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03 दिसंबर 2025

सीसीआई ने नवंबर में 153,100 गांठ कॉटन बेची, कुल बिक्री 91 लाख गांठ से ज्यादा

नई दिल्ली, 2 दिसंबर। कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई ने नवंबर में 153,100 गांठ, एक गांठ 170 किलो कॉटन की बिक्री की है। निगम द्वारा फसल सीजन 2024-25 में खरीदी हुई कॉटन की बिक्री नवंबर अंत तक 91,08,300 गांठ की हो चुकी है।


सीसीआई ने पिछले सप्ताह कस्तूरी मोड की कॉटन की कीमतों में 100 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी 356 किलो की कटौती की थी तथा निगम 2024-25 फसल सीजन में खरीदी हुई कॉटन में से नवंबर अंत तक 91,08,300 गांठों की बिक्री कर चुकी है। अत: निगम के पास अब सात लाख गांठ से भी कम कॉटन बची हुई है।

स्पिनिंग मिलों की सीमित मांग के कारण मंगलवार को शाम के सत्र में गुजरात में कॉटन की कीमत स्थिर हो गई, जबकि इस दौरान उत्तर भारत के राज्यों में इसके भाव तेज हुए।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव मंगलवार को 52,000 से 52,300 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो पर स्थिर हो गए।

पंजाब में रुई हाजिर डिलीवरी के भाव बढ़कर 5,150 से 5,250 रुपये प्रति मन बोले गए।हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5,060 से 5,080 रुपये प्रति मन बोले गए।
ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के दाम तेज होकर 5,180 से 5,240 रुपये प्रति मन बोले गए। लोअर राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के दाम बढ़कर 49,000 से 50,000 रुपये कैंड़ी बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आवक 141,000 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा कारोबार में कॉटन की कीमत में गिरावट का रुख रहा। एनसीडीईएक्स पर अप्रैल 26 महीने के वायदा अनुबंध में कपास के दाम 14 रुपये कमजोर होकर 1,520 रुपये प्रति 20 किलो रह गए। आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतों में तेजी का रुख रहा।

केंद्र सरकार ने कॉटन के आयात पर शून्य शुल्क की समय सीमा को 30 सितंबर 2025 से बढ़ाकर 31 दिसंबर 2025 किया हुआ है।

व्यापारियों के अनुसार गुजरात में कॉटन की कीमत स्थिर हो गई, जबकि इस दौरान उत्तर भारत के राज्यों में सुधार आया। व्यापारियों के अनुसार जिनिंग मिलों की बिक्री कमजोर है इसलिए इसके भाव में हल्का सुधार और भी बन सकता है। हालांकि कॉटन की कुल उपलब्धता घरेलू बाजार में ज्यादा है। सीसीआई घरेलू बाजार में लगातार पिछले साल की खरीदी हुई कॉटन बेच रही है। अत: मिलों को आसानी से कच्चा माल मिल रहा है। इसलिए स्पिनिंग मिल कॉटन की खरीद जरुरत के हिसाब से ही कर रही है। ऐसे में कॉटन की कीमतों में अभी बड़ी तेजी के आसार कम है। सूती धागे में घरेलू मांग तो अच्छी है, लेकिन निर्यात सौदे कम हो रहे हैं।

चालू पेराई सीजन में नवंबर अंत तक चीनी का उत्पादन 50 फीसदी बढ़ा - एनएफसीएसएफ

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2025 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन (अक्टूबर-25 से सितंबर-26) में नवंबर अंत तक चीनी का उत्पादन 50 फीसदी बढ़कर 41.35 लाख टन का हो चुका है, जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में इसका उत्पादन केवल 27.60 लाख टन का ही हुआ था।


नेशनल फेडरेशन ऑफ को ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्री लिमिटेड (एनएफसीएसएफ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार चालू पेराई सीजन में 30 नवंबर 2025 तक 486 लाख टन गन्ने की पेराई हो चुकी है, जबकि पिछले पेराई सीजन में इस दौरान केवल 334 लाख टन गन्ने की पेराई ही हो पाई थी। नवंबर के आखिर तक औसत चीनी की रिकवरी 8.51 फीसदी की बैठ रही है, जबकि पिछले साल इसी तारीख को यह 8.27 फीसदी की दर्ज की गई थी।

महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ इलाकों को छोड़कर जहां किसानों का आंदोलन चल रहा है, गन्ना पेराई का काम अभी पूरे देश में जोरों पर है। एनएफसीएसएफ के अनुसार चालू पेराई में कुल चीनी का उत्पादन 350 लाख टन होने का अनुमान है। इस दौरान एथेनॉल के उत्पादन में लगभग 35 लाख टन चीनी का इस्तेमाल होने की उम्मीद है। अत: चालू पेराई सीजन में कुल 315 लाख टन चीनी का उत्पादन। प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में चालू पेराई सीजन में 110 लाख टन, उत्तर प्रदेश में 105 लाख टन, कर्नाटक में 55 लाख टन तथा गुजरात में 8 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान है।

देश में चीनी की सालाना खपत 290 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि चालू पेराई सीजन के आरंभ में 50 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक बचा हुआ था। ऐसे में चालू पेराई सीजन के अंत में चीनी मिलों के गोदामों में लगभग 75 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक बचेगा। ऐसे में उद्योग केंद्र सरकार ने 10 लाख टन और चीनी के निर्यात की अनुमति देने की मांग कर रहा है। इस कदम से न सिर्फ घरेलू चीनी की कीमतों में मजबूती आएगी।

उद्योग लंबे समय से चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य, एमएसपी में बढ़ोतरी नहीं करने से उलझन और अनिश्चितता का सामना कर रहा है। एनएफसीएसएफ ने एक रिलीज में कहा कि चीनी न्यूनतम बिक्री मूल्य बढ़कर 41 रुपये प्रति किलो करने की जरूरत है। 

राजस्थान में गेहूं एवं चना के साथ ही सरसों की बुआई में बढ़ोतरी

नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में राजस्थान में तय लक्ष्य के 85 फीसदी क्षेत्रफल में फसलों की बुवाई हो चुकी  है। चना के साथ ही सरसों एवं गेहूं की बुआई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 27 नवंबर तक राज्य में रबी फसलों की बुआई 101.95 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में केवल 90.50 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। चालू रबी सीजन में राज्य में 120.15 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई का लक्ष्य तय किया है।

चालू रबी सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई राज्य में बढ़कर 34.58 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 33.18 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। तिलहनी फसलों में सरसों की बुआई बढ़कर 33.25 लाख हेक्टेयर में, तारामीरा की 1.22 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले रबी की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 32.30 लाख हेक्टेयर और 78,000 हेक्टेयर में ही हुई थी।

रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई राज्य में चालू रबी सीजन में बढ़कर 20.79 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इस समय तक 16.55 लाख हेक्टेयर में ही इसकी बुआई हुई थी। अन्य रबी दलहन की बुआई 28 हजार हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 38 हजार हेक्टेयर की तुलना में कम है।

चालू रबी सीजन में राज्य में गेहूं की बुआई बढ़कर 27.56 लाख हेक्टेयर में और जौ की बुआई 3.67 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 21.46 लाख हेक्टेयर एवं 3.12 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

29 नवंबर 2025

महाराष्ट्र में 165 चीनी मिलों में गन्ने की पेराई आरंभ, 15.14 लाख टन हो चुका है उत्पादन

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2025 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन (अक्टूबर-25 से सितंबर-26) में 27 नवंबर तक महाराष्ट्र में 165 चीनी मिलों ने पेराई आरंभ कर दी है तथा इस दौरान राज्य में 15.14 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है।


शुगर कमिश्नर के अनुसार 27 नवंबर के आखिर तक राज्य में 194.09 लाख टन गन्ने की पेराई हो चुकी है और 15.14 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है। राज्य की औसत चीनी रिकवरी 7.8 फीसदी की है। राज्य में 27 नवंबर के आखिर तक कुल 165 फैक्ट्रियों (85 कोऑपरेटिव और 80 प्राइवेट) ने पेराई सीजन आरंभ कर दी है।

पिछले सीजन में इसी समय तक राज्य में केवल 150 चीनी फैक्ट्रियों (69 कोऑपरेटिव और 81 प्राइवेट) ने ही पेराई आरंभ की थी। पिछले साल की समान अवधि में राज्य में 58.33 लाख टन गन्ने की पेराई की थी और 3.87 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। औसत चीनी की रिकवरी दर 6.65 फीसदी की थी।

कोल्हापुर डिवीजन ने 45.69 लाख टन गन्ने की पेराई हो चुकी है और 41.51 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन किया है। कोल्हापुर डिवीजन में रिकवरी की दर 9.09 फीसदी है। डिवीजन में 32 फैक्ट्रियां ( 22 को ऑपरेटिव और 10 प्राइवेट) में पेराई चल रही हैं। कई चीनी फैक्ट्रियों ने किसानों के अकाउंट में पेराई किए गए गन्ने की पहली किस्त जमा करना शुरू कर दिया है।

इस तरह से पुणे डिवीजन में कुल 27 फैक्ट्रियां (17 कोऑपरेटिव और 10 प्राइवेट) ने पेराई आरंभ कर दी हैं। उन्होंने अब तक 46.85 लाख टन गन्ने की पेराई की है और 38.93 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन किया है। पुणे डिवीजन में गन्ने में रिकवरी की दर 8.31 फीसदी है। सोलापुर डिवीजन गन्ना पेराई में तीसरे नंबर पर है। जिले में कुल 36 फैक्ट्रियां (13 कोऑपरेटिव और 23 प्राइवेट) ने पेराई आरंभ कर दी है तथा अब तक डिवीजन में 41.49 लाख टन गन्ने की पेराई हो चुकी है और 29.52 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन हुआ है। डिवीजन में रिकवरी दर 7.11 फीसदी की बैठ रही है।

राज्य का अहमदनगर (अहिल्यानगर) डिवीजन गन्ना पेराई में चौथे नंबर पर है। इस डिवीजन में कुल 22 फैक्ट्रियां (13 कोऑपरेटिव और 9 प्राइवेट) ने पेराई आरंभ कर दी है तथा इन सभी फैक्ट्रियों ने अब तक 24.61 लाख टन गन्ने की पेराई की है और 17.42 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन किया है। अहमदनगर डिवीजन में चीनी की रिकवरी दर 7.08 फीसदी है।

छत्रपति संभाजीनगर और नांदेड़ डिवीजन गन्ना पेराई में पांचवें और छठे नंबर पर हैं। छत्रपति संभाजीनगर डिवीजन में कुल 18 शुगर फैक्ट्रियां (10 कोऑपरेटिव और 8 प्राइवेट) ने पेराई शुरू कर दी हैं तथा उन्होंने 17.64 लाख टन गन्ने की पेराई की है और 11.4 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन किया है। गन्ने में रिकवरी की दर 6.46 फीसदी है।

नांदेड़ डिवीजन में कुल 28 फैक्ट्रियां चल रही हैं (10 कोऑपरेटिव और 18 प्राइवेट) और उन्होंने 16.32 लाख टन गन्ने की पेराई की है और 11.51 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन किया है।

राजस्थान में रबी फसलों की बुआई 78 फीसदी पूरी, चना एवं सरसों तथा गेहूं की ज्यादा

नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में राजस्थान में तय लक्ष्य के 78 फीसदी क्षेत्रफल में फसलों की बुवाई हो चुकी  है। चना के साथ ही सरसों एवं गेहूं की बुआई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 24 नवंबर तक राज्य में रबी फसलों की बुआई 94.03 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में केवल 86.52 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। चालू रबी सीजन में राज्य में 120.15 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई का लक्ष्य तय किया है।

चालू रबी सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई राज्य में बढ़कर 34.05 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 32.49 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। तिलहनी फसलों में सरसों की बुआई बढ़कर 32.80 लाख हेक्टेयर में, तारामीरा की 1.14 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले रबी की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 31.64 लाख हेक्टेयर और 74,000 हेक्टेयर में ही हुई थी।

रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई राज्य में चालू रबी सीजन में बढ़कर 20.28 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इस समय तक 18.53 लाख हेक्टेयर में ही इसकी बुआई हुई थी। अन्य रबी दलहन की बुआई 23 हजार हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 36 हजार हेक्टेयर की तुलना में कम है।

चालू रबी सीजन में राज्य में गेहूं की बुआई बढ़कर 25.42 लाख हेक्टेयर में और जौ की बुआई 3.22 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 18.53 लाख हेक्टेयर एवं 2.89 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

खरीफ सीजन में खाद्यान्न का उत्पादन 17.33 करोड़ टन होने की उम्मीद -कृषि मंत्रालय

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने खरीफ सीजन 2025-26 में उत्पादन के पहले अग्रिम अनुमान जारी कर दिये हैं। मंत्रालय द्वारा इस संबंध में जारी सूचना के मुताबिक खरीफ सीजन में खाद्यान्न का उत्पादन 17.33 करोड़ टन होने का अनुमान है जो कि पिछले खरीफ सीजन 2024-25 के उत्पादन के मुकाबले 38.70 लाख टन अधिक है।


केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि देश में कुछ क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा ने फसलों को प्रभावित किया, लेकिन ज्यादातर क्षेत्रों को अच्छे मानसून से काफी लाभ हुआ है, इससे कुल मिलाकर फसलों की अच्छी वृद्धि हुई है। पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार, वर्ष 2025-26 के दौरान खरीफ सीजन की प्रमुख फसल चावल का उत्पादन 1245.04 लाख टन अनुमानित है, जो कि गत वर्ष के खरीफ चावल उत्पादन से 17.32 लाख टन ज्यादा है। चालू खरीफ सीजन में मक्का का उत्पादन 283.03 लाख टन अनुमानित है, जो कि गत वर्ष के खरीफ मक्का उत्पादन से 34.95 लाख टन अधिक है।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने बताया कि पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार वर्ष 2025-26 के दौरान कुल खरीफ पोषक/मोटे अनाजों का उत्पादन 414.14 लाख टन और कुल खरीफ दलहन उत्पादन 74.13 लाख टन होने का अनुमान है, जिसमें अरहर का उत्पादन 35.97 लाख टन, उड़द का उत्पादन 12.05 लाख टन तथा मूंग का उत्पादन 17.20 लाख टन होने का अनुमान है।

फसल सीजन 2025-26 के दौरान देश में खरीफ सीजन में तिलहनी फसलों का कुल उत्पादन 275.63 लाख टन होने का अनुमान है। इसमें 110.93 लाख टन मूंगफली के उत्पादन का अनुमान शामिल है, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 6.81 लाख टन अधिक है और सोयाबीन का उत्पादन 142.66 लाख टन होने का अनुमान है।

इस दौरान गन्ने का उत्पादन 4,756.14 लाख टन होने का अनुमान है, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 210.03 लाख टन बढ़ने का अनुमान है। कपास का उत्पादन 292.15 लाख गांठ (एक गांठ 170 किलोग्राम) तथा पटसन एवं मेस्ता का उत्पादन 83.45 लाख गांठ (एक गांठ 180 किलोग्राम) के उत्पादन का अनुमान है।

मंत्रालय के मुताबिक यह अनुमान गत वर्षों की उपज प्रवृत्तियों, अन्य जमीनी स्तर के इनपुट और क्षेत्रीय अवलोकन तथा मुख्यतः राज्यों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर तैयार किए गए हैं। फसल कटाई प्रयोगों से प्राप्त वास्तविक उपज आंकड़े आने पर इसमें संशोधन किया जाएगा।

केंद्र सरकार ने दिसंबर 2025 के लिए 22 लाख चीनी का कोटा जारी किया

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने दिसंबर 2025 के लिए 22 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया है, जो कि दिसंबर 2024 के लिए जारी किए गए कोटे के बराबर है। नवंबर 2025 में केंद्र सरकार ने घरेलू बिक्री के लिए 20 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया था।

जानकारों के अनुसार फसल सीजन 2023-24 (अक्टूबर 2023 से सितंबर 2024) के दौरान कुल कोटा 291.50 लाख टन का जारी किया था, जबकि 2024-25 सीजन के दौरान (अक्टूबर 2024 से सितंबर 2025) के लिए चीनी का कोटा 275.50 लाख टन का जारी किया था। व्यापारियो के मुताबिक दिसंबर 2025 के लिए 22 लाख टन चीनी कोट जारी होने से बाजार में इसकी कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है। गन्ने का पेराई सीजन होने के कारण बाजार में ओवरसप्लाई होने का अनुमान है।

दिल्ली में बुधवार को एम 30 ग्रेड चीनी के थोक दाम 4,360 रुपये और कानपुर में 4,340 रुपये तथा रायपुर में 4,300 रुपये और मुंबई में 4,100 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।