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21 अक्टूबर 2022

महंगाई को लेकर केंद्र सरकार सख्त, केंद्रीय पूल में 43 लाख टन से ज्यादा दलहन का स्टॉक

नई दिल्ली। त्योहारी सीजन में खाद्य पदार्थों की महंगाई को लेकर केंद्र सरकार सख्ती बरतने के मूड में है, इसके लिए जहां दलहन के आयातकों पर स्टॉक बेचने का दबाव बनाने के लिए नीति बना रही है। केंद्रीय पूल में 43.82 लाख टन दलहन का स्टॉक है।


उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की ओर से जारी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि केंद्र सरकार ने दालों की कीमतों को काबू करने के लिए बड़ा कदम उठा सकती है।

दलहन के बफर स्टॉक को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने एक लाख टन आयातित अरहर और 50,000 टन आयातित उड़द की खरीद शुरू कर दी है। वर्तमान में, केंद्र सरकार के पास पीएसएफ और पीएसएस के तहत विभिन्न दालों का 43.82 लाख टन बफर स्टॉक है। केंद्रीय पूल से राज्यों को विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के तहत राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को 8 रुपये प्रति किलोग्राम के रियायती मूल्य पर चना का आवंटन किया जा रहा है। इसके तहत अब तक, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडु की मांग के आधार पर इन राज्यों को 88,600 टन चना आवंटित किया गया है।

केंद्र सरकार ने रबी 2022 की के दौरान 2.50 लाख टन प्याज का बफर स्टॉक बनाया है ताकि कम आवक के मौसम में भी प्याज की खुदरा कीमतों को स्थिर रखा जा सके। कीमतों में बढ़ोतरी को रोकने के लिए बफर स्टॉक से प्याज देना कर दिया है। केंद्रीय पूल से 14 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के विभिन्न बाजारों में 54,000 टन प्याज जारी किया जा चुका है। इसके परिणामस्वरूप पूरे साल प्याज की कीमतें स्थिर बनी रही। इसके अलावा, प्याज की खुदरा कीमतों को स्थिर रखने के लिए, भारत सरकार ने सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों और मदर डेयरी, सफल, एनसीसीएफ और केंद्रीय भंडार को प्याज को केंद्रीय बफर स्टॉक से 800 रुपये प्रति क्विंटल की दर से देने की पेशकश की है।

केंद्र सरकार की खाद्य पदार्थों की कीमतों की लगातार निगरानी कर रही है। मंत्रालय के अनुसार एकाध दाल को छोड़ लगभग सभी दालों की खुदरा कीमतें वर्ष की शुरुआत से ही स्थिर बनी हुई हैं। चना दाल और मसूर दाल की अखिल भारतीय औसत कीमतों में पिछले महीने की तुलना में थोड़ी गिरावट आई है, जबकि अरहर दाल, उड़द दाल और मूंग दाल की अखिल भारतीय औसत कीमतें इस अवधि में थोड़ी बढ़ी हैं।

हैफेड हरियाणा की मंडियों से सभी किस्मों के धान की खरीद करेगी

नई दिल्ली। किसानों को उचित भाव मिलें, इसके लिए हैफेड ने हरियाणा की मंडियों से सभी किस्मों के धान की खरीद करने का निर्णय लिया है। हैफेड के चेयरमैन कैलाश भगत ने बताया कि निगम राज्य की मंडियों से सभी किसानों के धान की खरीद करेगी।


मालूम हो कि हरियाणा में हैफेड की 45 चावल मिलें हैं, इसके अलावा कैथल में एक सीड प्लांट भी लगाने की योजना है। हैफेड कई देशों को बासमती चावल का निर्यात भी करता है। 

रबी फसलों के एमएसपी में 100 से 500 रुपये की बढ़ोतरी, गेहूं का 110 रुपये बढ़ाया

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन समर्थन मूल्य, एमएसपी में 100 से 500 रुपये प्रति क्विंटल तक की बढ़ोतरी की है। रबी की प्रमुख फसल गेहूं के एमएसपी में 110 रुपये की बढ़ोतरी कर रबी विपणन सीजन के लिए एमएसपी 2,125 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की मंगलवार को हुई बैठक में रबी विपणन सीजन 2023-24 की 6 फसलों गेहूं, जौ, चना, सरसों, मसूर और सूरजमुखी के एमएसपी में बढ़ोतरी की गई।

चना के एमएसपी में 105 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 5,335 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया, जबकि मसूर के एमएसपी में 500 रुपये की बढ़ोतरी कर दाम 6,000 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया।

रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों के एमएसपी में 400 रुपये की बढ़ोतरी कर दाम 5,450 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है, जबकि सूरजमुखी के एमएसपी में 209 रुपये की बढ़ोतरी कर दाम 5,650 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है। रबी विपणन सीजन 2023-24 के लिए जौ का एमएसपी 100 रुपये बढ़ाकर 1,735 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। 

पेराई सीजन 2022-23 में 365 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान - इस्मा

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2022 से शुरू होने वाले पेराई सीजन 2022-23 (अक्टूबर से सितंबर) में चीनी का उत्पादन बढ़कर 365 लाख टन, (इसमें 45 लाख टन के बराबर सीधे एथेनॉल में जाने के बाद) होने का अनुमान है, जोकि पिछले पेराई सीजन 2021-22 के 358 लाख टन से ज्यादा है।


इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) द्वारा सोमवार को जारी पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार चालू सीजन में गन्ने की बुआई बढ़कर 59 लाख हेक्टेयर में हुई है, जोकि पिछले साल के 55.9 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

इस्मा के अनुसार पहली अक्टूबर 2022 को चीनी का बकाया स्टॉक घरेलू बाजार में 55 लाख टन का बचा हुआ है, जबकि 365 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान हैं। देश में चीनी की सालाना खपत 275 लाख टन की होती है। अत: 90 लाख टन चीनी का स्टॉक सरप्लस है, जोकि निर्यात जरूरतों के साथ ही बकाया स्टॉक के लिए पर्याप्त है।

पेराई सीजन 2022-23 में देश से चीनी के निर्यात में कमी आने की आशंका है, क्योंकि ब्राजील में चीनी का उत्पादन पेराई सीजन 2023-24 में 36 मिलियन टन के सामान्य की तुलना में ज्यादा होने का अनुमान है। अप्रैल में ब्राजील में चीनी मिलों में पेराई आरंभ होगी, और मई तक ब्राजील की चीनी बाजार में आ जायेगी। अधिकांश चीनी मिलों ने चालू सीजन में निर्यात के लिए पहले ही चीनी निर्यात के अनुबंध कर लिए है। इसलिए, सरकार को जल्द ही चीनी निर्यात नीति की घोषणा कर देनी चाहिए।

दक्षिण भारत की मिलों ने पेराई सीजन 2022-23 के लिए गन्ने की पेराई शुरू कर दी है, साथ ही अन्य राज्यों में भी जल्द पेराई शुरू होने की उम्मीद है। इसलिए, अगले कुछ महीनों में चीनी के उत्पादन की सही तस्वीर साफ हो जायेगी। 

चालू रबी में तिलहन एवं दलहन की शुरूआती बुआई बढ़ी, गेहूं की अभी शुरू नहीं

नई दिल्ली। सितंबर अंत एवं अक्टूबर के पहले सप्ताह में देशभर के कई राज्यों में हुई बारिश से रबी फसलों खासकर के तिलहन एवं दलहन की शुरूआती बुआई बढ़ी है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में 14 अक्टूबर तक देशभर में रबी फसलों की बुआई बढ़कर 7.34 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 2.16 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।


तिलहनी फसलों की बुआई चालू रबी में बढ़कर 4.32 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 0.69 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुआई चालू रबी में बढ़कर 4.30 लाख हेक्टेयर में और मूंगफली की दो हजार हेक्टेयर हो चुकी है। पिछले साल इस समय तक सरसों की बुआई 0.67 लाख हेक्टेयर में और मूंगफली की दो हजार हेक्टेयर में ही हुई थी।

रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई चालू रबी में एक लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 0.01 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। अन्य दलहन की बुआई अभी शुरू नहीं हुई है।

मोटे अनाजों में मक्का की बुआई चालू रबी में 36 हजार हेक्टेयर में और ज्वार की 39 हजार हेक्टेयर में तथा रागी की एक हजार हेक्टेयर हो चुकी है, जबकि पिछले रबी सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 32 हजार हेक्टेयर और 42 हजार हेक्टेयर में हुई थी। रागी की बुआई पिछले साल इस समय तक शुरू नहीं हो पाई थी।

धान की रोपाई चालू रबी में 1.25 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 70 हजार हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है। हालांकि रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की बुआई अभी तक शुरू नहीं हो पाई है।

सितंबर में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात 7 फीसदी घटा - एसईए

नई दिल्ली, सितंबर महीने में खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में 7 फीसदी की कमी आकर कुल आयात 1,637,239 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनका आयात 1,762,338 टन का हुआ है। सितंबर में जहां खाद्य तेलों का आयात 1,593,538 टन का हुआ है, वहीं अखाद्य तेलों का आयात 43,701 टन का हुआ।


साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार चालू तेल वर्ष नवंबर-21 से अक्टूबर-22 के पहले 11 महीनों नवंबर से सितंबर के दौरान खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में 4 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल आयात 130.1 लाख टन का हुआ है, जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 124.7 टन का हुआ था।

एसईए के अनुसार पिछले 5 महीनों में खाद्य तेलों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तेजी से गिरावट आई है जिसका असर घरेलू बाजार में इनकी कीमतों पर पड़ा है। इससे त्योहारी सीजन में उपभोक्ताओं को तो राहत मिली है, लेकिन खाद्य तेलों की कीमतों में आई गिरावट के कारण तिलहन के दाम भी कमजोर हुए हैं। जोकि सरकार के लिए चिंता का विषय है।

एसईए के अनुसार वायदा ट्रेडिंग और हेजिंग सुविधा के अभाव में, पाम ऑयल के आयातकों और
सोयाबीन तेल की कीमतों में पिछले 3-4 महीनों के दौरान किसानों के साथ ही व्यापारियों को भारी नुकसान हुआ है। ऐसे में इनके वायदा कारोबार की अनुमति तत्काल देने की जरूरत है। वैसे  भी उत्पादक राज्यों में रबी तिलहन की फसलों की बुआई आरंभ हो चुकी है।

अगस्त के मुकाबले सितंबर में घरेलू बाजार में आयातित खाद्य तेलों की कीमतें कमजोर हुई हैं। सितंबर में मुंबई बंदरगाह पर आरबीडी पामोलीन के भाव घटकर 920 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ रह गए, जबकि अगस्त में इसके भाव 1,000 डॉलर प्रति टन थे। इसी तरह से क्रूड पाम तेल के दाम घटकर मुंबई बंदरगाह पर सितंबर में 910 डॉलर प्रति टन रह गए, जबकि अगस्त में इसके भाव 1,010 डॉलर प्रति टन थे। इस दौरान सोयाबीन क्रूड पाम तेल के भाव मुंबई बंदरगाह पर अगस्त के 1,445 डॉलर प्रति टन से घटकर सितंबर में 1,344 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ के स्तर पर आ गए।

उत्पादन अनुमान ज्यादा होने से ग्वार सीड और ग्वार गम में गिरावट जारी

नई दिल्ली। चालू खरीफ में प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान में ग्वार सीड की बुआई पिछले साल की तुलना में डेढ़ गुना हुई, जिस कारण इसका उत्पादन अनुमान भी बढ़ने की उम्मीद है। यही कारण है कि ग्वार गम उत्पादों के निर्यात में बढ़ोतरी के बावजूद भी ग्वार सीड में मंदा बना हुआ है।


चालू वित्त वर्ष 2022-23 के पहले पांच महीनों में ग्वार गम उत्पादों के निर्यात में तो बढ़ोतरी हुई है, लेकिन राजस्थान एवं हरियाणा में मौसम साफ होने से उत्पादक मंडियों में ग्वार सीड की दैनिक आवक बढ़ी है, जबकि प्लांटों की मांग कमजोर बनी हुई है। इसलिए हाजिर बाजार में इसके भाव में नरमी बनी हुई है।

राजस्थान की रायसिंहनगर मंडी में बुधवार को ग्वार सीड की दैनिक आवक 1,200 क्विंटल की हुई जबकि इसके दाम घटकर 4300 से 4571 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इसी तरह से नोहर मंडी के साथ ही डूंगरगढ़ मंडी में ग्वार सीड की दैनिक आवक क्रमश: 500 और 1,000 बोरियों की हुई तथा इन मंडियों में नया ग्वार 4200 से 4625 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिका।

व्यापारियों के अनुसार प्रमुख उत्पादक राज्यों राजस्थान, हरियाणा एवं गुजरात की मंडियों में नए ग्वार सीड की दैनिक आवक बढ़कर 28 से 30 हजार बोरियों की हो रही है, जबकि पुराना ग्वार सीड भी 2500 से 3000 बोरी आ रहा है। माना जा रहा है कि दीपावली तक इसकी दैनिक आवक इसी तरह की बनी रह सकती है, लेकिन दीपावली के बाद दैनिक आवकों में और बढ़ोतरी होगी। प्लांटों के पास ग्वार गम का स्टॉक ज्यादा है, जिस कारण प्लांट सीमित मात्रा में ही खरीद कर रहे हैं। इसलिए ग्वार सीड एवं ग्वार गम की कीमतों में मंदा बना हुआ है। हालांकि स्टॉकिस्ट ग्वार गम और सीड के दाम तेज करना चाहते हैं, लेकिन अभी तेजी टिक नहीं पायेगी।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2022-23 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान ग्वार गम उत्पादों का निर्यात बढ़कर 1.90 लाख टन का हुआ है, जोकि मूल्य के हिसाब से करीब 2,317 करोड़ रुपये का है। इसके पिछले वित्त वर्ष 2021-22 की समान अवधि में ग्वार गम उत्पादों का निर्यात 1.33 लाख टन का ही हुआ था, जोकि मूल्य के हिसाब से 1,081 करोड़ रुपये का था। 

अच्छी उत्पादकता से खरीफ में सोयाबीन का उत्पादन 1.27 फीसदी बढ़ने का अनुमान - सोपा

नई दिल्ली। प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में बढ़ोतरी होने के कारण चालू खरीफ सीजन 2022 में सोयाबीन का उत्पादन 1.27 फीसदी बढ़कर 120.39 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि पिछले खरीफ सीजन में इसका उत्पादन 1118.88 लाख टन का हुआ था।

सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सोपा के अनुसार चालू खरीफ सीजन में सोयाबीन की बुआई 114.50 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल के 119.98 लाख हेक्टेयर से कम है। पिछले साल प्रति हेक्टेयर उत्पादकता 991 किलोग्राम की आई थी, जबकि चालू खरीफ में औसतन उत्पादकता 1,051 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की आने का अनुमान है।

उधर कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में सोयाबीन की बुआई 120.82 लाख हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल के 123.67 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है।

सोपा के अनुसार मध्य प्रदेश में सोयाबीन का उत्पादन चालू खरीफ सीजन में 53.26 लाख टन होने का अनुमान है, जोकि पिछले साल के 52.29 लाख टन से ज्यादा है। हालांकि महाराष्ट्र में चालू खरीफ में सोयाबीन का उत्पादन घटकर 46.91 लाख टन ही होने का अनुमान है, जबकि पिछले साल राज्य में 48.32 लाख टन का उत्पादन हुआ था।

राजस्थान में चालू खरीफ सीजन में सोयाबीन का उत्पादन बढ़कर 9.85 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि पिछले साल राज्य में 7.04 लाख टन का उत्पादन हुआ था। अन्य राज्यों में तेलंगाना में सोयाबीन का उत्पादन 1.76 लाख टन, कर्नाटक में 4.39 लाख टन और गुजरात में 2.40 लाख टन होने का अनुमान है। पिछले खरीफ सीजन में इन राज्यों में क्रमश: 3.54 लाख टन, 3.84 लाख टन और 2.27 लाख टन सोयाबीन का उत्पादन हुआ था।

गुजरात में चालू खरीफ में सोयाबीन का उत्पादन 44 हजार टन का होने का अनुमान है, जोकि पिछले साल के 46 लाख टन से कम है। अन्य राज्यों में सोयाबीन का उत्पादन 1.35 लाख टन होने का अनुमान है, जोकि पिछले साल के 1.10 लाख टन से ज्यादा है।  

फसल सीजन 2021-22 के कॉटन का उत्पादन घटकर 307.05 लाख गांठ होने का अनुमान

नई दिल्ली। फसल सीजन 2021-22 के कॉटन उत्पादन अनुमान में उद्योग ने एक बार फिर से 8.27 लाख गांठ की कटौती करके कुल उत्पादन 307.05 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो होने का अनुमान जारी किया है। इससे पहले इसके उत्पादन का अनुमान 315.32 लाख गांठ का था।


कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार हरियाणा में कॉटन के उत्पादन अनुमान में 0.57 लाख गांठ, लोअर राजस्थान में 0.50 लाख गांठ, गुजरात में 3.45 लाख गांठ, महाराष्ट्र में 2.50 लाख गांठ और तमिलनाडु में 2.25 लाख गांठ, सितंबर के अनुमान की तुलना में कम होने का अनुमान है। हालांकि इस दौरान सीएआई ने आंध्र प्रदेश में पहले के अनुमान से एक लाख गांठ ज्यादा कॉटन का उत्पादन होने का अनुमान जारी किया है।

सीएआई के अनुसार चालू सीजन में 14 लाख गांठ कपास का आयात हुआ है, जबकि पहले 15 लाख गांठ आयात होने का अनुमान था। हालांकि पिछले साल की तुलना में आयात 4 लाख गांठ बढ़ा है, क्योंकि पिछले साल केवल 10 लाख गांठ कॉटन का आयात हुआ था।

चालू फसल सीजन में देश से 43 लाख गांठ कॉटन का निर्यात हुआ है, जोकि पहले के अनुमान 40 लाख गांठ से ज्यादा है।

पहली अक्टूबर 2021 से सितंबर 2022 के अंत तक देशभर की मंडियों में कॉटन की कुल आवक 307.05 लाख गांठ की हो चुकी है।

उद्योग के अनुसार पहली अक्टूबर 2021 में नए सीजन के आरंभ में 47.16 लाख गांठ कॉटन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था, जबकि पहली अक्टूबर 2022 से शुरू हो रहे नए सीजन के आरंभ में कॉटन का बकाया स्टॉक घटकर केवल 31.89 लाख गांठ का ही बचेगा। 

08 अक्टूबर 2022

एग्री जिंसों के एमएसपी की लड़ाई को देश के हर गांव में किसानों तक पहुंचायेंगे — वीएम सिंह

नई दिल्ली। एग्री जिंसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी की लड़ाई पंजाब खोड़ गांव से शुरू की गई और इसे देश के प्रत्येक गांव तक पहुंचाया जायेगा। एमएसपी गारंटी कानून बनवाने के लिए किसानों का दिल्ली बार्डर पर स्थित पंजाब खोड़ गांव में चल रहे आंदोलन के तीसरे शनिवार को यह निर्णय लिया गया। पूरा दिन बारिश होने के बावजूद भी किसान आंदोलन स्थल पर डटे रहे।

राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक वीएम सिंह ने कहा कि प्रत्येक किसान परिवार इस मुहिम का हिस्सेदार बने इसलिए गांव गांव में प्रचार कर समर्थन जुटाया जायेगा। गांव में दीवार पुताई, प्रभात फेरी, बैनर एवं पोस्टर लगाकर हर परिवार तक फसलों के एमएसपी के फायदे को बताया जाएगा। गांव की समिति अपने अपने तरीके से एमएसपी का माहौल बनाने का काम करेगी जिसका मुख्य लक्ष्य और नारा होगा "गांव गांव एमएसपी - हर घर एमएसपी"।

एमएसपी गारंटी कानून अधिवेशन में किसान संगठनों ने सामूहिक चर्चा करके आगामी कार्यक्रम की घोषणा की। कोर कमेटी के सामने आज अधिवेशन के अंतिम दिन वीएम सिंह ने कहा कि एमएसपी की लड़ाई पंजाब खोड़ गांव से शुरू की गई और देश के प्रत्येक गांव तक पहुंचाई जाएगी। उन्होंने कहा कि लगभग 200 संगठनों के बदले एकाएक 27 प्रांतों के 220 किसान संगठनों से इस अधिवेशन में एमएसपी गारंटी किसान मोर्चा को समर्थन मिला।

इसी क्रम में यह तय किया गया कि ग्राम सभा का प्रस्ताव या प्रधान की चिट्ठी या गांव वालों के द्वारा चिट्ठी प्रधानमंत्री को लिखी जाएगी जिसके लिए ढाई माह का समय निर्धारित किया गया है। इसके उपरांत नए साल की शुरुआत करते हुए पहली जनवरी 2023 से ये चिट्ठियां निरंतर अंतराल पर जिला अधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री को भेजी जाएंगी और नए साल के ही दिन सोशल मीडिया से शुरुआत होगी और उसी शाम ट्विटर पर गांव, गांव एमएसपी हर घर एमएसपी की मुहिम की शुरुआत होगी। जिला अधिकारी के माध्यम से भेजी गई चिट्ठियों की लाखों प्रतियां 23 मार्च 2023 को शहीद दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंपी जाएगी। 

यह भी तय हुआ कि नवंबर से ही संगठनों द्वारा प्रांतीय सम्मेलन होंगे और पहले सम्मेलन की तारीख व स्थान 8 नवंबर की दिल्ली की कोर कमेटी की बैठक में तय की जाएगी और 10 दिसंबर को पंजाब में सम्मेलन होना तय किया गया। आज के अधिवेशन के तहत एमएसपी का हर प्रांतीय सम्मेलन गांव में ही किया जाएगा। 

किसानों से इन प्रस्तावों को पारित कराते हुए 2 मुख्य नारे लगे "गांव गांव एमएसपी, हर घर एमएसपी और फसल हमारी भाव तुम्हारा, नहीं चलेगा नहीं चलेगा"। 

इस मौके पर पूरी कोर कमेटी उपस्थित थी जिसमें प्रमुखता से राजू शेट्टी, जलपुरुष राजेंद्र सिंह, रामपाल जाट, बलराज भाटी, कोड़ीहाली चंद्रशेखर, जसकरण सिंह, छोटेलाल श्रीवास्तव, अलफोंड बर्थ आदि शामिल थे।

TODAY BASMATI Rice MARKET EX MILL RATE 8-10-2022

 TODAY BASMATI MARKET EXMILL RATE 8-10-2022


1121 - 2021

Raw - ₹ 89,000 Per Ton

Steam - ₹ 88,000 Per Ton

Sella - ₹ 84,000 Per Ton

Golden Sella - ₹ 88,000 Per Ton



1509- 2022

Steam - ₹ 71000 Per Ton

Sella - ₹ 64,000 Per Ton

Golden Sella - ₹ 73,000 Per Ton


1401 - 2021

Steam - ₹ 84,500 Per Ton

sella - ₹ 75,000 Per Ton

Golden- ₹ 80,000 Per Ton


PUSA - 2021

Raw - ₹ 80,500 Per Ton

Steam - ₹ 80,000 Per Ton

Sella - ₹ 72,000 Per Ton

Golden Sella - ₹ 75,000 Per Ton


*Sugandha -

Raw - ₹ 68,500 Per Ton

Steam - ₹ 68,500 Per Ton

Sella - ₹ 60,000 Per Ton

Golden Sella - ₹ 65,000 Per Ton


sharbati - 2022

Raw - ₹ 50,000 Per Ton

Steam - ₹ 50,000 Per Ton

Sella - ₹ 46,000 Per Ton

Golden Sella - ₹ 51,000 Per Ton


PR11/14 - 2022

Raw - ₹ 34,000 Per Ton

Steam - ₹ 37,000 Per Ton

Sella - ₹ 38,000 Per Ton

Golden Sella - ₹

41,000 Per Ton


PARMAL - 2021

Raw - ₹ 25,000 Per Ton

steam - ₹ 30,000 Per Ton

Sella - ₹ 30,500 Per Ton

Golden Sella - ₹ 35,000 Per Ton

खराब मौसम एवं महंगे डॉलर से दलहन के दाम तेज, और भी सुधार आने का अनुमान

नई दिल्ली। दलहन उत्पादक राज्यों में बेमौसम बारिश एवं रुपये के मुकाबले डॉलर महंगा होने से शुक्रवार को लेमन अरहर, उड़द, मूंग, चना एवं मसूर की कीमतों में तेजी दर्ज की गई। हालांकि दालों में खुदरा के साथ ही थोक में ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजोर है, लेकिन मौसम खराब बना रहा तो इनके भाव में और भी सुधार आने के आसार हैं।


रुपया लगातार कमजोर हो रहा है, तथा आज डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होकर 82.38 के नए स्तर पर आ गया, जिससे दालों के आयात पड़ते और भी महंगे हुए हैं। अत: घरेलू बाजार में दालों में बिकवाली कमजोर हुई है, जिससे भाव में तेजी देखी जा रही है।

सूत्रों के अनुसार चेन्नई में 15 अक्टूबर से 15 नवंबर की शिपमेंट के उड़द एफएक्यू और एसक्यू के भाव आज क्रमश: 825 डॉलर और 965 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ बोले गए। इस दौरान लेमन अरहर के भाव 900 डॉलर प्रति टन हो गए।

मुंबई बंदरगाह पर मटवारा अरहर के भाव 650 से 655 डॉलर, सूडान की अरहर के भाव 900 डॉलर प्रति टन, मलावी से आयातित अरहर के भाव 555 से 560 डॉलर तथा गजरी अरहर के 645 से 650 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ रहे। सूत्रों के अनुसार अक्टूबर एवं नवंबर में इन देशों से आयातित बढ़ेगा।

नेफेड ने अभी तक 9750 टन आयातित उड़द की खरीद की है। निगम ने 13 सितंबर को चेन्नई और नवा सेवा बंदरगाह पर 500 और 1,000 टन आयातित उड़द क्रमश: 7175 और 7490 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदी थी। उसके बाद 27 सितंबर को निगम ने नवा सेवा चेन्नई बंदरगाह पर क्रमश: 750 टन और 2,000 टन आयातित उड़द की खरीद क्रमश: 7490 रुपये एवं 7410 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीद की थी। तीन अक्टूबर को निगम ने नवा सेवा बंदरगाह पर 500 टन और चेन्नई में 6 अक्टूबर को 5000 टन उड़द की खरीद 7233 रुपये प्रति क्विंटल की दर से की।

महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य प्रदेश के साथ ही उत्तर प्रदेश एवं दक्षिण भारत के राज्यों में आज दूसरे दिन भी मौसम खराब बना रहा। भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी ने कई राज्यों में और भी बारिश होने की भविष्यवाणी की है, जिसका असर खरीफ फसलों पर पड़ने का डर है। इससे जहां फसलों की कटाई बाधित होगी, वहीं क्वालिटी के साथ ही उत्पादकता भी प्रभावित होगी। इसलिए दालों की कीमतों में तेजी, मंदी मौसम के हिसाब से भी तय होगी।  
 
दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर के भाव में 25 रुपये की तेजी आकर दाम 7500 से 7511 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

हालांकि इस दौरान चेन्नई में लेमन अरहर के भाव 7225 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

मुंबई में लेमन अरहर के भाव 25 रुपये तेज होकर दाम 7200 से 7,225 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

हालांकि अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर की कीमतें स्थिर बनी रही। सूडान से आयातित अरहर के दाम 7600 से 7650 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान तंजानिया की अरुषा अरहर के भाव 5500 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। मोजाम्बिक लाइन की गजरी अरहर की कीमतें 5400 से 5450 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। मलावी से आयातित अरहर के दाम 4650 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर रहे।

दिल्ली में बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू के भाव में 25-50 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 7225 से 7250 रुपये और 8350 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

आंध्रप्रदेश लाईन की नई उड़द का दिल्ली के लिए व्यापार 7500 रुपये प्रति क्विंटल की पूर्व दर पर ही हुआ।

मुंबई में उड़द एफएक्यू के भाव में 50 रुपये की तेजी आकर दाम 7100 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

चेन्नई में उड़द एसक्यू हाजिर डिलीवरी के दाम 50 रुपये तेज होकर 8000 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए, जबकि नवंबर डिलीवरी के भाव 50 रुपये बढ़कर 8100 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

दिल्ली में कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में 25 से 50 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 6225 रुपये 6625 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

दाल मिलों की मांग बढ़ने से कनाडा एवं ऑस्ट्रेलिया की मसूर के भाव में 75-100 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई। मसूर के दाम हजिरा बंदरगाह पर बढ़कर 6050 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। मुंद्रा बंदरगाह पर इसके भाव बढ़कर 6000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान कनाडा की मसूर की कीमतें कंटेनर में 100 रुपये तेज होकर 6250 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। आस्ट्रेलिया की मसूर की कीमतें 100 रुपये बढ़कर 6350 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंच गई।

दिल्ली में चना की कीमतों में 25 रुपये की तेजी आकर राजस्थानी चना के दाम 4,825 से 4,850 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, जबकि इस दौरान मध्य प्रदेश के चना के भाव बढ़कर 4775 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

दिल्ली में राजस्थान लाइन की नई मूंग के भाव 100 रुपये तेज होकर 7000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। 

कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ से एमएसपी पर उड़द की खरीद को मंजूरी

नई दिल्ली। कृषि मंत्रालय ने चालू खरीफ सीजन में उड़द की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी 6,600 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीद के लिए कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ राज्यों के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है। इन राज्यों की मंडियों में उड़द के दाम एमएसपी ने नीचे जाने पर नेफेड पीएसएस स्कीम के तहत किसानों से उड़द की खरीद करेगी।

चालू खरीफ सीजन में मूंग की एमएसपी खरीद के लिए मंजूरी

 कृषि मंत्रालय ने चालू खरीफ सीजन में मूंग की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी 7,755 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीद के लिए कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और हरियाणा राज्यों के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है। पीएसएस स्कीम के तहत किसानों को एमएसपी मिलें इसके लिए नेफेड ने कर्नाटक में एमएसपी पर खरीद भी शुरू कर दी है। कृषि मंत्रालय

स्टॉकिस्टों की सक्रियता से कॉटन के दाम तेज, बढ़े दाम पर स्पिनिंग मिलों की खरीद कमजोर

नई दिल्ली। स्टॉकिस्टों की सक्रियता से मंगलवार को कॉटन की कीमतों में तेजी दर्ज की गई। अहमदाबाद में शंकर 6 किस्म की कॉटन के दाम बढ़कर 69,000 से 69,500 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो हो गए। हालांकि बढ़ी हुई कीमतों में स्पिनिंग मिलों के साथ ही बहुराष्ट्रीय कंपनियों की खरीद कमजोर हो गई, जिससे तेजी टिक नहीं पायेगी।


व्यापारियों के अनुसार आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन के भाव तेज हुए, जिस कारण घरेलू बाजार में भी स्टॉकिस्टों ने भाव बढ़ा दिए। आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में दिसंबर वायदा अनुबंध में 342 सेंट की तेजी आकर भाव 87.63 सेंट हो गए, इस दौरान मार्च 2023 वायदा अनुबंध में 321 सेंट की तेजी आकर भाव 85.4 सेंट हो गए।

जानकारों के अनुसार धागे में स्थानीय एवं निर्यात मांग कमजोर है, जबकि कॉटन के निर्यात सौदों की पैरिटी भी नहीं लग रही है। इसलिए स्पिनिंग मिलें इस समय केवल जरुरत के हिसाब से ही कॉटन की खरीद कर रही है। कपास के उत्पादक राज्यों में मौसम लगभग साफ है इसलिए चालू महीने के अंत तक नई कपास की दैनिक आवक बढ़ेगी, साथ ही सूखे मालों की आवक भी ज्यादा होगी। नए मालों में नमी की मात्रा ज्यादा होने के साथ ही निर्यात में पड़ते नहीं होने के कारण बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने कॉटन की खरीद शुरू नहीं की है, इसलिए कॉटन के भाव में आई तेजी टिक नहीं पायेगी।

विश्व स्तर पर आर्थिक मंदी की आशंका के साथ ही चीन और ताइवान के बीच गतिरोध बना हुआ है, जिसका असर विश्व स्तर पर कॉटन की मांग पर पड़ने का डर है।

चालू खरीफ सीजन में 30 सितंबर तक देशभर के राज्यों में कपास की बुआई 7.51 फीसदी बढ़कर 127.50 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 118.59 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। अत: बुआई में हुई बढ़ोतरी से कपास का उत्पादन पिछले साल की तुलना में ज्यादा होगा। मौसम अनुकूल रहा तो देशभर की मंडियों में नवंबर में कॉटन की आवकों का दबाव बनेगा, तथा दिसंबर तक भाव में बड़ी गिरावट आने का अनुमान है।

पहली अक्टूबर को देशभर में सरसों का बकाया स्टॉक 34.50 लाख टन - उद्योग

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2022 को देशभर में सरसों का बकाया स्टॉक 34.50 लाख टन का बचा हुआ है, जोकि अगले पांच महीनों की खपत की तुलना ज्यादा है। इसीलिए हाजिर बाजार में सरसों की कीमतों पर लगातार दबाव बना हुआ है।


उद्योग के अनुसार पहली अक्टूबर 2022 को किसानों के पास सरसों का बकाया स्टॉक करीब 28.75 लाख टन का बचा हुआ है, इसके अलावा मिलर्स एवं स्टॉकिस्टों के पास करीब 5.75 लाख टन सरसों हैं। सरसों की नई फसल की आवक उत्पादक मंडियों में फरवरी के अंत में शुरू हो जाती है तथा मार्च में आवकों का दबाव बन जाता है।

सरसों की खपत सितंबर में करीब 6.50 लाख टन की ही हुई है, जोकि अगस्त के 7 लाख टन की तुलना में कम है। चालू फसल सीजन में पहली मार्च 2022 से सितंबर 2022 तक देशभर में सरसों की कुल पेराई 73.50 लाख टन की हुई है, जबकि इस दौरान मंडियों में सरसों की आवक 79.25 लाख टन की हुई है।

उद्योग के अनुसार चालू फसल सीजन में सरसों का उत्पादन 111 लाख टन का हुआ था, जबकि  73.50 लाख टन की पेराई हो चुकी है। अत: बकाया स्टॉक 34.50 लाख टन का बचा हुआ है। विश्व बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में पिछले चार, पांच महीनों से लगातार गिरावट दर्ज की गई है, जिसका असर घरेलू बाजार में सरसों की कीमतों पर भी पड़ा है।

चालू फसल सीजन में राजस्थान में सरसों का उत्पादन 51 लाख टन, उत्तर प्रदेश में 15 लाख टन, पंजाब एवं हरियाणा में 11.50 लाख टन, गुजरात में 6.50 लाख टन, मध्य प्रदेश में 12.50 लाख टन और पश्चिम बंगाल समेत अन्य राज्यों में 14.50 लाख टन का उत्पादन हुआ था।  

उत्पादक राज्यों में चालू महीने में सरसों की बुआई शुरू हो जायेगी, तथा सितंबर में राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के उत्पादक क्षेत्रों में हुई बारिश से खेतों में नमी भी पर्याप्त है, इसलिए सरसों की बुआई में कमी आने की आशंका भी नहीं है। 

01 अक्टूबर 2022

उत्तर भारत की मंडियों में धान के भाव पहली अक्टूबर 2022 के

उत्तर भारत की मंडियों में धान के भाव पहली अक्टूबर 2022 के 


MANDI- ATRAULI. UP,  ARRIVAL- 25'00. Bags. 1509. HAND.

Rate- 3209 se 3421.   Sugandha. HAND.  Rate- 2871. Sarbati. HAND. Rate- 2200 se 2351.

Tarn Taran Mandi 1509 arrival approximately 60000 bags rate 3000 to 3465   boli continue

Khanauri 1509 @ 3470 boli continue

Mathura Mandi up com 1509 3200 Hand 3400 Arival 7000 sa 8000

Sonipat com 3201  Hath 3521

Samalkha mandi paddy 1509combain 3261 Ariwal 40000 bag

Shambal Mandi  RH-10-2200-2500 Arvail -70000 katta

MANDI- AMRITSAR. PUNJAB  ARRIVAL- 1'50000. Bags. New 1509. Combine. Rate- 3400. Boli Suri.

Gohana Mandi .compain.1509.3336.boli chalu

Panipat mandi combain 1509 @3300  hath @3500 abi tak

MANDI- GARHMUKTESHWAR. UP Aarival- 60'000. New. 1509. HAND. Rate- 3500.

New. 1509. Combine. Rate- 3250. New. RH -10. HAND. Rate- 2550.

New Suganda HAND. Rate- 2850.


मिलों की खरीद कमजोर होने उड़द, चना एवं मूंग में गिरावट जारी

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर बनी रहने के कारण शुक्रवार को उड़द, चना एवं मूंग की कीमतों में गिरावट जारी रही, जबकि नीचे दाम पर बिकवाली कम आने अरहर में सुधार आया। मसूर के भाव इस दौरान लगभग स्थिर बने रहे।


सूत्रों के अनुसार बर्मा से आयातित लेमन अरहर के भाव चेन्नई में अक्टूबर डिलीवरी के 925 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ पर स्थिर बने रहे, जबकि उड़द एफएक्यू और एसक्यू के दाम इस दौरान क्रमश: 840 डॉलर और 980 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ के पूर्व स्तर पर स्थिर रहे।

चालू खरीफ में दलहन की बुआई लगभग पूरी हो चुकी है। मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में दालों की कुल बुआई 133.68 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 139.21 लाख हेक्टेयर से कम है।

लेमन अरहर की कीमतों में सुधार तो आया है लेकिन व्यापारी अभी इसके भाव में बड़ी तेजी में नहीं है। वैसे भी अगले महीने से बर्मा से आयातित अरहर की आवक बढ़ेगी, तथा जानकारों का मानना है कि अक्टूबर में करीब एक से सवा लाख टन आयातित अरहर भारतीय बंदरगाह पर पहुंचेगी। लेमन एवं देसी अरहर की तुलना में अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर सस्ती है इसलिए आगे अरहर की कीमतों पर दबाव बनने के आसार है। जानकारों के अनुसार महीने की पहली तारीखों की मांग निकलने से हल्का सुधार जरूर आ सकता है।

उड़द में बर्मा से आयातित माल तो आ ही रहे हैं, साथ ही खरीफ उड़द की आवक भी मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की मंडियों बढ़ी है। इन राज्यों की मंडियों में हल्के, भारी माल ज्यादा मात्रा में आ रहे हैं, जिस कारण कीमतों में अंतर भी ज्यादा है। दक्षिण भारत के राज्यों की मांग सीमित बनी हुई है, जिस कारण उड़द की कीमतों में अभी तेजी मानकर व्यापार नहीं करना चाहिए।

नेफेड द्वारा लगातार नीचे दाम पर चना की बिकवाली करने से इसकी कीमतों पर दबाव बना हुआ है। हालांकि त्योहारी सीजन के कारण चना दाल और बेसन की मांग में सुधार आयेगा, लेकिन इसके भाव में बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है।

राजस्थान के कृषि निदेशालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू खरीफ में मूंग का उत्पादन 46 फीसदी बढ़कर 13.21 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि पिछले खरीफ सीजन में इसका उत्पादन 9.05 लाख टन का ही हुआ था। इसी तरह से उड़द का उत्पादन 64 फीसदी बढ़कर 2.55 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में केवल 1.55 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था।

दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर के भाव में 50 रुपये की तेजी आकर दाम 7475 से 7,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

चेन्नई में लेमन अरहर के भाव भी 125 तेज होकर दाम 7325 से 7350 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

मुंबई में लेमन अरहर के भाव 7275 से 7,300 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर के भाव भी स्थिर बोले गए। तंजानिया की अरुषा अरहर के भाव 5500 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। सूडान से आयातित अरहर के दाम 7700 रुपये प्रति क्विंटल के पूर्व स्तर पर स्थिर बने रहे। इस दौरान मोजाम्बिक लाइन की गजरी अरहर की कीमतें 5400 से 5450 रुपये एवं मलावी से आयातित अरहर के दाम 4750 से 4800 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर रहे।

दिल्ली में बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू के भाव में 75-75 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 7300 से 7325 रुपये एवं 8400 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

आंध्रप्रदेश लाईन की नई उड़द का दिल्ली के लिए व्यापार 7750 रुपये प्रति क्विंटल की पूर्व दर पर ही हुआ।

मुंबई में उड़द एफएक्यू की कीमतों में 50 रुपये की गिरावट आकर भाव 7150 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दिल्ली में मध्य प्रदेश और कनाडा की मसूर की कीमतें क्रमश: 6600 रुपये एवं 6150 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

दाल मिलों की सीमित मांग से कनाडा एवं ऑस्ट्रेलिया की मसूर के भाव स्थिर बने रहे। हजिरा बंदरगाह पर कनाडा की मसूर के भाव 5950 रुपये एवं मुंद्रा बंदरगाह पर 5,925 से 5950 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान कनाडा की मसूर की कीमतें कंटेनर में 6150 से 6175 रुपये तथा आस्ट्रेलिया की मसूर की कीमतें 6250 से 6275 रुपये प्रति क्विंटल के पूर्व स्तर पर स्थिर बनी रही।

दिल्ली में चना की कीमतों में लगातार चौथे दिन कमजोर हुई। राजस्थानी चना के दाम 50 रुपये कमजोर होकर 4,800 रुपये एवं मध्य प्रदेश के भाव 25 रुपये घटकर 4725 से 4,750 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर आ गए।

दिल्ली में राजस्थान लाइन की नई मूंग के भाव 50 रुपये कमजोर होकर 7150 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

खरीफ में धान, दलहन एवं तिलहन की बुआई घटी, मोटे अनाज एवं कपास की बढ़ी

नई दिल्ली। खरीफ फसलों की बुआई लगभग पूरी हो चुकी है, कृषि मंत्रालय के अनुसार देश के कई राज्यों में असामान्य बारिश होने के कारण धान की रोपाई चालू खरीफ में 4.76 फीसदी घटी है। साथ ही दलहन एवं तिलहन की बुआई भी पिछले साल की तुलना में कम हुई है। हालांकि कपास के साथ ही मोटे अनाजों की बुआई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है।


कृषि मंत्रालय के अनुसार खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू खरीफ में 30 सितंबर तक 4.76 फीसदी घटकर 402.88 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में 423.04 लाख हेक्टेयर में रोपाई हो चुकी थी।

मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में देशभर के राज्यों में खरीफ फसलों की कुल बुआई घटकर 1,102.79 लाख हेक्टेयर में हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 1,112.16 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

दलहनी फसलों की कुल बुआई चालू खरीफ में 3.97 फीसदी घटकर 133.68 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 139.21 लाख हेक्टेयर से कम है। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में 46.15 लाख हेक्टेयर में, उड़द की 38.27 लाख हेक्टेयर में और मूंग की 33.45 लाख हेक्टेयर में ही हुई है। पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमशः 48.29 लाख हेक्टेयर में, 39.61 लाख हेक्टेयर में और 34.80 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

अन्य दालों की बुआई चालू खरीफ में 15.33 लाख हेक्टेयर में हुई है, जोकि पिछले खरीफ की समान अवधि के 15.52 लाख हेक्टेयर से कम है।

मोटे अनाजों की बुवाई चालू खरीफ में बढ़कर 183.89 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 175.15 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। मोटे अनाजों में ज्वार की बुआई 14.23 लाख हेक्टेयर में और बाजरा की 69.95 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमशः 14.67 लाख हेक्टेयर और 63.31 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।

मक्का की बुआई चालू खरीफ में 84.23 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक 82.17 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। रागी की बुआई चालू खरीफ में 9.40 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ में इसकी बुआई 9.66 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

तिलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में घटकर 192.14 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 193.99 लाख हेक्टेयर से कम है। तिलहन में मूंगफली की बुवाई चालू खरीफ में 45.59 लाख हेक्टेयर में, सोयाबीन की 120.90 लाख हेक्टेयर में और सनफ्लावर की 2.02 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमशः 49.44 लाख हेक्टेयर में, 120.87 लाख हेक्टेयर में और 1.54 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।

शीशम सीड की बुवाई चालू खरीफ में 13.46 लाख हेक्टेयर में और कैस्टर सीड की 8.92 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले खरीफ की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमशः 13.37 लाख हेक्टेयर में और 7.55 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।

कपास की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 127.50 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 118.59 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

गन्ने की बुआई चालू खरीफ में 55.73 लाख हेक्टेयर में हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 55.22 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। 

चालू खरीफ में कपास की बुआई 7.51 फीसदी बढ़कर 127 लाख हेक्टेयर के पार

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में 30 सितंबर तक देशभर के राज्यों में कपास की बुआई 7.51 फीसदी बढ़कर 127.50 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 118.59 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।


उत्तर भारत के राज्यों पंजाब और हरियाणा में चालू खरीफ में कपास की बुआई घटकर क्रमशः 2.48 और 6.50 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इन राज्यों में क्रमशः 2.54 और 6.88 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

राजस्थान में जरूर चालू खरीफ में कपास की बुआई बढ़कर 6.83 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 6.29 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

गुजरात में चालू खरीफ में कपास की बुआई बढ़कर 25.49 लाख हेक्टेयर में और महाराष्ट्र में 42.29 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इन राज्यों में क्रमशः 22.54 और 39.57 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।

मध्य प्रदेश में चालू खरीफ में कपास की बुआई घटकर 5.99 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इसकी बुआई 6 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

दक्षिण भारत के राज्यों तेलंगाना में चालू खरीफ में कपास की बुआई घटकर 20.24 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ की समान अवधि में इसकी बुआई 20.62 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

आंध्र प्रदेश में चालू खरीफ में कपास की बुआई 6.53 लाख हेक्टेयर में, कर्नाटक में 8.22 लाख हेक्टेयर में और तमिलनाडु में 0.51 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इन राज्यों में क्रमशः 4.93 लाख हेक्टेयर में, 6.44 लाख हेक्टेयर में और 0.46 हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।

चालू खरीफ में ओडिशा में कपास की बुआई 2.16 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.97 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

गेहूं की कीमतों में तेजी रोकने के लिए आयात शुल्क में कटौती कर सकती है केंद्र सरकार

नई दिल्ली। गेहूं उत्पादों के साथ ही गेहूं की बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार आयात शुल्क को हटाने के साथ ही व्यापारियों एवं मिलर्स के लिए स्टाक सीमा भी तय कर सकती है। इस समय गेहूं के आयात पर 40 फीसदी आयात शुल्क है।


चालू सीजन में उत्पादन अनुमान में आई कमी के कारण गेहूं के साथ ही गेहूं उत्पादों के दाम तेज बने हुए हैं। सरकार ने गेहूं की कीमतों में तेजी को रोकने के लिए मई में इसके निर्यात पर रोक लगा दी थी, इसके बावजूद भी घरेलू बाजार में गेहूं की कीमतों में लगातार तेजी बनी हुई है।

सूत्रों के अनुसार त्योहारी सीजन में गेहूं उत्पादों की कीमतों को काबू में करने के लिए केंद्र सरकार रोलर फ्लोर मिलों के साथ ही गेहूं के व्यापारियों के लिए स्टॉक लिमिट भी तय करने पर विचार कर रही है।

जानकारों के अनुसार अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं का मूल्य घरेलू बाजार से ज्यादा है। जिस कारण गेहूं के आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं। हालांकि जानकारों का मानना है कि यदि सरकार ने गेहूं के आयात शुल्क को समाप्त कर दिया तो विश्व बाजार में गेहूं के दाम और तेज हो जायेंगे। ऐसे में आयात की संभावना उसके बाद भी बनने के आसार कम है।

पिछले दिनों केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने भी कहां था कि गेहूं के मूल्य को कम करने के लिए सभी संभावित विकल्प तलाश रही हैं। हालांकि उन्होंने कहां था कि केंद्रीय पूल में गेहूं का बकाया स्टॉक तय मानकों बफर की तुलना में ज्यादा है। इससे पहले भारत ने वित्त वर्ष 2017-18 में गेहूं का आयात किया था।

पहली सितंबर 2022 को केंद्रीय पूल में 248.22 लाख टन गेहूं का बकाया स्टॉक बचा हुआ है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में बकाया स्टॉक 517.87 लाख टन का था। तय मानकों के पहली अक्टूबर को केंद्रीय पूल में 175.20 लाख टन गेहूं का स्टॉक होना चाहिए, जबकि अगर सामरिक रिजर्व को मिलाकर कुल स्टॉक 205.20 लाख टन का होना चाहिए।  

दिल्ली के लॉरेंस रोड पर गेहूं के भाव 2,520 से 2,540 रुपये प्रति क्विंटल है। जबकि उत्पादक मंडियों में लूज में इसके भाव 2150 से 2250 रुपये प्रति क्विंटल क्वालिटी अनुसार हैं।

रबी विपणन सीजन 2022-23 में गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद 187.92 लाख टन की ही हुई थी, जबकि केंद्र सरकार ने सीजन के आरंभ में 444 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य किया था। हालांकि गेहूं के उत्पादन अनुमान में कमी सामने आने पर सरकार ने मई के पहले सप्ताह में गेहूं खरीद के लक्ष्य में संशोधन करते हुए 195 लाख टन तय कर दिया था लेकिन यह लक्ष्य भी पूरा नहीं हो पाया।

ब्रोकन चावल के निर्यातकों को केंद्र ने फिर दी राहत, 15 अक्टूबर तक कर सकेंगे निर्यात

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने ब्रोकन चावल के निर्यातकों का बार फिर राहत देते हुए, अब निर्यात की अवधि को 15 अक्टूबर 2022 तक बढ़ा दिया हैं। इससे पहले केंद्र सरकार ने 30 सितंबर 2022 तक निर्यात की अनुमति दी थी।


केंद्र सरकार द्वारा मंगलवार को जारी अधिसूचना के अनुसार निर्यातक ब्रोकन चावल का निर्यात 15 अक्टूबर 2022 तक कर सकेंगे। मालूम हो कि सरकार ने 8 सितंबर 2022 को तत्काल प्रभाव से ब्रोकन चावल का निर्यात बंद कर दिया था।

सरकार ने खुदरा दाम को काबू में रखने और घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के इरादे से ब्रोकन चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था। मौजूदा खरीफ सत्र में धान की बुवाई के रकबे में कमी आने के कारण इस साल चावल उत्पादन में गिरावट आने की आशंका से यह कदम उठाया था।