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19 नवंबर 2024

सीसीआई ने पुरानी कॉटन की बिक्री कीमतों में कटौती की, नई की खरीद सीमित

नई दिल्ली। घरेलू बाजार में सोमवार को कॉटन की कीमतों पर दबाव देखा गया, क्योंकि कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई ने जहां पुरानी कपास की बिक्री कीमतों में कटौती की, वहीं नई कपास की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद सीमित मात्रा में हो रही है।


गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव में सोमवार को 150 रुपये की गिरावट आकर दाम 53,800 से 54,200 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो रह गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव कमजोर होकर 5580 से 5590 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव घटकर 5570 से 5580 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव कमजोर होकर 5560 से 5610 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव 53,600 से 53,900 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए। देशभर की मंडियों में कपास की आव 1,34,650 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स के साथ ही एनसीडीएक्स पर आज शाम को कॉटन की कीमतों में में गिरावट का रुख रहा। हालांकि इस दौरान आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतों में सुधार आया।

स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने के कारण गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में गिरावट आई है। जानकारों के अनुसार घरेलू बाजार में सीसीआई लगातार कॉटन बेच रही है, तथा कॉटन की बिक्री कीमतों में कटौती से भाव पर दबाव है। उधर विदेशी बाजार में कॉटन की कीमतों में हाल ही में मंदा आया है, जिस कारण घरेलू बाजार में इसकी कीमतों पर दबाव है।

व्यापारियों के अनुसार खपत का सीजन होने के बावजूद भी सूती धागे की मांग सामान्य की तुलना में कमजोर हुई है साथ ही कॉटन के निर्यात में भी पड़ते नहीं लग रहे। हालांकि चालू सीजन में बुआई में आई कमी के साथ ही कई राज्यों में अक्टूबर में हुई बारिश से कॉटन के उत्पादन और क्वालिटी पर पड़ने की आशंका है। इसलिए कॉटन की कीमतों में सीमित तेजी, मंदी बनी रहने का अनुमान है। हालांकि विश्व बाजार में दाम कम होने के कारण आयात सौदे ज्यादा मात्रा में हुए हैं।

कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू खरीफ सीजन में कपास का उत्पादन 299.26 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो होने का अनुमान है, जो क‍ि पिछले खरीफ 2023-24 के 325.22 लाख गांठ के मुकाबले कम है।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई के आरंभिक अनुसार के अनुसार पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2024-25 में देश में 302.25 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन के उत्पादन का अनुमान है, जोकि इसके पिछले फसल सीजन 2023-24 के 325.29 लाख गांठ से कम है।

चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों के दौरान डीओसी का 7 फीसदी घटा - एसईए

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2024-25 की पहले सात महीनों अप्रैल से अक्टूबर के दौरान डीओसी के निर्यात में 7 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 2,388,327 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 2,566,051 टन का ही हुआ था। इस दौरान सरसों डीओसी के साथ ही कैस्टर डीओसी के निर्यात में कमी आई है।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार अक्टूबर में देश से डीओसी के निर्यात में 5 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 305,793 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल अक्टूबर में इनका निर्यात 289,931 टन का ही हुआ था।

एसईए के अनुसार चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों अप्रैल से अक्टूबर 2024 के दौरान सोयाबीन डीओसी का निर्यात बढ़कर 10.23 लाख टन का हो गया, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 6.74 लाख टन का ही हुआ था। इस दौरान यूएई, ईरान और फ्रांस द्वारा अधिक मात्रा में आयात किया गया।

भारत लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक आवश्यक पशु आहार घटक के रूप में रेपसीड डीओसी का प्रमुख निर्यातक रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) में, भारत ने लगभग 2.2 मिलियन टन सरसों डीओसी का निर्यात किया था, जिससे किसानों को उनकी उपज के लिए बेहतर मूल्य प्राप्त करने में महत्वपूर्ण सहायता मिली थी। लेकिन, इस वर्ष कई चुनौतियां सामने आई हैं जिस कारण अप्रैल से अक्टूबर 2024 तक, सरसों डीओसी के निर्यात में लगभग 25 फीसदी की गिरावट आई है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के 1.51 मिलियन टन की तुलना में चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में केवल 1.18 मिलियन टन सरसों डीओसी का ही निर्यात हुआ। निर्यात में आई गिरावट का प्रमुख कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय सरसों डीओसी के ऊंचे दाम होना है।

वैश्विक स्तर पर सोयाबीन डीओसी की उपलब्धता ज्यादा है। वैश्विक सोयाबीन उत्पादन में लगभग 28 मिलियन टन की वृद्धि होकर कुल उत्पादन 422 मिलियन टन तक पहुँच गया। खाद्य और ऊर्जा के लिए सोयाबीन तेल की बढ़ती माँग ने पेराई गतिविधियों को बढ़ावा दिया है, जिसके परिणामस्वरूप सोयाबीन डीओसी की अधिक आपूर्ति हुई है। अत: सरसों डीओसी सहित अन्य सभी डीओसी की कीमतों पर दबाव बना है। एसोसिएशन ने सरकार से अपील की है कि वह अंतर्राष्ट्रीय बाजार में डीओसी के निर्यात को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए परिवहन सब्सिडी, ब्याज छूट आदि के माध्यम से 15 फीसदी प्रोत्साहन देने पर विचार करे।

भारतीय बंदरगाह पर अक्टूबर में सोया डीओसी का भाव कमजोर होकर 429 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि सितंबर में इसका दाम 490 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान सरसों डीओसी का मूल्य अक्टूबर में भारतीय बंदरगाह पर घटकर 271 डॉलर प्रति टन का रह गया, जबकि सितंबर में इसका भाव 283 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान कैस्टर डीओसी का दाम सितंबर के 89 डॉलर प्रति टन से घटकर अक्टूबर में 88 डॉलर प्रति टन रह गया।

बारह फीसदी तक नमी वाली कपास को किसान एमएसपी से नीचे दाम नहीं बेचे - सीसीआई

नई दिल्ली। कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई ने देशभर के कपास किसानों से अपील की है कि वे 12 फीसदी तक नमी वाली कपास को एमएसपी दरों से नीचे दाम पर न बेचें। किसानों की सुविधा के लिए सीसीआई ने देश भर में कपास की समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए लगभग 500 खरीद केंद्र खोले हुए हैं।


सीसीआई के अनुसार किसान अधिक जानकारी के लिए कृपया Cott-Ally mobile app डाउनलोड करें। सीसीआई पांच राज्यों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कपास की खरीद कर रही है क्योंकि बाजार में कपास की कीमत एमएसपी से कम हैं।

पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू खरीफ विपणन सीजन में निगम अभी तक 2.25 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कपास की खरीद कर चुकी है। जानकारों के अनुसार भारतीय कपास अभी भी अंतरराष्ट्रीय कीमतों की तुलना में लगभग 5 फीसदी महंगी है। साथ ही धागे की स्थानीय एवं निर्यात कमजोर है, इसलिए कपास की कीमत कमजोर बनी हुई हैं।

केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2024-25 के लिए कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी में 501 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है। अत: मीडियम स्टेपल कैटेगरी की कपास का एमएसपी 7,121 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि लॉन्ग स्टेपल कैटेगरी की कपास का एमएसपी 7,521 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है।

स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर के कारण गुरुवार को गुजरात में कॉटन के दाम कमजोर हुए, जबकि इस दौरान उत्तर भारत के राज्यों में इसके भाव में तेजी आई।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव में गुरुवार को 150 रुपये की गिरावट आकर दाम 54,400 से 54,700 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो रह गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव तेज होकर 5620 से 5630 रुपये प्रति मन बोले गए।हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव बढ़कर 5610 से 5620 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव बढ़कर 5610 से 5650 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव 54,000 से 54,100 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आव 1,31,000 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स के साथ ही एनसीडीएक्स पर आज शाम को कॉटन की कीमतों में में गिरावट का रुख रहा। इस दौरान आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतों में सुधार आया।

स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने के कारण गुजरात में लगातार तीसरे दिन कॉटन की कीमतों में गिरावट आई, लेकिन उत्तर भारत के राज्यों में इसके भाव में सुधार आया। विदेशी बाजार में कॉटन की कीमतों में हाल ही में मंदा आया है, जिस कारण घरेलू बाजार में इसकी कीमतों पर दबाव है। व्यापारियों के अनुसार खपत का सीजन होने के बावजूद भी सूती धागे की मांग सामान्य की तुलना में कमजोर हुई है साथ ही कॉटन के निर्यात में भी पड़ते नहीं लग रहे। हालांकि चालू सीजन में बुआई में आई कमी के साथ ही कई राज्यों में अक्टूबर में हुई बारिश से कॉटन के उत्पादन और क्वालिटी पर पड़ने की आशंका है। इसलिए कॉटन की कीमतों में सीमित तेजी, मंदी बनी रहने का अनुमान है। हालांकि विश्व बाजार में दाम कम होने के कारण आयात सौदे ज्यादा मात्रा में हुए हैं।

तेल वर्ष 2023-24 के दौरान खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 3 फीसदी घटा - एसईए

नई दिल्ली। तेल वर्ष 2023-24 (नवंबर से अक्टूबर) के दौरान देश में खाद्वय तेलों का आयात घटकर 159.6 लाख टन का ही हुआ है, जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इसका आयात 164.7 लाख टन का हुआ था।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार तेल वर्ष 2023-24 के दौरान देश में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 162.3 लाख टन का ही हुआ है, जो कि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि के 167.1 लाख टन की तुलना में 3 फीसदी कम है। तेल वर्ष 2023-24 के दौरान हुए आयात में खाद्वय तेलों की हिस्सेदारी 159.6 लाख टन एवं अखाद्य तेलों की 2.7 लाख टन की है।

एसईए के अनुसार आपूर्ति और मांग के बीच के अंतर को पाटने के लिए भारत ने 1990 के दशक से खाद्वय तेलों के आयात का सहारा लिया। शुरुआती दौर में आयात की मात्रा बहुत कम थी। हालांकि, पिछले 20 वर्षों (2003-04 से 2023-24) में आयात की मात्रा में 2.2 गुना वृद्धि हुई है, जबकि आयात की लागत लगभग 13 गुना बढ़ गई है। 2023-24 में देश को 160 लाख टन खाद्य तेलों के आयात के लिए लगभग 1.31 लाख करोड़ रुपये खर्च करने पड़े।

1 नवंबर, 2024 को विभिन्न बंदरगाहों पर खाद्य तेलों का घरेलू स्टॉक करीब 657,000 टन होने का अनुमान है, जिसमें 259,000 टन सीपीओ, 101,000 टन आरबीडी पामोलिन, 133,000 टन डिगम्ड सोयाबीन तेल और 164,000 टन क्रूड सूरजमुखी तेल शामिल है। इसके अतिरिक्त, कारखानों, थोक विक्रेताओं, वितरकों और खुदरा विक्रेताओं के पास खाद्वय तेलों का स्टॉक 1,751,000 टन होने का अनुमान है। 1 नवंबर, 2024 को कुल स्टॉक 2,408,000 टन का है, जो कि 1 अक्टूबर, 2024 के 2,454,000 टन की तुलना में 46,000 टन कम है।

आरबीडी पामोलिन और क्रूड पाम ऑयल (सीपीओ) का आयात देश में प्रमुख रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया से होता है। नवंबर 2023 से अक्टूबर 2024 की अवधि के दौरान प्रमुख इंडोनेशिया से 3,192,490 टन सीपीओ और 1,633,197 टन आरबीडी पामोलिन का आयात हुआ है। इस दौरान मलेशिया से 2,869,567 टन सीपीओ और 293,057 टन आरबीडी पामोलिन तथा 85,453 टन सीपीकेओ का आयात किया गया।  

सितंबर के मुकाबले अक्टूबर में आयातित खाद्वय तेलों की कीमतों में तेजी का रुख रहा। अक्टूबर में भारतीय बंदरगाह पर आरबीडी पामोलिन का भाव बढ़कर 1,135 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि सितंबर में इसका दाम 1,038 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रूड पाम तेल का दाम अक्टूबर में बढ़कर 1,170 डॉलर प्रति टन का हो गया, जबकि सितंबर में इसका भाव 1,071 डॉलर प्रति टन था। क्रूड सोयाबीन तेल का भाव अक्टूबर में बढ़कर भारतीय बंदरगाह पर 1,154 डॉलर प्रति टन का हो गया, जबकि सितंबर में इसका भाव 1,045 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रूड सनफ्लावर तेल का भाव भारतीय बंदरगाह पर सितंबर के 1,070 डॉलर से बढ़कर अक्टूबर में 1,168 डॉलर प्रति टन हो गया।

स्पिनिंग मिलों की मांग घटने से गुजरात के साथ ही उत्तर भारत में कॉटन कमजोर

नई दिल्ली। स्पिनिंग मिलों की मांग घटने के कारण मंगलवार को गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन के दाम कमजोर हुए।


गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव में मंगलवार को 300 रुपये की गिरावट आकर दाम 54,800 से 55,000 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो रह गए।

पंजाब में नई रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव नरम होकर 5660 से 5670 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में नई रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव घटकर 5630 से 5640 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में नई रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव घटकर 5635 से 5675 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव 54,300 से 54,500 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आव 1,26,000 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स के साथ ही एनसीडीएक्स पर आज शाम को कॉटन की कीमतों में में गिरावट का रुख रहा। इस दौरान आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में भी कॉटन की कीमतों में मिलाजुला रुख रहा।

स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने के कारण गुजरात में कॉटन की कीमतों में गिरावट आई, लेकिन उत्तर भारत के राज्यों में इसकी कीमत नरम हुई। विदेशी बाजार में कॉटन के भाव में हाल ही में मंदा आया है, जिस कारण घरेलू बाजार में इसकी कीमतों पर दबाव है। व्यापारियों के अनुसार दीपावली के बाद सूती धागे की मांग सामान्य की तुलना में कमजोर हुई है साथ ही कॉटन के निर्यात में भी पड़ते नहीं लग रहे। हालांकि चालू सीजन में बुआई में आई कमी के साथ ही कई राज्यों में अक्टूबर में हुई बारिश से कॉटन के उत्पादन और क्वालिटी पर पड़ने की आशंका है। इसलिए कॉटन की कीमत रुक सकती है। हालांकि विश्व बाजार में दाम कम होने के कारण आयात सौदे ज्यादा मात्रा में हुए हैं।

जानकारों के अनुसार कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई कई राज्यों की मंडियों से न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर कपास की खरीद कर रही है, लेकिन नए मालों में नमी की मात्रा ज्यादा होने के कारण समर्थन मूल्य पर खरीद सीमित मात्रा में ही हो रही है। हालांकि आगामी दिनों में सूखे मालों की आवक बढ़ने पर खरीद में तेजी आने का अनुमान है।

कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू खरीफ सीजन में कपास का उत्पादन 299.26 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो होने का अनुमान है, जो क‍ि पिछले खरीफ 2023-24 के 325.22 लाख गांठ के मुकाबले कम है।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई के आरंभिक अनुसार के अनुसार पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2024-25 में देश में 302.25 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन के उत्पादन का अनुमान है, जोकि इसके पिछले फसल सीजन 2023-24 के 325.29 लाख गांठ से कम है।

12 नवंबर 2024

मिलों की खरीद घटने से अरहर एवं मूंग तथा देसी मसूर कमजोर, उड़द में सुधार

नई दिल्ली। दाल मिलों की मांग कमजोर बनी रहने से सोमवार को घरेलू बाजार में अरहर एवं मूंग तथा देसी मसूर की कीमतों में गिरावट आई, जबकि इस दौरान उड़द के भाव में तेजी दर्ज की गई। चना के भाव इस दौरान स्थिर हो गए।


बर्मा से आयातित उड़द एसक्यू और एफएक्यू की कीमत चेन्नई में कमजोर हो गई। उड़द एफएक्यू के भाव नवंबर एवं दिसंबर शिपमेंट के पांच डॉलर कमजोर होकर 985 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ रह गए, जबकि इस दौरान एसक्यू उड़द के भाव 10 डॉलर कमजोर होकर 1,080 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ रह गए। इस दौरान लेमन अरहर के भाव चेन्नई में 1,105 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ पर स्थिर हो गए।

दाल मिलों की मांग बढ़ने के कारण उड़द की कीमतों में हल्की तेजी दर्ज की गई। हालांकि बर्मा से आयातित उड़द की कीमत चेन्नई में डॉलर में दूसरे कार्यदिवस में कमजोर हुई। इसलिए घरेलू बाजार में इसके भाव में बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है। व्यापारियों के अनुसार आगामी दिनों में घरेलू मंडियों में भी उड़द की आवक बढ़ेगी। हालांकि खपत का सीजन होने के कारण उड़द दाल में दक्षिण भारत की मांग बनी रहेगी। दक्षिण भारत के मिलर्स की नजर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की उड़द की फसल पर भी है। केंद्र सरकार लगातार दलहन की कीमतों की समीक्षा कर रही है। दीपावली के बाद उड़द दाल में अपेक्षित मांग नहीं बढ़ पा रही है।

दाल मिलों की खरीद कमजोर होने से लेमन अरहर के भाव स्थिर हो गए, जबकि देसी एवं अफ्रीकी देशों से आयातित के भाव स्थिर हो गए। आयातित लेमन अरहर के भाव चेन्नई में स्थिर बने रहे। घरेलू बाजार में अरहर के भाव में अभी बड़ी तेजी के आसार नहीं है। नई फसल को देखते हुए दाल मिलें जरुरत के हिसाब से ही अरहर की खरीद कर रही हैं। चेन्नई और मुंबई में आयातित अरहर का स्टॉक ज्यादा है साथ ही चालू सीजन में महाराष्ट्र और कर्नाटक में अरहर की प्रति हेक्टेयर पैदावार बढ़ने की उम्मीद है तथा महाराष्ट्र की मंडियों में नई अरहर की आवक दिसंबर में बनेगी, जबकि कर्नाटक की मंडियों में चालू महीने के अंत तक कटाई शुरू हो जायेगी। वैसे भी केंद्र सरकार लगातार अरहर की कीमतों की समीक्षा कर रही है। खपत का सीजन होने के कारण अरहर दाल में उठाव बना रहने की उम्मीद है।

दाल मिलों की खरीद सीमित होने से चना की कीमत स्थिर हो गई। हालांकि पिछले सप्ताह इसके भाव में मंदा आया था, लेकिन नीचे दाम पर स्टॉकिस्टों की बिकवाली कमजोर हुई है इसलिए आगे इसके भाव में फिर सुधार आने का अनुमान है। व्यापारियों के अनुसार उत्पादक मंडियों में अच्छी क्वालिटी के देसी चना का बकाया स्टॉक सीमित मात्रा में ही बचा हुआ है, जबकि खपत का सीजन होने के कारण चना दाल और बेसन में मांग बनी रहेगी। ऐसे में दाल मिलों की मांग चना में बनी रहने की उम्मीद है, क्योंकि मिलों के पास बकाया स्टॉक सीमित मात्रा में ही बचा हुआ है।

मुंबई में कनाडा की पीली मटर के दाम 3,350 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान मुंबई में रसिया की पीली मटर के भाव 3,400 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। मुंद्रा बंदरगाह पर रसिया की पीली मटर के दाम 3,300 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए, जबकि कनाडा की पीली मटर के दाम 100 रुपये तेज होकर 3,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। उत्तर प्रदेश की कानपुर मंडी में देसी मटर के भाव 50 रुपये तेज होकर 3,700 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

दिल्ली में देसी मसूर के दाम कमजोर हुए है, लेकिन आयातित के भाव बंदरगाह पर स्थिर ही बने रहे। व्यापारी मसूर के मौजूदा भाव में ज्यादा मंदे में नहीं है क्योंकि खपत का सीजन होने के कारण मसूर दाल में प्रमुख राज्यों बिहार, बंगाल एवं असम की मांग अभी बनी रहेगी, इसलिए मिलों को मसूर की खरीद करनी होगी। मध्य प्रदेश के साथ ही उत्तर प्रदेश की मंडियों में मसूर की दैनिक आवक सीमित मात्रा में ही हो रही हैं। हालांकि रबी सीजन में मसूर का घरेलू उत्पादन ज्यादा हुआ था, जिस कारण उत्पादक राज्यों में बकाया स्टॉक अभी भी अच्छी मात्रा में बचा हुआ है। सूत्रों के अनुसार केंद्रीय पूल में मसूर का करीब 8 लाख टन का स्टॉक है।

सूत्रों के अनुसार अप्रैल से सितंबर के दौरान देश में ऑस्ट्रेलिया से मसूर का आयात 2,53,800 टन के करीब हुआ है।

दिल्ली में मूंग की कीमतों में लगातार तीसरे कार्यदिवस में गिरावट आई, लेकिन उत्पादक मंडियों में इसके दाम स्थिर ही बने रहे। व्यापारियों के अनुसार उत्पादक राज्यों की मंडियों में आगामी दिनों में नई मूंग की आवक बढ़ेगी। चालू खरीफ में मूंग की कुल बुआई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है, जिस कारण उत्पादन अनुमान भी ज्यादा है। दिल्ली में राजस्थान के माल आने से उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश से पड़ते नहीं लग रहे। उधर कर्नाटक के साथ ही राजस्थान से मूंग की एमएसपी पर खरीद तो हो रही है, लेकिन कुल आवक की तुलना में खरीद सीमित मात्रा में हो रही। जानकारों के अनुसार मूंग के दाम उत्पादक मंडियों में समर्थन मूल्य से काफी नीचे हैं अत: समर्थन मूल्य पर खरीद में बढ़ोतरी होने पर इसके भाव में तेजी बन सकती है।

चेन्नई में एसक्यू उड़द के दाम 9,200 से 9,250 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए, इस दौरान एफएक्यू के दाम 8,450 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

दिल्ली में एसक्यू उड़द के दाम 125 रुपये तेज होकर 9,625 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, इस दौरान एफएक्यू के दाम 8,650 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

मुंबई में उड़द एफएक्यू की कीमत 25 रुपये तेज होकर 8,625 से 8,650 रुपये प्रति क्विंटल हो गई।

कोलकाता मंडी में उड़द एफएक्यू की कीमत 8,650 से 8,700 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

गुंटूर मंडी में पोलिस उड़द के दाम 9,000 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए, इस दौरान विजयवाड़ा में उड़द पोलिस के दाम 9,000 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

चेन्नई में लेमन अरहर के भाव शाम के सत्र में 50 रुपये कमजोर होकर 9,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

देसी अरहर के दाम उत्पादक मंडियों में लगभग स्थिर बने रहे।

दिल्ली में लेमन अरहर के भाव शाम के सत्र में 10,250 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

मुंबई में लेमन अरहर के भाव शाम के सत्र में 50 रुपये कमजोर होकर 9,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मुंबई में अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर की कीमत स्थिर हो गई। सूडान से आयातित अरहर के दाम 10,400 से 10,450 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान गजरी अरहर के भाव 7,100 से 7,150 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। मतवारा की अरहर के भाव 6,900 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। सफेद अरहर की कीमत 7,200 से 7,250 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गई।

दिल्ली में देसी मसूर के दाम 50 रुपये कमजोर होकर 6,650 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

कनाडा की मसूर के भाव कंटेनर में 6,175 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। ऑस्ट्रेलिया की मसूर की कीमत कंटेनर में 6,175 रुपये प्रति क्विंटल बोली गई। मुंद्रा बंदरगाह पर मसूर के भाव 5,950 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए, जबकि हजीरा बंदरगाह पर इसके दाम 6,000 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। कानपुर मंडी में देसी मसूर के भाव 6,550 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

दिल्ली में राजस्थान लाइन के चना के दाम शाम के सत्र में 7,050 से 7,075 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान मध्य प्रदेश लाइन के चना के भाव 6,950 से 6,975 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

दिल्ली में राजस्थान लाइन की मूंग के दाम 25 रुपये घटकर 6,525 से 7,525 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। जलगांव में चमकी मूंग के भाव तेज होकर 8,200 से 9,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इंदौर में बोल्ड मूंग के दाम 8,000 से 8,100 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। गुलबर्गा मंडी में मूंग के भाव 7,000 से 8,000 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

गुजरात में मूंगफली की एमएसपी पर खरीद शुरू, भाव में हल्का सुधार

नई दिल्ली। प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात की मंडियों में सोमवार को मूंगफली की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद शुरू हो गई है, जिससे उत्पादक मंडियों में इसके भाव में पांच से दस रुपये प्रति 20 किलो की तेजी दर्ज की गई।


गुजरात के कृषि मंत्री राघवजी पटेल ने कहा कि राज्य में मूंगफली की समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए 160 खरीद केंद्र बनाए गए हैं। उन्होंने बताया कि मूंगफली को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए 3,33,000 किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। किसानों से सरकार 1356.60 रुपये प्रति 20 किलो के भाव से मूंगफली की खरीद करेगी।

सौराष्ट्र की मंडियों में मूंगफली की आवक सोमवार को 70,000-80,000 बोरियों की हुई, जबकि जसदण में 50,000 बोरियों की आवक हुई। राज्य की राजकोट मंडी में मूंगफली की आवक 20,000 बोरियों (1 बोरी-35 किलो) की हुई थी। मंडियों में एवरेज क्वालिटी की मूंगफली के भाव 980-1,215 रुपये प्रति 20 किलो के रहे। इस दौरान बेस्ट क्वालिटी की मूंगफली का भाव 930-1,260 रुपये प्रति 20 किलो रहा। गोंडल मंडी में मूंगफली की आवक 28,000 बोरियों की हुई तथा एवरेज क्वालिटी की मूंगफली का भाव 1090-1,185 रुपये प्रति 20 किलो तथा बेस्ट क्वालिटी की मूंगफली का भाव 1085-1,235 रुपये प्रति 20 किलो था।

उत्तर गुजरात की डीसा मंडी में मूंगफली की आवक 95,000 बोरी के करीब हुई, जबकि भाव 950-1,570 रुपये प्रति 20 किलो रहे। पालनपुर मंडी में 41484 बोरी मूंगफली की आवक हुई तथा भाव 1050-1,380 रुपये प्रति 20 किलो रहे। राज्य की हिम्मतनगर में मूंगफली की आवक 22000 बोरी तथा गुंदरी में आवक 20,000 बोरी की हुई।