23 मार्च 2013
नरम पड़े खाद्य तेलों के तेवर
आमतौर पर त्योहारों पर चढऩे वाले खाद्य तेलों के भाव इस होली पर ठंडे पड़ रहे हैं। बीते एक माह में इनके भाव 3 से 5 फीसदी गिर चुके हैं। साल भर में घरेलू खाद्य तेलों के दाम 7 से 15 फीसदी और विदेशी बाजारों में तेल 30 फीसदी सस्ते हुए हैं। कारोबारियों का कहना है कि सरसों की पैदावार 20 फीसदी बढऩे से घरेलू खाद्य तेलोंं में मंदी का रुख है। विदेशी तेल सस्ते होने से इनका आयात बढ़ रहा है जिससे भी कीमतें घट रही हैं। चालू तेल वर्ष (नवंबर-फरवरी) में खाद्य तेल का आयात 22 फीसदी बढ़कर 37.35 लाख टन पहुंच गया।
महीने भर में सरसों तेल (दादरी) 720 रुपये से घटकर 680 रुपये, रिफाइंड सोयाबीन तेल (इंदौर) 705 रुपये से घटकर 675 रुपये और सूरजमुखी तेल 715 रुपये से घटकर 690 रुपये प्रति 10 किलोग्राम पर आ चुका है। इस दौरान आयातित तेलों में आरबीडी पामोलीन 870 डॉलर से गिरकर 840 डॉलर, सोया डिगम तेल 1,200 डॉलर से गिरकर 1,100 डॉलर प्रति टन पर आ गया। हालांकि आयात शुल्क बढऩे के कारण क्रूड पाम तेल (सीपीओ) 800 डॉलर के भाव पर स्थिर है। दिल्ली खाद्य तेल कारोबारी संघ के सचिव हेमंत गुप्ता ने कहा कि सोयाबीन और सरसों की पैदावार अच्छी होने से त्योहार में भी दाम घट रहे हैं।
सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री ऐंड ट्रेड (कोएट) के पूर्व अध्यक्ष सत्यनारायण अग्रवाल ने कहा कि अंतरराष्टï्रीय बाजार में खाद्य तेलों की उपलब्धता ज्यादा होने से वहां इनके दाम गिरे हैं, जिससे इनका आयात तेजी से बढ़ रहा है। कोएट के अध्यक्ष लक्ष्मीचंद अग्रवाल कहते हैं कि सीपीओ पर आयात शुल्क बढऩे से इसके और रिफाइंड पामोलीन की कीमतों में अंतर 70 डॉलर से घटकर 40 डॉलर प्रति टन रह गया है। जिससे रिफाइंड पामोलीन का आयात बढ़ रहा है। नई फसल आने से सरसों तेल में करीब 18 फीसदी गिरावट आई है। (BS Hindi)
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