नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने शनिवार को पेश आम बजट में जहां देश को दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया, वहीं कपास की उत्पादकता बढ़ाने का ऐलान भी किया जिससे किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के मकसद से 6 नई योजनाओं की घोषणा की है। वित्त मंत्री ने कहा कि उनका लक्ष्य देश में फसल उत्पादन को बढ़ाना है। संसद में अपना आठवां बजट पेश करते हुए सीतारमण ने कहा कि दालों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए एक बड़े कदम के रूप में छह साल का मिशन अरहर, उड़द और मसूर के उत्पादन को बढ़ावा देने पर केंद्रित होगा। इस पहल के तहत, सहकारी संस्थाएं नेफेड और एनसीसीएफ इन एजेंसियों के साथ समझौते करने वाले पंजीकृत किसानों से चार साल तक दालों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर करेंगी।
बजट में पांच वर्षीय कपास मिशन उत्पादकता में सुधार और ‘एक्स्ट्रा-लॉन्ग स्टेपल’ कपास किस्मों को बढ़ावा देने पर काम करेगा, जो कपड़ा क्षेत्र के लिए भारत के एकीकृत 5-एफ दृष्टिकोण का समर्थन करेगा।
उन्होंने कृषि को विकास का पहला इंजन बताया और प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना का प्रस्ताव किया। यह सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसका लक्ष्य कम उत्पादकता, कम फसल लेने वाले क्षेत्र (जिन स्थानों पर दो या तीन की जगह कम या केवल एक ही फसल ली जाती हो) और कर्ज लेने के औसत मापदंडों से कम लोन लेने वाले 100 जिलों को टारगेट करना है। राज्य सरकारों के साथ साझेदारी में लागू की जाने वाली इस योजना से 1.7 करोड़ किसानों को लाभ मिलने की उम्मीद है।
किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) पर लोन की लिमिट को पांच लाख रुपये से बढ़ाकर सात लाख रुपये कर दिया गया है। वित्त मंत्री ने 7.7 करोड़ किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों के लिए सब्सिडी वाले अल्पकालीन ऋण की सीमा को तीन लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने का प्रस्ताव किया गया है।
एक नया रिसर्च इकोसिस्टम मिशन, अधिक उपज, कीट-प्रतिरोधी और प्रतिकूल जलवायु-सहिष्णु बीजों को विकसित करने और प्रचारित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा, जिसमें जुलाई, 2024 से शुरू की गई 100 से अधिक बीज किस्मों को व्यावसायिक रूप से जारी करने की योजना है।
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