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25 अप्रैल 2025

नेफेड ने रबी में एमएसपी पर केवल 2.48 लाख टन दलहन एवं तिलहन खरीदी

नई दिल्ली। चालू रबी सीजन 2025 में नेफेड ने न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर पीएसएस स्कीम के तहत 20 अप्रैल तक केवल 2.48 लाख टन ही दलहन एवं तिलहन की फसलों की खरीद की है।


सूत्रों के अनुसार चालू रबी सीजन में दलहन की प्रमुख फसल चना की खरीद एमएसपी 5,650 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 20 अप्रैल तक नेफेड ने केवल 10,385 टन की खरीद की है। इसमें सबसे ज्यादा चना तेलंगाना से 5,792 टन तथा मध्य प्रदेश से 3,718 टन एवं आंध्र प्रदेश से 183 टन तथा राजस्थान एवं महाराष्ट्र से क्रमश: 545 टन तथा 145 टन चना की सरकारी खरीद हुई है।

इसी तरह से चालू रबी में मसूर की खरीद समर्थन मूल्य 6,700 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 20 अप्रैल तक 51,155 टन की खरीद ही हो पाई है। इसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी मध्य प्रदेश की 49,795 टन की तथा उत्तर प्रदेश की 1,360 टन की है। अधिकांश उत्पादक राज्यों की मंडियों में मसूर के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी से नीचे बने हुए हैं।

उड़द की खरीद समर्थन मूल्य, एमएसपी पर चालू रबी सीजन में 20 अप्रैल तक शुरू ही नहीं हो पाई है।

मूंग की खरीद चालू रबी सीजन में न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी 8,682 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 4,417 टन की आंध्रप्रदेश से 20 अप्रैल तक हुई है। अधिकांश उत्पादक राज्यों की मंडियों में मूंग एमएसपी से नीचे बिक रही है।

रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की खरीद चालू रबी सीजन में एमएसपी 5,950 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 20 अप्रैल तक 1,79,883 टन की हुई है। इसमें सबसे ज्यादा हरियाणा से 1,61,85 टन की तथा मध्य प्रदेश से 11,743 टन एवं राजस्थान से 5,893 टन की हुई हैं। इसके अलावा असम से 1,044 टन तथा उत्तर प्रदेश से 16.30 टन सरसों एमएसपी पर खरीदी गई है।

सनफ्लावर की खरीद चालू रबी सीजन में नेफेड ने एमएसपी 7,280 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 2,135 टन की तेलंगाना से हुई है। 

विश्व बाजार में दाम तेज होने से गुजरात के साथ ही उत्तर भारत में कॉटन महंगी

नई दिल्ली। विश्व बाजार में दाम तेज होने से घरेलू बाजार में स्पिनिंग मिलों की मांग बढ़ गई। अत: बुधवार को गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में तेजी दर्ज की गई।


गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव बुधवार को लगातार दूसरे दिन 50 रुपये तेज होकर दाम 54,100 से 54,500 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो हो गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 20 रुपये तेज होकर 5710 से 5720 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 20 रुपये बढ़कर 5620 से 5650 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 30 रुपये तेज होकर 5700 से 5750 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव तेज होकर 55,600 से 55,700 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आवक 37,600 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा कारोबार में कॉटन की कीमतों में तेजी आई। एनसीडीएक्स पर अप्रैल महीने के वायदा अनुबंध में कपास के दाम 0.5 रुपये तेज होकर भाव 1,463 रुपये प्रति 20 किलो हो गए। इस दौरान आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन शाम के सत्र में तेजी का रुख रहा।

स्पिनिंग मिलों की मांग बनी रहने के कारण गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में सुधार आया। व्यापारियों के अनुसार घरेलू बाजार में सूती धागे में स्थानीय मांग अच्छी है तथा रुई के दाम पिछले साल की तुलना में नीचे बने हुए हैं जिस कारण स्पिनिंग मिलें अच्छे मार्जिन में व्यापार कर रही हैं। इसलिए मिलों की कॉटन में मांग बनी रहने के आसार हैं। घरेलू बाजार में स्पिनिंग मिलों के पास कॉटन का बकाया स्टॉक कम है।

उत्तर भारत के साथ ही गुजरात एवं महाराष्ट्र की अधिकांश जिनिंग मिलें उत्पादन बंद कर चुकी है तथा मंडियों में इस समय जो कपास की आवक हो रही है उसकी क्वालिटी काफी हल्की है।

सीसीआई चालू फसल सीजन की खरीदी हुई करीब 24 लाख गांठ कॉटन घरेलू बाजार में बेच चुकी है तथा अभी भी सीसीआई के पास कॉटन का भारी, भरकम स्टॉक है। अत: आगामी दिनों में कॉटन की कीमतों में तेजी, मंदी सीसीआई के बिक्री भाव पर भी निर्भर करेगी।

कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार खरीफ सीजन में कपास का उत्पादन 294.25 लाख गांठ (एक गांठ 170 किलोग्राम) होने का अनुमान है, जो क‍ि इसके पहले के अनुमान 299.26 लाख गांठ के मुकाबले कम है।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई के अनुसार पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2024-25 में देश में 295.30 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन के उत्पादन का अनुमान है, जबकि इससे पहले 301.75 लाख गांठ तथा आरंभ में 304.25 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान जारी किया था। पिछले फसल सीजन 2023-24 के दौरान देश में 325.29 लाख गांठ कॉटन का उत्पादन हुआ था।

गेहूं की एमएसपी पर खरीद 62 फीसदी बढ़कर 142 लाख टन के पार

नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2025-26 में 21 अप्रैल 2025 तक देशभर में गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद 142.13 लाख टन की हो चुकी है जिसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी मध्य प्रदेश और हरियाणा की है। पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 61.99 फीसदी ज्यादा है। पिछले रबी सीजन में इस दौरान 87.76 लाख टन गेहूं की खरीद ही हुई थी।


भारतीय खाद्वय निगम, एफसीआई के अनुसार गेहूं की अभी तक हुई कुल खरीद में मध्य प्रदेश और हरियाणा के साथ ही पंजाब का योगदान ज्यादा है। चालू रबी विपणन सीजन 2025-26 में मध्य प्रदेश से 49.55 लाख टन तथा हरियाणा से 50.36 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है। पंजाब से चालू रबी में 29.93 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद ही हो पाई है।

अन्य राज्यों में राजस्थान से 7.30 लाख टन, उत्तर प्रदेश से चालू रबी में 4.85 लाख टन तथा बिहार से 8,928 टन गेहूं की सरकारी खरीद ही हुई है। गुजरात से चालू रबी में 2,456 टन तथा एवं हिमाचल प्रदेश से 449 टन गेहूं खरीदा गया है।

जनवरी से मार्च के दौरान कैस्टर तेल का निर्यात 17 फीसदी घटा - उद्योग

नई दिल्ली। चालू वर्ष 2025 के पहले तीन महीनों जनवरी से अप्रैल के दौरान कैस्टर तेल का निर्यात 17.34 फीसदी घटकर 1,52,125 टन का ही हुआ है जबकि इसके पिछले वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 1,84,037 टन का हुआ था।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार मार्च में कैस्टर तेल का निर्यात घटकर 1,52,125 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले साल मार्च में इसका निर्यात 65,170 टन हुआ था।

एसईए के अनुसार मूल्य के हिसाब से वर्ष 2025 के पहले तीन महीनों में कैस्टर तेल का निर्यात घटकर 2,034.66 करोड़ रुपये का ही हुआ है, जबकि पिछले वर्ष 2024 के जनवरी से मार्च के दौरान इसका निर्यात 2,265.68 करोड़ रुपये का हुआ था।

व्यापारियों के अनुसार चालू सीजन में बुआई में आई कमी से कैस्टर सीड का उत्पादन कम होने का अनुमान है। हालांकि उत्पादक मंडियों में नई फसल की आवकों का दबाव बना हुआ है।

गुजरात की मंडियों में मंगलवार को कैस्टर सीड के भाव 1,240 से 1,225 रुपये प्रति 20 किलो पर स्थिर हो गए। इस दौरान राजकोट में कमर्शियल तेल के भाव 5 रुपये घटकर 1,260 रुपये और एफएसजी के 5 रुपये कमजोर होकर 1,270 रुपये प्रति 10 किलो रह गए।

गुजरात की मंडियों में कैस्टर सीड की दैनिक आवक मंगलवार को 1.90 लाख बोरी, एक बोरी 35 किलो की हुई।

कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2024-25 के दौरान कैस्टर सीड का उत्पादन 18.22 लाख टन ही होने का अनुमान है, जोकि इसके पिछले फसल सीजन की तुलना में 8 फीसदी कम है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार खरीफ सीजन में कैस्टर सीड की बुआई 12 फीसदी घटकर केवल 8.67 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। 

गेहूं की सरकारी खरीद 127.33 लाख टन के पार, पिछले साल की तुलना में 70 फीसदी ज्यादा



नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2025-26 में 20 अप्रैल 2025 तक देशभर में गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद 127.33 लाख टन की हो चुकी है जिसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी मध्य प्रदेश और हरियाणा की है। पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 70.25 फीसदी ज्यादा है। पिछले रबी सीजन में इस दौरान 74.79 लाख टन गेहूं की खरीद ही हुई थी।

भारतीय खाद्वय निगम, एफसीआई के अनुसार गेहूं की अभी तक हुई कुल खरीद में मध्य प्रदेश और हरियाणा के साथ ही पंजाब का योगदान ज्यादा है। चालू रबी विपणन सीजन 2025-26 में मध्य प्रदेश से 47.15 लाख टन तथा हरियाणा से 47.07 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है। पंजाब से चालू रबी में 21.93 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद ही हो पाई है।

अन्य राज्यों में राजस्थान से 6.74 लाख टन, उत्तर प्रदेश से चालू रबी में 4.31 लाख टन तथा बिहार से 8,344 टन गेहूं की सरकारी खरीद ही हुई है। गुजरात से चालू रबी में 2,359 टन तथा चंडीगढ़ से 3,704 टन एवं हिमाचल प्रदेश से 319 टन गेहूं खरीदा गया है।

व्यापारियों के अनुसार स्टॉकिस्टों, व्यापारियों एवं मिलर्स को हर सप्ताह स्टॉक की जानकारी देना अनिवार्य किया हुआ है, इसके बावजूद भी चालू सीजन में स्टॉकिस्टों द्वारा भारी मात्रा में गेहूं की खरीद की जा रही है।

चालू रबी विपणन सीजन 2025-26 में केंद्र सरकार ने 310 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य तय किया है। चालू रबी सीजन में पंजाब से 124 लाख टन तथा हरियाणा से 75 लाख टन, मध्य प्रदेश से 60 लाख टन तथा उत्तर प्रदेश 30 लाख टन के अलावा राजस्थान से 20 लाख टन और  गुजरात से एक लाख टन की खरीद का लक्ष्य है।

रबी विपणन सीजन 2024-25 में केंद्र सरकार ने 320 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य किया था, लेकिन 266 लाख टन ही खरीदारी हो पाई थी।

चालू रबी विपणन सीजन 2024-25 के दौरान पंजाब एवं हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश के किसानों से 2,425 रुपये प्रति क्विंटल, एमएसपी की दर से गेहूं की खरीद की जा रही है जबकि मध्य प्रदेश के साथ ही राजस्थान में राज्य सरकार गेहूं की खरीद पर किसानों को बोनस दे रही है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार फसल सीजन 2024-25 में देश में रिकॉर्ड 1154.30 लाख टन गेहूं के उत्पादन का अनुमान है। गेहूं की बुआई चालू रबी सीजन में बढ़कर 326 लाख हेक्टेयर में हुई थी, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 315.6 लाख से ज्यादा है।

गेहूं की सरकारी खरीद 97 लाख टन के पार, मंडियों में आवक 150 लाख टन के पार

नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2025-26 में गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद 97 लाख टन की हो चुकी है जिसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी मध्य प्रदेश और हरियाणा की है। इस दौरान देशभर की मंडियों में गेहूं की आवक 150.56 लाख टन की हो चुकी है।


भारतीय खाद्वय निगम, एफसीआई के अनुसार गेहूं की अभी तक हुई कुल खरीद में मध्य प्रदेश और हरियाणा के साथ ही पंजाब का योगदान ज्यादा है। चालू रबी विपणन सीजन 2025-26 में मध्य प्रदेश से 42.78 लाख टन तथा हरियाणा से 35.47 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है। पंजाब से चालू रबी में 9.53 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद ही हो पाई है।

अन्य राज्यों में राजस्थान से 5.33 लाख टन, उत्तर प्रदेश से चालू रबी में 3.75 लाख टन तथा बिहार से 7,145 टन गेहूं की सरकारी खरीद ही हुई है। गुजरात से चालू रबी में 1,983 टन तथा चंडीगढ़ से 3,704 टन एवं हिमाचल प्रदेश से 180 टन गेहूं खरीदा गया है।

व्यापारियों के अनुसार स्टॉकिस्टों, व्यापारियों एवं मिलर्स को हर सप्ताह स्टॉक की जानकारी देना अनिवार्य किया हुआ है, इसके बावजूद भी चालू सीजन में स्टॉकिस्टों द्वारा भारी मात्रा में गेहूं की खरीद की जा रही है।

चालू रबी विपणन सीजन 2025-26 में केंद्र सरकार ने 310 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य तय किया है। चालू रबी सीजन में पंजाब से 124 लाख टन तथा हरियाणा से 75 लाख टन, मध्य प्रदेश से 60 लाख टन तथा उत्तर प्रदेश 30 लाख टन के अलावा राजस्थान से 20 लाख टन और  गुजरात से एक लाख टन की खरीद का लक्ष्य है।

रबी विपणन सीजन 2024-25 में केंद्र सरकार ने 320 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य किया था, लेकिन 266 लाख टन ही खरीदारी हो पाई थी।

चालू रबी विपणन सीजन 2024-25 के दौरान पंजाब एवं हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश के किसानों से 2,425 रुपये प्रति क्विंटल, एमएसपी की दर से गेहूं की खरीद की जा रही है जबकि मध्य प्रदेश के साथ ही राजस्थान में राज्य सरकार गेहूं की खरीद पर किसानों को बोनस दे रही है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार फसल सीजन 2024-25 में देश में रिकॉर्ड 1154.30 लाख टन गेहूं के उत्पादन का अनुमान है। गेहूं की बुआई चालू रबी सीजन में बढ़कर 326 लाख हेक्टेयर में हुई थी, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 315.6 लाख से ज्यादा है।

19 अप्रैल 2025

वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान डीओसी का निर्यात 11 फीसदी घटा - एसईए

नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान डीओसी के निर्यात में 11 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 4,342,498 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 4,885,437 टन का ही हुआ था। इस दौरान सरसों डीओसी के साथ ही कैस्टर डीओसी के निर्यात में कमी आई है तथा मूल्य के हिसाब से इसमें 21 फीसदी की गिरावट आकर कुल 15,368.0 करोड़ रुपये से घटकर 12,171.0 करोड़ रुपये का ही हुआ है


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार मार्च में देश से डीओसी के निर्यात में 3 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 409,148 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल मार्च में इनका निर्यात 395,382 टन का हुआ था।

यूरोपीय संघ में सरसों डीओसी की चल रही कमी के कारण वैश्विक कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। सरसों डीओसी का एक प्रमुख उपभोक्ता चीन वर्तमान में मुख्य रूप से कनाडा और यूरोपीय संघ से आयात करता है। वर्तमान आपूर्ति बाधाओं और बढ़ती कीमतों को देखते हुए, भारत के पास चीनी बाजार में अपनी खोई हुई हिस्सेदारी को तलाशने और पुनः प्राप्त करने का एक नया अवसर है।

अगर चीन भारतीय सरसों डीओसी के आयात पर मौजूदा सख्त शर्तों में ढील देता है, तो भारत एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता बन सकता है और चीन की मांग का एक बड़ा हिस्सा पूरा कर सकता है। वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय बाजार में सरसों डीओसी की कीमत हैम्बर्ग के बाहर 335 डॉलर प्रति टन है, जबकि कांडला एफएएस के बाहर भारतीय सरसों डीओसी की कीमत सिर्फ 209 डॉलर प्रति टन है। इस अवसर का लाभ उठाने से न केवल भारत के निर्यात को बढ़ावा मिल सकता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों को स्थिर करने में भी मदद मिल सकती है।

भारत सरकार ने जुलाई 2023 में घरेलू कीमतों में हुई बढ़ोतरी का हवाला देते हुए डी-ऑइल राइस ब्रान (डीओआरबी) के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, जो लगभग 18,000 रुपये प्रति टन तक पहुँच गया था। प्रतिबंध से पहले, भारत सालाना लगभग 4 से 5 लाख टन डीओआरबी निर्यात कर रहा था। इसका निर्यात मुख्य रूप से वियतनाम, बांग्लादेश और अन्य एशियाई देशों को हो रहा था। हालांकि, तब से बाजार में काफी बदलाव आया है। डीओआरबी की मौजूदा कीमत गिरकर 8,000 रुपये प्रति टन से नीचे आ गई है। इसके अतिरिक्त, पशु आहार में घुलनशील (डीडीजीएस) के साथ डिस्टिलर ड्राइड ग्रेन की बढ़ती उपलब्धता और अपनाने से डीओआरबी की घरेलू मांग में काफी कमी आई है, जिस कारण इसके निपटान की चुनौती बढ़ गई है।

डीओआरबी के निर्यात पर प्रतिबंध से घरेलू चावल की भूसी प्रसंस्करण उद्योग और चावल मिलर्स पर गंभीर असर पड़ रहा है। यह समस्या पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे पूर्वी राज्यों में विशेष रूप से गंभीर है, जो डीओआरबी के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं, लेकिन अतिरिक्त उत्पादन को अवशोषित करने के लिए उनके पास अच्छी तरह से विकसित पशु चारा उद्योग का अभाव है। अत: एसईए ने केंद्र सरकार से इसके निर्यात पर लगी रोक को हटाने का आग्रह किया है।

वित्त वर्ष 2024-25 अप्रैल 2024 से मार्च 2025 के दौरान सोया डीओसी का कुल निर्यात लगभग पिछले वर्ष के लगभग समान ही रहा। वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान इसका निर्यात 21.27 लाख टन का हुआ, जबकि पिछले वित्त वर्ष के दौरान 21.33 लाख टन का निर्यात हुआ था। गैर जीएम सोया डीओसी होने के कारण यूरोपीय देशों द्वारा अधिक आयात किया गया।

वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान सरसों डीओसी का कुल निर्यात पिछले वर्ष की समान अवधि के 22.13 लाख टन की तुलना में घटकर 18.75 लाख टन का ही हुआ।

भारतीय बंदरगाह पर मार्च में सोया डीओसी का भाव कमजोर होकर 356 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि फरवरी में इसका दाम 370 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान सरसों डीओसी का मूल्य मार्च में भारतीय बंदरगाह पर 196 डॉलर प्रति रह गया, जबकि फरवरी में इसका भाव 248 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान कैस्टर डीओसी का दाम फरवरी के 82 डॉलर प्रति टन से कमजोर होकर मार्च में 75 डॉलर प्रति टन रह गया।