30 मार्च 2013
सरकार डाल-डाल, ज्वैलर पात-पात
भले ही सरकार सोने के बिक्री को घटाने के तमाम इंतजाम कर रही हो लेकिन आभूषण निर्माता भी बिक्री बढ़ाने के नए तरीके आजमा रहे हैं। ग्राहकों को लुभाने के लिए ज्वैलर जेवर बनाने में छूट देने से लेकर और भी उपाय निकाल रहे हैं। इससे कीमतें प्रतिस्पर्धी होने की वजह से आयात शुल्क में बढ़ोतरी का असर कुछ संतुलित हुआ है।
सरकार पिछले 14 महीनों के दौरान सोने पर आयात शुल्क 6 गुना बढ़ा चुकी है। मगर अब तक आभूषण निर्माताओं ने 'स्वर्ण संचय योजना (गोल्ड एक्युमुलेशन स्कीम)Ó और जेवर बनाने के शुल्क में भारी छूट देकर इस असर को बेअसर कर दिया है। स्वर्ण संचय योजना के तहत योजना समाप्ति पर आभूषणों को बेचा भी जा सकता है। इस दौड़ में हाल ही में गीतांजलि जेम्स भी शामिल हुई है। स्वर्ण मंगल गोल्ड और शगुन डायमंड ज्वैलरी एक्युमुलेशन योजना के तहत कंपनी 24 महीने की योजना में ग्राहक द्वारा जमा कराई जाने वाली मासिक किस्त पर 4.5 गुना फ्री बोनस की पेशकश कर रही है। योजना समाप्ति पर कंपनी जेवर बनाने के शुल्क में 60 फीसदी छूट दे रही है।
इस तरह संचय योजना के तहत ग्राहक का कुल वार्षिक प्रतिफल 19 फीसदी बनता है। यह जेवर बनाने में दी जा रही औसतन 6 फीसदी अतिरिक्त छूट के अलावा है। सोने के आभूषण बनाने में औसतन 10 फीसदी शुल्क लगता है। इस तरह गीतांजलि की सोना और हीरा संचय योजना के तहत निवेश करने पर कुल वार्षिक प्रतिफल 25 फीसदी हो जाता है, जो देश में किसी ज्वैलर द्वारा दिया जाने वाला सबसे ज्यादा रिटर्न है।
गीतांजलि जेम्स के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक मेहुल चोकसी ने कहा, 'हमारा लक्ष्य इन योजनाओं के तहत एक साल में कम से कम 20,000 नए ग्राहकों को जोडऩा है। इन पेशकशों का बुनियादी मकसद भारत में हीरों की बिक्री का विस्तार करना है। साथ ही आकर्षक पेशकशों के जरिये हम सोने की बिक्री में अपनी पहुंच का विस्तार करना चाहते हैं।Ó ऐसी योजनाएं भारत में नई नहीं है। दूसरी आभूषण कंपनियां जैसे तनिष्क, त्रिभुवनदास भीमजी जवेरी (टीबीजेड) और पीसी ज्वैलर्स अपने ग्राहकों को बोनस किस्त देने की पेशकश कर रही हैं।
मुंबई की टीबीजेड 24 महीनों की योजना में 3.5 गुना बोनस किस्त की पेशकश कर रही है। उदाहरण के लिए इस योजना के तहत अगर एक निवेशक हर महीने 5,000 रुपये का निवेश करता है तो परिपक्वता के समय उसे 17,500 रुपये की अतिरिक्त रकम मिलेगी।
टीबीजेड के चेयरमैन श्रीकांत जवेरी ने कहा, 'यह हमारे ग्राहकों के लिए एक अतिरिक्त सेवा है। ऐसी योजनाओं के जरिये हम अपने वफादार ग्राहकों को बेहतर समझ पाए हैं।Ó दिल्ली की सोने एवं हीरों के आभूषण बनाने और बिक्री करने वाली कंपनी पीसी ज्वैलर्स महज 12 महीनों की योजना पर मासिक किस्त का दोगुना बोनस के रूप में देती है। ये सभी योजनाएं कम से कम 1,000 रुपये मासिक जमा से शुरू होती हैं। सरकार की कोशिशों के बावजूद देश का स्वर्ण आयात अप्रैल, 2012 से 12 दिसंबर, 2012 के बीच 2,065 अरब रुपये का रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि सोने का आयात चालू वित्त वर्ष के अंत तक पिछले वर्ष के आयात 2,695 अरब रुपये के आंकड़े को पार कर जाएगा।
वल्र्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) भी भारत में चमकीली धातु की खपत कम न होने की बात से सहमत है। डब्ल्यूजीसी के वैश्विक एमडी (आभूषण) डेविड लैंब ने हाल में अनुमान जताया कि 2013 में भारत का सोने का आयात 865 से 965 टन के बीच रहेगा, जो पिछले साल के स्तर 864.2 टन से ज्यादा है। उद्योग के दिग्गज और ऑल इंडिया जेम्स ऐंड ज्वैलरी ट्रेड फेडरेशन (जीजेएफ) के पूर्व चेयरमैन अशोक मिनावाला ने कहा, 'सरकार की कोशिशों से केवल ग्राहकों के लिए सोना और महंगा होगा। इससे खरीदारों की भूख कम नहीं होगी। सरकार को चालू खाता घाटा को कम करने के लिए अन्य विकल्पों पर विचार करना चाहिए। (BS Hindi)
थोक में काजू सस्ता पर खुदरा में अब भी महंगा
देश के प्रमुख थोक बाजारों में काजू की कीमतों में गिरावट आ रही है। इसकी वजह स्टॉकिस्ट और खुदरा विक्रेताओं की ओर से मांग में आई कमी को बताया जा रहा है। सभी किस्मों के काजू और उसके टुकड़ों की कीमतें जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान 18 से 26 फीसदी तक गिरी हैं। इनमें गिरावट ग्रेड के आधार पर अलग-अलग रही है।
इस समय डब्ल्यू 320 ग्रेड के काजू की कीमत (एक्स फैक्टरी) करीब 445 रुपये प्रति किलो है, जो पिछले साल नवंबर में 545 रुपये प्रति किलो थी। इस तरह इसकी कीमतों में 18.3 फीसदी गिरावट आई है। डब्ल्यू 320 ग्रेड को अंतरराष्ट्रीय बाजार में सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। वहीं काजू टुकड़े की कीमत गिरकर 300 रुपये प्रति किलो से नीचे आ गई है। फिलहाल इसका भाव 280 रुपये प्रति किलो है, जो पिछले साल दीवाली के आसपास उसके 380 रुपये प्रति किलो के भाव से 26.3 फीसदी कम है।
भारतीय काजू निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसीआई) के पूर्व चेयरमैन और मंगलूर के एक निर्यातक वॉल्टर डिसूजा ने कहा, 'इस समय खुदरा बाजार में धारणा काफी कमजोर है। आमतौर पर गर्मियों में काजू की मांग कम रहती है, क्योंकि इस दौरान बहुत अधिक त्योहार नहीं होते। वैवाहिक सीजन भी अभी शुरू नहीं हुआ है।Ó दिल्ली के बाजारों में पिछले 15 दिनों में डब्ल्यू 320 ग्रेड की कीमतें 6.25 फीसदी गिरकर 450 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास पर आ गई हैं जबकि टुकड़े की कीमतें 300 रुपये प्रति किलो से नीचे चली गई हैं। पिछली तिमाही के दौरान सभी ग्रेड के काजू (डब्ल्यू 180, 210, 240, 320 और 450) की कीमतों में गिरावट आई है।
डिसूजा ने कहा, 'पिछले कुछ महीनों के दौरान बिक्री और खपत में लगातार गिरावट आ रही है। प्रसंस्करण इकाइयों को भी निर्यात बाजार से मदद नहीं मिल रही है, क्योंकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था और यूरो जोन संकट के कारण विदेशी खरीदारों की मांग में कमी आई है। चालू वित्त वर्ष की पिछली तिमाही में कुल मिलाकर बाजार अस्थिर रहा है।Ó हालांकि खुदरा बाजार में काजू की कीमतों में बड़ी गिरावट दिखाई नहीं देती है। देशभर के विभिन्न सुपर बाजारों और किराना स्टोरों में काजू 720 रुपये से 900 रुपये प्रति किलो की कीमत पर बेचा जा रहा है। मेंगलूर की निर्यातक कंपनी अचल कैश्यू के प्रबंध निदेशक जी गिरिधर प्रभु ने कहा, 'घटे दाम का असर खुदरा बाजारों तक पहुंचने में समय लगता है। परंपरागत दुकानें नियमित रूप से कीमतों की चाल का अनुमान नहीं लगा पातीं, क्योंकि वे नियमित रूप से काजू की खरीद नहीं करती हैं। इसलिए वे कीमतों में गिरावट का लाभ ग्राहकों को नहीं दे सकतीं। सुपर बाजार विभिन्न लागत जैसे लॉजिस्टिक, कर्मचारी लागत, जगह का किराया आदि जोड़कर कीमत तय करते हैं और अस्थिर बाजार में लाभ कमाने की कोशिश करते हैं।Ó
उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों के दौरान इस तरह की लागत 30 से 40 फीसदी बढ़ी है और आमतौर पर सुपर बाजार तत्काल कीमतों में कमी के बजाय स्टॉक निकालने के लिए अन्य प्रोत्साहन देते हैं। कच्चे काजू की कीमतों में मामूली गिरावट से भी प्रंसस्कृत काजू की कीमतों में गिरावट आई है। कच्चे काजू की कीमतें भी गिरकर 67 रुपये प्रति किलो पर आ गई हैं, जो पिछले सीजन में 75 से 90 रुपये के बीच थीं। (BS Hindi)
Gold, silver down on sluggish demand
New Delhi, Mar 30. Both the precious metals, gold and
silver, ended lower here today due to sluggish demand at
prevailing higher levels amid absence of any market moving
factor from the global front.
While gold fell by Rs 130 to Rs 30,070 per 10 grams,
silver lost Rs 700 at Rs 53,500 per kg on reduced offtake by
jewellers and industrial units.
Traders said sluggish demand at prevailing higher levels
in the absence of any market moving factor from overseas due
public holiday in bullion markets, mainly dampened the
sentiment.
They said the demand also dried up in the domestic markets
due to off marriage and festival season.
On the domestic front, gold of 99.9 and 99.5 per cent
purity fell by Rs 130 each to Rs 30,070 and Rs 29,870 per 10
grams, respectively. Sovereigns followed suit and shed Rs 50
to Rs 25,250 per piece of eight grams.
In line with a general weak trend, silver ready dropped by
Rs 700 to Rs 53,500 per kg and weekly-based delivery by Rs 660
to Rs 52,900 per kg, respectively. Silver coins also plunged
by Rs 1,000 to Rs 81,000 for buying and Rs 82,000 for selling
of 100 pieces.
28 मार्च 2013
रबी फसल की देरी से मक्का में तेजी के आसार
रबी मक्का की नई फसल की आवक में देरी होने से कीमतों में 50 से 75 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आने की संभावना है। दिल्ली बाजार में मंगलवार को मक्का के दाम 1,525-1,530 रुपये प्रति क्विंटल रहे। चालू रबी में मक्का की पैदावार तो पिछले से बढऩे का अनुमान तो है लेकिन मक्का में निर्यातकों की मांग से दाम बढ़ रहे हैं।
गोपाल ट्रेडिंग कंपनी के प्रबंधक राजेश अग्रवाल ने बताया कि फरवरी में सर्दी बढऩे से रबी मक्का की फसल 15-20 दिन की देरी से आएगी जबकि खरीफ की आवक उत्पादक मंडियों में पहले की तुलना में कम हो गई है।
इसीलिए मक्का की कीमतों में तेजी बनी हुई है। दिल्ली में मक्का की दैनिक आवक मध्य प्रदेश और राजस्थान से मात्र 4 से 5 ट्रकों की है जबकि मंगलवार को यहां इसके भाव बढ़कर 1,525 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। अप्रैल में आवक प्रभावित रहने से मौजूदा कीमतों में और भी 50-75 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आने की संभावना है।
बिहार की नौगछिया मंडी के थोक कारोबारी पवन अग्रवाल ने बताया कि ठंड पडऩे से मक्का की नई फसल की आवक 15 से 20 दिन की देरी से बनेगी। इसीलिए कोलकाता में मक्का के दाम बढ़कर 1,640-1,650 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं। चालू सीजन में पैदावार तो ज्यादा होने का अनुमान है लेकिन नई फसल की आवक अप्रैल मध्य के बाद ही शुरू होगी।
उन्होंने बताया कि पिछले साल फसल अप्रैल में रबी मक्का की आवक के समय दाम घटकर 850 रुपये प्रति क्विंटल रह गए थे लेकिन चालू सीजन में भाव 1,100-1,200 रुपये प्रति क्विंटल से नीचे आने की संभावना नहीं है। बी एम इंडस्ट्रीज के प्रबंधक मदन लाल अग्रवाल ने बताया कि निर्यातक काकीनाड़ा बंदरगाह पहुंच 1,440-1,450 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सौदे कर रहे हैं।
इसीलिए दक्षिण भारत के राज्यों आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और मध्य प्रदेश की मंडियों में मक्का के दाम तेज बने हुए हैं। हालांकि ऊंचे भाव में पोल्ट्री फीड और स्टार्च निर्माताओं की मांग कम हुई है। इसलिए भारी तेजी की संभावना तो नहीं है लेकिन अप्रैल में दाम तेज बने रह सकते हैं। आंध्र प्रदेश और कर्नाटक की मंडियों में मक्का के दाम बढ़कर 1,320 से 1,340 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
एनसीडीईएक्स पर अप्रैल महीने के वायदा अनुबंध में मक्का का भाव 18 मार्च को 1,303 रुपये प्रति क्विंटल था जबकि मंगलवार को इसका भाव 1,324 रुपये प्रति क्विंटल हो गया।
कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार वर्ष 2012-13 खरीफ में मक्का की पैदावार बढ़कर 54.6 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 52.7 लाख टन की पैदावार हुई थी। (Business bhasakar....R S Rana)
मिलों को खुले बाजार में चीनी बेचने के लिए ज्यादा समय
आजादी - बिक्री अवधि बढ़कर छह माह, कोटा 104 लाख टन
रियायत धीरे-धीरे
खुले बाजार में बिक्री के लिए पहले मासिक कोटा जारी होता था
जिसे पहले तीन महीने और बाद में चार महीने का किया गया
अब इस अवधि को बढ़ाकर छह महीने कर दिया गया है
अप्रैल से सितंबर के दौरान 104 लाख टन चीनी का कोटा जारी
खुले बाजार में चीनी के मूल्य बढऩे के आसार, मिलें पा सकेंगी बेहतर मूल्य
चीनी मिलों को राहत देते हुए केंद्र सरकार ने खुले बाजार में बिक्री के लिए चीनी कोटा की अवधि को चार महीने से बढ़ाकर छह महीने कर दिया है। खाद्य मंत्रालय ने मंगलवार को छह महीनों (अप्रैल से सितंबर) के लिए 104 लाख टन चीनी का कोटा जारी कर दिया है। गर्मियों का सीजन शुरू होने से चीनी की मांग बढऩे का अनुमान है जिससे मौजूदा कीमतों में हल्का सुधार आ सकता है।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उद्योग की मांग को मानते हुए मंत्रालय ने खुले बाजार में बेचे जाने वाली चीनी के कोटा की अवधि को चार महीने से बढ़ाकर छह महीने कर दिया है।
खुले बाजार में बेचने के लिए पहले मासिक आधार पर कोटा जारी किया जाता था, जिसे पहले तीन महीने और बाद में चार महीने की अवधि के लिए जारी किया जाने लगा। अब इस अवधि को बढ़ाकर छह महीने कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि अप्रैल से सितंबर के दौरान 104 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया गया है।
इसके अतिरिक्त अप्रैल से मई (दो महीनों) के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में आवंटन के लिए 3.69 लेवी चीनी का कोटा जारी किया गया है। रंगराजन कमेटी ने भी चीनी उद्योग के डिकंट्रोल के तहत निश्चित अवधि के लिए चीनी बिक्री कोटा की प्रणाली और लेवी चीनी की बाध्यता समाप्त करने की सिफारिश की थी।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के कार्यकारी निदेशक अबिनाश वर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा चीनी कोटा की अवधि को बढ़ाकर छह महीने कर देने से मिलों को खुले बाजार में चीनी बेचने की छूट मिल जाएगी। सरकार ने छह महीनों के लिए 104 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया है।
चीनी बिक्री कोटा की अवधि छह महीने कर देने से मिलों को चीनी बेचने के लिए रणनीति बनाने की आसानी होगी। वे बेहतर मूल्य पाने के लिए पूरे छह माह की अवधि में चीनी बेचने के लिए स्वतंत्र होंगी।
चीनी के थोक कारोबार सुरेंद्र भालोठिया ने बताया कि अप्रैल से बड़े उपभोक्ताओं की मांग निकलने लगेगी, जिससे चीनी की मौजूदा कीमतों में 100 से 150 रुपये प्रति क्विंटल का सुधार आने की संभावना है। चीनी बेचने की अवधि में और ज्यादा छूट मिलने से भी चीनी में मजबूती को बल मिल सकता है।
उत्तर प्रदेश में चीनी के एक्स-फैक्ट्री भाव मंगलवार को 3,150 रुपये और दिल्ली थोक बाजार में 3,300 रुपये क्विंटल रहे। मुंबई में चीनी के एक्स-फैक्ट्री भाव 2,800 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। इस्मा के अनुसार चालू पेराई सीजन 2012-13 (अक्टूबर से सितंबर) के दौरान 246 लाख टन चीनी का उत्पादन होने का अनुमान है जो पूर्व उत्पादन अनुमान से 3 लाख टन अधिक है। (Business Bhaskar....R S Rana)
Gold ends steady; silver falls on reduced offtake
New Delhi, Mar 28. In restricted activity, gold
traded steady at Rs 30,125 per ten grams in the national
capital today largely in tandem with global trend.
However, silver fell by Rs 100 to Rs 54,300 per kg on
reduced offtake by industrial units.
Traders said lack of buying support from retailers due to
off-marriage season demand and a steady trend in global market
kept gold prices steady.
Globally, gold traded almost flat at USD 1605.99 an ounce
in Singapore.
On the domestic front, gold of 99.9 and 99.5 per cent
purity held steady at Rs 30,125 and Rs 30,925 per ten grams,
respectively. Sovereign too closed unchanged at Rs 25,300 per
piece of eight gram.
On the other hand, silver ready fell by Rs 100 to Rs
54,300 per kg and weekly-based delivery by Rs 300 to Rs 53,875
per kg, respectively.
Silver coins continued to be asked around previous level
of Rs 82,000 for buying and Rs 83,000 for selling of 100
pieces.
26 मार्च 2013
गिरावट की गंध से मेंथा में सर्किट
लंबे समय से मेंथा तेल में जारी गिरावट का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाजिर बाजार में मांग कमजोर पडऩे और वायदा बाजार में जारी मुनाफावसूली के चलते पिछले एक महीने में मेंथा तेल की कीमतों में करीब 20 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। घरेलू और विदेशी मांग कमजोर होने और उत्पादन बढऩे की उम्मीद से अगले एक दो सप्ताह में मेंथा तेल की कीमतों में अभी और गिरावट के कयास लगाए जा रहे हैं।
घरेलू और निर्यातक मांग कमजोर होने से मेंथा तेल हाजिर बाजार में पिछले एक महीने में 225 रुपये प्रति किलोग्राम टूटकर 1224 रुपये रह गया है। वायदा बाजार में भी यह करीब 20 फीसदी गिरा है। सोमवार को एमसीएक्स पर भारी मुनाफावसूली केकारण मेंथा तेल में लोअर सर्किट लग गया। एमसीएक्स पर मेंथा तेल मार्च अनुबंध चार फीसदी गिरावट के साथ 1079.80 रुपये , अप्रैल अनुबंध चार फीसदी गिरकर 1084 रुपये, मई अनुबंध भी चार फीसदी लोअर सर्किट के साथ 1068 रुपये और जून अनुबंध की कीमतें गिरकर 1022 रुपये प्रति किलो पहुंच गईं। मेंथा की नई फसल तैयार होने का समय जैसे जैसे नजदीक आ रहा है, स्टॉकिस्टों की धड़कनें तेज हो रही हैं, घरेलू के साथ विदेशी ग्राहक भी मौजूदा दर पर मेंथा नहीं खरीदना चाह रहे हैं। कारोबारियों के अनुसार दरअसल विदेशों में सिंथेटिक तेल का उपयोग ज्यादा हो रहा है जो मेंथा के मुकाबले सस्ता पड़ा रहा है। घरेलू फार्मा कंपनियां भी सिर्फ उतना ही माल खरीद रही हैं जितनी उनको तत्काल जररुत है क्योंकि गिरते बाजार में कोई नए सौदे नहीं करना चाह रहा है।
कोटक कमोडिटीज के फैयाज हुदानी कहते हैं कि पर्याप्त स्टॉक के बीच उत्पादक क्षेत्र चंदौसी से आवक बढऩे के कारण कीमतों में तेज गिरावट हो रही है। हाजिर बाजार में कीमतें टूटने और कीमतों में और गिरावट के आसार में कारोबारी वायदा बाजार में मुनाफावसूली कर रहे हैं जिससे कीमतों मे लगातार गिरावट हो रही है। उनकी राय में मेंथा तेल फंडामेंटल और टेक्नीकल दोनों लिहाज से मजबूत नहीं दिख रहा है। बाजार में मांग से अधिक स्टॉक मौजूद है और इस बार उत्पादन भी ज्यादा रहने वाला है जिससे कीमतों को टूटना लाजिमी है।चार साल पहले जब मेंथा तेल का वायदा कारोबार शुरु हुआ था तो इसकी कीमत 500 रुपये प्रति किलोग्राम से भी कम थी जो बढ़कर 9 मार्च 2012 को 2564 रुपये किलोग्राम तक पहुंच गई। लेकिन इसके बाद कीमतों में गिरावट शुरु हुई जो इस समय हाजिर बाजार में 1200 रुपये के करीब पहुंच गई है। हाजिर बाजार में मेंथा तेल की कीमतें गिरकर 1000 रुपये तक पहुंचीं तो इसका असर वायदा बाजार पर भी पड़ेगा।
नई फसल आने में करीब दो महीने हैं। यह 20 जून के बाद मंडियों में आएगी। स्टॉकिस्टों के पास अभी करीब 10,000 टन मेंथा तेल है जिससे आने वाले समय में और गिरावट हो सकती है। चालू सीजन में मेंथा तेल का उत्पादन 50,000 से 55,000 टन होने का अनुमान है, जबकि पिछले साल करीबन 40,000 टन मेंथा तेल का उत्पादन हुआ था। (BS Hindi)
अब जिंस वायदा निवेशकों को देना होगा मोबाइल नंबर
जिंस वायदा कारोबार में पारदर्शिता लाने के लिए वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) कड़े कदम उठाने जा रहा है। जिंसों का वायदा कारोबार करने वाले निवेशकों के लिए अब मोबाइल नंबर देना अनिवार्य कर दिया गया है। पहली अप्रैल से मोबाइल नंबर नहीं देने वाले निवेशकों को जुर्माना भरना होगा।
एफएमसी के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जिंस वायदा कारोबार में पारदर्शिता लाने के लिए कड़े कदम उठाये जायेंगे। इसी के तहत जिंस वायदा में कारोबार करने वाले निवेशकों के लिए पहली अप्रैल से मोबाइल नंबर देना अनिवार्य किया गया है।
मोबाइल नंबर से निवेशकों को दैनिक आधार पर उसके द्वारा खरीदी और बेची गई पोजिशन की जानकारी एक्सचेंजों द्वारा दी जायेगी। इसका फायदा निवेशकों को भी मिलेगा। उन्हें हर दिन अपने सौदे की जानकारी मिलेगी, साथ ही इससे जिंस एक्सचेंजों के कारोबार में भी पारदर्शिता बढ़ेगी।
उन्होंने बताया कि पहली अप्रैल से पहले मोबाइल नंबर नहीं देने वाले निवेशकों पर जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है। जुर्माने की राशि 500 रुपये प्रति दिन और 5,000 रुपये प्रति महीने के आधार पर वसूली जायेगी तथा जुर्माने की राशि निवेशक के खाते से काट ली जायेगी। उन्होंने बताया कि जिंस वायदा कारोबार को पूरी तरह से पारदर्शी बनाने के लिए और भी कड़े कदम उठाने की योजना है।
मालूम हो कि वर्ष 2011-2012 में जिंस वायदा कारोबार में कई कंपनियों ने आपसी गठजोड़ करके ग्वार और ग्वार गम की कीमतों में तेजी ला दी थी जिसकी वजह से मार्च 2012 में सरकार ने ग्वार और ग्वार गम के वायदा कारोबार पर रोक लगानी पड़ी थी। एनसीडीईएक्स के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमने अपने सभी ग्राहकों को मोबाइल नंबर देने के लिए सूचित कर दिया है।
एनसीडीईएक्स पर कार्य कर रहे 98.5 फीसदी निवेशकों ने मोबाइल नंबर जमा करा भी दिए हैं तथा उन्हें उनके द्वारा खरीद या फिर बेचे गए सौदे की जानकारी दैनिक आधार पर दी जा रही है। उन्होंने बताया कि उम्मीद है बाकी बचे हुए निवेशक भी 31 मार्च से पहले अपना मोबाइल नंबर दे देंगे। उन्होंने बताया कि मोबाइल नंबर देने का सबसे ज्यादा फायदा निवेशकों को ही होगा। (Business Bhaskar....R S Rana)
अप्रैल में 15 फीसदी बढ़ सकती है ग्वार की कीमतें
मांग - चालू सीजन में अभी तक कुल उत्पादन के 60-65' ग्वार की खपत हो चुकी है
फैक्ट फाइल
अप्रैल से जनवरी के दौरान कुल 4.44 लाख टन ग्वार गम का निर्यात हुआ
चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीनों में 26,459.54 करोड़ रुपये मूल्य के ग्वार गम का निर्यात हुआ
हरियाणा की मंडियों में दैनिक आवक 30,000 से 32,000 हजार बोरियां
निर्यातकों की मांग बढऩे से अप्रैल-मई में ग्वार की कीमतों में 10-15 फीसदी की तेजी आने की संभावना है। उत्पादक मंडियों में ग्वार के भाव 10,000 रुपये और ग्वार गम के 30,400 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। ग्वार के कुल उत्पादन का करीब 60-65 फीसदी हिस्सा खप चुका है जबकि अप्रैल में रबी फसलों की आवक शुरू होने से ग्वार की दैनिक आवक कम हो जायेगी।
टिंकू राम गम एवं केमिकल प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर विपिन अग्रवाल ने बताया कि ग्वार गम की निर्यात मांग पहले की तुलना में बढऩी शुरू हो गई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस समय ग्वार गम के निर्यात सौदे 6,000 डॉलर प्रति टन की दर से हो रहे हैं तथा इन भावों में निर्यातकों को अच्छे पड़ते लग रहे हैं।
उन्होंने बताया कि अप्रैल-मई में ग्वार गम में निर्यात मांग बढ़ेगी जबकि इस दौरान रबी फसलों की आवक शुरू होने से घरेलू मंडियों में ग्वार की दैनिक आवक कम हो जायेगी जिससे ग्वार की कीमतों में 1,500 से 2,000 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आने की संभावना है।
हरियाणा ग्वार गम एंड केमिकल के डायरेक्टर सुरेंद्र सिंघल ने बताया कि चालू सीजन में ग्वार की पैदावार तो करीब 1.75 करोड़ बोरी (एक बोरी-एक क्विंटल) की हुई है जोकि पिछले साल के 1.50 करोड़ बोरियों से ज्यादा है। लेकिन चालू सीजन में अभी तक कुल उत्पादन का करीब 60 से 65 फीसदी ग्वार की खपत हो चुकी है।
पिछले साल किसानों ने ग्वार और ग्वार गम का ऊंचा भाव देखा था इसलिए नीचे भाव में किसानों और स्टॉकिस्टों की बिकवाली कम आ रही है जिससे मौजूदा कीमतों में तेजी को बल मिल रहा है। उत्पादक मंडियों में ग्वार का भाव 10,000 रुपये और ग्वार गम का 30,400 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है जबकि राजस्थान और हरियाणा की मंडियों में दैनिक आवक 30,000 से 32,000 हजार बोरियों की हो रही है।
कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2012-13 के पहले दस महीनों अप्रैल से जनवरी के दौरान ग्वार गम के निर्यात में 19.4 फीसदी की कमी आई है। अप्रैल से जनवरी के दौरान कुल 4.44 लाख टन ग्वार गम का निर्यात हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 5.51 लाख टन ग्वार पाउडर का निर्यात हुआ था।
हालांकि मूल्य के हिसाब से अप्रैल से जनवरी के दौरान ग्वार गम निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीनों के दौरान 26,459.54 करोड़ रुपये मूल्य का ग्वार गम का निर्यात हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 9,960.37 करोड़ रुपये का ही हुआ था। (Business Bhaskar....R S Rana)
और घट सकते हैं केस्टर सीड के भाव
अप्रैल मध्य तक उत्पादक मंडियों में दैनिक आवक बढऩे से केस्टर सीड की मौजूदा कीमतों में और भी 8-10 फीसदी की गिरावट आने की संभावना है। सोमवार को मेहसाणा में केस्टर सीड का भाव घटकर 3,450 से 3,500 रुपये प्रति क्विंटल रह गया। हालांकि जनवरी के मुकाबले फरवरी में केस्टर तेल का निर्यात बढ़ा है तथा मार्च-अप्रैल में भी निर्यात बढऩे का अनुमान है।
एस सी केमिकल के मैनेजिंग डायरेक्टर कुशल राज पारिख ने बताया कि चालू सीजन में केस्टर सीड की पैदावार में तो कमी आई है लेकिन उत्पादक मंडियों में बकाया स्टॉक पिछले साल से ज्यादा है। प्रमुख उत्पादक राज्यों गुजरात और राजस्थान की उत्पादक मंडियों में अप्रैल-मई में केस्टर सीड की दैनिक आवकें बढ़ जायेगी जिससे मौजूदा कीमतों में 250 से 300 रुपये प्रति क्विंटल की और गिरावट आने की संभावना है।
उन्होंने बताया कि फरवरी महीने में केस्टर तेल का निर्यात बढ़ा है तथा वर्तमान में हो रहे सौदों को देखते हुए मार्च-अप्रैल में भी निर्यात बढऩे का अनुमान है। केस्टर तेल के निर्यात सौदे 1,225 डॉलर प्रति टन की दर से हो रहे हैं तथा महीने भर में इसमें करीब 25 डॉलर प्रति टन की गिरावट आई है।
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार फरवरी महीने में केस्टर तेल का निर्यात बढ़कर 50,355 टन का हुआ है जबकि जनवरी महीने में 20,909 टन का ही निर्यात हुआ था। चालू वित्त वर्ष 2012-13 के पहले 11 महीनों (अप्रैल से फरवरी) के दौरान 3.91 लाख टन केस्टर तेल का निर्यात हुआ है जबकि वित्त वर्ष 2011-12 के दौरान कुल निर्यात 4.04 लाख टन का हुआ था।
एसईए के अनुसार केस्टर सीड का उत्पादन चालू फसल सीजन 2012-13 में 27 फीसदी घटकर 11.43 लाख टन होने का अनुमान है जबकि वर्ष 2011-12 में 15.76 लाख टन का उत्पादन हुआ था।
केस्टर सीड के थोक कारोबारी रौनक भाई ने बताया कि चालू सीजन में केस्टर सीड की पैदावार तो घटी है लेकिन नई फसल की आवक के समय उत्पादक राज्यों में करीब 4.5 से 5 लाख टन का स्टॉक बचा हुआ था।
होली के त्यौहारी की वजह से सप्ताहभर तक दैनिक आवक कम रहेगी जिससे मौजूदा कीमतों में थोड़ा सुधार आ सकता है लेकिन मध्य अप्रैल से आवकें बढ़कर एक लाख बोरी (एक बोरी-75 किलो) हो जायेगी जिससे कीमतों में और गिरावट आने की संभावना है। उत्पादक मंडियों में केस्टर सीड का भाव 695 से 700 रुपये प्रति 20 किलो और केस्टर तेल का भाव 740 रुपये प्रति दस किलो चल रहा है।
एनसीडीईएक्स पर अप्रैल महीने के वायदा अनुबंध में चालू महीने में 5.9 फीसदी की गिरावट आई है। पहली मार्च को अप्रैल महीने के वायदा अनुबंध में केस्टर सीड का भाव 3,861 रुपये प्रति क्विंटल था जबकि सोमवार को भाव घटकर 3,630 रुपये प्रति क्विंटल रह गया। (Business Bhaskar....R S Rana)
23 मार्च 2013
नरम पड़े खाद्य तेलों के तेवर
आमतौर पर त्योहारों पर चढऩे वाले खाद्य तेलों के भाव इस होली पर ठंडे पड़ रहे हैं। बीते एक माह में इनके भाव 3 से 5 फीसदी गिर चुके हैं। साल भर में घरेलू खाद्य तेलों के दाम 7 से 15 फीसदी और विदेशी बाजारों में तेल 30 फीसदी सस्ते हुए हैं। कारोबारियों का कहना है कि सरसों की पैदावार 20 फीसदी बढऩे से घरेलू खाद्य तेलोंं में मंदी का रुख है। विदेशी तेल सस्ते होने से इनका आयात बढ़ रहा है जिससे भी कीमतें घट रही हैं। चालू तेल वर्ष (नवंबर-फरवरी) में खाद्य तेल का आयात 22 फीसदी बढ़कर 37.35 लाख टन पहुंच गया।
महीने भर में सरसों तेल (दादरी) 720 रुपये से घटकर 680 रुपये, रिफाइंड सोयाबीन तेल (इंदौर) 705 रुपये से घटकर 675 रुपये और सूरजमुखी तेल 715 रुपये से घटकर 690 रुपये प्रति 10 किलोग्राम पर आ चुका है। इस दौरान आयातित तेलों में आरबीडी पामोलीन 870 डॉलर से गिरकर 840 डॉलर, सोया डिगम तेल 1,200 डॉलर से गिरकर 1,100 डॉलर प्रति टन पर आ गया। हालांकि आयात शुल्क बढऩे के कारण क्रूड पाम तेल (सीपीओ) 800 डॉलर के भाव पर स्थिर है। दिल्ली खाद्य तेल कारोबारी संघ के सचिव हेमंत गुप्ता ने कहा कि सोयाबीन और सरसों की पैदावार अच्छी होने से त्योहार में भी दाम घट रहे हैं।
सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री ऐंड ट्रेड (कोएट) के पूर्व अध्यक्ष सत्यनारायण अग्रवाल ने कहा कि अंतरराष्टï्रीय बाजार में खाद्य तेलों की उपलब्धता ज्यादा होने से वहां इनके दाम गिरे हैं, जिससे इनका आयात तेजी से बढ़ रहा है। कोएट के अध्यक्ष लक्ष्मीचंद अग्रवाल कहते हैं कि सीपीओ पर आयात शुल्क बढऩे से इसके और रिफाइंड पामोलीन की कीमतों में अंतर 70 डॉलर से घटकर 40 डॉलर प्रति टन रह गया है। जिससे रिफाइंड पामोलीन का आयात बढ़ रहा है। नई फसल आने से सरसों तेल में करीब 18 फीसदी गिरावट आई है। (BS Hindi)
Gold, silver down on weak global cues
New Delhi, Mar 23. Both the precious metals, gold and
silver, fell here today, following stockists selling on
sluggish demand amid lower global trend.
While gold fell by Rs 75 to Rs 30,255 per 10 grams,
silver dropped by Rs 765 to Rs 54,415 per kg on reduced
offtake by jewellers and industrial units.
The sentiment turned bearish after gold fell in global
markets as lawmakers in Cyprus debated measures needed for a
bailout, crimping demand for the precious metal as a store of
value, traders said.
Gold in New York, which normally sets the price trend on
the domestic front, fell by USD 5.60 to USD 1,609.20 an ounce
and silver by 1.44 per cent to USD 28.76 an ounce.
Besides, stockists selling on the back of sluggish demand
further fuelled the downtrend, they said.
On the domestic front, gold of 99.9 and 99.5 per cent
purity fell by Rs 75 each to Rs 30,255 and Rs 30,055 per 10
grams, respectively. The metal had gained Rs 80 yesterday.
Sovereigns continued to be asked around previous level of Rs
25,300 per piece of eight grams.
In line with a general weak trend, silver ready dropped by
Rs 765 to Rs 54,415 per kg and weekly-based delivery by Rs 635
to Rs 54,200 per kg, respectively.
On the other hand, silver coins held steady at Rs 82,000
for buying and Rs 83,000 for selling of 100 pieces.
22 मार्च 2013
किसानों की हुंकार के आगे झुकी सरकार
किसानों के संघर्ष की मुहिम रंग लाती दिख रही है। हुंकार के आगे झुकी सरकार ने किसान प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए महत्वपूर्ण मुद्दों पर समितियां गठित करने पर सहमति दे दी है। इनमें केंद्र सरकार के मंत्री भी शामिल रहेंगे। उम्मीद जताई जा रही है कि समिति एक-डेढ़ महीने में रिपोर्ट सौंप देगी।
जल-जंगल-बीज-जमीन, हों किसानों के अधीन..की हुंकार बुलंद कर भारतीय किसान यूनियन की अगुवाई दिल्ली में जुटे खेतीहरों की बात आखिर सरकार को सुननी पड़ी। बुधवार रात मंत्री समूह से किसान प्रतिनिधिमंडल की वार्ता हुई तो गुरुवार को कृषि मंत्री शरद पवार से भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के नेतृत्व में किसान प्रतिनिधि मंडल की वार्ता हुई। वार्ता के दौरान कृषि मंत्री ने बुधवार रात दिए मंत्री समूह के आश्वासन पर अमल करते हुए समिति गठित करने पर सहमति दे दी। इन समितियों में एफआरपी (फेयर एंड रेम्युनरेटिव प्राइस), एफडीआइ-आर (फॉरन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट इन रिटेल) व एफटीए (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट) पर कमेटी गठित होंगी। भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बताया कि बुधवार को मंत्री समूह ने समिति गठन का आश्वासन दिया था। गुरुवार को कृषि मंत्री ने समितियों पर अपनी सहमति दे दी। उन्होंने बताया कि एफआरपी (उचित लाभकारी मूल्य) पर गठित समिति की बैठक अप्रैल के पहले सप्ताह में होगी। एफआरपी कमेटी में किसानों की ओर से राकेश टिकैत, अजमेर सिंह लाखोवाल, युद्धवीर सिंह व नजुंडा स्वामी शामिल हैं। भाकियू प्रवक्ता ने कहा कि अन्य समितियों में भी विषय विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि समितियां एक-डेढ़ माह में रिपोर्ट सौंप देंगी।
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यह थीं मुख्य मांगें
- किसानों की आय की सुरक्षा, यानी उचित लाभकारी मूल्य मिले।
- भूमि अधिग्रहण बिल में आवश्यक संशोधन व श्वेतपत्र जारी हो।
- खुला व्यापार समझौता रद हो।
- देश में जीएम बीजों का परीक्षण बंद हो, परंपरागत व जैविक खेती पर बल दिया जाए।
- किसान आय आयोग का तत्काल गठन किया जाए।
बजट सत्र में पास नहीं हो पाया खाद्य सुरक्षा बिल
नयी दिल्ली। कांग्रेस चेयरपर्सन की महत्वाकांक्षी योजना खाद्य सुरक्षा बिल लोकसभा में पेश नहीं सका। हालांकि सरकार की मंशा थी कि बजट सत्र में ही इस बिल को संसद से पास करा लिया जाए, पर ऐसा नहीं हो पाया। लोकसभा अब 22 अप्रैल तक के लिए स्थगित हो गई। 2014 की चुनाव तैयारियों में जुटी कांग्रेस चाहती थी कि आगामी लोकसभा चुनाव तक इसे पूरे देश में लागू किया जा सके। भ्रष्सटाचार, घोटाले और महंगाई क मुद्दे पर सरकार परले से बैकफुट पर है ऐसे में सरार के पास लोगों से वोट मांगने के लिए कोई खास वजह नहीं है। खाद्य सुरक्षा बिल ऐसी योजना है जिसके बल पर लोगों के सामने वोट के लिए हाथ फैला सकती थी। प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा बिल के तहत हर एक व्यक्ति को 5 किलो सस्ता अनाज देने की योजना है यानी पांच सदस्यों वाले परिवार को हर महीने 25 किलो अनाज मिलेगा हालांकि इस योजना से सरकारी खजाने पर करीब 1 लाख 25 हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। सोनिया गांधी के महत्वाकांक्षी खाद्य सुरक्षा बिल को कैबिनेट पहले ही इसे मंजूरी दे चुकी है। हलांकि अंत्योदय अन्न योजना के तहत आने वाले करीब 2.43 करोड़ बेहद गरीब परिवारों को प्रति परिवार प्रति माह 35 किलोग्राम खाद्यान्न की कानूनी अर्हता होगी
टायर कंपनियों ने घटाईं कीमतें
प्रमुख टायर कंपनियों ने सभी प्रकार के टायरों की कीमतें 1 से 5 फीसदी तक घटाई हैं। इनमें सीएट और एमआरएफ शामिल हैं, जबकि अपोलो पहले ही कीमत घटा चुकी है। अपोलो ने व्यावसायिक वाहनों के टायरों की कीमतों में 1-1.5 फीसदी और कार टायरों में 2 फीसदी कमी की है। ज्यादातर कंपनियों ने पिछले कुछ सप्ताह के दौरान कीमतों में कमी की है। हालांकि कंपनियों का कहना है कि वे प्राकृतिक रबर की घटी कीमतों का लाभ ग्राहकों को दे रही हैं, लेकिन इसके कई कारण हैं।
वास्तव में वाहनों के मूल उपकरण (ओई) क्षेत्र से टायरों की मांग घटने से कंपनियां कीमतें घटाने को बाध्य हुई हैं। वाहनों के उत्पादन और बिक्री में गिरावट का टायर उद्योग पर असर पड़ा है, क्योंकि ओई खंड टायरों का बड़ा खरीदार होता है। इससे टायर कंपनियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं और उनका स्टॉक बढ़ गया है। लेकिन अब कंपनियां स्टॉक निकालना चाहती हैं और कीमतों में कमी के पीछे यह एक प्रमुख वजह है।
टायर उद्योग के सूत्रों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि कंपनियों ने इस मुश्किल हालात का सामना करने के लिए तितरफा रणनीति बनाई है। पहली, कीमतों में कमी। दूसरी, वितरकों को छूट देना और तीसरी उत्पादन में कमी। कोई भी कंपनी खुले रूप से यह स्वीकार नहीं करती है कि वह मुश्किल में है और उसने उत्पादन घटाया है। लेकिन वे इस स्थिति से पार पाने के लिए ये तीनों रास्ते अपना रही हैं।
अपोलो टायर्स के प्रमुख (भारतीय परिचालन) सतीश शर्मा ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि उन्होंने उत्पादन घटाया है। उन्होंने कहा, 'यह हमारी उत्पादन रणनीति का हिस्सा है। हमने किसी संयंत्र को बंद नहीं किया है, लेकिन बाजार की जरूरत के मुताबिक उत्पादन कम किया है।Ó उन्होंने कहा कि सभी प्रकार के टायरों की मांग में सुस्ती है। सबसे ज्यादा मांग में कमजोरी व्यावसायिक वाहनों के क्षेत्र में है, इसलिए वाहन क्षेत्र में संकट का टायर कंपनियों पर बुरा असर पड़ रहा है। लेकिन जनवरी और फरवरी की तुलना में मार्च में स्थिति थोड़ी सुधरने की संभावना है।
विशेषज्ञों के अनुसार देश में मॉनसून की अच्छी बारिश से स्थिति बदल सकती है। रिप्लेसमेंट सेगमेंट में भी सुस्ती है, क्योंकि डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण परिवहन उद्योग की हालत भी ठीक नहीं है। एक विशेषज्ञ ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि टायर कीमतों में कमी रबर कीमतों में गिरावट के कारण नहीं बल्कि भारी स्टॉक की वजह से की गई है। फिलहाल टायर उद्योग की प्रमुख चिंता रबर की कीमतें नहीं बल्कि इसकी उपलब्धता में कमी है। ज्यादातर कंपनियों ने उत्पादन कम कर दिया है क्योंकि बाजार में सुस्ती है। कुछेक को अगले वित्त वर्ष में भी आशा की किरण नजर नहीं आ रही है। टायर सेगमेंट की स्थिति सुधरने में करीब दो साल लग सकते हैं। इसलिए मंदी टायर कंपनियों को अपना स्टॉक निकालने के लिए कई रणनीतियां अपनाने को बाध्य रही है। इन रणनीतियों में से एक कीमतों में कमी है। (BS Hindi)
2013 में सोना खरीद के शुभ दिन ज्यादा
सोने पर आयात शुल्क बढ़ाकर अगर सरकार यह सोच रही है कि इससे इसके आयात में कमी आएगी तो उसकी यह उम्मीद गलत साबित हो सकती है। कम से कम विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) के शुरुआती संकेत तो इसी ओर इशारा कर रहे हैं।
डब्ल्यूजीसी ने कहा है कि जनवरी से मार्च तिमाही के दौरान आयात ज्यादा रहा है और पूरे वर्ष के दौरान भी आयात पिछले साल से अधिक रह सकता है। डब्ल्यूजीसी का तर्क है कि इस साल सोने की खरीद की तारीखें या अवसर पिछले साल की तुलना में 20 फीसदी अधिक हैं।
डब्ल्यू्जीसी ने अनुमान जताया है कि वर्ष 2013 में भारत की सोने की मांग 865 से 965 टन के बीच रहेगी। पिछले साल सोने की मांग 864.2 टन थी। डब्ल्यूजीसी के वैश्विक प्रबंध निदेशक (लाइफस्टाइल ऐंड ज्वैलरी) डेविड लैंब ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को दिए साक्षात्कार में कहा कि पिछले साल यानी 2012 में हिंदू कैलेंडर में एक अतिरिक्त महीना होने और वैवाहिक सीजन छोटा होने से सोने की खरीदारी के मौके कम थे। लेकिन इस साल ये बढ़ेंगे, इसलिए सोने की मांग बढ़ेगी।
भारत में सोने का उत्पादन नहीं होता है और समूची मांग की पूर्ति आयात और पुराने सोने के जरिये होती है। पिछले साल सोने का आयात 864 टन था, जबकि पुराने सोने की आपूर्ति 117 टन थी। लैंब ने कहा, 'आयात का दायरा काफी बड़ा है, क्योंकि सोने की कीमतें कई कारकों जैसे विनिमय दर, महंगाई और उपभोक्ताओं के विश्वास आदि से प्रभावित होती हैं। लेकिन सकारात्मक पक्ष में देखें तो 2013 में कई शुभ दिन हैं।Ó डब्ल्यूजीसी के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल सोने की खरीदारी की शुभ तारीखें 20 दिन कम थीं, जिससे आभूषणों की मांग 11 फीसदी घटकर 552 टन रही। इस वर्ष के चालू महीने में आभूषण विनिर्माताओं को अच्छी मांग निकलने की उम्मीद है और यह रुझान जून तक जारी रह सकता है। उसके बाद अगस्त और अक्टूबर से वर्ष के अंत तक मांग निकलती रहेगी।
गीतांजलि जेम्स के प्रबंध निदेशक मेहुल चोकसी ने कहा, 'पिछले साल की तुलना में इस वर्ष अच्छी बिक्री की उम्मीद है और कीमत के लिहाज से उम्मीद है कि बिक्री में 20-25 फीसदी इजाफा होगा।Ó
पिछले साल वैवाहिक सीजन छोटा था, जिससे आभूषणों की बिक्री पर असर पड़ा, लेकिन इस साल मुहूर्त बढ़े हैं, जिनसे सोने की बिक्री में इजाफा होगा। इससे पहले विश्व स्वर्ण परिषद के प्रबंध निदेशक (भारत) शोमसुंदरम को उद्धृत करते हुए ब्लूमबर्ग ने कहा था कि इस साल आयात ज्यादा रहेगा और आयात में बढ़ोतरी मांग जितनी ही होगी। अगर आयात ज्यादा रहा और रुपये में सोने की कीमतें पिछले साल के समान रहीं तो चालू खाते के घाटे को नियंत्रित करने के सरकार के प्रयास सफल नहीं हो सकेंगे।
शोमसुंदरम ने ब्लूमबर्ग से कहा, 'हालांकि चालू खाते का घाटा गंभीर मुद्दा है, लेकिन शुल्क बढो़तरी और सोने की मांग पर रोक लगाना सही उपाय नहीं है और इससे समस्या हल नहीं होगी।Ó उन्होंने कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था सुधार के संकेत दिखा रही है और इससे अमेरिका को भारत का निर्यात बढ़ेगा जिससे चालू खाते का घाटा नीचे लाने में मदद मिलेगी। भारतीय निर्यात के लिए अमेरिका एक बड़ा बाजार है। (BS Hindi)
रबर बोर्ड से दखल का एटमा ने किया आग्रह
वाहन टायर विनिर्माता संघ (एटमा) ने घरेलू प्राकृतिक रबर बाजार में आपूर्ति की कमी दूर करने के लिए रबर बोर्ड से तुरंत दखल देने का आग्रह किया है। प्राकृतिक रबर की टैपिंग के सुस्त सीजन की शुरुआत के साथ ही टायर उद्योग को घरेलू बाजार में रबर, विशेष रूप से आईएसएनआर (इंडियन स्टैंडर्ड नैचुरल रबर) की कम उपलब्धता का सामना करना पड़ रहा है।
रबर बोर्ड को भेजे पत्र में एटमा ने कहा है कि डीलरों के पास उपलब्धता सीमिति है और उत्पादकों की ओर से आपूर्ति नहीं हो रही है, जिससे उत्पादकों से अंतिम उपयोग करने वाले उद्योगों तक इस जिंस का सुचारू प्रवाह नहीं हो रहा है। पिछले करीब तीन महीनों तक घरेलू बाजार में प्राकृतिक रबर की कीमतें अंतरराष्ट्रीय कीमतों से कम थीं, लेकिन अब यह आगे निकलने लगी हैं।
इस समय आरएसएस4 की कीमत 162 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास है, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में एसएमआर 20 (स्टैंडर्ड मलेशियन रबर) की कीमतें 157 रुपये और 146 रुपये हैं। एटमा के महानिदेशक राजीव बुधराजा ने कहा, 'आपूर्ति की समस्या इसलिए जटिल हो रही है क्योंकि घरेलू कीमतें बढऩी शुरू हो गई हैं और अंतरराष्ट्रीय कीमतों से ऊपर चली गई हैं। आमतौर पर जब कीमतों में बढ़त का रुझान होता है तो उत्पादक ऊंची कीमत की उम्मीद में इस जिंस को रोके रखते हैं, जिससे आपूर्ति समस्या पैदा होती है। (BS Hindi)
ग्वार व ग्वार गम में वायदा कारोबार जल्द शुरू होने की संभावना
ग्वार और ग्वार गम में वायदा कारोबार महीने भर में शुरू होने की संभावना है। एनसीडीईएक्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी आर. रामाशेषन ने दिल्ली में आयोजित भारतीय मक्का समिट-2013 के अवसर पर कहा कि कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (सीटीटी) लगाने से जिंसों का वायदा कारोबार प्रभावित नहीं हुआ है। सरकार ने वित्त वर्ष 2013-14 के बजट में गैर-कृषि जिंसों के वायदा कारोबार पर 0.01 फीसदी सीटीटी लगाया है।
उन्होंने कहा कि हमने वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) से ग्वार और ग्वार गम के वायदा कारोबार को दोबारा शुरू करने की मांग की है तथा एफएमसी द्वारा गठित निगरानी समिति की बैठक में भी किसानों के हितों के लिए इसके वायदा कारोबार को दोबारा शुरू करने की मांग की गई थी।
उन्होंने कहा कि उम्मीद है एफएमसी जल्द ही ग्वार और ग्वार गम के वायदा कारोबार को शुरू करने की अनुमति दे देगी। ग्वार और ग्वार गम की कीमतों में भारी तेजी को देखते हुए सरकार ने मार्च 2012 में इसके वायदा कारोबार पर रोक लगा दी थी।
आर रामाशेषन ने बताया कि देश में गेहूं और चावल के बाद मक्का का सबसे ज्यादा उत्पादन होता है। मक्का का घरेलू उपयोग तो लगातार बढ़ ही रहा है साथ में निर्यात भी बढ़ रहा है। भारतीय मक्का समिट-2013 में वेल्यू चेन को बढ़ावा दे रहे हैं इसका उद्योग के साथ ही किसानों को भी फायदा होगा।
इस समय एनसीडीईएक्स पर मक्का का दैनिक 50 करोड़ रुपये का कारोबार होता है तथा अगले 2-3 साल में बढ़कर 500 करोड़ रुपये का होने की उम्मीद है। एफएमसी के अनुसार फरवरी महीने में एनसीडीईएक्स पर 95,328 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1,06,149 करोड़ रुपये से कम है।
उन्होंने कहा कि फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट रेगुलेशन एक्ट (एफसीआरए) पास होने से एफएमसी के अधिकार बढ़ जायेंगे तथा इससे कमोडिटी मार्किट में ऑप्शन ट्रेडिंग शुरु की जा सकेगी। साथ ही इससे जिंस वायदा कारोबार में पारदर्शिता बढ़ेगी।
उन्होंने बताया कि इस समय देशभर में 600 वेयरहाउस एनसीडीईएक्स से जुड़े हुए हैं तथा 300 वेयर हाउसों को और जोडऩे की योजना है। मक्का की तरह अन्य जिंसों चना, सोयाबीन इत्यादि में भी समिट कराने की योजना है। (Business Bhaskar)
मंत्रिमंडल करेगा सरकारी कपास बेचने पर फैसला
आर एस राणा नई दिल्ली | Mar 22, 2013, 00:30AM IST
कवायद - कपास की कीमतों में आई तेजी पर रोक लगाना मकसद
पैदावार में गिरावट
कृषि मंत्रालय के अनुसार कपास की पैदावार 338 लाख गांठ होने का अनुमान है
पिछले साल पैदावार 352 लाख गांठ की हुई थी
चालू फसल सीजन में अभी तक हो चुका है 80 लाख गांठ का निर्यात
सीसीआई द्वारा चालू सीजन में 23 लाख गांठ कपास की गई है खरीद
खुले बाजार में सरकारी कपास की बिक्री पर फैसला अब केंद्रीय मंत्रिमंडल को करना है। इसके लिए जल्द ही कैबिनेट नोट तैयार किया जायेगा। घरेलू बाजार में कपास की कीमतों में आई तेजी पर लगाम लगाने के लिए सरकार यह कदम उठाने जा रही है।
कपड़ा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) द्वारा खरीदी गई कपास की खुले बाजार में बिक्री पर फैसला केंद्रीय मंत्रिमंडल को करना है। उन्होंने बताया कि इसके लिए जल्द ही कैबिनेट नोट तैयार किया जायेगा तथा उम्मीद है अप्रैल के पहले सप्ताह में इस पर फैसला हो जायेगा।
उन्होंने बताया कि सरकारी एजेंसियों के पास कुल पैदावार का केवल 6 फीसदी कपास का स्टॉक है इसलिए यह कहना गलत है कि सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीद करने से कपास की कीमतों में तेजी आई है।
सीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार चालू कपास सीजन में निगम ने 23 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) कपास की खरीद की है।
सरकारी कपास की बिक्री शुरू होने की आशंका के कारण ही सप्ताहभर में उत्पादक राज्यों में कपास की कीमतों में 500 रुपये कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) की गिरावट आई है।
अहमदाबाद में शंकर-6 किस्म की कपास का दाम पिछले सप्ताह बढ़कर 39,500 से 40,000 रुपये प्रति कैंडी हो गया था जबकि गुरुवार को दाम घटकर 39,200 से 39,500 रुपये प्रति कैंडी रह गया। हालांकि ऊंचे भाव में मांग घटने से विदेशी बाजार में भी कपास की कीमतों में मंदा आया है।
न्यूयार्क बोर्ड ऑफ ट्रेड में मई महीने के वायदा अनुबंध में कॉटन की कीमतें 15 मार्च को बढ़कर 92.50 सेंट प्रति पाउंड पर बंद हुई थी जबकि 20 मार्च को इसका भाव घटकर 89.10 सेंट प्रति पाउंड पर बंद हुआ। चालू सीजन में अक्टूबर से अभी तक करीब 80 लाख गांठ कपास का निर्यात हो चुका है।
के सी टी एंड एसोसिएट के मैनेजिंग डायरेक्टर राकेश राठी ने बताया कि उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवक पहले की तुलना में कम हो गई है। कीमतों में आई तेजी से स्टॉकिस्टों की बिक्री भी कम हुई है।
उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में दैनिक आवक घटकर 14,000 (एक गांठ-170 किलो), गुजरात में 34,000 गांठ और महाराष्ट्र में 22,000 गांठ की रह गई है।
कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार वर्ष 2012-13 में देश में 338 लाख गांठ कॉटन का उत्पादन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 352 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था। (Business Bhaskar....R S Rana)
Food processing ind utilises less than half fund in 11th Plan
New Delhi, Mar 22. The government today expressed
concern that the food processing industries utilised only Rs
1,600 crore out of Rs 4,000 crore allocated during the 11th
Five Year Plan period under various central schemes.
Addressing a conference, Minister of State for Agriculture
and Food Processing Industries Tariq Anwar said the government
is giving great emphasis on this sector but the industry has
failed to utilise the incentives.
He sought to know from the industry the reason behind the
lukewarm response to the various schemes including setting up
of mega food parks and cold storage.
"I would like to point out that against a total allocation
of Rs 4,000 crore for the food processing sector in the 11th
Plan, the industry could avail only around Rs 1,600 crore
under the various schemes.
"I would like to know from you (from the industry) as to
why the industry could not uses these resources and if there
is something that needs to be done at our end, we would be
willing to do it," Anwar said at a conference organised by
Indo-American Chamber of Commerce.
The minister emphasised that the country has one of the
most favourable fiscal incentive structures for promoting the
food processing sector. He highlighted several tax incentives
being offered by the government.
Anwar noted that the food processing sector out-performed
manufacturing in 2011-12 fiscal. "While food processing
industry grew at 15.1 per cent, manufacturing growth was close
to 3 per cent."
The minister said although the country is one of the
largest producers in foodgrains, fruits and vegetables, but
the processing level is less than 10 per cent.
The growth in this sector would have a much larger impact
on the economy as it would contribute in tackling various
concerns such as disguised unemployment in agriculture, rural
poverty, food security, food inflation, food wastages and
improved nutrition, Tariq said.
Gold, silver up on stockists buying, firm global cues
New Delhi, Mar 22. Both the precious metals, gold
and silver, recovered here today on fresh buying by stockists
supported by a firm global trend.
While gold recovered by Rs 80 to Rs 30,330 per 10 grams,
silver rebounded by Rs 430 to Rs 55,180 per kg on increased
offtake by jewellers and industrial units.
Traders said fresh buying by stockists supported by a firm
global trend mainly led to the recovery in both the precious
metals.
Gold in New York, which normally sets the price trend on
the domestic front, rose by USD 8.10 to USD 1,614.80 an ounce
and silver by 1.25 per cent to USD 29.18 an ounce.
On the domestic front, gold of 99.9 and 99.5 per cent
purity recovered by Rs 80 each to Rs 30,330 and Rs 30,130 per
10 grams, respectively. It had lost Rs 120 yesterday.
However, sovereigns held steady at Rs 25,300 per piece of
eight grams in limited deals.
In line with a general firm trend, silver ready rebounded
by Rs 430 to Rs 55,180 per kg and weekly-based delivery by Rs
54,835 per kg. The white metal had declined by Rs 250 in the
previous session.
Silver coins continued to be asked around previous level
of Rs 82,000 for buying and Rs 83,000 for selling of 100
pieces.
21 मार्च 2013
Gold down Rs 120 on weak global cues
New Delhi, Mar 21. Snapping a four-day rising streak,
gold prices today fell by Rs 120 to Rs 30,250 per 10 grams
here due to selling by stockists at existing higher levels
amid a weak global trend.
Silver followed suit and fell by Rs 250 to Rs 54,750 per
kg owing to lack of buying support from industrial units and
coin makers.
Traders said stockists selling at prevailing higher levels
amid a weak global trend mainly led to the fall in gold and
silver prices.
Gold in New York, which normally sets the price trend on
the domestic front, fell by USD 6.10 to USD 1,606.70 an ounce
and silver by 0.31 per cent to USD 28.82 an ounce.
Besides, sluggish domestic demand also dampened the
sentiment to some extent, they said.
On the domestic front, gold of 99.9 and 99.5 per cent
purity fell by Rs 120 each to Rs 30,250 and Rs 30,050 per 10
grams, respectively. The metal had gained Rs 440 in the
previous four sessions. Sovereigns followed suit and declined
by Rs 50 to Rs 25,300 per piece of eight grams.
In line with a general weak trend, silver ready lacked
necessary buying support and lost Rs 250 at Rs 54,750 per kg
and weekly-based delivery by Rs 210 to Rs 54,350 per kg.
Silver coins maintained steady trend at Rs 82,000 for
buying and Rs 83,000 for selling of 100 pieces.
NCDEX hopeful of relaunch of guar futures in one month
New Delhi, Mar 21. Commodity bourse NCDEX today said
it has applied for relaunch of guar futures contracts and is
hopeful of getting regulator FMC's nod within a month.
The exchange also said its business will not be affected
due to commodity transaction tax (CTT) on non-agricultural
commodities as its exposure is largely in farm items.
In March last year, Forward Markets Commission (FMC) had
banned futures trading in guarseed and guargum to curb price
volatility and speculation.
"We are waiting for the FMC to take a call on guar
futures. We have requested FMC to permit trading in guar
because crop seems to be coming into the market," NCDEX
Managing Director and CEO R Ramasheshan told reporters on the
sidelines of an event here.
He said that the government will soon take a decision on
this. "In a month from now, we are hopeful of some good news."
Guar gum is extracted from guar seed, production of which
is expected to be 14 lakh tonnes this year, slightly lower
than
17 lakh tonnes in 2011-12. India is the world's biggest
exporter of the commodity.
The Advisory Committee, headed by the FMC chief, has also
suggested re-listing of guar futures.
Asked about impact of CTT on turnover of the exchange,
Ramasheshan said, "We are not worried about CTT as we have
limited exposure in non-agricultural items."
In the 2013-14 Budget, the government proposed to
introduce 0.01 per cent CTT on non-agricultural items.
On launching new commodities, he said the exchange has
already applied with FMC seeking permission to launch bajra
futures contracts.
He also mentioned that the priority is on boosting trading
volume in farm items like maize, by encouraging all
stakeholders to use the futures platform.
For instance, the maize futures contract was tweaked
recently to encourage participation from traders/farmers both
from northern and southern growing states, he added.
"Daily volumes in maize contract are currently low at Rs
50 crore. The change in contract is likely to increase trade
volumes to Rs 500 crore in the next 2-3 years," NCDEX Chief
Business Office Vijay Kumar said.
On overall turnover of NCDEX, he said the business
volumes in value terms are falling due to lower price
volatility. Otherwise, the quantity of commodities traded are
at good level, though there is scope for scaling it up
further.
According to FMC data, NCDEX made a business of Rs 95,328
crore in February this year, down from Rs 1,06,149 crore in
the same month last year.
18 मार्च 2013
आज बदल सकती है चीनी उद्योग की किस्मत
केंद्रीय मंत्रिमंडल सोमवार को बहुप्रतीक्षित लेवी चीनी प्रणाली खत्म करने के बारे में विचार करेगा। बैठक में 80,000 करोड़ रुपये के चीनी क्षेत्र के आंशिक विनियंत्रण का रास्ता साफ हो सकता है। लेवी चीनी प्रणाली के तहत निजी मिलों को चीनी का एक निर्धारित हिस्सा सरकार को रियायती दर पर बेचना होता है। हालांकि इसके बाद सब्सिडी के बोझ में बढ़ोतरी होगी, जिसकी भरपाई के लिए चीनी पर उत्पाद शुल्क बढ़ाया जा सकता है।
इससे जुड़े जानकार लोगों ने बताया कि मंत्रिमंडल नियंत्रित रिलीज ऑर्डर व्यवस्था समाप्त करने और खुले बाजार में चीनी की कितनी भी मात्रा की बिक्री की छूट के प्रस्ताव पर भी विचार करेगा। फिलहाल सरकार ही तय करती है कि प्रत्येक मिल हर तिमाही या महीने में बाजार में कितनी चीनी बेच सकती है।
अधिकारियों ने कहा कि मंत्रिमंडल की बैठक में खाद्य सुरक्षा विधेयक पर भी विचार किया जाएगा। इस विधेयक में पुराने विधेयक में किए गए संशोधनों को शामिल किया गया है, जिनकी सिफारिश खाद्य पर संसद की स्थायी समिति ने की है। खाद्य मंत्रालय ने लेवी चीनी की प्रणाली समाप्त करने का सुझाव दिया था। लेवी चीनी के तहत मिलों को अपने सालाना उत्पादन का 10 फीसदी हिस्सा सरकार को बेचना होता है, जिसकी बिक्री सरकार कम कीमतों पर राशन की दुकानों के जरिये करती है।
वित्त मंत्री ने चिंता जताई थी कि अगर यह प्रणाली खत्म की जाती है तो सब्सिडी के बोझ में अचानक भारी बढ़ोतरी होगी। क्योंकि तब राशन की दुकानों के जरिये सस्ती चीनी बांटने का पूरा बोझ सरकार को ही उठाना पड़ेगा। अभी यह बोझ केंद्र और मिलें उठाती हैं। जवाब में अधिकारियों ने कहा कि खाद्य मंत्रालय का सुझाव था कि सब्सिडी के बोझ में बढ़ोतरी की भरपाई के लिए उत्पाद शुल्क बढ़ाया जा सकता है। साथ ही, मंत्रियों की उच्चाधिकार प्राप्त समिति बनाई जा सकती है या सचिवों का एक अंतर-मंत्रालय समूह चीनी पर निर्यात और आयात शुल्कों के नियमन के प्रस्ताव पर चर्चा कर सकता है। (BS hindi)
निर्यात मांग घटने से मूंगफली में तेजी नहीं
मंडियों में सप्लाई
गुजरात की मंडियों में मूंगफली की आवक 20-25 हजार बोरी
राजकोट मंडी में मूंगफली का भाव 1,000 रुपये प्रति 20 किलो
मूंगफली तेल का दाम 1,200 रुपये प्रति 10 किलो रहा
मूंगफली दाने का निर्यात 32 फीसदी घटकर 4.55 लाख टन
निर्यातकों की मांग कमजोर होने से मूंगफली की कीमतों में तेजी की कोई खास उम्मीद नहीं है। चालू वित्त वर्ष 2012-13 के पहले दस महीनों (अप्रैल से जनवरी) के दौरान मूंगफली दाने निर्यात में 32.3 फीसदी की कमी आकर कुल निर्यात 4.55 लाख टन का ही हुआ है।
श्री राज मोती इंडस्ट्रीज के मैनेजिंग डायरेक्टर समीर भाई शाह ने बताया कि चालू सीजन में मूंगफली की पैदावार में कमी आई है लेकिन मूंगफली दाने की निर्यात मांग भी कमजोर है इसलिए आगामी दिनों में मूंगफली और इसके तेल की मौजूदा कीमतों में तेजी की कोई खास संभावना नहीं है। उन्होंने बताया कि मूंगफली दाने का निर्यात इस समय 68 से 70 रुपये प्रति किलो की दर से हो रहा है।
कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2012-13 के पहले दस महीनों अप्रैल से जनवरी के दौरान मूंगफली दाने का निर्यात 32.3 फीसदी घटकर 4.55 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 6.77 लाख टन का निर्यात हुआ था।
मूल्य के आधार पर इस दौरान मूंगफली दाने के निर्यात में 16.35 फीसदी की कमी आई है। चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से जनवरी के दौरान 3,456.49 करोड़ रुपये के मूंगफली दाने का निर्यात हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 4,131.85 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ था।
मूंगफली के थोक कारोबारी दयालाल ने बताया कि गुजरात की मंडियों में मूंगफली की दैनिक आवक 20 से 25 हजार बोरियों की हो रही है। राजकोट मंडी में शनिवार को मूंगफली का भाव 1,000 रुपये प्रति 20 किलो रहा।
मूंगफली तेल का दाम इस दौरान राजकोट में 1,200 रुपये प्रति 10 किलो रहा।
कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल वर्ष 2012-13 (रबी और खरीफ) में मूंगफली की कुल पैदावार घटकर 57.79 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 69.64 लाख टन की पैदावार हुई थी। (Business Bhaskar)
निर्यात मांग बढऩे से कपास के मूल्य में जोरदार बढ़ोतरी
आर एस राणा नई दिल्ली | Mar 18, 2013, 00:02AM IST
विदेश व्यापार - अक्टूबर से अब तक 80 लाख गांठ कॉटन का निर्यात
तेजी का आलम
अहमदाबाद शंकर-6 34 हजार रुपये से बढ़कर 40 हजार रुपये प्रति कैंडी
पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में दैनिक आवक घटकर 17,000 गांठ
दैनिक आवक गुजरात में 32,000 गांठ और महाराष्ट्र में 22,000 गांठ
न्यूयॉर्क में महीने भर में कॉटन 9' बढ़कर 92.50 सेंट प्रति पाउंड
पिछले दो माह में कॉटन के दाम 17 फीसदी से भी ज्यादा चमके
निर्यातकों की मांग बढऩे से कॉटन के दाम चालू सीजन में उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं। पिछले दो महीने में कीमतों में 17.3 फीसदी की तेजी आकर अहमदाबाद में शंकर-6 किस्म की कॉटन के दाम 39,500-40,000 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी 356 किलो) हो गए। चालू सीजन में अभी तक करीब 80 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) कपास का निर्यात हो चुका है।
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) के अध्यक्ष डी. एन. सेठ ने बताया कि यार्न और कॉटन में निर्यात मांग अच्छी बनी हुई है। चालू सीजन में अक्टूबर से अभी तक करीब 80 लाख गांठ कॉटन का निर्यात हो चुका है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉटन की कीमतों में आई तेजी से निर्यातकों को मार्जिन भी अच्छा मिल रहा है।
घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में तेजी आगामी दिनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार के दाम पर निर्भर करेगी। मुक्तसर कॉटन प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर नवीन ग्रोवर ने बताया कि यार्न में निर्यात मांग अच्छी बनी हुई है जबकि गुजरात और महाराष्ट्र में अच्छी क्वालिटी की कॉटन की कमी है।
विदेशी बाजार में कॉटन की कीमतें पिछले साल के मुकाबले 5 फीसदी ऊपर बनी हुई है। न्यूयॉर्क बोर्ड ऑफ ट्रेड में मार्च महीने के वायदा अनुबंध में कॉटन की कीमतें 27 दिसंबर 2012 को 76.01 सेंट प्रति पाउंड थी, जबकि 15 मार्च को मई महीने के वायदा अनुबंध में इसका दाम बढ़कर 92.50 सेंट प्रति पाउंड पर बंद हुआ। विदेशी बाजार में महीनेभर में ही कॉटन की कीमतों में 9.31 फीसदी की तेजी आ चुकी है।
केसीटी एंड एसोसिएट के मैनेजिंग डायरेक्टर राकेश राठी ने बताया कि उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवक पहले की तुलना में कम हो गई है। कीमतों में आई से स्टॉकिस्टों की बिक्री भी कम हुई है। अहमदाबाद मंडी में शंकर-6 किस्म की कॉटन के दाम शनिवार को बढ़कर 39,500-40,000 रुपये प्रति कैंडी हो गए जबकि 15 जनवरी को भाव 33,900 से 34,100 रुपये प्रति कैंडी थे।
उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में दैनिक आवक घटकर 17,000 (एक गांठ-170 किलो), गुजरात में 32,000 गांठ और महाराष्ट्र में 22,000 गांठ की रह गई है। उत्पादक मंडियों में कपास की कीमतों में आई तेजी से सीसीआई द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद भी बंद हो गई है।
केंद्र सरकार ने चालू विपणन सीजन 2012-13 के लिए मीडियम स्टेपल की कपास का एमएसपी 3,600 रुपये और लांग स्टेपल वाली किस्म की कपास का एमएसपी 3,900 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।
कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार वर्ष 2012-13 में देश में 338 लाख गांठ कॉटन का उत्पादन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 352 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था। (Business Bhaskar....R S Rana)
14 मार्च 2013
कपास कारोबार में सक्रिय बड़े खरीदार
वैश्विक अनुमान में वर्ष 2013-14 में कपास उत्पादन में गिरावट की बात कही गई है। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास की कीमतें मजबूत होने लगी हैं और 11 महीने के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई हैं। निर्यात के मौके भांपते हुए भारत में प्रमुख बहुराष्ट्रीय कारोबारी कपास कारोबार में सक्रिय हो गए हैं, जिससे इसकी कीमतों में तेजी आई है।
अंतरराष्ट्रीय कपास सलाहकार समिति ने कहा कि वैश्विक उत्पादन 22 फीसदी घटकर 220 लाख टन रहने का अनुमान है। राबो बैंक ने भी कहा है कि कीमतों में हालिया तेजी के बावजूद सोयाबीन और मक्का जैसी नई फसलें कपास का रकबा कम कर सकती हैं। अमेरिका की कृषि ऋण प्रदाता एक प्रमुख संस्था राबी ने कहा कि अमेरिका में कपास का उत्पादन 18 फीसदी घट सकता है।
कपास उत्पादन घटने की खबरों से अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमतों में तेजी आई है। अमेरिका में कपास का कारोबार 11 महीने के सर्वोच्च स्तर 88 सेंट प्रति पाउंड पर हो रहा है। भारत में बेंचमार्क शंकर-6 किस्म की कीमत पिछले साल अगस्त के बाद सबसे ऊंचे स्तर 10,770 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गई है। एमसीएक्स में कपास वायदा 19,070 रुपये प्रति गांठ (170 किलोग्राम) पर पहुंच गया है। देश से कपास निर्यात के मौके भांपते हुए भारत की कुछ बहुराष्ट्रीय कारोबारी कंपनियों ने निर्यात के लिए कपास की खरीदारी और स्टॉक करना शुरू कर दिया है।
उनकी नजर आर्बिट्राज (कम कीमत पर खरीदकर ऊंची कीमत पर बेचकर लाभ कमाना) पर है क्योंकि चीन की सरकार वहां की मिलों को राज्य एजेंसी से कपास खरीदने के लिए बाध्य कर रही है। वहां की राज्य एजेंसी अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क कीमत से काफी ज्यादा कीमत पर कपास की बिक्री कर रही है। उदाहरण के लिए अमेरिका में कपास की कीमत 88 सेंट प्रति पाउंड है, वहीं चीन की राज्य एजेंसी वहां की स्थानीय मिलों को 1.20 से 1.47 डॉलर प्रति पाउंड पर कपास बेच रही है।
चीन की मिलें स्थानीय बाजार से जितना माल लेती हैं, उसका 50 फीसदी ही कपास आयात कर सकती हैं। हालांकि उनके लिए भारतीय कपास की लागत करीब 90 सेंट पड़ती है। इसलिए चीन में भारतीय कपास की मांग है, क्योंकि इससे वहां की मिलों को अपनी औसत लागत घटाने में मदद मिलती है। भारत के बहुराष्ट्रीय कारोबारियों ने स्थानीय बाजार से कपास खरीदकर चीन को इसका निर्यात शुरू कर दिया है। वे भारत के हाजिर बाजार से खरीदारी करते हैं और इसे घरेलू वायदा बाजार या अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेच देते हैं।
एक दिग्गज बहुराष्ट्रीय ट्रेडिंग कंपनी के अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर इसकी पुष्टि की। कारोबारी हलकों में अनुमान लगाया जा रहा है कि बहुराष्ट्रीय कारोबारियों ने हाल में करीब 10 लाख गांठ कपास की खरीद की है। उनकी खरीदारी के साथ ही अनुमान लगाया गया है कि सरकारी खरीद एजेंसियों जैसे भारतीय कपास निगम और नैफेड के पास 30 लाख गांठ से ज्यादा कपास का स्टॉक है। कुछ ही हाथों में बड़ी मात्रा होने से कीमतें ऊंची रहती हैं।
हालांकि अब तक निर्यात सुस्त था, लेकिन इसके अब रफ्तार पकडऩे की संभावना है। कहा जा रहा है कि डीजीएफटी के पास 75 लाख गांठों का पंजीकरण हो चुका है। कपास सलाहकार बोर्ड ने चालू कपास वर्ष 2012-13 में 80 लाख गांठों के निर्यात का अनुमान जताया है। (BS Hindi)
चीनी उत्पादन घटकर रहेगा 2.4 करोड़ टन : पवार
कृषि मंत्री शरद पवार ने बुधवार को कहा कि महाराष्ट्र में गन्ने की फसल घटने की आशंका के चलते अगले साल चीनी का उत्पादन घटकर 2.4 करोड़ टन रह सकता है। यह लगातार दूसरा वर्ष होगा जब चीनी के उत्पादन में गिरावट आएगी। चीनी वर्ष अक्टूबर से शुरू होता है।
वर्ष 2011-12 (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान देश में 2.6 करोड़ टन चीनी का उत्पादन हुआ था। हालांकि, इस साल चीनी उत्पादन 2.45 से 2.50 करोड़ टन रहने का अनुमान है। पवार ने यहां संवाददाताओं को बताया, 'इस साल चीनी उत्पादन 2.45 करोड़ टन रहने का अनुमान है। अगले साल यह 2.4 करोड़ टन रहेगा।Ó
उन्होंने कहा कि लगातार दूसरे साल कम बारिश होने के चलते महाराष्ट्र में गन्ने की रोपाई अभी तक शुरू नहीं हुई है। स्थिति इतनी गंभीर है कि राज्य सरकार ने सिंचाई के बजाय पीने के लिए पानी बचाने का निर्णय किया है। पवार ने कहा कि चालू विपणन वर्ष (सितंबर-अक्तूबर) 2012-13 में महाराष्ट्र और उत्तर कर्नाटक को छोड़कर चीनी उत्पादन की स्थिति 'अच्छीÓ है। महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन कम रहने की संभावना है क्योंकि भारी मात्रा में गन्ने की फसल को चारे के तौर पर इस्तेमाल हो रही है, जबकि उत्तर प्रदेश में स्थिति बेहतर है। (BS Hindi)
'खाद्य सुरक्षा कानून के लिए तैयार'
पहली बार वर्ष 2013-14 के केंद्रीय बजट में संप्रग-2 के महत्त्वाकांक्षी सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम 'खाद्य सुरक्षा कानूनÓ के लिए 10,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। यह आवंटन 80,0000 करोड़ रुपये की सामान्य खाद्य सब्सिडी के अतिरिक्त है। खाद्य मंत्री के वी थॉमस ने संजीव मुखर्जी को बताया कि खाद्य सब्सिडी के रूप में 90,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटन विधेयक को लागू करने के शुरुआती चरण के लिए पर्याप्त होगा। हालांकि उन्होंने वर्ष के दौरान और आवंटन की संभावना से भी इनकार नहीं किया। मुख्य अंश :
बजट में खाद्य सुरक्षा विधेयक के लिए 10,000 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रावधान किया गया है। लेकिन हम इसे देखने से पता चलता है कि सामान्य सब्सिडी को 2013-14 के बजट अनुमान में घटाकर 80,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है, जो 2012-13 के संशोधित अनुमान में 85,000 करोड़ रुपये थी। वहीं, खाद्य सुरक्षा विधेयक के लिए 10,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन किया गया है। इस बारे में आप क्या कहेंगे? क्या खाद्य सब्सिडी को घटाया जा रहा है?
ऐसा कभी नहीं हुआ है कि खाद्य विभाग की पूरी खाद्य सब्सिडी जरूरत को बजट में पूरा किया गया हो। कुछ आवंटन वर्ष के दौरान बाद में भी किए जाते हैं। किसी भी वर्ष में सब्सिडी की जरूरत प्रावधान की तुलना में अधिक हो सकती है जिसे या तो बाद में या फिर अगले वर्ष में पूरा किया जा सकता है। भारतीय खाद्य निगम के संदर्भ में 90,000 करोड़ रुपये का गैर-योजनागत खर्च होगा जो एक प्रमुख सब्सिडी है।
क्या खाद्य सब्सिडी के लिए कम प्रावधान से 2013-14 में खरीदारी प्रक्रिया प्रभावित होने की आशंका है?
मैं आश्वस्त कर सकता हूं कि खाद्य सब्सिडी के तहत बजट में जो कुछ भी दिया गया है, उससे एफसीआई की खरीद प्रक्रिया या भंडारण परिचालन पर प्रभाव नहीं पड़ेगा। एफसीआई की वित्तीय जरूरत पूरी तरह सरकार के हाथ में है और 2013-14 में भी रहेगी।
क्या खाद्य सब्सिडी के लिए बजट में 90,000 करोड़ रुपये का प्रावधान राष्टï्रीय खाद्य सुरक्षा बिल को पेश किए जाने में सक्षम बनाएगा?
बिल्कुल, हम राष्टï्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक के लिए तैयार हैं। इस विधेयक का कार्यान्वयन अब दो कारकों पर निर्भर है- संसद की मंजूरी और इसे पेश किए जाने के लिए राज्य सरकारों की तैयारी। जहां तक 2013-14 का सवाल है तो हमें विधेयक के संदर्भ में अधिक वित्तीय बोझ की आशंका नहीं है, क्योंकि हम इससे अवगत हैं कि राज्य सरकारें सिर्फ चरणबद्घ तरीके से ही इस विधेयक के कार्यान्वयन में सक्षम होंगी, क्योंकि इसके लिए प्रत्येक राज्य की क्षमता अलग अलग है। क्षमता के संदर्भ में मेरा तात्पर्य है उनकी तैयारी का स्तर, राशन कार्ड के डिजिटलीकरण की प्रक्रिया, लाभार्थियों की पहचान आदि। इसके अलावा खाद्य सुरक्षा विधेयक पर वास्तविक खर्च का अंदाजा तभी चल पाएगा जब यह पूरी तरह पेश हो जाएगा।
ऐसी भी चर्चा थी कि लेवी शुगर व्यवस्था को समाप्त किए जाने के प्रस्ताव के बाद सब्सिडी के समायोजन के लिए उत्पाद शुल्क लगाए जाने के लिए बजट में कुछ प्रावधान किए जा सकते हैं। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, इसलिए चीनी क्षेत्र को नियंत्रण-मुक्त किए जाने के प्रस्ताव पर आपका क्या कहना है?
चीनी क्षेत्र को नियंत्रण-मुक्त करने संबंधी प्रस्ताव को बजट में लाए जाने की संभावना नहीं थी, क्योंकि यह एक नीतिगत मामला है। बजट में इस संबंध में प्रावधान नहीं किए जाने का मतलब है कि यह नहीं आएगा। सरकार भी इस प्रस्ताव पर कोई निर्णय नहीं ले पाई है। (BS Hindi)
दूसरी छमाही में भारतीय गेहूं को मिलेगी कड़ी टक्कर
भारत को अंतरराष्ट्रीय बाजार में चालू वर्ष की पहली छमाही में स्टॉक निकालने के लिए ज्यादा से ज्यादा निर्यात कर लेना चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि चालू वर्ष की दूसरी छमाही में उसे गेहूं के वैश्विक बाजार में एशिया के दूसरे देशों से कड़ी टक्कर मिलेगी। एशियाई बाजार में इन देशों का नया गेहूं सुलभ हो जाएगा।
यहां ग्लोबल ग्रेन कांफ्रेंस में भाग लेने आए प्रतिनिधियों के अनुसार हाल में इंडोनेशिया की एक मिल ने रूस से 260-270 डॉलर प्रति टन (सीएंडएफ) के भाव पर गेहूं खरीद का सौदा किया है।इस सौदे के तहत 3,000 टन गेहूं की सप्लाई जुलाई में की जाएगी। हालांकि कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूक्रेन के गेहूं की सप्लाई जुलाई व अगस्त में
शुरू होगी।
प्रतिनिधियों ने बताया कि भारत की सरकारी कंपनियों ने 300 डॉलर प्रति टन (एफओबी) का बेस प्राइस तय किया है। उसे ताजा बिड 303-305 डॉलर प्रति टन के भाव पर मिली है।
अभी तक भारत ने 30 लाख टन गेहूं निर्यात की अनुमति दी है। हालांकि भारत से कुल 70 लाख टन तक गेहूं का निर्यात किया जा सकता है। कुछ जानकारों का अनुमान है कि निर्यात 90 लाख टन तक पहुंच सकता है।
एक कमोडिटी ट्रेडर ने कहा कि हमें जुलाई से गेहूं व मक्का अन्य देशों से आने की उम्मीद दिखाई दे रही है। इससे भारतीय गेहूं को अंतरराष्ट्रीय बाजार में चुनौती मिलेगी। यही नहीं, कनाडा जल्दी ही इंडोनेशिया में अपने गेहूं के लिए प्रमोशन अभियान शुरू करने जा रहा है।
दक्षिण-पूर्व एशिया में इंडोनेशिया सबसे बड़ा आयातक देश है। कनाडा के प्रांत सस्काचेवान की उप मंत्री अलाना कोच ने कहा कि फ्लोर मिलों के बीच कनाडा के उच्च ग्रेड के गेहूं के प्रमोशन के लिए वह इस सप्ताह इंडोनेशिया का दौरा करने वाली हैं।
यहां 12-14 मार्च के बीच चलने वाली कांफ्रेंस ने कोच ने संवाददाताओं को बताया कि कनाडा के उच्च क्वालिटी वाले गेहूं के लिए इंडोनेशिया अच्छा बाजार है।
हेमबर्ग स्थित क्रीमर ग्रुप की कंपनी पीटर क्रेमर के सिंगापुर में मैनेजिंग डायरेक्टर माइकेल जेस्टर ने कहा कि भारत में एक बार फिर गेहूं का बंपर उत्पादन होने के आसार हैं।
चालू रबी सीजन में गेहूं का उत्पादन 930-950 लाख टन के बीच रह सकता है। जबकि घरेलू खपत 800 लाख टन से कम रहती है। जबकि भारत में पहले से ही अनाज भंडारण की सुविधाएं सीमित हैं।
इस बीज, टर्की स्थित अनाज आयातक युलूसोउन ने भी रूस से 260-270 डॉलर प्रति टन (एसएंडएफ) के भाव पर जुलाई डिलीवरी गेहूं खरीद का सौदा किया है।
यह कंपनी इंडोनेशिया की मिलिंग कंपनी गोल्डन ग्रांड को गेहूं की सप्लाई करती है। यूक्रेन का अगस्त डिलीवरी गेहूं 248 डॉलर प्रति टन (एफओबी) के भाव पर बिकने की संभावना है। (Business Bhaskar)
प्याज के निर्यात पर रोक लगाने से इंकार
सरकारी रुख
प्याज के मूल्य में आई तेजी अस्थाई थी
देश में 170 लाख टन प्याज का उत्पादन
प्याज की खपत का आंकड़ा 150 लाख टन पर
सरप्लस स्टॉक होने के कारण निर्यात की अनुमति
केंद्र सरकार ने प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से इंकार किया है। उसका कहना है कि प्याज के मूल्य में अस्थाई तेजी रही है क्योंकि कुछ उत्पादक क्षेत्रों में बेमौसमी बारिश हुई और मंडी बंद रहीं।
वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने राज्यसभा में बताया कि हमारे पास प्याज का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है और किसी भी स्तर पर इसकी कमी नहीं है। घरेलू खपत का आकलन करने के बाद सरप्लस प्याज का ही निर्यात करने की अनुमति दी गई है।
देश में 170 लाख टन प्याज का उत्पादन 150 लाख टन घरेलू खपत से कहीं ज्यादा है। उन्होंने कहा कि कृषि उपजों का निर्यात नीति विभिन्न कारकों पर निर्भर होती है। इनमें घरेलू खपत, बफर स्टॉक और रणनीतिक स्टॉक के बाद बची कृषि उपज का ही निर्यात किया जाता है।
उन्होंने बताया कि प्याज के मामले में 84 फीसदी उत्पादन की घरेलू खपत हो जाती है। सरकार छह फीसदी स्टॉक बफर स्टॉक के रूप में रखती है।
इसके बाद बचे 7 फीसदी प्याज का ही निर्यात किया जाता है। सप्लाई संबंधी वचनबद्धता के चलते हम अनायास निर्यात पर रोक नहीं लग सकते हैं। निर्यात पर रोक लगाने से अंतरराष्ट्रीय बाजार से भारत की मौजूदगी खत्म हो जाएगी और इसका लाभ प्रतिस्पर्धी देशों को मिलेगा।
शर्मा के अनुसार राजस्थान और मध्य प्रदेश में बारिश होने और आजादपुर मंडी बंद रहने की वजह से दिल्ली में जनवरी व फरवरी के दौरान प्याज के दाम बढ़े थे। मूल्य में अस्थाई बढ़ोतरी 22 जनवरी को शुरू हुई और एक पखवाड़े में मूल्य सामान्य स्तर पर आ गए।
11 मार्च को आजादपुर मंडी में प्याज के दाम 13.10 रुपये प्रति किलो रहे। हालांकि फुटकर में प्याज के दाम करीब 10-11 रुपये प्रति किलो ज्यादा हैं। लेकिन कीमत में यह अंतर फुटकर विक्रेताओं के कारण है। (Business Bhaskar)
गांव के गोदामों से भी मिलेगी नेगोशिएबल रसीद
आर एस राणा नई दिल्ली | Mar 14, 2013, 02:24AM IST
इन जिंसों की मिलेगी रसीद :- अनाज, मसाले, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, साबुत मसाले, मसाला पाउडर, चाय, कॉफी, तंबाकू और रबर
ग्राम स्तर पर सोसायटी के गोदामों को भी दी जा रही है मान्यता
अब प्राइमरी सहकारी संस्थाओं के गोदामों में भी जिंसों का भंडारण करके किसान और ट्रेडर्स नेगोशिएबल वेयरहाउस रसीद (एनडब्ल्यूआर) प्राप्त कर सकेंगे। भंडारण विकास एवं नियामक प्राधिकरण (डब्ल्यूडीआरए) ने प्राइमरी सहकारी संस्थाओं के वेयरहाउस को भी रसीद देने के लिए मान्यता देनी शुरू कर दी है।
डब्ल्यूडीआरए के टेक्निकल डायरेक्टर डॉ. एन के अरोड़ा ने बिजनेस भास्कर को बताया कि गांव स्तर पर किसानों और ट्रेडर्स को लाभ पहुंचाने के लिए डब्ल्यूडीआरए ने प्राइमरी सहकारी संस्थाओं के गोदामों को भी मान्यता देनी शुरू कर दी है।
आंध्र प्रदेश में इसकी शुरूआत की जा चुकी है तथा राज्य में सहकारी संस्थाओं के 13 वेयरहाउसों को नेगोशिएबल वेयरहाउस रसीद देने के लिए मान्यता दी जा चुकी है जबकि 8 और वेयरहाउसों को जल्द ही मान्यता दे दी जाएगी। उन्होंने बताया कि सहकारी संस्थाओं से अभी तक 150 आवेदन वेयरहाउसों को मान्यता देने के लिए मिल चुके हैं।
उन्होंने बताया कि प्राइमरी सहकारी संस्थाओं के गोदामों को नेगोशिएबल वेयरहाउस रसीद की मान्यता मिलने से किसान और ट्रेडर्स को लाभ मिलेगा।
किसान और ट्रेडर्स मान्यता प्राप्त वेयर हाउसों में 115 जिंसों को रखकर उसके एवज में रसीद प्राप्त कर सकते हैं तथा वेयरहाउस से मिली रसीद से बैंकों से आसानी से ऋण भी प्राप्त कर सकते हैं तथा जरूरत के समय जिंस के बजाय वेयर हाउस से मिली रसीद को ही सीधे खरीददार को बेच भी सकते हैं।
उन्होंने बताया कि आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा प्राइमरी सहकारी संस्थाएं हैं। इन सहकारी संस्थाओं द्वारा बनाए गए गोदामों में बीज और खाद आदि का भंडारण किया जा रहा है। डब्ल्यूडीआरए से एनडब्ल्यूआर की मान्यता मिलने से अब इन गोदामों में जिंसों का भंडारण भी किया जा सकेगा। इससे किसानों पर नई फसल की आवक के समय अपनी जिंस बेचने का दबाव नहीं होगा।
डॉ. अरोड़ा ने बताया कि क्रेडिट कार्ड धारक किसानों को वेयर हाउस रसीद पर 7 फीसदी की दर से बैंकों से ऋण मिल रहा है तथा समय पर अदायगी करने वाले किसानों को 3 फीसदी की छूट का लाभ भी मिल रहा है। ट्रेडर्स को वेयर हाउस रसीद पर 11 फीसदी की दर से बैंकों से आसानी से ऋण मिल रहा है।
उन्होंने बताया कि अनाज, मसाले, दलहन और तिलहनी जिंसों के अलावा खाद्य तेलों को भी वेयर हाउस में रख कर रसीद प्राप्त की जा सकती है।
इसके अलावा, साबूत मसलों के साथ ही मसाला पाउडर भी वेयर हाउसों में रखे जा सकेंगे। अन्य जिंसों में चाय, कॉफी, तंबाकू और रबर को भी किसान या ट्रेडर्स मान्यता प्राप्त वेयर हाउस में रखकर रसीद प्राप्त कर सकते हैं। (Business Bhaskar.....R S Rana)
Gold down by Rs 10 on lack of buying support
New Delhi, Mar 14. Gold prices declined by Rs 10 to
Rs 29,990 per 10 grams here today, owing to slackened demand
amid a weak global trend.
Silver followed suit and fell by Rs 335 to Rs 54,765 per
kg on reduced offtake by coin makers and industrial units.
Traders said sentiment turned bearish on lack of buying
support due to off marriage and festival season.
A weak trend on the global front after gold declined from
a two-week high as US data showing a strengthening economy and
damped demand for haven assets, they said.
Gold in Singapore, which normally set price trend on the
domestic front, lost 0.3 per cent to USD 1,583.75 an ounce and
silver by 0.9 per cent to USD 28.64 an ounce.
On the domestic front, gold of 99.9 and 99.5 per cent
purity declined by Rs 10 each to Rs 29,990 and Rs 29,790 per
10 grams, respectively. The metal had gained Rs 180 in last
three sessions. Sovereigns remained stable at Rs 25,250 per
piece of eight grams in restricted buying activity.
In line with a general weak trend, silver ready fell by Rs
335 to Rs 54,765 per kg and weekly-based delivery by Rs 360 to
Rs 54,490 per kg. Silver coins also tumbled by Rs 1,000 to Rs
80,000 for buying and Rs 81,000 for selling of 100 pieces on
fall in demand at prevailing higher levels.
13 मार्च 2013
Govt rules out banning onion export
New Delhi, Mar 13. Government today ruled out banning
export of onion saying the spurt in domestic prices was
"temporary" caused by unseasonable rains and mandi closures.
"We have adequate stocks (of onion). We have no shortage
and position is as such comfortable," Commerce Minister Anand
Sharma said during Question Hour in Rajya Sabha.
Only surplus production after taking into account all of
domestic consumption, is allowed to be exported, he said,
adding domestic production of onion at 17 million tons is more
than the demand of about 15 million tons.
"The export policy of agricultural produce depends on
various factors including availability of surplus over and
above the requirement of buffer stock including strategic
reserves," he said.
Out of the total onion production in the country, 84 per
cent was consumed domestically and six per cent is used for
creating buffer stock. Only 7 per cent is exported, he said.
"We cannot abruptly stop exports," he said, citing
sovereign supply commitments that may have been made. Besides,
stopping exports would mean yielding the space in
international commodity market to rivals.
Rains in Rajasthan and Madhya Pradesh as well as closure
of Azadpur Mandi in the national capital for four days led to
"temporary spurt" in prices in January/February.
"The temporary spurt in the prices beginning from January
22 continued for a fortnight and have since stabilised. The
wholesale price in Azadpur Mandi in Delhi on March 11 was Rs
13.10 per kg," he said.
He, however, admitted that the retail price may be higher
by up to Rs 10-11 per kg because of number of intermediaries
involved.
Gold up by Rs 125 to regain Rs 30K level
New Delhi, Mar 13. Gold today gained Rs 125 to Rs
30,000 per 10 grams on increased buying by stockists driven by
a firming global trend.
Silver also moved up by Rs 100 to Rs 55,100 per kg on
increased offtake by industrial units and coin makers.
Traders said increased buying by stockists in tadem with a
firming global trend mainly led an upward journey in gold for
the third day.
Gold prices in New York, which normally sets the price
trend on the domestic front, rose by USD 10.90 to USD 1,592.70
an ounce and silver by 0.55 per cent to USD 29.15 an ounce.
In addtion, some investors shifting their funds from
weakening equity to rising bullion further supported the
uptrend,they said.
On the domestic front, gold of 99.9 and 99.5 per cent
purity rose further by Rs 125 each to Rs 30,000 and Rs 29,800
per 10 grams, respectively. The yellow metal had gained Rs 55
in last two sessions. Sovereigns continued to be asked around
previous level of Rs 25,250 per piece of eight grams.
In line with a general firm trend, silver ready went up by
Rs 100 to Rs 55,100 per kg and weekly-based delivery by Rs 155
to Rs 54,850 per kg, respectively. Silver coins also spurted
by Rs 1,000 to Rs 81,000 for buying and Rs 82,000 for selling
of 100 pieces on upsurge in demand.
EGoM approves Rs 1,207cr drought relief package to Maharashtra
New Delhi, Mar 13> An Empowered Group of Ministers
(EGoM) on drought headed by Agriculture Minister Sharad Pawar
today approved Rs 1,207 crore relief package to Maharashtra.
"Rs 1,207 crore drought relief package has been approved
for Maharashtra," Home Minister Sushilkumar Shinde, who is
also a member of the EGoM, told after the meeting of the
minister.
Out of the total amount, Rs 807 crore will be released
under the National Disaster Relief Fund to 3,905 villages in
the state where drought has affected rabi crops, sources said.
The rest Rs 400 crore will be released under the National
Horticulture Mission to 1,100 villages where drought has hit
kharif crops, they said.
The Maharashtra government had demanded a relief package
of Rs 1,801 crore under the National Disaster Relief Fund, but
the central team after assessing the situation recommended Rs
872 crore.
Last year, Rs 778 crore was approved to the state under
this fund to mitigate losses to crop.
Shinde said the EGoM has approved drought relief packages
for Kerala and other states as well.
Of the total 34 districts in Maharashtra, the worst-
affected are Solapur, Ahmednagar, Sangli, Pune, Satara, Beed
and Nashik. The situation is also serious in Buldhana, Latur,
Osmanabad, Nanded, Aurangabad, Jalna, Jalgaon and Dhule
districts, an official said.
Some districts in the state are facing acute shortage of
fodder and drinking water problem. Drinking water is being
supplied through tankers in most affected villages, the
official added.
11 मार्च 2013
चालू वित्त वर्ष में 35 लाख टन बासमती निर्यात की संभावना
आर एस राणा नई दिल्ली | Mar 09, 2013, 03:36AM IST
३२.२६ लाख टन के स्तर पर निर्यात पिछले 11 माह में 12 फीसदी बढ़ा
१४,७९८ करोड़ रुपये मूल्य के बासमती का निर्यात हुआ दस माह में
बाजार का रुख
विदेश में पूसा-1121 बासमती सेला 1,400 डॉलर प्रति टन
पारंपरिक बासमती का भाव 1,350 डॉलर प्रति टन
घरेलू बाजार में पूसा-1121 बासमती 6,600-6,700 रुपये प्रति क्विंटल
कॉमन बासमती बढ़कर 7,400 से 7,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गया
मूल्य बढऩे पर भी विदेश में अच्छी रही बासमती की मांग
चालू वित्त वर्ष 2012-13 के पहले 11 महीनों (अप्रैल से फरवरी) में बासमती चावल के निर्यात सौदों में 12.2 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कर कुल रजिस्ट्रेशन 32 लाख टन का हो चुका है। चालू वित्त वर्ष के अंत तक कुल 35 लाख टन बासमती का निर्यात होने की संभावना है।
पिछले वित्त वर्ष 2011-12 में 32.26 लाख टन बासमती चावल का निर्यात हुआ था। मूल्य के लिहाज से अप्रैल से जनवरी के दौरान बासमती चावल के निर्यात में 18.37 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल 14,798.57 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ है।
कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चालू वित्त वर्ष 2012-13 के पहले 11 महीनों (अप्रैल से फरवरी) के दौरान बासमती चावल के निर्यात सौदों के रजिस्ट्रेशन में 12.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
इस दौरान 32 लाख टन बासमती चावल के निर्यात सौदों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 28.5 लाख टन का हुआ था। उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2011-12 में 32.26 लाख टन बासमती चावल का निर्यात हुआ था जबकि चालू वित्त वर्ष में कुल निर्यात बढ़कर 35 लाख टन से भी ज्यादा का होने का अनुमान है।
दूसरी ओर वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2012-13 के पहले दस महीनों अप्रैल से जनवरी के दौरान मूल्य के हिसाब से बासमती चावल के निर्यात में 18.37 फीसदी की तेजी आई है।
इस दौरान 14,798.57 करोड़ रुपये के बासमती चावल का निर्यात हुआ जबकि पिछले साल की समान अवधि में 12,502.06 करोड़ रुपये मूल्य का निर्यात हुआ था।
केआरबीएल लिमिटेड के चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल मित्तल ने बताया कि वित्त वर्ष के आखिरी माह मार्च में अब बासमती चावल के नए निर्यात सौदे ज्यादा होने की उम्मीद नहीं है लेकिन अप्रैल से निर्यात के नए सौदे होने लगेंगे। अंतरराष्ट्रीय बाजार में पूसा-1121 बासमती चावल सेला का दाम 1,400 डॉलर प्रति टन है जबकि पारंपरिक बासमती का भाव 1,350 डॉलर प्रति टन है।
खुरानिया एग्रो के प्रबंधक रामविलास खुरानिया ने बताया कि चालू सीजन में बासमती धान की पैदावार में कमी आई थी जबकि बासमती चावल की निर्यात मांग में बढ़ोतरी हुई, जिससे घरेलू बाजार में भी बासमती चावल के दाम तेज बने हुए हैं।
सीजन के शुरू में पूसा-1121 बासमती सेला चावल का दाम 4,750-4,800 रुपये प्रति क्विंटल था जबकि इस समय भाव 6,600-6,700 रुपये प्रति क्विंटल है। कॉमन बासमती चावल का भाव बढ़कर 7,400 से 7,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। (Business Bhaskar....R S Rana)
Sugar production estimate revised upward to 25 mn tons this yr
New Delhi, Mar 11. Sugar production is likely to
increase to 25 million tonnes (MT) in the 2012-13 marketing
year from the earlier estimate of 24.5 MT on better output in
Uttar Pradesh and Maharashtra.
However, the production this year is expected to be lower
than last year's level of 26 MT.
"Sugar output is now expected to be 25 million tonnes
this year. Much of the increase is coming from top two growing
states Uttar Pradesh and Maharashtra," Food Minister K V
Thomas told reporters here today.
Sugar industry has pegged output at 24.3 MT for the
2012-13 marketing (October-September) year. But industry has
said it will revise the estimates soon, he added.
Thomas said that domestic production would be sufficient
to meet the demand, which is around 22-23 MT.
According to data maintained by Indian Sugar Mills
Association (ISMA), mills have produced 8.8 MT of sugar in the
first five months of the 2012-13 marketing year.
Till last month, 50 mills in Maharashtra and Karnataka
had closed crushing operations for this year.
Cabinet may discuss revised Food Bill,sugar decontrol this wk
New Delhi, Mar 11. The government is likely to
consider this week major amendments to the Food Security Bill
and also discuss a proposal on sugar decontrol.
"The changes proposed to Food Bill have been circulated to
concerned ministry for consultation. The revised bill may come
before the Cabinet this week," Food Minister K V Thomas told
reporters here today.
The amendments to the Bill have been suggested after
taking into account the recommendation of the Parliamentary
Standing Committee, he added.
In the original Bill, introduced in December 2011 in the
Lok Sabha, the government had proposed giving 7 kg of wheat
(Rs 2/kg) and rice (Rs 3/kg) per month per person to 'priority
households', while at least 3 kg of foodgrain at half of the
government fixed support price was proposed for the 'general'
households.
According to sources, more than 55 amendments have been
proposed to the Bill. Major changes include: doing away with
priority and general classifications of beneficiaries and
provide uniform allocation of 5 kg foodgrains (per person) at
fixed rates to 67-70 per cent of the country's population.
Protection to 2.43 crore poorest of poor families under
the Antodaya Anna Yojana (AAY) by continuing supply of 35 kg
foodgrains per month per family. That apart, nutritional
support to pregnant women without limitation are among other
changes proposed in the Bill.
On sugar decontrol, Thomas said that the proposal on
removal of levy sugar obligation may come before the Cabinet
Committee on Economic Affairs (CCEA) this week.
Under the levy sugar system, mills are required to sell 10
per cent of their output to the Centre at cheaper rates to run
ration shops, costing Rs 3,000 crore to industry annually.
The proposal is that once this obligation is removed, the
government would buy sugar from the open market and continue
to sell at a subsidised price through ration shops.
The financial burden would be offset by either raising
excise duty on sugar or tweaking export and import duties on
the sweetener, the minister added.
In October 2012, the expert panel headed by PMEAC
Chairman C Rangarajan had recommended immediate removal of two
major controls - regulated release mechanism and levy sugar
obligation.
Gold up Rs 20 on fresh buying, global cues
New Delhi, Mar 11 Snapping two-days losing track,
gold prices today gained Rs 20 to Rs 29,840 per 10 grams here
on low level buying amid a firm global trend.
Silver also advanced by Rs 50 to Rs 55,100 per kg on
higher offtake by industrial units and a firm global trend.
Traders said low level buying by retailers and stockists
and a firming global trend as concern that China's recovery
may be faltering boosted haven buying mainly influenced the
trading sentiment.
In Singapore, gold gained 0.3 per cent to USD 1,583.58 an
ounce and silver by 0.3 per cent to USD 29.08 an ounce.
On the domestic front, gold of 99.9 and 99.5 per cent
purity recovered by Rs 20 each to Rs 29,840 and Rs 29,640 per
10 grams, respectively. The yellow metal had lost Rs 230 in
last two sessions. Sovereigns held steady at Rs 25,250 per
piece of eight grams in limited deals.
In line with a general firm trend, silver ready advanced
by Rs 50 to Rs 55,100 per kg and weekly-based delivery by Rs
35 to Rs 54,870 per kg. The white metal had gained Rs 90 on
Saturday.
On the other hand, silver coins continued to be asked
around previous level of Rs 80,000 for buying and Rs 81,000
for selling of 100 pieces in scattered deals.
आई.एम.टी. के लिए मुआवजा राशि का एस्टीमेट बनाने में जुटा प्रशासन
2 श्रेणियों में मुआवजा राशि तय करने की बनाई रूपरेखा
खरखौदा : अगर खरखौदा में आई.एम.टी. स्थापित होती है तो फिरोजपुर गांव के किसानों को 82 लाख रुपए की राशि मिलेगी। प्रशासन मुआवजा राशि के आकलन में जुटा है। कलैक्टर मूल्य के मुताबिक मुआवजे का आकलन किया जा रहा है। खरखौदा के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए सी.एम. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने न केवल इस क्षेत्र में करीब 300 करोड़ रुपए के विकास के कार्य कराए बल्कि 3303 एकड़ भूमि में आई.एम.टी. स्थापित करने की योजना भी बनाई है।
ताकि क्षेत्र की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके और क्षेत्र से बेरोजगारी समाप्त करने में मदद मिल सके। वर्ष 2005 में खरखौदा में आई.एम.टी. स्थापित करने की मांग की गई थी जिसके बाद सैक्शन-4 व वर्ष 2010 में सैक्शन-6 लगाया गया। मौजूदा हाल में प्रशासन ने मुआवजा राशि कलैक्टर मूल्य के मुताबिक तैयार करने की प्लानिंग कर रहा है। वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थित में इस बारे में डिस्कस भी हो की गई है। सैक्शन-6 का समय अपै्रल 2013 तक है। जिस तरीके से प्रशासन की प्लानिंग चल रही है उससे स्पष्टï होता है कि आई.एम.टी. के लिए प्रदेश सरकार किसानों को मार्च से पहले पहले मुआवजा राशि वितरित की जा सकती है।
जब से जिले में रोहतक मंडलायुक्त ने सभी वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक ली है और विशेषकर खरखौदा में स्थापित होने वाली आई.एम.टी. को लेकर लंबा डिस्कस किया व मुआवजा राशि का एस्टीमेट कलैक्टर मूल्य के मुताबिक सूची तैयार करने के निर्देश दिए हैं तब से ग्रामीण निरंतर कभी तहसील कार्यालय तो कभी जिले के वरिष्ठ अधिकारियों से अपने गांव का मुआवजा राशि का पता लगाने में जुटे हुए हैं।
ये है योजना
खरखौदा में स्थापित होने वाली आई.एम.टी. में 10 गांवों की करीब 3303 एकड़ भूमि अधिगृहीत की जानी है। वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में आई.एम.टी. में आने वाली भूमि को 2 श्रेणियों में रखा गया है जिसमें पहली श्रेणी पी.डब्ल्यू.डी. मार्ग से 2 एकड़ की गहराई तक रखी गई है वहीं 2 एकड़ से दूर जमीनों को श्रेणी 2 में रखा गया है। कलैक्टर मूल्य भी इसी तरह से पहले से बनाया गया है। ऐसे में कलैक्टर मूल्य के मुताबिक मुआवजा राशि उपलब्ध कराने की प्लाङ्क्षनग तैयार की जा रही है व एस्टीमेट तैयार किया जा रहा है कि कुल कितनी राशि किसानों को दी जाएगी।
"सभी 10 गांवों की प्रस्तावित भूमि का कलैक्टर मूल्य के मुताबिक रिकार्ड तैयार किया जा रहा है जिसके बाद वरिष्ठ अधिकारियों को भेजा जाएगा। 10 गांवों में सबसे अधिक मुआवजा राशि फिरोजपुर बांगर गांववासियों को दी जानी है क्योंकि दिल्ली से सटे इस गांव का कलैक्टर मूल्य सबसे अधिक है"।
-महेंद्रपाल, उपमंडल अधिकारी खरखौदा
कहां कितना मुआवजा मिलेगा
श्रेणी-1 जो भूमि पी.डब्ल्यू.डी. मार्ग से 2 एकड़ अंदर तक स्थित है (राशि लगभग में)।
गांव का नाम कलैक्टर मूल्य दी जाने वाली राशि
फिरोजपुर बांगर 52 लाख 82 लाख
सैदपुर 45 71
पिपली 45 71
निजामपुर 42 67
सोहटी 42.50 68
कुंडल 40 64
रामपुर 37 59
गोपालपुर 37 59
किड़ौली 32 52
बरोणा 32 52
श्रेणी-2 जो भूमि पी.डब्ल्यू.डी. मार्ग से 2 एकड़ अंदर की गहराई के बाद शुरू होती है।
गांव का नाम कलैक्टर मूल्य दी जाने वाली राशि
फिरोजपुर बांगर 42 लाख 66 लाख
सैदपुर 35 56
पिपली 35 56
निजामपुर 32 52
सोहटी 32 52
कुंडल 33 53
रामपुर 33 53
गोपालपुर 33 65
किड़ौली 27 43
बरोणा 27 43
08 मार्च 2013
Per capita availability of foodgrains up by 6 pc in 2011: Govt
New Delhi, Mar 8. The per capita availability of
foodgrains increased to 462.9 grams per day in 2011 from 437.1
grams per day in the previous year, Parliament was informed
today.
"The per capita net availability of foodgrains was 444
grams per day in 2009, 437.1 grams per day in 2010 and 462.9
grams per day in 2011," Agriculture Minister Sharad Pawar said
in a written reply in Rajya Sabha.
The production of foodgrains has increased to record
259.32 million tonnes in 2011-12 crop year (July-June) from
244.49 million tonnes in the previous year.
In 2009-10 crop year, foodgrains production stood at
218.11 million tonnes. Rice, wheat, coarse cereals and pulses
fall under foodgrains category.
Sell Sunflower on harvest, says TNAU
Coimbatore, Mar 8. With very limited chance of
increase in prices, which would hover around Rs 36 to Rs 38
per kg in April-June, Tamil Nadu Agricultural University has
advised sunflower farmers to sell produce on harvest, without
resorting to storage.
TNAU's Domestic Export and Marketing Intelligence Cell
(DEMIC), which analysed prices at Vellakoil Regulated Market
for the last 12 years, came to the conclusion that there was
no possibility of prices increasing above Rs 38.
Sowing for this season had been reduced due to less
rainfall and less arrivals would lead to the price hovering
around this figure, it said, adding farmers can also sell
sunflower through regulated market in nearby areas to reap
better prices.
Sunflower seed production in India in the Kharif season
2012-13 was 1.50 lakh tonnes against 1.20 lakh tonnes in
2011-12, the major producers being Karnataka, Maharashtra and
Andhra Pradesh.
Tamil Nadu produced 30,000 tonnes from 20,000 Hectares
during 2011-12, with a productivity of 1,742 kg per hectare,
DEMIC said.
Gold prices dip to touch two-week low on weak global cues
New Delhi, Mar 8. Gold prices dipped to two-week low
by falling Rs 200 to Rs 29,850 per 10 gm in the national
capital today on stockists selling, triggered by a weak global
trend.
Silver followed suit and dropped by Rs 360 to Rs 54,960
per kg on reduced offtake by industrial units and coin makers.
Traders said stockists selling in tandem with a weak
global trend where gold fell before a report that is forecast
to show the US labor market improved, damping expectations for
further stimulus and boosting the dollar, dampened the
sentiment.
In Singapore, which normally set price trend on the
domestic front, gold lost 0.2 per cent to USD 1,576.35 an
ounce and silver slid 0.4 per cent to USD 28.80 an ounce.
Besides, rising equity attracted investor to parked their
funds for quick gains was another factors behind fall in gold.
On the domestic front, gold of 99.9 and 99.5 per cent
purity plunged by Rs 200 each to Rs 29,850 and Rs 29,650 per
ten grams, respectively, a level last seen on February 22.
Sovereign declined by Rs 50 to Rs 25,250 per piece of eight
gram.
In a similar fashion, silver ready dropped by Rs 360 to
Rs 54,960 per kg and weekly-based delivery by Rs 575 to
Rs 54,565 per kg. Silver coins also tumbled by Rs 2000 to
Rs 80,000 for buying and Rs 81,000 for selling of 100 pieces.
प्राइवेट निर्यातकों को 50 लाख टन गेहूं निर्यात की अनुमति
शर्त - पंजाब में सरकार कम से कम 1,480 रुपये प्रति क्विंटल पर देगी गेहूं
विपरीत गणित
बंदरगाह पर गेहूं की लागत 1705 रुपये प्रति क्विंटल पडऩे का अनुमान
पीईसी को गेहूं निर्यात की ताजा बिड 303.40 डॉलर प्रति टन की मिली
इसे बैंचमार्क मानें तो निर्यात भाव 1,636 रुपये प्रति क्विंटल बैठेगा
पिछले कुछ समय से अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगातार घट रहे हैं भाव
सरकारी गोदामों से खाद्यान्न के स्टॉक हल्का करने के लिए सरकार ने 1,480 रुपये प्रति क्विंटल का न्यूनतम दाम तय करके केंद्रीय पूल से प्राइवेट निर्यातकों को 50 लाख टन गेहूं के निर्यात की अनुमति दे दी। हालांकि विश्व बाजार में गेहूं की कीमतों में आई गिरावट से प्राइवेट निर्यातकों को इस भाव पर शायद कोई फायदा नहीं मिल पाएगा। इस वजह से उनकी दिलचस्पी रहने के बारे में संशय है।
केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार की अध्यक्षता में गठित उच्च अधिकार प्राप्त मंत्रियों के समूह (ईजीओएम) की गुरुवार को हुई बैठक में प्राइवेट निर्यातकों को केंद्रीय पूल से 50 लाख टन गेहूं के निर्यात की अनुमति दी गई।
बैठक के बाद खाद्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रो. के वी थॉमस ने संवाददाताओं को बताया कि प्राइवेट निर्यातक पंजाब स्थित भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों से 1,480 रुपये प्रति क्विंटल की न्यूनतम दर से गेहूं खरीद के लिए निविदा भर सकेंगे। निर्यातकों को पंजाब स्थित एफसीआई के गोदामों से बंदरगाह पहुंच तक परिवहन लागत और अन्य खर्च स्वयं वहन करने पड़ेंगे।
प्राइवेट निर्यातकों को विपणन सीजन 2011-12 का गेहूं दिया जाएगा।
गेहूं की निर्यातक फर्म प्रवीन कॉमर्शियल कंपनी के प्रबंधक नवीन गुप्ता ने बताया कि विश्व बाजार में गेहूं के दाम घट रहे हैं जबकि सरकार ने निविदा भरने का न्यूनतम दाम ऊंचा तय किया है।
उन्होंने बताया कि पंजाब के गोदामों से 1,480 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं खरीदने के बाद कांडला बंदरगाह पहुंच 150 रुपये प्रति क्विंटल की परिवहन लागत और 75 रुपये प्रति क्विंटल का बंदरगाह पर खर्च (लोडिंग, स्टोरेज और अन्य खर्च) को मिलाकर भाव 1,705 रुपये प्रति क्विंटल हो जाएगा।
पीईसी को छह मार्च को गेहूं निर्यात के लिए 303.40 डॉलर प्रति टन की ऊंची बोली प्राप्त हुई है जिसके आधार पर गेहूं का भाव करीब 1,636 रुपये प्रति क्विंटल है।
ऐसे में प्राइवेट निर्यातकों को निर्यात पड़ते लगने की संभावना कम ही है। नवंबर महीने में पीईसी को गेहूं निर्यात के लिए 328 डॉलर प्रति टन की बोली प्राप्त हुई थी। केंद्रीय पूल से सार्वजनिक कपंनियों पीईसी, एमएमटीसी और एसटीसी को सरकार पहले ही 45 लाख टन गेहूं के निर्यात की अनुमति दे चुकी है।
पहली फरवरी को केंद्रीय पूल में 308.09 लाख टन गेहूं का स्टॉक जमा है जबकि पहली अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू हो जाएगी। रबी विपणन सीजन 2013-14 में सरकार ने 440 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य तय किया है। ऐसे में खरीदे जाने वाले गेहूं के भंडारण में सरकार को काफी जद्दोजहद करनी पड़ सकती है। (Business Bhaskar.....R S Rana)
07 मार्च 2013
स्टॉक कम होने से गुड़ में तेजी की संभावना
लभता- चालू सीजन में गुड़ का स्टॉक पांच लाख कट्टा कम रहने का अनुमान
मंडियों में कारोबार
दिल्ली में गुड़ चाकू 2,850-2,950 रुपये जबकि पेड़ी 2,750-2,850 रुपये प्रति क्विंटल
गर्मियों में चीनी मांग बढऩे से भी गुड़ की कीमतों में तेजी आने के आसार
बुधवार को मुजफ्फरनगर मंडी में गुड़ की कीमतों में तेजी
मुजफ्फरनगर मंडी में दैनिक आवक 6,000 कट्टों की हुई
प्रमुख उत्पादक मंडी मुजफ्फरनगर में गुड़ का स्टॉक पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 5.35 लाख कट्टे (एक कट्टा-40 किलो) कम रहने का अनुमान है। दूसरी ओर मौसम साफ होने से स्टॉकिस्टों की खरीद में तेजी आई है। ऐसे में आगामी दिनों में गुड़ की मौजूदा कीमतों में तेजी आने की संभावना है।
फेडरेशन ऑफ गुड़ ट्रेडर्स के अध्यक्ष अरुण खंडेलवाल ने बताया कि फरवरी महीने में उत्पादक क्षेत्रों में मौसम खराब होने से गुड़ का उत्पादन प्रभावित हुआ था। चालू पेराई सीजन में मुजफ्फरनगर मंडी में अभी तक गुड़ का कुल स्टॉक 3.90 लाख कट्टों का ही हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 9.35 लाख कट्टों हो चुका था। मौसम साफ होने से गुड़ में स्टॉकिस्टों की मांग बढऩी शुरू हो गई है जिससे गुड़ की मौजूदा कीमतों में तेजी आने की संभावना है।
कुल स्टॉक में चाकू गुड़ की हिस्सेदारी 1.80 लाख कट्टे, पपड़ी गुड़ एक लाख कट्टे तथा रसकट का 64,000 कट्टों का स्टॉक का है। देशराज राजेंद्र कुमार के प्रबंधक देशराज ने बताया कि स्टॉकिस्टों के साथ ही खपत राज्यों की मांग गुड़ में बढ़ी है। उत्तर प्रदेश में गन्ने का क्षेत्रफल पिछले साल से ज्यादा है लेकिन गुड़ की मौजूदा मांग को देखते हुए भाव तेज हो सकते हैं।
बुधवार को दिल्ली में गुड़ चाकू का भाव 2,850-2,950 रुपये और गुड़ पेड़ी का भाव 2,750-2,850 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। उन्होंने बताया कि गर्मियों का सीजन शुरू होने से चीनी में बड़े उपभोक्ताओं की मांग भी बढ़ेगी, जिससे चीनी के दाम बढऩे की संभावना है, इसका असर गुड़ की कीमतों पर भी पड़ेगा।
गुड़ के थोक कारोबारी हरिशंकर मुंदड़ा ने बताया कि मांग के मुकाबले आवक कम होने से बुधवार को मुजफ्फरनगर मंडी में गुड़ की कीमतों में तेजी दर्ज की गई। गुड़ चाकू का भाव बढ़कर 1,070 से 1,120 रुपये, खुरपापाड़ का भाव 1,025 से 1,030 रुपये और लड्डू गुड़ का भाव 1,050 से 1,065 रुपये प्रति 40 किलो हो गया।
मुजफ्फरनगर मंडी में बुधवार को दैनिक आवक 6,000 कट्टों की हुई। उन्होंने बताया कि मौसम साफ हो गया है इसलिए आगामी दिनों में आवक भी बढ़ेगी, इसलिए कीमतों में तेजी लंबे समय तक टिक पाएगी, ऐसी संभावना नहीं है।
एनसीडीईएक्स पर जुलाई महीने के वायदा अनुबंध में पिछले छह दिनों में गुड़ की कीमतों में 3.8 फीसदी की तेजी आई है। बुधवार को जुलाई महीने के वायदा अनुबंध में गुड़ का भाव बढ़कर 1,334 रुपये प्रति 40 किलो हो गया जबकि पहली मार्च को इसका भाव 1,285 रुपये प्रति 40 किलो था। (Business Bhaskar)
पूसा पंजाब-1509 बासमती जल्दी पककर तैयार होगा
आईएआरआई की नई किस्म से मिलेगी 41 टन प्रति हैक्टेयर की पैदावार
पूसा पंजाब-1509 बासमती चावल की नई किस्म से किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के निदेशक डॉ. एच एस गुप्ता ने बताया कि पूसा पंजाब-1,509 बासमती चावल की नई किस्म 120 दिन में पककर तैयार होगी जिससे चार से पांच सिंचाई की बचत होगी। इसका प्रति हैक्टेयर औसत उत्पादन 41 टन रहेगा।
उन्होंने बताया कि बासमती चावल की सामान्य किस्मों के मुकाबले पूसा पंजाब-1509 किस्म 120 दिन में तैयार होती है। सामान्य बासमती चावल की किस्में 160 से 165 दिन में तैयार होती है। इसीलिए इसमें कम सिंचाई की आवश्यकता होती है, साथ ही इसका पौधा सामान्य बासमती चावल की तुलना में छोटा होता है। खरीफ में किसानों को इसका बीज उपलब्ध कराया जाएगा।
उन्होंने बताया कि हरित क्रांति में प्रमुख योगदान देने वाले राज्यों पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों को फसल विविधीकरण पर जोर देना चाहिए। वित्त वर्ष 2013-14 के आम बजट में सरकार ने विविधीकरण के लिए 500 करोड़ रुपये का भी आवंटन किया है। इन राज्यों में दलहन, तिलहन और सब्जियों की खेती करके किसान ज्यादा आमदनी ले सकते हैं।
उन्होंने बताया कि 6 से 8 मार्च को आईएआरआई में आयोजित होने वाले कृषि विज्ञान मेले में छोटी जोत वाले किसानों की आय बढ़ाने की तकनीक पर जोर दिया जाएगा।
किसान अपने उत्पादों की प्रोसेसिंग, ग्रेडिंग और पैकिंग करके बाजार में बेचें तो उनकी आय में कई गुना बढ़ोतरी हो सकती है। बीज, खाद और डीजल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी से किसानों की लागत बढ़ रही है, इससे निपटने के लिए किसानों को ज्यादा आय वाली फसलों की बुवाई करनी चाहिए।
अनुसंधान, शिक्षा एवं नवोन्मेषी प्रसार कार्यक्रमों के माध्यम से संस्थान, खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए प्रयासरत हैं। मेले में देशभर के एक लाख से ज्यादा किसानों के भाग लेने की संभावना है। (Business Bhaskar)
'Panchayats, blocks should help crop rotation scheme succeed'
New Delhi, Mar 7. The new scheme to spread crop
diversification in the country will succeed only if panchayat
and block level officials take keen interest in implementing
it, a senior Agriculture Ministry official said today.
In the Budget 2013-14, the government has proposed to
allocate Rs 500 crore under a new crop diversification scheme
in states such as Punjab and Haryana, which were covered under
the Green Revolution.
"Diversification in agriculture sector can succeed only
if the responsibility is taken by Zilla Parishad and even
below that," said Sanjeev Chopra, Joint Secretary in the
Agriculture Ministry at a CII event.
The cost of implementation of crop diversification below
the panchayat level is much less vis-a-vis state and central
level, he said.
Chopra, who heads the National Horticulture Mission, said
the details of the new scheme announced in the Budget are
being worked out and it will be implemented in states where
crop yields have stagnated due to mono-cropping.
He said that farmers' income can be raised if they are
encouraged to switch from traditional rice/wheat to high-value
horticultural crops.
Gold losses as investors weigh outlook
London, Mar 7. Gold swung between gains and
losses before the European Central Bank policy meeting today
as investors weighed the outlook for continued stimulus
against improving economies and declining bullion demand.
Gold lost 0.1 per cent to USD 1,582.15 dollar an ounce.
The metal slipped 0.3 per cent earlier today and gained 0.1
per cent. Silver declined 0.3 per cent to USD 28.96 an ounce.
Nomura International cut its gold forecast for 2013 by
19 per cent, citing a deteriorating investment environment
amid economic recovery.
Billionaire hedge-fund manager John Paulson posted an 18
per cent decline in his Gold Fund and assets in
exchange-traded products are at the lowest level since
September.
March through June is the weakest period for gold because
of low demand from India and China, the top physical markets,
according to Alfa Bank.
Stocks gained and the euro strengthened after Standard
and Poor’s raised its outlook on Portugal’s credit rating
before the ECB policy meeting today.
Gold fell for the fifth month in February, the longest
run of declines since 1997, amid speculation that Fed may rein
in stimulus as the recovery gains traction.
Data released yesterday showed US companies hired more
workers than expected, helping the Dow Jones Industrial
Average to extend to a record high, while orders to factories
fell in January by the most in five months.
Assets in exchange-traded products backed by gold dropped
to 2,491.503 metric tonnes on March 5, the lowest level since
September.
Govt allows additional 5 mln tonne wheat export from FCI stock
New Delhi, Mar 7. Sitting on huge stocks, the
government today allowed exports of additional five million
tonnes of wheat from its godowns to clear storage space for
new crop.
The exports of additional 5 million tonnes wheat would be
undertaken only by private traders on the behalf of
government. On earlier two occasions, only public sector
trading firms were allowed to export 4.5 million tonnes.
The decision was taken by an informal group of ministers
headed by Agriculture Minister Sharad Pawar.
Earlier in the day, the Cabinet Committee on Economic
Affairs (CCEA) referred the matter to GoM, comprising Finance
Minister P Chidambaram, Food Minister K V Thomas, Railways
Minister P K Bansal and Commerce Minister Anand Sharma.
"The GoM has approved export of additional 5 million
tonnes of wheat from the FCI stocks. Only private traders will
be allowed to export this quantity," Thomas told reporters.
Recognised private traders will be allowed to export
2011-12 crop through a bidding process at a floor price of Rs
1,480 per quintal, he added.
Private traders will initially be allowed to export wheat
that is lying in the Punjab godowns and they have to bear the
transport cost till port for the export purpose, he added.
Thomas clarified that public trading firms will not
participate in export of 5 million tonnes of wheat allocated
for private traders.
"PSUs are already allowed to export 4.5 million tonnes of
wheat from FCI godowns. They will continue to export. They
will not participate in export of 5 million tonnes decided
today. A separate CCEA note will be moved once the current
allocated quantity is exhausted," Thomas said.
The additional export from FCI godowns would help create
space for new wheat crop to be procured from this month-end.
Permitting private traders to export on behalf of the Centre
would speed up the shipments.
CCEA refers FoodMin's 5 MT wheat export proposal to GoM
New Delhi, Mar 7. The Cabinet Committee on Economic
Affairs (CCEA) today referred the Food Ministry's proposal to
allow export of additional 5 million tonnes of wheat from the
central pool to a Group of Ministers (GoM), which will meet
later in the day.
"Cabinet did not take any decision on wheat exports. The
matter has been referred to the Group of Ministers (GoM)
headed by Agriculture Minister Sharad Pawar," highly-placed
sources said.
The meeting of the GoM, headed by Pawar, is scheduled in
the evening at 1700 hours in Parliament, sources added.
The Food Ministry's proposal on allowing additional 5
million tonnes of wheat export from the government godowns is
aimed at creating enough space for new wheat crop, which will
be procured from this month-end.
To speed up exports to clear surplus stocks, the Ministry
has proposed allowing recognised private traders to export the
government-held wheat stocks along with state-run trading
agencies such as MMTC, STC, PEC Ltd, sources said.
So far, the government has allowed export of 4.5 million
tonnes through public sector trading agencies. Of this, about
2 million tonnes has already been shipped in a price range of
USD 295-330 a tonne.
The government had over 30 million tonnes (MT) of wheat
stock in godowns of the Food Corporation of India (FCI) at the
beginning of last month, as against the actual requirement of
7 MT at the end of this month.
The wheat stock has piled up in the government godowns due
to record procurement following bumper crop in the last two
years. The government is aiming to procure a record 44 MT
in the 2013-14 marketing year starting April.
Wheat production touched all-time high of 94.88 MT in
2011-12. Production is estimated to be 92.30 MT this year.
06 मार्च 2013
समय से पहले खत्म होगी पेराई
मौजूदा सीजन के दौरान चीनी मिलों में गन्ने की पेराई एक महीने पहले खत्म हो जाएगी। गन्ने की कम उपलब्धता की वजह से यह नौबत आनेवाली है। गन्ने के कम रकबे और जिन प्रदेशों में राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) की व्यवस्था नहीं है, वहांचीनी मिलों की क्षमता बढऩे से कच्चे माल की उपलब्धता कम पड़ गई है। इस कारण पेराई सीजन जल्द खत्म हो जाएगा।
पर्याप्त गन्ना आपूर्ति की स्थिति में चीनी मिलों में पेराई का सीजन अप्रैल तक चलता है। पिछले साल, खास तौर पर महाराष्टï्र और उत्तर प्रदेश (देश के दो सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य) में मई तक पेराई चली थी क्योंकि गन्ने की फसल अच्छी हुई थी। लेकिन इस साल मार्च के बाद पेराई जारी रहने की संभावना बहुत कम है।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा, 'इस सीजन के दौरान अब तक करीब 50 मिलों ने पहले ही पेराई बंद कर रखी है। पिछले साल इस अवधि में 21 मिलों की पेराई बंद हुई थी।Ó कृषि मंत्रालय ने इस साल 8 फरवरी को जारी दूसरे अग्रिम अनुमान में कहा है कि पेराई सीजन 2012-13 में गन्ना उत्पादन घटकर 33.454 करोड़ टन रह जाएगा, जबकि पिछले सीजन में अंतिम तौर पर इसका अनुमानित उत्पादन 36.104 करोड़ टन रहा था। फिर भी, पिछले साल के दूसरे अग्रिम अनुमान में मंत्रालय ने 34.787 करोड़ टन गन्ना उत्पादन की बात कही थी, जबकि शुरुआती अनुमान में कहा गया था कि गन्ना उत्पादन 35.2 करोड़ टन रहेगा।
बहरहाल, इंडिया रेटिंग्स ने कम गन्ना उत्पादन के लिए प्रतिकूल मौसम को जिम्मेदार ठहराया है, जिससे दो प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों, कर्नाटक और महाराष्टï्र में गन्ने का रकबा कम रहा और चीनी उत्पादन भी घटने की आशंका है। इन राज्यों में गन्ने से चीनी की औसत रिकवरी क्रमश: 10 और 11 फीसदी है, जो देश में सबसे अधिक है। महाराष्टï्र में 168 में से 30 चीनी मिलों ने इस साल 4 मार्च को उत्पादन बंद कर दिया, जबकि पिछले साल इसी तारीख तक राज्य की 171 में से 2 मिलों ने उत्पादन बंद होने की घोषणा की थी। महाराष्टï्र स्टेट फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज के प्रबंध निदेशक अजित चौगुले ने कहा, 'खास तौर पर राज्य के मध्य और पूर्वी हिस्सों में इस साल सूखे की स्थिति है, जिससे गन्ने की फसल प्रभावित हुई। कुछ नई चीनी मिलें भी चालू हुई हैं। इस कारण भी मौजूदा मिलों में गन्ने की उपलब्धता कम पड़ गई।Ó
इन सभी वजह से महाराष्टï्र में गन्ने की पैदावार करीब 19 फीसदी घटकर 6.25 करोड़ टन रह गई, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 7.71 करोड़ टन गन्ने की उपज हुई थी। चूंकि इस साल गन्ने से चीनी की रिकवरी पिछले साल की 11.35 फीसदी से गिरकर 11.15 फीसदी रह गई। लिहाजा राज्य में चीनी का समग्र उत्पादन 72 लाख टन रहने की संभावना है, जबकि पिछले साल 91 लाख टन चीनी उत्पादन हुआ था। चौगुले के मुताबिक पेराई सीजन 2012-13 (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान महाराष्टï्र में 10 नई निजी चीनी मिलें लगाई गईं, जबकि इसी अवधि में सहकारी क्षेत्र की 1-2 मिलें स्थापित की गईं। इसके चलते रोजाना 50,000 टन पेराई क्षमता बढ़ी। पुरानी मिलों की पेराई क्षमता रोजाना 4.37 लाख टन गन्ने की थी।
कर्नाटक में भी नए पेराई सीजन के दौरान रोजाना 8,000 टन की पेराई क्षमता बढ़ी है। इस्मा ने कहा है कि मौजूदा सीजन में राज्य की 22 मिलों ने परिचालन बंद कर दिया है। जिन मिलों का परिचालन जारी है, वहां भी पेराई सुस्त पड़ गई है।
लेकिन उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों में गन्ने की पेराई फिलहाल जारी रहेगी। इस साल 28 फरवरी तक यहां की 119 मिलों का उत्पादन 50.4 लाख टन रहा। पिछले साल इस अवधि में केवल 4 फीसदी अधिक चीनी उत्पादन हुआ था। (BS Hindi)
अवैध आयात की वजह से सस्ती हुई इलायची
आयात बढऩे से इलायची के भावों में भारी गिरावट आई है। इसकी औसत नीलामी कीमत 707 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई। हालांकि नीलामी केंद्रों पर इस जिंस का भाव 700 रुपये प्रति किलो से अधिक है, लेकिन केरल में इडुक्की जिले के किसान इसकी बिक्री महज 550 से 650 रुपये प्रति किलो के भाव पर कर पा रहे हैं।
दरअसल स्थानीय कारोबारी इसका खरीद मूल्य न्यूनतम स्तर पर लाने की कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना है कि उत्तरी राज्यों में इस जिंस की जरूरत से ज्यादा आपूर्ति हो रही है। इलायची किसानों ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि खेती की लागत के हिसाब से उन्हें कम-से-कम 1,000 रुपये प्रति किलो भाव मिलना चाहिए। किसानों के मुताबिक पिछले एक साल में श्रम लागत और उर्वरकों की कीमतें काफी बढ़ी हैं। हालांकि वैध तरीके से इलायची का आयात बहुत कम आयात हो रहा है, लेकिन उत्तर-पूर्वी सीमा से इसकी तस्करी काफी बढ़ गई है। यह इलायची किसानों की चिंता की सबसे बड़ी वजह है। वर्ष 2005-06 के दौरान भी ऐसा हुआ था।
मसाला बोर्ड ने कहा कि जून 2012 से लेकर फरवरी 2013 के दौरान आधिकारिक तौर पर केवल 200 टन इलायची का आयात किया गया। लेकिन भूटान, नेपाल और पाकिस्तान जैसे देशों से इस जिंस का अवैध आयात बढऩे से स्थानीय बाजार में इलायची के भाव बहुत गिर गए। मसाला बोर्ड के हालिया बयान में कहा गया है कि ग्वाटेमाला से इलायची के भारी आयात की खबरों से कथित तौर पर इसकी स्थानीय कीमतों में गिरावट आई। बोर्ड का कहना है कि ये गलत खबरें हैं क्योंकि पिछले 9 महीनों में केवल 200 टन इलायची का आयात हुआ, जबकि फरवरी तक देश के विभिन्न नीलामी केंद्रों में 8,776 टन इलायची की आवक हुई। आयात महज 2.27 फीसदी हुआ और इस जिंस की औसत नीलामी कीमत करीब 700 रुपये प्रति किलो पर स्थिर है। दक्षिण भारतीय बंदरगाहों के जरिये इलायची आयात की खबरों का इसके भाव पर उलटा असर हुआ और इसकी कीमतें ऊपर-नीचे गईं। बोर्ड ने किसानों को सतर्क करते हुए कहा है कि स्थानीय स्तर पर कीमतें कम रखने के लिए गुमराह करने वाली खबरें फैलाई जाती हैं। (BS Hindi)
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