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11 मार्च 2024

सख्ती के बावजूद अप्रैल से जनवरी के दौरान बासमती चावल का निर्यात 12 फीसदी से ज्यादा बढ़ा

नई दिल्ली। केंद्र सरकार की सख्ती के बावजूद भी चालू वित्त वर्ष 2023-24 के पहले 10 महीनों अप्रैल से जनवरी के दौरान बासमती चावल के निर्यात में 12.31 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जबकि इस दौरान गैर बासमती चावल के निर्यात में 37.34 फीसदी की भारी गिरावट आई है।


केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2023-24 के पहले 10 महीनों अप्रैल से जनवरी के दौरान बासमती चावल का निर्यात 12.31 फीसदी बढ़कर 41.05 लाख टन का हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के दौरान इसका निर्यात केवल 36.55 लाख टन का हुआ था।

गैर बासमती चावल के निर्यात में चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीनों अप्रैल से जनवरी के दौरान 37.34 फीसदी की भारी गिरावट आकर कुल निर्यात 91.26 लाख टन का ही हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 145.65 लाख टन का हुआ था।

जनवरी 2024 में बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 5.62 लाख टन का हुआ है, जबकि पिछले साल जनवरी 2023 में इसका निर्यात केवल 4.57 लाख टन का ही हुआ था। गैर बासमती चावल का निर्यात जनवरी 2024 में घटकर केवल 7.84 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल जनवरी 2023 में इसका निर्यात 31.90 लाख टन का हुआ था।

केंद्र सरकार ने 25 अगस्त 2023 को आदेश दिया था कि केवल 1,200 डॉलर प्रति टन या उससे अधिक मूल्य वाले बासमती चावल के निर्यात अनुबंधों को ही पंजीकृत किया जायेगा। इसके विरोध में उत्तर भारत के निर्यातकों के साथ ही चावल मिलों ने हड़ताल कर दी थी, साथ ही मंडियों में किसानों से धान की खरीद भी बंद कर दी थी। अत: 28 अक्टूबर 23 को एक्सपोर्ट प्रमोशन संस्था एपिडा को भेजे एक पत्र में केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि बासमती चावल के निर्यात के लिए कॉन्ट्रैक्ट के रजिस्ट्रेशन के लिए मूल्य सीमा को 1,200 डॉलर प्रति टन से संशोधित कर 950 डॉलर प्रति टन करने का निर्णय लिया था।

केंद्र सरकार ने 20 जुलाई 23 को गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर रोक लगा दी थी, इसके अलावा साल सितंबर 2022 में ब्रोकन चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगाया था। हालांकि गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र सरकार के फैसले के बाद कई देशों ने भारत सरकार से इस पर पुनर्विचार करने और निर्यात पर प्रतिबंध न लगाने की मांग की थी। अत: सरकार ने समय, समय पर कई देशों के अनुरोध को मानते हुए गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात की मंजूरी दी है। इसके बावजूद भी गैर बासमती चावल के निर्यात में कमी आई है।

जानकारों के अनुसार लाल सागर के संकट का असर चावल के निर्यात पर भी पड़ा है तथा इससे घरेलू बाजार से चावल की निर्यात शिपमेंट में आई कमी के कारण घरेलू बाजार में बासमती चावल के साथ ही धान की कीमतों में हाल ही में मंदा आया है।

हरियाणा की करनाल मंडी में शुक्रवार को पूसा 1,509 किस्म के बासमती सेला चावल का भाव 6,600 से 6,700 रुपये और इसके स्टीम चावल के भाव 7,400 से 7,500 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। इसी तरह से पूसा 1,121 किस्म के स्टीम चावल का भाव 8,700 से 8,800 रुपये तथा इसके सेला चावल का दाम 7,800 से 7,900 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

दिल्ली की नजफगढ़ मंडी में शुक्रवार को 1,121 किस्म के धान का भाव 4,200 से 4,511 रुपये, तथा हरियाणा की सिरसा मंडी में 1,401 किस्म के धान के भाव 4,200 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। पंजाब की कोटकपूरा मंडी में पूसा 1,718 किस्म के धान का भाव 3,665 से 3,870 रुपये, तथा 1,401 किस्म के धान के भाव 3,825 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

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