आर एस राणा
नई दिल्ली। बासमती चावल के निर्यात मामले को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार ने सऊदी अरब को एक प्रस्ताव भेजा है। सऊदी अरब ने भारत से आयातित खाद्य वस्तुओं में कीटनाशकों के उपयोग को 90 फीसदी तक कम करने के लिए कहा था।
कृषि और प्रंसस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सऊदी अरब ने भारत से आयातित खाद्य वस्तुओं में कीटनाशकों के उपयोग में कमी लाने के लिए लिखा था, इस पर हमने उन्हें वार्ता के लिए प्रस्ताव भेजा है। उम्मीद है जल्दी ही मामला सुलझ जायेगा।
खतरनाक रसायनों के अत्यधिक प्रयोग के कारण यूरोपियन यूनियन ने भी बासमती चावल में फंफूदीनाशक ट्रासाइक्लाजोल के लिए अवशेष सीमा को 1 से घटाकर कर 0.01 एमजी (मिलीग्राम) प्रति किलो निर्धारित कर रखा है।
चावल की निर्यातक फर्म केआरबीएल लिमिटेड के चेयरमैन एडं मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल कुमार मित्तल ने बताया कि बासमती चावल में निर्यात मांग कमजोर बनी हुई है। ईरान, इराक के साथ ही अन्य देशों की आयात मांग भी कम हुई है। नई फसल को देखते हुए भी आयातक नए आयात सौदे सीमित मात्रा में ही कर रहे हैं, साथ ही कई देशों से भुगतान संबंधी समस्या भी आ रही है।
उन्होंने बताया कि कीटनाशकों के कम उपयोग को लेकर अन्य देशों से भी मांग उठनी शुरू हो गई है, जिसका असर भी आगे बासमती चावल के निर्यात सौदों पर पड़ने की आशंका है। उन्होंने बताया कि पूसा बासमती चावल सेला का भाव विश्व बाजार में 1,100 डॉलर प्रति टन है।
एपीडा के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही अप्रैल-जून के दौरान बासमती चावल का निर्यात घटकर 11.69 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2017-18 की समान अवधि में इनका निर्यात 12.58 लाख टन का हुआ था। मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 8,585 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 8,181 करोड़ रुपये का ही हुआ था। एपीडा के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार देश से सालाना करीब 40 लाख टन बासमती चावल का निर्यात होता है तथा चालू वित्त वर्ष में भी निर्यात पिछले साल के लगभग बराबर ही होने का अनुमान है। ..... आर एस राणा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें