04 मार्च 2013
प्रतिकूल मौसम से घटेगा रबी उत्पादन
खराब मौसम के साथ-साथ बुआई सीजन के दौरान आंध्र प्रदेश में नीलम चक्रवात की वजह से हुए नुकसान और उसके बाद फसलों की कटाई के दौरान हफ्ते भर हुई बेमौसम की बारिश से इस साल रबी फसलों के उत्पादन में भारी गिरावट की आशंका है।
हालांकि किसी भी आधिकारिक एजेंसी ने आंध्र प्रदेश में फसलों को हुई क्षति का आकलन नहीं किया है, लेकिन ऐंजल ब्रोकिंग का अनुमान है कि हल्दी उत्पादन 50 फीसदी और मिर्च उत्पादन 30 फीसदी घट सकता है।
पिछले साल अक्टूबर के दौरान आंध्र प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में नीलम चक्रवात की वजह से मसालों और अन्य नकदी फसलों को बहुत नुकसान हुआ था। एक अनुमान के मुताबिक 5,00,000 हेक्टेयर रकबे की फसल चक्रवात की चपेट में आ गई थी।
चूंकि बुआई का समय बीत जाने के कारण दोबारा फसल लगाना संभव नहीं था, इसलिए समग्र तौर पर रकबे में गिरावट आई है, लिहाजा इस साल मसालों का कुल उत्पादन कम रहेगा।
ऐंजल ब्रोकिंग की वरिष्ठï अनुसंधान विश्लेषक वेदिका नार्वेकर ने कहा, 'बुआई के सीजन के दौरान मसालों के भाव कम थे क्योंकि पिछले साल अच्छा उत्पादन हुआ था। नतीजतन किसानों ने इस साल मसालों की कम खेती की थी। प्रतिकूल मौसम की वजह से भी अनुमानित उत्पादन में भारी गिरावट आई है।Ó
चक्रवात ने तंबाकू की फसल को भी क्षति पहुंचाई है। तंबाकू बोर्ड का अनुमान है कि इस साल आंध्र प्रदेश में इस जिंस का उत्पादन करीब 17 करोड़ किलोग्राम रहेगा, जबकि पिछले साल प्रदेश में 17.5 करोड़ किलो तंबाकू का उत्पादन हुआ था।
इसी महीने बेमौसम बारिश से आलू की फसल भी प्रभावित होने की आशंका है क्योंकि यह आलू को खेतों से निकालने का मौसम होता है। आलू के प्रमुख उत्पादक राज्यों में लगातार चार दिन बारिश होती रही और तैयार फसल।
केंद्रीय आलू अनुसंधान संगठन के निदेशक वीर पाल सिंह ने कहा, 'उत्तर प्रदेश में मेरठ समेत दो आलू उत्पादक इलाकों को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में आलू की फसल को कम क्षति पहुंची है। शुरुआती आकलन के विपरीत फसल सडऩे का असर भी कम ही है।Ó
राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास फाउंडेशन के निदेशक आर पी गुप्ता ने कहा, 'महाराष्टï्र, गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में रबी फसल पर बेमौसम बारिश का कम असर हुआ है। चूंकि आलू की फसल पूरी तरह तैयार है इसलिए उत्पादन पर शायद ही कोई असर हो। इस बारिश से केवल आलू को खेतों से निकालने में लगभग एक हफ्ते की देरी होगी।Ó
बहरहाल, प्रतिकूल मौसम की वजह से कीमतों में आई अचानक तेजी थमने लगी है। मंडियों में फसलों की आवक बढऩे लगी है इसलिए कीमतें बढऩे की अशंका भी घटती जा रही है।
पिछले दो सप्ताह के दौरान कृषि जिंसों की कीमतों में लगभग 5 फीसदी की गिरावट आई है। तीन महीने पहले रबी फसलों की बुआई शुरू होने से कुछ समय पहले तक इन जिंसों के भाव करीब दोगुने हो गए थे। निकट अवधि में इन जिंसों के भाव कम ही रहने की संभावना है, हालांकि लंबी अवधि में भाव चढ़ भी सकते हैं। (BS Hindi)
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