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11 फ़रवरी 2025

एफसीआई के चावल से इथेनॉल उत्पादन पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, याचिका दायर

नई दिल्ली। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के चावल से इथेनॉल उत्पादन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिसके बाद शीर्ष अदालत ने इस मामले में एफसीआई द्वारा कंपनियों को चावल उपलब्ध कराने पर अस्थायी रोक लगा दी है।


सूत्रों के अनुसार याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि विटामिन युक्त और पोषक तत्वों से भरपूर चावल का उपयोग इथेनॉल उत्पादन के लिए किया जाना उचित नहीं है, क्योंकि यह खाद्य सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है। उनका कहना है कि इस चावल का प्राथमिक उद्देश्य देश की जनता को सस्ते दरों पर पोषण उपलब्ध कराना होना चाहिए, न कि इसे जैव ईंधन के उत्पादन में उपयोग किया जाए।

क्या है मामला?

भारत सरकार ने इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एफसीआई के अधिशेष चावल को डिस्टिलरी कंपनियों को उपलब्ध कराने की योजना बनाई थी। इसके तहत चावल से इथेनॉल बनाकर पेट्रोल में मिश्रित किया जाना था, जिससे देश में ईंधन आयात पर निर्भरता कम की जा सके। लेकिन इस योजना के विरोध में कई सामाजिक संगठनों और विशेषज्ञों ने आपत्ति जताई थी, जिसके चलते यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान एफसीआई से चावल वितरण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने का निर्देश दिया है और कहा है कि जब तक अंतिम निर्णय नहीं लिया जाता, तब तक एफसीआई कोई भी चावल इथेनॉल उत्पादन के लिए कंपनियों को नहीं देगा। अदालत ने केंद्र सरकार से भी इस मामले में विस्तृत जवाब देने को कहा है।

आगे की कार्रवाई

मामले की अगली सुनवाई जल्द ही होने की संभावना है, जिसमें अदालत यह तय करेगी कि क्या एफसीआई का चावल जैव ईंधन उत्पादन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है या इसे केवल खाद्य आपूर्ति के लिए ही सुरक्षित रखा जाना चाहिए।

विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को इस मामले में संतुलित निर्णय लेना होगा, जिससे देश की खाद्य सुरक्षा भी बनी रहे और इथेनॉल उत्पादन को लेकर सरकार की योजनाओं पर भी असर न पड़े।

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