30 जनवरी 2014
आढ़त पर बढ़ी सांसत आढ़तिए जाएंगे अदालत
दिल्ली सरकार और दिल्ली कृषि विपणन बोर्ड (डीएएमबी) ने मंडियों में आढ़त (कमीशन) अब किसानों के बजाय खरीदारों से लेने का फैसला किया है। इस फैसले से नाखुश आढ़तिए इसके खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में अपील करने की तैयारी में हैं।
दरअसल वर्ष 1999 में कृषि उपज विपणन समिति अधिनियम के एक प्रावधान में संशोधन कर मंडियों में बिकने आने वाले माल पर आढ़त किसानों की जगह खरीदारों से वसूलने की व्यवस्था दी गई थी। लेकिन दिल्ली में किसानों से ही आढ़त (6 फीसदी) लिया जा रहा था, जिसके विरोध में हिमाचल सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी।
याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायालय ने जून 2010 में आदेश दिया कि आढ़त किसानों की जगह खरीदारों से वसूला जाए। बावजूद इसके राजनेताओं व आढ़तियों के दबाव में यह आदेश लागू नहीं हो सका।
आजादपुर चैंबर ऑफ फ्रूट ऐंड वेजिटेबल के चेयरमैन मीठाराम कृपलानी ने बताया कि डीएएमबी और एपीएमसी ने आढ़तियों को विश्वास में लिए बिना यह फैसला लागू कर दिया है। इस आदेश के तहत खरीदारों से आढ़त वसूलने के कारण उन्हें फल व सब्जी के लिए अधिक दाम चुकाने होंगे, जिसका भार अंतत: आम उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।
इस फैसले के विरोध में आढ़तियों की बैठक में सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने निर्णय हुआ है। कृपालनी कहते हैं कि कायदे से अधिकारियों को इस फैसले के खिलाफ अदालत में अपील करनी चाहिए थी लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो चैंबर अदालत का दरवाजा खटखटाएगा। (Business Bhaskar)
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