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14 मार्च 2024

फरवरी में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 13 फीसदी घटा - एसईए

नई दिल्ली। फरवरी में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 13 फीसदी घटकर 974,852 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले साल फरवरी में इनका आयात 1,114,481 टन का हुआ था। फरवरी 2024 के दौरान खाद्वय तेलों का आयात 967,852 टन का एवं अखाद्य तेलों का आयात 7,000 टन का हुआ है।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू तेल वर्ष 2023-24 के पहले चार महीनों नवंबर 23 से फरवरी 24 के दौरान देश में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 21 फीसदी घटकर 4,647,963 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 5,887,900 टन का हुआ था।

जानकारों के अनुसार फरवरी 2024 में भी देश में खाद्वय तेल के आयात में गिरावट आई है। खाद्य तेल की आवश्यकताओं के लिए पाम तेल की उपलब्धता में कमी आई है क्योंकि प्रमुख उत्पादक देश मलेशिया और इंडोनेशिया इसे बायोडीजल में ज्यादा उपयोग कर रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप इस वर्ष कीमतों में वृद्धि हो सकती है।

इंडोनेशिया और मलेशिया में पाम तेल का उत्पादन, जोकि विश्व में कुल उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा है। इन देशों में वर्ष 2024 में इसके उत्पादन में या तो मामूली रूप से बढ़ोतरी होने की संभावना है या फिर पिछले साल के स्तर से कम होने की आशंका है, क्योंकि वहां वृक्षारोपण से उत्पादन में कमी आई है। फरवरी 2024 में अर्जेंटीना से सोया तेल का आयात तेजी से बढ़ा है, जबकि घरेलू जैव ईंधन उद्योग की बढ़ती आवश्यकताओं के कारण ब्राजील से इसके आयात में गिरावट आई है।

एसईए के अनुसार चालू तेल वर्ष के पहले चार महीनों में आरबीडी पामोलिन का आयात 792,808 टन का ही हुआ है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 819,636 टन की तुलना में 3 फीसदी कम है। इस दौरान क्रूड पाम तेल का आयात 24 फीसदी घटकर केवल 3,822,743 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इसका आयात 5,025,129 टन का हुआ था। अत: रिफाइंड तेल (आरबीडी पामोलीन) की हिस्सेदारी 14 फीसदी से बढ़कर 17 फीसदी की हो गई है, जबकि क्रूड तेल की हिस्सेदारी पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 86 फीसदी से घटकर 83 फीसदी की रह गई।

जनवरी के मुकाबले फरवरी में आयातित खाद्वय तेलों की कीमतों में मिलाजुला रुख रहा। फरवरी में भारतीय बंदरगाह पर आरबीडी पामोलिन का भाव बढ़कर 903 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि जनवरी में इसका दाम 885 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रूड पाम तेल का दाम बढ़कर फरवरी में 933 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि जनवरी में इसका भाव 911 डॉलर प्रति टन था। क्रूड सोयाबीन तेल का भाव फरवरी में घटकर भारतीय बंदरगाह पर 924 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि जनवरी में इसका भाव 939 डॉलर प्रति टन था। क्रूड सनफ्लावर तेल का भाव भारतीय बंदरगाह पर जनवरी के 933 डॉलर से घटकर फरवरी में 920 डॉलर प्रति टन रह गया।

11 मार्च 2024

अक्टूबर से फरवरी के दौरान सोया डीओसी का निर्यात 4.92 फीसदी बढ़ा - सोपा

नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2023-24 के पहले पांच महीनों अक्टूबर से फरवरी के दौरान सोया डीओसी के निर्यात में 4.92 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 8.94 लाख टन का हुआ है जबकि इसके पिछले फसल सीजन की समान अवधि में इसका निर्यात 8.52 लाख टन का ही हुआ था।


सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन 2023-24 के पहले पांच महीनों अक्टूबर से फरवरी के दौरान 41.43 लाख टन सोया डीओसी का उत्पादन हुआ है, जोकि पिछले फसल सीजन की समान अवधि के 44.30 लाख टन की तुलना में कम है। नए सीजन के आरंभ में 1.17 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था, जबकि 0.07 लाख टन का आयात हुआ है। इस दौरान 3.75 लाख टन सोया डीओसी की खपत फूड में एवं 29 लाख टन की फीड हुई है। अत: मिलों के पास पहली मार्च 2024 को 0.98 लाख टन सोया डीओसी का स्टॉक बचा हुआ था, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 3.22 लाख टन की तुलना में कम है।

सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन 2023-24 के पहले पांच महीनों अक्टूबर से फरवरी के दौरान देशभर की मंडियों में 70 लाख टन सोयाबीन की आवक हुई है, जोकि पिछले फसल सीजन की समान अवधि के 71 लाख टन से कम है। इस दौरान 52.50 लाख टन सोयाबीन की क्रॉसिंग हो चुकी है जबकि दो लाख टन की सीधी खपत एवं 0.03 लाख टन का निर्यात हुआ है। अत: प्लांटों, स्टॉकिस्टों तथा किसानों के पास पहली मार्च 2024 को 76.36 लाख टन सोयाबीन का स्टॉक बचा हुआ था, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 79.41 लाख टन की तुलना में कम है।

सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन 2023-24 के दौरान देश में 118.74 लाख टन सोयाबीन के उत्पादन का अनुमान है, जबकि नई फसल की आवकों के समय 24.07 लाख टन का बकाया स्टॉक था। अत: चालू फसल सीजन में सोयाबीन की कुल उपलब्धता 142.81 लाख टन की बैठेगी, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 149.26 लाख टन की तुलना में कम है।

सख्ती के बावजूद अप्रैल से जनवरी के दौरान बासमती चावल का निर्यात 12 फीसदी से ज्यादा बढ़ा

नई दिल्ली। केंद्र सरकार की सख्ती के बावजूद भी चालू वित्त वर्ष 2023-24 के पहले 10 महीनों अप्रैल से जनवरी के दौरान बासमती चावल के निर्यात में 12.31 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जबकि इस दौरान गैर बासमती चावल के निर्यात में 37.34 फीसदी की भारी गिरावट आई है।


केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2023-24 के पहले 10 महीनों अप्रैल से जनवरी के दौरान बासमती चावल का निर्यात 12.31 फीसदी बढ़कर 41.05 लाख टन का हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के दौरान इसका निर्यात केवल 36.55 लाख टन का हुआ था।

गैर बासमती चावल के निर्यात में चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीनों अप्रैल से जनवरी के दौरान 37.34 फीसदी की भारी गिरावट आकर कुल निर्यात 91.26 लाख टन का ही हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 145.65 लाख टन का हुआ था।

जनवरी 2024 में बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 5.62 लाख टन का हुआ है, जबकि पिछले साल जनवरी 2023 में इसका निर्यात केवल 4.57 लाख टन का ही हुआ था। गैर बासमती चावल का निर्यात जनवरी 2024 में घटकर केवल 7.84 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल जनवरी 2023 में इसका निर्यात 31.90 लाख टन का हुआ था।

केंद्र सरकार ने 25 अगस्त 2023 को आदेश दिया था कि केवल 1,200 डॉलर प्रति टन या उससे अधिक मूल्य वाले बासमती चावल के निर्यात अनुबंधों को ही पंजीकृत किया जायेगा। इसके विरोध में उत्तर भारत के निर्यातकों के साथ ही चावल मिलों ने हड़ताल कर दी थी, साथ ही मंडियों में किसानों से धान की खरीद भी बंद कर दी थी। अत: 28 अक्टूबर 23 को एक्सपोर्ट प्रमोशन संस्था एपिडा को भेजे एक पत्र में केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि बासमती चावल के निर्यात के लिए कॉन्ट्रैक्ट के रजिस्ट्रेशन के लिए मूल्य सीमा को 1,200 डॉलर प्रति टन से संशोधित कर 950 डॉलर प्रति टन करने का निर्णय लिया था।

केंद्र सरकार ने 20 जुलाई 23 को गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर रोक लगा दी थी, इसके अलावा साल सितंबर 2022 में ब्रोकन चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगाया था। हालांकि गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र सरकार के फैसले के बाद कई देशों ने भारत सरकार से इस पर पुनर्विचार करने और निर्यात पर प्रतिबंध न लगाने की मांग की थी। अत: सरकार ने समय, समय पर कई देशों के अनुरोध को मानते हुए गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात की मंजूरी दी है। इसके बावजूद भी गैर बासमती चावल के निर्यात में कमी आई है।

जानकारों के अनुसार लाल सागर के संकट का असर चावल के निर्यात पर भी पड़ा है तथा इससे घरेलू बाजार से चावल की निर्यात शिपमेंट में आई कमी के कारण घरेलू बाजार में बासमती चावल के साथ ही धान की कीमतों में हाल ही में मंदा आया है।

हरियाणा की करनाल मंडी में शुक्रवार को पूसा 1,509 किस्म के बासमती सेला चावल का भाव 6,600 से 6,700 रुपये और इसके स्टीम चावल के भाव 7,400 से 7,500 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। इसी तरह से पूसा 1,121 किस्म के स्टीम चावल का भाव 8,700 से 8,800 रुपये तथा इसके सेला चावल का दाम 7,800 से 7,900 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

दिल्ली की नजफगढ़ मंडी में शुक्रवार को 1,121 किस्म के धान का भाव 4,200 से 4,511 रुपये, तथा हरियाणा की सिरसा मंडी में 1,401 किस्म के धान के भाव 4,200 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। पंजाब की कोटकपूरा मंडी में पूसा 1,718 किस्म के धान का भाव 3,665 से 3,870 रुपये, तथा 1,401 किस्म के धान के भाव 3,825 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मिलों की खरीद बढ़ने से गुजरात के साथ उत्तर भारत में दूसरे दिन कॉटन तेज

नई दिल्ली। स्पिनिंग मिलों की मांग बनी रहने के कारण गुरुवार को लगातार दूसरे दिन गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में तेजी दर्ज की गई।


गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव 250 रुपये बढ़कर 61,000 से 61,500 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो हो गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 50 रुपये तेज होकर 6050 से 6100 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 75 तेज होकर 5975 से 6075 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 25 बढ़कर 5700 से 6225 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के दाम तेज होकर 59,500 से 59,700 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए। देशभर की मंडियों में कपास की आवक 88,200 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स के साथ ही एनसीडीएक्स पर आज शाम को कॉटन की कीमतों में शाम को मिलाजुला रुख रहा। आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन के दाम शाम के सत्र में तेज हुए।

स्पिनिंग मिलों की मांग बढ़ने से गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन के दाम दूसरे दिन भी तेज हुए। व्यापारियों के अनुसार विश्व बाजार में हाल ही में कॉटन की कीमतें तेज हुई है, जिस कारण घरेलू बाजार से कॉटन के निर्यात सौदों में बढ़ोतरी होगी। वैसे भी विश्व बाजार में भारतीय रुई सबसे सस्ती है। खपत का सीजन होने के कारण यार्न की स्थानीय मांग आगामी दिनों में और बढ़ेगी, जबकि देशभर की छोटी स्पिनिंग मिलों के पास कॉटन का बकाया स्टॉक कम है। उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवकों में कमी आई है, तथा आगामी दिनों में आवक और कम होंगी। इसलिए हाजिर बाजार में कॉटन की कीमतों में आगे और भी सुधार आने का अनुमान है।

हालांकि उत्पादक राज्यों में सीसीआई लगातार कॉटन बेच रही है, लेकिन सीसीआई के बिक्री भाव उंचे है, जिस कारण हाजिर बाजार में इसके दाम तेज होंगे।

व्यापारियों के अनुसार पहली अक्टूबर 2023 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2023-24 में अभी तक देशभर की मंडियों में 219.39 लाख गांठ, एक गांठ 170 किलो कपास की आवक हो चुकी है।  

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई ने फसल सीजन 2023-24 के दौरान अपने कपास उत्पादन अनुमान को 294.10 लाख के पूर्व स्तर पर बरकरार रखा है। मालूम हो कि फसल सीजन 2022-23 के दौरान देशभर में 318.90 लाख गांठ कॉटन का उत्पादन हुआ था।

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2023-24 के दौरान देश में कपास का उत्पादन 323.11 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो होने का अनुमान है।

महाराष्ट्र में चालू पेराई सीजन में 20 चीनी मिलों में पेराई बंद, 93.91 लाख टन हुआ उत्पादन

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2023 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2023-24 के दौरान महाराष्ट्र में 4 मार्च 2024 तक 20 चीनी मिलें पेराई बंद कर चुकी है, जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में 65 चीनी मिलें पेराई बंद कर चुकी थी।


महाराष्ट्र के शुगर कमिश्नर कार्यालय के अनुसार राज्य में 4 मार्च तक 93.91 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है, जोकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि के 98.06 लाख टन की तुलना में कम है।

चालू पेराई सीजन में राज्य में गन्ने में रिकवरी की दर बढ़कर 10.7 फीसदी की आ रही है, जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में 9.93 फीसदी की रिकवरी आ रही थी।

पहली अक्टूबर से शुरू हुए पेराई सीजन में राज्य में 207 चीनी मिलों ने पेराई आरंभ की थी, तथा 4 मार्च तक 932.57 लाख टन गन्ने की पेराई की जा चुकी है, जोकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में 211 चीनी मिलों ने 987.93 लाख टन गन्ने की पेराई की थी।

कोल्हापुर डिवीजन में 2 चीनी मिलें पेराई बंद कर चुकी है, जबकि सोलापुर में 7 चीनी मिलों के अलावा, पुणे डिवीजन में 3 चीनी मिलें, अहमदनगर में एक चीनी मिल, छत्रपति संभावजीनगर डिवीजन में 6 चीनी मिलों के अलावा एक चीनी मिल नांदेड़ डिवीजन में पेराई बंद कर चुकी है।

गुजरात में समर सीजन में फसलों की बुआई 19.37 फीसदी पिछड़ी

नई दिल्ली। गुजरात में समर सीजन में फसलों की बुआई 19.37 फीसदी पिछड़कर चार मार्च 2024 तक केवल 2.89 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 3.59 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार राज्य में धान की रोपाई समर सीजन में 4 मार्च तक 77,985 हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 58,729 हेक्टेयर की तुलना में बढ़ी है।

राज्य में बाजरा की बुआई घटकर चालू समर में अभी तक केवल 46,271 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 65,614 हेक्टेयर में इसकी बुआई हो चुकी थी। मक्का की बुआई राज्य में केवल 3,124 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 3,421 हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

दलहनी फसलों में मूंग की बुआई चालू समर सीजन में 9,352 हेक्टेयर में एवं उड़द की 2,086 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 15,159 हेक्टेयर और 8,628 हेक्टेयर में हो चुकी थी।

राज्य में तिलहन फसलों में मूंगफली की बुआई 12,830 हेक्टेयर में तथा शीशम की 19,713 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले समर सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 15,337 हेक्टेयर और 30,781 हेक्टेयर में हो चुकी थी।

ग्वार सीड की बुआई राज्य में 486 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 600 हेक्टेयर में हो चुकी है।

05 मार्च 2024

बढ़े दाम पर तेल मिलों की खरीद कमजोर होने से सरसों कमजोर, दैनिक आवकों में बढ़ोतरी

नई दिल्ली। बढ़ी हुई कीमतों में तेल मिलों की खरीद कमजोर होने से घरेलू बाजार में सोमवार को लगातार दो कार्यदिवस की तेजी के बाद सरसों में नरमी आई। जयपुर में कंडीशन की सरसों के भाव 25 रुपये कमजोर होकर दाम 5,425 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान सरसों की दैनिक आवक बढ़कर 8.50 लाख बोरियों की हुई।


विश्व बाजार में आज खाद्वय तेलों की कीमतों में मिलाजुला रुख रहा। मलेशियाई पाम तेल के दाम कमजोर हुए, जबकि शिकागो में सोया तेल की कीमतों में हल्का सुधार आया। जानकारों के अनुसार विदेशी बाजार में खाद्य तेलों की मौजूदा कीमतों में हल्का सुधार तो बन सकता है, लेकिन एकतरफा बड़ी तेजी के आसार नहीं है। घरेलू बाजार में सरसों तेल की कीमतों में लगातार दो कार्यदिवस की तेजी के बाद मंदा आया, साथ ही इस दौरान सरसों खल के भाव भी कमजोर हुए।

उत्पादक मंडियों में सोमवार को सरसों की दैनिक आवक में बढ़ोतरी दर्ज की गई। जानकारों के अनुसार हाल ही में कई क्षेत्रों में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से सरसों की फसल को नुकसान हुआ है। हालांकि सरसों का उत्पादन अनुमान ज्यादा है, जिस कारण तेल मिलें केवल जरुरत के हिसाब से ही खरीद कर रही हैं। खपत का सीजन होने के कारण सरसों तेल में मांग अभी बनी रहेगी, लेकिन इसकी कीमतों में तेजी, मंदी काफी हद तक आयातित खाद्य तेलों के दाम पर ही निर्भर करेगी।

बर्सा मलेशिया डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (बीएमडी) पर मई डिलीवरी वायदा अनुबंध में पाम तेल की कीमतें 28 रिंगिट कमजोर होकर 3,938 रिंगिट प्रति टन पर बंद हुई। इस दौरान शिकागो में सीबीओटी सोया तेल की कीमतें 0.01 फीसदी तेज हुई।

कांडला बंदरगाह पर सीपीओ की कीमतें 865 रुपये प्रति 10 किलो पर स्थिर बनी रही, जबकि आरबीडी पामोलीन की कीमतें 5 रुपये बढ़कर 890 रुपये प्रति 10 किलो हो गईं। सोया तेल रिफाइंड की कीमतें 5 रुपये बढ़कर 945 रुपये प्रति 10 किलो बोली गई। डीगम की कीमतें भी 5 रुपये बढ़कर 880 रुपये प्रति 10 किलो हो गई। हालांकि सूरजमुखी रिफाइंड तेल की कीमतें 930 रुपये प्रति 10 किलो पर स्थिर बनी रही।

जयपुर में सरसों तेल कच्ची घानी और एक्सपेलर की कीमतों में पिछले दो कार्य दिवसों की तेजी के बाद मंदा आया। कच्ची घानी सरसों तेल के भाव 10 रुपये कमजोर होकर दाम 1,015 रुपये प्रति 10 किलो रह गए, जबकि सरसों एक्सपेलर तेल के दाम भी 10 घटकर भाव 1,005 रुपये प्रति 10 किलो रह गए। जयपुर में सोमवार को सरसों खल की कीमतें 30 रुपये घटकर दाम 2,495 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

देशभर की मंडियों में सरसों की दैनिक आवक बढ़कर 8.50 लाख बोरियों की हुई, जबकि पिछले कारोबारी दिवस में आवक 7.25 लाख बोरियों की ही हुई थी। कुल आवकों में से प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान की मंडियों में नई सरसों की 3.60 लाख बोरी, जबकि मध्य प्रदेश की मंडियों में 1.35 लाख बोरी, उत्तर प्रदेश की मंडियों में 1.25 लाख बोरी, पंजाब एवं हरियाणा की मंडियों में 20 हजार बोरी तथा गुजरात में 65 हजार बोरी, एवं अन्य राज्यों की मंडियों में 1.45 लाख बोरियों की आवक हुई।