नई दिल्ली। गेहूं उत्पादों के साथ ही गेहूं की बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार आयात शुल्क को हटाने के साथ ही व्यापारियों एवं मिलर्स के लिए स्टाक सीमा भी तय कर सकती है। इस समय गेहूं के आयात पर 40 फीसदी आयात शुल्क है।
चालू सीजन में उत्पादन अनुमान में आई कमी के कारण गेहूं के साथ ही गेहूं उत्पादों के दाम तेज बने हुए हैं। सरकार ने गेहूं की कीमतों में तेजी को रोकने के लिए मई में इसके निर्यात पर रोक लगा दी थी, इसके बावजूद भी घरेलू बाजार में गेहूं की कीमतों में लगातार तेजी बनी हुई है।
सूत्रों के अनुसार त्योहारी सीजन में गेहूं उत्पादों की कीमतों को काबू में करने के लिए केंद्र सरकार रोलर फ्लोर मिलों के साथ ही गेहूं के व्यापारियों के लिए स्टॉक लिमिट भी तय करने पर विचार कर रही है।
जानकारों के अनुसार अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं का मूल्य घरेलू बाजार से ज्यादा है। जिस कारण गेहूं के आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं। हालांकि जानकारों का मानना है कि यदि सरकार ने गेहूं के आयात शुल्क को समाप्त कर दिया तो विश्व बाजार में गेहूं के दाम और तेज हो जायेंगे। ऐसे में आयात की संभावना उसके बाद भी बनने के आसार कम है।
पिछले दिनों केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने भी कहां था कि गेहूं के मूल्य को कम करने के लिए सभी संभावित विकल्प तलाश रही हैं। हालांकि उन्होंने कहां था कि केंद्रीय पूल में गेहूं का बकाया स्टॉक तय मानकों बफर की तुलना में ज्यादा है। इससे पहले भारत ने वित्त वर्ष 2017-18 में गेहूं का आयात किया था।
पहली सितंबर 2022 को केंद्रीय पूल में 248.22 लाख टन गेहूं का बकाया स्टॉक बचा हुआ है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में बकाया स्टॉक 517.87 लाख टन का था। तय मानकों के पहली अक्टूबर को केंद्रीय पूल में 175.20 लाख टन गेहूं का स्टॉक होना चाहिए, जबकि अगर सामरिक रिजर्व को मिलाकर कुल स्टॉक 205.20 लाख टन का होना चाहिए।
दिल्ली के लॉरेंस रोड पर गेहूं के भाव 2,520 से 2,540 रुपये प्रति क्विंटल है। जबकि उत्पादक मंडियों में लूज में इसके भाव 2150 से 2250 रुपये प्रति क्विंटल क्वालिटी अनुसार हैं।
रबी विपणन सीजन 2022-23 में गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद 187.92 लाख टन की ही हुई थी, जबकि केंद्र सरकार ने सीजन के आरंभ में 444 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य किया था। हालांकि गेहूं के उत्पादन अनुमान में कमी सामने आने पर सरकार ने मई के पहले सप्ताह में गेहूं खरीद के लक्ष्य में संशोधन करते हुए 195 लाख टन तय कर दिया था लेकिन यह लक्ष्य भी पूरा नहीं हो पाया।
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