नई दिल्ली। भारत की आयात मांग कमजोर होने बर्मा में उड़द और अरहर की कीमतों में मंदा आया। बर्मा में उड़द एफएक्यू और एसक्यू के भाव मंगलवार को 10 से 15 डॉलर घटकर क्रमश: 795 डॉलर और 885 डॉलर प्रति टन रह गए। इसी तरह से बर्मा में लेमन अरहर के भाव में पांच डॉलर की नरमी आकर भाव 795 डॉलर प्रति टन रह गए। भारतीय आयातक सीमित मात्रा में ही आयात सौदे कर रहे हैं, ऐसे में बर्मा के स्थानीय बाजार में अरहर और उड़द की कीमतों में और भी 20 से 30 डॉलर प्रति टन की गिरावट आने का अनुमान है।
म्यांमार में इस साल उड़द का उत्पादन 6.75 लाख टन आंका गया है। कुल उपलब्धता 6.80 लाख मीट्रिक टन है। वहां के ट्रेड एसोसिएशन भारत सरकार से मांग कर चुके हैं कि वह आयात कोटा बढ़ा दे। भारत ने म्यांमार से पांच वर्षीय एमओयू साइन किया है। इसके अनुसार भारत 2.5 लाख टन उड़द सालाना आयात करेगा। इस कोटे को बढ़ाने की मांग उठ रही है। हालांकि देश में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव है इसलिए सरकार आयात कोटे को अभी नहीं बढ़ायेगी। वैसे भी आगे आंध्रप्रदेश और तेलंगाना में उड़द की नई फसल की आवक बढ़ेगी।
बीते सप्ताह के दोरान अरहर में 300 रूपये क्विंटल की मजबूती आई थी, लेकिन आयातित की खेप और घरेलु मंडियों में अरहर की आवक में बढ़ोतरी की उम्मीद से इस सप्ताह की शुरुआत नरमी के साथ हुई। इस बीच मोज़ाम्बीक से लगभग 2 जहाज में तुवर आने से भी कीमतों पर दबाव देखा गया। महाराष्ट्र के विदर्भ में बारिश से तुवर में मॉइस्चर अधिक आने से मिलर्स की ग्राहकी सुस्त है। अमरावती, वाशिम, अकोला जिले में बारिश के कारण तुवर का प्रेशर बनने में 10 दिन का समय लग सकता है। अच्छी क्वालिटी की नई अरहर नहीं मिलने से पुराने तुवर में ही मांग सुधरने का अनुमान है। बर्मा में अरहर का ओपनिंग स्टॉक 10,000 टन और अरहर का उत्पादन 2.50 लाख टन के साथ कुल उपलब्धता 2.6 लाख टन की बैठेगी।
घरेलू मंडियों में आगे नई फसल की आवक बढ़ेगी, इसलिए अरहर और उड़द की कीमतों में बड़ी तेजी मानकर व्यापार नहीं करना चाहिए।
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