 सप्ताह ही बचे है। अत: नई फसल आने पर कीमतों पर और दबाव बढ़ता। केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक से सोयाबीन की खरीद एमएसपी 4,892 रुपये प्रति क्विंटल की दर से करने की मंजूरी दे दी है, जिसका एसईए स्वागत करता है। अत: सरकार के फैसले से पिछले दो, तीन दिनों में सोयाबीन के दाम बढ़कर मंडियों में 4,600 से 4,700 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

इसका सबसे अच्छा समाधान यह होना चाहिए कि क्रूड खाद्य तेलों और रिफाइंड तेलों पर आयात शुल्क में 20 से 25 फीसदी की बढ़ोतरी की जाए, जिस कारण आयात शुल्क में अंतर न्यूनतम 15 फीसदी का हो। इससे किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य मिलेगा और मिलें किसानों को एमएसपी से अधिक कीमत दे पाएंगी। साथ ही सरकार को एमएसपी पर खरीद नहीं करनी पड़ेगी। यह किसानों के साथ ही उद्योग और सरकार के लिए अच्छा रहेगा। एसईए लगातार केंद्र सरकार से आयात शुल्क के अंतर को बढ़ाने का आग्रह कर रहा है और उम्मीद है कि सरकार द्वारा जल्द ही कोई सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा।

तेल वर्ष 2023-24 के पहले 10 महीनों में, देश में 1,610,801 टन रिफाइंड तेल (आरबीडी पामोलिन) का आयात किया, जोकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि के दौरान आयात किए गए 1,924,194 टन की तुलना में 16 फीसदी कम है। इस दौरान 11,860,655 टन क्रूड तेल का आयात किया गया, जोकि नवंबर 2022 एवं अगस्त 2023 के दौरान किए गए 12,050,632 टन की तुलना में 2 फीसदी कम है।

जुलाई के मुकाबले अगस्त में आयातित खाद्वय तेलों की कीमतों में मिलाजुला रुख रहा। अगस्त में भारतीय बंदरगाह पर आरबीडी पामोलिन का भाव बढ़कर 980 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि जुलाई में इसका दाम 949 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रूड पाम तेल का दाम अगस्त में बढ़कर 1,011 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि जुलाई में इसका भाव 979 डॉलर प्रति टन था। हालांकि क्रूड सोयाबीन तेल का भाव अगस्त में घटकर भारतीय बंदरगाह पर 1,015 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि जुलाई में इसका भाव 1,054 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रूड सनफ्लावर तेल का भाव भारतीय बंदरगाह पर जुलाई के 1,043 डॉलर से घटकर अगस्त में 1,019 डॉलर प्रति टन रह गया।

अक्टूबर से अगस्त के दौरान सोया डीओसी का निर्यात 20 फीसदी बढ़ा - सोपा

नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2023-24 के पहले 11 महीनों अक्टूबर से अगस्त के दौरान सोया डीओसी के निर्यात में 20.05 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 20.77 लाख टन का हुआ है जबकि इसके पिछले फसल सीजन की समान अवधि में इसका निर्यात 17.30 लाख टन का ही हुआ था।


सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन 2023-24 के पहले 11 महीनों अक्टूबर से अगस्त के दौरान 89.17 लाख टन सोया डीओसी का उत्पादन हुआ है, जोकि पिछले फसल सीजन की समान अवधि के 85.80 लाख टन की तुलना में ज्यादा है। नए सीजन के आरंभ में 1.17 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था, जबकि 0.24 लाख टन का आयात हुआ है। इस दौरान 7.40 लाख टन सोया डीओसी की खपत फूड में एवं 61 लाख टन की फीड में हुई है। अत: मिलों के पास पहली सितंबर 2024 को 1.41 लाख टन सोया डीओसी का स्टॉक बचा हुआ था, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.67 लाख टन से कम है।

सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन 2023-24 के पहले 11 महीनों अक्टूबर से अगस्त के दौरान उत्पादक राज्यों की मंडियों में 112.50 लाख टन सोयाबीन की आवक हुई है, जोकि पिछले फसल सीजन की समान अवधि के 112 लाख टन से थोड़ी ज्यादा है। इस दौरान 113 लाख टन सोयाबीन की क्रॉसिंग हो चुकी है जबकि 4.35 लाख टन की सीधी खपत एवं 0.09 लाख टन का निर्यात हुआ है। अत: प्लांटों, स्टॉकिस्टों तथा किसानों के पास पहली सितंबर 2024 को 18.40 लाख टन सोयाबीन का स्टॉक ही बचा हुआ था, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 31.29 लाख टन की तुलना में कम है।

सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन 2023-24 के दौरान देश में 118.74 लाख टन सोयाबीन के उत्पादन का अनुमान है, जबकि नई फसल की आवकों के समय 24.07 लाख टन का बकाया स्टॉक था। अत: चालू फसल सीजन में सोयाबीन की कुल उपलब्धता 142.81 लाख टन की बैठेगी, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 149.26 लाख टन की तुलना में कम है।

सोयाबीन की एमएसपी पर खरीद की मंजूरी से कीमतों में हल्का सुधार

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा सोयाबीन की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद को मंजूरी देने से हाजिर बाजार में बुधवार को भाव में तेजी आई। मध्य प्रदेश में सोयाबीन के प्लांट डिलीवरी दाम बढ़कर 4,665 से 4,775 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। महाराष्ट्र में सोयाबीन के प्लांट भाव तेज होकर 4,725 से 4,760 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।


केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक से सोयाबीन की एमएसपी पर खरीद को मंजूरी दे दी है। खरीफ विपणन सीजन 2024-25 के लिए सरकार ने सोयाबीन का एमएसपी 4,892 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह के अनुसार मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों से एमएसपी पर सोयाबीन की खरीद के लिए अनुरोध मिला था, जिसे केंद्र सरकार ने सहमति दे दी है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार मध्य प्रदेश सरकार के संपर्क में जहां किसान सोयाबीन की कीमतों गिरावट के कारण विरोध कर रहे हैं। मालूम हो कि मध्य प्रदेश के किसान 6,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सोयाबीन की खरीद की मांग कर रहे हैं।

कृषि मंत्री के अनुसार सोयाबीन की कीमतों में आई गिरावट के कारण मध्य प्रदेश के किसानों को नुकसान हो रहा है, अत: केंद्र सरकार किसानों की मदद के लिए हर संभव कदम उठायेगी।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार सोयाबीन की एमएसपी पर खरीद के लिए दो योजनाएं हैं, तथा मध्य प्रदेश के किसान किसी भी योजना के तहत सोयाबीन बेच सकते हैं। हालांकि उन्होंने बताया कि नई फसल की आवक बनने में अभी समय है।

मध्य प्रदेश के साथ ही महाराष्ट्र की मंडियों में सोयाबीन के भाव एमएसपी से नीचे बने हुए हैं तथा पिछले दिनों उत्पादक मंडियों में इसके दाम घटकर 3,500 से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल रह गए थे।

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ सीजन में सोयाबीन की बुआई बढ़कर 125.11 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इसकी बुआई केवल 123.85 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

गुजरात में खरीफ फसलों की बुआई 2.57 फीसदी घटी, कपास की कम तथा मूंगफली की बढ़ी

नई दिल्ली। गुजरात में चालू खरीफ सीजन में फसलों की बुआई में 2.57 फीसदी की कमी आकर 9 सितंबर 2024 तक 82.67 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 84.86 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार इस दौरान जहां कपास की बुआई में कमी आई है, वहीं मूंगफली की बुआई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है।

कपास की बुआई राज्य में चालू खरीफ में घटकर 23.62 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 26.79 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल मूंगफली की बुआई बढ़कर 19.10 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 16.35 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

अन्य तिलहन की फसलों में सोयाबीन की बुआई चालू खरीफ में 2.99 लाख हेक्टेयर में, कैस्टर सीड की 5.47 लाख हेक्टेयर तथा शीशम की 49,366 हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 2.65 लाख हेक्टेयर में और 6.86 लाख हेक्टेयर तथा 58,044 हेक्टेयर में हो चुकी थी।

राज्य में धान की रोपाई चालू खरीफ सीजन में 9 सितंबर तक 8.85 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 8.71 लाख हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है।

राज्य में बाजरा की बुआई घटकर चालू खरीफ में अभी तक 1.67 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 1.81 लाख हेक्टेयर में इसकी बुआई हो चुकी थी। मक्का की बुआई राज्य में बढ़कर 2.85 हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 2.82 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

दलहनी फसलों में अरहर की बुआई चालू खरीफ में 2.27 लाख हेक्टेयर में, मूंग की बुआई 54,954 हेक्टेयर में एवं उड़द की 83,651 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 2.09 लाख हेक्टेयर में, 64,614 हेक्टेयर में और 79,265 हेक्टेयर में हो चुकी थी।

ग्वार सीड की बुआई राज्य में 81,695 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 1.03 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

10 सितंबर 2024

चालू खरीफ फसलों की बुआई बढ़कर 1,092 लाख हेक्टेयर के पार, पिछले साल से बढ़ी

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में फसलों की कुल बुआई 2.15 फीसदी बढ़कर 1,092.33 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 1,069.29 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।


कृषि मंत्रालय के अनुसार 6 सितंबर 2024 तक धान एवं दलहन के साथ ही तिलहन तथा मोटे अनाजों के बुआई के क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हुई है, वहीं इस दौरान कपास एवं कैस्टर सीड की बुआई में कमी आई है।

चालू खरीफ सीजन में दलहनी फसलों की बुआई 7.50 फीसदी बढ़कर 126.20 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 117.19 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में 45.78 लाख हेक्टेयर में, उड़द की 30.02 लाख हेक्टेयर में और मूंग की 35.06 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 40.74 लाख हेक्टेयर में, 31.71 लाख हेक्टेयर में तथा 31.05 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

मोठ की बुवाई चालू खरीफ में 10.53 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 9.42 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

धान की रोपाई चालू खरीफ में बढ़कर 409.50 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई 393.57 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

तिलहनी फसलों की बुआई बढ़कर चालू खरीफ सीजन में 192.40 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 189.44 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। तिलहनी फसलों में सोयाबीन की बुआई चालू खरीफ में 125.11 लाख हेक्टेयर में, मूंगफली की 47.49 लाख हेक्टेयर में और सनफ्लावर की 0.74 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 123.85 लाख हेक्टेयर में, 43.39 लाख हेक्टेयर में तथा 0.72 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

अन्य तिलहनी फसलों में शीशम की बुआई 10.95 लाख हेक्टेयर में, कैस्टर सीड की 7.47 लाख हेक्टेयर में तथा नाइजर की 0.56 लाख हेक्टेयर में हुई है।

मोटे अनाजों की बुवाई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 188.72 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 181.74 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मोटे अनाजों में मक्का की 87.27 लाख हेक्टेयर में बाजरा 69.81 लाख हेक्टेयर तथा ज्वार 15.18 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में मक्का की बुआई 82.86 लाख हेक्टेयर में, बाजरा की 70.84 लाख हेक्टेयर में तथा ज्वार की 14.08 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

कपास की बुआई खरीफ सीजन में 9.13 फीसदी घटकर 112.13 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 123.39 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

गन्ने की बुआई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 57.68 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 57.11 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। 

राजस्थान में दलहन की बुआई बढ़ी, मोटे अनाज एवं तिलहन की घटी

नई दिल्ली। राजस्थान में चालू खरीफ सीजन में दलहन की बुआई में बढ़ोतरी हुई है, जबकि मोटे अनाजों के साथ ही तिलहन की घटी है। राज्य में फसलों की कुल बुआई 97 फीसदी पूरी हो चुकी है, हालांकि पिछले साल की तुलना में 1.96 फीसदी कम हुई है।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 4 सितंबर 2024 तक राज्य में 159.80 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 163 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। राज्य सरकार ने चालू खरीफ में 164.75 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई का लक्ष्य तय किया है।

राज्य में मक्का, बाजरा एवं धान के साथ ही ज्वार की बुआई 62.57 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 63.66 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों में बाजरा की बुआई चालू खरीफ में 43.24 लाख हेक्टेयर में, मक्का की 9.71 लाख हेक्टेयर में तथा ज्वार की 6.60 लाख हेक्टेयर में ही हुई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 45.43 लाख हेक्टेयर में, 9.42 लाख हेक्टेयर में और 6.29 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

धान की रोपाई राज्य में बढ़कर 2.97 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 2.43 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

दलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 37.08 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ में इस समय तक केवल 35.20 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल मूंग की बुआई चालू खरीफ में 23.15 लाख हेक्टेयर में, उड़द की 2.98 लाख हेक्टेयर में तथा मोठ की 10.39 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 22.11 लाख हेक्टेयर में, 3.18 लाख हेक्टेयर एवं 9.26 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

राज्य में चालू खरीफ सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई 23.64 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 24.36 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुआई राज्य में 11.23 लाख हेक्टेयर में तथा मूंगफली की 8.54 लाख हेक्टेयर में और शीशम की 2.16 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 11.44 लाख हेक्टेयर में और 8.69 लाख हेक्टेयर में और 2.38 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

कपास की बुआई राज्य में चालू खरीफ में घटकर केवल 5.19 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 7.90 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है।

इसी तरह से ग्वार सीड की बुआई राज्य में चालू खरीफ में घटकर केवल 27.20 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 27.64 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है।

कुईट और मोपा के बाद अब मरुधर ट्रेडिंग ने भी सरसों के उत्पादन अनुमान में की कटौती

नई दिल्ली। कुईट और मोपा के बाद अब मरुधर ट्रेडिंग ने भी सरसों के उत्पादन अनुमान में कटौती की है। मरुधर ट्रेडिंग कंपनी के अनुसार फसल सीजन 2023-24 में देश में सरसों का उत्पादन 108 लाख टन ही होने का अनुमान है, जबकि कंपनी ने इससे पहले 116 लाख टन के उत्पादन का अनुमान जारी किया था।


कुईट एवं मोपा ने फसल सीजन 2023-24 ने सरसों के आरंभिक उत्पादन अनुमान 123 लाख टन को घटाकर 115 लाख टन कर दिया। जानकारों के अनुसार उत्पादन अनुमान में कटौती से घरेलू बाजार में सरसों की कीमतों में हल्की तेजी बनने का अनुमान।

मरुधर ट्रेडिंग कंपनी के अनुसार राजस्थान में सरसों का उत्पादन 53 लाख टन, पंजाब एवं हरियाणा में 12 लाख टन तथा मध्य प्रदेश में 13 लाख टन और पश्चिम बंगाल तथा अन्य राज्यों में 19 लाख टन, उत्तर प्रदेश में 13 लाख टन तथा गुजरात में 5 लाख टन ही होने का अनुमान है। अत: चालू सीजन में 108 लाख टन का उत्पादन तथा नई फसल की आवक के समय 12 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था। अत: कुल उपलब्धता 120 लाख टन की बैठेगी।

पहली मार्च से 31 अगस्त तक देशभर की मंडियों में 85 लाख टन सरसों की आवक हो चुकी है, जिसमें से 64.50 लाख टन की क्रेसिंग हुई है। अत: तेल मिलर्स एवं स्टॉकिस्ट के पास केवल 7 लाख टन का ही बकाया स्टॉक बचा हुआ है।

मरुधर ट्रेडिंग कंपनी के अनुसार 31 अगस्त को देशभर में सरसों का कुल बकाया स्टॉक 55.50 लाख टन का बचा हुआ है, जिसमें से 23 लाख टन किसानों के पास है। इसके अलावा नेफेड एवं हेफैड के पास नया एवं पुराना मिलाकर कुल 25.50 लाख टन का स्टॉक है, जबकि मिलर्स एवं स्टॉकिस्टों के पास केवल 7 लाख टन का ही स्टॉक है। 

04 सितंबर 2024

चालू फसल सीजन में अगस्त अंत तक देश से 26 लाख गांठ कॉटन का निर्यात

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2023 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2023-24 में 31 अगस्त 2024 तक देश से जहां 26 लाख गांठ कॉटन का निर्यात हुआ है, वहीं इस दौरान 8 लाख गांठ का आयात हुआ है।


कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई के अनुसार कॉटन का उत्पादन 317.70 लाख गांठ एक गांठ 170 किलोग्राम होने का अनुमान है जबकि पिछले साल देश में कॉटन का उत्पादन 318.90 लाख गांठ का हुआ था।

सीएआई के अनुसार चालू फसल सीजन में अगस्त अंत तक 26 लाख गांठ कॉटन का निर्यात हो चुका है जबकि पिछले फसल सीजन के दौरान केवल 15.50 लाख गांठ कॉटन का ही निर्यात हुआ था।

व्यापारियों के अनुसार विश्व बाजार में भारतीय रुई सस्ती होने के कारण मार्च 24 तक निर्यात सौदों में बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन उसके बाद से आईसीई कॉटन वायदा की कीमतों में भारी गिरावट आई, जिस कारण निर्यात सौदों में पहले की तुलना में कमी आई थी।

चालू फसल सीजन में कॉटन का आयात 16.40 लाख गांठ ही होने का अनुमान है। सीएआई के अनुसार 31-07-2024 तक 8 लाख गांठ कॉटन भारतीय बंदरगाह पर पहुंच चुकी है। पिछले फसल सीजन के दौरान 12.50 लाख गांठ कॉटन का आयात ही हुआ था।

उद्योग के अनुसार चालू फसल सीजन में 31 अगस्त 2024 तक देशभर की मंडियों में कॉटन की आवक 313.63 लाख गांठ की हो चुकी है।
 
सीएआई के अनुसार 31 अगस्त 2024 को 11.05 लाख गांठ कॉटन का स्टॉक एमएनसी और जिनर्स के पास है। इसके अलावा 18 लाख गांठ कॉटन का स्टॉक कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई के पास है तथा 0.15 लाख गांठ का एमसीएक्स के पास है।

सीएआई के अनुसार पहली अक्टूबर 2023 को कॉटन का बकाया स्टॉक 28.90 लाख गांठ का बचा हुआ था, जबकि अगस्त अंत तक 313.63 लाख गांठ की आवक हो चुकी है। अगस्त तक अंत तक 8 लाख गांठ कॉटन का आयात हो चुका है। ऐसे में कुल उपलब्धता 350.53 लाख गांठ की हुई है। चालू फसल सीजन में कॉटन की खपत 266.60 लाख गांठ की हो चुकी है, जबकि 26 लाख गांठ का निर्यात हुआ है। अत: मिलों के पास 28.83 लाख गांठ का बकाया स्टॉक है, जबकि सीसीआई, महाराष्ट्र फेडरेशन, एमएनसी एवं जिनर्स तथा व्यापारी एवं निर्यातकों के पास 29.20 लाख गांठ कॉटन का स्टॉक है।  

चालू फसल सीजन के अंत में 30 सितंबर 2024 को कॉटन का बकाया स्टॉक 20 लाख गांठ बचने का अनुमान है, जोकि इसके पिछले साल की समान अवधि के 28.90 लाख गांठ की तुलना में कम है।