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10 जनवरी 2025

मिलों की मांग कमजोर होने से सरसों के दाम नरम, दैनिक आवक स्थिर

नई दिल्ली। बढ़े दाम पर तेल मिलों की खरीद कमजोर होने के कारण गुरुवार को घरेलू बाजार में सरसों की कीमतों में नरमी दर्ज की गई। जयपुर में कंडीशन की सरसों के भाव 25 रुपये कमजोर होकर भाव 6,500 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान सरसों की दैनिक आवक 1.85 लाख बोरियों के पूर्व स्तर पर स्थिर बनी रही।


विदेशी बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट का रुख रहा। मलेशियाई पाम तेल के दाम लगातार दूसरे कार्यदिवस में कमजोर हुए। साथ ही इस दौरान शिकागो में सोया तेल की कीमतों में भी गिरावट आई। उधर डालियान में भी खाद्वय तेलों की कीमतों में मंदा आया। जानकारों के अनुसार विश्व बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में अभी तेजी की संभावना नहीं है। घरेलू बाजार में गुरुवार को सरसों तेल के भाव में गिरावट आई, जबकि इस दौरान सरसों खल की कीमत दूसरे दिन भी स्थिर बनी रही।

उत्पादक राज्यों की मंडियों में सरसों की दैनिक आवक स्थिर हो गई। व्यापारियों के अनुसार नीचे दाम पर किसानों के साथ ही स्टॉकिस्ट सरसों की बिकवाली नहीं करना चाहते। हालांकि चालू सीजन में सरसों की बुआई में तो कमी आई है, लेकिन दिसंबर के अंत में हुई बारिश से फसल को फायदा ही हुआ है। माना जा रहा है कि खपत का सीजन होने के कारण घरेलू बाजार में सरसों तेल में मांग अभी बनी रहेगी, लेकिन इसकी कीमतों में तेजी, मंदी काफी हद तक आयातित खाद्य तेलों के दाम पर ही निर्भर करेगी।

सुस्त मांग और वैश्विक बाजारों से नकारात्मक संकेत के कारण मलेशियाई क्रूड पाम तेल (सीपीओ) वायदा गुरुवार को लगातार दूसरे सत्र में कमजोर होकर बंद हुआ।

बुर्सा मलेशिया डेरिवेटिव्स एक्सचेंज, बीएमडी में मार्च डिलीवरी के पाम तेल वायदा अनुबंध में 59 रिगिंट यानी की 1.36 फीसदी की गिरावट आकर भाव 4,295 रिंगिट प्रति टन रह गए। इस दौरान शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड सोया तेल की कीमतों में 0.77 फीसदी की गिरावट आई।

डालियान के सबसे सक्रिय सोया तेल वायदा अनुबंध में 1.16 फीसदी की गिरावट आई जबकि इसके पाम तेल वायदा में 3.09 फीसदी की बड़ी गिरावट दर्ज की गई।

व्यापारियों के अनुसार विश्व बाजार में खाद्वय तेलों की कीमतों में तेजी, मंदी काफी हद तक अमेरिकी बायोडीजल बाजार की नीतियों पर निर्भर हो सकते हैं। अमेरिकी बायोडीजल नीतियों में कोई भी बदलाव या सोया तेल पर संभावित टैरिफ से पाम तेल की कीमत प्रभावित हो सकती है। निवेशक बदलते वैश्विक संकेतों और घरेलू आंकड़ों की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं।

जयपुर में सरसों तेल कच्ची घानी और एक्सपेलर की कीमतों में गुरुवार को गिरावट दर्ज की गई। कच्ची घानी सरसों तेल के भाव 5 रुपये कमजोर होकर 1,336 रुपये प्रति 10 किलो रह गए, जबकि सरसों एक्सपेलर तेल के भाव भी 5 रुपये घटकर 1,326 रुपये प्रति 10 किलो रह गए। इस दौरान जयपुर में सरसों खल के भाव 2,340 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

देशभर की मंडियों में सरसों की दैनिक आवक 1.85 लाख बोरियों की ही हुई, जबकि इसके पिछले कार्यदिवस में भी आवक इतनी ही बोरियों की हुई थी। कुल आवकों में से प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान की मंडियों में सरसों की आवक 75 हजार बोरी, जबकि मध्य प्रदेश की मंडियों में 20 हजार बोरी, उत्तर प्रदेश की मंडियों में 25 हजार बोरी, पंजाब एवं हरियाणा की मंडियों में 5 हजार बोरी तथा गुजरात में 10 हजार बोरी, एवं अन्य राज्यों की मंडियों में 45 हजार बोरियों की आवक हुई।

सीसीआई ने 9,600 गांठ कॉटन की बिक्री की, मिलों की सीमित मांग से भाव में मिलाजुला रुख

नई दिल्ली। कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई ने गुरुवार को घरेलू बाजार में 9,600 गांठ, एक गांठ 170 किलो कॉटन की बिक्री की। इसमें से स्पिनिंग मिलों ने 5,900 गांठ कॉटन की खरीद की, जबकि 3,700 गांठ व्यापारियों द्वारा खरीदी गई।


स्पिनिंग मिलों की मांग घटने के कारण गुरुवार को दोपहर बाद गुजरात में कॉटन की कीमतों में गिरावट आई, जबकि इस दौरान उत्तर भारत में इसके भाव स्थिर हो गए।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव में गुरुवार को 250 रुपये कमजोर होकर दाम 53,800 से 54,300 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो रह गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 5570 से 5580 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5550 से 5570 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5570 से 5640 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव 53,900 से 54,000 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आवक 1,87,300 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने के कारण गुजरात में कॉटन की कीमतों में गिरावट आई, जबकि उत्तर भारत के राज्यों में इसके दाम स्थिर हो गए। व्यापारियों के अनुसार विश्व बाजार में कॉटन की कीमत, घरेलू बाजार की तुलना में नीचे बनी हुई है इसलिए घरेलू बाजार में इसके भाव में अभी बड़ी तेजी के आसार नहीं है।

व्यापारियों के अनुसार खपत का सीजन होने के कारण सूती धागे की स्थानीय मांग पहले की तुलना में बढ़ी है, लेकिन निर्यात मांग कमजोर बनी हुई है। कॉटन के निर्यात में भी पड़ते नहीं लग रहे। हालांकि चालू सीजन में बुआई में आई कमी के साथ ही कई राज्यों में अक्टूबर में हुई बारिश से कॉटन के उत्पादन और क्वालिटी प्रभावित हुई थी। विश्व बाजार में कॉटन की कीमत अभी सीमित दायरे में बनी रहने की उम्मीद है।

कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू खरीफ सीजन में कपास का उत्पादन 299.26 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो होने का अनुमान है, जो क‍ि पिछले खरीफ 2023-24 के 325.22 लाख गांठ के मुकाबले कम है। 

कॉटन की एमएसपी पर खरीद 63 लाख गांठ के पार, तेलंगाना एवं महाराष्ट्र की हिस्सेदारी ज्यादा

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2023 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2024-25 में कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर 63 लाख गांठ, एक गांठ 170 किलो की खरीद कर चुकी है। अभी तक हुई कुल खरीद में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी तेलंगाना एवं महाराष्ट्र की है।


सूत्रों के अनुसार सीसीआई ने चालू फसल सीजन में एमएसपी तेलंगाना से 32 लाख गांठ एवं महाराष्ट्र से 16 लाख गांठ कॉटन की खरीद की है। इसके अलावा गुजरात से निगम ने 5 लाख गांठ, आंध्र प्रदेश एवं कर्नाटक से क्रमश: 3-3 लाख गांठ तथा मध्य प्रदेश से 1.25 लाख गांठ कॉटन की खरीद समर्थन मूल्य पर की है।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई के अनुसार चालू फसल सीजन 2024-25 में 8 जनवरी तक देशभर की मंडियों में 137.85 लाख गांठ कॉटन की आवक हो चुकी है। इस दौरान तेलंगाना की मंडियों में 34.85 लाख गांठ, महाराष्ट्र में 27.58 लाख गांठ तथा गुजरात की मंडियों में 23.94 लाख गांठ के अलावा कर्नाटक की मंडियों में 16.41 लाख गांठ कॉटन की आवक हुई है।

उत्तर भारत के राज्यों की मंडियों में चालू सीजन में 15.13 लाख गांठ तथा ओडिशा की मंडियों में 1.13 लाख गांठ के अलावा तमिलनाडु में 58,500 गांठ तथा अन्य राज्यों में 30 हजार गांठ कॉटन की आवक हुई है।

व्यापारियों के अनुसार देशभर की राज्यों की मंडियों में इस समय करीब दो लाख गांठ कॉटन की दैनिक आवक हो रही है।

स्पिनिंग मिलों की मांग बढ़ने के कारण बुधवार को दोपहर बाद गुजरात के साथ ही उत्तर भारत में कॉटन की कीमतों में सुधार आया। गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव में बुधवार को 50 रुपये तेज होकर दाम 54,100 से 54,500 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो हो गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 5570 से 5580 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 10 रुपये तेज होकर 5550 से 5580 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 10 रुपये तेज होकर 5570 से 5640 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव 53,900 से 54,200 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

सीसीआई ने कॉटन की बिक्री कीमतों में 300 रुपये प्रति कैंडी की बढ़ोतरी की

नई दिल्ली। कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई ने मंगलवार को घरेलू बाजार में कॉटन की बिक्री कीमतों में 300 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) की बढ़ोतरी की।


सीसीआई के अनुसार अहमदाबाद में फसल सीजन 2023-24 की खरीदी हुई 28 एमएम की कॉटन के बिक्री भाव 300 रुपये बढ़ाकर 52,300 रुपये प्रति कैंडी कर दिए। इस दौरान अकोला में 30 एमएम की कॉटन की बिक्री कीमत निगम ने 300 रुपये बढ़ाकर 53,700 से 54,100 रुपये प्रति कैंडी कर दी।

स्पिनिंग मिलों की मांग बढ़ने के कारण मंगलवार को दोपहर बाद गुजरात के साथ ही उत्तर भारत में कॉटन की कीमतों में तेजी आई।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव में मंगलवार को 200 रुपये तेज होकर दाम 54,000 से 54,500 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो हो गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 20 रुपये बढ़कर 5570 से 5580 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 20 रुपये तेज होकर 5550 से 5570 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 15 रुपये तेज होकर 5560 से 5640 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव 53,900 से 54,000 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आवक 1,84,200 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स के साथ ही एनसीडीएक्स पर आज शाम को कॉटन की कीमतों में में गिरावट का रुख रहा। उधर आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतों में तेजी आई।

स्पिनिंग मिलों की मांग बढ़ने के कारण गुजरात के साथ ही उत्तर भारत में कॉटन की कीमतों में तेजी आई। व्यापारियों के अनुसार विश्व बाजार में कॉटन की कीमत, घरेलू बाजार की तुलना में नीचे बनी हुई है इसलिए घरेलू बाजार में इसके भाव में अभी बड़ी तेजी के आसार नहीं है।

व्यापारियों के अनुसार त्योहारों का सीजन होने के बावजूद भी सूती धागे की स्थानीय मांग सामान्य की तुलना में कमजोर बनी हुई है। कॉटन के निर्यात में भी पड़ते नहीं लग रहे। हालांकि चालू सीजन में बुआई में आई कमी के साथ ही कई राज्यों में अक्टूबर में हुई बारिश से कॉटन के उत्पादन और क्वालिटी प्रभावित हुई थी। विश्व बाजार में हाल ही में कॉटन की कीमत सीमित दायरे में बनी रहने की उम्मीद है।

कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू खरीफ सीजन में कपास का उत्पादन 299.26 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो होने का अनुमान है, जो क‍ि पिछले खरीफ 2023-24 के 325.22 लाख गांठ के मुकाबले कम है।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई के दूसरे आरंभिक अनुसार के अनुसार पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2024-25 में देश में 302.25 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन के उत्पादन का अनुमान है, जोकि इसके पिछले फसल सीजन 2023-24 के 325.29 लाख गांठ से कम है।

07 जनवरी 2025

चालू रबी सीजन में राजस्थान में गेहूं एवं जौ के साथ ही चना की बढ़ी, सरसों की कम

नई दिल्ली। राजस्थान में चालू रबी सीजन में फसलों की बुआई 93 फीसदी क्षेत्रफल में हो चुकी है तथा गेहूं के साथ ही जौ एवं चना की बुआई में बढ़ोतरी हुई है जबकि इस दौरान सरसों की बुआई पिछले साल की तुलना में घटी है।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 3 जनवरी तक राज्य में फसलों की बुआई घटकर 111.86 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 112.70 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

गेहूं की बुआई चालू रबी सीजन में बढ़कर 31.52 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 31.06 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। जौ की बुआई चालू रबी में राज्य में 4.41 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 2.83 लाख हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है।

रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई चालू रबी में बढ़कर 20.62 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 17.75 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। चना की बुआई का लक्ष्य राज्य सरकार ने 22.50 लाख हेक्टेयर का तय किया है। रबी दलहन की अन्य फसलों की बुआई राज्य में 43 हजार हेक्टेयर में ही हुई है। ऐसे में चालू रबी में दलहन की कुल बुआई अभी तक बढ़कर 21.05 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 18.16 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

राज्य में सरसों की बुआई चालू रबी सीजन में 33.55 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 40.01 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। राज्य में सरसों की बुआई का लक्ष्य 40.50 लाख हेक्टेयर का तय किया गया है। अन्य तिलहनी फसलों में तारामीरा की बुवाई 86 हजार हेक्टेयर में और अलसी की करीब 12 हजार हेक्टेयर में ही हुई है। अत: तिलहनी फसलों की कुल बुआई चालू रबी में घटकर 34.55 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 41.87 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

आंध्रप्रदेश में रबी फसलों की बुआई 23 फीसदी बढ़ी

नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश में चालू रबी सीजन में फसलों की बुआई 23.48 फीसदी बढ़कर 10.57 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। इस दौरान धान के साथ ही चना एवं उड़द की बुआई में बढ़ोतरी हुई है।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 1 जनवरी तक राज्य में फसलों की बुआई बढ़कर 10.57 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 8.56 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

धान की रोपाई चालू रबी सीजन में बढ़कर 2.21 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 1.66 लाख हेक्टेयर में ही रोपाई हुई थी। ज्वार की बुआई चालू रबी में राज्य में 0.50 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 0.57 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है। इस दौरान मक्का की बुआई चालू रबी में 0.95 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 0.74 लाख हेक्टेयर की तुलना में बढ़ी है।

रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई चालू रबी में बढ़कर 2.79 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 2.38 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। रबी दलहन की अन्य फसलों में उड़द की बुआई राज्य में 1.70 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 1.51 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। ऐसे में चालू रबी में दलहन की कुल बुआई अभी तक बढ़कर 5.62 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 4.44 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

राज्य में मूंगफली की बुआई चालू रबी सीजन में 0.36 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 0.40 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। राज्य में तिलहनी फसलों की कुल बुआई चालू रबी में घटकर 0.41 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 0.52 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

03 जनवरी 2025

चालू पेराई सीजन में दिसंबर अंत तक चीनी का उत्पादन 15.58 फीसदी कम - इस्मा

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन (अक्टूबर-24 से सितंबर-25) के पहले तीन महीनों पहली अक्टूबर एवं 31 दिसंबर के दौरान चीनी के उत्पादन में 15.58 फीसदी की गिरावट आकर कुल उत्पादन 95.40 लाख टन का ही हुआ है, जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में इसका उत्पादन 113.01 लाख टन का हो चुका था।


इंडियन शुगर एंड बायो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन में 493 मिलों में ही पेराई चल रही है, जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में 512 मिलों में पेराई चल रही थी। प्रमुख उत्पादक राज्यों उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में पेराई दर पिछले साल की तुलना में बेहतर बताई जा रही है। हालांकि, बारिश के कारण गन्ने की आपूर्ति में अस्थायी व्यवधान के कारण दिसंबर 2024 के अंतिम सप्ताह के दौरान उत्तर प्रदेश में पेराई जरूर प्रभावित हुई थी।

इस्मा के अनुसार चालू पेराई सीजन के पहले तीन महीनों के दौरान महाराष्ट्र में चीन का उत्पादन 21.5 फीसदी घटकर 30 लाख टन का ही हुआ है। इस दौरान कर्नाटक में चीनी के उत्पादन में 18.1 फीसदी की गिरावट आकर कुल उत्पादन 20 लाख टन का ही हुआ है। उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सीजन में चीनी के पहले तीन महीनों में 4.5 फीसदी की गिरावट आकर कुल उत्पादन 32.8 लाख टन का हुआ है। मालूम हो कि ये तीन राज्य का देश के चीनी के कुल उत्पादन में 80 फीसदी से अधिक योगदान है।

महाराष्ट्र और कर्नाटक में पिछले साल सूखे से गन्ने के उत्पादन में गिरावट के साथ ही उत्तर प्रदेश में लाल सड़न रोग के फैलने से उत्पादन में कमी आने की आशंका है।

इस्मा के अनुसार पेराई सीजन 2024-25 के दौरान चीनी की खपत पिछले सीजन की तुलना में कम रहने की आशंका है। चीनी की कुल घरेलू खपत चालू पेराई सीजन में लगभग 280 लाख टन होने का अनुमान है।

इस्मा के अनुसार शुद्ध चीनी उत्पादन में अंतर सामूहिक रूप से इस साल एथेनॉल में अधिक चीनी के उपयोग (23-24 में 21.5 लाख टन के मुकाबले 40 लाख टन अनुमानित) है। जनवरी 2025 के अंत में चीनी उत्पादन के अपने दूसरे अग्रिम अनुमान को इस्मा जारी करेगा।