नई दिल्ली। दाल मिलों की मांग बनी रहने से घरेलू बाजार में गुरुवार को चना की कीमतों में तेजी दर्ज की गई, जबकि इस दौरान अरहर एवं उड़द तथा मसूर की कीमतों में मिलाजुला रुख रहा। मूंग के दाम स्थिर बने रहे।
चेन्नई में बर्मा की उड़द एफएक्यू और एसक्यू के भाव तेज हो गए। इस दौरान लेमन अरहर की कीमतें भी पूर्व स्तर पर स्थिर बनी रही। उड़द एफएक्यू के भाव मार्च शिपमेंट के 10 डॉलर तेज होकर 1,020 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ हो गए, जबकि इस दौरान एसक्यू उड़द के भाव 10 डॉलर बढ़कर 1,090 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ बोले गए। चेन्नई में लेमन अरहर के दाम 1,245 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ पर स्थिर हो गए।
चेन्नई में उड़द की कीमतों में डॉलर में तेज आई, जबकि घरेलू बाजार में इसके भाव में मिलाजुला रुख रहा। व्यापारियों के अनुसार सरकार की सख्ती को देखते हुए दाल मिलें उड़द की खरीद केवल जरुरत के हिसाब से ही कर रही हैं, क्योंकि उड़द दाल में बढ़ी हुई कीमतों में खुदरा एवं थोक मांग भी नहीं बढ़ पा रही। उधर कृष्णा जिले में नई उड़द की आवक पहले की तुलना में बढ़ी है, साथ ही उड़ीसा की में भी नई उड़द की आवक बढ़ रही है। उड़द दाल में दक्षिण भारत की मांग भी सामान्य की तुलना में कमजोर है। इसलिए इसकी कीमतों में अभी बड़ी तेजी के आसार नहीं है। हालांकि उड़द के आयात पड़ते अभी भी महंगे हैं, इसलिए आयातक जरूर दाम तेज करना चाहते हैं, अत: भाव तेज होने पर मुनाफावसूली करते रहना चाहिए।
घरेलू बाजार में अरहर की कीमतों में दूसरे दिन भी मिलाजुला रुख रहा। उधर चेन्नई में लेमन के दाम डॉलर में स्थिर हो गए। व्यापारियों के अनुसार अरहर में बढ़े दाम पर दाल मिलों की मांग का समर्थन नहीं मिल पा रहा है क्योंकि केंद्र सरकार लगातार दलहन की कीमतों की लगातार समीक्षा कर रही है, जबकि घरेलू मंडियों में जहां देसी अरहर की आवक अभी बनी रहेगी, वहीं म्यांमार से लेमन अरहर का आयात भी आगामी दिनों में बढ़ेगा। ऐसे में इसके भाव में अभी बड़ी तेजी मानकर व्यापार नहीं करना चाहिए। हालांकि प्रमुख उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र एवं कर्नाटक में अरहर के उत्पादन अनुमान में कमी आने की आशंका है, साथ ही आयात पड़ते भी महंगे हैं, इसलिए मौजूदा कीमतों में अभी तेजी, मंदी बनी रहने का अनुमान है।
दिल्ली में चना की कीमतों में तीसरे दिन भी तेजी दर्ज की गई। व्यापारियों के अनुसार मध्य महाराष्ट्र (नासिक क्षेत्र) और दक्षिण पूर्व मध्य प्रदेश में छिटपुट हल्की बारिश हुई है तथा उत्पादक राज्यों में अगले एक, दो दिन मौसम खराब होने की आशंका है, जिसका असर नई फसल की आवक पर पड़ सकता है। इसलिए इसके भाव में हल्की तेजी और भी बन सकती है। जानकारों के अनुसार चना की कीमतों में तेजी, मंदी उत्पादक राज्यों में मौसम कैसा रहता है, इस पर भी निर्भर करेगी। नई फसल को देखते हुए दाल मिलें भी जरुरत के हिसाब से ही खरीद कर रही हैं। मौसम अनुकूल रहा तो नए चना की आवक होली के बाद बढ़ेगी। हालांकि चालू सीजन में चना का उत्पादन अनुमान कम है, लेकिन एक बार आवकों का दबाव बनने पर कीमतों में और भी मंदा आयेगा। वैसे भी केंद्र सरकार ने चना का एमएसपी 5,440 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। खपत का सीजन होने के कारण चना दाल एवं बेसन की मांग अभी बनी रहेगी, जबकि उत्पादक राज्यों में अच्छी क्वालिटी का पुराना स्टॉक सीमित मात्रा में ही बचा हुआ है।
मुंबई में कनाडा की पीली मटर के दाम 50 रुपये कमजोर होकर दाम 4,200 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान हजिरा बंदरगाह पर रसिया की पीली मटर के दाम 25 रुपये तेज होकर 4,100 से 4,125 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। मुंद्रा बंदरगाह पर रसिया की पीली मटर के भाव 25 रुपये बढ़कर 4,150 से 4,175 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
दिल्ली में देसी मसूर के दाम तेज हुए हैं, जबकि आयातित के दाम बंदरगाह पर कमजोर हुए। व्यापारियों के अनुसार मौसम अनुकूल रहा तो मार्च में मध्य प्रदेश के साथ ही उत्तर प्रदेश की मंडियों में नई मसूर की आवक आवक बढ़ेगी। चालू रबी में मसूर की बुआई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है, जिस कारण उत्पादन अनुमान भी ज्यादा है। इसलिए इसके भाव में हल्की नरमी और भी आ सकती है। हालांकि आयातकों के पास उंचे भाव का स्टॉक है, इसलिए आयातक दाम घटाना नहीं चाहते। उधर उत्पादक मंडियों में पुरानी देसी मसूर की आवक सीमित मात्रा में ही हो रही है।
देसी मूंग की कीमतें स्थिर हो गई। व्यापारियों के अनुसार खपत का सीजन होने के कारण मूंग दाल में मांग अभी बनी रहेगी, साथ ही रबी सीजन में इसकी बुआई पिछले साल की तुलना में घटी है। हालांकि उत्पादक राज्यों में मूंग की दैनिक आवक पहले की तुलना में बढ़ी, तथा मार्च में नई आवकों में बढ़ोतरी होगी। इसलिए मौजूदा कीमतों में अब ज्यादा तेजी के आसार नहीं है। उधर नेफेड राजस्थान के साथ ही मध्य प्रदेश में लगातार मूंग की बिकवाली कर रही है।
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