30 मार्च 2013
सरकार डाल-डाल, ज्वैलर पात-पात
भले ही सरकार सोने के बिक्री को घटाने के तमाम इंतजाम कर रही हो लेकिन आभूषण निर्माता भी बिक्री बढ़ाने के नए तरीके आजमा रहे हैं। ग्राहकों को लुभाने के लिए ज्वैलर जेवर बनाने में छूट देने से लेकर और भी उपाय निकाल रहे हैं। इससे कीमतें प्रतिस्पर्धी होने की वजह से आयात शुल्क में बढ़ोतरी का असर कुछ संतुलित हुआ है।
सरकार पिछले 14 महीनों के दौरान सोने पर आयात शुल्क 6 गुना बढ़ा चुकी है। मगर अब तक आभूषण निर्माताओं ने 'स्वर्ण संचय योजना (गोल्ड एक्युमुलेशन स्कीम)Ó और जेवर बनाने के शुल्क में भारी छूट देकर इस असर को बेअसर कर दिया है। स्वर्ण संचय योजना के तहत योजना समाप्ति पर आभूषणों को बेचा भी जा सकता है। इस दौड़ में हाल ही में गीतांजलि जेम्स भी शामिल हुई है। स्वर्ण मंगल गोल्ड और शगुन डायमंड ज्वैलरी एक्युमुलेशन योजना के तहत कंपनी 24 महीने की योजना में ग्राहक द्वारा जमा कराई जाने वाली मासिक किस्त पर 4.5 गुना फ्री बोनस की पेशकश कर रही है। योजना समाप्ति पर कंपनी जेवर बनाने के शुल्क में 60 फीसदी छूट दे रही है।
इस तरह संचय योजना के तहत ग्राहक का कुल वार्षिक प्रतिफल 19 फीसदी बनता है। यह जेवर बनाने में दी जा रही औसतन 6 फीसदी अतिरिक्त छूट के अलावा है। सोने के आभूषण बनाने में औसतन 10 फीसदी शुल्क लगता है। इस तरह गीतांजलि की सोना और हीरा संचय योजना के तहत निवेश करने पर कुल वार्षिक प्रतिफल 25 फीसदी हो जाता है, जो देश में किसी ज्वैलर द्वारा दिया जाने वाला सबसे ज्यादा रिटर्न है।
गीतांजलि जेम्स के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक मेहुल चोकसी ने कहा, 'हमारा लक्ष्य इन योजनाओं के तहत एक साल में कम से कम 20,000 नए ग्राहकों को जोडऩा है। इन पेशकशों का बुनियादी मकसद भारत में हीरों की बिक्री का विस्तार करना है। साथ ही आकर्षक पेशकशों के जरिये हम सोने की बिक्री में अपनी पहुंच का विस्तार करना चाहते हैं।Ó ऐसी योजनाएं भारत में नई नहीं है। दूसरी आभूषण कंपनियां जैसे तनिष्क, त्रिभुवनदास भीमजी जवेरी (टीबीजेड) और पीसी ज्वैलर्स अपने ग्राहकों को बोनस किस्त देने की पेशकश कर रही हैं।
मुंबई की टीबीजेड 24 महीनों की योजना में 3.5 गुना बोनस किस्त की पेशकश कर रही है। उदाहरण के लिए इस योजना के तहत अगर एक निवेशक हर महीने 5,000 रुपये का निवेश करता है तो परिपक्वता के समय उसे 17,500 रुपये की अतिरिक्त रकम मिलेगी।
टीबीजेड के चेयरमैन श्रीकांत जवेरी ने कहा, 'यह हमारे ग्राहकों के लिए एक अतिरिक्त सेवा है। ऐसी योजनाओं के जरिये हम अपने वफादार ग्राहकों को बेहतर समझ पाए हैं।Ó दिल्ली की सोने एवं हीरों के आभूषण बनाने और बिक्री करने वाली कंपनी पीसी ज्वैलर्स महज 12 महीनों की योजना पर मासिक किस्त का दोगुना बोनस के रूप में देती है। ये सभी योजनाएं कम से कम 1,000 रुपये मासिक जमा से शुरू होती हैं। सरकार की कोशिशों के बावजूद देश का स्वर्ण आयात अप्रैल, 2012 से 12 दिसंबर, 2012 के बीच 2,065 अरब रुपये का रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि सोने का आयात चालू वित्त वर्ष के अंत तक पिछले वर्ष के आयात 2,695 अरब रुपये के आंकड़े को पार कर जाएगा।
वल्र्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) भी भारत में चमकीली धातु की खपत कम न होने की बात से सहमत है। डब्ल्यूजीसी के वैश्विक एमडी (आभूषण) डेविड लैंब ने हाल में अनुमान जताया कि 2013 में भारत का सोने का आयात 865 से 965 टन के बीच रहेगा, जो पिछले साल के स्तर 864.2 टन से ज्यादा है। उद्योग के दिग्गज और ऑल इंडिया जेम्स ऐंड ज्वैलरी ट्रेड फेडरेशन (जीजेएफ) के पूर्व चेयरमैन अशोक मिनावाला ने कहा, 'सरकार की कोशिशों से केवल ग्राहकों के लिए सोना और महंगा होगा। इससे खरीदारों की भूख कम नहीं होगी। सरकार को चालू खाता घाटा को कम करने के लिए अन्य विकल्पों पर विचार करना चाहिए। (BS Hindi)
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