नई दिल्ली, 2 दिसंबर। कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई ने नवंबर में 153,100 गांठ, एक गांठ 170 किलो कॉटन की बिक्री की है। निगम द्वारा फसल सीजन 2024-25 में खरीदी हुई कॉटन की बिक्री नवंबर अंत तक 91,08,300 गांठ की हो चुकी है।
सीसीआई ने पिछले सप्ताह कस्तूरी मोड की कॉटन की कीमतों में 100 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी 356 किलो की कटौती की थी तथा निगम 2024-25 फसल सीजन में खरीदी हुई कॉटन में से नवंबर अंत तक 91,08,300 गांठों की बिक्री कर चुकी है। अत: निगम के पास अब सात लाख गांठ से भी कम कॉटन बची हुई है।
स्पिनिंग मिलों की सीमित मांग के कारण मंगलवार को शाम के सत्र में गुजरात में कॉटन की कीमत स्थिर हो गई, जबकि इस दौरान उत्तर भारत के राज्यों में इसके भाव तेज हुए।
गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव मंगलवार को 52,000 से 52,300 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो पर स्थिर हो गए।
पंजाब में रुई हाजिर डिलीवरी के भाव बढ़कर 5,150 से 5,250 रुपये प्रति मन बोले गए।हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5,060 से 5,080 रुपये प्रति मन बोले गए।
ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के दाम तेज होकर 5,180 से 5,240 रुपये प्रति मन बोले गए। लोअर राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के दाम बढ़कर 49,000 से 50,000 रुपये कैंड़ी बोले गए।
देशभर की मंडियों में कपास की आवक 141,000 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।
घरेलू वायदा कारोबार में कॉटन की कीमत में गिरावट का रुख रहा। एनसीडीईएक्स पर अप्रैल 26 महीने के वायदा अनुबंध में कपास के दाम 14 रुपये कमजोर होकर 1,520 रुपये प्रति 20 किलो रह गए। आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतों में तेजी का रुख रहा।
केंद्र सरकार ने कॉटन के आयात पर शून्य शुल्क की समय सीमा को 30 सितंबर 2025 से बढ़ाकर 31 दिसंबर 2025 किया हुआ है।
व्यापारियों के अनुसार गुजरात में कॉटन की कीमत स्थिर हो गई, जबकि इस दौरान उत्तर भारत के राज्यों में सुधार आया। व्यापारियों के अनुसार जिनिंग मिलों की बिक्री कमजोर है इसलिए इसके भाव में हल्का सुधार और भी बन सकता है। हालांकि कॉटन की कुल उपलब्धता घरेलू बाजार में ज्यादा है। सीसीआई घरेलू बाजार में लगातार पिछले साल की खरीदी हुई कॉटन बेच रही है। अत: मिलों को आसानी से कच्चा माल मिल रहा है। इसलिए स्पिनिंग मिल कॉटन की खरीद जरुरत के हिसाब से ही कर रही है। ऐसे में कॉटन की कीमतों में अभी बड़ी तेजी के आसार कम है। सूती धागे में घरेलू मांग तो अच्छी है, लेकिन निर्यात सौदे कम हो रहे हैं।
