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15 मार्च 2025

प्रमुख उत्पादक राज्यों में अरहर की सरकारी खरीद में आई तेजी - कृषि मंत्रालय

नई दिल्ली। उत्पादक राज्यों के किसानों से अरहर की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद में तेजी आई है। आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक एवं महाराष्ट्र के साथ ही तेलंगाना की मंडियों से 11 मार्च तक 1.31 लाख टन अरहर की खरीद एमएसपी पर की गई है।


अन्य राज्यों में भी अरहर की खरीद बहुत जल्द शुरू की जाएगी। अरहर की खरीद नेफेड के ई-समृद्धि पोर्टल और एनसीसीएफ के संयुक्ति पोर्टल पर पहले से पंजीकृत किसानों से की जाती है। केंद्र सरकार केंद्रीय नोडल एजेंसियों नैफेड और एनसीसीएफ के माध्यम से किसानों से 100 फीसदी अरहर की खरीद करने के लिए प्रतिबद्ध है।

केंद्र सरकार ने अरहर, उड़द और मसूर के उत्पादन का 100 फीसदी न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीदने की प्रतिबद्धता जताई है।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार फसल सीजन 2024-25 के लिए सरकार ने 13.22 लाख टन अरहर, 9.40 लाख टन मसूर और 1.35 लाख टन उड़द की खरीद समर्थन मूल्य पर की जायेगी।

केंद्र सरकार ने एकीकृत प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अधिनियम, पीएम आशा योजना को 15वें वित्त आयोग चक्र के दौरान 2025-26 तक जारी रखने की मंजूरी दे दी है। एकीकृत पीएम-आशा योजना खरीद कार्यों के कार्यान्वयन में अधिक प्रभावशीलता लाने के लिए चलाई जाती है जो न केवल किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य प्रदान करने में मदद करेगी, बल्कि उपभोक्ताओं के लिए सस्ती कीमतों पर उनकी उपलब्धता सुनिश्चित करके आवश्यक वस्तुओं की कीमत में अस्थिरता को भी नियंत्रित करेगी।

पीएम आशा योजना की मूल्य समर्थन योजना के तहत निर्धारित उचित औसत गुणवत्ता, एफएक्यू के अनुरूप अधिसूचित दलहन, तिलहन और खोपरा की खरीद केंद्रीय नोडल एजेंसियों, सीएनए द्वारा राज्य स्तरीय एजेंसियों के माध्यम से पूर्व पंजीकृत किसानों से सीधे एमएसपी पर खरीद की जाती है।

दालों के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने में योगदान देने वाले किसानों को प्रोत्साहित करने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए सरकार ने फसल सीजन 2024-25 के लिए अरहर, उड़द और मसूर राज्य के उत्पादन के 100 फीसदी के बराबर मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत खरीद करने की अनुमति दी है।

सरकार ने बजट 2025 में यह भी घोषणा की है कि देश को दालों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए केंद्रीय नोडल एजेंसियों के माध्यम से 2028-29 तक अगले चार वर्षों के लिए राज्य के उत्पादन का 100 फीसदी अरहर, उड़द और मसूर की खरीद की जाएगी। 

चालू रबी में 115.2 लाख टन सरसों के उत्पादन का अनुमान - एसईए

नई दिल्ली। बुआई में आई कमी के कारण चालू रबी सीजन में देश में सरसों का उत्पादन घटकर 115.2 लाख टन ही होने का अनुमान है, जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 115.8 लाख टन का हुआ था।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार कृषि मंत्रालय के 89.30 लाख हेक्टेयर की तुलना में चालू रबी सीजन में सरसों की बुआई बढ़कर 92.15 लाख हेक्टेयर में
हुई है। हालांकि यह पिछले साल के 100.5 लाख हेक्टेयर की तुलना में 11 फीसदी कम है।

एसईए के अध्यक्ष संजीव अस्थाना के अनुसार भारत दुनिया का सबसे बड़ा खाद्वय तेलों का आयातक है, जिसका असर किसानों के साथ ही सरकारी खजाने पर भी पड़ रहा है। अत: एसईए  घरेलू तिलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए मॉडल मस्टर्ड फार्म प्रोजेक्ट चला रहा है, जिसका मकसद 2029-30 तक देश में सरसों का उत्पादन बढ़ाकर 200 लाख टन तक करना है।

सबसे बड़े उत्पादक राज्य राजस्थान में चालू रबी सीजन में 53.02 लाख टन सरसों के उत्पादन का अनुमान है। इसके अलावा मध्य प्रदेश में 14.66 लाख टन और उत्तर प्रदेश में 15.60 लाख टन तथा हरियाणा में 12.30 लाख टन के उत्पादन का अनुमान है।

अन्य राज्यों पश्चिम बंगाल 6.79 लाख टन, झारखंड में 2.85 लाख टन, असम में 2.52 लाख टन तथा गुजरात में 5.38 लाख टन के अलावा अन्य राज्यों में 3.02 लाख टन के उत्पादन का अनुमान है।

केंद्र सरकार ने रबी विपणन सीजन 2025-26 के लिए सरसों का 5,950 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि उत्पादक मंडियों में नई सरसों 5,400 से 5,600 रुपये प्रति क्विंटल क्वालिटी अनुसार बिक रही है। व्यापारियों के अनुसार मौसम अनुकूल रहा तो होली के बाद नई सरसों की आवकों में बढ़ोतरी होगी तथा जल्द ही सरसों की समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू नहीं हुई तो मौजूदा भाव में और भी गिरावट आयेगी। 

कॉटन का उत्पादन घटकर 295.30 लाख गांठ होने का अनुमान, दूसरी बार उद्योग ने की कटौती

नई दिल्ली। उद्योग ने कॉटन के उत्पादन अनुमान में एक बार फिर 6.45 लाख गांठ की कटौती की है। पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2024-25 में देश में 295.30 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन के उत्पादन का अनुमान है, जबकि इससे पहले 301.75 लाख गांठ तथा आरंभ में 304.25 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान था। पिछले फसल सीजन 2023-24 के दौरान देश में 325.29 लाख गांठ कॉटन का उत्पादन हुआ था।


कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई के अनुमान के अनुसार गुजरात में चालू सीजन में पहले के अनुमान के मुकाबले 4 लाख गांठ, महाराष्ट्र में 3 लाख गांठ कम होने की आशंका है। हालांकि उड़ीसा में कॉटन का उपादन 55 हजार गांठ पहले के अनुमान से ज्यादा होगा।

पंजाब में कॉटन का उत्पादन फसल सीजन 2024-25 में 1.50 लाख गांठ, हरियाणा में 8.30 लाख गांठ, अपर राजस्थान में 9.20 लाख गांठ एवं लोअर राजस्थान के 9 लाख गांठ को मिलाकर कुल 28 लाख गांठ होने का अनुमान है।

सीएआई के अनुसार मध्य भारत के राज्यों गुजरात में चालू फसल सीजन में 71 लाख गांठ, महाराष्ट्र में 87 लाख गांठ तथा मध्य प्रदेश के 19 लाख गांठ को मिलाकर कुल 177 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है।

दक्षिण भारत के राज्यों में तेलंगाना में चालू फसल सीजन में 47 लाख गांठ, आंध्र प्रदेश में 11 लाख गांठ एवं कर्नाटक में 23 लाख गांठ तथा तमिलनाडु के 4 लाख गांठ को मिलाकर कुल 85 लाख गांठ के कॉटन के उत्पादन का अनुमान है।

ओडिशा में चालू खरीफ में 3.30 लाख गांठ एवं अन्य राज्यों में 2 लाख गांठ कॉटन के उत्पादन का अनुमान है।

सीएआई के अनुसार पहली अक्टूबर 2024 को कॉटन का बकाया स्टॉक 30.19 लाख गांठ का बचा हुआ था, जबकि 295.30 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है। चालू सीजन में करीब 30 लाख गांठ कॉटन का आयात होने की उम्मीद है। ऐसे में कुल उपलब्धता 355.49 लाख गांठ की बैठेगी।

चालू फसल सीजन में कॉटन की कुल घरेलू खपत 315 लाख गांठ होने का अनुमान है, जबकि इस दौरान 17 लाख गांठ के निर्यात की उम्मीद है।

सीएआई के अनुसार 28 फरवरी 25 तक 22 लाख गांठ कॉटन का आयात हो चुका है, जबकि इस दौरान 9 लाख गांठ निर्यात की शिपमेंट हुई है। उत्पादक मंडियों में फरवरी अंत तक 223.57 लाख गांठ कॉटन की आवक हो चुकी है, जिसमें से 142 लाख गांठ की खपत हो चुकी है। अत: पहली मार्च को मिलों के पास 28 लाख गांठ एवं सीसीआई, महाराष्ट्र फेडरेशन, एमएनसी, जिनर्स एवं निर्यातकों के साथ ही व्यापारियों के पास 96.76 लाख गांठ कॉटन का स्टॉक है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार खरीफ में कपास की बुआई 14 लाख हेक्टेयर घटकर 112.90 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी, जबकि इसके पिछले साल इसकी बुआई 126.90 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार कपास का उत्पादन 294.25 लाख गांठ (एक गांठ 170 किलोग्राम) होने का अनुमान है, जो क‍ि इसके पिछले फसल सीजन 2023-24 के 325.22 लाख गांठ के मुकाबले कम है।

चालू फसल सीजन के पहले पांच महीनों में सोया डीओसी का निर्यात 18.87 फीसदी घटा - सोपा

नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2024-25 के पहले पांच महीनों अक्टूबर 24 से फरवरी 25 के दौरान सोया डीओसी का निर्यात 18.87 फीसदी घटकर केवल 9.50 लाख टन का ही हुआ है, जबकि पिछले फसल सीजन की समान अवधि में इसका निर्यात 11.71 लाख टन का हुआ था।


सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन के अक्टूबर से फरवरी के दौरान 40.64 लाख टन सोया डीओसी का उत्पादन हुआ है, जबकि नई सीजन के आरंभ में 1.33 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था। इस दौरान 9.50 लाख टन सोया डीओसी का निर्यात हुआ है जबकि 3.65 लाख टन की खपत फूड में एवं 27.50 लाख टन की फीड में हुई है। अत: पहली मार्च को मिलों के पास 1.32 लाख टन सोया डीओसी का बकाया स्टॉक बचा हुआ है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के बराबर है।

सोपा के अनुसार फसल सीजन 2024-25 के पहले पांच महीनों में देशभर की उत्पादक मंडियों में 66 लाख टन सोयाबीन की आवक हुई है, जिसमें से फरवरी अंत तक 57 लाख टन की पेराई हुई है। इस दौरान 2.20 लाख टन सोयाबीन की खपत डारेक्ट हुई है जबकि 0.06 लाख टन का निर्यात हुआ है। अत: प्लांटों एवं व्यापारियों तथा किसानों के पास पहली मार्च को 48.01 लाख टन सोयाबीन का बकाया स्टॉक बचा हुआ है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 73.96 लाख टन की तुलना में कम है।

सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन 2024-25 में देश में सोयाबीन का उत्पादन 125.82 लाख टन का हुआ है, जबकि 8.94 लाख टन का बकाया स्टॉक नई फसल की आवक के समय बचा हुआ था। अत: कुल उपलब्धता 134.76 लाख टन की बैठी है, जबकि चालू सीजन में करीब 3 लाख टन सोयाबीन के आयात का अनुमान है। पिछले फसल सीजन में 118.74 लाख टन सोयाबीन का उत्पादन हुआ था, जबकि नई फसल की आवक के समय 24.07 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था। अत: पिछले साल कुल उपलब्धता 142.81 लाख टन की बैठी थी, जबकि 6.25 लाख टन का आयात हुआ था।

फरवरी में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 7 फीसदी घटा- एसईए

नई दिल्ली। फरवरी 2025 में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 7 फीसदी घटकर 899,565 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले साल फरवरी में इनका आयात 965,852 टन का हुआ था। इस दौरान खाद्वय तेलों का आयात 885,561 टन का एवं अखाद्य तेलों का आयात 14,004 टन का हुआ है। मालूम हो कि मई 2020 के बाद से खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का सबसे कम मासिक आयात हुआ है। कोविड-19 महामारी के कारण मई 2020 में इनका आयात 720,976 टन का ही हुआ था।

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू तेल वर्ष 2024-25 के पहले चार महीनों नवंबर-24 से फरवरी-25 के दौरान देश में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 4 फीसदी बढ़कर 4,807,798 टन का हुआ है, जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 4,638,963 टन का हुआ था।

फरवरी 2025 में खाद्य तेल विशेष रूप से पाम तेल का आयात चार महीने के निम्नतम स्तर पर हुआ है, क्योंकि कीमतों में अंतर होने के कारण भारतीय आयातकों ने अन्य खाद्वय तेलों के आयात की ओर रुख करना पड़ा।

खाद्वय तेलों के आयात में हाल ही में आई गिरावट का प्रमुख कारण देश में नवंबर 2024 तक तक बकाया स्टॉक भी ज्यादा होना था, जो कि अब घटकर 2.0 मिलियन टन से नीचे आ गया है। अत: स्टॉक में आई कमी के कारण विशेष रूप से पाम तेल की खरीद में वृद्धि होने की उम्मीद है। पिछले कुछ हफ्तों में, घरेलू बाजार में क्रूड पाम तेल की कीमतों में थोड़ी मजबूती आई है। हालांकि, वैश्विक बाजार में मूल्य प्रतिस्पर्धा के कारण निकट भविष्य में देश में पाम तेल के आयात को सीमित कर सकती है।

खाद्वय तेल की खपत में बढ़ोतरी की गति 2024-25 में धीमी होने की उम्मीद है। अत: पाम तेल के भाव ज्यादा होने के कारण ही हाल के महीनों में आयात और खपत दोनों को कम कर दिया है, जिस कारण सोया तेल और सूरजमुखी तेल की संयुक्त खपत में तेज वृद्धि हुई है।

इसके अलावा, नेपाल से हो रहे आयात ने इस सीजन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ड्यूटी-फ्री एक्सेस का लाभ उठाते हुए देश में परिष्कृत सोया तेल का आयात नेपाल से बढ़ा है। इसी तरह से नेपाल और श्रीलंका से खाद्वय तेलों का निर्यात, भारत में हाल ही में बढ़र है।

देश में नवंबर 24 से फरवरी 25 के दौरान 588,241 टन रिफाइंड तेल (आरबीडी पामोलीन) का आयात किया गया है, जबकि नवंबर 23 से फरवरी 24 के दौरान 3,813,743 टन का आयात किया गया था। जनवरी 25 में आरबीडी पामोलीन के कम आयात के कारण रिफाइंड तेल का अनुपात 17 फीसदी से घटकर 13 फीसदी का रह गया, जबकि क्रूड पाम तेल का अनुपात 83 फीसदी से बढ़कर 87 फीसदी का हो गया।

जनवरी के मुकाबले फरवरी में खाद्वय की कीमतों में तेजी का रुख रहा। फरवरी में भारतीय बंदरगाह पर आरबीडी पामोलिन का भाव बढ़कर 1,146 डॉलर प्रति टन का हो गया, जबकि जनवरी में इसका दाम 1,126 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रूड पाम तेल का दाम फरवरी में बढ़कर 1,197 डॉलर प्रति टन का हो गया, जबकि जनवरी में इसका भाव 1,170 डॉलर प्रति टन था। क्रूड सोया तेल का भाव फरवरी में बढ़कर भारतीय बंदरगाह पर 1,156 डॉलर प्रति टन का हो गया, जबकि जनवरी में इसका भाव 1,118 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान क्रूड सनफ्लावर तेल का भाव भारतीय बंदरगाह पर जनवरी के 1,182 डॉलर से बढ़कर फरवरी में 1,216 डॉलर प्रति टन का हो गया।

11 मार्च 2025

भारत एवं अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते में घरेलू हितों की सुरक्षा सुनिश्चित हो - सोपा

नई दिल्ली। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) ने सरकार से आग्रह किया है कि भारत एवं अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते में घरेलू सोयाबीन और खाद्य तेल उद्योग के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।


केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को भेजे पत्र में सोपा ने सोयाबीन, सोयाबीन तेल और सोया मील पर मौजूदा आयात शुल्क बनाए रखने की सिफारिश की है। संगठन ने चेतावनी दी कि शुल्क में कटौती से सस्ते खाद्वय तेलों के आयात का दबाव बढ़ेगा, जिससे घरेलू उत्पादन प्रभावित होगा और लाखों किसानों व संबंधित उद्योगों की आजीविका पर असर पड़ेगा।

सोपा ने खाद्य तेलों के रियायती आयात पर भी चिंता जताई, जहां भारत पहले से ही 60 फीसदी से अधिक निर्भरता रखता है। संगठन ने कहां कि और अधिक रियायतें देना नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल्स (ऑयलसीड्स) के तहत आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को कमजोर कर सकता है।

इसके अलावा, सोपा ने अमेरिका द्वारा भारतीय ऑर्गेनिक सोयाबीन मील पर 283.91 फीसदी की काउंटरवेलिंग ड्यूटी लगाने का मुद्दा उठाया, जो पहले 12-15 फीसदी थी। सोपा ने सरकार से आग्रह किया कि वह अधिक न्यायसंगत व्यापार शर्तों के लिए बातचीत करे, जिससे भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धात्मकता बनी रहे और अमेरिकी बाजार में भारतीय ऑर्गेनिक सोया मील को उचित बाजार पहुंच मिले।

संगठन ने यह भी सिफारिश की कि सोया प्रोटीन आइसोलेट और कंसंट्रेट जैसे मूल्य वर्धित सोया उत्पादों के लिए रियायती शुल्क व्यवस्था पर विचार किया जाए। सोपा ने कहा कि इन उत्पादों का सोयाबीन बाजार से सीधी प्रतिस्पर्धा नहीं है और इनसे भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा, जिससे सोयाबीन उत्पादन की आर्थिक वैल्यू बढ़ेगी।

सोपा ने नीति-निर्माताओं से अपील की कि वे घरेलू उत्पादन को सुरक्षित रखते हुए एक संतुलित और परस्पर लाभकारी व्यापार समझौते को प्राथमिकता दें।

गेहूं, चावल, मक्का, मूंगफली और सोयाबीन के रिकार्ड उत्पादन का अनुमान

नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय के अनुसार फसल सीजन 2024-25 के दौरान देश में चावल, गेहूं, मक्का, मूंगफली और सोयाबीन का रिकार्ड उत्पादन होगा।


मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि चालू फसल वर्ष में खरीफ का खाद्यान्न उत्पादन 1663.91 लाख टन और रबी का खाद्यान्न उत्पादन 1645.27 लाख टन होने का अनुमान है।

खरीफ सीजन की प्रमुख फसल चावल का उत्पादन 1206.79 लाख टन होने का अनुमान है जो कि फसल सीजन 2023-24 के 1132.59 लाख टन की तुलना में, 74.20 लाख टन अधिक हो सकता है। वहीं रबी चावल का उत्पादन 157.58 लाख टन अनुमानित है।

रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं का उत्पादन 1154.30 लाख टन अनुमानित है, जो कि पिछले फसल सीजन के 1132.92 लाख टन उत्पादन की तुलना में 21.38 लाख टन अधिक हो सकता है।

इसके अलावा श्री अन्न (खरीफ) फसलों का उत्पादन 137.52 लाख टन और श्री अन्न (रबी) का उत्पादन 30.81 लाख टन रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि पोषक/मोटे अनाज (खरीफ) का उत्पादन 385.63 लाख टन और रबी सीजन में इनका उत्पादन 174.65 लाख टन होने का अनुमान है।

अरहर एवं चने का उत्पादन क्रमश: 35.11 लाख टन एवं 115.35 लाख टन होने का अनुमान है एवं मसूर का उत्पादन 18.17 लाख टन होने का अनुमान है।

खरीफ एवं रबी सीजन में मूंगफली का उत्पादन क्रमश: 104.26 लाख टन एवं 8.87 लाख टन अनुमानित है। खरीफ मूंगफली का उत्पादन पिछले वर्ष के 86.60 लाख टन के उत्पादन की तुलना में 17.66 लाख टन अधिक है।

सोयाबीन का उत्पादन 151.32 लाख टन अनुमानित है जो कि पिछले वर्ष के 130.62 लाख टन उत्पादन की तुलना में 20.70 लाख टन अधिक है एवं रेपसीड और सरसों का उत्पादन 128.73 लाख टन होने का अनुमान है।

कपास का उत्पादन 294.25 लाख गांठ (एक गांठ 170 किलोग्राम) और गन्ने का उत्पादन 4350.79 लाख टन होने का अनुमान है।

विज्ञप्ति के अनुसार खरीफ फसलों के उत्पादन का अनुमान तैयार करते समय फसल कटाई प्रयोग (सीसीई) आधारित उपज पर विचार किया गया है। रबी फसलों का उत्पादन औसत उपज पर आधारित है, अत: सीसीई के आधार पर बेहतर उपज अनुमान प्राप्त होने पर ये आंकड़े क्रमिक अनुमानों में परिवर्तन के अधीन हैं। विभिन्न जायद फसलों का उत्पादन आगामी तीसरे अग्रिम अनुमान में शामिल किया जाएगा।

कृषि फसलों के उत्पादन के ये अनुमान मुख्यत: राज्यों से प्राप्त जानकारी के आधार पर तैयार किये गये हैं। दूसरे अग्रिम अनुमान में केवल खरीफ एवं रबी सीजन की फसल शामिल होती हैं।