22 मार्च 2013
किसानों की हुंकार के आगे झुकी सरकार
किसानों के संघर्ष की मुहिम रंग लाती दिख रही है। हुंकार के आगे झुकी सरकार ने किसान प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए महत्वपूर्ण मुद्दों पर समितियां गठित करने पर सहमति दे दी है। इनमें केंद्र सरकार के मंत्री भी शामिल रहेंगे। उम्मीद जताई जा रही है कि समिति एक-डेढ़ महीने में रिपोर्ट सौंप देगी।
जल-जंगल-बीज-जमीन, हों किसानों के अधीन..की हुंकार बुलंद कर भारतीय किसान यूनियन की अगुवाई दिल्ली में जुटे खेतीहरों की बात आखिर सरकार को सुननी पड़ी। बुधवार रात मंत्री समूह से किसान प्रतिनिधिमंडल की वार्ता हुई तो गुरुवार को कृषि मंत्री शरद पवार से भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के नेतृत्व में किसान प्रतिनिधि मंडल की वार्ता हुई। वार्ता के दौरान कृषि मंत्री ने बुधवार रात दिए मंत्री समूह के आश्वासन पर अमल करते हुए समिति गठित करने पर सहमति दे दी। इन समितियों में एफआरपी (फेयर एंड रेम्युनरेटिव प्राइस), एफडीआइ-आर (फॉरन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट इन रिटेल) व एफटीए (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट) पर कमेटी गठित होंगी। भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बताया कि बुधवार को मंत्री समूह ने समिति गठन का आश्वासन दिया था। गुरुवार को कृषि मंत्री ने समितियों पर अपनी सहमति दे दी। उन्होंने बताया कि एफआरपी (उचित लाभकारी मूल्य) पर गठित समिति की बैठक अप्रैल के पहले सप्ताह में होगी। एफआरपी कमेटी में किसानों की ओर से राकेश टिकैत, अजमेर सिंह लाखोवाल, युद्धवीर सिंह व नजुंडा स्वामी शामिल हैं। भाकियू प्रवक्ता ने कहा कि अन्य समितियों में भी विषय विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि समितियां एक-डेढ़ माह में रिपोर्ट सौंप देंगी।
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यह थीं मुख्य मांगें
- किसानों की आय की सुरक्षा, यानी उचित लाभकारी मूल्य मिले।
- भूमि अधिग्रहण बिल में आवश्यक संशोधन व श्वेतपत्र जारी हो।
- खुला व्यापार समझौता रद हो।
- देश में जीएम बीजों का परीक्षण बंद हो, परंपरागत व जैविक खेती पर बल दिया जाए।
- किसान आय आयोग का तत्काल गठन किया जाए।
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