आर एस राणा
नई दिल्ली। सस्ते आयात के साथ ही घरेलू बाजार में स्टॉक ज्यादा होने के कारण खपत का सीजन होने के बावजूद भी खाद्य तेलों की कीमतों में मंदा बना हुआ है। हालांकि रुपये के मुकाबले डॉलर ऐतिहासिक स्तर 70.07 पर पहुंच गया है जिससे आयातित खाद्य तेलों महंगे हो जायेंगे, इसलिए घरेलू बाजार में भी खाद्य तेलों की कीमतों में सुधार आने का अनुमान है।
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक डॉ. बी वी मेहता ने बताया कि आयातित खाद्य तेल सस्त होने के साथ ही घरेलू बाजार में बकाया स्टॉक ज्यादा है। पिछले साल की तुलना में आयातित खाद्य तेलों की कीमतें 14 फीसदी घटी है जबकि घरेलू बाजार में खाद्य तेलों का बकाया स्टॉक 25 लाख टन के करीब है जबकि आमतौर पर 15 से 18 लाख टन का ही बकाया स्टॉक होता है। यही कारण है कि खपत का सीजन होने के बावजूद भी खाद्य तेलों के भाव नीचे ही बने हुए हैं।
उन्होंने बताया कि रुपये के मुकाबले डॉलर मजबूत होकर 70 के पार पहुंचने से, आयातित खाद्य तेलों के भाव बढ़ेंगे, इसलिए घरेलू बाजार में भी इनकी कीमतों में सुधार आने का अनुमान है। डॉलर की मजबूती से आगामी महीनों में खाद्य तेलों के आयात में भी कमी आने की आशंका है।
दिल्ली वैजीटेबल आॅयल ट्रेडर्स एसोसिएशन के सचिव हेमंत गुप्ता ने बताया कि त्यौहारी सीजन होने के कारण आमतौर पर अगस्त-सितंबर में खाद्य तेलों में मांग अच्छी रहती है लेकिन सस्ते आयात के कारण घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों पर दबाव बना हुआ है। उन्होंने बताया कि जून-जुलाई के मुकाबले मांग में सुधार आया है, लेकिन भाव उल्टा कम ही हुए हैं। हरियाणा की दादरी मंडी में सरसों तेल का भाव 850 रुपये, इंदौर में सोया रिफाइंड तेल का भाव 740 रुपये, कांडला बंदरगाह पर क्रुड पॉम तेल का भाव 665 रुपये, पंजाब में बिनौला तेल का भाव 770 रुपये और राजकोट में मूंगफली तेल का भाव 940 रुपये प्रति 10 किलो रहा।
एसईए के अनुसार चालू तेल वर्ष 2017-18 (नवंबर-17 से अक्टूबर-18) के पहले 8 महीनों नवंबर से जून के दौरान 94 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हुआ है जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 96.15 लाख टन का हुआ था।........ आर एस राणा
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