नई दिल्लीं। दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार समझौते (साफ्टा) के तहत नेपाल के रास्ते खाद्य तेलों के शुल्क मुक्त आयात बढ़ने के कारण देश के खाद्वय तेल उद्योग के साथ ही तिलहन की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार नेपाल से सस्ते रिफाइंड खाद्य तेल का आयात घरेलू तेल रिफाइनिंग उद्योग को प्रभावित कर रहा है। एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों का पत्र लिखकर के आग्रह किया है कि वे नेपाल और अन्य सार्क देशों से खाद्य तेल की आवक को विनियमित करके भारतीय खाद्य तेल अर्थव्यवस्था और किसानों को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए हस्तक्षेप करें तथा इस बारे में आवश्यक कदम उठाएं।
एसईए के अनुसार नेपाल के रास्ते भारत में रिफाइंड सोया तेल और पाम तेल की भारी आवक हो रही है, जोकि मूल नियमों का उल्लंघन है। इससे घरेलू रिफाइनर, किसान और सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है। साफ्टा समझौते के तहत नेपाल से शून्य शुल्क पर खाद्य तेल का आयात न केवल उत्तरी और पूर्वी भारत में बल्कि अब दक्षिण भारत और मध्य भारत में भी तबाही मचा रहा है।
एसईए के अनुसार शुरुआत में इसका आयात कुछ मात्रा में शुरू हुआ था, लेकिन अब यह खतरनाक रूप ले चुका है और न केवल पूर्वी और उत्तरी भारत में खाद्वय तेल रिफाइनिंग उद्योग के अस्तित्व को खतरे में डाल रहा है, बल्कि भारत सरकार को भारी राजस्व की हानि पहुंचा रहा है। इन नुकसानों के अलावा यह तिलहन किसानों के हितों को भी नुकसान पहुंचा रहा है क्योंकि इससे हमारे बाजार विकृत हो रहे हैं और खाद्य तेलों पर उच्च आयात शुल्क रखने का उद्देश्य ही विफल हो रहा है। इससे किसानों को अपनी फसलों का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है।
दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र समझौते के तहत साफ्टा देशों से शून्य शुल्क पर खाद्य तेलों के आयात की अनुमति है।
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