14 जनवरी 2014
गेहूं उत्पादन पिछले रिकॉर्ड से भी ज्यादा रहने की उम्मीद
पिछले साल की 948 लाख टन रिकॉर्ड पैदावार से ज्यादा उपज संभव: अनवर
बुवाई क्षेत्रफल में हुई बढ़ोतरी के साथ ही मौसम भी अनुकूल होने से केंद्र सरकार को चालू रबी में गेहूं की रिकॉर्ड पैदावार होने का अनुमान है। फसल वर्ष 2011-12 में देश में गेहूं की रिकॉर्ड पैदावार 948.8 लाख टन की हुई थी। चालू रबी में गेहूं की बुवाई बढ़कर 311.86 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है।
एसोचैम द्वारा सोमवार को दिल्ली में आयोजित छठी एग्री-बिजनेस समिट के मौके पर कृषि राज्य मंत्री तारिक अनवर ने पत्रकारों से कहा कि गेहूं के बुवाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हुई है जबकि मौसम भी अभी तक अनुकूल बना हुआ है। ऐसे में गेहूं की रिकॉर्ड पैदावार होने का अनुमान है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2011-12 में देश में गेहूं की रिकॉर्ड पैदावार 948.8 लाख टन की हुई थी जबकि बीते वर्ष 2012-13 में गेहूं की पैदावार 924.6 लाख टन की हुई थी।
उन्होंने बताया कि हरियाणा में एकाध जगह सफेद रतुआ बीमारी लगने की खबरें जरूर मिली हैं लेकिन सरकार ने किसानों को इससे बचाव के लिए कीटनाशक उपलब्ध कराने के साथ ही जागरूक कर दिया है। कृषि वैज्ञानिक ने इसकी रोकथाम के लिए जरूरी कदम उठाए हैं, साथ ही राज्य सरकार को भी सचेत रहने को कहा गया है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में गेहूं की बुवाई बढ़कर 311.86 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि 291.27 लाख हैक्टेयर में हुई थी।
उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में गेहूं के बुवाई क्षेत्रफल में पिछले साल की तुलना में बढ़ोतरी हुई है। उत्तर प्रदेश में गेहूं की बुवाई बढ़कर 99.40 लाख हैक्टेयर में, मध्य प्रदेश में 57.88 लाख हैक्टेयर में, राजस्थान में 30.41 लाख हैक्टेयर में और गुजरात में 14.74 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई है। हालांकि पंजाब और हरियाणा में गेहूं की बुवाई पिछले साल की तुलना में कम हुई है।
उन्होंने कहा कि परिवहन, रखरखाव और भंडारण की सुविधा के अभाव में देश में हर साल करीब 4,400 करोड़ रुपये का खाद्यान्न बर्बाद हो जाता है। इसके बचाव से जहां उपभोक्ताओं को सही दाम पर खाद्यान्न मिल सकेंगे, वहीं किसानों को भी अपनी फसलों के उचित दाम मिलेंगे, इसमें कोल्ड चेन और कोल्ड स्टोर की महत्वपूर्ण भूमिका है। दूध के भंडारण और परिवहन में अमूल को रोल मॉडल के रूप में अपनाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि खरीद और वितरण के अभाव में उपभोक्ताओं को प्याज खरीदने के लिए ज्यादा दाम चुकाने पड़ जाते हैं। देश में प्याज का उत्पादन 170-180 लाख टन होने के बावजूद जहां किसानों को 10 रुपये किलो प्याज बेचना पड़ता है वहीं उपभोक्ताओं को प्याज खरीदने के लिए 80 से 100 रुपये प्रति किलो तक चुकाने पड़ते हैं। (Business Bhaskar....R S Rana)
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