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14 अक्तूबर 2024

सितंबर में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 30 फीसदी घटा- एसईए

नई दिल्ली। सितंबर 2024 में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 30 फीसदी घटकर 1,087,489 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल सितंबर में इनका आयात 1,552,026 टन का ही हुआ था। सितंबर 2024 के दौरान खाद्वय तेलों का आयात 1,064,499 टन का एवं अखाद्य तेलों का आयात 22,990 टन का हुआ है।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू तेल वर्ष 2023-24 के पहले 11 महीनों नवंबर 23 से सितंबर 24 के दौरान देश में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 6 फीसदी घटकर 14,775,000 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 15,673,102 टन का हुआ था।

व्यापारियों का अनुमान है कि तेल वर्ष 2023-24 (नवंबर-अक्टूबर) के दौरान खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का कुल आयात पिछले वर्ष के 165.0 लाख टन की तुलना में घटकर 160.0 लाख टन होने ही की संभावना है।

एसईए के अनुसार अगस्त एवं सितंबर में पाम तेल के आयात में कमी का प्रमुख कारण सोया तेल के साथ ही सनफ्लावर तेल की कीमत तेज होना रहा। आयातकों ने इस दौरान पाम तेल के बजाए सॉफ्ट ऑयल के आयात सौदे ज्यादा मात्रा में किए।

खाद्वय तेलों के आयात शुल्क में बढ़ोतरी के बाद कुछ आयात सौदे रद्द हुए, साथ ही सॉफ्ट तेलों की शिपमेंट में भी कुछ देरी हुई है, जिसके परिणामस्वरूप आयातित कार्गो कम आए।

तेल वर्ष 2023-24 के पहले 11 महीनों में, देश में 1,695,080 टन रिफाइंड तेल (आरबीडी पामोलिन) का आयात किया, जोकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि के दौरान आयात किए गए 2,053,148 टन की तुलना में 17 फीसदी कम है। इस दौरान 12,840,875 टन क्रूड तेल का आयात किया गया, जोकि नवंबर 2022 एवं सितंबर 2023 के दौरान किए गए 13,415,764 टन की तुलना में 4 फीसदी कम है। हालांकि इस दौरान रिफाइंड तेलों का अनुपात 13 फीसदी से मामूली रूप से घटकर 12 फीसदी रह गया, जबकि क्रूड तेल का अनुपात 87 फीसदी से बढ़कर 88 फीसदी हो गया।

अगस्त के मुकाबले सितंबर में आयातित खाद्वय तेलों की कीमतों में तेजी का रुख रहा। सितंबर में भारतीय बंदरगाह पर आरबीडी पामोलिन का भाव बढ़कर 1,038 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि अगस्त में इसका दाम 980 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रूड पाम तेल का दाम सितंबर में बढ़कर 1,071 डॉलर प्रति टन का हो गया, जबकि अगस्त में इसका भाव 1,011 डॉलर प्रति टन था। क्रूड सोयाबीन तेल का भाव सितंबर में बढ़कर भारतीय बंदरगाह पर 1,045 डॉलर प्रति टन का हो गया, जबकि अगस्त में इसका भाव 1,015 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रूड सनफ्लावर तेल का भाव भारतीय बंदरगाह पर अगस्त के 1,019 डॉलर से बढ़कर सितंबर में 1,070 डॉलर प्रति टन हो गया।

चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में ग्वार गम का निर्यात 7.18 फीसदी बढ़ा

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान देश से ग्वार गम उत्पादों के निर्यात में 7.18 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। उत्पादक मंडियों में ग्वार सीड की आवक शुरू हो गई है तथा मौसम साफ है इसलिए आगामी दिनों में दैनिक आवकों में और बढ़ोतरी की उम्मीद है।


वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2024-25 के अप्रैल से अगस्त के दौरान ग्वार गम उत्पादों का निर्यात बढ़कर 1.94 लाख टन का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2023-24 की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 1.81 लाख टन का ही हुआ था।

मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले पांच महीनों के दौरान ग्वार गम उत्पादों का निर्यात 2,006.65 करोड़ रुपये का हुआ है।

देशभर की मंडियों में गुरुवार को ग्वार सीड की दैनिक आवक बढ़कर 25 से 26 हजार बोरियों की हुई। इसमें नए ग्वार सीड की हिस्सेदारी 19 से 20 हजार बोरियों की तथा पुरानी की पांच से छह हजार बोरियों की रही।

व्यापारियों के अनुसार मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव से क्रूड तेल की आपूर्ति प्रभावित होने के डर से कीमतों में तेजी आई है, तथा दिसंबर का ब्रेंट क्रूड वायदा 1.55 फीसदी बढ़कर 77.77 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। इसका असर घरेलू बाजार में ग्वार सीड और ग्वार गम की कीमतों पर पड़ रहा है।

चालू सीजन में ग्वार सीड की बुआई में आई कमी से उत्पादन अनुमान कम है, जिस कारण नए फसल की आवक के समय ही स्टॉकिस्ट सक्रिय हो गया है। इसलिए हाल ही में इसके दाम तेज हुए हैं।

हरियाणा की सिरसा मंडी में गुरुवार को ग्वार सीड के भाव 4,500 से 5,241 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। एनसीडीएक्स पर ग्वार सीड के नवंबर वायदा अनुबंध में 106 रुपये की तेजी आकर भाव 5,594 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, जबकि ग्वार गम के नवंबर महीने के वायदा अनुबंध में 293 रुपये की तेजी आकर दाम 11,411 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

अप्रैल से अगस्त के दौरान बासमती चावल का निर्यात 15.52 फीसदी बढ़ा, गैर बासमती का 36.83 कम - एपिडा

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान देश से बासमती चावल के निर्यात में 15.52 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, वहीं इस दौरान गैर बासमती चावल के निर्यात में 36.83 फीसदी की भारी गिरावट दर्ज की गई।


वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2024-25 के अप्रैल से अगस्त के दौरान बासमती चावल का निर्यात 15.52 फीसदी बढ़कर 23.22 लाख टन का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2023-24 की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 20.10 लाख टन का ही हुआ था।

गैर बासमती चावल के निर्यात में चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले पांच महीनों अप्रैल एवं अगस्त के दौरान 36.83 फीसदी की भारी गिरावट आकर कुल निर्यात 40.78 लाख टन का ही हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के दौरान इसका निर्यात 64.56 लाख टन का हुआ था।

मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले पांच महीनों के दौरान बासमती चावल का निर्यात 20,545.96 करोड़ रुपये का और गैर बासमती चावल का 16,428.70 करोड़ रुपये का हुआ है।

केंद्र सरकार ने पिछले दिनों बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य, एमईपी 950 डॉलर प्रति टन को समाप्त किया था।

हरियाणा लाइन से नए पूसा 1,509 किस्म के स्टीम चावल का व्यापार 6,100 रुपये आर इसके सेला चावल का 5,400 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हुआ।

पंजाब एवं हरियाणा के साथ ही राजस्थान की मंडियों में पूसा 1,509 किस्म के धान के साथ ही 1,847 किस्म एवं परमल धान की आवक हो रही है, जबकि उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड की मंडियों पूसा 1,509 के साथ एचआर 10 एवं शरबती के साथ ही परमल धान की आवक हो रही है।

पंजाब की अमृतसर मंडी में बुधवार को धान की आवक 1,70,000 बोरियों की हुई तथा पूसा 1,509 किस्म के धान के भाव 2,500 से 2,805 रुपये प्रति क्विंटल रहे। राज्य की संगरूर मंडी में धान की आवक 15,000 बोरियों की हुई तथा पूसा 1,509 किस्म के धान का भाव 2,955 रुपये और 1,847 किस्म के धान का भाव 2,850 रुपये प्रति क्विंटल रहा।

हरियाणा की टोहाना मंडी में पूसा 1,509 किस्म के धान का भाव 2,925 रुपये और 1,847 किस्म के धान का भाव 2,790 रुपये प्रति क्विंटल रहा। राज्य की घरौंडा मंडी में 1,509 किस्म के धान का व्यापार 2,710 रुपये और 1,847 किस्म के धान का 2,550 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हुआ।

उत्तर प्रदेश की बिलासपुर मंडी में धान की आवक 80 हजार बोरियों की हुई तथा पूसा 1,509 के भाव 2,100 से 2,525 रुपये और पीआर 26 किस्म के धान का भाव 1,900 से 2,030 रुपये तथा शरबती धान का व्यापार 2,050 से 2,125 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हुआ। 

09 अक्तूबर 2024

नई कपास की आवकों में बढोतरी से कीमतों में गिरावट जारी

नई दिल्ली। उत्पादक मंडियों में नई कपास की आवक बढ़ने से कीमतों पर दबाव बना हुआ है।  स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर बनी रहने के कारण मंगलवार को भी गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई।


गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव मंगलवार को 100 रुपये का मंदा आकर भाव 55,800 से 56,200 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो रह गए। पहली अक्टूबर से मंगलवार तक राज्य में इसकी कीमतों में 2,900 रुपये प्रति कैंडी का मंदा आ चुका है।

पंजाब में नई रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 5,770 से 5780 रुपये प्रति मन बोले गए।हरियाणा में नई रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5760 से 5770 रुपये प्रति मन बोले गए।ऊपरी राजस्थान में नई रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5770 से 5790 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव 55,000 से 55,200 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आवक 36,600 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स के साथ ही एनसीडीएक्स पर आज शाम को कॉटन की कीमतों में में गिरावट का रुख रहा। इस दौरान आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में भी कॉटन की कीमतों में भी मंदा आया।

स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने के कारण गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में मंदा जारी है। व्यापारियों के अनुसार नई फसल को देखते हुए स्पिनिंग मिलें कॉटन की खरीद सीमित मात्रा में ही कर रही है, इसलिए कीमतों पर दबाव बना हुआ है। उत्पादक राज्यों में मौसम साफ है इसलिए आगामी दिनों में नई फसल की आवक बढ़ेगी। हालांकि चालू सीजन में कपास की बुआई में कमी आई, जिस कारण उत्पादन अनुमान तो घटने की आशंका है, लेकिन उत्पादकता पिछले साल की तुलना में ज्यादा बैठ रही है। इसलिए कॉटन की कीमतों में और भी नरमी बन सकती है।

व्यापारियों के अनुसार मध्य पूर्व के देशों में तनाव बढ़ रहा है, जिसका असर विश्व बाजार में कॉटन की कीमतों पर पड़ने का डर है। ऐसे में घरेलू बाजार में स्पिनिंग मिलें अभी इंतजार करों एवं देखो की नीति अपना रही है। जानकारों के लिए विश्व बाजार में कॉटन की कीमत नीचे होने के कारण आगामी महीनों के आयात सौदे ज्यादा मात्रा में हो रहे हैं।

कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ सीजन में कपास की बुआई 10.96 फीसदी घटकर 112.76 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 123.71 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

चालू खरीफ सीजन में गुजरात में फसलों की बुआई 1.82 फीसदी कम - राज्य सरकार

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में गुजरात में फसलों की कुल बुआई में 1.82 फीसदी की कमी आकर 7 अक्टूबर 2024 तक 84.52 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 86.09 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार दलहन के साथ ही तिलहनी फसलों की बुआई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है, लेकिन कपास एवं कैस्टर सीड के साथ ही ग्वार सीड की बुआई में कमी आई है।

दलहन की बुआई बढ़कर राज्य में 40.0 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 37.73 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। दलहनी फसलों में अरहर की बुआई चालू खरीफ में 2.38 लाख हेक्टेयर में, मूंग की बुआई 55,217 हेक्टेयर में एवं उड़द की 83,799 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 2.14 लाख हेक्टेयर में, 64,619 हेक्टेयर में और 79,275 हेक्टेयर में हो चुकी थी।
 
कपास की बुआई राज्य में चालू खरीफ में 11.70 फीसदी घटकर 23.68 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 26.82 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

तिलहनी फसलों की कुल बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 28.94 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 26.84 लाख हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल मूंगफली की बुआई बढ़कर 19.08 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 16.35 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

अन्य तिलहन की फसलों में सोयाबीन की बुआई चालू खरीफ में 3 लाख हेक्टेयर में, कैस्टर सीड की 6.35 लाख हेक्टेयर तथा शीशम की 49,441 हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 2.65 लाख हेक्टेयर में और 7.24 लाख हेक्टेयर तथा 58,205 हेक्टेयर में हो चुकी थी।

राज्य में धान की रोपाई चालू खरीफ सीजन में 7 अक्टूबर तक 8.86 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 8.73 लाख हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है।

राज्य में बाजरा की बुआई घटकर चालू खरीफ में अभी तक 1.68 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 1.97 लाख हेक्टेयर में इसकी बुआई हो चुकी थी। मक्का की बुआई राज्य में बढ़कर 2.86 हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 2.82 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

ग्वार सीड की बुआई राज्य में 84,950 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 1.03 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

राइस मिलर्स की हड़ताल के बावजूद हरियाणा में धान की खरीद बढ़ी, पंजाब से पिछड़ी

नई दिल्ली। हरियाणा और पंजाब में राइस मिलर्स की हड़ताल के बावजूद हरियाणा से धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद में तेजी आई है, लेकिन पंजाब से खरीद सीमित मात्रा में ही हो रही है।


सूत्रों के अनुसार हरियाणा की मंडियों से चालू खरीफ विपणन सीजन 2024-25 में अभी तक 1,18,763 टन धान की खरीद हो चुकी है, जबकि पंजाब की मंडियों में केवल 9,433 टन धान की खरीद ही हो पाई है।

हरियाणा के खाद्य और आपूर्ति विभाग के अनुसार राज्य में सरकारी एजेंसियां मंडियों में धान की एमएसपी पर खरीद कर रही हैं तथा धान की खरीद राज्य की मंडियों से 15 नवंबर, 2024 तक की जायेगी। धान की खरीद के राज्य की 241 मंडियों में खरीद केंद्र खोले गए हैं तथा विभाग द्वारा 17 फीसदी तक की नमी वाले धान को ही खरीदने के निर्देश दिए हुए है। सभी मंडियों में उचित मात्रा में बारदाना उपलब्ध कराया गया है, ताकि समय पर उठाव हो सके।

राज्य की मंडियों में चार अक्टूबर तक 4,37,775 टन धान की आवक हुई है जिसमें से सरकारी एजेंसियों ने 17 फीसदी तक नमी युक्त 1,18,763 टन धान की खरीद की है जिसमें से 18,577 टन धान का उठाव भी किया जा चुका है। किसानों को उनकी खरीदी गई फसल का समय पर भुगतान भी सुनिश्चित किया जा रहा है तथा अब तक 15,000 से अधिक किसानों के बैंक खातों में 12.85 करोड़ रुपये से अधिक की राशि भेज जा चुकी है।

केंद्र सरकार ने चालू खरीफ विपणन सीजन 2024-25 के लिए कॉमन धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य,एमएसपी 2,300 रुपये और ग्रेड-ए धान का समर्थन मूल्य 2,320 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।

पहली अक्टूबर 24 को 46 लाख टन सरसों का बकाया स्टॉक - उद्योग

नई दिल्ली। रबी विपणन सीजन 2024-25 में मार्च से सितंबर अंत तक देशभर की मंडियों में 90 लाख टन सरसों की आवक हो चुकी है, जिसमें से 74 लाख टन की क्रॉसिंग हुई है। अत: पहली अक्टूबर को मिलर्स एवं किसानों के साथ ही सरकारी एजेंसियों को मिलाकर कुल 46 लाख टन सरसों का बकाया स्टॉक बचा हुआ है।


उद्योग के अनुसार मार्च 24 से सितंबर 24 के अंत तक देशभर की मंडियों में 90 लाख टन सरसों की आवक हुई है। सीजन के पहले दो महीनों मार्च एवं अप्रैल में आवक क्रमश: 15.50 एवं 15 लाख टन की हुई थी, जबकि मई में 11 लाख टन तथा जून और जुलाई में क्रमश: 9 एवं 8 लाख टन के अलावा अगस्त एवं सितंबर में क्रमश: 6 तथा 5 लाख टन की आवक हुई।

मार्च 24 से सितंबर 24 के अंत तक 74 लाख टन सरसों की क्रॉसिंग हो चुकी है अत: तेल मिलों के साथ स्टॉकिस्टों के पास पहली अक्टूबर को 6 लाख टन सरसों का बकाया स्टॉक बचा हुआ है। इसके अलावा किसानों के पास करीब 18 लाख टन का स्टॉक है, जबकि नेफेड एवं हेफैड के पास नया एवं पुराना मिलाकर करीब 22 लाख टन सरसों का स्टॉक है। अत: देशभर में 46 लाख टन सरसों का स्टॉक बचा हुआ है जबकि नई फसल की आवक फरवरी, मार्च में बनेगी।

नेफेड के साथ ही हेफैड ने चालू रबी विपणन सीजन में न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर 20 लाख टन सरसों की खरीद की थी, जबकि इनके पास 7.50 लाख टन का पुराना स्टॉक बचा हुआ है। इन्होंने 5.50 लाख टन सरसों की बिक्री की है, अत: 22 लाख टन सरसों का स्टॉक केंद्रीय पूल में है।

उद्योग ने सितंबर में सरसों के उत्पादन अनुमान को घटाकर 115 लाख टन कर दिया था, जबकि सीजन के आरंभ में मार्च मध्य में 123 लाख टन के उत्पादन का अनुमान जारी किया था।