कुल पेज दृश्य

21 जनवरी 2022

बासमती चावल में निर्यात मांग कमजोर, बासमती के कुल निर्यात में कमी आने की आशंका

नई दिल्ली। घरेलू मंडियों में धान की नई फसल की आवक अब कम होने लगी है, जबकि आमतौर पर नवंबर से जनवरी के दौरान बासमती चावल के सबसे ज्यादा निर्यात सौदे होते हैं, लेकिन चालू सीजन में ईरान के साथ ही इराक की आयात मांग सामान्य की तुलना में कम आने से घरेलू बाजार में महीनेभर में धान के साथ ही चावल की कीमतों में बड़ी  गिरावट आई है।

व्यापारियों के अनुसार  घरेलू मंडियों में पूसा 1,121 किस्म के धान के भाव पिछले दिनों बढ़कर 3,900 से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल और ट्रेडिशनल बासमती के बढ़कर 4,300 से 4,400 रुपये प्रति क्विंटल हो गए थे। इस समय उत्पादक मंडियों में पूसा 1,121 बासमती धान के भाव 3,600 से 3,800 रुपये क्विंटल चल रहे हैं। इसी तरह से उत्पादक राज्यों में पूसा 1,121 किस्म के स्टीम चावल के दाम 7,400 से 7,500 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं, जबकि पिछले दिनों इसके भाव 8,200 से 8,300 रुपये प्रति क्विंटल तक हो गए थे।  

चालू वित्त वर्ष में जहां गैर बासमती चावल के निर्यात में बढ़ोतरी होने का अनुमान है, वहीं बासमती चावल के निर्यात में 18 से 20 फीसदी की कमी आने की आशंका है। जानकारों के अनुसार ईरान के साथ ही इराक की आयात मांग कमजोर होने से बासमती चावल के कुल निर्यात में कमी आने की आशंका है। हालांकि सऊदी अरब की बासमती चावल मेें इस समय आयात मांग अच्छी है तथा जानकारों का मानना है कि आगे ईरान और इराक के साथ ही अन्य देशों की आयात मांग भी बढ़ेगी।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2021-22 के पहले आठ महीनों अप्रैल से नवंबर तक देश से बासमती चावल का निर्यात 24.02 लाख टन का और गैर बासमती चावल का निर्यात 108.82 लाख टन का हुआ है। मूल्य के हिसाब से बासमती चावल का निर्यात अप्रैल से नवंबर के दौरान 15,305.59 करोड़ रुपये का और गैर बासमती चावल का निर्यात 28,932.78 करोड़ रुपये का हुआ है।  

नवंबर में देश से जहां 2.39 लाख टन बासमती चावल का निर्यात हुआ है, वहीं इस दौरान गैर बासमती चावल का निर्यात 12.52 लाख टन का हुआ है।

वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान देश के बासमती चावल का निर्यात 46.31 लाख टन का और गैर बासमती चावल का 130.87 लाख टन का हुआ था। 

कोई टिप्पणी नहीं: