नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार इस साल मानसून सामान्य रहने का अनुमान है, तथा लॉन्ग पीरियड एवरेज (एलपीए) की 96 फीसदी बारिश हो सकती है हालांकि, इसमें 5 फीसदी कम या ज्यादा हो सकती है। हालांकि अगस्त-सितंबर में मानसून का दूसरे भाग पर अल-नीनो का प्रभाव देखने को मिल सकता है। इस दौरान बारिश सामान्य से कम रहने की उम्मीद है।
आईएमडी ने मंगलवार को बताया कि लॉन्ग पीरियड एवरेज (एलपीए) की 96 फीसदी बारिश हो सकती है, यदि बारिश एलपीए के 90-95 फीसदी के बीच होती है तो इसे सामान्य से कम माना जाता है। एलपीए की 96 फीसदी 104 फीसदी हो तो इसे सामान्य बारिश कहा जाता है।
एलपीए अगर 104 फीसदी से 110 फीसदी के बीच है तो सामान्य से ज्यादा बारिश कहते हैं। 110 फीसदी से ज्यादा को एक्सेस बारिश और 90 फीसदी से कम बारिश को सूखा पड़ना कहा जाता है।
हालांकि एक दिन पहले मौसम की जानकारी देने वाली प्राइवेट एजेंसी स्काईमेट ने देश में सामान्य से कम बारिश का अनुमान लगाया था। स्काईमेट के कहा था कि देश के नॉर्दर्न और सेंट्रल रीजन में कम बारिश होने की सबसे ज्यादा संभावना है।
आईएमडी के अनुसार मई के अंतिम हफ्ते में मानसून का अगला अपडेट आएगा। वहीं अल-नीनो के असर पर कहां कि इस साल अल-नीनो का असर मानसून सीजन के दूसरे हाफ में दिख सकता है।
मौसम विभाग ने कहा कि अल-नीनो की स्थिति जरूर बनेगी, लेकिन ये बहुत ताकतवर नहीं, बल्कि मॉडरेट होगी। इसलिए इसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है। जिस साल अल-नीनो हो, तो कोई जरूरी नहीं है कि उस साल मानसून भी खराब हो जाये।
देश में खरीफ फसलों की खेती में मानसून की बड़ी भूमिका है। सामान्य खरीफ सीजन में देशभर के 70 से 80 फीसदी किसान सिंचाई के लिए बारिश के पानी पर निर्भर रहते हैं। ऐसे में उनकी पैदावार पूरी तरह से मानसून के अच्छे या खराब रहने पर निर्भर करती है।
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