नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2024-25 में अब तक केंद्र सरकार द्वारा जारी कुल सब्सिडी खर्च में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी खाद्य सब्सिडी की रही है जोकि वितरित की गई कुल राशि का 50 फीसदी से ज़्यादा है।
बैंक ऑफ बड़ौदा की एक रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों (अप्रैल-दिसंबर 2024) के दौरान सब्सिडी पर 3.07 लाख करोड़ रुपये खर्च किए है। यह पिछले साल की समान अवधि में खर्च किए गए 2.77 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा है, लेकिन अप्रैल-दिसंबर 2022 में खर्च किए गए 3.51 लाख करोड़ रुपये से कम है। इस वृद्धि का एक बड़ा कारण खाद्य सब्सिडी खर्च में बढ़ोतरी होना है। सरकार ने अप्रैल-दिसंबर 2024 के दौरान खाद्य सब्सिडी के लिए 1.64 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए है, जोकि पिछले साल की समान अवधि में खर्च किए गए 1.34 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा है। हालांकि यह अप्रैल-दिसंबर 2022 में खर्च हुए 1.68 लाख करोड़ रुपये से थोड़ा कम है।
इस दौरान खाद्य सब्सिडी में वृद्धि हुई है, जबकि उर्वरक सब्सिडी पर खर्च में थोड़ी इस दौरान कमी आई है। अप्रैल से दिसंबर 2024 के बीच सरकार ने उर्वरक सब्सिडी पर 1.36 लाख करोड़ रुपये खर्च किए है, जबकि पिछले साल यह रकम 1.41 लाख करोड़ रुपये और अप्रैल-दिसंबर 2022 में 1.81 लाख करोड़ रुपये थी। रिपोर्ट में सरकार की गैर-ऋण पूंजी प्राप्तियों में गिरावट पर भी प्रकाश डाला गया है, जिसमें संपत्ति की बिक्री और विनिवेश से राजस्व शामिल है। दिसंबर 2024 तक ये प्राप्तियां 27,296 करोड़ रुपये थी, जोकि दिसंबर 2023 में 29,650 करोड़ रुपये से कम और दिसंबर 2022 में 55,107 करोड़ रुपये से भी काफी कम है। यह कमजोर राजस्व संग्रह और गैर-ऋण स्रोतों के माध्यम से धन जुटाने में कम सफलता को दर्शाता है।
इसके अलावा बैंक द्वारा जारी रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का प्रवाह कमजोर हुआ है। नवंबर 2024 में एफडीआई का प्रवाह 2.4 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा है, जोकि अक्टूबर 2024 में दर्ज 4.3 बिलियन अमरीकी डॉलर से काफी कम है। रिपोर्ट में भारतीय शेयर बाजारों से विदेशी निवेशकों के बाहर होने में हुई बढ़ोतरी का भी उल्लेख किया गया है, जिससे देश के कुल निवेश पर दबाव बढ़ रहा है।
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