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09 नवंबर 2023

विश्व स्तर पर कॉटन के उत्पादन में 4.7 फीसदी की कमी आने की आशंका

नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2023-24 में विश्व स्तर पर कॉटन के उत्पादन में 4.7 फीसदी की कमी आने की आशंका है। प्रमुख उत्पादक देशों अमेरिका, चीन एवं ऑस्ट्रेलिया के साथ ही भारत में भी कॉटन का उत्पादन घटने का अनुमान है।

फिच सॉल्यूशंस की इकाई अनुसंधान एजेंसी बीएमआई के अनुसार फसल सीजन 2023-24 में विश्व में कॉटन का उत्पादन घटकर 112.1 मिलियन गांठ ही होने का अनुमान है, जबकि इसके पिछले फसल सीजन 2022-23 में विश्व स्तर पर इसका उत्पादन 117.6 मिलियन गांठ का हुआ था। अत: सालाना आधार पर इसके उत्पादन में 4.7 फीसदी की कमी आने की आशंका है।

जानकारों के अनुसार वर्तमान में विश्व बाजार के साथ ही भारत में कॉटन की कीमतों में मंदा आया है, तथा मौजूदा तिमाही में इसकी कीमतों में गिरावट जारी रहने का अनुमान है। हालांकि 2024 की दूसरी तिमाही में इसके भाव बढ़ने का अनुमान है।

विश्व स्तर पर कॉटन के उत्पादन में कमी का प्रमुख कारण चीन और अमेरिका के साथ ही भारत में इसके बुआई क्षेत्रफल में कमी आने के साथ ही कई देशों में प्रतिकूल मौसम को माना जा रहा है। चीन और अमेरिका में सालाना आधार पर कॉटन के बुआई क्षेत्रफल में करीब 12.1 फीसदी की कमी आई है।

जानकारों के अनुसार कॉटन के उत्पादन अनुमान में कमी आने का असर टेक्सटाइल उद्योग पर बहुत ज्यादा नहीं पड़ेगा, क्योंकि यह सिंथेटिक और मिश्रित फाइबर जैसे विकल्पों की ओर बढ़ रहा है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार खरीफ सीजन में देश में कपास की बुआई 123.87 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी, जोकि इसके पिछले साल के 127.73 लाख हेक्टेयर में कम थी।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई के अनुसार पहली अक्टूबर 2023 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2023-24 में भारत में 295.10 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन के उत्पादन का अनुमान है, जोकि इसके पिछले फसल सीजन 2022-23 के 318.90 लाख गांठ से कम है। व्यापारियों के अनुसार कपास के नए सीजन के आरंभ में देश में करीब 25 से 30 गांठ का बकाया स्टॉक बचा हुआ था।

आईसीई कॉटन वायदा के भाव में सोमवार को गिरावट दर्ज की गई थी। दिसंबर-23 वायदा अनुबंध में इसके दाम 1.62 सेंट कमजोर होकर 78.00 सेंट रह गए। इस दौरान मार्च-24 वायदा अनुबंध में इसके दाम 1.20 सेंट कमजोर होकर 80.92 सेंट रह गए। मई-24 वायदा अनुबंध में इसके दाम 3.18 सेंट घटकर 82.00 सेंट रह गए। मंगलवार को भी आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतें कमजोर हुई। 


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