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25 नवंबर 2023

खुदरा के साथ ही थोक में ग्राहकी कमजोर, अरहर एवं उड़द के साथ मूंग तथा मसूर में गिरावट

नई दिल्ली। खुदरा के साथ ही थोक में दालों में ग्राहकी कमजोर होने से इनकी कीमतों पर दबाव बना हुआ है। घरेलू बाजार में गुरुवार को अरहर एवं उड़द के साथ ही मूंग तथा मसूर की कीमतों में मंदा आया, जबकि इस दौरान चना की कीमतें स्थिर हो गई।


चेन्नई में बर्मा की उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। उड़द एफएक्यू के भाव दिसंबर शिपमेंट के फसल सीजन 2023 के दाम 15 डॉलर कमजोर होकर भाव 1,080 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ रह गए, जबकि इस दौरान एसक्यू उड़द के दाम 20 डॉलर घटकर 1,170 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ रह गए। बर्मा में लेमन अरहर के भाव दिसंबर शिपमेंट के 1,450 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ पर स्थिर बने रहे।
 
आयात पड़ते सस्ते होने के कारण घरेलू बाजार में आयातित के साथ ही देसी उड़द की कीमतों में लगातार दूसरे दिन गिरावट जारी रही। व्यापारियों के अनुसार उत्तर प्रदेश की मंडियों में नई उड़द की छिटपुट आवक हो रही है, तथा चालू महीने के अंत तक आवक बढ़ने की उम्मीद है। वैसे भी मध्य दिसंबर तक आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु एवं तेलंगाना की नई फसल आयेगी। उधर बर्मा में भी दिसंबर में एक छोटी फसल आती है। ऐसे में दाल मिलें केवल जरुरत के हिसाब से ही खरीद कर रही है, इसलिए उड़द की कीमतों पर दबाव देखा जा रहा है। हालांकि खपत का सीजन के कारण उड़द दाल में दक्षिण भारत की मांग बनी रहने के आसार है, जबकि उत्पादक मंडियों में अच्छी क्वालिटी की देसी उड़द की आवक कम हो रही है। इसलिए इसकी मौजूदा कीमतों में हल्की गिरावट और भी आ सकती है।

घरेलू बाजार में आयातित के साथ ही देसी अरहर की कीमतों पर दबाव बना हुआ है। उधर कर्नाटक के बाद महाराष्ट्र की मंडियों में भी नई अरहर की छिटपुट आवक शुरू हो गई है तथा इन राज्य की मंडियों में आवक चालू महीने के अंत तक बढ़ेगी। हालांकि आवकों का दबाव दिसंबर में ही बनेगा। जानकारों के अनुसार इन राज्यों में अरहर के उत्पादन अनुमान में कमी आने की आशंका है, लेकिन केंद्र सरकार लगातार दलहन की कीमतों की समीक्षा कर रही है। हालांकि खपत का सीजन होने के कारण आगामी दिनों में अरहर दाल की खुदरा एवं थोक मांग बनी रहने के आसार हैं। बर्मा के साथ ही अफ्रीकी देशों से अरहर के आयात पड़ते महंगे है। इसलिए मौजूदा कीमतों में धीरे, धीरे गिरावट आयेगी।

चना की कीमतें घरेलू बाजार में स्थिर हो गई। व्यापारियों के अनुसार चना में जहां नीचे दाम पर बिकवाली कम हो जाती है, वहीं बढ़े दाम पर मिलें भी जरुरत के हिसाब से ही खरीद कर रही हैं। उत्पादक राज्यों में चना का बकाया स्टॉक सीमित मात्रा में ही बचा हुआ है, तथा स्टॉक लिमिट लगी होने के कारण भी दाल मिलों के पास सप्लाई तंग है। वैसे भी चना की नई फसल फरवरी, मार्च में ही आयेगी। खपत का सीजन होने के कारण चना दाल एवं बेसन की मांग अभी बनी रहेगी। नेफेड के पास बफर स्टॉक एवं अन्य कल्याणकारी योजना के अलावा खुले बाजार में बेचने के लिए चना का स्टॉक सीमित मात्रा में ही बचा हुआ है। इसलिए इसकी मौजूदा कीमतों में बड़ी गिरावट के आसार नहीं है।

सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार ने पिछले चार महीने में करीब 13 लाख चना की बिक्री खुले बाजार में की है, अत: अब केंद्र सरकार के पास अब 18 से 19 लाख टन चना का बकाया स्टॉक ही बचा हुआ है। इसमें से 10 लाख टन बफर स्टॉक का एवं करीब छह लाख टन अन्य कल्याणकारी योजनाओं में खपत होगा। ऐसे में अब खुले बाजार में बेचने के लिए दो से तीन लाख टन चना का ही बकाया स्टॉक बचा हुआ है।

देसी मसूर के दाम दिल्ली में नरम हुए, जबकि मुंबई में आयातित की कीमतें स्थिर बनी रही। व्यापारियों के अनुसार हाल ही में कनाडा से मसूर का आयात ज्यादा मात्रा में हुआ है, जिस कारण इसकी कीमतों में मंदा आया था। हालांकि व्यापारी अभी मसूर में बड़ी गिरावट के पक्ष में नहीं है, क्योंकि खपत का सीजन होने के कारण मसूर दाल में बिहार, बंगाल एवं असम की मांग आगामी दिनों में बढ़ेगी। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की मंडियों में देसी मसूर की आवक सीमित मात्रा में ही हो रही है। वैसे भी उत्पादक राज्यों में किसानों के पास देसी मसूर का बकाया स्टॉक सीमित मात्रा में ही बचा हुआ है। इसलिए स्टॉकिस्टों एवं आयातकों दाम घटाकर बिकवाली नहीं करना चाहते।

आस्ट्रेलिया में मसूर की कटाई जोरों पर है, तथा चालू सीजन में इसके उत्पादन में पिछले साल की तुलना में कमी आने की आशंका है। पिछले साल ऑस्ट्रेलिया में मसूर का उत्पादन 1.69 मिलियन टन की तुलना में घटकर 1.23 मिलियन टन का ही होने का अनुमान है।

स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली से मूंग की कीमतें दिल्ली में कमजोर हो गई, जबकि उत्पादक मंडियों में इसके दाम स्थिर बनी रहे। व्यापारियों के अनुसार खपत का सीजन होने के कारण मूंग दाल में मांग बनी रहेगी, तथा चालू सीजन में मूंग की बुआई कम हुई। वैसे भी अगस्त में बारिश की भारी कमी के कारण खरीफ मूंग की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता पिछले साल की तुलना में कम बैठ रही है। हालांकि उत्पादक राज्यों में नई मूंग की दैनिक आवक बराबर बनी हुई है साथ ही नेफेड राजस्थान के साथ ही मध्य प्रदेश में लगातार मूंग की बिकवाली कर रही है। इसलिए एकतरफा बड़ी तेजी के आसार कम है।

चेन्नई में एसक्यू उड़द के दाम 9,700 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान एफएक्यू उड़द की कीमतें कमजोर होकर 8,800 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर आ गई।

दिल्ली में एसक्यू उड़द के दाम 50 रुपये कमजोर होकर दाम 10,000 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान एफएक्यू उड़द की कीमतें 75 रुपये नरम होकर 9,200 रुपये प्रति क्विंटल बोली गई।

मुंबई में उड़द के दाम 150 रुपये घटकर दाम 8,850 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

सोलापुर मंडी में नई देसी उड़द के भाव 8,000 से 10,100 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान इंदौर मंडी में बोल्ड उड़द के भाव 9,201 से 9,701 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

चेन्नई में लेमन अरहर के दाम 125 रुपये कमजोर होकर भाव 10,700 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दिल्ली में लेमन अरहर के दाम 200 रुपये कमजोर होकर भाव 11,000 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मुंबई में लेमन अरहर के दाम 250 रुपये कमजोर होकर भाव 10,400 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मुंबई में अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर की कीमतें कमजोर हो गई। सूडान से आयातित अरहर के दाम 200 रुपये घटकर 11,100 से 11,200 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान गजरी अरहर के भाव 100 रुपये घटकर दाम 8,800 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। मतवारा अरहर के भाव 150 रुपये घटकर दाम 8,600 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दिल्ली में देसी मसूर के दाम 25 रुपये नरम होकर 6,550 से 6,575 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मुंद्रा बंदरगाह पर कनाडा की मसूर के दाम 6025 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान हजिरा बंदरगाह पर कनाडा की मसूर के भाव 6100 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। ऑस्ट्रेलिया की मसूर की कीमतें कंटेनर में 6300 से 6350 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गई। कनाडा की मसूर की कीमतें कंटेनर में 6300 रुपये प्रति क्विंटल बोली गई।

दिल्ली में राजस्थान लाइन के चना के दाम 6,475 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान मध्य प्रदेश लाइन में चना के भाव 6,400 से 6,425 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

दिल्ली में मूंग के भाव 200 रुपये कमजोर होकर दाम 8,300 से 8,500 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान जयपुर मंडी में मूंग के बिल्टी भाव 7500 से 8600 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इंदौर में बोल्ड मूंग के भाव 8000 से 8500 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

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