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26 अप्रैल 2023

गेहूं की सरकारी खरीद 183.76 लाख टन

नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2023-24 में 25 अप्रैल तक गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद बढ़कर 183.76 लाख टन की हो गई है। केंद्रीय खाद्वय एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय के अनुसार इस दौरान देशभर के 18.51 लाख किसानों से 39,049.70 करोड़ रुपये मूल्य का गेहूं खरीदा गया है।


केंद्र सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन 2023-24 में देशभर के राज्यों से 342 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य तय किया है। प्रतिकूल मौसम से पंजाब एवं हरियाणा से शुरुआत में गेहूं की सरकारी बहुत बहुत धीमी गति से हो रही थी, लेकिन अभी तक हुई कुल खरीद में इन राज्यों का योगदान सबसे ज्यादा है।

मंत्रालय के अनुसार चालू रबी पंजाब से 84 लाख टन गेहूं की एमएसपी पर खरीद हो चुकी है, जबकि हरियाणा से समर्थन मूल्य पर अभी तक 53 लाख टन गेहूं खरीदा गया है।

बेमौसम बारिश एवं ओलाृष्टि के कारण देश के कई राज्यों में गेहूं की गुणवत्ता प्रभावित हुई है, जिस कारण किसानों के नुकसान को देखते हुए केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश, चंडीगढ़, पंजाब एवं हरियाणा में गेहूं खरीद मानकारों में छूट दी हुई है।

केंद्र सरकार ने रबी विपणन सीजन 2023-234 के लिए गेहूं का एमएसपी 110 रुपये बढ़ाकर 2,125 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है, जबकि रबी विपणन सीजन 2022-23 में एमएसपी 2,015 रुपये प्रति क्विंटल था।

कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2022-23 में देश में गेहूं का उत्पादन 11.21 करोड़ टन होने का अनुमान है, जबकि इसके पिछले साल 10.77 करोड़ टन का उत्पादन हुआ था। 

चालू समर में दलहन तथा मोटे अनाजों की बुआई बढ़ी, तिलहन की घटी

नई दिल्ली। चालू समर सीजन में देशभर में दलहन के साथ ही मोटे अनाजों की बुआई आगे चल रही है, जबकि तिलहन की बुआई पिछले साल की तुलना में पिछड़ रही है।


कृषि मंत्रालय के अनुसार दलहन की बुआई चालू समर सीजन में 28.23 फीसदी बढ़कर 14.67 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 11.44 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। चालू सीजन में उड़द की बुआई 2.90 लाख हेक्टेयर में और मूंग की 11.56 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 2.80 और 8.36 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। अन्य दलहन की बुआई 0.20 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 0.28 लाख हेक्टेयर से कम है।

तिलहनी फसलों की बुआई चालू समर सीजन में घटकर 9.24 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 10.40 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। इस दौरान मूंगफली की बुआई 4.43 लाख हेक्टेयर में और शीशम की 4.29 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 5.26 और 4.16 लाख हेक्टेयर में हुई थी। अन्य तिलहनी फसलों में सनफ्लावर की बुआई 28 हजार हेक्टेयर में हुई है, जोकि पिछले साल की तुलना में कम है।

मोटे अनाजों की बुवाई चालू समर में बढ़कर 10.31 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 9.94 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। बाजरा की बुआई 4.12 लाख हेक्टेयर में और मक्का की 5.92 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 3.59 और 5.99 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। ज्वार और रागी की बुआई क्रमश: 15 हजार और 12 हजार हेक्टेयर में ही हुई है।

21 अप्रैल 2023

वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान डीओसी का निर्यात 87 फीसदी बढ़ा - एसईए

नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान डीओसी का निर्यात 87 फीसदी बढ़कर 4,336,287 टन का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में इनका निर्यात केवल 2,374,974 टन का ही हुआ था।


साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार मार्च-23 में देश से डीओसी का निर्यात 138 फीसदी बढ़कर 575,958 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल मार्च में इसका निर्यात केवल 242,043 टन का ही हुआ था।

मूल्य के हिसाब से सोया डीओसी और सरसों डीओसी का निर्यात बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान 11,401 करोड़ रुपये का हुआ है, जोकि इसके पिछले वित्त वर्ष के 5,607 करोड़ रुपये की तुलना से करीब 103 फीसदी ज्यादा है।

एसईए के अनुसार अप्रैल 2022 में सोयाबीन के दाम घरेलू बाजार में 7,640 रुपये प्रति क्विंटल के उच्चतम स्तर पर थे, जोकि घटकर 4,500 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। अत: कीमतों में आई गिरावट से सोयाबीन की पेराई ज्यादा हुई साथ ही सोया डीओसी का निर्यात भाव वाजिब हो गया। 13 अप्रैल, 2023 तक अर्जेंटीना सोया डीओसी की कीमत एक्स-रॉटरडैम 559 अमेरिकी डॉलर थी, जबकि भारतीय सोया डीओसी के दाम एक्स-कांडला 580 डॉलर प्रति टन थे।

भारतीय सोया डीओसी के प्रमुख आयातक देश दक्षिण पूर्व एशिया के हैं, जहां भारत छोटे लॉट में भी आपूर्ति कर सकता है। इसके अलावा, भारतीय सोया डीओसी गैर जीएमओ होने का भी फायदा है और कुछ यूरोपीय देशों और यूएसए द्वारा इसका आयात किया जा रहा है। डॉलर के मुकाबले रुपया होने के कारण भी निर्यात को बढ़ावा मिला।

एसईए के अनुसार वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान सरसों डीओसी के निर्यात ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है और इसने 2011-12 वित्त वर्ष के 12,48,000 टन के पहले के रिकॉर्ड निर्यात को तोड़ दिया है तथा वित्त वर्ष 2022-23 में 22,96,943 टन का निर्यात हुआ है। वर्तमान में भारत दक्षिण कोरिया, वियतनाम, थाईलैंड और अन्य सुदूर पूर्व देशों को 240 डॉलर प्रति टन, एफओबी पर भारतीय सरसों डीओसी का निर्यात सबसे सस्ता है। उधर हैम्बर्ग में सरसों डीओसी का एक्स-मिल भाव 349 डॉलर प्रति टन है। सरसों में तेल की मात्रा में बढ़ोतरी के साथ ही रिकार्ड सरसों डीओसी के निर्यात के कारण ही चालू रबी सीजन में देश में सरसों की बुआई बढ़कर 98.02 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले रबी सीजन में इसका की बुआई केवल 91.25 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

भारतीय बंदरगाह पर सोया डीओसी का भाव मार्च 23 में घटकर औसतन 556 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि मार्च 2022 में इसका दाम 888 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से सरसों डीओसी का भाव मार्च 23 में घटकर भारतीय बंदरगाह पर 243 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि पिछले साल मार्च 22 में इसका भाव 326 डॉलर प्रति टन था।

चालू फसल सीजन में 303 लाख गांठ कॉटन का उत्पादन अनुमान, पांचवी उत्पादन अनुमान में कटौती - उद्योग

नई दिल्ली। उद्योग ने चालू फसल सीजन 2022-23 में पांचवी बार कॉटन के उत्पादन अनुमान में कटौती की है। उद्योग द्वारा बुधवार को जारी उत्पादन अनुमान के अनुसार चालू फसल सीजन में कुल 303 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन का उत्पादन होने का अनुमान है, जोकि चौथे आरंभिक अनुमान से 10 लाख गांठ कम है।


कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू फसल सीजन 2022-23 में देश 337.23 लाख गांठ कॉटन का उत्पादन होने का अनुमान है।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई ने 14 नवंबर 2022 को देश में 344 लाख गांठ के कॉटन के उत्पादन का अनुमान जारी किया था। उद्योग ने 20 दिसंबर 2022 को कॉटन के आरंभिक उत्पादन अनुमान में 4.25 लाख गांठ कटौती की थी। उसके बाद 14 जनवरी 2023 को जारी किए गए अनुमान में 9.25 लाख गांठ कटौती कर कुल 330.50 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान जारी किया था। उद्योग ने फिर 14 फरवरी 2023 को जारी किए गए अनुमान में 9 लाख गांठ की कटौती कर कुल उत्पादन का अनुमान 321.50 लाख गांठ होने का अनुमान लगाया था। इसके बाद 14 मार्च को जारी किए गए, अनुमान में 8.5 लाख टन की कटौती कर कुल उत्पादन 313 लाख गांठ हो का जारी किया था।  

सीएआई के अनुसार चालू फसल सीजन में कॉटन का आयात 15 लाख गांठ ही होने का अनुमान है, जबकि पहले 12 लाख गांठ के आयात का अनुमान था। अत: आयात में तीन लाख गांठ की बढ़ोतरी के आसार है। मालूम हो कि पिछले फसल सीजन में 14 लाख गांठ का आयात हुआ था। पहली अक्टूबर 22 से 31 मार्च 2023 तक 6.50 लाख गांठ कॉटन भारतीय बंदरगाहों पर पहुंच चुकी है।

कॉटन का निर्यात चालू सीजन में घटकर 25 लाख टन ही होने का अनुमान है, जोकि पिछले इसके पहले के अनुमान 30 लाख गांठ से पांच लाख गांठ कम है। पिछले फसल सीजन में 43 लाख गांठ का निर्यात हुआ था। पहली अक्टूबर से 31 मार्च 2023 तक 10.50 लाख गांठ कॉटन का ही निर्यात हुआ है।

चालू फसल सीजन 2022-23 में पंजाब में कपास का उत्पादन 2.50 लाख गांठ, हरियाणा में 11 लाख गांठ, अपर राजस्थान में 17 लाख गांठ तथा लोअर राजस्थान में 10.50 लाख गांठ होने का अनुमान है। अतः: उत्तर भारत के राज्यों में कपास का उत्पादन 41 लाख गांठ होने का अनुमान है।

प्रमुख कपास उत्पादक राज्य गुजरात में 92 लाख गांठ, महाराष्ट्र 75 लाख गांठ एवं मध्य प्रदेश में 19 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है।

दक्षिण भारत के राज्यों में तेलंगाना में 33 लाख गांठ, आंध्र प्रदेश में 11 लाख गांठ एवं कर्नाटक में 20 लाख गांठ के अलावा तमिलनाडु में 5.50 लाख कॉटन के उत्पादन का अनुमान है। इसके अलावा ओडिशा में 3.50 लाख गांठ तथा अन्य राज्यों में 3 लाख गांठ कॉटन का उत्पादन होने का अनुमान है।

पहली अक्टूबर 2022 से शुरू हुए चालू फसल सीजन के पहले पांच महीनों अक्टूबर से 31 मार्च 23 के दौरान 202.54 लाख गांठ की आवक ही उत्पादक मंडियों में हुई है।

चालू पेराई सीजन के अंत में 30 नवंबर 2023 को कॉटन का बकाया स्टॉक 13.89 लाख गांठ बचने का अनुमान है।

चालू पेराई सीजन में अप्रैल मध्य तक चीनी का उत्पादन 5 फीसदी घटा- इस्मा

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2022 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2022-23 के पहले साढ़े छह महीनों पहली अक्टूबर 2022 से 15 अप्रैल 2023 तक चीनी का उत्पादन 5.38 फीसदी कम होकर 310 लाख टन का ही हुआ है, जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में इसका उत्पादन 328.7 लाख टन का हो चुका था।


चीनी उद्योग के शीर्ष संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन, इस्मा के अनुसार उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सीजन में 15 अप्रैल 2023 तक 96.6 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 94.4 लाख टन से थोड़ा ज्यादा है।

महाराष्ट्र में चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन 16.99 फीसदी घटकर 15 अप्रैल 2023 तक 105 लाख टन का ही हुआ है, जबकि पिछले पेराई सीजन में इस समय तक राज्य में 126.5 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका था।

कर्नाटक में चालू पेराई सीजन में 15 अप्रैल 2023 तक चीनी का उत्पादन घटकर 55.3 लाख टन का ही हुआ है जोकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि के 58 लाख टन से कम है।

देश के अन्य राज्यों में चालू पेराई सीजन में 15 अप्रैल 2023 तक चीनी का उत्पादन बढ़कर 54.1 लाख टन का हो चुका है, जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में इन राज्यों में केवल 49.8 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।

जनवरी में इस्मा ने विपणन सीजन 2022-23 में चीनी के उत्पादन अनुमान को 365 लाख टन से घटाकर 340 लाख टन कर दिया था जबकि विपणन सीजन 2021-22 में देश में चीनी का उत्पादन 358 लाख टन का हुआ था।

इस्मा के अनुसार 15 अप्रैल, 2023 तक देशभर में 132 चीनी मिलों में पेराई चल रही हैं, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 305 मिलों में पेराई चल रही थी। महाराष्ट्र में पिछले साल इस समय तक 153 मिलों में पेराई चल रही थी जोकि इस समय सभी मिलों में पेराई बंद हो चुकी हैं। वहीं उत्तर प्रदेश में पिछले साल की 68 चीनी मिलों के मुकाबले इस साल 77 मिलें पेराई अभी भी कर रही हैं।

17 अप्रैल 2023

अप्रैल से फरवरी के दौरान बासमती एवं गैर बासमती चावल का निर्यात क्रमश: 18 एवं 3 फीसदी बढ़ा

नई दिल्ली।  वित्त वर्ष 2022-23 के पहले 11 महीनों अप्रैल से फरवरी के दौरान जहां बासमती चावल के निर्यात में 17.71 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, वहीं इस दौरान गैर बासमती चावल का निर्यात 2.89 फीसदी बढ़ा है।


वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार वित्त वर्ष 2022-23 के अप्रैल से फरवरी के दौरान बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 41 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 34.83 लाख टन का ही हुआ था।

गैर बासमती चावल का निर्यात वित्त वर्ष के अप्रैल से फरवरी के दौरान 2.89 फीसदी बढ़कर 160.92 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 156.40 लाख टन का ही हुआ था।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार के अनुसार मूल्य के हिसाब से वित्त वर्ष 2022-23 के अप्रैल से फरवरी के दौरान बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 34,405 करोड़ रुपये का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 22,941 करोड़ रुपये का ही हुआ था।

गैर बासमती चावल का निर्यात वित्त वर्ष के अप्रैल से फरवरी के दौरान मूल्य के हिसाब से बढ़कर 45,931 करोड़ रुपये का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 41,361 करोड़ रुपये का ही हुआ था।

निर्यात में हुई बढ़ोतरी से घरेलू मंडियों में बासमती चावल की कीमतें तेज बनी हुई है। दिल्ली के नया बाजार में बुधवार को बासमती सेला चावल का भाव 8400 से 8500 रुपये और इसके स्टीम चावल का भाव 9600 से 9700 रुपये प्रति क्विंटल रहा। इस दौरान पूसा 1,509 किस्म के सेला चावल का भाव 7900 से 8000 रुपय और इसके स्टीम चावल का दाम 9300 से 9400 रुपये प्रति क्विंटल है।

चालू तेल वर्ष के पांच महीनों में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात 22 फीसदी बढ़ा - एसईए

नई दिल्ली। चालू तेल वर्ष 2022-23 (नवंबर-22 से अक्टूबर-23) के पांच महीनों नवंबर एवं मार्च में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात इसके पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 22 फीसदी बढ़कर 7,060,193 टन का हुआ है। जबकि पिछले साल नवंबर से फरवरी के दौरान इनका आयात 5,795,728 टन का हुआ था।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार चालू तेल वर्ष 2022-23 के मार्च महीने में देश में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 6 फीसदी बढ़कर 1,172,293 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल मार्च-22 में इनका आयात 1,104,570 टन का हुआ था।

एसईए के अनुसार मार्च 2023 में देश में फरवरी 2023 की तुलना में वनस्पति तेलों का आयात 8 फीसदी बढ़ गया। इस दौरान पाम तेल का आयात 5.86 लाख टन से 24 फीसदी बढ़कर 7.28 लाख टन को हो गया। हालांकि सोयाबीन तेल का आयात 27 फीसदी घटकर 3.56 लाख टन की तुलना में 2.59 लाख टन का रह गया। सूरजमुखी तेल का आयात इस दौरान पांच फीसदी कम होकर 1.57 लाख टन के मुकाबले 1.48 लाख टन का ही हुआ।

चालू तेल वर्ष के पहले पांच महीनों में आरबीडी पामोलिन का आयात बढ़कर 9.89 लाख टन का हो गया, जो कुल पाम तेल के आयात का लगभग 22 फीसदी है। अत: आरबीडी पामोलिन का आयात बढ़ने से घरेलू रिफाइनिंग उद्योग को नुकसान हो रहा है। इसलिए आरबीडी पामोलिन पर 12.5 फीसदी आयात शुल्क के साथ ही 7.5 फीसदी अतिरिक्त कृषि उपकर लगाकर सीपीओ और रिफाइंड पामोलिन/पाम ऑयल के बीच शुल्क अंतर को मौजूदा 7.5 फीसदी से बढ़ाकर कम से कम 15 फीसदी करने की जरूरत है।

फरवरी के मुकाबले मार्च में आरबीडी एवं क्रूड पाम तेल की कीमतों में तेजी दर्ज की गई। मार्च में भारतीय बंदरगाह पर आरबीडी पामोलिन का भाव तेज होकर 1,006 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि फरवरी में इसका भाव 1,002 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रूड पाम तेल का भाव मार्च में बढ़कर 1,024 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि फरवरी में इसका भाव 1,015 डॉलर प्रति टन था। हालांकि क्रूड सोयाबीन तेल का भाव फरवरी के 1,274 डॉलर से घटकर मार्च में भारतीय बंदरगाह पर 1,155 डॉलर प्रति टन रह गया। क्रूड सनफ्लावर तेल का भाव फरवरी के 1,224 डॉलर प्रति टन से घटकर मार्च में 1,108 डॉलर प्रति टन रह गया। 

गेहूं के निर्यात पर रोक जारी रहेगी, हैफेड गेहूं की खरीद पर 10 रुपये का बोनस देगी

नई दिल्ली। घरेलू बाजार में पर्याप्त खाद्यान्न की आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु गेहूं के निर्यात पर लगी रोक जारी रहेगी। हैफेड हरियाणा के किसानों से 2,135 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं की खरीद करेगी, जोकि न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी से 10 रुपये ज्यादा है।


सूत्रों के अनुसार हरियाणा की मंडियों से हैफेड गेहूं की खरीद 2,135 रुपये प्रति क्विंटल की दर से करेगी, जबकि केंद्र सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन 2023-24 के लिए गेहूं का एमएसपी 2,125 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।  

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के अनुसार घरेलू बाजार में पर्याप्त खाद्यान्न की आपूर्ति बने रहे, साथ ही मुद्रास्फीति को भी नियंत्रित करने के लिए गेहूं के निर्यात पर लगी हुई रोक अभी जारी रहेगी। हालांकि हाल ही में देश के कई राज्यों में प्रतिकूल मौसम की मार गेहूं की फसल पर पड़ी है, इसके बावजूद भी उन्होंने माना कि देश में गेहूं का उत्पादन ज्यादा होगा।

सरकार के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू रबी सीजन में 11.21 करोड़ टन गेहूं के उत्पादन का अनुमान है, जबकि पिछले साल 10.77 करोड़ टन का ही उत्पादन हुआ था।

उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों के हितों की रक्षा के लिए कुछ राज्यों में गेहूं की खरीद के लिए गुणवत्ता मानदंडों में ढील दी है। तथा केंद्र सरकार का लक्ष्य चालू रबी विपणन सीजन 2023-24 में 342 लाख टन गेहूं की खरीद करना है, जोकि पिछले रबी विपणन सीजन के 187.49 लाख टन से ज्यादा है। पिछले साल गर्मी एवं बेमौसम बारिश के कारण उत्पादन में गिरावट के कारण गेहूं की सरकारी खरीद में गिरावट आई थी।

सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन 2023-24 (अप्रैल-मार्च) में 10 अप्रैल तक 13.20 लाख टन गेहूं की खरीद एमएसपी पर की है, जोकि ज्यादातर मध्य प्रदेश से खरीदा गया है। खाद्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक इसी अवधि में पंजाब में करीब 1,000 टन जबकि हरियाणा में 88,000 टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई है।

केंद्र ने पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा और राजस्थान में गेहूं की खरीद के लिए गुणवत्ता मानदंडों में ढील दी है ताकि बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवा के कारण किसानों के हितों की रक्षा की जा सके। मध्य प्रदेश में गेहूं की खरीद चल रही है, जबकि अन्य राज्यों में बेमौसम बारिश के कारण सरकारी खरीद में देरी हुई है। इन राज्यों में अब मौसम साफ है, इसलिए आगामी दिनों में गेहूं की दैनिक आवक बढ़ने पर एमएसपी पर खरीद में भी तेजी आयेगी। 

12 अप्रैल 2023

पहली अक्टूबर 22 से मार्च 23 के दौरान सोया डीओसी का निर्यात 110 फीसदी से ज्यादा बढ़ा

नई दिल्ली। चालू फसल सीजन की पहली छमाही में देश से सोया डीओसी के निर्यात में 110.75 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया, सोपा के अनुसार पहली अक्टूबर 22 से मार्च 23 के दौरान सोया डीओसी का निर्यात बढ़कर 9.99 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले फसल सीजन की समान अवधि में इसका निर्यात 4.74 लाख टन का ही हुआ था।


सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन की पहली छमाही में 48 लाख टन सोया डीओसी का उत्पादन हो चुका है, जोकि पिछले साल के 33.52 लाख टन से ज्यादा है। अत: पहली छमाही में जहां 9.99 लाख टन डीओसी का निर्यात हुआ है, वहीं 5.25 लाख टन की खपत घरेलू बाजार में फूड में और 33.50 लाख टन की फीड में हुई है। अत: पहली अप्रैल को 2.35 लाख टन सोया डीओसी का बकाया स्टॉक बचा हुआ है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.64 लाख टन से ज्यादा है।

सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन के पहले छह महीनों में सोया डीओसी का आयात केवल 0.03 लाख टन का ही हुआ है, जबकि पिछले सीजन की समान अवधि में 4.50 लाख टन का आयात हुआ था।

पहली अक्टूबर 2022 से 31 मार्च 2023 तक घरेलू मंडियों में 77 लाख टन सोयाबीन की आवक हो चुकी है जिसमें से पेराई 60.50 लाख टन की ही हुई है। इस दौरान 2.50 लाख टन सोयाबीन की सीधी खपत के अलावा 0.19 लाख टन का निर्यात हुआ है। अत: पहली अप्रैल को किसानों, प्लांटों एवं स्टॉकिस्टों तथा व्यापारियों के पास 70.93 लाख टन सोयाबीन का बकाया स्टॉक बचा हुआ है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 66.09 लाख टन से ज्यादा है।

चालू फसल सीजन में देश में सोयाबीन का उत्पादन 120.40 लाख टन का हुआ था, जबकि नई फसल की आवक के समय बकाया करीब 25.15 लाख टन का बचा हुआ था। अत: कुल उपलब्धता करीब 145.55 लाख टन की बैठी थी।

इस साल मानसून सामान्य रहने का अनुमान - आईएमडी

नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार इस साल मानसून सामान्य रहने का अनुमान है, तथा लॉन्ग पीरियड एवरेज (एलपीए) की 96 फीसदी बारिश हो सकती है हालांकि, इसमें 5 फीसदी कम या ज्यादा हो सकती है। हालांकि अगस्त-सितंबर में मानसून का दूसरे भाग पर अल-नीनो का प्रभाव देखने को मिल सकता है। इस दौरान बारिश सामान्य से कम रहने की उम्मीद है।


आईएमडी ने मंगलवार को बताया कि लॉन्ग पीरियड एवरेज (एलपीए) की 96 फीसदी बारिश हो सकती है, यदि बारिश एलपीए के 90-95 फीसदी के बीच होती है तो इसे सामान्य से कम माना  जाता है। एलपीए की 96 फीसदी 104 फीसदी हो तो इसे सामान्य बारिश कहा जाता है।

एलपीए अगर 104 फीसदी से 110 फीसदी के बीच है तो सामान्य से ज्यादा बारिश कहते हैं। 110 फीसदी से ज्यादा को एक्सेस बारिश और 90 फीसदी से कम बारिश को सूखा पड़ना कहा जाता है।

हालांकि एक दिन पहले मौसम की जानकारी देने वाली प्राइवेट एजेंसी स्काईमेट ने देश में सामान्य से कम बारिश का अनुमान लगाया था। स्काईमेट के कहा था कि देश के नॉर्दर्न और सेंट्रल रीजन में कम बारिश होने की सबसे ज्यादा संभावना है।

आईएमडी के अनुसार मई के अंतिम हफ्ते में मानसून का अगला अपडेट आएगा। वहीं अल-नीनो के असर पर कहां कि इस साल अल-नीनो का असर मानसून सीजन के दूसरे हाफ में दिख सकता है।

मौसम विभाग ने कहा कि अल-नीनो की स्थिति जरूर बनेगी, लेकिन ये बहुत ताकतवर नहीं, बल्कि मॉडरेट होगी। इसलिए इसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है। जिस साल अल-नीनो हो, तो कोई जरूरी नहीं है कि उस साल मानसून भी खराब हो जाये।

देश में खरीफ फसलों की खेती में मानसून की बड़ी भूमिका है। सामान्य खरीफ सीजन में देशभर के 70 से 80 फीसदी किसान सिंचाई के लिए बारिश के पानी पर निर्भर रहते हैं। ऐसे में उनकी पैदावार पूरी तरह से मानसून के अच्छे या खराब रहने पर निर्भर करती है।

हरियाणा में गेहूं की सरकारी खरीद में कटौती से आढ़तियों में नाराजगी, राज्य सरकार वहन करें कट

नई दिल्ली। हरियाणा के गेहूं किसानों पर पहले मौसम की मार पड़ी, अब केंद्रीय एजेंसियां लस्टर लॉस एवं  सिकुड़े तथा टूटे हुए गेहूं की खरीद कट लगाकर करेंगी। इससे जहां गेहूं किसानों को कम भाव मिलेगा, वहीं आढ़तियों को भी परेशानी आयेगी।

हरियाणा स्टेट अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अशोक गुप्ता के अनुसार गेहूं की खरीद के लिए लस्टर लॉस, सिकुड़े हुए तथा टूटे दाने के वैल्यू कट के बारे में भारत सरकार के खाद्य मंत्रालय की ओर से आज एक पत्र क्रमांक F-7-3/2023-S & 1 dt 10/04/2023 जारी किया गया है।

इस पत्र के अनुसार पूर्ण साफ एवं सूखे हुए गेहूं की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी 2,125 रुपये प्रति क्विंटल की दर से की जायेगी। इसके अलावा 6 से 8 फीसदी नमी एवं टूटे गेंहू पर कटौती 5.31 रुपये प्रति क्विंटल की जायेगी, तथा 8 से 10 फीसदी पर कटौती 10.62 रुपये के हिसाब से की जायेगी। इसके अलावा 10-12 फीसदी पर कटौती 15.92 रुपये, और 12-14 फीसदी पर कटौती 21.25 रुपये, तथा 14-16 फीसदी पर कटौती 26.56 रुपये के हिसाब से की जायेगी। इसके अलावा चमक के आधार पर 5.31 रुपये प्रति क्विंटल की दर से कटौती की जाएगी।

उन्होंने कहा कि मौसम की मार से पहले ही परेशान किसान की गेहूं पर यह वैलू कट लगाना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण हैं तथा हरियाणा के सभी आढ़ती इसका पूर्ण विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार से हमारी मांग है कि यह सब कट किसान के हित को देखते हुए सरकार स्वयं वहन करें और किसान को उसकी फसल का पूरा पैसा दे।


10 अप्रैल 2023

मार्च अंत तक चीनी का उत्पादन 3 फीसदी घटकर 299 लाख टन के पार - इस्मा

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2022 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2022-23 के पहले छह महीनों पहली अक्टूबर 2022 से मार्च 2023 तक चीनी का उत्पादन 3.22 फीसदी कम होकर 299.9 लाख टन का ही हुआ है, जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में इसका उत्पादन 309.9 लाख टन का हो चुका था।


चीनी उद्योग के शीर्ष संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन, इस्मा के अनुसार उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सीजन में मार्च 2023 तक 89 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 87.5 लाख टन से थोड़ा ज्यादा है।

महाराष्ट्र में चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन 13.88 लाख टन घटकर मार्च 2023 तक 104.92 लाख टन का ही हुआ है, जबकि पिछले पेराई सीजन में इस समय तक राज्य में 118.8 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका था।

कर्नाटक में चालू पेराई सीजन में मार्च 2023 तक चीनी का उत्पादन घटकर 55.2 लाख टन का ही हुआ है जोकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि के 57.2 लाख टन से कम है।

देश के अन्य राज्यों में चालू पेराई सीजन में मार्च 2023 तक चीनी का उत्पादन बढ़कर 51.2 लाख टन का हो चुका है, जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में इन राज्यों में केवल 46.4 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।

जनवरी में इस्मा ने विपणन सीजन 2022-23 में चीनी के उत्पादन अनुमान को 365 लाख टन से घटाकर 340 लाख टन कर दिया था जबकि विपणन सीजन 2021-22 में देश में चीनी का उत्पादन 358 लाख टन का हुआ था।

इस्मा के अनुसार 31 मार्च, 2023 तक देशभर में 194 चीनी मिलों में पेराई चल रही हैं, जबकि 338 मिलों में पेराई बंद हो चुकी थी। पिछले साल की समान अवधि में 366 मिलों में पेराई चल रही थी। महाराष्ट्र में पिछले साल इस समय तक 167 मिलों में पेराई चल रही थी जोकि इस साल 18 मिलें पेराई कर रही हैं। वहीं उत्तर प्रदेश में पिछले साल की 88 चीनी मिलों के मुकाबले इस साल 97 मिलें पेराई कर रही हैं।

पंजाब एवं हरियाणा में गेहूं के खरीद नियमों में ढील देने पर केंद्र कर रहा है विचार - केंद्रीय खाद्य सचिव

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के बाद पंजाब एवं हरियाणा में भी गेहूं की सरकारी खरीद के लिए गुणवत्ता मानदंडों में ढील देने पर केंद्र सरकार विचार कर रही है। इन राज्यों में हाल ही में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं की उत्पादकता के साथ ही क्वालिटी को भारी नुकसान हुआ  है।


केंद्रीय खाद्य सचिव ने कहा कि केंद्र जल्द ही पंजाब और हरियाणा में गेहूं की खरीद के लिए गुणवत्ता मानदंडों में ढील देने पर विचार करेगा। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश में गेहूं की खरीद के लिए गुणवत्ता मानकों में ढील दी गई है।

केंद्र सरकार का मानना है कि प्रमुख उत्पादक राज्यों में हाल ही में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से करीब 8-10 फीसदी गेहूं की फसल खराब होने का अनुमान है। हालांकि खराब मौसम के कारण फसल को हुए नुकसान के बावजूद सरकार को रिकॉर्ड 11.2 करोड़ टन गेहूं उत्पादन की उम्मीद है।

एफसीआई और राज्य एजेंसियों की ओर से गेहूं न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद पहले ही कई राज्यों में शुरू हो चुकी है, लेकिन हाल ही में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण मंडियों में गेहूं की आवक नहीं बढ़ पा रही है। सूत्रों के अनुसार उत्पादक राज्यों से एमएसपी पर अभी तक केवल 1,59,722.86 टन गेहूं की खरीद ही हुई है। इसमें सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश से 1,58,125.26 टन गेहूं की खरीद हुई है। उत्तर प्रदेश से इस दौरान 1,522.70 टन, पंजाब से केवल 5.80 टन एवं हरियाणा से 69.10 टन गेहूं की खरीद ही हुई है।

हरियाणा कृषि विभाग का कहना है कि राज्य में 20 फीसदी गेहूं की फसल को नुकसान हुआ है, वहीं पंजाब कृषि विभाग का कहना है कि राज्य में 40 फीसदी गेहूं की फसल बेमौसम बारिश एवं ओलावृष्टि और तेज हवाओं से प्रभावित हुई है।

हरियाणा के उपमुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से चालू रबी विपणन सीजन 2023-24 के दौरान खरीदे जा रहे गेहूं के गुणवत्ता मानदंडों में ढील देने का आग्रह किया है। राज्य में एक अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू हो गई है, लेकिन प्रतिकूल मौसम के कारण गेहूं की कटाई एवं थ्रेसिंग नहीं हो पा रही है।

केंद्र सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन 2023-24 में 341 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य तय किया है। पिछले रबी विपणन सीजन 2022-23 में भारतीय खाद्य निगम एमएसपी पर केवल 187.49 लाख टन गेहूं की खरीद ही कर पाई थी, जोकि तय लक्ष्य से काफी कम था। पहली अप्रैल 2023 से शुरू हुए रबी विपणन सीजन के लिए केंद्र सरकार ने गेहूं का एमएसपी 2,125 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है, जोकि पिछले रबी विपणन सीजन के मुकाबले 110 रुपये प्रति क्विंटल ज्यादा है। 

समर सीजन में दलहन एवं मोटे अनाजों की बुआई आगे, तिलहन की पिछड़ी

नई दिल्ली। समर सीजन में जहां दलहन और मोटे अनाजों की बुआई आगे चल रही है, वहीं तिलहन की बुआई में कमी आई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार देशभर में समर सीजन की फसलों की कुल बुआई 27.02 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है।


दलहन की बुआई चालू समर सीजन में बढ़कर 10.14 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 6.57 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। इस दौरान उड़द की बुआई 2.44 लाख हेक्टेयर में और मूंग की 7.51 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 2.33 और 3.98 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। अन्य दलहन की बुआई 0.19 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 0.27 लाख हेक्टेयर से कम है।

तिलहनी फसलों की बुआई चालू समर सीजन में घटकर 8.02 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 9.42 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। इस दौरान मूंगफली की बुआई 3.78 लाख हेक्टेयर में और शीशम की 3.75 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 4.81 और 3.75 लाख हेक्टेयर में हुई थी। अन्य तिलहनी फसलों में सनफ्लावर की बुआई 27 हजार हेक्टेयर में हुई है।

मोटे अनाजों की बुआई चालू समर में बढ़कर 8.86 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 8.36 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। बाजरा की बुआई 3.48 लाख हेक्टेयर में और मक्का की 5.13 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 2.96 और 5.06 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। ज्वार और रागी की बुआई क्रमश: 13 हजार और 12 हजार हेक्टेयर में ही हुई है।  

स्टॉकिस्टों की बिकवाली घटने से आयातित अरहर एवं उड़द महंगी, चना एवं मूंग के भाव घटे

नई दिल्ली। स्टॉकिस्टों की बिकवाली कमजोर बनी रहने से घरेलू बाजार में शनिवार को आयातित अरहर के साथ ही उड़द की कीमतों में तेजी दर्ज की गई, जबकि इस दौरान चना एवं मूंग के दाम कमजोर हो गए। मसूर में सीमित मांग से दाम लगभग स्थिर बने रहे।


बर्मा के स्थानीय बाजार में लेमन अरहर एवं उड़द की कीमतें रुक गई। उड़द एफएक्यू और  एसक्यू के दाम अप्रैल एवं मई शिपमेंट की फसल सीजन 2023 के क्रमश: 915 डॉलर और 1,015 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ पर स्थिर हो गए। इस दौरान लेमन अरहर के भाव 1,020 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ बोले गए।

बर्मा से उड़द के आयात पड़ते महंगे हैं इसलिए आयातकों को बिकवाली कमजोर बनी रहने से उड़द की कीमतों में तेजी दर्ज की गई। हालांकि उड़द दाल में दक्षिण भारत की मांग कमजोर है, साथ ही चालू महीने के मध्य तक रबी उड़द की आवक मंडियों में बढ़ेगी। केंद्र सरकार लगातार दलहन की कीमतों की समीक्षा कर रही है, इसलिए मिलर्स भी जरुरत के हिसाब से ही खरीद कर रहे हैं। ऐसे में उड़द में बढ़े दाम पर बिकवाली करते रहना चाहिए। आगामी दिनों में रबी उड़द की आवक उत्पादक मंडियों में बढ़ेगी।

घरेलू बाजार में बर्मा के साथ ही अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर के भाव तेज हुए है। महाराष्ट्र में बारिश होने के कारण देसी अरहर की आवक उत्पादक मंडियों में कम हुई है तथा मौसम अभी खराब बना रहने की आशंका है। जानकारों के अनुसार बर्मा के साथ ही अफ्रीकी देशों से अरहर के आयात पड़ते महंगे हैं। साथ ही घरेलू मंडियों में देसी अरहर की आवक पहले की तुलना में घटी है। ऐसे में अरहर की कीमतों में बड़ी गिरावट के आसार तो कम है, लेकिन केंद्र सरकार की सख्ती के कारण मिलर्स केवल जरुरत के हिसाब से अरहर की खरीद कर रहे हैं। इसलिए इसके भाव में सीमित तेजी, मंदी बनी रहने का अनुमान है। अरहर दाल में थोक साथ ही खुदरा में ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजोर है।

महाराष्ट्र की अकोला मंडी में नई अरहर की आवक खराब मौसम के कारण घटकर 1500 कट्टों की हुई तथा इसके बिल्टी भाव 50 रुपये तेज होकर दाम 8750 से 8775 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। हिंगनघाट मंडी में नई अरहर की आवक घटकर 1,800 कट्टों की हुई, तथा इसके दाम 7700 से 8920 रुपये प्रति क्विंटल क्वालिटीनुसार रहे।

जयपुर मंडी में नए चना के भाव 25 रुपये तेज होकर 5100 से 5150 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

झांसी मंडी में बोल्ड मसूर के भाव 5400 से 5500 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे तथा आवक 1,500 कट्टों की हुई। सफेद मटर के भाव 50 रुपये तेज होकर दाम 4100 से 4500 रुपये प्रति क्विंटल हो गए तथा आवक 1,200 कट्टों की हुई।

गुंटूर लाइन की नई मूंग के विजयवाड़ा डिलीवरी के बिल्टी भाव 7450 से 7500 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर रहे।

देसी के साथ ही आयातित मसूर के दाम स्थिर बने हुए हैं। व्यापारियों के अनुसार उत्पादक राज्यों में मौसम साफ है इसलिए नई मसूर की आवक चालू महीने के मध्य तक बढ़ेगी। चालू रबी सीजन में मसूर की बुआई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है जिससे उत्पादन अनुमान भी ज्यादा है। ऐसे में आगामी दिनों में मसूर की कीमतों में नरमी तो आयेगी, लेकिन बड़ी गिरावट के आसार कम है।  उत्पादक मंडियों में जहां पुरानी मसूर का बकाया स्टॉक कम है, वहीं आगामी दिनों में बंगाल के साथ ही असम की मांग बढ़ेगी। वैसे भी उत्पादक मंडियों में पुरानी मसूर का बकाया स्टॉक पिछले साल की तुलना में कम है।

दिल्ली में चना की कीमतें कमजोर बनी हुई हैं। जानकारों के अनुसार उत्पादक राज्यों में मौसम अनुकूल रहा तो नए चना की आवक बढ़ेगी, साथ ही दाल मिलों की खरीद में भी सुधार आयेगा। इसलिए आगे भाव में दाल मिलों की मांग बढ़ने पर सुधार तो आएगा, लेकिन अभी बड़ी तेजी के आसार नहीं है। नेफेड उत्पादक राज्यों से चना की एमएसपी पर बराबर खरीद कर रही हैं तथा अभी तक 624,429 टन चना की खरीद हो चुकी है।

दिल्ली में मूंग के भाव 100 रुपये कमजोर हो गए। मौसम अनुकूल रहा तो चालू महीने के मध्य तक नई मूंग की आवक बढ़ेगी। चालू रबी सीजन में मूंग की बुवाई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है साथ ही मूंग दाल में बढ़े भाव में ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजोर है, इसलिए दाल मिलें केवल जरुरत के हिसाब से ही खरीद कर रही है। हालांकि अच्छी क्वालिटी के मालों की उपलब्धता कम है। इसलिए आगे नई फसल की आवक बढ़ने पर इसके भाव में और भी गिरावट आने के आसार हैं।

दाल मिलों की मांग सुधरने से दिल्ली में उड़द एफएक्यू पुरानी एवं नई के दाम 50-50 रुपये तेज होकर भाव क्रमश: 7800 से 7825 रुपये और 7875 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान नई उड़द एसक्यू के दाम 75 रुपये तेज होकर 8500 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, जबकि पुरानी उड़द एसक्यू के दाम 75 रुपये बढ़कर 8425 से 8450 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

मुंबई में उड़द एफएक्यू पुरानी और नई के दाम 100 रुपये बढ़कर क्रमश: 7650 से 7750 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

चेन्नई में नई उड़द एसक्यू के दाम हाजिर डिलीवरी के बढ़कर 8200 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान उड़द एफएक्यू के भाव हाजिर डिलीवरी के 7550 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।  

दाल मिलों की खरीद बढ़ने से दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर के भाव 75 रुपये तेज होकर दाम 8550 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। हाजिर बाजार में अरहर का स्टॉक कमजोर है।

इस दौरान चेन्नई में लेमन अरहर के भाव 50 रुपये तेज होकर 8150 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

दाल मिलों की सीमित मांग के कारण मुंबई में लेमन अरहर के दाम 8150 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

मुंबई में अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर के दाम तेज हुए। मोजाम्बिक लाइन की गजरी अरहर की कीमतें 50 रुपये बढ़कर भाव 6800 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान मोजाम्बिक की सफेद अरहर के भाव 6900 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। सूडान से आयातित अरहर के दाम 50 रुपये बढ़कर 8250 से 8450 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। मलावी से आयातित अरहर के दाम 100 रुपये बढ़कर 6700 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंच गए।

दाल मिलों की सीमित मांग से दिल्ली में मध्य प्रदेश की मसूर के दाम 6,150 से 6,175 प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान कनाडा की मसूर के दाम 6,050 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

हजिरा बंदरगाह पर कनाडा की मसूर के भाव 5,881 से 5,900 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान मुंद्रा बंदरगाह पर कनाडा की मसूर के दाम 5,781 से 5,800 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। ऑस्ट्रेलिया की मसूर की कीमतें वैसल में 5,800 से 5,850 रुपये प्रति क्विंटल के पूर्व स्तर पर स्थिर हो गई। कनाडा की मसूर की कीमतें कंटेनर में 6,150 से 6,200 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गई। ऑस्ट्रेलिया की मसूर की कीमतें कंटेनर में 6,250 से 6,300 रुपये प्रति क्विंटल बोली गई।

दिल्ली में राजस्थान के नए चना के भाव कमजोर होकर 5150 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि पुराने चना के भाव घटकर 5225 रुपये प्रति क्विंटल बोले। इस दौरान मध्य प्रदेश के चना के भाव घटकर 5175 से 5200 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। हालांकि उत्पादक मंडियों में शाम के सत्र में चना की कीमतों में 25 से 50 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई।

राजस्थान लाईन की मूंग की कीमतें दिल्ली में 100 रुपये कमजोर होकर दाम 8900 से 9000 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दलहन के स्टॉक की सही जानकारी के लिए केंद्र ने राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों को कहां

नई दिल्ली। केंद्र सरकार दलहन की कीमतों में चल रही तेजी को लेकर काफी सजग है। इसलिए केंद्र सरकार ने राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर दलहन के स्टॉक की सही जानकारी देने के लिए डेटा संग्रह का दायरा बढ़ाने के लिए कहा है।


अरहर, चना एवं उड़द जैसी प्रमुख दालों के स्टॉक की सही जानकारी देने के लिए केंद्र सरकार ने राज्य से कहां है। केंद्र सरकार ने सभी हितधारकों एफएसएसएआई, एपीएमसी, वेयरहाउस, जीएसटी और बंदरगाह पर दलहन के स्टॉक की सही जानकारी के लिए विभिन्न नोडल एजेंसियों और विभागों को गोदाम में रखे स्टॉक की जानकारी देने के लिए राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है।

उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के मुताबिक उपभोक्ता मामले विभाग के सचिव रोहित कुमार सिंह ने यह निर्देश जारी किया है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि उन्होंने प्रमुख दाल आयातकों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि उनके पास उपलब्ध सभी स्टॉक नियमित रूप से पारदर्शी तरीके से घोषित किया जाएं।

मंत्रालय ने कहा कि अतिरिक्त सचिव निधि खरे की अध्यक्षता वाली समिति ने बुधवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ बैठक की, जिसमें उनसे अनुरोध किया गया कि स्टॉक डिक्लेरेशन पोर्टल में पंजीकृत संस्थाओं की संख्या बढ़ाने के लिए सभी स्रोतों का पता लगाया जाए।
राज्यों से यह भी अनुरोध किया गया था कि वे सार्वजनिक और निजी दोनों तरह के वेयरहाउस सेवा प्रदाताओं से भी जानकारी प्राप्त करें।

इससे पहले, केंद्र सरकार ने व्यापारियों, मिलर्स एवं आयाताकों से अरहर के स्टॉक की जानकारी केंद्रीय पोर्टल पर अपलोड करने का अनुरोध किया था। हालांकि, बहुत कम संस्थाओं ने पोर्टल पर अपना पंजीकरण कराया है।

इसलिए, केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के साथ ही केंद्र शासित प्रदेशों को दालों के सभी हितधारकों से स्टॉक की पूरी जानकारी सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न विभागों के माध्यम से मांगने के लिए मजबूर किया है।

केंद्र सरकार ने 28 मार्च को सभी हितधारकों से बैठक कर प्रमुख दाल आयातकों को नियमित रूप से पारदर्शी तरीके से अपने स्टॉक की घोषणा करने का निर्देश दिया था।

06 अप्रैल 2023

बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं की करीब 8-10 फीसदी फसल खराब होने का अनुमान - केंद्र सरकार

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मंगलवार को कहा कि प्रमुख उत्पादक राज्यों में हाल में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं की करीब 8 से 10 फीसदी फसल खराब होने का अनुमान है। हालांकि लेकिन देर से बुवाई वाले क्षेत्रों में बेहतर उपज की संभावना से उत्पादन में होने वाले नुकसान की भरपाई की उम्मीद है। कृषि आयुक्त पी के सिंह ने कहा कि हाल के खराब मौसम के बावजूद कृषि मंत्रालय के दूसरे अनुमान के अनुसार इस साल देश का कुल गेहूं उत्पादन रिकॉर्ड 11.22 करोड़ टन पर पहुंच जाएगा।

पिछले कुछ दिनों से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में पश्चिमी विक्षोभ के कारण गरज, ओलावृष्टि और तेज हवाओं के साथ बेमौसम बारिश ऐसे समय हुई है, जब फसल कटाई के लिए लगभग तैयार थी। प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों के सीनियर अधिकारियों के साथ फसल क्षति की समीक्षा बैठक के बाद पीटीआई-भाषा से बात करते हुए सिंह ने कहा कि बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से कुछ स्थानों पर फसल को नुकसान हुआ है और साथ ही देर से की गई बुवाई वाले क्षेत्रों में उपज में वृद्धि हुई है।

कृषि आयुक्त पी के सिंह ने कहा कि लगभग 8 से 10 फीसदी गेहूं की फसल क्षति का अनुमान उन क्षेत्रों में लगाया गया है जो ओलावृष्टि, आंधी और तेज हवाओं के कारण पौधों के जमीन पर गिरने से हुआ है। उन्होंने कहा कि इस साल देश में कुल 3.4 करोड़ हेक्टेयर गेहूं बोए जाने के मद्देनजर गेहूं को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है। कृषि आयुक्त ने कहा कि अन्य स्थानों पर जहां ओलावृष्टि और तेज हवाएं नहीं थीं, बेमौसम बारिश ने मिट्टी की नमी में सुधार किया है और गेहूं की फसल की उपज की संभावनाओं को बढ़ाया है।

पी के सिंह ने आगे कहा कि बेमौसम बारिश से अधिक क्षेत्र में फसल को फायदा हुआ है और देर से बुवाई वाले क्षेत्रों में फसल की पैदावार 10 से 15 फीसदी अधिक होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश और राजस्थान में 80 फीसदी गेहूं की फसल कट चुकी है, इसलिए इन दोनों राज्यों में फसल को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है।

पी के सिंह ने कहा कि अन्य राज्यों में, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में गेहूं का लगभग 25 फीसदी क्षेत्र देर से बोया गया था और इन स्थानों पर बेमौसम बारिश से फसल की वृद्धि में मदद मिल रही है। उन्होंने कहा कि इसलिए फसल के नुकसान की वजह से होने वाली संभावित क्षति की भरपाई बाकी पैदावार में बढ़ोतरी से हो जाएगी।

उधर बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से मध्य प्रदेश में लगभग 70 हजार हेक्टेयर में नुकसान हुआ है। राज्य के मुख्यमंत्री ने बताया कि सर्वे के आधार पर 64 करोड़ रुपये की राहत राशि का आंकलन हुआ है। साथ ही उन्होंने बताया कि 4-5 जिलों की सर्वे रिपोर्ट आना अभी बाकी है।   जिन जिलों में ओले गिरे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गेहूं खरीद का कार्य भी आरंभ हो चुका है, तथा गेहूं खरीद की उचित व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है। उन्होंने कहा कि वर्षा से प्रभावित चमकहीन गेहूं भी खरीदा जाएगा। संकट के समय किसानों को हर संभव सहयोग देने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। 

गुजरात में समर फसलों की बुआई 96 फीसदी से ज्यादा

नई दिल्ली। चालू सीजन में गुजरात में समर फसलों की बुआई 95.56 फीसदी हो चुकी है। राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार समर फसलों की बुआई 10.09 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 10.10 लाख हेक्टेयर से थोड़ी कम है। राज्य में चालू समर में फसलों की बुआई का लक्ष्य 10.44 लाख हेक्टेयर का तय किया गया है।


राज्य में समर बाजरा की बुआई बढ़कर 2.70 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 2.43 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। धान की रोपाई 78,850 हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 73,073 हेक्टेयर में ही हुई थी।

दलहन में मूंग की बुआई 41,840 हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 65,409 हेक्टेयर में हो चुकी थी। इसी तरह से उड़द की बुआई घटकर चालू समर में केवल 19,832 हेक्टेयर में हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 23,884 हेक्टेयर में हो चुकी   थी।

तिलहन फसलों में मूंगफली की बुआई 47,683 हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 59,328 हेक्टेयर में हो चुकी थी। हालांकि शीशम की बुआई बढ़कर चालू समर में 1.12 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के एक लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

ग्वार सीड की बुआई राज्य में 2,607 हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 5,148 हेक्टेयर से पिछड़ रही है। 

केंद्र की सख्ती से अरहर एवं उड़द के साथ ही मसूर के भाव घटे, चना में सुधार

नई दिल्ली। केंद्र सरकार के दबाव से स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली बनने से घरेलू बाजार में शनिवार को अरहर एवं उड़द के साथ ही मसूर की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई, जबकि चना के भाव तेज हुए। इस दौरान मूंग के दाम स्थिर बने रहे।


व्यापारियों के अनुसार मार्च क्लोजिंग के कारण दालों में थोक के साथ ही खुदरा में ग्राहकी कमजोर है, साथ ही मिलें भी केवल जरुरत के हिसाब से ही दलहन की खरीद कर रही हैं। अत: व्यापार सीमित मात्रा में ही हो रहा है।

आयातित उड़द की कीमतों में घरेलू बाजार में गिरावट दर्ज की गई, हालांकि घटे दाम पर आयातकों बिकवाली कमजोर देखी गई। जानकारों के अनुसार बर्मा में दाम तेज होने के कारण उड़द के आयात पड़ते महंगे हैं इसलिए आयातक दाम घटाकर बेचना नहीं चाहते। उधर उड़द दाल में बढ़े दाम पर दक्षिण भारत की मांग कमजोर है, साथ ही मार्च क्लोजिंग के कारण मिलें केवल जरुरत के हिसाब से ही खरीद कर रही हैं। इसलिए इसके भाव में हल्की तेजी, मंदी बनी रहने की उम्मीद है। अप्रैल में रबी उड़द की आवक मंडियों में बढ़ेगी, उसके बाद भाव में नरमी आ सकती है।

केंद्र सरकार की सख्ती के से घरेलू बाजार में लेमन एवं अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर के भाव कमजोर हुए है, लेकिन नीचे दाम पर स्टॉकिस्टों की बिकवाली कमजोर हुई। व्यापारियों के अनुसार अनुसार बर्मा के साथ ही अफ्रीकी देशों से अरहर के आयात पड़ते महंगे हैं, साथ ही प्रतिकूल मौसम से अफ्रीकी देशों में भी नई अरहर की आवकों में देरी की आशंका है। घरेलू मंडियों में देसी अरहर की आवक जरुर पहले की तुलना में घटी है। हालांकि केंद्र सरकार जिस तरह से दलहन की कीमतों को लेकर सख्ती बरत रही है, उसे देखते हुए अभी इसके भाव में बड़ी तेजी मानकर व्यापार नहीं करना चाहिए। वैसे भी अरहर दाल में ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजोर है।

कर्नाटक की गुलबर्गा मंडी में नई अरहर की आवक 7 हजार कट्टों की हुई तथा इसके भाव 100 रुपये कमजोर होकर 8200 से 8500 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। लातूर मंडी में नई अरहर के बिल्टी दाम 150 रुपये कमजोर होकर भाव 8600 से 8700 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

गुलबर्गा मंडी में नए चना के भाव 4800 से 5000 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए, तथा आवक 3,000 कट्टों की हुई।

झांसी मंडी में देसी मसूर के भाव 5500 से 5600 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे, तथा आवक 1,200 कट्टों की हुई। मंडी में सफेद मटर की आवक 3,000 कट्टों की हुई तथा भाव 4,000 से 4,550 रुपये और हरी मटर के दाम 5,000 से 5,500 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
 
व्यापारियों के अनुसार दिल्ली में मसूर के दाम कमजोर हुए, जबकि मुंबई में आयातित मसूर के दाम स्थिर बने रहे। हालांकि उत्पादक राज्यों में मौसम खराब है। व्यापारियों के अनुसार मौसम साफ रहा तो नई मसूर की आवक उत्पादक मंडियों में अप्रैल में बढ़ेगी, तथा चालू चालू रबी सीजन में मसूर की बुआई बढ़ी है जिससे उत्पादन अनुमान भी ज्यादा है। हालांकि घरेलू बाजार में पुरानी मसूर का बकाया स्टॉक पिछले साल की तुलना में कम है। उधर कनाडा के साथ ही ऑस्ट्रेलिया से आयात बराबर बना रहेगा। इसलिए मसूर के भाव में अभी सीमित तेजी, मंदी बनी रहने का अनुमान है।

दिल्ली में चना के भाव में तेजी आई है, हालांकि बढ़े दाम पर मिलों की मांग कमजोर बनी रही। मार्च क्लोजिंग के कारण मिलें केवल जरुरत के हिसाब से ही चना की खरीद कर रही हैं। इसलिए भाव में अभी सीमित तेजी, मंदी रहेगी मौसम साफ रहा तो अप्रैल में उत्पादक मंडियों में नए चना की आवक बढ़ेगी, साथ ही दाल मिलों की खरीद भी बढ़ेगी। नेफेड ने कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और गुजरात में एमएसपी पर 3,48,524 टन चना की खरीद की है।

दिल्ली में मूंग के भाव दूसरे दिन भी स्थिर बने रहे। व्यापारियों के अनुसार व्यापार सीमित मात्रा में होने से कीमतों में अभी ज्यादा तेजी, मंदी के आसार नहीं है। हालांकि हाजिर बाजार में अच्छी क्वालिटी की उपलब्धता कम है, लेकिन मौसम अनुकूल रहा तो अप्रैल में नई मूंग की आवक बढ़ेगी। वैसे भी चालू रबी सीजन में मूंग की बुवाई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है। मूंग दाल में बढ़े भाव में ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजोर है, इसलिए दाल मिलें केवल जरुरत के हिसाब से ही खरीद कर रही है।

दाल मिलों की मांग कमजोर होने से दिल्ली में उड़द एफएक्यू पुरानी एवं नई के दाम 75-100 रुपये कमजोर होकर भाव क्रमश: 7775 से 7800 रुपये और 7825 से 7850 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान नई उड़द एसक्यू के दाम 125 रुपये कमजोर होकर 8425 से 8450 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि पुरानी उड़द एसक्यू के दाम 100 रुपये घटकर 8375 से 8400 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मुंबई में नई उड़द एफएक्यू की कीमतों में 100 रुपये की गिरावट आकर भाव 7550 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

चेन्नई में उड़द एसक्यू के दाम हाजिर डिलीवरी के 8200 रुपये प्रति क्विंटल स्थिर हो गए। इस दौरान उड़द एफएक्यू के भाव हाजिर डिलीवरी के 7600 रुपये प्रति क्विंटल के पूर्व स्तर पर स्थिर रहे।  

दाल मिलों की खरीद घटने से दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर के भाव 225 रुपये कमजोर होकर दाम 8400 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

इस दौरान चेन्नई में लेमन अरहर के भाव 225 रुपये कमजोर होकर 7925 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दाल मिलों की मांग घटने के कारण मुंबई में लेमन अरहर के दाम 200 रुपये घटकर भाव 8000 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मुंबई में अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर के दाम कमजोर हुए। मोजाम्बिक लाइन की गजरी अरहर की कीमतें 150 रुपये कमजोर होकर 6750 रुपये प्रति क्विंटल रह गई। इस दौरान मोजाम्बिक की सफेद अरहर के भाव 100 रुपये घटकर 6950 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। सूडान से आयातित अरहर के दाम 200 रुपये घटकर 8350 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। मलावी से आयातित अरहर के दाम 6550 से 6650 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

दाल मिलों की मांग कमजोर होने से दिल्ली में मध्य प्रदेश की मसूर के दाम 25 रुपये कमजोर होकर भाव 6,250 प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान कनाडा की मसूर के दाम 25 रुपये घटकर 6,050 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

कनाडा की मसूर की कीमतें कंटेनर में 6,150 से 6,200 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गई। इस दौरान ऑस्ट्रेलिया की मसूर की कीमतें कंटेनर में 6,250 से 6,300 रुपये प्रति क्विंटल के पूर्व स्तर पर स्थिर हो गई। मुंद्रा बंदरगाह पर कनाडा की मसूर के दाम 5800 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। इस दौरान हजिरा बंदरगाह पर कनाडा की मसूर के भाव 5,900 से 5,925 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

दिल्ली में राजस्थान के नए चना के भाव 25 रुपये बढ़कर 5250 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, जबकि पुराने चना के भाव 25 रुपये तेज होकर 5350 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। इस दौरान मध्य प्रदेश के चना के भाव 50 रुपये तेज होकर 5325 से 5350 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

राजस्थान लाईन की मूंग की कीमतें दिल्ली में 9200 से 9300 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही।